Monday 31 December 2018

जादुई पेड़ की कहानी, Short panchatantra stories in hindi

Short panchatantra stories in hindi

जादुई पेड़ की कहानी, Short panchatantra stories in hindi, यह कहानी आपको जरूर पसंद आएगी, सभी लोग उस जादुई पेड़ को देखने जाते है, मगर वह उन्हें आसानी से नज़र नहीं आता है, जब वह उस पेड़ को देखते है, तो वह बहुत अच्छा लगता है, 

जादुई पेड़ की कहानी : Short panchatantra stories in hindi

panchatantra stories.jpg

short panchatantra stories in hindi

यह कहानी उस पेड़ की है, जिसको देखने पर ऐसा ही लगता था, की वह कोई जादुई पेड़ है, क्योकि उस पेड़ की सभी पत्ती सुनहरे रंग की थी, वह पत्ती बहुत ही अच्छी दिखाई देती थी, सभी लोग उस पेड़ की तलाश कर रहे थे, मगर किसी को भी वह पेड़ अभी तक नहीं मिला था, उस पेड़ के बारे में अभी तक सूना ही था, मगर किसी ने देखा नहीं था, गांव का एक पुराना आदमी जिससे सभी दादा जी कहते थे, वही इसके बारे में बताते थे,

 

उनके कहने के अनुसार जब वह उस पेड़ के पास गए थे, तो उन्हें उसके बारे में पता चला था, जब वह उस पेड़ के पास थे तब उन्हें बहुत भूख लगी थी, वह उस पेड़ के पास यही कह रहे थे की आज मुहे बहुत भूख लगी है मगर मेरे पास कुछ भी नहीं है कुछ देर बाद ही उस पेड़ से मुझे खाना भी मिल गया था, वह खाना जब मेने खाया तो बहुत ही अच्छा था, तब से उस पेड़ के बारे में मुझे पता है, मगर खाना खाने के बाद पता नहीं क्यों नींद आ गयी थी, जब आँखे खुली तो में अपने खेत के पास था,

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मुझे नहीं पता है की में वहा पर कैसे आया था, मगर वह जादुई पेड़ अभी भी वही पर होगा, जब सभी वहा पर आये तो वह कहने लगे की आपने हमे बहुत बार बताया था मगर यह बात अभी तक नहीं बताई की उस पेड़ के पास आप कैसे गए थे, वह जादुई पेड़ अब किस जगह पर है, कुछ भी पता नहीं चल रहा है, तभी वह दादा जी कहने लगे की यह बात बहुत अजीब है, में उस जगह पर कैसे गया था, उस रात मुझे काफी देर हो गयी थी

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जब बहुत देर हो गयी तो मेने सोचा की आज घर पर नहीं जाता हु, में खेत पर ही रुक गया था मगर कुछ देर बाद ही मौसम बहुत खराब हो गया था, उसके बाद मेरे पास एक छोटी सी झोपडी थी, उसी में रुक गया था मगर तूफ़ान भी बहुत तेज था झोपडी भी उड़ गयी थी, उसी झोपडी के साथ में भी कुछ दुरी तक गया था फिर जब देखा तो देखता ही रहा गया था, क्योकि में ऐसी जगह पर पहुंच चूका था, जिसके बारे में मेने सोचा नहीं था, मगर यह जगह कहा पर है यह पता नहीं है,

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सभी ने यही कहा था की अब कुछ भी पता नहीं चल पायेगा, की हम उस जगह पर कैसे जाए, क्योकि कोई भी रास्ता नज़र नहीं आ रहा था, तभी दादा जी कहने लगे की यह बहुत ही कठिन है क्योकि कोई भी रास्ता नहीं जानता है मगर कोशिश की जाए तो कुछ भी हो सकता है, वह अंदर गए और उन्होंने ने एक पत्ती सभी को दिखाई थी, वह देखने पर साधारण पत्ती थी, मगर दादा जी कहने लगे की भले ही तुम्हे यह साधारण पत्ती नज़र आये मगर ऐसा नहीं है क्योकि यह उस पेड़ की पत्ती है,

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जब में सो गया था तब मेरे हाथ में यह आ गयी थी, मगर जब मेने इसे देखा तो इसमें कोई भी चमक नज़र नहीं आ रही थी आज यह साधारण पत्ती नज़र आती है मगर यह रास्ता दिखा सकती है जब भी यह पत्ती उस पेड़ के नजदीक आएगी, तो यह चमक सकती है मगर यह कितना सच है यह पता नहीं है यह सिर्फ एक अंदाजा है अगर तुम चाहो तो यह कर सकते हो, तुम इससे देख सकते हो की वह पेड़ कहा पर है, अब में बहुत बूढ़ा हो गया हु, मगर मेने बहुत बार कोशिश की थी, लेकिन उस जादुई पेड़ को नहीं देख पाया था 

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सभी ने उस पत्ती को लिया था, और उसके बाद उस पत्ती को लेकर चले गए थे, उन्हें भी यही लगता था की वह उस जादुई पेड़ को देख पाएंगे, मगर वह उस जादुई पेड़ की तलाश किस जगह पर करे, उनमे से एक बोला की हमे दादा जी के खेत के पास से शुरू करनी चाहिए, क्योकि वह पहली बार इसी जगह से वही पर गए थे सभी कहने लगे की अगर वह पेड़ हमे एक बार मिल जाए तो बहुत अच्छा होगा, में बहुत सी चीजे मांग सकता हु, सभी का कहना बहुत अच्छा था, मगर उस जादुई पेड़ को देख पाना बहुत मुश्किल था,

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इस बात को अब बहुत साल बीत गए थे, मगर वह जादुई पेड़ कहा पर है, यही जगह है जिस जगह पर वह दादा जी उस जादुई पेड़ के पास चले गए थे, मगर यह सब एक तूफ़ान के कारण था, अब यहां पर वह तूफ़ान कैसे आएगा, मुझे नहीं लगता है की यह कोई आसान बात है, अगर आसान होता तो दादा जी फिर से जा सकते थे, मगर ऐसा नहीं हुआ था, वह फिर कभी भी उस जादुई पेड़ के पास नहीं गए थे, हम सभी यह पत्ती लेकर आये है, मगर हमे नहीं लगता था. की यह काम करेगी,

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हमे कुछ तो सोचना होगा, तभी सभी की उस पत्ती पर नज़र जाती है, वह पत्ती चमक रही थी, मगर कुछ नज़र नहीं आ रहा था यहां पर तो कोई भी जादुई पेड़ नहीं है, तभी वह बहुत साल बाद तूफ़ान फिर से आया था वह तूफ़ान उन्हें भी उसी जादुई पेड़ के पास ले गया था, उस पेड़ को देखकर बहुत अच्छा लगा रहा था उन्हें यकीन नहीं हो रहा था की यह वही पेड़ है जिसकी तलाश वह बहुत साल से कर रहे थे, जैसा की दादा जी ने कहा था की यह जादुई पेड़ है यह वैसा ही लग रहा है,

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वह उस जादुई पेड़ के नीचे खड़े थे, सभी ने कहा की हमे अपनी इच्छा पूरी करनी होगी, सभी ने उस पेड़ से सब कुछ माँगा था सभी की इच्छा पूरी हो गयी थी, मगर कुछ देर बाद ही सभी को नींद आ गयी थी और उसके बाद सभी लोग वापिस आ गए थे, उनके साथ क्या हुआ था वह भी नहीं जानते थे, मगर उनकी सभी इच्छा का फल तो वही पर ही रह गया था उनके पास कुछ भी नहीं था, वह इतने साल से परेशान थे मगर उनके साथ कुछ भी ऐसा नहीं आया था, जो वह साथ में लेकर आ सकते थे,

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जैसा वह सोचते थे ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था उन्हें तो यही लगता था की उनकी इच्छा पूरी हो जाती तो उन्हें बहुत कुछ मिलता था मगर उन्हें तो कुछ भी नहीं मिला था, वह इतने साल से यही सोचते थे की अगर वह पेड़ उन्हें मिल जाए तो बहुत कुछ मिल सकता है, मगर यह तो सिर्फ जादुई पेड़ के पास ही हो सकता था उसके बाद तो सब कुछ नार्मल हो जाता है, मगर इन सबके बाद तो उन्हें सिर्फ एक चीज हाथ में आयी थी वह सुनहरा पत्ता, जो अब साधारण बन चूका था.  short panchatantra stories in hindi, जादुई पेड़ की कहानी, अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो आप इसे शेयर जरूर करे और कमेंट करके हमे भी बताये,

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चार साल कोर्ट में लड़ाई लड़ एक दिन नौकरी कर हो गए सेवानिवृत

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आरोपों के बाद जागी हरियाणा सरकार, जल्द देगी 47 खिलाड़ियों को नौकरी ...

उन्होंने कहा कि हाल ही में सरकार ने 14 खिलाड़ियों को नौकरी प्रदान की है, जबकि 47 खिलाड़ियों के नामों की ...

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नए साल में सरकारी नौकरी का सपना देख रहे बेरोजगारों को झटका, एसएसएससी ने ...

सरकारी नौकरी का सपना देख रहे हजारों बेरोजगारों को नए साल में मायूसी ही मिलेगी। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने ...

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जालसाजी कर नौकरी करने वाला शिक्षक होगा बर्खास्त

एक पैन कार्ड पर तीन लोगों की नौकरी का मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आया है। विभाग ने माना है ...

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नए साल में नौकरी करने का सुनहरा मौका, सैलरी आपकी साेच से ज्यादा

नई दिल्लीः अगर आप भी नौकरी की तलाश कर रहे हैं, ताे आपके लिए यहां सुनहरा मौका हैं। दरअसल, वेस्ट बंगाल स्टेट ...

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10वीं पास के लिए नौकरी करने का सुनहरा मौका, जल्द करें अप्लाई

नई दिल्लीः आज हर काेई चाहता हैं, कि उसके पास एक अच्छी नौकरी हाे। ताे आप लाेगाें के लिए नौकरी करने का सुनहरा ...

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13-सौ-किन्नरों-को-नौकरी-दिलाएगी-टाटा-स्टील

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वृष राशि राशिफल 2019 : करियर, नौकरी, व्यापार, शिक्षा, सेहत, यात्रा, प्रेम ...

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युवाओं को यहां मिल रही है 877 पदों पर सरकारी नौकरी, 39 हजार रु सैलरी

सार्वजनिक आरोग्य विभाग महाराष्ट्र द्वारा 877 पदों पर भर्ती निकाली गई है. पात्र और योग्य उम्मीदवार इस नौकरी ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2RnJX1B
सार्वजनिक आरोग्य विभाग महाराष्ट्र द्वारा 877 पदों पर भर्ती निकाली गई है. पात्र और योग्य उम्मीदवार इस नौकरी ...

चीनी मिल यार्ड में ट्रैक्टर-ट्रॉली से दबकर किसान की मौत, हंगामा

पीड़ित परिवार मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग पर अड़े हैं। परिवार के सदस्यों की मिल ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2EZe2iw
पीड़ित परिवार मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग पर अड़े हैं। परिवार के सदस्यों की मिल ...

चीनी मिल यार्ड में ट्रैक्टर-ट्रॉली से दबकर किसान की मौत, हंगामा

पीड़ित परिवार मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग पर अड़े हैं। परिवार के सदस्यों की मिल ...

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पीड़ित परिवार मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग पर अड़े हैं। परिवार के सदस्यों की मिल ...

चीनी मिल यार्ड में ट्रैक्टर-ट्रॉली से दबकर किसान की मौत, हंगामा

पीड़ित परिवार मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग पर अड़े हैं। परिवार के सदस्यों की मिल ...

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पीड़ित परिवार मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग पर अड़े हैं। परिवार के सदस्यों की मिल ...

चीनी मिल यार्ड में ट्रैक्टर-ट्रॉली से दबकर किसान की मौत, हंगामा

पीड़ित परिवार मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग पर अड़े हैं। परिवार के सदस्यों की मिल ...

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पीड़ित परिवार मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग पर अड़े हैं। परिवार के सदस्यों की मिल ...

मेवानिवृत्ति

सरकारी मुलाजिम के 60 साल पूरे होने पर उस के दिन पूरे हो जाते हैं. कोईर् दूसरा क्या, वे खुद ही कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के समय घूरे समान हो जाते हैं. 60 साल पूरे होने को सेवानिवृत्ति कहते हैं. उस वक्त सब से ज्यादा आश्चर्य सरकारी आदमी को ही होता है कि उस ने सेवा ही कब की थी कि उसे अब सेवानिवृत्त किया जा रहा है. यह सब से बड़ा मजाक है जोकि सरकार व सरकारी कार्यालय के सहकर्मी उस के साथ करते हैं. वह तो अंदर ही अंदर मुसकराता है कि वह पूरे सेवाकाल में मेवा खाने में ही लगा रहा.

इसे सेवाकाल की जगह मेवाकाल कहना ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होता है. सेवा किस चिडि़या का नाम है, वह पूरे सेवाकाल में अनभिज्ञ था. वह तो सेवा की एक ही चिडि़या जानता था, अपने लघु हस्ताक्षर की, जिस के ‘एक दाम, कोई मोलभाव नहीं’ की तर्ज पर दाम तय थे. एक ही दाम, सुबह हो या शाम.

आज लोगों ने जब कहा कि सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो वह बहुत देर तक दिमाग पर जोर देता रहा कि आखिर नौकरी की इस सांध्यबेला में तो याद आ जाए कि आखिरी बार कब उस ने वास्तव में सेवा की थी. जितना वह याद करता, मैमोरी लेन से सेवा की जगह मेवा की ही मैमोरी फिल्टर हो कर कर सामने आती. सो, वह शर्मिंदा हो रहा था सेवानिवृत्ति शब्द बारबार सुन कर.

सरकारी मुलाजिम को शर्म से पानीपानी होने से बचाने के लिए आवश्यक है कि 60 साल का होने पर अब उसे सेवानिवृत्त न कहा जाए? इस के स्थान पर सटीक शब्द वैसे यदि कोई हो सकता है तो वह है ‘मेवानिवृत्त’, क्योंकि वह पूरे कैरियर में मेवा खाने का काम ही तो करता है. यदि उसे यह खाने को नहीं मिलता तो यह उस के मुवक्किल ही जान सकते हैं कि वे अपनी जान भी दे दें तो भी उन के काम होते नहीं. बिना मेवा के ये निर्जीव प्राणी सरीखे दिखते हैं और जैसे ही मेवा चढ़ा, फिर वे सेवादार हो जाते हैं. वैसे, आप के पास इस से अच्छा कोईर् दूसरा शब्द हो तो आप का स्वागत है.

आज आखिरी दिन वह याद करने की कोशिश कर रहा था कि उस ने सेवाकाल में सेवा की, तो कब की? उसे याद आया कि ऐसा कुछ उस की याददाश्त में है ही नहीं जिसे वह सेवा कह सके. वह तो बस नौकरी करता रहा. एक समय तो वह मेवा ले कर भी काम नहीं कर पाने के लिए कुख्यात हो गया था. क्या करें, लोग भी बिना कहे मेवा ले कर टपक जाते थे. चाहे जीवनधारा में कुआं मंजूर करने की बात हो या कि टपक सिंचाई योजना में केस बनाने की बात, सीमांकन हो या बिजली कनैक्शन का केस, वह क्या करे, वह तो जो सामने ले आया, उसे गटक जाता था. और ऐसी आदत घर कर गई थी कि यदि कोई सेवादार बन कर न आए तो ऐसे दागदार को वह सीधे उसे फाटक का रास्ता दिखा देता था.

दिनभर में वह कौन सी सेवा करता था, उसे याद नहीं आ रहा था? सुबह एक घंटे लेट आता था, यह तो सेवा नहीं हुई. एक घंटे का समयरूपी मेवा ही हो गया. फिर आने के घंटेभर बाद ही उस को चायबिस्कुट सर्व हो जाते थे. यह भी मेवा जैसा ही हुआ. मिलने वाले घंटों बैठे रहते थे, वह अपने कंप्यूटर या मोबाइल में व्यस्त रहता था. काहे की सेवा हुई, यह भी इस का मेवा ही हुआ.

कंप्यूटर व मोबाइल में आंख गड़ाए रहना जबकि बाहर दर्जनों मिलने वाले इस के कक्ष की ओर आंख गड़ाए रहते थे कि अब बुलाएगा, तब बुलाएगा. लेकिन इसे फुरसत हो, तब भी इंतजार तो कराएगा ही कराएगा. फिर भी इसे सरकारी सेवक कहते हैं.

60 साल पूरे होने पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. कहते हैं, इस सदी का सब से बड़ा झूठ यही है, कम से कम भारत जैसे देश के लिए जहां कि सेवा नहीं मेवा उद्देश्य है. सरकारीकर्मी आपस में कहते भी हैं कि ‘सेवा देवई मेवा खूबई.’

वह बिलकुल डेढ़ बजे लंच पर निकल जाता था. चाहे दूरदराज से आए किसी व्यक्ति की बस या ट्रेन छूट रही हो, उसे उस से कोई मतलब नहीं रहता था. उसे तो अपने टाइमटेबल से मतलब रहता था. उस के लिए क्लब में सारा इंतजाम हो जाए. यही उस की सेवा थी जनता के प्रति.

सेवानिवृत्त वह नहीं हो रहा था बल्कि वह जनता हो रही थी, मातहत हो रहे थे जो उस की देखभाल में लगे रहते थे. अब उस के 60 साल के हो जाने से उन्हें निवृत्ति मिल रही थी बेगारी से. लेकिन असली सेवानिवृत्त को कोई माला नहीं पहनाता.

हर साल उसे वेतनवृद्धि चाहिए, अवकाश, नकदीकरण चाहिए, मैडिकल बैनिफिट चाहिए, एलटीसी चाहिए, नाना प्रकार के लोन चाहिए. यह उस की सेवा है कि बीचबीच में मेवा का इंतजाम है?

सरकार को गंभीरता से विचार कर के सेवानिवृत्ति की जगह मेवानिवृत्ति शब्द को मान्यता दे देनी चाहिए. वैसे, गंगू कहता भी है कि सेवानिवृत्ति से कहीं सटीक व ठीक शब्द मेवानिवृत्ति है.

 

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from कहानी – Sarita Magazine http://bit.ly/2QXUwcp

सरकारी मुलाजिम के 60 साल पूरे होने पर उस के दिन पूरे हो जाते हैं. कोईर् दूसरा क्या, वे खुद ही कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के समय घूरे समान हो जाते हैं. 60 साल पूरे होने को सेवानिवृत्ति कहते हैं. उस वक्त सब से ज्यादा आश्चर्य सरकारी आदमी को ही होता है कि उस ने सेवा ही कब की थी कि उसे अब सेवानिवृत्त किया जा रहा है. यह सब से बड़ा मजाक है जोकि सरकार व सरकारी कार्यालय के सहकर्मी उस के साथ करते हैं. वह तो अंदर ही अंदर मुसकराता है कि वह पूरे सेवाकाल में मेवा खाने में ही लगा रहा.

इसे सेवाकाल की जगह मेवाकाल कहना ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होता है. सेवा किस चिडि़या का नाम है, वह पूरे सेवाकाल में अनभिज्ञ था. वह तो सेवा की एक ही चिडि़या जानता था, अपने लघु हस्ताक्षर की, जिस के ‘एक दाम, कोई मोलभाव नहीं’ की तर्ज पर दाम तय थे. एक ही दाम, सुबह हो या शाम.

आज लोगों ने जब कहा कि सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो वह बहुत देर तक दिमाग पर जोर देता रहा कि आखिर नौकरी की इस सांध्यबेला में तो याद आ जाए कि आखिरी बार कब उस ने वास्तव में सेवा की थी. जितना वह याद करता, मैमोरी लेन से सेवा की जगह मेवा की ही मैमोरी फिल्टर हो कर कर सामने आती. सो, वह शर्मिंदा हो रहा था सेवानिवृत्ति शब्द बारबार सुन कर.

सरकारी मुलाजिम को शर्म से पानीपानी होने से बचाने के लिए आवश्यक है कि 60 साल का होने पर अब उसे सेवानिवृत्त न कहा जाए? इस के स्थान पर सटीक शब्द वैसे यदि कोई हो सकता है तो वह है ‘मेवानिवृत्त’, क्योंकि वह पूरे कैरियर में मेवा खाने का काम ही तो करता है. यदि उसे यह खाने को नहीं मिलता तो यह उस के मुवक्किल ही जान सकते हैं कि वे अपनी जान भी दे दें तो भी उन के काम होते नहीं. बिना मेवा के ये निर्जीव प्राणी सरीखे दिखते हैं और जैसे ही मेवा चढ़ा, फिर वे सेवादार हो जाते हैं. वैसे, आप के पास इस से अच्छा कोईर् दूसरा शब्द हो तो आप का स्वागत है.

आज आखिरी दिन वह याद करने की कोशिश कर रहा था कि उस ने सेवाकाल में सेवा की, तो कब की? उसे याद आया कि ऐसा कुछ उस की याददाश्त में है ही नहीं जिसे वह सेवा कह सके. वह तो बस नौकरी करता रहा. एक समय तो वह मेवा ले कर भी काम नहीं कर पाने के लिए कुख्यात हो गया था. क्या करें, लोग भी बिना कहे मेवा ले कर टपक जाते थे. चाहे जीवनधारा में कुआं मंजूर करने की बात हो या कि टपक सिंचाई योजना में केस बनाने की बात, सीमांकन हो या बिजली कनैक्शन का केस, वह क्या करे, वह तो जो सामने ले आया, उसे गटक जाता था. और ऐसी आदत घर कर गई थी कि यदि कोई सेवादार बन कर न आए तो ऐसे दागदार को वह सीधे उसे फाटक का रास्ता दिखा देता था.

दिनभर में वह कौन सी सेवा करता था, उसे याद नहीं आ रहा था? सुबह एक घंटे लेट आता था, यह तो सेवा नहीं हुई. एक घंटे का समयरूपी मेवा ही हो गया. फिर आने के घंटेभर बाद ही उस को चायबिस्कुट सर्व हो जाते थे. यह भी मेवा जैसा ही हुआ. मिलने वाले घंटों बैठे रहते थे, वह अपने कंप्यूटर या मोबाइल में व्यस्त रहता था. काहे की सेवा हुई, यह भी इस का मेवा ही हुआ.

कंप्यूटर व मोबाइल में आंख गड़ाए रहना जबकि बाहर दर्जनों मिलने वाले इस के कक्ष की ओर आंख गड़ाए रहते थे कि अब बुलाएगा, तब बुलाएगा. लेकिन इसे फुरसत हो, तब भी इंतजार तो कराएगा ही कराएगा. फिर भी इसे सरकारी सेवक कहते हैं.

60 साल पूरे होने पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. कहते हैं, इस सदी का सब से बड़ा झूठ यही है, कम से कम भारत जैसे देश के लिए जहां कि सेवा नहीं मेवा उद्देश्य है. सरकारीकर्मी आपस में कहते भी हैं कि ‘सेवा देवई मेवा खूबई.’

वह बिलकुल डेढ़ बजे लंच पर निकल जाता था. चाहे दूरदराज से आए किसी व्यक्ति की बस या ट्रेन छूट रही हो, उसे उस से कोई मतलब नहीं रहता था. उसे तो अपने टाइमटेबल से मतलब रहता था. उस के लिए क्लब में सारा इंतजाम हो जाए. यही उस की सेवा थी जनता के प्रति.

सेवानिवृत्त वह नहीं हो रहा था बल्कि वह जनता हो रही थी, मातहत हो रहे थे जो उस की देखभाल में लगे रहते थे. अब उस के 60 साल के हो जाने से उन्हें निवृत्ति मिल रही थी बेगारी से. लेकिन असली सेवानिवृत्त को कोई माला नहीं पहनाता.

हर साल उसे वेतनवृद्धि चाहिए, अवकाश, नकदीकरण चाहिए, मैडिकल बैनिफिट चाहिए, एलटीसी चाहिए, नाना प्रकार के लोन चाहिए. यह उस की सेवा है कि बीचबीच में मेवा का इंतजाम है?

सरकार को गंभीरता से विचार कर के सेवानिवृत्ति की जगह मेवानिवृत्ति शब्द को मान्यता दे देनी चाहिए. वैसे, गंगू कहता भी है कि सेवानिवृत्ति से कहीं सटीक व ठीक शब्द मेवानिवृत्ति है.

 

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December 31, 2018 at 12:07PM

चीनी मिल यार्ड में ट्रैक्टर-ट्रॉली से दबकर किसान की मौत, हंगामा

पीड़ित परिवार मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग पर अड़े हैं। परिवार के सदस्यों की मिल ...

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पीड़ित परिवार मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग पर अड़े हैं। परिवार के सदस्यों की मिल ...

नौकरी में चुनौतियां

नौकरी में चुनौतियां. 1. सवाल · 0. फॉलोअर्स · पढ़ें · जवाब लिखें · संबंधित विषय. कोई कहानियां नहीं. ऐप में खोलें.

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नौकरी में चुनौतियां. 1. सवाल · 0. फॉलोअर्स · पढ़ें · जवाब लिखें · संबंधित विषय. कोई कहानियां नहीं. ऐप में खोलें.

नौकरी छूटने से परेशान थी ट्रेन से कटकर आत्महत्या करने वाली रेखा

बताया जा रहा है कि रेखा नौकरी छूटने के बाद से काफी तनाव में थी। साथ ही छह माह पूर्व उसके चचेरे भाई की मौत के ...

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बताया जा रहा है कि रेखा नौकरी छूटने के बाद से काफी तनाव में थी। साथ ही छह माह पूर्व उसके चचेरे भाई की मौत के ...

महिला मेडिकल कॉलेज के पूर्व कार्यवाहक निदेशक पर ठगी का आरोप

एपीएस बत्रा पर लैब सहायक की नौकरी लगाने के नाम पर चार लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया है। इस काम के लिए कॉलेज के ...

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एपीएस बत्रा पर लैब सहायक की नौकरी लगाने के नाम पर चार लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया है। इस काम के लिए कॉलेज के ...

मेवानिवृत्ति

सरकारी मुलाजिम के 60 साल पूरे होने पर उस के दिन पूरे हो जाते हैं. कोईर् दूसरा क्या, वे खुद ही कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के समय घूरे समान हो जाते हैं. 60 साल पूरे होने को सेवानिवृत्ति कहते हैं. उस वक्त सब से ज्यादा आश्चर्य सरकारी आदमी को ही होता है कि उस ने सेवा ही कब की थी कि उसे अब सेवानिवृत्त किया जा रहा है. यह सब से बड़ा मजाक है जोकि सरकार व सरकारी कार्यालय के सहकर्मी उस के साथ करते हैं. वह तो अंदर ही अंदर मुसकराता है कि वह पूरे सेवाकाल में मेवा खाने में ही लगा रहा.

इसे सेवाकाल की जगह मेवाकाल कहना ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होता है. सेवा किस चिडि़या का नाम है, वह पूरे सेवाकाल में अनभिज्ञ था. वह तो सेवा की एक ही चिडि़या जानता था, अपने लघु हस्ताक्षर की, जिस के ‘एक दाम, कोई मोलभाव नहीं’ की तर्ज पर दाम तय थे. एक ही दाम, सुबह हो या शाम.

आज लोगों ने जब कहा कि सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो वह बहुत देर तक दिमाग पर जोर देता रहा कि आखिर नौकरी की इस सांध्यबेला में तो याद आ जाए कि आखिरी बार कब उस ने वास्तव में सेवा की थी. जितना वह याद करता, मैमोरी लेन से सेवा की जगह मेवा की ही मैमोरी फिल्टर हो कर कर सामने आती. सो, वह शर्मिंदा हो रहा था सेवानिवृत्ति शब्द बारबार सुन कर.

सरकारी मुलाजिम को शर्म से पानीपानी होने से बचाने के लिए आवश्यक है कि 60 साल का होने पर अब उसे सेवानिवृत्त न कहा जाए? इस के स्थान पर सटीक शब्द वैसे यदि कोई हो सकता है तो वह है ‘मेवानिवृत्त’, क्योंकि वह पूरे कैरियर में मेवा खाने का काम ही तो करता है. यदि उसे यह खाने को नहीं मिलता तो यह उस के मुवक्किल ही जान सकते हैं कि वे अपनी जान भी दे दें तो भी उन के काम होते नहीं. बिना मेवा के ये निर्जीव प्राणी सरीखे दिखते हैं और जैसे ही मेवा चढ़ा, फिर वे सेवादार हो जाते हैं. वैसे, आप के पास इस से अच्छा कोईर् दूसरा शब्द हो तो आप का स्वागत है.

आज आखिरी दिन वह याद करने की कोशिश कर रहा था कि उस ने सेवाकाल में सेवा की, तो कब की? उसे याद आया कि ऐसा कुछ उस की याददाश्त में है ही नहीं जिसे वह सेवा कह सके. वह तो बस नौकरी करता रहा. एक समय तो वह मेवा ले कर भी काम नहीं कर पाने के लिए कुख्यात हो गया था. क्या करें, लोग भी बिना कहे मेवा ले कर टपक जाते थे. चाहे जीवनधारा में कुआं मंजूर करने की बात हो या कि टपक सिंचाई योजना में केस बनाने की बात, सीमांकन हो या बिजली कनैक्शन का केस, वह क्या करे, वह तो जो सामने ले आया, उसे गटक जाता था. और ऐसी आदत घर कर गई थी कि यदि कोई सेवादार बन कर न आए तो ऐसे दागदार को वह सीधे उसे फाटक का रास्ता दिखा देता था.

दिनभर में वह कौन सी सेवा करता था, उसे याद नहीं आ रहा था? सुबह एक घंटे लेट आता था, यह तो सेवा नहीं हुई. एक घंटे का समयरूपी मेवा ही हो गया. फिर आने के घंटेभर बाद ही उस को चायबिस्कुट सर्व हो जाते थे. यह भी मेवा जैसा ही हुआ. मिलने वाले घंटों बैठे रहते थे, वह अपने कंप्यूटर या मोबाइल में व्यस्त रहता था. काहे की सेवा हुई, यह भी इस का मेवा ही हुआ.

कंप्यूटर व मोबाइल में आंख गड़ाए रहना जबकि बाहर दर्जनों मिलने वाले इस के कक्ष की ओर आंख गड़ाए रहते थे कि अब बुलाएगा, तब बुलाएगा. लेकिन इसे फुरसत हो, तब भी इंतजार तो कराएगा ही कराएगा. फिर भी इसे सरकारी सेवक कहते हैं.

60 साल पूरे होने पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. कहते हैं, इस सदी का सब से बड़ा झूठ यही है, कम से कम भारत जैसे देश के लिए जहां कि सेवा नहीं मेवा उद्देश्य है. सरकारीकर्मी आपस में कहते भी हैं कि ‘सेवा देवई मेवा खूबई.’

वह बिलकुल डेढ़ बजे लंच पर निकल जाता था. चाहे दूरदराज से आए किसी व्यक्ति की बस या ट्रेन छूट रही हो, उसे उस से कोई मतलब नहीं रहता था. उसे तो अपने टाइमटेबल से मतलब रहता था. उस के लिए क्लब में सारा इंतजाम हो जाए. यही उस की सेवा थी जनता के प्रति.

सेवानिवृत्त वह नहीं हो रहा था बल्कि वह जनता हो रही थी, मातहत हो रहे थे जो उस की देखभाल में लगे रहते थे. अब उस के 60 साल के हो जाने से उन्हें निवृत्ति मिल रही थी बेगारी से. लेकिन असली सेवानिवृत्त को कोई माला नहीं पहनाता.

हर साल उसे वेतनवृद्धि चाहिए, अवकाश, नकदीकरण चाहिए, मैडिकल बैनिफिट चाहिए, एलटीसी चाहिए, नाना प्रकार के लोन चाहिए. यह उस की सेवा है कि बीचबीच में मेवा का इंतजाम है?

सरकार को गंभीरता से विचार कर के सेवानिवृत्ति की जगह मेवानिवृत्ति शब्द को मान्यता दे देनी चाहिए. वैसे, गंगू कहता भी है कि सेवानिवृत्ति से कहीं सटीक व ठीक शब्द मेवानिवृत्ति है.

 

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सरकारी मुलाजिम के 60 साल पूरे होने पर उस के दिन पूरे हो जाते हैं. कोईर् दूसरा क्या, वे खुद ही कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के समय घूरे समान हो जाते हैं. 60 साल पूरे होने को सेवानिवृत्ति कहते हैं. उस वक्त सब से ज्यादा आश्चर्य सरकारी आदमी को ही होता है कि उस ने सेवा ही कब की थी कि उसे अब सेवानिवृत्त किया जा रहा है. यह सब से बड़ा मजाक है जोकि सरकार व सरकारी कार्यालय के सहकर्मी उस के साथ करते हैं. वह तो अंदर ही अंदर मुसकराता है कि वह पूरे सेवाकाल में मेवा खाने में ही लगा रहा.

इसे सेवाकाल की जगह मेवाकाल कहना ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होता है. सेवा किस चिडि़या का नाम है, वह पूरे सेवाकाल में अनभिज्ञ था. वह तो सेवा की एक ही चिडि़या जानता था, अपने लघु हस्ताक्षर की, जिस के ‘एक दाम, कोई मोलभाव नहीं’ की तर्ज पर दाम तय थे. एक ही दाम, सुबह हो या शाम.

आज लोगों ने जब कहा कि सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो वह बहुत देर तक दिमाग पर जोर देता रहा कि आखिर नौकरी की इस सांध्यबेला में तो याद आ जाए कि आखिरी बार कब उस ने वास्तव में सेवा की थी. जितना वह याद करता, मैमोरी लेन से सेवा की जगह मेवा की ही मैमोरी फिल्टर हो कर कर सामने आती. सो, वह शर्मिंदा हो रहा था सेवानिवृत्ति शब्द बारबार सुन कर.

सरकारी मुलाजिम को शर्म से पानीपानी होने से बचाने के लिए आवश्यक है कि 60 साल का होने पर अब उसे सेवानिवृत्त न कहा जाए? इस के स्थान पर सटीक शब्द वैसे यदि कोई हो सकता है तो वह है ‘मेवानिवृत्त’, क्योंकि वह पूरे कैरियर में मेवा खाने का काम ही तो करता है. यदि उसे यह खाने को नहीं मिलता तो यह उस के मुवक्किल ही जान सकते हैं कि वे अपनी जान भी दे दें तो भी उन के काम होते नहीं. बिना मेवा के ये निर्जीव प्राणी सरीखे दिखते हैं और जैसे ही मेवा चढ़ा, फिर वे सेवादार हो जाते हैं. वैसे, आप के पास इस से अच्छा कोईर् दूसरा शब्द हो तो आप का स्वागत है.

आज आखिरी दिन वह याद करने की कोशिश कर रहा था कि उस ने सेवाकाल में सेवा की, तो कब की? उसे याद आया कि ऐसा कुछ उस की याददाश्त में है ही नहीं जिसे वह सेवा कह सके. वह तो बस नौकरी करता रहा. एक समय तो वह मेवा ले कर भी काम नहीं कर पाने के लिए कुख्यात हो गया था. क्या करें, लोग भी बिना कहे मेवा ले कर टपक जाते थे. चाहे जीवनधारा में कुआं मंजूर करने की बात हो या कि टपक सिंचाई योजना में केस बनाने की बात, सीमांकन हो या बिजली कनैक्शन का केस, वह क्या करे, वह तो जो सामने ले आया, उसे गटक जाता था. और ऐसी आदत घर कर गई थी कि यदि कोई सेवादार बन कर न आए तो ऐसे दागदार को वह सीधे उसे फाटक का रास्ता दिखा देता था.

दिनभर में वह कौन सी सेवा करता था, उसे याद नहीं आ रहा था? सुबह एक घंटे लेट आता था, यह तो सेवा नहीं हुई. एक घंटे का समयरूपी मेवा ही हो गया. फिर आने के घंटेभर बाद ही उस को चायबिस्कुट सर्व हो जाते थे. यह भी मेवा जैसा ही हुआ. मिलने वाले घंटों बैठे रहते थे, वह अपने कंप्यूटर या मोबाइल में व्यस्त रहता था. काहे की सेवा हुई, यह भी इस का मेवा ही हुआ.

कंप्यूटर व मोबाइल में आंख गड़ाए रहना जबकि बाहर दर्जनों मिलने वाले इस के कक्ष की ओर आंख गड़ाए रहते थे कि अब बुलाएगा, तब बुलाएगा. लेकिन इसे फुरसत हो, तब भी इंतजार तो कराएगा ही कराएगा. फिर भी इसे सरकारी सेवक कहते हैं.

60 साल पूरे होने पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. कहते हैं, इस सदी का सब से बड़ा झूठ यही है, कम से कम भारत जैसे देश के लिए जहां कि सेवा नहीं मेवा उद्देश्य है. सरकारीकर्मी आपस में कहते भी हैं कि ‘सेवा देवई मेवा खूबई.’

वह बिलकुल डेढ़ बजे लंच पर निकल जाता था. चाहे दूरदराज से आए किसी व्यक्ति की बस या ट्रेन छूट रही हो, उसे उस से कोई मतलब नहीं रहता था. उसे तो अपने टाइमटेबल से मतलब रहता था. उस के लिए क्लब में सारा इंतजाम हो जाए. यही उस की सेवा थी जनता के प्रति.

सेवानिवृत्त वह नहीं हो रहा था बल्कि वह जनता हो रही थी, मातहत हो रहे थे जो उस की देखभाल में लगे रहते थे. अब उस के 60 साल के हो जाने से उन्हें निवृत्ति मिल रही थी बेगारी से. लेकिन असली सेवानिवृत्त को कोई माला नहीं पहनाता.

हर साल उसे वेतनवृद्धि चाहिए, अवकाश, नकदीकरण चाहिए, मैडिकल बैनिफिट चाहिए, एलटीसी चाहिए, नाना प्रकार के लोन चाहिए. यह उस की सेवा है कि बीचबीच में मेवा का इंतजाम है?

सरकार को गंभीरता से विचार कर के सेवानिवृत्ति की जगह मेवानिवृत्ति शब्द को मान्यता दे देनी चाहिए. वैसे, गंगू कहता भी है कि सेवानिवृत्ति से कहीं सटीक व ठीक शब्द मेवानिवृत्ति है.

 

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December 31, 2018 at 12:07PM

महिला मेडिकल कॉलेज के पूर्व कार्यवाहक निदेशक पर ठगी का आरोप

एपीएस बत्रा पर लैब सहायक की नौकरी लगाने के नाम पर चार लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया है। इस काम के लिए कॉलेज के ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2RoH3tA
एपीएस बत्रा पर लैब सहायक की नौकरी लगाने के नाम पर चार लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया है। इस काम के लिए कॉलेज के ...

महिला मेडिकल कॉलेज के पूर्व कार्यवाहक निदेशक पर ठगी का आरोप

एपीएस बत्रा पर लैब सहायक की नौकरी लगाने के नाम पर चार लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया है। इस काम के लिए कॉलेज के ...

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एपीएस बत्रा पर लैब सहायक की नौकरी लगाने के नाम पर चार लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया है। इस काम के लिए कॉलेज के ...

मेवानिवृत्ति

सरकारी मुलाजिम के 60 साल पूरे होने पर उस के दिन पूरे हो जाते हैं. कोईर् दूसरा क्या, वे खुद ही कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के समय घूरे समान हो जाते हैं. 60 साल पूरे होने को सेवानिवृत्ति कहते हैं. उस वक्त सब से ज्यादा आश्चर्य सरकारी आदमी को ही होता है कि उस ने सेवा ही कब की थी कि उसे अब सेवानिवृत्त किया जा रहा है. यह सब से बड़ा मजाक है जोकि सरकार व सरकारी कार्यालय के सहकर्मी उस के साथ करते हैं. वह तो अंदर ही अंदर मुसकराता है कि वह पूरे सेवाकाल में मेवा खाने में ही लगा रहा.

इसे सेवाकाल की जगह मेवाकाल कहना ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होता है. सेवा किस चिडि़या का नाम है, वह पूरे सेवाकाल में अनभिज्ञ था. वह तो सेवा की एक ही चिडि़या जानता था, अपने लघु हस्ताक्षर की, जिस के ‘एक दाम, कोई मोलभाव नहीं’ की तर्ज पर दाम तय थे. एक ही दाम, सुबह हो या शाम.

आज लोगों ने जब कहा कि सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो वह बहुत देर तक दिमाग पर जोर देता रहा कि आखिर नौकरी की इस सांध्यबेला में तो याद आ जाए कि आखिरी बार कब उस ने वास्तव में सेवा की थी. जितना वह याद करता, मैमोरी लेन से सेवा की जगह मेवा की ही मैमोरी फिल्टर हो कर कर सामने आती. सो, वह शर्मिंदा हो रहा था सेवानिवृत्ति शब्द बारबार सुन कर.

सरकारी मुलाजिम को शर्म से पानीपानी होने से बचाने के लिए आवश्यक है कि 60 साल का होने पर अब उसे सेवानिवृत्त न कहा जाए? इस के स्थान पर सटीक शब्द वैसे यदि कोई हो सकता है तो वह है ‘मेवानिवृत्त’, क्योंकि वह पूरे कैरियर में मेवा खाने का काम ही तो करता है. यदि उसे यह खाने को नहीं मिलता तो यह उस के मुवक्किल ही जान सकते हैं कि वे अपनी जान भी दे दें तो भी उन के काम होते नहीं. बिना मेवा के ये निर्जीव प्राणी सरीखे दिखते हैं और जैसे ही मेवा चढ़ा, फिर वे सेवादार हो जाते हैं. वैसे, आप के पास इस से अच्छा कोईर् दूसरा शब्द हो तो आप का स्वागत है.

आज आखिरी दिन वह याद करने की कोशिश कर रहा था कि उस ने सेवाकाल में सेवा की, तो कब की? उसे याद आया कि ऐसा कुछ उस की याददाश्त में है ही नहीं जिसे वह सेवा कह सके. वह तो बस नौकरी करता रहा. एक समय तो वह मेवा ले कर भी काम नहीं कर पाने के लिए कुख्यात हो गया था. क्या करें, लोग भी बिना कहे मेवा ले कर टपक जाते थे. चाहे जीवनधारा में कुआं मंजूर करने की बात हो या कि टपक सिंचाई योजना में केस बनाने की बात, सीमांकन हो या बिजली कनैक्शन का केस, वह क्या करे, वह तो जो सामने ले आया, उसे गटक जाता था. और ऐसी आदत घर कर गई थी कि यदि कोई सेवादार बन कर न आए तो ऐसे दागदार को वह सीधे उसे फाटक का रास्ता दिखा देता था.

दिनभर में वह कौन सी सेवा करता था, उसे याद नहीं आ रहा था? सुबह एक घंटे लेट आता था, यह तो सेवा नहीं हुई. एक घंटे का समयरूपी मेवा ही हो गया. फिर आने के घंटेभर बाद ही उस को चायबिस्कुट सर्व हो जाते थे. यह भी मेवा जैसा ही हुआ. मिलने वाले घंटों बैठे रहते थे, वह अपने कंप्यूटर या मोबाइल में व्यस्त रहता था. काहे की सेवा हुई, यह भी इस का मेवा ही हुआ.

कंप्यूटर व मोबाइल में आंख गड़ाए रहना जबकि बाहर दर्जनों मिलने वाले इस के कक्ष की ओर आंख गड़ाए रहते थे कि अब बुलाएगा, तब बुलाएगा. लेकिन इसे फुरसत हो, तब भी इंतजार तो कराएगा ही कराएगा. फिर भी इसे सरकारी सेवक कहते हैं.

60 साल पूरे होने पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. कहते हैं, इस सदी का सब से बड़ा झूठ यही है, कम से कम भारत जैसे देश के लिए जहां कि सेवा नहीं मेवा उद्देश्य है. सरकारीकर्मी आपस में कहते भी हैं कि ‘सेवा देवई मेवा खूबई.’

वह बिलकुल डेढ़ बजे लंच पर निकल जाता था. चाहे दूरदराज से आए किसी व्यक्ति की बस या ट्रेन छूट रही हो, उसे उस से कोई मतलब नहीं रहता था. उसे तो अपने टाइमटेबल से मतलब रहता था. उस के लिए क्लब में सारा इंतजाम हो जाए. यही उस की सेवा थी जनता के प्रति.

सेवानिवृत्त वह नहीं हो रहा था बल्कि वह जनता हो रही थी, मातहत हो रहे थे जो उस की देखभाल में लगे रहते थे. अब उस के 60 साल के हो जाने से उन्हें निवृत्ति मिल रही थी बेगारी से. लेकिन असली सेवानिवृत्त को कोई माला नहीं पहनाता.

हर साल उसे वेतनवृद्धि चाहिए, अवकाश, नकदीकरण चाहिए, मैडिकल बैनिफिट चाहिए, एलटीसी चाहिए, नाना प्रकार के लोन चाहिए. यह उस की सेवा है कि बीचबीच में मेवा का इंतजाम है?

सरकार को गंभीरता से विचार कर के सेवानिवृत्ति की जगह मेवानिवृत्ति शब्द को मान्यता दे देनी चाहिए. वैसे, गंगू कहता भी है कि सेवानिवृत्ति से कहीं सटीक व ठीक शब्द मेवानिवृत्ति है.

 

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from कहानी – Sarita Magazine http://bit.ly/2QXUwcp

सरकारी मुलाजिम के 60 साल पूरे होने पर उस के दिन पूरे हो जाते हैं. कोईर् दूसरा क्या, वे खुद ही कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के समय घूरे समान हो जाते हैं. 60 साल पूरे होने को सेवानिवृत्ति कहते हैं. उस वक्त सब से ज्यादा आश्चर्य सरकारी आदमी को ही होता है कि उस ने सेवा ही कब की थी कि उसे अब सेवानिवृत्त किया जा रहा है. यह सब से बड़ा मजाक है जोकि सरकार व सरकारी कार्यालय के सहकर्मी उस के साथ करते हैं. वह तो अंदर ही अंदर मुसकराता है कि वह पूरे सेवाकाल में मेवा खाने में ही लगा रहा.

इसे सेवाकाल की जगह मेवाकाल कहना ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होता है. सेवा किस चिडि़या का नाम है, वह पूरे सेवाकाल में अनभिज्ञ था. वह तो सेवा की एक ही चिडि़या जानता था, अपने लघु हस्ताक्षर की, जिस के ‘एक दाम, कोई मोलभाव नहीं’ की तर्ज पर दाम तय थे. एक ही दाम, सुबह हो या शाम.

आज लोगों ने जब कहा कि सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो वह बहुत देर तक दिमाग पर जोर देता रहा कि आखिर नौकरी की इस सांध्यबेला में तो याद आ जाए कि आखिरी बार कब उस ने वास्तव में सेवा की थी. जितना वह याद करता, मैमोरी लेन से सेवा की जगह मेवा की ही मैमोरी फिल्टर हो कर कर सामने आती. सो, वह शर्मिंदा हो रहा था सेवानिवृत्ति शब्द बारबार सुन कर.

सरकारी मुलाजिम को शर्म से पानीपानी होने से बचाने के लिए आवश्यक है कि 60 साल का होने पर अब उसे सेवानिवृत्त न कहा जाए? इस के स्थान पर सटीक शब्द वैसे यदि कोई हो सकता है तो वह है ‘मेवानिवृत्त’, क्योंकि वह पूरे कैरियर में मेवा खाने का काम ही तो करता है. यदि उसे यह खाने को नहीं मिलता तो यह उस के मुवक्किल ही जान सकते हैं कि वे अपनी जान भी दे दें तो भी उन के काम होते नहीं. बिना मेवा के ये निर्जीव प्राणी सरीखे दिखते हैं और जैसे ही मेवा चढ़ा, फिर वे सेवादार हो जाते हैं. वैसे, आप के पास इस से अच्छा कोईर् दूसरा शब्द हो तो आप का स्वागत है.

आज आखिरी दिन वह याद करने की कोशिश कर रहा था कि उस ने सेवाकाल में सेवा की, तो कब की? उसे याद आया कि ऐसा कुछ उस की याददाश्त में है ही नहीं जिसे वह सेवा कह सके. वह तो बस नौकरी करता रहा. एक समय तो वह मेवा ले कर भी काम नहीं कर पाने के लिए कुख्यात हो गया था. क्या करें, लोग भी बिना कहे मेवा ले कर टपक जाते थे. चाहे जीवनधारा में कुआं मंजूर करने की बात हो या कि टपक सिंचाई योजना में केस बनाने की बात, सीमांकन हो या बिजली कनैक्शन का केस, वह क्या करे, वह तो जो सामने ले आया, उसे गटक जाता था. और ऐसी आदत घर कर गई थी कि यदि कोई सेवादार बन कर न आए तो ऐसे दागदार को वह सीधे उसे फाटक का रास्ता दिखा देता था.

दिनभर में वह कौन सी सेवा करता था, उसे याद नहीं आ रहा था? सुबह एक घंटे लेट आता था, यह तो सेवा नहीं हुई. एक घंटे का समयरूपी मेवा ही हो गया. फिर आने के घंटेभर बाद ही उस को चायबिस्कुट सर्व हो जाते थे. यह भी मेवा जैसा ही हुआ. मिलने वाले घंटों बैठे रहते थे, वह अपने कंप्यूटर या मोबाइल में व्यस्त रहता था. काहे की सेवा हुई, यह भी इस का मेवा ही हुआ.

कंप्यूटर व मोबाइल में आंख गड़ाए रहना जबकि बाहर दर्जनों मिलने वाले इस के कक्ष की ओर आंख गड़ाए रहते थे कि अब बुलाएगा, तब बुलाएगा. लेकिन इसे फुरसत हो, तब भी इंतजार तो कराएगा ही कराएगा. फिर भी इसे सरकारी सेवक कहते हैं.

60 साल पूरे होने पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. कहते हैं, इस सदी का सब से बड़ा झूठ यही है, कम से कम भारत जैसे देश के लिए जहां कि सेवा नहीं मेवा उद्देश्य है. सरकारीकर्मी आपस में कहते भी हैं कि ‘सेवा देवई मेवा खूबई.’

वह बिलकुल डेढ़ बजे लंच पर निकल जाता था. चाहे दूरदराज से आए किसी व्यक्ति की बस या ट्रेन छूट रही हो, उसे उस से कोई मतलब नहीं रहता था. उसे तो अपने टाइमटेबल से मतलब रहता था. उस के लिए क्लब में सारा इंतजाम हो जाए. यही उस की सेवा थी जनता के प्रति.

सेवानिवृत्त वह नहीं हो रहा था बल्कि वह जनता हो रही थी, मातहत हो रहे थे जो उस की देखभाल में लगे रहते थे. अब उस के 60 साल के हो जाने से उन्हें निवृत्ति मिल रही थी बेगारी से. लेकिन असली सेवानिवृत्त को कोई माला नहीं पहनाता.

हर साल उसे वेतनवृद्धि चाहिए, अवकाश, नकदीकरण चाहिए, मैडिकल बैनिफिट चाहिए, एलटीसी चाहिए, नाना प्रकार के लोन चाहिए. यह उस की सेवा है कि बीचबीच में मेवा का इंतजाम है?

सरकार को गंभीरता से विचार कर के सेवानिवृत्ति की जगह मेवानिवृत्ति शब्द को मान्यता दे देनी चाहिए. वैसे, गंगू कहता भी है कि सेवानिवृत्ति से कहीं सटीक व ठीक शब्द मेवानिवृत्ति है.

 

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December 31, 2018 at 12:07PM

महिला मेडिकल कॉलेज के पूर्व कार्यवाहक निदेशक पर ठगी का आरोप

एपीएस बत्रा पर लैब सहायक की नौकरी लगाने के नाम पर चार लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया है। इस काम के लिए कॉलेज के ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2RoH3tA
एपीएस बत्रा पर लैब सहायक की नौकरी लगाने के नाम पर चार लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया है। इस काम के लिए कॉलेज के ...

महिला मेडिकल कॉलेज के पूर्व कार्यवाहक निदेशक पर ठगी का आरोप

एपीएस बत्रा पर लैब सहायक की नौकरी लगाने के नाम पर चार लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया है। इस काम के लिए कॉलेज के ...

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एपीएस बत्रा पर लैब सहायक की नौकरी लगाने के नाम पर चार लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया है। इस काम के लिए कॉलेज के ...

रिमांड खत्म होने पर दो आरोपी पहुंचे जेल, सरगना सुरेंद्र का 3 दिन का ...

सवाल ये है कि सुरेंद्र पपं पर 5 फीसद कैशबैक देने की बात कर आरोपी रवि को नौकरी पर रखवा कर चला गया था। आरोपी रवि कई ...

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बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज में लैब अटेंडेंट की नौकरी के नाम पर 6 लाख ...

एक महिला को नौकरी दिलाने के नाम पर रुपए लेने का मामला प्रकाश में आया है। महिला ने इसकी शिकायत पुलिस को दी ...

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एक महिला को नौकरी दिलाने के नाम पर रुपए लेने का मामला प्रकाश में आया है। महिला ने इसकी शिकायत पुलिस को दी ...

वृश्चिक राशिफल: जानिए आपकी राशि में धन लाभ का योग है कि नहीं आज 31 Dec ...

बिजनेस और नौकरी के खास काम निपटाने के लिए बड़े लोगों से मुलाकात हो सकती है। मेहनत से कामकाज में आपका महत्व ...

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बिजनेस और नौकरी के खास काम निपटाने के लिए बड़े लोगों से मुलाकात हो सकती है। मेहनत से कामकाज में आपका महत्व ...

सरकारी नौकरी

बचपन से उसे बता दिया गया था कि बड़ा होकर उसने सरकारी नौकरी करनी है. देव सिंह नाम था उसका बचपन से ही बहुत बड़ा ...

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बचपन से उसे बता दिया गया था कि बड़ा होकर उसने सरकारी नौकरी करनी है. देव सिंह नाम था उसका बचपन से ही बहुत बड़ा ...

मेवानिवृत्ति

सरकारी मुलाजिम के 60 साल पूरे होने पर उस के दिन पूरे हो जाते हैं. कोईर् दूसरा क्या, वे खुद ही कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के समय घूरे समान हो जाते हैं. 60 साल पूरे होने को सेवानिवृत्ति कहते हैं. उस वक्त सब से ज्यादा आश्चर्य सरकारी आदमी को ही होता है कि उस ने सेवा ही कब की थी कि उसे अब सेवानिवृत्त किया जा रहा है. यह सब से बड़ा मजाक है जोकि सरकार व सरकारी कार्यालय के सहकर्मी उस के साथ करते हैं. वह तो अंदर ही अंदर मुसकराता है कि वह पूरे सेवाकाल में मेवा खाने में ही लगा रहा.

इसे सेवाकाल की जगह मेवाकाल कहना ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होता है. सेवा किस चिडि़या का नाम है, वह पूरे सेवाकाल में अनभिज्ञ था. वह तो सेवा की एक ही चिडि़या जानता था, अपने लघु हस्ताक्षर की, जिस के ‘एक दाम, कोई मोलभाव नहीं’ की तर्ज पर दाम तय थे. एक ही दाम, सुबह हो या शाम.

आज लोगों ने जब कहा कि सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो वह बहुत देर तक दिमाग पर जोर देता रहा कि आखिर नौकरी की इस सांध्यबेला में तो याद आ जाए कि आखिरी बार कब उस ने वास्तव में सेवा की थी. जितना वह याद करता, मैमोरी लेन से सेवा की जगह मेवा की ही मैमोरी फिल्टर हो कर कर सामने आती. सो, वह शर्मिंदा हो रहा था सेवानिवृत्ति शब्द बारबार सुन कर.

सरकारी मुलाजिम को शर्म से पानीपानी होने से बचाने के लिए आवश्यक है कि 60 साल का होने पर अब उसे सेवानिवृत्त न कहा जाए? इस के स्थान पर सटीक शब्द वैसे यदि कोई हो सकता है तो वह है ‘मेवानिवृत्त’, क्योंकि वह पूरे कैरियर में मेवा खाने का काम ही तो करता है. यदि उसे यह खाने को नहीं मिलता तो यह उस के मुवक्किल ही जान सकते हैं कि वे अपनी जान भी दे दें तो भी उन के काम होते नहीं. बिना मेवा के ये निर्जीव प्राणी सरीखे दिखते हैं और जैसे ही मेवा चढ़ा, फिर वे सेवादार हो जाते हैं. वैसे, आप के पास इस से अच्छा कोईर् दूसरा शब्द हो तो आप का स्वागत है.

आज आखिरी दिन वह याद करने की कोशिश कर रहा था कि उस ने सेवाकाल में सेवा की, तो कब की? उसे याद आया कि ऐसा कुछ उस की याददाश्त में है ही नहीं जिसे वह सेवा कह सके. वह तो बस नौकरी करता रहा. एक समय तो वह मेवा ले कर भी काम नहीं कर पाने के लिए कुख्यात हो गया था. क्या करें, लोग भी बिना कहे मेवा ले कर टपक जाते थे. चाहे जीवनधारा में कुआं मंजूर करने की बात हो या कि टपक सिंचाई योजना में केस बनाने की बात, सीमांकन हो या बिजली कनैक्शन का केस, वह क्या करे, वह तो जो सामने ले आया, उसे गटक जाता था. और ऐसी आदत घर कर गई थी कि यदि कोई सेवादार बन कर न आए तो ऐसे दागदार को वह सीधे उसे फाटक का रास्ता दिखा देता था.

दिनभर में वह कौन सी सेवा करता था, उसे याद नहीं आ रहा था? सुबह एक घंटे लेट आता था, यह तो सेवा नहीं हुई. एक घंटे का समयरूपी मेवा ही हो गया. फिर आने के घंटेभर बाद ही उस को चायबिस्कुट सर्व हो जाते थे. यह भी मेवा जैसा ही हुआ. मिलने वाले घंटों बैठे रहते थे, वह अपने कंप्यूटर या मोबाइल में व्यस्त रहता था. काहे की सेवा हुई, यह भी इस का मेवा ही हुआ.

कंप्यूटर व मोबाइल में आंख गड़ाए रहना जबकि बाहर दर्जनों मिलने वाले इस के कक्ष की ओर आंख गड़ाए रहते थे कि अब बुलाएगा, तब बुलाएगा. लेकिन इसे फुरसत हो, तब भी इंतजार तो कराएगा ही कराएगा. फिर भी इसे सरकारी सेवक कहते हैं.

60 साल पूरे होने पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. कहते हैं, इस सदी का सब से बड़ा झूठ यही है, कम से कम भारत जैसे देश के लिए जहां कि सेवा नहीं मेवा उद्देश्य है. सरकारीकर्मी आपस में कहते भी हैं कि ‘सेवा देवई मेवा खूबई.’

वह बिलकुल डेढ़ बजे लंच पर निकल जाता था. चाहे दूरदराज से आए किसी व्यक्ति की बस या ट्रेन छूट रही हो, उसे उस से कोई मतलब नहीं रहता था. उसे तो अपने टाइमटेबल से मतलब रहता था. उस के लिए क्लब में सारा इंतजाम हो जाए. यही उस की सेवा थी जनता के प्रति.

सेवानिवृत्त वह नहीं हो रहा था बल्कि वह जनता हो रही थी, मातहत हो रहे थे जो उस की देखभाल में लगे रहते थे. अब उस के 60 साल के हो जाने से उन्हें निवृत्ति मिल रही थी बेगारी से. लेकिन असली सेवानिवृत्त को कोई माला नहीं पहनाता.

हर साल उसे वेतनवृद्धि चाहिए, अवकाश, नकदीकरण चाहिए, मैडिकल बैनिफिट चाहिए, एलटीसी चाहिए, नाना प्रकार के लोन चाहिए. यह उस की सेवा है कि बीचबीच में मेवा का इंतजाम है?

सरकार को गंभीरता से विचार कर के सेवानिवृत्ति की जगह मेवानिवृत्ति शब्द को मान्यता दे देनी चाहिए. वैसे, गंगू कहता भी है कि सेवानिवृत्ति से कहीं सटीक व ठीक शब्द मेवानिवृत्ति है.

 

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सरकारी मुलाजिम के 60 साल पूरे होने पर उस के दिन पूरे हो जाते हैं. कोईर् दूसरा क्या, वे खुद ही कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के समय घूरे समान हो जाते हैं. 60 साल पूरे होने को सेवानिवृत्ति कहते हैं. उस वक्त सब से ज्यादा आश्चर्य सरकारी आदमी को ही होता है कि उस ने सेवा ही कब की थी कि उसे अब सेवानिवृत्त किया जा रहा है. यह सब से बड़ा मजाक है जोकि सरकार व सरकारी कार्यालय के सहकर्मी उस के साथ करते हैं. वह तो अंदर ही अंदर मुसकराता है कि वह पूरे सेवाकाल में मेवा खाने में ही लगा रहा.

इसे सेवाकाल की जगह मेवाकाल कहना ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होता है. सेवा किस चिडि़या का नाम है, वह पूरे सेवाकाल में अनभिज्ञ था. वह तो सेवा की एक ही चिडि़या जानता था, अपने लघु हस्ताक्षर की, जिस के ‘एक दाम, कोई मोलभाव नहीं’ की तर्ज पर दाम तय थे. एक ही दाम, सुबह हो या शाम.

आज लोगों ने जब कहा कि सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो वह बहुत देर तक दिमाग पर जोर देता रहा कि आखिर नौकरी की इस सांध्यबेला में तो याद आ जाए कि आखिरी बार कब उस ने वास्तव में सेवा की थी. जितना वह याद करता, मैमोरी लेन से सेवा की जगह मेवा की ही मैमोरी फिल्टर हो कर कर सामने आती. सो, वह शर्मिंदा हो रहा था सेवानिवृत्ति शब्द बारबार सुन कर.

सरकारी मुलाजिम को शर्म से पानीपानी होने से बचाने के लिए आवश्यक है कि 60 साल का होने पर अब उसे सेवानिवृत्त न कहा जाए? इस के स्थान पर सटीक शब्द वैसे यदि कोई हो सकता है तो वह है ‘मेवानिवृत्त’, क्योंकि वह पूरे कैरियर में मेवा खाने का काम ही तो करता है. यदि उसे यह खाने को नहीं मिलता तो यह उस के मुवक्किल ही जान सकते हैं कि वे अपनी जान भी दे दें तो भी उन के काम होते नहीं. बिना मेवा के ये निर्जीव प्राणी सरीखे दिखते हैं और जैसे ही मेवा चढ़ा, फिर वे सेवादार हो जाते हैं. वैसे, आप के पास इस से अच्छा कोईर् दूसरा शब्द हो तो आप का स्वागत है.

आज आखिरी दिन वह याद करने की कोशिश कर रहा था कि उस ने सेवाकाल में सेवा की, तो कब की? उसे याद आया कि ऐसा कुछ उस की याददाश्त में है ही नहीं जिसे वह सेवा कह सके. वह तो बस नौकरी करता रहा. एक समय तो वह मेवा ले कर भी काम नहीं कर पाने के लिए कुख्यात हो गया था. क्या करें, लोग भी बिना कहे मेवा ले कर टपक जाते थे. चाहे जीवनधारा में कुआं मंजूर करने की बात हो या कि टपक सिंचाई योजना में केस बनाने की बात, सीमांकन हो या बिजली कनैक्शन का केस, वह क्या करे, वह तो जो सामने ले आया, उसे गटक जाता था. और ऐसी आदत घर कर गई थी कि यदि कोई सेवादार बन कर न आए तो ऐसे दागदार को वह सीधे उसे फाटक का रास्ता दिखा देता था.

दिनभर में वह कौन सी सेवा करता था, उसे याद नहीं आ रहा था? सुबह एक घंटे लेट आता था, यह तो सेवा नहीं हुई. एक घंटे का समयरूपी मेवा ही हो गया. फिर आने के घंटेभर बाद ही उस को चायबिस्कुट सर्व हो जाते थे. यह भी मेवा जैसा ही हुआ. मिलने वाले घंटों बैठे रहते थे, वह अपने कंप्यूटर या मोबाइल में व्यस्त रहता था. काहे की सेवा हुई, यह भी इस का मेवा ही हुआ.

कंप्यूटर व मोबाइल में आंख गड़ाए रहना जबकि बाहर दर्जनों मिलने वाले इस के कक्ष की ओर आंख गड़ाए रहते थे कि अब बुलाएगा, तब बुलाएगा. लेकिन इसे फुरसत हो, तब भी इंतजार तो कराएगा ही कराएगा. फिर भी इसे सरकारी सेवक कहते हैं.

60 साल पूरे होने पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. कहते हैं, इस सदी का सब से बड़ा झूठ यही है, कम से कम भारत जैसे देश के लिए जहां कि सेवा नहीं मेवा उद्देश्य है. सरकारीकर्मी आपस में कहते भी हैं कि ‘सेवा देवई मेवा खूबई.’

वह बिलकुल डेढ़ बजे लंच पर निकल जाता था. चाहे दूरदराज से आए किसी व्यक्ति की बस या ट्रेन छूट रही हो, उसे उस से कोई मतलब नहीं रहता था. उसे तो अपने टाइमटेबल से मतलब रहता था. उस के लिए क्लब में सारा इंतजाम हो जाए. यही उस की सेवा थी जनता के प्रति.

सेवानिवृत्त वह नहीं हो रहा था बल्कि वह जनता हो रही थी, मातहत हो रहे थे जो उस की देखभाल में लगे रहते थे. अब उस के 60 साल के हो जाने से उन्हें निवृत्ति मिल रही थी बेगारी से. लेकिन असली सेवानिवृत्त को कोई माला नहीं पहनाता.

हर साल उसे वेतनवृद्धि चाहिए, अवकाश, नकदीकरण चाहिए, मैडिकल बैनिफिट चाहिए, एलटीसी चाहिए, नाना प्रकार के लोन चाहिए. यह उस की सेवा है कि बीचबीच में मेवा का इंतजाम है?

सरकार को गंभीरता से विचार कर के सेवानिवृत्ति की जगह मेवानिवृत्ति शब्द को मान्यता दे देनी चाहिए. वैसे, गंगू कहता भी है कि सेवानिवृत्ति से कहीं सटीक व ठीक शब्द मेवानिवृत्ति है.

 

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December 31, 2018 at 12:07PM

सरकारी नौकरी

बचपन से उसे बता दिया गया था कि बड़ा होकर उसने सरकारी नौकरी करनी है. देव सिंह नाम था उसका बचपन से ही बहुत बड़ा ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2F1EU0z
बचपन से उसे बता दिया गया था कि बड़ा होकर उसने सरकारी नौकरी करनी है. देव सिंह नाम था उसका बचपन से ही बहुत बड़ा ...

सरकारी नौकरी

बचपन से उसे बता दिया गया था कि बड़ा होकर उसने सरकारी नौकरी करनी है. देव सिंह नाम था उसका बचपन से ही बहुत बड़ा ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2F1EU0z
बचपन से उसे बता दिया गया था कि बड़ा होकर उसने सरकारी नौकरी करनी है. देव सिंह नाम था उसका बचपन से ही बहुत बड़ा ...

सरकारी नौकरी

बचपन से उसे बता दिया गया था कि बड़ा होकर उसने सरकारी नौकरी करनी है. देव सिंह नाम था उसका बचपन से ही बहुत बड़ा ...

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बचपन से उसे बता दिया गया था कि बड़ा होकर उसने सरकारी नौकरी करनी है. देव सिंह नाम था उसका बचपन से ही बहुत बड़ा ...

एक अनोखी अलमारी की कहानी, New panchatantra stories in hindi

New panchatantra stories in hindi

एक अनोखी अलमारी की कहानी, New panchatantra stories in hindi, यह पंचतंत्र की कहानी आपको पसंद आएगी, इसमें एक आदमी अनोखी अलमारी को लेकर आता है और वह अलमारी आने से क्या होता है, यह सब कुछ इस कहानी में हमे पता चलता है, 

एक अनोखी अलमारी की कहानी :New panchatantra stories in hindi

panchatantra stories.jpg

panchatantra stories in hindi

वह दोनों ही इस बात को लेकर बहुत परेशान नज़र आ रहे थे, की उनके घर में एक भी अलमारी नहीं थी, वह इस बात को जानते थे मगर कोई भी उस अलमारी को नहीं खरीद पा रहा था, इसका मुख्य कारण था, की उनके पास इतने पैसे नहीं थे जिससे वह एक अलमारी को खरीद पाए, वह दोनों बहुत ही गरीब थे, पत्नी ने कहा की इस तरह काम नहीं चलेगा, क्योकि अलमारी की जरूरत है, मगर हमारे पास पैसे भी नहीं है,

 

पति भी यही सोच रहा था की मुझे कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे में एक अलमारी को खरीद पाऊ, मगर ऐसा करने के लिए मुझे बहुत मेहनत करनी होगी, मगर क्या फिर भी में उस अलमारी को खरीद पाऊंगा, यह सोचता हुआ वह अपने काम पर जा रहा था, वह एक सेठ के यहां पर काम करता था, वह सेठ से बोला की आप मुझे कुछ पैसे पहले ही दे सकते है मुझे एक अलमारी खरीदनी है उसके लिए मेरी पत्नी बहुत दिनों से कह रही है, मगर में उसे नहीं दे पा रहा हु, अगर आप मुझे कुछ पैसे पहले ही दे दे, तो आप वह पैसे मेरे काम में से काट सकते है,

Read More-भाषाओं का ज्ञान कहानी

सेठ बोला की मेरे पास तुम्हे पैसे देने के लिए नहीं रखा हुआ है जितना काम करते हो उसी में से जो चाहो ले सकते हो, मेरे पास अतिरिक्त पैसा नहीं है, वह आदमी कुछ नहीं कहता है और काम में लग जाता है उधर सेठ भी चला जाता है वह काम तो कर रहा था मगर वह यही सोचता था की पता नहीं में कब अलमारी को खरीद सकता हु, शाम हो जाती है वह घर की और चल देता है आज उसका मन काम में भी नहीं लग रहा था, पत्नी आज फिर कुछ जरूर बोलेगी, की अलमारी कब तक आएगी, मगर मेरे पास तो कोई जवाब नहीं है,

 

आज फिर इस बात को लेकर वह झगड़ा करेगी, यह क्या है कुछ समझ नहीं आ रहा है मेरा तो मन कर रहा है की आज घर पर जाता नहीं हु, इससे कोई परेशानी भी नहीं होगी, मुझे आराम भी मिल जाएगा, यह कुछ विचार मन में चल रहा था मगर क्या करे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, वह रास्ते में सोचता हुआ जा रहा था, तभी उसकी नज़र एक साधू पर जाती है वह एक नदी में डूब रहे थे वह मदद के लिए बुला रहे थे, वह आदमी जल्दी ही नदी में जाता है, उन्हें बचा लेता है, वह कहता है की आप यहां पर नदी में कैसे गिर गए थे, साधू जी कहते है की में यहां से जा रहा था,

Read More-शूरवीर की लघु कहानी

तभी मेरा पैर फिसल गया था जिससे में नदी में जा गिरा था, मेने बचने की बहुत कोशिश भी की थी, मगर मुझे तैरना नहीं आता था जिससे ऐसा हो गया था अगर तुम यहां पर नहीं आते तो पता नहीं क्या होता, वह आदमी कहता है की में नहीं आता तो कोई और आ जाता, इसमें कोई बात नहीं है, वह साधू समझ गया था की यह बहुत अच्छा आदमी है मगर मुझे लगता है की यह कुछ परेशान है साधू जी ने पूछा की तुम बहुत परेशान नज़र आ रहे हो, में तुम्हारी कुछ मदद कर सकता हु,     

 

वह आदमी कहने लगा की आप इसमें कुछ भी नहीं कर सकते है मगर जब आप मुझसे कुछ पूछ रहे है तो में बता देता हुआ मेरी पत्नी को एक अलमारी की जरूरत है हमारे पास कोई भी अलमारी नहीं है उसे कपड़े रखने में बहुत परेशानी होती है वह इसके लिए बहुत जिद्द भी कर रही है मगर मेरे पास कुछ भी नहीं है जिससे में एक अलमारी को खरीद सकू, बस यही परेशानी है, साधू जी ने कहा की में आपकी मदद कर सकता हु, वह आदमी साधु की और देखता है, आप मेरी मदद कैसे कर सकते है,

Read More- धनवान आदमी हिंदी कहानी

साधू जी कहते है की में तुम्हे एक अलमारी दे सकता हु, मगर एक बात का ध्यान रखना की यह कोई साधरण अलमारी नहीं होगी, बल्कि यह एक अनोखी अलमारी होगी, जिससे तुम्हे काफी मदद मिलगी, मगर इस बात का ध्यान रखना होगा की यह अलमारी तुम्हारे हाथ से निकल सकती है अगर तुम इस अलमारी में बहुत ज्यादा संख्या में कपडे रखते हो, इसलिए यह बात तुम्हे याद रखनी होगी, साथ में यह अलमारी का राज सिर्फ एक ही आदमी को पता होना चाहिए

 

अगर यह बात तुम्हारी पत्नी को पता चल जाती है तो भी यह गायब हो जायेगी, और फिर कभी भी तुम्हे नहीं मिलेगी, अगर तुम इन बातो को ध्यान में रखते हो तो यह अलमारी तुम्हारे काम आएगी, वह आदमी कहता है की में इस बात का ध्यान रखूँगा, वह साधू बाबा एक छड़ी देते है और कहते है इसे जिस जगह पर रखते हो वही पर अलमारी आ जायेगी, वह आदमी बहुत खुश होता है, वह छड़ी को लेकर घर जाता है पत्नी इंतज़ार कर रही होती है और पति को देखते ही कहती है की अलमारी का कुछ इंतज़ाम हो गया है या नहीं,  

Read More-राजा और लेखक

पति कहता है की कल सुबह तक अलमारी आ जायेगी, पत्नी को कुछ समझ में नहीं आता है की पति क्या कह रहे है, वह कहते है की तुम्हे चिंता नहीं करनी चाहिए, जल्दी ही इंतज़ाम हो जाएगा, अब रात हो गयी है अब सो जाओ, सुबह तक तुम्हे अलमारी मिल जायेगी, जब सुबह होती है तो पत्नी देखती है की बहुत सुन्दर अलमारी आ जाती है, उसे देखकर ऐसा लगता है की सी अलमारी कही भी नहीं देखि होगी, पति भी उठ जाता है वह कहता है की बहुत सूंदर है यह अलमारी पत्नी कहती है की यह बहुत अच्छी है, मगर तुम इसे कहा से लाये हो,

 

पति कहता है की यह मुझे किसी ने दी है, मगर कुछ बाते याद रखनी होगी की इसमें ज्यादा कपडे नहीं रखने है, पत्नी को वह पूरी बात नहीं बता सकता था, इसलिए उसने यही कहा था, उसके बाद वह काम पर जाता है जब वह घर वापिस आता है तो अलमारी वह अपर नहीं होती है पत्नी भी काफी डरी हुई नज़र आती है पति कहता है की क्या बात है, पत्नी कहती है की वह अलमारी यहां से चली गयी है यह कैसे हो सकता है कोई अलमारी कही पर कैसे जा सकती है

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पति पूरी बात पूछता है की क्या हुआ था पत्नी कहती है की जब में उसमे कपडे लगा रही थी तो उसके बाद भी कपडे बच गए थे जब मेने सोचा की यह भी कपडे उसी में लगा लू, तो वह अलमारी मेरे कपडे यही पर छोड़ के गायब हो चुकी थी अब पति समझ चुका था की क्या हुआ था पति ने कहा की मेने तुम्हे मान किया था की इसमें अधिक कपड़े नहीं रख सकते है, पत्नी कहने लगी की यह कोई बात है अलमारी में कपड़े ही तो रखते है इसमें कम और अधिक का क्या मतलब है,

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कुछ देर बाद पति ने सब कुछ बता दिया था की उस अलमारी को वह कैसे लेकर आया था इसलिए कहते है की जितना कहा जाता है उसी में समझने की कोशिश करनी चाहिए क्योकि बहुत सी बार पूरी बात नहीं कही जाती है, New panchatantra stories in hindi, एक अनोखी अलमारी की कहानी, अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो आप इसे शेयर कर सकते है, और कमेंट करके हमे भी बता सकते है,

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मेवानिवृत्ति

सरकारी मुलाजिम के 60 साल पूरे होने पर उस के दिन पूरे हो जाते हैं. कोईर् दूसरा क्या, वे खुद ही कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के समय घूरे समान हो जाते हैं. 60 साल पूरे होने को सेवानिवृत्ति कहते हैं. उस वक्त सब से ज्यादा आश्चर्य सरकारी आदमी को ही होता है कि उस ने सेवा ही कब की थी कि उसे अब सेवानिवृत्त किया जा रहा है. यह सब से बड़ा मजाक है जोकि सरकार व सरकारी कार्यालय के सहकर्मी उस के साथ करते हैं. वह तो अंदर ही अंदर मुसकराता है कि वह पूरे सेवाकाल में मेवा खाने में ही लगा रहा.

इसे सेवाकाल की जगह मेवाकाल कहना ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होता है. सेवा किस चिडि़या का नाम है, वह पूरे सेवाकाल में अनभिज्ञ था. वह तो सेवा की एक ही चिडि़या जानता था, अपने लघु हस्ताक्षर की, जिस के ‘एक दाम, कोई मोलभाव नहीं’ की तर्ज पर दाम तय थे. एक ही दाम, सुबह हो या शाम.

आज लोगों ने जब कहा कि सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो वह बहुत देर तक दिमाग पर जोर देता रहा कि आखिर नौकरी की इस सांध्यबेला में तो याद आ जाए कि आखिरी बार कब उस ने वास्तव में सेवा की थी. जितना वह याद करता, मैमोरी लेन से सेवा की जगह मेवा की ही मैमोरी फिल्टर हो कर कर सामने आती. सो, वह शर्मिंदा हो रहा था सेवानिवृत्ति शब्द बारबार सुन कर.

सरकारी मुलाजिम को शर्म से पानीपानी होने से बचाने के लिए आवश्यक है कि 60 साल का होने पर अब उसे सेवानिवृत्त न कहा जाए? इस के स्थान पर सटीक शब्द वैसे यदि कोई हो सकता है तो वह है ‘मेवानिवृत्त’, क्योंकि वह पूरे कैरियर में मेवा खाने का काम ही तो करता है. यदि उसे यह खाने को नहीं मिलता तो यह उस के मुवक्किल ही जान सकते हैं कि वे अपनी जान भी दे दें तो भी उन के काम होते नहीं. बिना मेवा के ये निर्जीव प्राणी सरीखे दिखते हैं और जैसे ही मेवा चढ़ा, फिर वे सेवादार हो जाते हैं. वैसे, आप के पास इस से अच्छा कोईर् दूसरा शब्द हो तो आप का स्वागत है.

आज आखिरी दिन वह याद करने की कोशिश कर रहा था कि उस ने सेवाकाल में सेवा की, तो कब की? उसे याद आया कि ऐसा कुछ उस की याददाश्त में है ही नहीं जिसे वह सेवा कह सके. वह तो बस नौकरी करता रहा. एक समय तो वह मेवा ले कर भी काम नहीं कर पाने के लिए कुख्यात हो गया था. क्या करें, लोग भी बिना कहे मेवा ले कर टपक जाते थे. चाहे जीवनधारा में कुआं मंजूर करने की बात हो या कि टपक सिंचाई योजना में केस बनाने की बात, सीमांकन हो या बिजली कनैक्शन का केस, वह क्या करे, वह तो जो सामने ले आया, उसे गटक जाता था. और ऐसी आदत घर कर गई थी कि यदि कोई सेवादार बन कर न आए तो ऐसे दागदार को वह सीधे उसे फाटक का रास्ता दिखा देता था.

दिनभर में वह कौन सी सेवा करता था, उसे याद नहीं आ रहा था? सुबह एक घंटे लेट आता था, यह तो सेवा नहीं हुई. एक घंटे का समयरूपी मेवा ही हो गया. फिर आने के घंटेभर बाद ही उस को चायबिस्कुट सर्व हो जाते थे. यह भी मेवा जैसा ही हुआ. मिलने वाले घंटों बैठे रहते थे, वह अपने कंप्यूटर या मोबाइल में व्यस्त रहता था. काहे की सेवा हुई, यह भी इस का मेवा ही हुआ.

कंप्यूटर व मोबाइल में आंख गड़ाए रहना जबकि बाहर दर्जनों मिलने वाले इस के कक्ष की ओर आंख गड़ाए रहते थे कि अब बुलाएगा, तब बुलाएगा. लेकिन इसे फुरसत हो, तब भी इंतजार तो कराएगा ही कराएगा. फिर भी इसे सरकारी सेवक कहते हैं.

60 साल पूरे होने पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. कहते हैं, इस सदी का सब से बड़ा झूठ यही है, कम से कम भारत जैसे देश के लिए जहां कि सेवा नहीं मेवा उद्देश्य है. सरकारीकर्मी आपस में कहते भी हैं कि ‘सेवा देवई मेवा खूबई.’

वह बिलकुल डेढ़ बजे लंच पर निकल जाता था. चाहे दूरदराज से आए किसी व्यक्ति की बस या ट्रेन छूट रही हो, उसे उस से कोई मतलब नहीं रहता था. उसे तो अपने टाइमटेबल से मतलब रहता था. उस के लिए क्लब में सारा इंतजाम हो जाए. यही उस की सेवा थी जनता के प्रति.

सेवानिवृत्त वह नहीं हो रहा था बल्कि वह जनता हो रही थी, मातहत हो रहे थे जो उस की देखभाल में लगे रहते थे. अब उस के 60 साल के हो जाने से उन्हें निवृत्ति मिल रही थी बेगारी से. लेकिन असली सेवानिवृत्त को कोई माला नहीं पहनाता.

हर साल उसे वेतनवृद्धि चाहिए, अवकाश, नकदीकरण चाहिए, मैडिकल बैनिफिट चाहिए, एलटीसी चाहिए, नाना प्रकार के लोन चाहिए. यह उस की सेवा है कि बीचबीच में मेवा का इंतजाम है?

सरकार को गंभीरता से विचार कर के सेवानिवृत्ति की जगह मेवानिवृत्ति शब्द को मान्यता दे देनी चाहिए. वैसे, गंगू कहता भी है कि सेवानिवृत्ति से कहीं सटीक व ठीक शब्द मेवानिवृत्ति है.

 

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from कहानी – Sarita Magazine http://bit.ly/2QXUwcp

सरकारी मुलाजिम के 60 साल पूरे होने पर उस के दिन पूरे हो जाते हैं. कोईर् दूसरा क्या, वे खुद ही कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के समय घूरे समान हो जाते हैं. 60 साल पूरे होने को सेवानिवृत्ति कहते हैं. उस वक्त सब से ज्यादा आश्चर्य सरकारी आदमी को ही होता है कि उस ने सेवा ही कब की थी कि उसे अब सेवानिवृत्त किया जा रहा है. यह सब से बड़ा मजाक है जोकि सरकार व सरकारी कार्यालय के सहकर्मी उस के साथ करते हैं. वह तो अंदर ही अंदर मुसकराता है कि वह पूरे सेवाकाल में मेवा खाने में ही लगा रहा.

इसे सेवाकाल की जगह मेवाकाल कहना ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होता है. सेवा किस चिडि़या का नाम है, वह पूरे सेवाकाल में अनभिज्ञ था. वह तो सेवा की एक ही चिडि़या जानता था, अपने लघु हस्ताक्षर की, जिस के ‘एक दाम, कोई मोलभाव नहीं’ की तर्ज पर दाम तय थे. एक ही दाम, सुबह हो या शाम.

आज लोगों ने जब कहा कि सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो वह बहुत देर तक दिमाग पर जोर देता रहा कि आखिर नौकरी की इस सांध्यबेला में तो याद आ जाए कि आखिरी बार कब उस ने वास्तव में सेवा की थी. जितना वह याद करता, मैमोरी लेन से सेवा की जगह मेवा की ही मैमोरी फिल्टर हो कर कर सामने आती. सो, वह शर्मिंदा हो रहा था सेवानिवृत्ति शब्द बारबार सुन कर.

सरकारी मुलाजिम को शर्म से पानीपानी होने से बचाने के लिए आवश्यक है कि 60 साल का होने पर अब उसे सेवानिवृत्त न कहा जाए? इस के स्थान पर सटीक शब्द वैसे यदि कोई हो सकता है तो वह है ‘मेवानिवृत्त’, क्योंकि वह पूरे कैरियर में मेवा खाने का काम ही तो करता है. यदि उसे यह खाने को नहीं मिलता तो यह उस के मुवक्किल ही जान सकते हैं कि वे अपनी जान भी दे दें तो भी उन के काम होते नहीं. बिना मेवा के ये निर्जीव प्राणी सरीखे दिखते हैं और जैसे ही मेवा चढ़ा, फिर वे सेवादार हो जाते हैं. वैसे, आप के पास इस से अच्छा कोईर् दूसरा शब्द हो तो आप का स्वागत है.

आज आखिरी दिन वह याद करने की कोशिश कर रहा था कि उस ने सेवाकाल में सेवा की, तो कब की? उसे याद आया कि ऐसा कुछ उस की याददाश्त में है ही नहीं जिसे वह सेवा कह सके. वह तो बस नौकरी करता रहा. एक समय तो वह मेवा ले कर भी काम नहीं कर पाने के लिए कुख्यात हो गया था. क्या करें, लोग भी बिना कहे मेवा ले कर टपक जाते थे. चाहे जीवनधारा में कुआं मंजूर करने की बात हो या कि टपक सिंचाई योजना में केस बनाने की बात, सीमांकन हो या बिजली कनैक्शन का केस, वह क्या करे, वह तो जो सामने ले आया, उसे गटक जाता था. और ऐसी आदत घर कर गई थी कि यदि कोई सेवादार बन कर न आए तो ऐसे दागदार को वह सीधे उसे फाटक का रास्ता दिखा देता था.

दिनभर में वह कौन सी सेवा करता था, उसे याद नहीं आ रहा था? सुबह एक घंटे लेट आता था, यह तो सेवा नहीं हुई. एक घंटे का समयरूपी मेवा ही हो गया. फिर आने के घंटेभर बाद ही उस को चायबिस्कुट सर्व हो जाते थे. यह भी मेवा जैसा ही हुआ. मिलने वाले घंटों बैठे रहते थे, वह अपने कंप्यूटर या मोबाइल में व्यस्त रहता था. काहे की सेवा हुई, यह भी इस का मेवा ही हुआ.

कंप्यूटर व मोबाइल में आंख गड़ाए रहना जबकि बाहर दर्जनों मिलने वाले इस के कक्ष की ओर आंख गड़ाए रहते थे कि अब बुलाएगा, तब बुलाएगा. लेकिन इसे फुरसत हो, तब भी इंतजार तो कराएगा ही कराएगा. फिर भी इसे सरकारी सेवक कहते हैं.

60 साल पूरे होने पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. कहते हैं, इस सदी का सब से बड़ा झूठ यही है, कम से कम भारत जैसे देश के लिए जहां कि सेवा नहीं मेवा उद्देश्य है. सरकारीकर्मी आपस में कहते भी हैं कि ‘सेवा देवई मेवा खूबई.’

वह बिलकुल डेढ़ बजे लंच पर निकल जाता था. चाहे दूरदराज से आए किसी व्यक्ति की बस या ट्रेन छूट रही हो, उसे उस से कोई मतलब नहीं रहता था. उसे तो अपने टाइमटेबल से मतलब रहता था. उस के लिए क्लब में सारा इंतजाम हो जाए. यही उस की सेवा थी जनता के प्रति.

सेवानिवृत्त वह नहीं हो रहा था बल्कि वह जनता हो रही थी, मातहत हो रहे थे जो उस की देखभाल में लगे रहते थे. अब उस के 60 साल के हो जाने से उन्हें निवृत्ति मिल रही थी बेगारी से. लेकिन असली सेवानिवृत्त को कोई माला नहीं पहनाता.

हर साल उसे वेतनवृद्धि चाहिए, अवकाश, नकदीकरण चाहिए, मैडिकल बैनिफिट चाहिए, एलटीसी चाहिए, नाना प्रकार के लोन चाहिए. यह उस की सेवा है कि बीचबीच में मेवा का इंतजाम है?

सरकार को गंभीरता से विचार कर के सेवानिवृत्ति की जगह मेवानिवृत्ति शब्द को मान्यता दे देनी चाहिए. वैसे, गंगू कहता भी है कि सेवानिवृत्ति से कहीं सटीक व ठीक शब्द मेवानिवृत्ति है.

 

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December 31, 2018 at 12:07PM

सरकारी नौकरी

बचपन से उसे बता दिया गया था कि बड़ा होकर उसने सरकारी नौकरी करनी है. देव सिंह नाम था उसका बचपन से ही बहुत बड़ा ...

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बचपन से उसे बता दिया गया था कि बड़ा होकर उसने सरकारी नौकरी करनी है. देव सिंह नाम था उसका बचपन से ही बहुत बड़ा ...

ठगी का शिकार होकर जिला के लोगों ने गंवाए 40 लाख रुपये

हमीरपुर। ऑनलाइन ठगी और नौकरी के झांसे में आकर जिले के लोगों ने वर्ष 2018 में करीब 40 लाख रुपये गंवाए हैं।

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हमीरपुर। ऑनलाइन ठगी और नौकरी के झांसे में आकर जिले के लोगों ने वर्ष 2018 में करीब 40 लाख रुपये गंवाए हैं।

Sunday 30 December 2018

ड।ारात में शामिल होने जा रहे चार दोस्तों की कार असंतुलित होकर पेड़ से ...

... रेफर कर दिया है। मरने वाले की दो वर्ष पहले ही रेलवे में नौकरी लगी थी। ... नौकरी के बाद ही उसकी शादी हुई थी। वह अपने ...

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... रेफर कर दिया है। मरने वाले की दो वर्ष पहले ही रेलवे में नौकरी लगी थी। ... नौकरी के बाद ही उसकी शादी हुई थी। वह अपने ...

ड।ारात में शामिल होने जा रहे चार दोस्तों की कार असंतुलित होकर पेड़ से ...

... रेफर कर दिया है। मरने वाले की दो वर्ष पहले ही रेलवे में नौकरी लगी थी। ... नौकरी के बाद ही उसकी शादी हुई थी। वह अपने ...

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... रेफर कर दिया है। मरने वाले की दो वर्ष पहले ही रेलवे में नौकरी लगी थी। ... नौकरी के बाद ही उसकी शादी हुई थी। वह अपने ...

ड।ारात में शामिल होने जा रहे चार दोस्तों की कार असंतुलित होकर पेड़ से ...

... रेफर कर दिया है। मरने वाले की दो वर्ष पहले ही रेलवे में नौकरी लगी थी। ... नौकरी के बाद ही उसकी शादी हुई थी। वह अपने ...

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... रेफर कर दिया है। मरने वाले की दो वर्ष पहले ही रेलवे में नौकरी लगी थी। ... नौकरी के बाद ही उसकी शादी हुई थी। वह अपने ...

ड।ारात में शामिल होने जा रहे चार दोस्तों की कार असंतुलित होकर पेड़ से ...

... रेफर कर दिया है। मरने वाले की दो वर्ष पहले ही रेलवे में नौकरी लगी थी। ... नौकरी के बाद ही उसकी शादी हुई थी। वह अपने ...

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... रेफर कर दिया है। मरने वाले की दो वर्ष पहले ही रेलवे में नौकरी लगी थी। ... नौकरी के बाद ही उसकी शादी हुई थी। वह अपने ...

ड।ारात में शामिल होने जा रहे चार दोस्तों की कार असंतुलित होकर पेड़ से ...

... रेफर कर दिया है। मरने वाले की दो वर्ष पहले ही रेलवे में नौकरी लगी थी। ... नौकरी के बाद ही उसकी शादी हुई थी। वह अपने ...

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... रेफर कर दिया है। मरने वाले की दो वर्ष पहले ही रेलवे में नौकरी लगी थी। ... नौकरी के बाद ही उसकी शादी हुई थी। वह अपने ...

ONGC में नौकरी का सुनहरा मौका, इन पदों पर निकली है भर्ती

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) ने जूनियर टेक्निकल असिस्टेंट और ...

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देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) ने जूनियर टेक्निकल असिस्टेंट और ...

नौकरी | SSC ने 1720 पदों पर मांगे आवेदन, 22 जनवरी है आखिरी तारीख

शिमला (उत्तराखंड पोस्ट) पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने कुल 1720 पदों पर भर्तियों के ...

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शिमला (उत्तराखंड पोस्ट) पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने कुल 1720 पदों पर भर्तियों के ...

रेलवे में नौकरी का झांसा देकर साढ़े सात लाख ठगे

कासगंज। सोरों के ग्राम कादरबाड़ी में रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 7.60 लाख रुपये आरोपियों ने ठग लिए।

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2Qd9B4z
कासगंज। सोरों के ग्राम कादरबाड़ी में रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 7.60 लाख रुपये आरोपियों ने ठग लिए।

रेलवे में नौकरी का झांसा देकर साढ़े सात लाख ठगे

कासगंज। सोरों के ग्राम कादरबाड़ी में रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 7.60 लाख रुपये आरोपियों ने ठग लिए।

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कासगंज। सोरों के ग्राम कादरबाड़ी में रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 7.60 लाख रुपये आरोपियों ने ठग लिए।

रेलवे में नौकरी का झांसा देकर साढ़े सात लाख ठगे

कासगंज। सोरों के ग्राम कादरबाड़ी में रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 7.60 लाख रुपये आरोपियों ने ठग लिए।

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कासगंज। सोरों के ग्राम कादरबाड़ी में रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 7.60 लाख रुपये आरोपियों ने ठग लिए।

रेलवे में नौकरी का झांसा देकर साढ़े सात लाख ठगे

कासगंज। सोरों के ग्राम कादरबाड़ी में रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 7.60 लाख रुपये आरोपियों ने ठग लिए।

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कासगंज। सोरों के ग्राम कादरबाड़ी में रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 7.60 लाख रुपये आरोपियों ने ठग लिए।

रेलवे में नौकरी का झांसा देकर साढ़े सात लाख ठगे

कासगंज। सोरों के ग्राम कादरबाड़ी में रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 7.60 लाख रुपये आरोपियों ने ठग लिए।

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कासगंज। सोरों के ग्राम कादरबाड़ी में रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 7.60 लाख रुपये आरोपियों ने ठग लिए।

Tag: साइकोथैरेपिस्ट सरकारी नौकरी 2019

इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी गुहाटी असम ने साइकोथैरेपिस्ट के रिक्त पदों को भरने के लिए योग्य एंव अनुभवी ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2ViRQ7J
इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी गुहाटी असम ने साइकोथैरेपिस्ट के रिक्त पदों को भरने के लिए योग्य एंव अनुभवी ...

केंद्र सरकार ने प्राइवेट नौकरी करने वालों को दी बड़ी खुशखबरी।

युवाओं के रोजगार को नजर में रखते हुए केंद्र सरकार ने ऐसे युवा जो प्राइवेट नौकरी करते हैं उनको एक खुशखबरी दी है।

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युवाओं के रोजगार को नजर में रखते हुए केंद्र सरकार ने ऐसे युवा जो प्राइवेट नौकरी करते हैं उनको एक खुशखबरी दी है।

नौकरी के नाम पर महिला से किया दुष्कर्म, बच्चों को जान से मारने की धमकी ...

इंदौर मे एक बार फिर शर्मशार कर देने वाली घटना सामने आई है। महिला को नौकरी का झासा देकर कई बार बालात्कार किया ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2AotGQk
इंदौर मे एक बार फिर शर्मशार कर देने वाली घटना सामने आई है। महिला को नौकरी का झासा देकर कई बार बालात्कार किया ...

नौकरी के नाम पर महिला से किया दुष्कर्म, बच्चों को जान से मारने की धमकी ...

इंदौर मे एक बार फिर शर्मशार कर देने वाली घटना सामने आई है। महिला को नौकरी का झासा देकर कई बार बालात्कार किया ...

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इंदौर मे एक बार फिर शर्मशार कर देने वाली घटना सामने आई है। महिला को नौकरी का झासा देकर कई बार बालात्कार किया ...

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इंदौर मे एक बार फिर शर्मशार कर देने वाली घटना सामने आई है। महिला को नौकरी का झासा देकर कई बार बालात्कार किया ...

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नौकरी के नाम पर महिला से किया दुष्कर्म, बच्चों को जान से मारने की धमकी ...

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इंदौर मे एक बार फिर शर्मशार कर देने वाली घटना सामने आई है। महिला को नौकरी का झासा देकर कई बार बालात्कार किया ...

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इंदौर मे एक बार फिर शर्मशार कर देने वाली घटना सामने आई है। महिला को नौकरी का झासा देकर कई बार बालात्कार किया ...

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इंदौर मे एक बार फिर शर्मशार कर देने वाली घटना सामने आई है। महिला को नौकरी का झासा देकर कई बार बालात्कार किया ...

वार्षिक राषिफल 2019: जानें आपके लिए कैसा रहेगा नया साल

1 मई बाद नौकरी परिवर्तन के अवसर मिल सकते हैं। कार्यक्षेत्र में परिवर्तन भी संभव है। यात्राएं अधिक होंगी। आय में ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2Sv8uPK
1 मई बाद नौकरी परिवर्तन के अवसर मिल सकते हैं। कार्यक्षेत्र में परिवर्तन भी संभव है। यात्राएं अधिक होंगी। आय में ...

Rajasthan Patrika 30/12/2018

30/12/2018 | #Rajasthan_Patrika #Patrika_News Make sure you subscribe and never miss a new video: https://goo.gl/aHDqhh Rajasthan Election ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2Ax5r2L
30/12/2018 | #Rajasthan_Patrika #Patrika_News Make sure you subscribe and never miss a new video: https://goo.gl/aHDqhh Rajasthan Election ...

नौकरी के नाम पर ठगी करने वाला गिरोह हुआ गिरफ्तार

अटरिया सीतापुर थाना क्षेत्र में रेलवे विभाग में नौकरी देने के नाम पर 475 बेरोजगारों को ठगने वाली संस्था के ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2SpQruc
अटरिया सीतापुर थाना क्षेत्र में रेलवे विभाग में नौकरी देने के नाम पर 475 बेरोजगारों को ठगने वाली संस्था के ...

नौकरी के नाम पर ठगी करने वाला गिरोह हुआ गिरफ्तार

अटरिया सीतापुर थाना क्षेत्र में रेलवे विभाग में नौकरी देने के नाम पर 475 बेरोजगारों को ठगने वाली संस्था के ...

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अटरिया सीतापुर थाना क्षेत्र में रेलवे विभाग में नौकरी देने के नाम पर 475 बेरोजगारों को ठगने वाली संस्था के ...

नौकरी के नाम पर ठगी करने वाला गिरोह हुआ गिरफ्तार

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अटरिया सीतापुर थाना क्षेत्र में रेलवे विभाग में नौकरी देने के नाम पर 475 बेरोजगारों को ठगने वाली संस्था के ...

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अटरिया सीतापुर थाना क्षेत्र में रेलवे विभाग में नौकरी देने के नाम पर 475 बेरोजगारों को ठगने वाली संस्था के ...

नौकरी के नाम पर ठगी करने वाला गिरोह हुआ गिरफ्तार

अटरिया सीतापुर थाना क्षेत्र में रेलवे विभाग में नौकरी देने के नाम पर 475 बेरोजगारों को ठगने वाली संस्था के ...

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अटरिया सीतापुर थाना क्षेत्र में रेलवे विभाग में नौकरी देने के नाम पर 475 बेरोजगारों को ठगने वाली संस्था के ...

Tag: ड्राफ्टमैन सरकारी नौकरी 2019

उत्तर प्रदेश सबऑर्डिनेट सर्वि सलैक्शन कमीशन लखनऊ ने ड्राइवर, ड्राफ्टमैन के रिक्त पदों को भरने के लिए योग्य एंव ...

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उत्तर प्रदेश सबऑर्डिनेट सर्वि सलैक्शन कमीशन लखनऊ ने ड्राइवर, ड्राफ्टमैन के रिक्त पदों को भरने के लिए योग्य एंव ...

31 दिसंबर 2018 का राशिफल और उपाय...

नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा। व्यवसाय ठीक-ठीक चलेगा। आय में वृद्धि होगी। चोट व रोग से बाधा संभव है।

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नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा। व्यवसाय ठीक-ठीक चलेगा। आय में वृद्धि होगी। चोट व रोग से बाधा संभव है।

कर्क राशि वालों के लिए कैसा रहेगा नया साल, नौकरी-व्यापार में कितनी ...

करियर- आपको नौकरी और व्यवसाय में तरक्‍की मिलेगी। नौकरी में आगे बढ़ने के कई मौके मिल सकते हैं। ऑफिस में आपके ...

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करियर- आपको नौकरी और व्यवसाय में तरक्‍की मिलेगी। नौकरी में आगे बढ़ने के कई मौके मिल सकते हैं। ऑफिस में आपके ...

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करियर- आपको नौकरी और व्यवसाय में तरक्‍की मिलेगी। नौकरी में आगे बढ़ने के कई मौके मिल सकते हैं। ऑफिस में आपके ...

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कर्क राशि वालों के लिए कैसा रहेगा नया साल, नौकरी-व्यापार में कितनी ...

करियर- आपको नौकरी और व्यवसाय में तरक्‍की मिलेगी। नौकरी में आगे बढ़ने के कई मौके मिल सकते हैं। ऑफिस में आपके ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2EVd2Lj
करियर- आपको नौकरी और व्यवसाय में तरक्‍की मिलेगी। नौकरी में आगे बढ़ने के कई मौके मिल सकते हैं। ऑफिस में आपके ...

कर्क राशि वालों के लिए कैसा रहेगा नया साल, नौकरी-व्यापार में कितनी ...

करियर- आपको नौकरी और व्यवसाय में तरक्‍की मिलेगी। नौकरी में आगे बढ़ने के कई मौके मिल सकते हैं। ऑफिस में आपके ...

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करियर- आपको नौकरी और व्यवसाय में तरक्‍की मिलेगी। नौकरी में आगे बढ़ने के कई मौके मिल सकते हैं। ऑफिस में आपके ...

नौकरी | रेलवे में निकली बंपर भर्ती, पूरी जानकारी यहां

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) रेलवे में नौकरी करने के इच्छुक युवाओं के लिए अच्छा मौका है रेलवे ने जूनियर ...

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नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) रेलवे में नौकरी करने के इच्छुक युवाओं के लिए अच्छा मौका है रेलवे ने जूनियर ...

नौकरी | रेलवे में निकली बंपर भर्ती, पूरी जानकारी यहां

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) रेलवे में नौकरी करने के इच्छुक युवाओं के लिए अच्छा मौका है रेलवे ने जूनियर ...

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नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) रेलवे में नौकरी करने के इच्छुक युवाओं के लिए अच्छा मौका है रेलवे ने जूनियर ...

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नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) रेलवे में नौकरी करने के इच्छुक युवाओं के लिए अच्छा मौका है रेलवे ने जूनियर ...

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नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) रेलवे में नौकरी करने के इच्छुक युवाओं के लिए अच्छा मौका है रेलवे ने जूनियर ...

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नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) रेलवे में नौकरी करने के इच्छुक युवाओं के लिए अच्छा मौका है रेलवे ने जूनियर ...

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पृष्ठ - ViewJobDetails

नौकरी आईडी 13O84-2212530201 | सेलरी: निर्दिष्ट नहीं किया गया | रिक्ति पदों की संख्या: 1 या अधिक | प्रकाशित किया ...

from Google Alert - नौकरी http://bit.ly/2CGSi8K
नौकरी आईडी 13O84-2212530201 | सेलरी: निर्दिष्ट नहीं किया गया | रिक्ति पदों की संख्या: 1 या अधिक | प्रकाशित किया ...

शिक्षा विभाग: एक पैन नंबर पर तीन लोग कर रहे नौकरी

अब शिक्षा विभाग में एक ही पैन नंबर और डाक्यूमेंट के सहारे तीन लोगों के नौकरी करने का मामला सामने आया है।

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अब शिक्षा विभाग में एक ही पैन नंबर और डाक्यूमेंट के सहारे तीन लोगों के नौकरी करने का मामला सामने आया है।

शिक्षा विभाग: एक पैन नंबर पर तीन लोग कर रहे नौकरी

अब शिक्षा विभाग में एक ही पैन नंबर और डाक्यूमेंट के सहारे तीन लोगों के नौकरी करने का मामला सामने आया है।

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अब शिक्षा विभाग में एक ही पैन नंबर और डाक्यूमेंट के सहारे तीन लोगों के नौकरी करने का मामला सामने आया है।

शिक्षक के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज, जानिए पूरा मामला

रुड़की, जेएनएन। फर्जी प्रमाण पत्रों से शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल करने वाले एक और शिक्षक के खिलाफ गंगनहर ...

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रुड़की, जेएनएन। फर्जी प्रमाण पत्रों से शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल करने वाले एक और शिक्षक के खिलाफ गंगनहर ...

शिक्षक के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज, जानिए पूरा मामला

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शिक्षक के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज, जानिए पूरा मामला

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शिक्षक के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज, जानिए पूरा मामला

रुड़की, जेएनएन। फर्जी प्रमाण पत्रों से शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल करने वाले एक और शिक्षक के खिलाफ गंगनहर ...

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रेलवे में नौकरी! कई पदों पर निकली भर्ती, 35 हजार होगी सैलरी

रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड ने हाल ही में जूनियर इंजीनियर पदों के लिए भर्ती निकाली थी, जिसके लिए आवेदन करने की ...

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रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड ने हाल ही में जूनियर इंजीनियर पदों के लिए भर्ती निकाली थी, जिसके लिए आवेदन करने की ...

Tag: एमएनएनआईटी सरकारी नौकरी 2019

मोतीलाल नेहरु नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी इलाहाबाद उत्तर प्रदेश ने विजिटिंग फैक्लटी के रिक्त पदों को ...

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मोतीलाल नेहरु नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी इलाहाबाद उत्तर प्रदेश ने विजिटिंग फैक्लटी के रिक्त पदों को ...

नौकरी के साथ घर पर भी कर सकते हैं कमाई, इन साइट्स के जरिए बन सकते हैं ...

जब युवाओं पर जिम्मेदारी आ जाती है तो सिर्फ नौकरी से मिलने वाली सैलरी से काम नहीं चलता। Read latest hindi news ...

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जब युवाओं पर जिम्मेदारी आ जाती है तो सिर्फ नौकरी से मिलने वाली सैलरी से काम नहीं चलता। Read latest hindi news ...

नौकरी के साथ घर पर भी कर सकते हैं कमाई, इन साइट्स के जरिए बन सकते हैं ...

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नौकरी के साथ घर पर भी कर सकते हैं कमाई, इन साइट्स के जरिए बन सकते हैं ...

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नौकरी के साथ घर पर भी कर सकते हैं कमाई, इन साइट्स के जरिए बन सकते हैं ...

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नौकरी के साथ घर पर भी कर सकते हैं कमाई, इन साइट्स के जरिए बन सकते हैं ...

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तुला राशिफल 2019

साल 2019 की शुरुआत बस कुछ ही दिनों में होने वाली हैं और आने वाले इस नए साल में बहुत सारे लोग काफी उम्मीदे लगा ...

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साल 2019 की शुरुआत बस कुछ ही दिनों में होने वाली हैं और आने वाले इस नए साल में बहुत सारे लोग काफी उम्मीदे लगा ...

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Tag: बीएससी पास सरकारी नौकरी 2019

आन्ध्र प्रदेश लोक सेवा आयोग ने एग्रीकल्चर ऑफिसर के रिक्त पदों को भरने के लिए योग्य एंव युवा उम्मीदवारों से ...

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आन्ध्र प्रदेश लोक सेवा आयोग ने एग्रीकल्चर ऑफिसर के रिक्त पदों को भरने के लिए योग्य एंव युवा उम्मीदवारों से ...

Tag: बीएचईएल सरकारी नौकरी 2019

भारत हैवी इलैक्ट्रीकल लिमिटेड उत्तराखण्ड ने ट्रेड अप्रैंटिक्स के रिक्त पदों को भरने के लिए योग्य एंव युवा ...

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भारत हैवी इलैक्ट्रीकल लिमिटेड उत्तराखण्ड ने ट्रेड अप्रैंटिक्स के रिक्त पदों को भरने के लिए योग्य एंव युवा ...