Tuesday 14 December 2021

अंत भला तो सब भला : भाग 1

संगीता को यह एहसास था कि आज जो दिन में घटा है, उस के कारण शाम को रवि से झगड़ा होगा और वह इस के लिए मानसिक रूप से तैयार थी. लेकिन जब औफिस से लौटे रवि ने मुसकराते हुए घर में कदम रखा तो वह उलझन में पड़ गई.

‘‘आज मैं बहुत खुश हूं. तुम्हारा मूड हो तो खाना बाहर खाया जा सकता है,’’ रवि ने उसे हाथ से पकड़ कर अपने पास बैठा लिया.

‘‘किस कारण इतना खुश नजर आ रहे हो ’’ संगीता ने खिंचे से स्वर में पूछा.

‘‘आज मेरे नए बौस उमेश साहब ने मुझे अपने कैबिन में बुला कर मेरे साथ दोस्ताना अंदाज में बहुत देर तक बातें कीं. उन की वाइफ से तो आज दोपहर में तुम मिली ही थीं. उन्हें एक स्कूल में इंटरव्यू दिलाने मैं ही ले गया था. मेरे दोस्त विपिन के पिताजी उस स्कूल के चेयरमैन को जानते हैं. उन की सिफारिश से बौस की वाइफ को वहां टीचर की जौब मिल जाएगी. बौस मेरे काम से भी बहुत खुश हैं. लगता है इस बार मुझे प्रमोशन जरूर मिल जाएगी,’’ रवि ने एक ही सांस में संगीता को सारी बात बता डाली. संगीता ने उस की भावी प्रमोशन के प्रति कोई प्रतिक्रिया जाहिर करने के बजाय वार्त्तालाप को नई दिशा में मोड़ दिया, ‘‘प्रौपर्टी डीलर ने कल शाम जो किराए का मकान बताया था, तुम उसे देखने कब चलोगे ’’

‘‘कभी नहीं,’’ रवि एकदम चिड़ उठा.

‘‘2 दिन से घर के सारे लोग बाहर गए हुए हैं और ये 2 दिन हम ने बहुत हंसीखुशी से गुजारे हैं. कल सुबह सब लौट आएंगे और रातदिन का झगड़ा फिर शुरू हो जाएगा. तुम समझते क्यों नहीं हो कि यहां से अलग हुए बिना हम कभी खुश नहीं रह पाएंगे…हम अभी उस मकान को देखने चल रहे हैं,’’ कह संगीता उठ खड़ी हुई.

‘‘मुझे इस घर को छोड़ कर कहीं नहीं जाना है. अगर तुम में जरा सी भी बुद्धी है तो अपनी बहन और जीजा के बहकावे में आना छोड़ दो,’’ गुस्से के कारण रवि का स्वर ऊंचा हो गया था. ‘‘मुझे कोई नहीं बहका रहा है. मैं ने 9 महीने इस घर के नर्क में गुजार कर देख लिए हैं. मुझे अलग किराए के मकान में जाना ही है,’’ संगीता रवि से भी ज्यादा जोर से चिल्ला पड़ी. ‘‘इस घर को नर्क बनाने में सब से ज्यादा जिम्मेदार तुम ही हो…पर तुम से बहस करने की ताकत अब मुझ में नहीं रही है,’’ कह रवि उठ कर कपड़े बदलने शयनकक्ष में चला गया और संगीता मुंह फुलाए वहीं बैठी रही.

उन का बाहर खाना खाने का कार्यक्रम तो बना ही नहीं, बल्कि घर में भी दोनों ने खाना अलगअलग और बेमन से खाया. घर में अकेले होने का कोई फायदा वे आपसी प्यार की जड़ें मजबूत करने के लिए नहीं उठा पाए. रात को 12 बजे तक टीवी देखने के बाद जब संगीता शयनकक्ष में आई तो रवि गहरी नींद में सो रहा था. अपने मन में गहरी शिकायत और गुस्से के भाव समेटे वह उस की तरफ पीठ कर के लेट गई. किराए के मकान में जाने के लिए रवि पर दबाव बनाए रखने को संगीता अगली सुबह भी उस से सीधे मुंह नहीं बोली. रवि नाश्ता करने के लिए रुका नहीं. नाराजगी से भरा खाली पेट घर से निकल गया और अपना लंच बौक्स भी मेज पर छोड़ गया. करीब 10 बजे उमाकांत अपनी पत्नी आरती, बड़े बेटे राजेश, बड़ी बहू अंजु और 5 वर्षीय पोते समीर के साथ घर लौटे. वे सब उन के छोटे भाई के बेटे की शादी में शामिल होने के लिए 2 दिनों के लिए गांव गए थे.

फैली हुई रसोई को देख कर आरती ने संगीता से कुछ तीखे शब्द बोले तो दोनों के बीच फौरन ही झगड़ा शुरू हो गया. अंजु ने बीचबचाव की कोशिश की तो संगीता ने उसे भी कड़वी बातें सुनाते हुए झगड़े की चपेट में ले लिया. इन लोगों के घर पहुंचने के सिर्फ घंटे भर के अंदर ही संगीता लड़भिड़ कर अपने कमरे में बंद हो गई थी. उस की सास ने उसे लंच करने के लिए बुलाया पर वह कमरे से बाहर नहीं निकली. ‘‘यह संगीता रवि भैया को घर से अलग किए बिना न खुद चैन से रहेगी, न किसी और को रहने देगी, मम्मी,’’ अंजु की इस टिप्पणी से उस के सासससुर और पति पूरी तरह सहमत थे. ‘‘इस की बहन और मां इसे भड़काना छोड़ दें तो सब ठीक हो जाए,’’ उमाकांत की विवशता और दुख उन की आवाज में साफ झलक रहा था.

‘‘रवि भी बेकार में ही घर से कभी अलग न होने की जिद पर अड़ा हुआ है. शायद किराए के घर में जा कर संगीता बदल जाए और इन दोनों की विवाहित जिंदगी हंसीखुशी बीतने लगे,’’ आरती ने आशा व्यक्त की.‘‘किराए के घर में जा कर बदल तो वह जाएगी ही पर रवि को यह अच्छी तरह मालूम है कि उस के घर पर उस की बड़ी साली और सास का राज हो जाएगा और वह इन दोनों को बिलकुल पसंद नहीं करता है. बड़े गलत घर में रिश्ता हो गया उस बेचारे का,’’ उमाकांत के इस जवाब को सुन कर आरती की आंखों में आंसू भर आए तो सब ने इस विषय पर आगे कोई बात करना मुनासिब नहीं समझा.

शाम को औफिस से आ कर रवि उस से पिछले दिन घटी घटना को ले कर झगड़ा करेगा, संगीता की यह आशंका उस शाम भी निर्मूल साबित हुई. रवि परेशान सा घर में घुसा तो जरूर पर उस की परेशानी का कारण कोई और था. ‘‘मुझे अस्थाई तौर पर मुंबई हैड औफिस जाने का आदेश मिला है. मेरी प्रमोशन वहीं से हो जाएगी पर शायद यहां दिल्ली वापस आना संभव न हो पाए,’’ उस के मुंह से यह खबर सुन कर सब से ज्यादा परेशान संगीता हुई.

‘‘प्रमोशन के बाद कहां जाना पड़ेगा आप को ’’ उस ने चिंतित लहजे में पूछा.

‘‘अभी कुछ पता नहीं. हमारी कंपनी की कुछ शाखाएं तो ऐसी घटिया जगह हैं, जहां न अच्छा खानापीना मिलता है और न अस्पताल, स्कूल जैसी सुविधाएं ढंग की हैं,’’ रवि के इस जवाब को सुन कर उस का चेहरा और ज्यादा उतर गया.

‘‘तब आप प्रमोशन लेने से इनकार कर दो,’’ संगीता एकदम चिड़ उठी, ‘‘मुझे दिल्ली छोड़ कर धक्के खाने कहीं और नहीं जाना है.’’ ‘‘तुम पागल हो गई हो क्या  मैं अपनी प्रमोशन कैसे छोड़ सकता हूं ’’ रवि गुस्सा हो उठा.

‘‘तब इधरउधर धक्के खाने आप अकेले जाना. मैं अपने घर वालों से दूर कहीं नहीं जाऊंगी,’’ अपना फैसला सुना कर नाराज नजर आती संगीता अपने कमरे में घुस गई. आगामी शनिवार को रवि हवाईजहाज से मुंबई चला गया. उस के घर छोड़ने से

 

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संगीता को यह एहसास था कि आज जो दिन में घटा है, उस के कारण शाम को रवि से झगड़ा होगा और वह इस के लिए मानसिक रूप से तैयार थी. लेकिन जब औफिस से लौटे रवि ने मुसकराते हुए घर में कदम रखा तो वह उलझन में पड़ गई.

‘‘आज मैं बहुत खुश हूं. तुम्हारा मूड हो तो खाना बाहर खाया जा सकता है,’’ रवि ने उसे हाथ से पकड़ कर अपने पास बैठा लिया.

‘‘किस कारण इतना खुश नजर आ रहे हो ’’ संगीता ने खिंचे से स्वर में पूछा.

‘‘आज मेरे नए बौस उमेश साहब ने मुझे अपने कैबिन में बुला कर मेरे साथ दोस्ताना अंदाज में बहुत देर तक बातें कीं. उन की वाइफ से तो आज दोपहर में तुम मिली ही थीं. उन्हें एक स्कूल में इंटरव्यू दिलाने मैं ही ले गया था. मेरे दोस्त विपिन के पिताजी उस स्कूल के चेयरमैन को जानते हैं. उन की सिफारिश से बौस की वाइफ को वहां टीचर की जौब मिल जाएगी. बौस मेरे काम से भी बहुत खुश हैं. लगता है इस बार मुझे प्रमोशन जरूर मिल जाएगी,’’ रवि ने एक ही सांस में संगीता को सारी बात बता डाली. संगीता ने उस की भावी प्रमोशन के प्रति कोई प्रतिक्रिया जाहिर करने के बजाय वार्त्तालाप को नई दिशा में मोड़ दिया, ‘‘प्रौपर्टी डीलर ने कल शाम जो किराए का मकान बताया था, तुम उसे देखने कब चलोगे ’’

‘‘कभी नहीं,’’ रवि एकदम चिड़ उठा.

‘‘2 दिन से घर के सारे लोग बाहर गए हुए हैं और ये 2 दिन हम ने बहुत हंसीखुशी से गुजारे हैं. कल सुबह सब लौट आएंगे और रातदिन का झगड़ा फिर शुरू हो जाएगा. तुम समझते क्यों नहीं हो कि यहां से अलग हुए बिना हम कभी खुश नहीं रह पाएंगे…हम अभी उस मकान को देखने चल रहे हैं,’’ कह संगीता उठ खड़ी हुई.

‘‘मुझे इस घर को छोड़ कर कहीं नहीं जाना है. अगर तुम में जरा सी भी बुद्धी है तो अपनी बहन और जीजा के बहकावे में आना छोड़ दो,’’ गुस्से के कारण रवि का स्वर ऊंचा हो गया था. ‘‘मुझे कोई नहीं बहका रहा है. मैं ने 9 महीने इस घर के नर्क में गुजार कर देख लिए हैं. मुझे अलग किराए के मकान में जाना ही है,’’ संगीता रवि से भी ज्यादा जोर से चिल्ला पड़ी. ‘‘इस घर को नर्क बनाने में सब से ज्यादा जिम्मेदार तुम ही हो…पर तुम से बहस करने की ताकत अब मुझ में नहीं रही है,’’ कह रवि उठ कर कपड़े बदलने शयनकक्ष में चला गया और संगीता मुंह फुलाए वहीं बैठी रही.

उन का बाहर खाना खाने का कार्यक्रम तो बना ही नहीं, बल्कि घर में भी दोनों ने खाना अलगअलग और बेमन से खाया. घर में अकेले होने का कोई फायदा वे आपसी प्यार की जड़ें मजबूत करने के लिए नहीं उठा पाए. रात को 12 बजे तक टीवी देखने के बाद जब संगीता शयनकक्ष में आई तो रवि गहरी नींद में सो रहा था. अपने मन में गहरी शिकायत और गुस्से के भाव समेटे वह उस की तरफ पीठ कर के लेट गई. किराए के मकान में जाने के लिए रवि पर दबाव बनाए रखने को संगीता अगली सुबह भी उस से सीधे मुंह नहीं बोली. रवि नाश्ता करने के लिए रुका नहीं. नाराजगी से भरा खाली पेट घर से निकल गया और अपना लंच बौक्स भी मेज पर छोड़ गया. करीब 10 बजे उमाकांत अपनी पत्नी आरती, बड़े बेटे राजेश, बड़ी बहू अंजु और 5 वर्षीय पोते समीर के साथ घर लौटे. वे सब उन के छोटे भाई के बेटे की शादी में शामिल होने के लिए 2 दिनों के लिए गांव गए थे.

फैली हुई रसोई को देख कर आरती ने संगीता से कुछ तीखे शब्द बोले तो दोनों के बीच फौरन ही झगड़ा शुरू हो गया. अंजु ने बीचबचाव की कोशिश की तो संगीता ने उसे भी कड़वी बातें सुनाते हुए झगड़े की चपेट में ले लिया. इन लोगों के घर पहुंचने के सिर्फ घंटे भर के अंदर ही संगीता लड़भिड़ कर अपने कमरे में बंद हो गई थी. उस की सास ने उसे लंच करने के लिए बुलाया पर वह कमरे से बाहर नहीं निकली. ‘‘यह संगीता रवि भैया को घर से अलग किए बिना न खुद चैन से रहेगी, न किसी और को रहने देगी, मम्मी,’’ अंजु की इस टिप्पणी से उस के सासससुर और पति पूरी तरह सहमत थे. ‘‘इस की बहन और मां इसे भड़काना छोड़ दें तो सब ठीक हो जाए,’’ उमाकांत की विवशता और दुख उन की आवाज में साफ झलक रहा था.

‘‘रवि भी बेकार में ही घर से कभी अलग न होने की जिद पर अड़ा हुआ है. शायद किराए के घर में जा कर संगीता बदल जाए और इन दोनों की विवाहित जिंदगी हंसीखुशी बीतने लगे,’’ आरती ने आशा व्यक्त की.‘‘किराए के घर में जा कर बदल तो वह जाएगी ही पर रवि को यह अच्छी तरह मालूम है कि उस के घर पर उस की बड़ी साली और सास का राज हो जाएगा और वह इन दोनों को बिलकुल पसंद नहीं करता है. बड़े गलत घर में रिश्ता हो गया उस बेचारे का,’’ उमाकांत के इस जवाब को सुन कर आरती की आंखों में आंसू भर आए तो सब ने इस विषय पर आगे कोई बात करना मुनासिब नहीं समझा.

शाम को औफिस से आ कर रवि उस से पिछले दिन घटी घटना को ले कर झगड़ा करेगा, संगीता की यह आशंका उस शाम भी निर्मूल साबित हुई. रवि परेशान सा घर में घुसा तो जरूर पर उस की परेशानी का कारण कोई और था. ‘‘मुझे अस्थाई तौर पर मुंबई हैड औफिस जाने का आदेश मिला है. मेरी प्रमोशन वहीं से हो जाएगी पर शायद यहां दिल्ली वापस आना संभव न हो पाए,’’ उस के मुंह से यह खबर सुन कर सब से ज्यादा परेशान संगीता हुई.

‘‘प्रमोशन के बाद कहां जाना पड़ेगा आप को ’’ उस ने चिंतित लहजे में पूछा.

‘‘अभी कुछ पता नहीं. हमारी कंपनी की कुछ शाखाएं तो ऐसी घटिया जगह हैं, जहां न अच्छा खानापीना मिलता है और न अस्पताल, स्कूल जैसी सुविधाएं ढंग की हैं,’’ रवि के इस जवाब को सुन कर उस का चेहरा और ज्यादा उतर गया.

‘‘तब आप प्रमोशन लेने से इनकार कर दो,’’ संगीता एकदम चिड़ उठी, ‘‘मुझे दिल्ली छोड़ कर धक्के खाने कहीं और नहीं जाना है.’’ ‘‘तुम पागल हो गई हो क्या  मैं अपनी प्रमोशन कैसे छोड़ सकता हूं ’’ रवि गुस्सा हो उठा.

‘‘तब इधरउधर धक्के खाने आप अकेले जाना. मैं अपने घर वालों से दूर कहीं नहीं जाऊंगी,’’ अपना फैसला सुना कर नाराज नजर आती संगीता अपने कमरे में घुस गई. आगामी शनिवार को रवि हवाईजहाज से मुंबई चला गया. उस के घर छोड़ने से

 

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December 15, 2021 at 10:00AM

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