Wednesday 15 December 2021

वॉचपार्टी: शोभा और विनय की जिंदगी में कैसा तूफान मचा गई एक पार्टी

अपने पति विनय के जाने के बाद शोभा बार बार कभी समय देखती,कभी हिसाब लगाती कि कौनसा काम करेगी तो समय अच्छी तरह बीत  जायेगा,आज लाइफ में पहली बार वह रात को अकेली घर में रहने वाली थी,कभी ससुराल के लोग,फिर बच्चे,रिनी और मयंक!कभी अकेले रहने की नौबत ही नहीं आयी थी,विनय के टूरिंग जॉब का पूरा टाइम ऐसे ही निकल गया था,पता ही नहीं चला कि कब कितने टूर हो जाते,अकेलापन कभी लगा ही नहीं था,पर अब बच्चों के विदेश में  बसने के बाद यह पहला टूर था,इतने दिन से लॉक डाउन में वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे तो पूरा दिन ही व्यस्त बीतता रहा.

पर अब दिल्ली में अचानक एक मीटिंग में विनय को जाना ही पड़ा,उसे काफी समझा बुझा कर विनय तीन दिनों के लिए दिल्ली चले गए तो शोभा ने दिन में कई काम निपटा लिए,कभी अलमारी साफ़ करती,कभी कोई बुक उठा लेती,फिर डिनर भी जल्दी करके सोसाइटी में टहल भी आयी,आजकल किसी से मिलने जुलने का टाइम तो रहा ही नहीं था,मास्क लगाए ज्यादा देर तक यूँ ही टहलते रहने में उसे उलझन होने  लगती तो जल्दी ही घर भी लौट आती. विनय और बच्चे व्हाट्सएप्प पर टच में थे,रोजाना की तरह उसने ग्यारह बजे सोने से पहले गुड नाईट का मैसेज फॅमिली ग्रुप पर लिखा,सबका रिप्लाई भी आ गया,अकेले फिर डर सा लगा तो उसने ड्राइंग रूम की लाइट जलती छोड़ दी और बैडरूम में जाकर सोने के लिए लेट गयी.पचास वर्षीया शोभा कोमल स्वभाव की पति और बच्चों के साथ खुश रहने वाली शांत,अंतर्मुखी महिला थी,दोनों बच्चों को विदेश में जॉब मिल गया था,विनय एक प्राइवेट कंपनी में उच्च पद पर काम करते थे,वैसे तो विनय और शोभा लखनऊ के थे पर अब बीस  साल से मुंबई में रह रहे थे. बीस साल पहले उनका ट्रांसफर लखनऊ से  मुंबई हुआ था.

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शोभा कुछ देर अपनी सोचों में खोयी रही फिर उसकी आँख लगी ही थी कि डोरबेल की आवाज से वह बुरी तरह डर कर उठी,जाकर की होल से झांका,नींद भरी आँखें हैरत के जोरदार   झटके से खुल गयीं,समीर खड़ा था ,उसने पल भर में ही दरवाजा खोल दिया,अपने पुराने अंदाज में समीर ने पूछा‘’मैंने किसी को डिस्टर्ब तो नहीं किया ?”

”अब भी ड्रामा करना नहीं छोड़ा तुमने?”शोभा खिलखिला उठी,कहा,”आओ. ”

”हाँ,आ ही गया हूँ,”कहते हुए समीर ने अपना बैग एक तरफ रखा और कहा,”शोभा,पहले मेरे हाथ सेनिटाइज़ करवा दो,यार,फ्लाइट कैंसिल हो गयी,होटल्स बंद हैं,तुम्हारा घर तो याद था,पर फोन नंबर भूल चूका हूँ,इसलिए बिना बताये इस टाइम पहुँच गया,इतना भरोसा था कि तुम लोग मुझे पहचान तो लोगे.‘’

शोभा ने उसके हाथ सेनिटाइज़ करवाते हुए कहा,”बकवास मत करो,अच्छा हुआ तुम्हारी फ्लाइट  कैंसिल हुई,मतलब यहाँ से चोरी चोरी निकल जाते हो न,अच्छा हुआ तुम्हारे साथ,मुझे जल्दी दरवाजा  खोलना ही नहीं चाहिए था,जो दोस्त भूल जाएँ,उन्हें पहचानना ही नहीं चाहिए था मुझे. ”

”अरे,वाह,आज भी तुम गुस्सा तो बड़े प्यार से ही दिखाती हो. ”

दोनों खुल कर हंस दिए,दोनों ने एक दूसरे को इतने सालों बाद भी मेंटेंड रहने पर कॉम्प्लिमेंट्स दिए,समीर ने कहा,यार कहाँ है मेरा,इतने घोड़े बेच कर सो रहा है क्या कि उसकी पत्नी रात में घर में किसी से बातें कर रही है और उसे पता ही नहीं चल रहा ?”

”आज ही दिल्ली गए हैं.तीन दिनों के लिए,एक जरुरी मीटिंग थी. ”

”ओह्ह,नो,मतलब उससे नहीं मिल पाउँगा?”

”रुक जाना,मिलकर चले जाना. ”

”नहीं,नहीं,रुक नहीं सकता,कल ही निकलना है.

”तुम फ्रेश  हो लो,क्या पीओगे?खाना खाओगे?”

”हाँ,कुछ है?”

”सब्जी रखी  है,रोटी बना दूँ?”

”हाँ,दो रोटी,और एक कप चाय,मैं फ्रेश होकर आया. ”

समीर वाशरूम में चला गया,शोभा किचन में आ गयी,सुबह की ही दाल सब्जी रखी थी,गर्म करके रोटी बनायीं और चाय चढ़ा दी,मन अतीत में लखनऊ पहुँच गया,बीस साल पहले चारों  का,समीर और उसकी पत्नी,मधु और दो बच्चे और शोभा का परिवार ! बहुत बढ़िया ग्रुप था,एक ही कॉलोनी में दस साल साथ रहे,बहुत मस्ती करते,साथ साथ घूमते,लाइफ को मिलकर एन्जॉय करते. बच्चों को भी आपस में अच्छा साथ मिलता. फिर विनय का ट्रांसफर मुंबई हो गया,एक बार समीर सपरिवार आया,फिर धीरे धीरे मिलना जुलना कम  होता गया,समीर भी फिर ऑस्ट्रेलिया चला गया तो संपर्क कम होता गया. समीर फ्रेश होकर आया,थोड़ी दाल और आलू गोभी के साथ रोटी खाना शुरू किया तो बोल उठा,तुम्हारे हाथ में तो आज भी स्वाद है. ”

”तुम आज भी खूब झूठ बोल लेते हो,”शोभा ने छेड़ा और फिर कहा,”ये तुम लोग गायब क्यों हो गए ?”

”हम कहाँ गायब हुए,आजकल तो सोशल मीडिया है एक दूसरे से जुड़े रहने के लिए पर पता चला तुम सोशल मीडिया पर कहीं भी नहीं हो,ऐसी भी क्या सबसे दूरी !”

”हाँ,समीर,मुझे तो बस किताबों का ही साथ भाता है,और कहीं हाथ मारने की जरूरत ही नहीं होती,मेरी किताबों की दुनिया ही मुझे ख़ुशी देती है,बस जब खाली होती हूँ,किताबे उठा लेती हूँ,टाइम का फिर पता ही नहीं लगता और सुनाओ,हेल्थ कैसी रहती है,मधु कैसी है,बच्चे कहाँ हैं ?”

”बैंगलोर शिफ्ट होने की तैयारी है,यहाँ एक प्रोजेक्ट पर काम करने आ रहा हूँ,बच्चे वहीँ सेट होना चाहते हैं,पर मधु अब इंडिया आना चाहती है,उसके पेरेंट्स अकेले  बैंगलोर में हैं,वह उनके आसपास रहना चाहती है,जब तक प्रोजेक्ट है,बंगलौर रहना ही है,फिर देखते हैं,हेल्थ तो टाइम के साथ कभी ऊपर नीचे रहती ही है पर हाँ,तुम आज भी उतनी ही फिट लग रही हो जैसे पहले लगती थी,”कहते हुए समीर ने शोभा को शरारती नजरों से देखा तो वह मुस्कुरा दी ,समीर ने कहा,पर शोभा,तुम थोड़ा बहुत तो दोस्तों से जुड़ने के लिए फेसबुक पर रह सकती हो न,हम कितने पुराने दोस्तों से फेसबुक से ही जुड़ते चले गए,फिर व्हाट्सएप्प ग्रुप बन गया,अब तो ज़ूम पर भी दोस्तों की महफिलें जमने लगी हैं,तुम कौनसी दुनिया में रहती हो,भाई. ”

शोभा ने कुछ कहा नहीं,समीर का खाना ख़तम हो चुका था,शोभा प्लेट्स उठा कर ले गयी और चाय भी ले आयी,समीर ने पूछा,”तुम नहीं पियोगी?”

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”नहीं,इस टाइम पी लूंगी तो नींद नहीं आएगी. ”

”अच्छा,तुम आज भी सो जाओगी ?”

”हाँ,रात को ज्यादा अब जागा  ही नहीं जाता,तुम भी आराम कर लो. ”

”कर लूँगा,पर मुझे सुबह जल्दी निकलना है,ये विनय की मीटिंग दिल्ली में ही है ?”

”हाँ. ”

”विनय के हालचाल तो मुझे मिलते रहते हैं,हम सोशल मीडिया पर भी कभी कभी टकरा जाते हैं,हाय हेलो हो जाती है,बस,वह भी काफी बिजी रहता है पर तुमने तो सबसे बिना बात के संन्यास ले रखा है,बस मैं और मेरा पति टाइप कैसी हो गयी तुम ?”

शोभा हंस दी ,”पर तुम लोगों की कमी मुझे हमेशा खली,यहाँ मुंबई में तुम्हारे जैसे दोस्त कभी नहीं मिले,तुम लोगों को हमेशा याद किया मैंने. विनय काफी बिजी होते गए,टूर पर जाते रहते हैं  इस बार बहुत दिन बाद गए,तुम्हे याद है हमने कितनी मस्तियाँ की हैं,हम कितना घूमे फिरे,सच,बहुत अच्छे दिन बीते तुम लोगों के साथ. और बाकी दोस्त कैसे हैं,किसके टच में हो ?”

”आओ,तुम्हे दिखाता हूँ,”कहते कहते ही समीर ने अपने बैग से अपना लैपटॉप निकाल लिया,फेसबुक खोला,और अपने कॉमन फ्रेंड्स की फोटो दिखा दिखा कर सबके बारे में बताता रहा,शोभा को सबके बारे में जान कर अच्छा लगने लगा,अब रात के दो बज रहे थे,अचानक समीर बुरी तरह चौंका,एक जगह क्लिक करता हुआ बोला,”अरे,ये गीता की  आज वॉच पार्टी चल रही है,देखो,शोभा,इसकी पार्टी लाइव देख सकते हैं,गीता याद है न तुम्हे ?”

शोभा ने धीरे से बस हूँ ही कहा,समीर ने कहा,”हाँ,भाई,तुम  कैसे भूल सकती हो अपने पति की इस दोस्त को जिसे देख कर ही तुम्हारा पारा हाई हो जाता था,सुना है,इसने अपने पति से तलाक ले लिया था,दोनों की बनी नहीं. ”

”मुझे ये कभी पसंद आयी ही नहीं,समीर !”

”हाँ,जानता हूँ,विनय पर खूब डोरे डालती थी यह,किसी भी पार्टी में इसे देख कर तुम्हारा मूड ही खराब हो जाता थाऔर मैं और मधु तुम्हे फिर कितना चिढ़ाते थे !’

”हाँ,यह तो अच्छा है कि पति शरीफ था मेरा वरना हमारे झगडे तुम दोनों को ही सुलझाने पड़ते,”शोभा ने हँसते हुए कहा ,फिर आगे बोली ,”हम भी किसकी बात लेकर बैठ गए,अब तो हमारे बच्चों की पार्टियों के दिन हैं. ”

”अजी हाँ,ये देखो,आओ,देखते हैं मैडम की पार्टी में कौन कौन है. ”

शोभा भी थोड़ा और झुक कर लैपटॉप में देखने लगी,अचानक दोनों को एक करंट सा लगा,समीर के मुँह से निकला,ये विनय ही है क्या?”

शोभा कुछ बोली नहीं,उसने  अपनी नजरें लैपटॉप पर जमा दीं,”ये कैसे हो सकता है ?”वॉचपार्टी में साफ़ साफ़ दिख रहा था कि विनय और गीता एक दूसरे के काफी करीब हैं,म्यूजिक के साथ दोनों के पैर थिरक रहे थे,हाथों में हाथ थे ,शोभा जैसे पत्थर की हो गयी थी,उसके मुँह से इतना ही निकला,पार्टी में जाने को भी मैं बुरा नहीं कहूँगी पर दोनों की बॉडी लैंग्वेज कैसे इग्नोर करूँ?समीर,कहते कहते शोभा का गला रुंध गया,फिर बोली,मुझे तो पता भी नहीं कि विनय उसके टच में हैं !”

”शोभा,आई एम वैरी सॉरी,मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी,बेकार में लैपटॉप खोल कर बैठ गया !बहुत शर्मिंदा हूँ,शोभा ,बड़ी भूल हुई मुझसे !”

”नहीं,समीर,तुम इससे अच्छा कुछ मेरे लिए कर ही नहीं सकते थे कि मेरी आँखें खोल जाओ,विनय ने आज तक मुझे यह नहीं बताया कि ये दिल्ली जाने पर कभी किसी से मिलते हैं,मैं इतना ही जानती हूँकि काम  फिर होटलऔर बस फिर यहाँ घर,पर नहीं,इसके अलावा भी विनय की लाइफ में बहुत कुछ  है,मुझे जानना ही चाहिए था. ”

शोभा ने उठते हुए कहा ,समीर,तुम भी अब आराम कर लो,आओ,बच्चों का रूम दिखा देती हूँ,”कहकर शोभा  उठी तो समीर भी गंभीर सा उसके पीछे पीछे उठ गया. शोभा अपने रूम में आ कर तकिये पर गिरते ही फफक पड़ी,उसे उसके कजिन रवि ने एक बार दिल्ली से फोन कर कहा था कि  उसने विनय को एक होटल में किसी लेडी के साथ देखा है,हुलिया गीता से ही मिलता जुलता बताया था,पर शोभा ने उसे यही कहा था कि ऑफिस की कोई कलीग होगी,उसने कभी किसी को अपने मन का यह दुःख नहीं बताया कि  वह कई बार विनय की आशिकमिजाजी से तंग हो जाती है,सब मन में ही रखती रही,उसने इसीलिए किसीदोस्त से कभी सम्बन्ध रखे ही नहीं,सबसे कटी जीती रही ,आज उसने अपनी आँखों से दोनों को जिस तरह पास देखा था,वह कोई बच्ची नहीं थी कि न समझे,ये सिला मिला है उसे एक अच्छी पत्नी बनकर रहने का,सारे कर्तव्य पूरे करने का,विनय के साथ हर सुख दुःख में कदम से कदम मिला कर चलने का कि विनय आज भी उससे बहुत कुछ छुपा जाते हैं,उसने न कभी विनय से कोई झगड़ा किया है ,न कोई शिकवा,फिर आज उसने यह सब क्या देखा,उसकी आँखों से आंसू बह निकले,इतने आंसूकि उसकी हिचकियाँ बंध गयीं,वह पेट के बल उल्टा लेटी थी,अचानक उसे अपनी गर्दन पर किसी का गर्म  स्पर्श महसूस हुआ ,आँख खोली,लेटे लेटे ही गर्दन घुमाई,समीर उसके पास बैठा था,वह उठने लगी तो समीर ने उसकी पीठ थप थपा दी,कहा,”लेटी रहो,शोभा ,दुखी मत हो,ऐसा भी हो सकता है कि ऐसा कुछ न हो जो हमें लगा है. ”

करवट लेकर शोभा ने कहा,”समीर,मुझे मेरे भाई ने,और भी कई लोगों ने इस तरह की बातें बताई हैं पर मैंने उन पर कभी विश्वास नहीं किया पर अब बहुत हो गया ,”शोभा सिसकने लगी.पर्दे के पीछे से  खिड़की से आती मंद मंद रौशनी में आंसुओं से भरा शोभा का चेहरा देख समीर अपनी सुध बुध अचानक खोने लगा,उसने खुद को संभालने की कोशिश की पर शोभा से इस समय की नजदीकी उसे कहीं और ले जाने लगी,अपनी और शोभा की दोस्ती,विश्वास,उम्र सब की चिंता रखी रह गयी और उसने शोभा के होंठ चूम लिए,शोभा जैसे किसी और ही मानसिक यंत्रणा में जी रही थी,समीर का स्पर्श उसे अपना सा भला सा ही लगा,फिर भी उसने उठने की कोशिश की तो समीर उसके ऊपर धीरे धीरे जैसे जैसे झुकता गया,सब कुछ पल भर ही लगा बदलने में,और फिर अचानक सचमुच बहुत कुछ बदल गया,शोभा का विद्रोही ,घायल मन अचानक समीर का साथ देने लगा,उसके कानों में समीर नेसॉरी तो बार बार  कहा पर इस समय पति की बेवफाई से क्षुब्ध मन इन अनुचित  ही सही पर  कुछ पलों के अपनेपन की धारा में बहने लगा,शोभा ने अपने आप को रोकने की तमाम कोशिशें भी की पर कुछ हठ होता है ऐसे अनचाहे पलों का जिनसे इंसान चाह कर भी जीत नहीं सकता.

जो कभी दोनों ने सोचा भी नहीं था,वह हो गया था,थोड़ी देर बाद समीर फिर उसे एक बार चूम कर रूम से निकल गया,शोभा की कब आँख लगी,उसे पता ही नहीं चला,सुबह वह देर से उठी,आँख खुली तो रात की पूरी बात याद कर एक झटके से उठ बैठी,वह बहुत देर सोई रही थी,उसने टाइम देखा,नौ बज रहे थे,इतना लेट तो वह कभी नहीं उठती,वह फौरन समीर के रूम में गयी,समीर जा चुका था,उसने अपना फोन चेक किया,फॅमिली के ग्रुप पर कई मैसेज थे,फिर समीर के मैसेज थे,लिखा था,जो भी हो गया,शोभा,सॉरी,पर अब तुम हमेशा मेरे टच में रहना,हम आगे भी अच्छे दोस्त बन कर रह सकते हैं,मेरी कोई भी जरुरत हो,मुझे कहना,तुम्हे उठाया नहीं,तुम्हे आराम की जरुरत थी,मेरी फ्लाइट टाइम पर है,बात जरूर करते रहना,विनय से क्या बात करनी है,अच्छी तरह सोच लेना.‘’

फ्रेश होकर शोभा ने चाय बनायीं,ग्रुप पर बस गुड मॉर्निंग का मैसेज डाल कर इतना ही लिख दिया कि  ठीक हूँ,आज लेट सोकर उठी,”

विनय का फौरन मैसेज आया,”अरे,वाह,मेरे बिना इतनी बढ़िया नींद आयी तुम्हे. ”

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शोभा ने और कोई जवाब नहीं दिया,वह समीर के बारे में सोचने लगी,क्या हो गया था उसे रात,क्यों नहीं रोका समीर को,यह क्या कर बैठी,समीर क्या सोचता होगा !अब आगे क्या करना चाहिए,क्या विनय से बात करे?नहीं,वह बेशर्मी पर उतर आया तो ?अभी तो बच्चे अपना एक आदर्श परिवार मानते हैं,उनका यह भ्रम तोड़ देन !क्या चुप रहे ?वैसे ही जैसे  हजारों महिलाएं चुप रह जाती हैं ! क्या करे ? और जो समीर के साथ हुआ,उसका गिल्ट रखे मन में ?नहीं,दिल नहीं कर रहा इसे  अपराधबोधमानने केलिए! हाँ,जी ली वह भी कुछ पल किसी के साथ !ठीक नहीं भी है तो भी जी ली !किसी से कुछ नहीं कहेगी,न विनय से ,न बच्चों से !पर क्या यह बात ऐसे ही जाने दे कि विनय उससे झूठ बोलते रहे हैं ! हाँ, फिलहाल कुछ नहीं कहेगी,अभी उसने भी समीर के साथ एक रात बितायी है,शायद अभी वह कुछ नहीं कह पाएगी,उसे भी अभिनय करना होगा विनय की तरह कि वह उनसे कुछ नहीं छुपाती. उसने चाय की घूँट ली ,चाय ठंडी हो चुकी थी,वह चाय गर्म करने किचन की तरफ बढ़ी तो अब मन काफी हल्का हो चुका था. अचानक उसे ख्याल आया कि एक वॉच पार्टी सबकी लाइफ में ऐसा  तूफ़ान मचा कर गयी है कि कोई भी किसी से कुछ कह नहीं पायेगा.पहली बार ही वॉचपार्टी देखी थी और वह भी ऐसी जो भुलाये न भूलेगी.

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अपने पति विनय के जाने के बाद शोभा बार बार कभी समय देखती,कभी हिसाब लगाती कि कौनसा काम करेगी तो समय अच्छी तरह बीत  जायेगा,आज लाइफ में पहली बार वह रात को अकेली घर में रहने वाली थी,कभी ससुराल के लोग,फिर बच्चे,रिनी और मयंक!कभी अकेले रहने की नौबत ही नहीं आयी थी,विनय के टूरिंग जॉब का पूरा टाइम ऐसे ही निकल गया था,पता ही नहीं चला कि कब कितने टूर हो जाते,अकेलापन कभी लगा ही नहीं था,पर अब बच्चों के विदेश में  बसने के बाद यह पहला टूर था,इतने दिन से लॉक डाउन में वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे तो पूरा दिन ही व्यस्त बीतता रहा.

पर अब दिल्ली में अचानक एक मीटिंग में विनय को जाना ही पड़ा,उसे काफी समझा बुझा कर विनय तीन दिनों के लिए दिल्ली चले गए तो शोभा ने दिन में कई काम निपटा लिए,कभी अलमारी साफ़ करती,कभी कोई बुक उठा लेती,फिर डिनर भी जल्दी करके सोसाइटी में टहल भी आयी,आजकल किसी से मिलने जुलने का टाइम तो रहा ही नहीं था,मास्क लगाए ज्यादा देर तक यूँ ही टहलते रहने में उसे उलझन होने  लगती तो जल्दी ही घर भी लौट आती. विनय और बच्चे व्हाट्सएप्प पर टच में थे,रोजाना की तरह उसने ग्यारह बजे सोने से पहले गुड नाईट का मैसेज फॅमिली ग्रुप पर लिखा,सबका रिप्लाई भी आ गया,अकेले फिर डर सा लगा तो उसने ड्राइंग रूम की लाइट जलती छोड़ दी और बैडरूम में जाकर सोने के लिए लेट गयी.पचास वर्षीया शोभा कोमल स्वभाव की पति और बच्चों के साथ खुश रहने वाली शांत,अंतर्मुखी महिला थी,दोनों बच्चों को विदेश में जॉब मिल गया था,विनय एक प्राइवेट कंपनी में उच्च पद पर काम करते थे,वैसे तो विनय और शोभा लखनऊ के थे पर अब बीस  साल से मुंबई में रह रहे थे. बीस साल पहले उनका ट्रांसफर लखनऊ से  मुंबई हुआ था.

ये भी पढ़ें- फैसला: अवंतिका और आदित्य के बीच ऐसा क्या हुआ था?

शोभा कुछ देर अपनी सोचों में खोयी रही फिर उसकी आँख लगी ही थी कि डोरबेल की आवाज से वह बुरी तरह डर कर उठी,जाकर की होल से झांका,नींद भरी आँखें हैरत के जोरदार   झटके से खुल गयीं,समीर खड़ा था ,उसने पल भर में ही दरवाजा खोल दिया,अपने पुराने अंदाज में समीर ने पूछा‘’मैंने किसी को डिस्टर्ब तो नहीं किया ?”

”अब भी ड्रामा करना नहीं छोड़ा तुमने?”शोभा खिलखिला उठी,कहा,”आओ. ”

”हाँ,आ ही गया हूँ,”कहते हुए समीर ने अपना बैग एक तरफ रखा और कहा,”शोभा,पहले मेरे हाथ सेनिटाइज़ करवा दो,यार,फ्लाइट कैंसिल हो गयी,होटल्स बंद हैं,तुम्हारा घर तो याद था,पर फोन नंबर भूल चूका हूँ,इसलिए बिना बताये इस टाइम पहुँच गया,इतना भरोसा था कि तुम लोग मुझे पहचान तो लोगे.‘’

शोभा ने उसके हाथ सेनिटाइज़ करवाते हुए कहा,”बकवास मत करो,अच्छा हुआ तुम्हारी फ्लाइट  कैंसिल हुई,मतलब यहाँ से चोरी चोरी निकल जाते हो न,अच्छा हुआ तुम्हारे साथ,मुझे जल्दी दरवाजा  खोलना ही नहीं चाहिए था,जो दोस्त भूल जाएँ,उन्हें पहचानना ही नहीं चाहिए था मुझे. ”

”अरे,वाह,आज भी तुम गुस्सा तो बड़े प्यार से ही दिखाती हो. ”

दोनों खुल कर हंस दिए,दोनों ने एक दूसरे को इतने सालों बाद भी मेंटेंड रहने पर कॉम्प्लिमेंट्स दिए,समीर ने कहा,यार कहाँ है मेरा,इतने घोड़े बेच कर सो रहा है क्या कि उसकी पत्नी रात में घर में किसी से बातें कर रही है और उसे पता ही नहीं चल रहा ?”

”आज ही दिल्ली गए हैं.तीन दिनों के लिए,एक जरुरी मीटिंग थी. ”

”ओह्ह,नो,मतलब उससे नहीं मिल पाउँगा?”

”रुक जाना,मिलकर चले जाना. ”

”नहीं,नहीं,रुक नहीं सकता,कल ही निकलना है.

”तुम फ्रेश  हो लो,क्या पीओगे?खाना खाओगे?”

”हाँ,कुछ है?”

”सब्जी रखी  है,रोटी बना दूँ?”

”हाँ,दो रोटी,और एक कप चाय,मैं फ्रेश होकर आया. ”

समीर वाशरूम में चला गया,शोभा किचन में आ गयी,सुबह की ही दाल सब्जी रखी थी,गर्म करके रोटी बनायीं और चाय चढ़ा दी,मन अतीत में लखनऊ पहुँच गया,बीस साल पहले चारों  का,समीर और उसकी पत्नी,मधु और दो बच्चे और शोभा का परिवार ! बहुत बढ़िया ग्रुप था,एक ही कॉलोनी में दस साल साथ रहे,बहुत मस्ती करते,साथ साथ घूमते,लाइफ को मिलकर एन्जॉय करते. बच्चों को भी आपस में अच्छा साथ मिलता. फिर विनय का ट्रांसफर मुंबई हो गया,एक बार समीर सपरिवार आया,फिर धीरे धीरे मिलना जुलना कम  होता गया,समीर भी फिर ऑस्ट्रेलिया चला गया तो संपर्क कम होता गया. समीर फ्रेश होकर आया,थोड़ी दाल और आलू गोभी के साथ रोटी खाना शुरू किया तो बोल उठा,तुम्हारे हाथ में तो आज भी स्वाद है. ”

”तुम आज भी खूब झूठ बोल लेते हो,”शोभा ने छेड़ा और फिर कहा,”ये तुम लोग गायब क्यों हो गए ?”

”हम कहाँ गायब हुए,आजकल तो सोशल मीडिया है एक दूसरे से जुड़े रहने के लिए पर पता चला तुम सोशल मीडिया पर कहीं भी नहीं हो,ऐसी भी क्या सबसे दूरी !”

”हाँ,समीर,मुझे तो बस किताबों का ही साथ भाता है,और कहीं हाथ मारने की जरूरत ही नहीं होती,मेरी किताबों की दुनिया ही मुझे ख़ुशी देती है,बस जब खाली होती हूँ,किताबे उठा लेती हूँ,टाइम का फिर पता ही नहीं लगता और सुनाओ,हेल्थ कैसी रहती है,मधु कैसी है,बच्चे कहाँ हैं ?”

”बैंगलोर शिफ्ट होने की तैयारी है,यहाँ एक प्रोजेक्ट पर काम करने आ रहा हूँ,बच्चे वहीँ सेट होना चाहते हैं,पर मधु अब इंडिया आना चाहती है,उसके पेरेंट्स अकेले  बैंगलोर में हैं,वह उनके आसपास रहना चाहती है,जब तक प्रोजेक्ट है,बंगलौर रहना ही है,फिर देखते हैं,हेल्थ तो टाइम के साथ कभी ऊपर नीचे रहती ही है पर हाँ,तुम आज भी उतनी ही फिट लग रही हो जैसे पहले लगती थी,”कहते हुए समीर ने शोभा को शरारती नजरों से देखा तो वह मुस्कुरा दी ,समीर ने कहा,पर शोभा,तुम थोड़ा बहुत तो दोस्तों से जुड़ने के लिए फेसबुक पर रह सकती हो न,हम कितने पुराने दोस्तों से फेसबुक से ही जुड़ते चले गए,फिर व्हाट्सएप्प ग्रुप बन गया,अब तो ज़ूम पर भी दोस्तों की महफिलें जमने लगी हैं,तुम कौनसी दुनिया में रहती हो,भाई. ”

शोभा ने कुछ कहा नहीं,समीर का खाना ख़तम हो चुका था,शोभा प्लेट्स उठा कर ले गयी और चाय भी ले आयी,समीर ने पूछा,”तुम नहीं पियोगी?”

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”नहीं,इस टाइम पी लूंगी तो नींद नहीं आएगी. ”

”अच्छा,तुम आज भी सो जाओगी ?”

”हाँ,रात को ज्यादा अब जागा  ही नहीं जाता,तुम भी आराम कर लो. ”

”कर लूँगा,पर मुझे सुबह जल्दी निकलना है,ये विनय की मीटिंग दिल्ली में ही है ?”

”हाँ. ”

”विनय के हालचाल तो मुझे मिलते रहते हैं,हम सोशल मीडिया पर भी कभी कभी टकरा जाते हैं,हाय हेलो हो जाती है,बस,वह भी काफी बिजी रहता है पर तुमने तो सबसे बिना बात के संन्यास ले रखा है,बस मैं और मेरा पति टाइप कैसी हो गयी तुम ?”

शोभा हंस दी ,”पर तुम लोगों की कमी मुझे हमेशा खली,यहाँ मुंबई में तुम्हारे जैसे दोस्त कभी नहीं मिले,तुम लोगों को हमेशा याद किया मैंने. विनय काफी बिजी होते गए,टूर पर जाते रहते हैं  इस बार बहुत दिन बाद गए,तुम्हे याद है हमने कितनी मस्तियाँ की हैं,हम कितना घूमे फिरे,सच,बहुत अच्छे दिन बीते तुम लोगों के साथ. और बाकी दोस्त कैसे हैं,किसके टच में हो ?”

”आओ,तुम्हे दिखाता हूँ,”कहते कहते ही समीर ने अपने बैग से अपना लैपटॉप निकाल लिया,फेसबुक खोला,और अपने कॉमन फ्रेंड्स की फोटो दिखा दिखा कर सबके बारे में बताता रहा,शोभा को सबके बारे में जान कर अच्छा लगने लगा,अब रात के दो बज रहे थे,अचानक समीर बुरी तरह चौंका,एक जगह क्लिक करता हुआ बोला,”अरे,ये गीता की  आज वॉच पार्टी चल रही है,देखो,शोभा,इसकी पार्टी लाइव देख सकते हैं,गीता याद है न तुम्हे ?”

शोभा ने धीरे से बस हूँ ही कहा,समीर ने कहा,”हाँ,भाई,तुम  कैसे भूल सकती हो अपने पति की इस दोस्त को जिसे देख कर ही तुम्हारा पारा हाई हो जाता था,सुना है,इसने अपने पति से तलाक ले लिया था,दोनों की बनी नहीं. ”

”मुझे ये कभी पसंद आयी ही नहीं,समीर !”

”हाँ,जानता हूँ,विनय पर खूब डोरे डालती थी यह,किसी भी पार्टी में इसे देख कर तुम्हारा मूड ही खराब हो जाता थाऔर मैं और मधु तुम्हे फिर कितना चिढ़ाते थे !’

”हाँ,यह तो अच्छा है कि पति शरीफ था मेरा वरना हमारे झगडे तुम दोनों को ही सुलझाने पड़ते,”शोभा ने हँसते हुए कहा ,फिर आगे बोली ,”हम भी किसकी बात लेकर बैठ गए,अब तो हमारे बच्चों की पार्टियों के दिन हैं. ”

”अजी हाँ,ये देखो,आओ,देखते हैं मैडम की पार्टी में कौन कौन है. ”

शोभा भी थोड़ा और झुक कर लैपटॉप में देखने लगी,अचानक दोनों को एक करंट सा लगा,समीर के मुँह से निकला,ये विनय ही है क्या?”

शोभा कुछ बोली नहीं,उसने  अपनी नजरें लैपटॉप पर जमा दीं,”ये कैसे हो सकता है ?”वॉचपार्टी में साफ़ साफ़ दिख रहा था कि विनय और गीता एक दूसरे के काफी करीब हैं,म्यूजिक के साथ दोनों के पैर थिरक रहे थे,हाथों में हाथ थे ,शोभा जैसे पत्थर की हो गयी थी,उसके मुँह से इतना ही निकला,पार्टी में जाने को भी मैं बुरा नहीं कहूँगी पर दोनों की बॉडी लैंग्वेज कैसे इग्नोर करूँ?समीर,कहते कहते शोभा का गला रुंध गया,फिर बोली,मुझे तो पता भी नहीं कि विनय उसके टच में हैं !”

”शोभा,आई एम वैरी सॉरी,मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी,बेकार में लैपटॉप खोल कर बैठ गया !बहुत शर्मिंदा हूँ,शोभा ,बड़ी भूल हुई मुझसे !”

”नहीं,समीर,तुम इससे अच्छा कुछ मेरे लिए कर ही नहीं सकते थे कि मेरी आँखें खोल जाओ,विनय ने आज तक मुझे यह नहीं बताया कि ये दिल्ली जाने पर कभी किसी से मिलते हैं,मैं इतना ही जानती हूँकि काम  फिर होटलऔर बस फिर यहाँ घर,पर नहीं,इसके अलावा भी विनय की लाइफ में बहुत कुछ  है,मुझे जानना ही चाहिए था. ”

शोभा ने उठते हुए कहा ,समीर,तुम भी अब आराम कर लो,आओ,बच्चों का रूम दिखा देती हूँ,”कहकर शोभा  उठी तो समीर भी गंभीर सा उसके पीछे पीछे उठ गया. शोभा अपने रूम में आ कर तकिये पर गिरते ही फफक पड़ी,उसे उसके कजिन रवि ने एक बार दिल्ली से फोन कर कहा था कि  उसने विनय को एक होटल में किसी लेडी के साथ देखा है,हुलिया गीता से ही मिलता जुलता बताया था,पर शोभा ने उसे यही कहा था कि ऑफिस की कोई कलीग होगी,उसने कभी किसी को अपने मन का यह दुःख नहीं बताया कि  वह कई बार विनय की आशिकमिजाजी से तंग हो जाती है,सब मन में ही रखती रही,उसने इसीलिए किसीदोस्त से कभी सम्बन्ध रखे ही नहीं,सबसे कटी जीती रही ,आज उसने अपनी आँखों से दोनों को जिस तरह पास देखा था,वह कोई बच्ची नहीं थी कि न समझे,ये सिला मिला है उसे एक अच्छी पत्नी बनकर रहने का,सारे कर्तव्य पूरे करने का,विनय के साथ हर सुख दुःख में कदम से कदम मिला कर चलने का कि विनय आज भी उससे बहुत कुछ छुपा जाते हैं,उसने न कभी विनय से कोई झगड़ा किया है ,न कोई शिकवा,फिर आज उसने यह सब क्या देखा,उसकी आँखों से आंसू बह निकले,इतने आंसूकि उसकी हिचकियाँ बंध गयीं,वह पेट के बल उल्टा लेटी थी,अचानक उसे अपनी गर्दन पर किसी का गर्म  स्पर्श महसूस हुआ ,आँख खोली,लेटे लेटे ही गर्दन घुमाई,समीर उसके पास बैठा था,वह उठने लगी तो समीर ने उसकी पीठ थप थपा दी,कहा,”लेटी रहो,शोभा ,दुखी मत हो,ऐसा भी हो सकता है कि ऐसा कुछ न हो जो हमें लगा है. ”

करवट लेकर शोभा ने कहा,”समीर,मुझे मेरे भाई ने,और भी कई लोगों ने इस तरह की बातें बताई हैं पर मैंने उन पर कभी विश्वास नहीं किया पर अब बहुत हो गया ,”शोभा सिसकने लगी.पर्दे के पीछे से  खिड़की से आती मंद मंद रौशनी में आंसुओं से भरा शोभा का चेहरा देख समीर अपनी सुध बुध अचानक खोने लगा,उसने खुद को संभालने की कोशिश की पर शोभा से इस समय की नजदीकी उसे कहीं और ले जाने लगी,अपनी और शोभा की दोस्ती,विश्वास,उम्र सब की चिंता रखी रह गयी और उसने शोभा के होंठ चूम लिए,शोभा जैसे किसी और ही मानसिक यंत्रणा में जी रही थी,समीर का स्पर्श उसे अपना सा भला सा ही लगा,फिर भी उसने उठने की कोशिश की तो समीर उसके ऊपर धीरे धीरे जैसे जैसे झुकता गया,सब कुछ पल भर ही लगा बदलने में,और फिर अचानक सचमुच बहुत कुछ बदल गया,शोभा का विद्रोही ,घायल मन अचानक समीर का साथ देने लगा,उसके कानों में समीर नेसॉरी तो बार बार  कहा पर इस समय पति की बेवफाई से क्षुब्ध मन इन अनुचित  ही सही पर  कुछ पलों के अपनेपन की धारा में बहने लगा,शोभा ने अपने आप को रोकने की तमाम कोशिशें भी की पर कुछ हठ होता है ऐसे अनचाहे पलों का जिनसे इंसान चाह कर भी जीत नहीं सकता.

जो कभी दोनों ने सोचा भी नहीं था,वह हो गया था,थोड़ी देर बाद समीर फिर उसे एक बार चूम कर रूम से निकल गया,शोभा की कब आँख लगी,उसे पता ही नहीं चला,सुबह वह देर से उठी,आँख खुली तो रात की पूरी बात याद कर एक झटके से उठ बैठी,वह बहुत देर सोई रही थी,उसने टाइम देखा,नौ बज रहे थे,इतना लेट तो वह कभी नहीं उठती,वह फौरन समीर के रूम में गयी,समीर जा चुका था,उसने अपना फोन चेक किया,फॅमिली के ग्रुप पर कई मैसेज थे,फिर समीर के मैसेज थे,लिखा था,जो भी हो गया,शोभा,सॉरी,पर अब तुम हमेशा मेरे टच में रहना,हम आगे भी अच्छे दोस्त बन कर रह सकते हैं,मेरी कोई भी जरुरत हो,मुझे कहना,तुम्हे उठाया नहीं,तुम्हे आराम की जरुरत थी,मेरी फ्लाइट टाइम पर है,बात जरूर करते रहना,विनय से क्या बात करनी है,अच्छी तरह सोच लेना.‘’

फ्रेश होकर शोभा ने चाय बनायीं,ग्रुप पर बस गुड मॉर्निंग का मैसेज डाल कर इतना ही लिख दिया कि  ठीक हूँ,आज लेट सोकर उठी,”

विनय का फौरन मैसेज आया,”अरे,वाह,मेरे बिना इतनी बढ़िया नींद आयी तुम्हे. ”

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शोभा ने और कोई जवाब नहीं दिया,वह समीर के बारे में सोचने लगी,क्या हो गया था उसे रात,क्यों नहीं रोका समीर को,यह क्या कर बैठी,समीर क्या सोचता होगा !अब आगे क्या करना चाहिए,क्या विनय से बात करे?नहीं,वह बेशर्मी पर उतर आया तो ?अभी तो बच्चे अपना एक आदर्श परिवार मानते हैं,उनका यह भ्रम तोड़ देन !क्या चुप रहे ?वैसे ही जैसे  हजारों महिलाएं चुप रह जाती हैं ! क्या करे ? और जो समीर के साथ हुआ,उसका गिल्ट रखे मन में ?नहीं,दिल नहीं कर रहा इसे  अपराधबोधमानने केलिए! हाँ,जी ली वह भी कुछ पल किसी के साथ !ठीक नहीं भी है तो भी जी ली !किसी से कुछ नहीं कहेगी,न विनय से ,न बच्चों से !पर क्या यह बात ऐसे ही जाने दे कि विनय उससे झूठ बोलते रहे हैं ! हाँ, फिलहाल कुछ नहीं कहेगी,अभी उसने भी समीर के साथ एक रात बितायी है,शायद अभी वह कुछ नहीं कह पाएगी,उसे भी अभिनय करना होगा विनय की तरह कि वह उनसे कुछ नहीं छुपाती. उसने चाय की घूँट ली ,चाय ठंडी हो चुकी थी,वह चाय गर्म करने किचन की तरफ बढ़ी तो अब मन काफी हल्का हो चुका था. अचानक उसे ख्याल आया कि एक वॉच पार्टी सबकी लाइफ में ऐसा  तूफ़ान मचा कर गयी है कि कोई भी किसी से कुछ कह नहीं पायेगा.पहली बार ही वॉचपार्टी देखी थी और वह भी ऐसी जो भुलाये न भूलेगी.

The post वॉचपार्टी: शोभा और विनय की जिंदगी में कैसा तूफान मचा गई एक पार्टी appeared first on Sarita Magazine.

December 16, 2021 at 10:00AM

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