Tuesday 31 August 2021

नौकरी पर जाने को निकले युवक की सड़क दुर्घटना में मौत

-दिल्ली में करते थे प्राइवेट नौकरी, ... संवाद सूत्र, चपुन्ना: नौकरी पर जाने के लिए घर से ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2Y5nbAE
-दिल्ली में करते थे प्राइवेट नौकरी, ... संवाद सूत्र, चपुन्ना: नौकरी पर जाने के लिए घर से ...

नौकरी दिलवाने के नाम पर लाखों रुपये की ठगी करने वाला साइबर अपराधी दिल्ली से गिरफ्तार - khabredinraat

पुलिस उपायुक्त (अपराध) दिगंत आनंद ने बताया कि साइबर थाना पुलिस ने नौकरी दिलवाने के नाम पर ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3gPSDJN
पुलिस उपायुक्त (अपराध) दिगंत आनंद ने बताया कि साइबर थाना पुलिस ने नौकरी दिलवाने के नाम पर ...

पहले सिफारिश से मिलती थी नौकरी, अब मेरिट से : ग्रोवर - Rohtak News - अमर उजाला

एक गरीब परिवार का बच्चा भी उच्च पद पर नौकरी पा रहा है। पहले नेताओं के परिवार के लोग और ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3ysOIst
एक गरीब परिवार का बच्चा भी उच्च पद पर नौकरी पा रहा है। पहले नेताओं के परिवार के लोग और ...

लाइव अपडेट सरकारी नौकरी-परिणाम 2021 - RemoNews

लाइव अपडेट सरकारी नौकरी-परिणाम 2021: नवीनतम सरकारी नौकरी, सरकारी नौकरी अधिसूचना, ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3yxSiBx
लाइव अपडेट सरकारी नौकरी-परिणाम 2021: नवीनतम सरकारी नौकरी, सरकारी नौकरी अधिसूचना, ...

Inspiring Story: लॉकडाउन में नौकरी छूटी, पपीते की जैविक खेती को बनाया इनकम का नया हथियार ...

उसने एक प्रसिद्ध फार्मा कम्पनी (Pharma Company) में नौकरी छोड़ जैविक पद्धति से खेती (Organic Farming) ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3DtUXjr
उसने एक प्रसिद्ध फार्मा कम्पनी (Pharma Company) में नौकरी छोड़ जैविक पद्धति से खेती (Organic Farming) ...

हाई कोर्ट में नौकरी दिलाने के नाम पर सवा चार लाख की ठगी करने वाला गिरफ्तार

नौकरी के लिए साढ़े चार लाख रुपये जज को देने होंगे। गुरप्रीत ने विभिन्न तारीखों को ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2WGMEA8
नौकरी के लिए साढ़े चार लाख रुपये जज को देने होंगे। गुरप्रीत ने विभिन्न तारीखों को ...

Morena News: रामपुर सेमना और झोंड के रोजगार सहायक नौकरी से बर्खास्त - Naidunia.com

... पंचायतों के रोजगार सहायकों की संविदा सेवाएं समाप्त कर नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3zAgiW2
... पंचायतों के रोजगार सहायकों की संविदा सेवाएं समाप्त कर नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।

12वीं पास के लिए रेलवे में नौकरी का मौका, 92 हजार तक मिलेगी सैलरी

PATNA : रेलवे में 12वीं पास लोगों के लिए नौकरी का सुनहरा मौका है. रेलवे रिक्रूटमेंट सेल ने ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2WzM33l
PATNA : रेलवे में 12वीं पास लोगों के लिए नौकरी का सुनहरा मौका है. रेलवे रिक्रूटमेंट सेल ने ...

खट्टर ने अडाना को ढाई करोड़ रूपये पुरस्कार, सरकारी नौकरी देने की घोषणा की - Navbharat Times

चंडीगढ, 31 अगस्त (भाषा) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तोक्यो पैरालम्पिक में ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3ByxlbF
चंडीगढ, 31 अगस्त (भाषा) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तोक्यो पैरालम्पिक में ...

Fraud Basis Of Job - रेलवे में नौकरी लगवाने के नाम पर युवकों से चार लाख की ठगी - Raebareli News

लालगंज (रायबरेली)। रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर जालसाज ने कई युवकों से करीब चार लाख ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/38qFQce
लालगंज (रायबरेली)। रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर जालसाज ने कई युवकों से करीब चार लाख ...

इमरान सरकार ने डेढ़ लाख कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, आवामी आवाज़ की रिपोर्ट में दावा - Hindustan

इमरान खान सरकार ने करीब डेढ़ लाख कर्मचारियों को एक साथ नौकरी से हटा दिया है।

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3mMzwnK
इमरान खान सरकार ने करीब डेढ़ लाख कर्मचारियों को एक साथ नौकरी से हटा दिया है।

साइबर अपराध मामले में कुरुक्षेत्र के युवक को साथ ले गई जम्मू पुलिस, आनलाइन नौकरी लगवाने

आनलाइन नौकरी दिलाने के नाम पर युवती को दिया झांसा। कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। साइबर ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3DDk1nW
आनलाइन नौकरी दिलाने के नाम पर युवती को दिया झांसा। कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। साइबर ...

Jamshedpur: नौकरी की मांग को लेकर एक परिवार ने UCIL की माइंस की मुख्य सड़क को घंटों रखा जाम ...

जिसमें कहा गया है कि महेश्वर हादसा द्वारा बिना सूचना दिए नौकरी की अनुचित मांग को लेकर ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3t1zx8v
जिसमें कहा गया है कि महेश्वर हादसा द्वारा बिना सूचना दिए नौकरी की अनुचित मांग को लेकर ...

बिहार में 15 लाख लोगों ने गंवाई नौकरी, तेजस्वी बोले- NDA सरकार ने सब बर्बाद कर दिया - ETV Bharat

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक रिपोर्ट को शेयर कर दावा किया है कि बिहार में ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3t2FrWM
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक रिपोर्ट को शेयर कर दावा किया है कि बिहार में ...

Hindustan on Twitter: "#Pakistan: इमरान सरकार ने डेढ़ लाख कर्मचारियों को नौकरी से निकाला https://t ...

#Pakistan: इमरान सरकार ने डेढ़ लाख कर्मचारियों को नौकरी से ...

from Google Alert - नौकरी https://www.google.com/url?rct=j&sa=t&url=https://twitter.com/Live_Hindustan/status/1432736689378656258&ct=ga&cd=CAIyGjMzNDQ3MGZmMmQyN2NkZGU6Y29tOmhpOlVT&usg=AFQjCNFZMOZ_EoeEvaC1CrodY_hkYyct-A
#Pakistan: इमरान सरकार ने डेढ़ लाख कर्मचारियों को नौकरी से ...

इस मंदी में नौकरी कैसे प्राप्त करें? - सरकारी नौकरियां

लॉकडाउन के बाद नौकरी. जब नौकरियां कम होती हैं, तो उन उद्योगों को लक्षित करें जो तेजी से ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3kEhOQx
लॉकडाउन के बाद नौकरी. जब नौकरियां कम होती हैं, तो उन उद्योगों को लक्षित करें जो तेजी से ...

हरियाणा के लाठीचार्ज किसान को किसानों ने दी श्रद्धांजलि, मुआवजे और नौकरी की मांग - News18 ...

पंजाब सरकार आंदोलन में मारे गए 220 किसान परिवारों को नौकरी देगी: राज कुमार वेरका दिल्ली और ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3jxKTxW
पंजाब सरकार आंदोलन में मारे गए 220 किसान परिवारों को नौकरी देगी: राज कुमार वेरका दिल्ली और ...

करोड़ों की नौकरी छोड़ जर्मनी की मैटिना बन गई हिंदू साध्वी ॥ भगवा पहन करती हैं सनातन धर्म का ...

भगवा पहन करती हैं सनातन धर्म का प्रचार you can see in the table, for the download link करोड़ों की नौकरी छोड़ ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3jtweUm
भगवा पहन करती हैं सनातन धर्म का प्रचार you can see in the table, for the download link करोड़ों की नौकरी छोड़ ...

10वीं के लिए चण्डीगढ में नौकरी पाने का अच्छा अवसर है। ग्रुप सी के पदों पर

अगर आपने 10वीं-12वीं पास कर ली है और देश सेवा करने का जजबा रखते हैं तो आपके लिए बहुत अच्छा ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3t394qS
अगर आपने 10वीं-12वीं पास कर ली है और देश सेवा करने का जजबा रखते हैं तो आपके लिए बहुत अच्छा ...

GOVT Jobs: 10वीं और 12वीं पास करें यहां आवोदन, सरकारी नौकरी के लिए बढ़िया मौका | good ...

उत्तर प्रदेश सरकार के आंगनवाड़ी में विभिन्न जिलों के लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्री और ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3t0KZ4e
उत्तर प्रदेश सरकार के आंगनवाड़ी में विभिन्न जिलों के लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्री और ...

''किसानों का सिर फुड़वाने वाला मजिस्ट्रेट नौकरी लायक नहीं, माफी मांगे सीएम खट्टर'' : गवर्नर सत्यपाल ...

और उस अफसर को नौकरी से निकालें.” मेघालय के गवर्नर और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे सत्यपाल ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3zyg4yp
और उस अफसर को नौकरी से निकालें.” मेघालय के गवर्नर और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे सत्यपाल ...

Telangana Mahila Sarkari Naukri | तेलंगाना महिला सरकारी नौकरी - Current Gk Quiz

एवं नौकरी से संबंधित आयु सीमा, विभाग का नाम ,शैक्षणिक योग्यता, पद का नाम ,आवेदन करने की ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3DySKD8
एवं नौकरी से संबंधित आयु सीमा, विभाग का नाम ,शैक्षणिक योग्यता, पद का नाम ,आवेदन करने की ...

अरब में 5 सितंबर से 100 फीसदी क्षमता के साथ नौकरी पर लौटेंगे कर्मचारी, देखिये नए नियम हुए लागू ...

अरब में नौकरी करने वालों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। UAE सरकार के शाही आदेश के मुताबिक, ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2WyRC1X
अरब में नौकरी करने वालों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। UAE सरकार के शाही आदेश के मुताबिक, ...

EPFO Withdrawal: PF के पैसे निकालने के लिए ऐसे करें क्लेम, ये है सबसे आसान ऑनलाइन प्रोसेस ...

नौकरी छोड़ने का कारण भरें. ड्रॉप डाउन मेन्यू से केवल पीएफ निकासी (फॉर्म 19) चुनें. मैं ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3DvSvJ6
नौकरी छोड़ने का कारण भरें. ड्रॉप डाउन मेन्यू से केवल पीएफ निकासी (फॉर्म 19) चुनें. मैं ...

कभी स्कूल में टीचर की नौकरी करते थे राजकुमार राव, आज एक फिल्म

RajKummar Rao Facts: कभी स्कूल में टीचर की नौकरी करते थे राजकुमार राव, आज एक फिल्म के लिए लेते ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3gMXYl5
RajKummar Rao Facts: कभी स्कूल में टीचर की नौकरी करते थे राजकुमार राव, आज एक फिल्म के लिए लेते ...

Horoscope Today, 31 August 2021: मेष राशि वालोंं के लिए आज का दिन शानदार, जानें अन्‍य राशियों का हाल

नौकरी में तरक्की मिल सकती है। किसी यात्रा को लेकर थोड़ा परेशान रहेंगे।

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3Dt5ATH
नौकरी में तरक्की मिल सकती है। किसी यात्रा को लेकर थोड़ा परेशान रहेंगे।

ऑनलाइन फ्रॉड से रहें सावधान, खुद को रखें सतर्क : डीसीपी - Panchkula News - अमर उजाला

उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि पार्ट टाइम नौकरी के ऑफर और वर्क फ्रॉम होम के नाम ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3zywUNI
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि पार्ट टाइम नौकरी के ऑफर और वर्क फ्रॉम होम के नाम ...

Ghaziabad News - ऑनलाइन गेम और नौकरी के नाम पर एनसीआर के ढाई सौ लोगों से ठगी - अमर उजाला

पुलिस की मानें तो ऑनलाइन गेम और घर बैठे नौकरी का झांसा देकर ठगी करने वाले गैंग में ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3jBiPtD
पुलिस की मानें तो ऑनलाइन गेम और घर बैठे नौकरी का झांसा देकर ठगी करने वाले गैंग में ...

रास न आने पर 300 बीसी सखियों ने छोड़ी नौकरी

रास न आने पर करीब 300 बीसी सखियों ने नौकरी छोड़ दी। प्रशिक्षण लेने के लिए कई बार बुलाया ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3gMKWE4
रास न आने पर करीब 300 बीसी सखियों ने नौकरी छोड़ दी। प्रशिक्षण लेने के लिए कई बार बुलाया ...

खिलाड़ियों पर हरियाणा सरकार की धनवर्षा: सुमित को छह और योगेश को मिलेंगे चार करोड़, सरकारी नौकरी ...

नकद इनाम राशि के अलावा सरकार दोनों खिलाड़ियों को नौकरी भी देगी। विज्ञापन. मनोहर लाल और ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3jwogd4
नकद इनाम राशि के अलावा सरकार दोनों खिलाड़ियों को नौकरी भी देगी। विज्ञापन. मनोहर लाल और ...

नौकरी मुआवजा को लेकर ग्रामीणों ने जाम किया रेलवे ट्रैक

मोर्चा के लोर्ग ने बताया कि पिपरवार राजधर साइडिंग में उनकी जमीन चली गई है। पर, आजतक नौकरी ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3n1lsaf
मोर्चा के लोर्ग ने बताया कि पिपरवार राजधर साइडिंग में उनकी जमीन चली गई है। पर, आजतक नौकरी ...

Paralympics: गोल्ड मेडलिस्ट सुमित को 6 करोड़ और योगेश को 4 करोड़ रुपए व सरकारी नौकरी देगा ... - NDTV

इसके साथ ही दोनों को हरियाणा सरकार सरकारी नौकरी भी देगी. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2V3L7mY
इसके साथ ही दोनों को हरियाणा सरकार सरकारी नौकरी भी देगी. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर ...

भैंस चराई, प्राइवेट नौकरी की और फिर शादी के खिलाफ की बगावत! तब जाकर IAS बनीं - Jansatta

भैंस चराने से लेकर वनमती को खर्चे के लिए प्राइवेट नौकरी भी करनी पड़ी। शादी की जब बात आई ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3sZENtb
भैंस चराने से लेकर वनमती को खर्चे के लिए प्राइवेट नौकरी भी करनी पड़ी। शादी की जब बात आई ...

अंतिल को छह करोड़, कथुनिन्या को चार करोड़, सरकारी नौकरी भी - UNI (News Agency)

श्री खट्टर ने इन खेलाें चक्का फैंक स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाले राज्य के एथलीट योगेश ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3gJIluQ
श्री खट्टर ने इन खेलाें चक्का फैंक स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाले राज्य के एथलीट योगेश ...

Monday 30 August 2021

झूठी शान : निर्मला टीवी की कौन सी बात सुनकर घबरा गई थी

लेखक- हेमंत कुमार

सवेरेसवेरे किचन में नाश्ता बना रही निर्मला के कानों में आवाज पड़ी, ‘‘भई, आजकल तो लड़कियां क्या लड़के भी महफूज नहीं हैं. एक महीने में अपने शहर से 350 बच्चे गायब…’’ आवाज हाल में बैठ कर समाचार देख रहे निर्मला के पति परेश की थी.

निर्मला परेश को नाश्ता दे कर बाहर की ओर बढ़ गई. परेश को मालूम था कि उसे बच्चों की स्कूल की फीस जमा करवाने के लिए जाना है, फिर भी एक बार फर्ज के तौर पर ध्यान से जाने की हिदायत देते हुए नाश्ता करने में जुट गए.

इस पर निर्मला ने भी आमतौर पर दिए जाने वाला ही जवाब देते हुए कहा, ‘‘जी हां…’’ और बाहर का गरम मौसम देख कर बिना छाता लिए ही घर से निकल गई.

ये भी पढ़ें- Short Story : सही राह

निर्मला आमतौर पर रिकशे से ही सफर किया करती, क्योंकि उस के पास और कोई साधन भी न था. स्कूल में सारे पेरेंट्स तहजीब से खुद ही सार्वजनिक दूरी बनाए अपनीअपनी कुरसियों पर बैठे अपना नंबर आने का इंतजार कर रहे थे.

निर्मला का नंबर सब से आखिर में था. उस के अकेलेपन की बोरियत को मिटाने के लिए न जाने कहां से उस की पुरानी सहेली मेनका भी उसी वक्त अपने बेटे की फीस जमा कराने वहां आ टपकी.

चेहरे पर मास्क की वजह से निर्मला ने उसे पहचाना नहीं, पर मेनका ने उस के पहनावे और शरीर की बनावट से उसे झट से पहचान लिया और दोनों में सामान्य हायहैलो के बाद लंबी बातचीत शुरू हो गई. दोनों सहेली एकदूसरे से दोबारा पूरे 5 महीने बाद मिल रही थीं.

यों तो दोनों का आपस में एकदूसरे से दूरदूर तक कोई संबंध नहीं था, पर दोनों के बच्चे एक ही जमात में पढ़ते थे. घर पास होने की वजह से निर्मला और मेनका की मुलाकात कई बार रास्ते में एकदूसरे से हो जाया करती.

ये भी पढ़ें- Short Story: इश्क का भूत

धीरेधीरे बच्चों की दोस्ती निर्मला और मेनका तक आ गई. दोनों ही अकसर छुट्टी के समय अपने बच्चों को लेने आते, तब उन की भी मुलाकात हो जाया करती. दोनों एक ही रिकशा शेयरिंग पर लेते, जिस पर उन के बच्चे पीछे बैठ जाया करते.

निर्मला ने मेनका को देख कर खुशी से मुसकराते हुए कहा, ‘‘अरे, ये मास्क भी न, मैं तो बिलकुल ही पहचान ही नहीं पाई तुम्हें.’’

पर, असलियत तो यह थी कि वह उस के पहनावे से धोखा खा गई थी, क्योंकि जिस मेनका के लिबास पुराने से दिखने वाले और कई दिनों तक एक ही जैसे रहते. वह आज एक महंगी सी नई साड़ी और कई साजोसिंगार के सामान से लदी हुई थी. इस के चलते उसे यकीन ही नहीं हुआ कि यह मेनका हो सकती?है.

निर्मला ने उस की महंगी साड़ी को हाथ से छूने की चाह से जैसे ही उस की तरफ हाथ बढ़ाया, मेनका ने उसे टोकते हुए कहा, ‘‘अरे भाभी, ये क्या कर रही हो? हाथ मत लगाओ.’’

भले ही मेनका ने सार्वजनिक दूरी को जेहन में रख कर यह बात कही हो, पर उस के शब्द थोड़े कठोर थे, जिस का निर्मला ने यह मतलब निकाला कि ‘तुम्हारी औकात नहीं इस साड़ी को छूने की, इसलिए दूर ही रहो’.

निर्मला ने उस से चिढ़ते हुए पूछा, ‘‘यह साड़ी कहां से…? मेरा मतलब, इतनी महंगी साड़ी पहन कर स्कूल में आने की कोई वजह…?’’

‘‘महंगी… यह तुम्हें महंगी दिखती है. अरे, ऐसी साडि़यां तो मैं ने रोज पहनने के लिए ले रखी हैं,’’ मेनका ने बड़े घमंड में कहा.

निर्मला अंदर ही अंदर कुढ़ने लगी. उसे विश्वास नहीं हुआ कि ये वही मेनका हैं, जो अकसर मेरे कपड़ों की तारीफ करती रहती थी और खुद के ऊपर दूसरे लोगों से हमदर्दी की भावना रखती थी. ये तो कुछ महीनों पहले उम्र से ज्यादा बूढ़ी और बेकार दिखती थी, पर आज अचानक ही इस के चेहरे पर इतनी चमक और रौनक के पीछे क्या वजह है?

ये भी पढें – तिमोथी : क्या थी तिमोथी की कहानी

पहले तो अपने पति के कुछ काम न करने की मुझ से शिकायत करती थी, पर आज यह अचानक से चमकधमक कैसे? हां, हो सकता है कि विजेंदर भाई को कोई नौकरी मिल गई हो. हो सकता?है कि उन्होंने कोई धंधा शुरू किया हो, जिस में उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ हो या कोई लौटरी लग गई हो तो क्या…?

मैं इतना क्यों सोचने लगी? अब हर किसी की किस्मत एक बार जरूर चमकती है, उस में मुझे इतनी जलन क्यों हो रही है?

जिन के पास पहले पैसा नहीं, जरूरी थोड़े ही न है कि उन के पास कभी पैसा आएगा भी नहीं. भूतकाल की अपनी ही उधेड़बुन में कोई निर्मला को मेनका उस के मुंह के सामने एक चुटकी बजा कर वर्तमान में ले कर आई और कहा, ‘‘अरे भई, कहां खो गईं तुम. लाइन तो आगे भी निकल गई.’’

निर्मला और मेनका दोनों एकएक कुरसी आगे बढ़ गए.

‘‘वैसे, एक बात पूछूं मेनका, तुम्हारी कोई लौटरी वगैरह लगी है क्या?’’ निर्मला ने बड़े ही सवालिया अंदाज में पूछा, जिस का मेनका ने बड़े ही उलटे किस्म का जवाब दिया, ‘‘क्यों, लौटरी वाले ही ज्यादा पैसा कमाते हैं क्या? अब उन्होंने मेहनत के साथसाथ दिमाग लगाया है, तो पैसा तो आएगा ही न?

‘‘अब परेश भाई को ही देख लो, दिनभर अपने साहब के कहने पर कलम घिसते हैं, ऊपर से उन की खरीखोटी सुनते हैं, पूरे दिन खच्चरों की तरह दफ्तर में खटते हैं, फिर भी रहेंगे तो हमेशा कर्मचारी ही.’’

‘‘नहीं, ऐसा नहीं है. मेहनत के नाम पर ये कौन सा पहाड़ तोड़ते हैं सिर्फ दिनभर पंखे के नीचे बैठ कर लिखापढ़ी का काम ही तो करना होता है. इस से ज्यादा आराम और इज्जत की नौकरी और किस की होगी.’’

निर्मला ने मेनका को और नीचा दिखाने की चाह में उस से कहा, ‘‘पढ़ेलिखे हैं. आराम की नौकरी करते हैं. यों धंधे में कितनी भी दौलत कमा लो, पर समाज में सिर्फ पढ़ेलिखे और नौकरी वाले इनसान की ही इज्जत होती?है, बाकियों को तो सब अनपढ़ और गंवार ही समझते हैं.’’

इस पर मेनका अकड़ गई और अपने पास अभीअभी आए चार पैसों की गरमी का ढिंढोरा निर्मला के आगे पीटने लगी.

काउंटर पर निर्मला का नंबर आया. काउंटर पर बैठी रिसैप्शनिस्ट ने फीस  की लंबीचौड़ी रसीद, जिस में दुनियाभर के चार्जेज जोड़ दिए गए थे, निर्मला  को पकड़ाई.

निर्मला ने घर पर पैसे जोड़ कर जो हिसाब लगाया था, उस से कहीं ज्यादा की रसीद देख कर उन की आंखों से धुआं निकल आया. इतने पैसे तो उस के पर्स में भी न थे, पर इस बात को वह सब के सामने जताना नहीं चाहती थी, खासकर उस मेनका के सामने तो बिलकुल नहीं.

मेनका ने कहा, ‘‘मैडम, आप सिर्फ 3 महीने की ही फीस जमा कीजिए, बाकी मैं बाद में दूंगी.’’

तभी निर्मला के हाथ से परची लेते हुए मेनका ने निर्मला पर एहसान करने की चाह से अपने पर्स से एक चैकबुक निकाल अपने और उस के बच्चे की फीस खुद ही जमा कर दी.

निर्मला को यह बलताव ठीक न लगा, जिस के चलते उस ने उसे बहुत मना भी किया.

इस पर मेनका ने कहा, ‘‘अरे, भाईसाहब को जब पैसे मिल जाएं, तब आराम से दे देना. मैं पैनेल्टी नहीं लूंगी,’’ और वह हंसते हुए बाहर की ओर

निकल गई.

स्कूल के बाहर निकल कर देखा, तो मालूम हुआ कि छाता न ले कर बहुत बड़ी गलती हुई. गरम मौसम की जगह तेज बारिश ने ले ली. इतनी तेज बारिश में कोई भी रिकशे वाला कहीं जाने को राजी न था.

निर्मला स्कूल के दरवाजे पर खड़ी बारिश रुकने का इंतजार कर रही थी, पर मन में यह भी डर था कि आखिर अभी तुरंत मेरे आगे निकली मेनका कहां गायब हो गई? वह भी इतनी तेज बारिश में.

‘चलो, अच्छा है, चली गई, कौन सुनता उस की ये बातें? चार पैसे क्या आ गए, अपनेआप को कहीं की महारानी समझने लगी. सारे पैसे खर्च हो जाएंगे, तब फिर वही एक रिकशा भी मेरे साथ शेयरिंग पर ले कर चला करेगी.

मन ही मन खुद को झूठी तसल्ली देती निर्मला के आगे रास्ते पर जमा पानी को चीरते हुए एक शानदार काले रंग की कार आ कर रुकी.

गाड़ी का दरवाजा खुला. अंदर बैठी मेनका ने बाहर निर्मला को देखते हुए कहा, ‘‘गाड़ी में बैठो निर्मला. इस बारिश में कोई रिकशे वाला नहीं मिलेगा.’’

निर्मला को न चाहते हुए भी गाड़ी में बैठना पड़ा, पर उस का मन अभी भी यकीन करने को तैयार नहीं था कि यह वही मेनका है, जो पैसे न होने के चलते एक रिकशा भी मुझ से शेयरिंग पर लिया करती थी?

‘‘सीट बैल्ट लगा लो निर्मला,’’ मेनका ने ऐक्सीलेटर पर पैर जमाते हुए कहा.

निर्मला ने सीट बैल्ट लगाते हुए पूछा, ‘‘कब ली? कैसे…? मेरा मतलब कितने की…?’’

‘‘कैसे ली का क्या मतलब? खरीदी है, वह भी पूरे 40 लाख रुपए की,’’ मेनका ने बड़े बनावटी लहजे में कहा.

निर्मला के अंदर ईष्या का भी अंकुर फूट पड़ा. आखिर कैसे इस ने इतनी जल्दी इतने पैसे कमाए, आखिर ऐसा कैसा दिमाग लगाया, विजेंदर भाई ने कि इतनी जल्दी इतने पैसे कमा लिए. और एक परेश हैं कि रोज 13-13 घंटे काम करने के बावजूद मुट्ठीभर पैसे ही ले कर आते हैं, वह भी जब घर के सारे खर्चे सिर पर सवार हों. एक इसी के साथ तो मेरी बनती थी, क्योंकि एक यही तो थी मुझ से नीचे. अब तो सिर्फ मैं ही रह गई, जो रिकशे से आयाजाया करूंगी. इस का भी तो कहना ठीक ही है कि किसी काम में दिमाग लगाए बिना सिर्फ मेहनत करने से जिस तरह गधे के हाथ कभी भी गाजर नहीं आती, उसी तरह हर क्षेत्र में मेहनत से ज्यादा दिमाग लगाना पड़ता है.

विजेंदर भाई ने दिमाग लगाया तो पैसा भी कमाया, वहीं परेश की जिंदगी तो सिर्फ खाने में ही निकल जाएगी, आज ये बना लेना कल वो बना लेना.

अपना घर नजदीक आता देख निर्मला ने सीट बैल्ट खोल दी और उतरने के लिए जैसे ही उस ने दरवाजा खोलना चाहा, उस से उस महंगी गाड़ी का दरवाजा न खुला. इस पर मेनका ने हंसते हुए अपने ही वहां से किसी बटन से दरवाजा अनलौक करते हुए निर्मला को अलविदा किया.

दरवाजा न खुलने वाली बात पर निर्मला को खूब शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था.

घर पहुंचते ही परेश ने एक पत्रिका में छपी डिश की तसवीर सामने रखते हुए वही डिश बनाने का आदेश दे डाला, जिस पर निर्मला ने परेश पर बिफरते हुए कहा, ‘‘पूरी जिंदगी तुम ने और किया ही क्या है, पूरे दिन गधों की तरह मेहनत करते हो और ऊपर से दफ्तर में बैठेबैठे फरमाइश और कर डालते हो कि आज यह बनाना और कल यह…

‘‘खाने के अलावा कभी सोचा है कि बाकी लोग तुम से कम मेहनत करते हैं, फिर भी किस चीज की कमी है उन्हें. घूमने को फोरव्हीलर हैं, पहनने को ब्रांडेड कपड़े हैं, कुछ नहीं तो कम से कम बच्चों की फीस का तो खयाल रखना चाहिए.

‘‘आज अगर मेनका न होती, तो फीस भी आधी ही जमा करानी पड़ती और बारिश में भीग कर आना पड़ता  सो अलग.’’

परेश समझ गया कि यह सारी भड़ास उस मेनका को देख कर निकाली जा रही है. परेश ने बात को और आगे न बढ़ाना चाहा, जिस के चलते उस ने चुप रहना ही बेहतर समझा.

दोपहर को गुस्से के कारण निर्मला ने कुछ खास न बनाया, सिर्फ खिचड़ी बना कर परेश और बेटे पारस के आगे रख दी.

परेश चुपचाप जो मिला, खा कर रह गया. उस ने कुछ बोलना लाजिमी न समझा.

रात तक निर्मला ने परेश से कोई बात नहीं की. उस के मन में तो सिर्फ मेनका और उस के ठाटबाट के नजारे ही रहरह कर याद आ जाया करते और परेश की काबिलीयत पर उंगली उठा जाते.

डिनर का वक्त हुआ. परेश ने न तो खाना मांगा और न ही निर्मला ने पूछा. देर तक दोनों के अंदर गुस्से का जो गुबार पनपता रहा, मानो सिर्फ इंतजार कर रहा हो कि सामने वाला कुछ बोले और मैं फट पडं़ू.

दोनों को ज्यादा इंतजार न कराते  हुए ठीक उसी वक्त भूख से बेहाल  बेटा पारस निर्मला से खाने की मांग करने लगा.

पारस को डिनर के रूप में हलका नाश्ता दे कर निर्मला ने परेश पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘बेटा, आज घर में कुछ था ही नहीं बनाने को, इसीलिए कुछ नहीं बनाया. तू आज यही खा ले, कल देखती हूं कुछ.’’

परेश ने हैरानी से पूछा, ‘‘घर में कुछ था नहीं और तुम ने मुझे बताया क्यों नहीं? आखिर किस बात पर तुम ने दोपहर से अपना मुंह सिल रखा है और सुबह क्या देखोगी तुम?’’

‘‘मैं ने नहीं बताया और तुम ने क्या सिर्फ खाने का ठेका ले रखा है? सब से ज्यादा जीभ तुम्हारी ही चलती है, तो इंतजाम देखना भी तो तुम्हारा ही फर्ज बनता है न? और वैसे भी मालूम नहीं हर महीने राशन आता है, तो इस महीने कौन लाएगा?’’

परेश बेइज्जती के ये शब्द बरदाश्त न कर सका. इस वजह से वह उस रात भूखा ही सोया रहा मगर निर्मला से कुछ बोला नहीं.

सवेरे होते ही राशन के सामान से भरा हुआ एक थैला जमीन पर पटक कर उस में से जरूरी सामान निकाल कर परेश खुद ही अपने और बेटे पारस के लिए चायनाश्ता बनाने में जुट गया.

रसोई के कामों से फारिग हो कर दोनों बापबेटे सोफे पर बैठ कर नाश्ता करने में मगन हो गए.

परेश रोज की तरह समाचार चैनल लगा कर बैठ गया. आज सब से बड़ी खबर की हैडलाइन देख कर उस के होश उड़ गए और उस से भी ज्यादा उस के पीछे से गुजर रही निर्मला के.

सब से बड़ी खबर की हैडलाइन में लिखा था, ‘शहर में पिछले महीनों से गायब हो रहे बच्चों के केस का आरोपी शिकंजे में, जिस का नाम विजेंदर बताया जा रहा है. कल ही चौक से एक बच्चे को बहला कर अगुआ करते हुए वह पकड़ा गया.’

मुंह काले कपड़े से ढका हुआ था, पर इतनी पुरानी पहचान के चलते परेश और निर्मला को आरोपी को पहचानते देर न लगी.

निर्मला को अपनी गलती का एहसास हो चुका था. वह जान चुकी थी कि जल्दी से जल्दी ज्यादा ऐशोआराम पाने के चक्कर में लोगों को कोई शौर्टकट ही अपनाना पड़ता है, जिस काम की वारंटी वाकई में काफी शौर्ट होती है.

आज अपनी मरजी से ही निर्मला ने दोपहर का खाना परेश की पसंद का बनाया था, जिस की उसे कल तसवीर दिखाई गई थी.

The post झूठी शान : निर्मला टीवी की कौन सी बात सुनकर घबरा गई थी appeared first on Sarita Magazine.



from कहानी – Sarita Magazine https://ift.tt/3BrGxOR

लेखक- हेमंत कुमार

सवेरेसवेरे किचन में नाश्ता बना रही निर्मला के कानों में आवाज पड़ी, ‘‘भई, आजकल तो लड़कियां क्या लड़के भी महफूज नहीं हैं. एक महीने में अपने शहर से 350 बच्चे गायब…’’ आवाज हाल में बैठ कर समाचार देख रहे निर्मला के पति परेश की थी.

निर्मला परेश को नाश्ता दे कर बाहर की ओर बढ़ गई. परेश को मालूम था कि उसे बच्चों की स्कूल की फीस जमा करवाने के लिए जाना है, फिर भी एक बार फर्ज के तौर पर ध्यान से जाने की हिदायत देते हुए नाश्ता करने में जुट गए.

इस पर निर्मला ने भी आमतौर पर दिए जाने वाला ही जवाब देते हुए कहा, ‘‘जी हां…’’ और बाहर का गरम मौसम देख कर बिना छाता लिए ही घर से निकल गई.

ये भी पढ़ें- Short Story : सही राह

निर्मला आमतौर पर रिकशे से ही सफर किया करती, क्योंकि उस के पास और कोई साधन भी न था. स्कूल में सारे पेरेंट्स तहजीब से खुद ही सार्वजनिक दूरी बनाए अपनीअपनी कुरसियों पर बैठे अपना नंबर आने का इंतजार कर रहे थे.

निर्मला का नंबर सब से आखिर में था. उस के अकेलेपन की बोरियत को मिटाने के लिए न जाने कहां से उस की पुरानी सहेली मेनका भी उसी वक्त अपने बेटे की फीस जमा कराने वहां आ टपकी.

चेहरे पर मास्क की वजह से निर्मला ने उसे पहचाना नहीं, पर मेनका ने उस के पहनावे और शरीर की बनावट से उसे झट से पहचान लिया और दोनों में सामान्य हायहैलो के बाद लंबी बातचीत शुरू हो गई. दोनों सहेली एकदूसरे से दोबारा पूरे 5 महीने बाद मिल रही थीं.

यों तो दोनों का आपस में एकदूसरे से दूरदूर तक कोई संबंध नहीं था, पर दोनों के बच्चे एक ही जमात में पढ़ते थे. घर पास होने की वजह से निर्मला और मेनका की मुलाकात कई बार रास्ते में एकदूसरे से हो जाया करती.

ये भी पढ़ें- Short Story: इश्क का भूत

धीरेधीरे बच्चों की दोस्ती निर्मला और मेनका तक आ गई. दोनों ही अकसर छुट्टी के समय अपने बच्चों को लेने आते, तब उन की भी मुलाकात हो जाया करती. दोनों एक ही रिकशा शेयरिंग पर लेते, जिस पर उन के बच्चे पीछे बैठ जाया करते.

निर्मला ने मेनका को देख कर खुशी से मुसकराते हुए कहा, ‘‘अरे, ये मास्क भी न, मैं तो बिलकुल ही पहचान ही नहीं पाई तुम्हें.’’

पर, असलियत तो यह थी कि वह उस के पहनावे से धोखा खा गई थी, क्योंकि जिस मेनका के लिबास पुराने से दिखने वाले और कई दिनों तक एक ही जैसे रहते. वह आज एक महंगी सी नई साड़ी और कई साजोसिंगार के सामान से लदी हुई थी. इस के चलते उसे यकीन ही नहीं हुआ कि यह मेनका हो सकती?है.

निर्मला ने उस की महंगी साड़ी को हाथ से छूने की चाह से जैसे ही उस की तरफ हाथ बढ़ाया, मेनका ने उसे टोकते हुए कहा, ‘‘अरे भाभी, ये क्या कर रही हो? हाथ मत लगाओ.’’

भले ही मेनका ने सार्वजनिक दूरी को जेहन में रख कर यह बात कही हो, पर उस के शब्द थोड़े कठोर थे, जिस का निर्मला ने यह मतलब निकाला कि ‘तुम्हारी औकात नहीं इस साड़ी को छूने की, इसलिए दूर ही रहो’.

निर्मला ने उस से चिढ़ते हुए पूछा, ‘‘यह साड़ी कहां से…? मेरा मतलब, इतनी महंगी साड़ी पहन कर स्कूल में आने की कोई वजह…?’’

‘‘महंगी… यह तुम्हें महंगी दिखती है. अरे, ऐसी साडि़यां तो मैं ने रोज पहनने के लिए ले रखी हैं,’’ मेनका ने बड़े घमंड में कहा.

निर्मला अंदर ही अंदर कुढ़ने लगी. उसे विश्वास नहीं हुआ कि ये वही मेनका हैं, जो अकसर मेरे कपड़ों की तारीफ करती रहती थी और खुद के ऊपर दूसरे लोगों से हमदर्दी की भावना रखती थी. ये तो कुछ महीनों पहले उम्र से ज्यादा बूढ़ी और बेकार दिखती थी, पर आज अचानक ही इस के चेहरे पर इतनी चमक और रौनक के पीछे क्या वजह है?

ये भी पढें – तिमोथी : क्या थी तिमोथी की कहानी

पहले तो अपने पति के कुछ काम न करने की मुझ से शिकायत करती थी, पर आज यह अचानक से चमकधमक कैसे? हां, हो सकता है कि विजेंदर भाई को कोई नौकरी मिल गई हो. हो सकता?है कि उन्होंने कोई धंधा शुरू किया हो, जिस में उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ हो या कोई लौटरी लग गई हो तो क्या…?

मैं इतना क्यों सोचने लगी? अब हर किसी की किस्मत एक बार जरूर चमकती है, उस में मुझे इतनी जलन क्यों हो रही है?

जिन के पास पहले पैसा नहीं, जरूरी थोड़े ही न है कि उन के पास कभी पैसा आएगा भी नहीं. भूतकाल की अपनी ही उधेड़बुन में कोई निर्मला को मेनका उस के मुंह के सामने एक चुटकी बजा कर वर्तमान में ले कर आई और कहा, ‘‘अरे भई, कहां खो गईं तुम. लाइन तो आगे भी निकल गई.’’

निर्मला और मेनका दोनों एकएक कुरसी आगे बढ़ गए.

‘‘वैसे, एक बात पूछूं मेनका, तुम्हारी कोई लौटरी वगैरह लगी है क्या?’’ निर्मला ने बड़े ही सवालिया अंदाज में पूछा, जिस का मेनका ने बड़े ही उलटे किस्म का जवाब दिया, ‘‘क्यों, लौटरी वाले ही ज्यादा पैसा कमाते हैं क्या? अब उन्होंने मेहनत के साथसाथ दिमाग लगाया है, तो पैसा तो आएगा ही न?

‘‘अब परेश भाई को ही देख लो, दिनभर अपने साहब के कहने पर कलम घिसते हैं, ऊपर से उन की खरीखोटी सुनते हैं, पूरे दिन खच्चरों की तरह दफ्तर में खटते हैं, फिर भी रहेंगे तो हमेशा कर्मचारी ही.’’

‘‘नहीं, ऐसा नहीं है. मेहनत के नाम पर ये कौन सा पहाड़ तोड़ते हैं सिर्फ दिनभर पंखे के नीचे बैठ कर लिखापढ़ी का काम ही तो करना होता है. इस से ज्यादा आराम और इज्जत की नौकरी और किस की होगी.’’

निर्मला ने मेनका को और नीचा दिखाने की चाह में उस से कहा, ‘‘पढ़ेलिखे हैं. आराम की नौकरी करते हैं. यों धंधे में कितनी भी दौलत कमा लो, पर समाज में सिर्फ पढ़ेलिखे और नौकरी वाले इनसान की ही इज्जत होती?है, बाकियों को तो सब अनपढ़ और गंवार ही समझते हैं.’’

इस पर मेनका अकड़ गई और अपने पास अभीअभी आए चार पैसों की गरमी का ढिंढोरा निर्मला के आगे पीटने लगी.

काउंटर पर निर्मला का नंबर आया. काउंटर पर बैठी रिसैप्शनिस्ट ने फीस  की लंबीचौड़ी रसीद, जिस में दुनियाभर के चार्जेज जोड़ दिए गए थे, निर्मला  को पकड़ाई.

निर्मला ने घर पर पैसे जोड़ कर जो हिसाब लगाया था, उस से कहीं ज्यादा की रसीद देख कर उन की आंखों से धुआं निकल आया. इतने पैसे तो उस के पर्स में भी न थे, पर इस बात को वह सब के सामने जताना नहीं चाहती थी, खासकर उस मेनका के सामने तो बिलकुल नहीं.

मेनका ने कहा, ‘‘मैडम, आप सिर्फ 3 महीने की ही फीस जमा कीजिए, बाकी मैं बाद में दूंगी.’’

तभी निर्मला के हाथ से परची लेते हुए मेनका ने निर्मला पर एहसान करने की चाह से अपने पर्स से एक चैकबुक निकाल अपने और उस के बच्चे की फीस खुद ही जमा कर दी.

निर्मला को यह बलताव ठीक न लगा, जिस के चलते उस ने उसे बहुत मना भी किया.

इस पर मेनका ने कहा, ‘‘अरे, भाईसाहब को जब पैसे मिल जाएं, तब आराम से दे देना. मैं पैनेल्टी नहीं लूंगी,’’ और वह हंसते हुए बाहर की ओर

निकल गई.

स्कूल के बाहर निकल कर देखा, तो मालूम हुआ कि छाता न ले कर बहुत बड़ी गलती हुई. गरम मौसम की जगह तेज बारिश ने ले ली. इतनी तेज बारिश में कोई भी रिकशे वाला कहीं जाने को राजी न था.

निर्मला स्कूल के दरवाजे पर खड़ी बारिश रुकने का इंतजार कर रही थी, पर मन में यह भी डर था कि आखिर अभी तुरंत मेरे आगे निकली मेनका कहां गायब हो गई? वह भी इतनी तेज बारिश में.

‘चलो, अच्छा है, चली गई, कौन सुनता उस की ये बातें? चार पैसे क्या आ गए, अपनेआप को कहीं की महारानी समझने लगी. सारे पैसे खर्च हो जाएंगे, तब फिर वही एक रिकशा भी मेरे साथ शेयरिंग पर ले कर चला करेगी.

मन ही मन खुद को झूठी तसल्ली देती निर्मला के आगे रास्ते पर जमा पानी को चीरते हुए एक शानदार काले रंग की कार आ कर रुकी.

गाड़ी का दरवाजा खुला. अंदर बैठी मेनका ने बाहर निर्मला को देखते हुए कहा, ‘‘गाड़ी में बैठो निर्मला. इस बारिश में कोई रिकशे वाला नहीं मिलेगा.’’

निर्मला को न चाहते हुए भी गाड़ी में बैठना पड़ा, पर उस का मन अभी भी यकीन करने को तैयार नहीं था कि यह वही मेनका है, जो पैसे न होने के चलते एक रिकशा भी मुझ से शेयरिंग पर लिया करती थी?

‘‘सीट बैल्ट लगा लो निर्मला,’’ मेनका ने ऐक्सीलेटर पर पैर जमाते हुए कहा.

निर्मला ने सीट बैल्ट लगाते हुए पूछा, ‘‘कब ली? कैसे…? मेरा मतलब कितने की…?’’

‘‘कैसे ली का क्या मतलब? खरीदी है, वह भी पूरे 40 लाख रुपए की,’’ मेनका ने बड़े बनावटी लहजे में कहा.

निर्मला के अंदर ईष्या का भी अंकुर फूट पड़ा. आखिर कैसे इस ने इतनी जल्दी इतने पैसे कमाए, आखिर ऐसा कैसा दिमाग लगाया, विजेंदर भाई ने कि इतनी जल्दी इतने पैसे कमा लिए. और एक परेश हैं कि रोज 13-13 घंटे काम करने के बावजूद मुट्ठीभर पैसे ही ले कर आते हैं, वह भी जब घर के सारे खर्चे सिर पर सवार हों. एक इसी के साथ तो मेरी बनती थी, क्योंकि एक यही तो थी मुझ से नीचे. अब तो सिर्फ मैं ही रह गई, जो रिकशे से आयाजाया करूंगी. इस का भी तो कहना ठीक ही है कि किसी काम में दिमाग लगाए बिना सिर्फ मेहनत करने से जिस तरह गधे के हाथ कभी भी गाजर नहीं आती, उसी तरह हर क्षेत्र में मेहनत से ज्यादा दिमाग लगाना पड़ता है.

विजेंदर भाई ने दिमाग लगाया तो पैसा भी कमाया, वहीं परेश की जिंदगी तो सिर्फ खाने में ही निकल जाएगी, आज ये बना लेना कल वो बना लेना.

अपना घर नजदीक आता देख निर्मला ने सीट बैल्ट खोल दी और उतरने के लिए जैसे ही उस ने दरवाजा खोलना चाहा, उस से उस महंगी गाड़ी का दरवाजा न खुला. इस पर मेनका ने हंसते हुए अपने ही वहां से किसी बटन से दरवाजा अनलौक करते हुए निर्मला को अलविदा किया.

दरवाजा न खुलने वाली बात पर निर्मला को खूब शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था.

घर पहुंचते ही परेश ने एक पत्रिका में छपी डिश की तसवीर सामने रखते हुए वही डिश बनाने का आदेश दे डाला, जिस पर निर्मला ने परेश पर बिफरते हुए कहा, ‘‘पूरी जिंदगी तुम ने और किया ही क्या है, पूरे दिन गधों की तरह मेहनत करते हो और ऊपर से दफ्तर में बैठेबैठे फरमाइश और कर डालते हो कि आज यह बनाना और कल यह…

‘‘खाने के अलावा कभी सोचा है कि बाकी लोग तुम से कम मेहनत करते हैं, फिर भी किस चीज की कमी है उन्हें. घूमने को फोरव्हीलर हैं, पहनने को ब्रांडेड कपड़े हैं, कुछ नहीं तो कम से कम बच्चों की फीस का तो खयाल रखना चाहिए.

‘‘आज अगर मेनका न होती, तो फीस भी आधी ही जमा करानी पड़ती और बारिश में भीग कर आना पड़ता  सो अलग.’’

परेश समझ गया कि यह सारी भड़ास उस मेनका को देख कर निकाली जा रही है. परेश ने बात को और आगे न बढ़ाना चाहा, जिस के चलते उस ने चुप रहना ही बेहतर समझा.

दोपहर को गुस्से के कारण निर्मला ने कुछ खास न बनाया, सिर्फ खिचड़ी बना कर परेश और बेटे पारस के आगे रख दी.

परेश चुपचाप जो मिला, खा कर रह गया. उस ने कुछ बोलना लाजिमी न समझा.

रात तक निर्मला ने परेश से कोई बात नहीं की. उस के मन में तो सिर्फ मेनका और उस के ठाटबाट के नजारे ही रहरह कर याद आ जाया करते और परेश की काबिलीयत पर उंगली उठा जाते.

डिनर का वक्त हुआ. परेश ने न तो खाना मांगा और न ही निर्मला ने पूछा. देर तक दोनों के अंदर गुस्से का जो गुबार पनपता रहा, मानो सिर्फ इंतजार कर रहा हो कि सामने वाला कुछ बोले और मैं फट पडं़ू.

दोनों को ज्यादा इंतजार न कराते  हुए ठीक उसी वक्त भूख से बेहाल  बेटा पारस निर्मला से खाने की मांग करने लगा.

पारस को डिनर के रूप में हलका नाश्ता दे कर निर्मला ने परेश पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘बेटा, आज घर में कुछ था ही नहीं बनाने को, इसीलिए कुछ नहीं बनाया. तू आज यही खा ले, कल देखती हूं कुछ.’’

परेश ने हैरानी से पूछा, ‘‘घर में कुछ था नहीं और तुम ने मुझे बताया क्यों नहीं? आखिर किस बात पर तुम ने दोपहर से अपना मुंह सिल रखा है और सुबह क्या देखोगी तुम?’’

‘‘मैं ने नहीं बताया और तुम ने क्या सिर्फ खाने का ठेका ले रखा है? सब से ज्यादा जीभ तुम्हारी ही चलती है, तो इंतजाम देखना भी तो तुम्हारा ही फर्ज बनता है न? और वैसे भी मालूम नहीं हर महीने राशन आता है, तो इस महीने कौन लाएगा?’’

परेश बेइज्जती के ये शब्द बरदाश्त न कर सका. इस वजह से वह उस रात भूखा ही सोया रहा मगर निर्मला से कुछ बोला नहीं.

सवेरे होते ही राशन के सामान से भरा हुआ एक थैला जमीन पर पटक कर उस में से जरूरी सामान निकाल कर परेश खुद ही अपने और बेटे पारस के लिए चायनाश्ता बनाने में जुट गया.

रसोई के कामों से फारिग हो कर दोनों बापबेटे सोफे पर बैठ कर नाश्ता करने में मगन हो गए.

परेश रोज की तरह समाचार चैनल लगा कर बैठ गया. आज सब से बड़ी खबर की हैडलाइन देख कर उस के होश उड़ गए और उस से भी ज्यादा उस के पीछे से गुजर रही निर्मला के.

सब से बड़ी खबर की हैडलाइन में लिखा था, ‘शहर में पिछले महीनों से गायब हो रहे बच्चों के केस का आरोपी शिकंजे में, जिस का नाम विजेंदर बताया जा रहा है. कल ही चौक से एक बच्चे को बहला कर अगुआ करते हुए वह पकड़ा गया.’

मुंह काले कपड़े से ढका हुआ था, पर इतनी पुरानी पहचान के चलते परेश और निर्मला को आरोपी को पहचानते देर न लगी.

निर्मला को अपनी गलती का एहसास हो चुका था. वह जान चुकी थी कि जल्दी से जल्दी ज्यादा ऐशोआराम पाने के चक्कर में लोगों को कोई शौर्टकट ही अपनाना पड़ता है, जिस काम की वारंटी वाकई में काफी शौर्ट होती है.

आज अपनी मरजी से ही निर्मला ने दोपहर का खाना परेश की पसंद का बनाया था, जिस की उसे कल तसवीर दिखाई गई थी.

The post झूठी शान : निर्मला टीवी की कौन सी बात सुनकर घबरा गई थी appeared first on Sarita Magazine.

August 31, 2021 at 10:00AM

फ्रेम – भाग 3 : पति के मौत के बाद अमृता के जीवन में क्या बदलाव आया?

उस दिन की शाम तो अच्छी तरह कट गई पर पूरे हफ्ते पिछली घटना उस के अचेतन मन पर छाई रही. अमृता ने बहुत कोशिश की पर वह इसे हटा नहीं पाई थी. जब वह ऐसी मानसिकता के भंवर में उल झी घूम ही रही थी उसी समय सुषमा उस से मिलने चली आई थी. औपचारिकता खत्म होने के बाद कौफी के प्यालों के साथ जब बात शुरू हुई तो बातों को यहां तक आना ही था. सो, बातें यहां चली आईं. सारी बातें सुन कर सुषमा पूछ बैठी, ‘‘जब तुम राजेशजी को इतना पसंद करती हो तो तुम उन से शादी क्यों नहीं कर लेतीं?’’

‘‘शादी क्यों…?’’ अमृता उल झने के तेवर में पूछ बैठी.

‘‘साथ के लिए.’’

‘‘आप को अपना नौकर भी अच्छा लग सकता है पर उस से तो कोई शादी की बात नहीं करता. मेरी सम झ से शादी के लिए शारीरिक आकर्षण बहुत जरूरी है. संतानोंत्पत्ति की इच्छा भी जरूरी है, आर्थिक आवलंबन भी एक मजबूत कड़ी है और तब समाज की भूमिका की जरूरत पड़ती है. पर अब मेरी उम्र में तो कोई शारीरिक आर्कषण बच नहीं गया है. बच्चा अब मैं पैदा कर नहीं सकती, आर्थिक आवलंबन के लिए मेरी पैंशन ही काफी है. फिर शादी क्यों?’’

‘‘अच्छे से समय काटने के लिए सम झ लो.’’

‘‘सुषमा तुम भी मेरी उम्र की हो. तुम सम झ सकती हो कि शादी के शुरुआती दिनों में अगर शरीर का आकर्षण न रहता तो एडजस्टमैंट कितना कठिन होता. इस के अलावा मां बन जाना एक अलग आर्कषण का विषय रहता है. उम्र कम रहती है, तो आप के व्यक्तित्व में बदलाव की गुंजाइश भी रहती है, आप की सोच बदल सकती है, आप का आकार बदल सकता है पर इस उम्र तक आतेआते सबकुछ अपना आकार ले चुका होता है. इस में बदलाव की गुंजाइश बहुत कम हो जाती है.’’

‘‘पर बदलाव की बात कहां आती है, तुम्हें राजेशजी अच्छे लगते हैं.’’

‘‘एक फैज अहमद फैज की गजल है, ‘मु झ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग, और भी दुख हैं जमाने में मोहब्बत के सिवा. राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा…’ और फिर मैं राजेशजी का एक ही पक्ष जानती हूं वे बातें अच्छी करते हैं. इस के अलावा मैं उन के बारे में कुछ भी नहीं जानती, मसलन उन की रुचियां क्या हैं, रिश्तों की गंभीरता उन की नजर में क्या है आदि मैं नहीं जानती. तब, बस, एक छोटे से रिश्ते के सहारे एक इतने अनावश्यक रिश्ते से मैं अपने को क्यों बांध लूं, क्या यह बेवकूफी नहीं होगी?’’

अमृता सांस लेने के लिए रुकी, फिर कहा, ‘‘राजेशजी की बात छोड़ो, मैं अपनी बात कहती हूं, मेरे बिस्तर का तकिया भी कोई दूसरी जगह रखे तो मैं चिढ़ जाती हूं. वर्षों से मैं अपनी चीजें अपनी जगह रखने की आदी हो गई  हूं. ऐसे में दिनरात दूसरे का दखल न  पटा तो…?’’

‘‘तो तुम्हारे पास दूसरा रास्ता क्या है?’’

‘‘क्यों, मैं जैसी रहती आई हूं वैसे ही रहूंगी. हम एक अच्छे दोस्त की तरह क्यों नहीं रह सकते. बस, केवल इसलिए न कि राजेशजी मर्द हैं और मैं औरत. पर इस उम्र तक आतेआते हम केवल इंसान ही बचे, न औरत न मर्द. और 2 इंसानों को एकदूसरे की हरदम जरूरत पड़ती है. अगर यह नहीं होता तो जंगल से होता हुआ समाज का यह सफर यहां तक न पहुंचता.’’

‘‘लोग बुरा कहेंगे तो?’’

‘‘अब युग बदल गया है सुषमा. अब नए लड़के लिवइन के रिश्ते बिना शादी के जीने लगे हैं. उन्हें कानूनी संरक्षण भी प्राप्त है. हम तो 60 के ऊपर के लोग हैं. हमारी तो बस इतनी ही मांग है कि समय अच्छी तरह से कट जाए और एक की गर्दिश में दूसरा खड़ा हो जाए. वह भी इसलिए क्योंकि आधुनिक भारत में न तो समाज और न सरकार गर्दिश में खड़ी होती है.’’

‘‘पर लोग तो कहेंगे,’’ सुषमा अब जाने के लिए उठ खड़ी हुई.

‘‘कब तक?’’

‘‘जब तक उन की इच्छा होगी.’’

अभी अमृता सुषमा को छोड़ने के लिए खड़ी ही हुई थी कि उस की नजर सीता पर पड़ी. उस ने इशारे से जानना चाहा कि उस के असमय आने का क्या कारण है, ‘‘कुछ नहीं  मेमसाहब, बाद में बताऊंगी.’’

‘‘अरे, ये अपनी ही हैं.  बता क्या बात है?’’

‘‘वो नए फ्लैट में जो नया जोड़ा आया है न, उन के यहां आज मारपीट हुई है. साहब का किसी और औरत के साथ और मेमसाहब को किसी और से मोहब्बत है.’’

अमृता ने एक गहरी सांस लेते हुए सुषमा की तरफ देखा जैसे वे कहना चाहती हों, ‘देखा, बातों का विषय. अब मैं नहीं, कोई और हो गया है समाज के फ्रेम में. एक ही तसवीर हमेशा जकड़ी नहीं रहती. तसवीरें बदलती रहती हैं. आज एक, तो कल दूसरी. बस, थोड़े समय का यह खेल होता है. शायद, अमृता यह बात खुद को भी सम झाना चाहती थी.

The post फ्रेम – भाग 3 : पति के मौत के बाद अमृता के जीवन में क्या बदलाव आया? appeared first on Sarita Magazine.



from कहानी – Sarita Magazine https://ift.tt/3BpuYaN

उस दिन की शाम तो अच्छी तरह कट गई पर पूरे हफ्ते पिछली घटना उस के अचेतन मन पर छाई रही. अमृता ने बहुत कोशिश की पर वह इसे हटा नहीं पाई थी. जब वह ऐसी मानसिकता के भंवर में उल झी घूम ही रही थी उसी समय सुषमा उस से मिलने चली आई थी. औपचारिकता खत्म होने के बाद कौफी के प्यालों के साथ जब बात शुरू हुई तो बातों को यहां तक आना ही था. सो, बातें यहां चली आईं. सारी बातें सुन कर सुषमा पूछ बैठी, ‘‘जब तुम राजेशजी को इतना पसंद करती हो तो तुम उन से शादी क्यों नहीं कर लेतीं?’’

‘‘शादी क्यों…?’’ अमृता उल झने के तेवर में पूछ बैठी.

‘‘साथ के लिए.’’

‘‘आप को अपना नौकर भी अच्छा लग सकता है पर उस से तो कोई शादी की बात नहीं करता. मेरी सम झ से शादी के लिए शारीरिक आकर्षण बहुत जरूरी है. संतानोंत्पत्ति की इच्छा भी जरूरी है, आर्थिक आवलंबन भी एक मजबूत कड़ी है और तब समाज की भूमिका की जरूरत पड़ती है. पर अब मेरी उम्र में तो कोई शारीरिक आर्कषण बच नहीं गया है. बच्चा अब मैं पैदा कर नहीं सकती, आर्थिक आवलंबन के लिए मेरी पैंशन ही काफी है. फिर शादी क्यों?’’

‘‘अच्छे से समय काटने के लिए सम झ लो.’’

‘‘सुषमा तुम भी मेरी उम्र की हो. तुम सम झ सकती हो कि शादी के शुरुआती दिनों में अगर शरीर का आकर्षण न रहता तो एडजस्टमैंट कितना कठिन होता. इस के अलावा मां बन जाना एक अलग आर्कषण का विषय रहता है. उम्र कम रहती है, तो आप के व्यक्तित्व में बदलाव की गुंजाइश भी रहती है, आप की सोच बदल सकती है, आप का आकार बदल सकता है पर इस उम्र तक आतेआते सबकुछ अपना आकार ले चुका होता है. इस में बदलाव की गुंजाइश बहुत कम हो जाती है.’’

‘‘पर बदलाव की बात कहां आती है, तुम्हें राजेशजी अच्छे लगते हैं.’’

‘‘एक फैज अहमद फैज की गजल है, ‘मु झ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग, और भी दुख हैं जमाने में मोहब्बत के सिवा. राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा…’ और फिर मैं राजेशजी का एक ही पक्ष जानती हूं वे बातें अच्छी करते हैं. इस के अलावा मैं उन के बारे में कुछ भी नहीं जानती, मसलन उन की रुचियां क्या हैं, रिश्तों की गंभीरता उन की नजर में क्या है आदि मैं नहीं जानती. तब, बस, एक छोटे से रिश्ते के सहारे एक इतने अनावश्यक रिश्ते से मैं अपने को क्यों बांध लूं, क्या यह बेवकूफी नहीं होगी?’’

अमृता सांस लेने के लिए रुकी, फिर कहा, ‘‘राजेशजी की बात छोड़ो, मैं अपनी बात कहती हूं, मेरे बिस्तर का तकिया भी कोई दूसरी जगह रखे तो मैं चिढ़ जाती हूं. वर्षों से मैं अपनी चीजें अपनी जगह रखने की आदी हो गई  हूं. ऐसे में दिनरात दूसरे का दखल न  पटा तो…?’’

‘‘तो तुम्हारे पास दूसरा रास्ता क्या है?’’

‘‘क्यों, मैं जैसी रहती आई हूं वैसे ही रहूंगी. हम एक अच्छे दोस्त की तरह क्यों नहीं रह सकते. बस, केवल इसलिए न कि राजेशजी मर्द हैं और मैं औरत. पर इस उम्र तक आतेआते हम केवल इंसान ही बचे, न औरत न मर्द. और 2 इंसानों को एकदूसरे की हरदम जरूरत पड़ती है. अगर यह नहीं होता तो जंगल से होता हुआ समाज का यह सफर यहां तक न पहुंचता.’’

‘‘लोग बुरा कहेंगे तो?’’

‘‘अब युग बदल गया है सुषमा. अब नए लड़के लिवइन के रिश्ते बिना शादी के जीने लगे हैं. उन्हें कानूनी संरक्षण भी प्राप्त है. हम तो 60 के ऊपर के लोग हैं. हमारी तो बस इतनी ही मांग है कि समय अच्छी तरह से कट जाए और एक की गर्दिश में दूसरा खड़ा हो जाए. वह भी इसलिए क्योंकि आधुनिक भारत में न तो समाज और न सरकार गर्दिश में खड़ी होती है.’’

‘‘पर लोग तो कहेंगे,’’ सुषमा अब जाने के लिए उठ खड़ी हुई.

‘‘कब तक?’’

‘‘जब तक उन की इच्छा होगी.’’

अभी अमृता सुषमा को छोड़ने के लिए खड़ी ही हुई थी कि उस की नजर सीता पर पड़ी. उस ने इशारे से जानना चाहा कि उस के असमय आने का क्या कारण है, ‘‘कुछ नहीं  मेमसाहब, बाद में बताऊंगी.’’

‘‘अरे, ये अपनी ही हैं.  बता क्या बात है?’’

‘‘वो नए फ्लैट में जो नया जोड़ा आया है न, उन के यहां आज मारपीट हुई है. साहब का किसी और औरत के साथ और मेमसाहब को किसी और से मोहब्बत है.’’

अमृता ने एक गहरी सांस लेते हुए सुषमा की तरफ देखा जैसे वे कहना चाहती हों, ‘देखा, बातों का विषय. अब मैं नहीं, कोई और हो गया है समाज के फ्रेम में. एक ही तसवीर हमेशा जकड़ी नहीं रहती. तसवीरें बदलती रहती हैं. आज एक, तो कल दूसरी. बस, थोड़े समय का यह खेल होता है. शायद, अमृता यह बात खुद को भी सम झाना चाहती थी.

The post फ्रेम – भाग 3 : पति के मौत के बाद अमृता के जीवन में क्या बदलाव आया? appeared first on Sarita Magazine.

August 31, 2021 at 10:00AM

फ्रेम – भाग 2 : पति के मौत के बाद अमृता के जीवन में क्या बदलाव आया?

‘‘रिटायरमैंट के बाद न चाहते  हुए भी जिंदगी की शाम तो  आ ही जाती है. किसी को शरीर पर पहले, किसी को मन पर पहले, पर शाम का धुंधलका अपने जीवन का अंग तो बन ही जाता है.’’

‘‘मैं ने अभी तक तो महसूस नहीं किया था पर अब… थोड़ीथोड़ी दिक्कत होने लगी है. दरअसल, मेरी असली समस्या है अकेलापन,’’ इतना कह कर अमृता अचानक चुप हो गई. उसे लगा कि एक अजनबी से वह अपनी व्यक्तिगत बातें क्यों कर रही है. फिर उस ने बात बदलने के लिए पूछा, ‘‘आप रहते कहां हैं?’’

‘‘इंदिरारानगर में.’’

‘‘मैं भी तो वहीं रहती हूं. आप का मकान नंबर?’’

‘‘44.’’

‘‘वही कहूं आप का चेहरा पहचानापहचाना सा क्यों लग रहा है. दरअसल, मैं भी वहीं रहती हूं गंगा एपार्टमैंट के एक फ्लैट में. अकसर आप को सड़क पर आतेजाते देखा होगा, इसीलिए पहचानापहचाना सा लगा. वैसे इस घर में आए मु झे अभी 6 ही महीने हुए हैं.’’

काफी देर तक इधरउधर, राजनीति आदि पर बातें होती रहीं. अचानक उसे सीता को समय देने की याद आई. वह उठती हुई बोली, ‘‘आप के पास अपनी सवारी है?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘आइए, मैं आप को घर छोड़ दूं.’’

उतरते समय अमृता ने उन का नाम पूछा, ‘‘अरे इतनी बातें हो गईं, मैं ने न अपना नाम बताया, न आप से नाम पूछा. मेरा नाम अमृता है.’’

‘‘मैं राजेश, पर आप भी उतरिए एक कप चाय हो जाए.’’

‘‘फिर कभी, अभी मैं ने एक आदमी को बुलाया है.’’

अमृता घर पहुंची तो सीता को इंतजार करते पाया. ताला खोलने के बाद जो काम का सिलसिला शुरू हुआ वह बहुत देर तक चलता रहा और वह सुबह की सारी बातें भूल गई थी. पर शाम को चाय ले कर बैठी तो उसे सारी बातें याद आईं. उसे आश्चर्य हुआ कि 2 घंटे कितने आराम से बीत गए थे. समय काटना ही तो उस के जीवन की सब से बड़ी परेशानी थी और वह परेशानी इतनी आसानी से…?

धीरेधीरे उस की ओर राजेशजी की घनिष्ठता बढ़ती गई. अमृता ने महसूस किया कि उस की और राजेशजी की रुचियां मिलतीजुलती हैं. बगीचे का रखरखाव दोनों की रुचियों का मुख्य केंद्र था. आध्यात्म पर अकसर वे बहस किया करते थे. अमृता को धार्मिक औपचारिकताओं पर विश्वास नहीं के बराबर था. पंडित, मंत्र, उपवास आदि पर उस का विश्वास नहीं था. वहीं राजेश यह मानते थे कि ये सारी चीजें महत्त्वपूर्ण हैं, केवल उन को सम झाने और करने का ढंग गलत है. राजेशजी किताबें बहुत पढ़ते थे. इतिहास उन का प्रिय विषय था. चाहे भाषा का इतिहास हो, संस्कृति का या साहित्य का, वे पढ़ते ही रहते थे.

एक दिन शाम को चाय पीते हुए

राजेशजी बताने लगे, ‘‘जानती हैं अमृताजी, 7 बुद्ध हुए हैं और ये अंतिम बुद्ध, जिन्हें हम गौतम बुद्ध कहते हैं, ईसा से 500 वर्ष पूर्व हुए थे. अभी जो खुदाई हो रही है उस में 7 बुद्ध की मूर्तियों वाले स्तूप मिल रहे हैं…’’

अमृता मंत्रमुग्ध चुपचाप सुनती रही. उसे आश्चर्य हुआ कि वह खुद नहीं जानती थी कि ऐसे शुष्क विषय भी उसे इतना सम्मोहित कर सकते हैं. यह विषय का सम्मोहन था या राजेशजी के बोलने के ढंग का. वह थोड़ी उल झ सी गई. फिलहाल उस का रिश्ता इतना करीबी का जरूर हो गया था कि शाम की चाय वे एकदूसरे के यहां पिएं, एकदूसरे के बीमार पढ़ने पर पूरी ईमानदारी से तीमारदारी करें.

उन दोनों की करीबी पर समाज अब चौकन्ना हो चला था. समाज की प्रतिक्रियाएं हवा में उड़तेउड़ते उन तक पहुंचने लगी थीं. अपनी ही बिल्ंिडग के किसी समारोह में लोगों की आंखों में अमृता पढ़ चुकी थी कि समाज इस रिश्ते को किस तरह से लेता है. अमृता के दबंग व्यक्तित्व को देखते हुए अभी आंखों की भाषा जबान पर तो नहीं आ पाई थी पर कामवालियों के माध्यम से सुनसुन कर उस को इस की गंभीरता का एहसास तो हो ही गया था.

एक दिन शाम की चाय पीते राजेशजी कुछ ज्यादा ही चुप थे. जब उन की चुप्पी अखरी, तो अमृता ने पूछ ही लिया, ‘‘कुछ खास बात है क्या?’’

‘‘है भी और नहीं भी. वे सुभाषजी हैं न. कल एक पार्टी में मिले थे. वे एकांत में ले जा कर मु झ से पूछने लगे कि मैं आप से शादी क्यों नहीं कर लेता. अब आप ही बताइए इस बेहूदे प्रश्न का मैं क्या जवाब देता.’’

‘‘कह देते कि, बस, आप के आदेश का इंतजार था,’’ यह कह कर अमृता जोरों से हंस पड़ी. बात हंसी में उड़ गई. पर हफ्ता भी नहीं बीता था, अपनी ही बिल्ंिडग के गृहप्रवेश की एक पार्टी में चुलबुली फैशनपरस्त गरिमा ने उस से पूछ ही लिया था, ‘‘मैडम, सुना है आप शादी करने जा रही हैं, मेरी बधाई स्वीकार कीजिए.’’

‘‘मैं तो आज पहली बार सुन रही हूं.  इस पर कभी सोचा नहीं. पर कभी  अगर सोचा तो आप से बधाई लेना  नहीं भूलूंगी.’’

उचित जवाब दे देने के बाद भी अमृता अपनी खी झ से उबर नहीं पाई. आसपास खड़ी महिलाओं की आंखों में छिपी व्यंग्य की खुशी को नकारना जब उसे कठिन जान पड़ने लगा तो वह पेट की तकलीफ का बहाना बना मेजबान से छुट्टी मांग घर चली आई.

दूसरे दिन शाम की चाय पीते हुए राजेशजी बहुत खुश नजर आ रहे थे.  अमृता से नहीं रहा गया, तो वे पूछ ही बैठी, ‘‘आज आप बहुत खुश हैं राजेशजी?’’

‘‘हां, आज मैं बहुत खुश हूं. मु झे एक ऐसी किताब हाथ लगी है कि मु झे लगने लगा है कि अगर मैं चाहूं तो अपना भविष्य अपने अनुकूल बना सकता हूं.’’

‘‘यह तो बहुत अच्छी बात है पर कैसे?’’

‘‘केवल अपनी बात को अपने अचेतन मन तक पहुंचाना है और पहुंचाने के लिए उसे बारबार दोहराना है और खासकर सोने से पहले जब चेतन मन की पकड़ थोड़ी ढीली पड़ जाती है तब जरूर दोहराना है.’’

‘‘किताब का नाम?’’

‘‘पावर औफ अनकौनशियस माइंड.’’

उस की उस दिन की शाम उसी किताब के बारे में सुनते हुए बीती थी. राजेशजी बहुत अच्छे वक्ता थे. उन के बोलने की शैली कुछकुछ कथावाचक जैसी हुआ करती थी जो श्रोता को अपनी गिरफ्त में कैद कर लेती थी. उस दिन उन्होंने सम झाया कि अपने मन को समरस, स्वस्थ, शांत और प्रसन्न रखने की कोशिश कीजिए. आप कोशिश कर के अपने अंदर शांति, प्रसन्नता, अच्छाई और समृद्धि का संकल्परूपी बीज बोना शुरू कीजिए तब देखिए कि चमत्कार क्या होता है, कैसे असंभव संभव हो जाता है, मन की खेती कैसे लहलहा उठती है.’’

The post फ्रेम – भाग 2 : पति के मौत के बाद अमृता के जीवन में क्या बदलाव आया? appeared first on Sarita Magazine.



from कहानी – Sarita Magazine https://ift.tt/3kUMHR9

‘‘रिटायरमैंट के बाद न चाहते  हुए भी जिंदगी की शाम तो  आ ही जाती है. किसी को शरीर पर पहले, किसी को मन पर पहले, पर शाम का धुंधलका अपने जीवन का अंग तो बन ही जाता है.’’

‘‘मैं ने अभी तक तो महसूस नहीं किया था पर अब… थोड़ीथोड़ी दिक्कत होने लगी है. दरअसल, मेरी असली समस्या है अकेलापन,’’ इतना कह कर अमृता अचानक चुप हो गई. उसे लगा कि एक अजनबी से वह अपनी व्यक्तिगत बातें क्यों कर रही है. फिर उस ने बात बदलने के लिए पूछा, ‘‘आप रहते कहां हैं?’’

‘‘इंदिरारानगर में.’’

‘‘मैं भी तो वहीं रहती हूं. आप का मकान नंबर?’’

‘‘44.’’

‘‘वही कहूं आप का चेहरा पहचानापहचाना सा क्यों लग रहा है. दरअसल, मैं भी वहीं रहती हूं गंगा एपार्टमैंट के एक फ्लैट में. अकसर आप को सड़क पर आतेजाते देखा होगा, इसीलिए पहचानापहचाना सा लगा. वैसे इस घर में आए मु झे अभी 6 ही महीने हुए हैं.’’

काफी देर तक इधरउधर, राजनीति आदि पर बातें होती रहीं. अचानक उसे सीता को समय देने की याद आई. वह उठती हुई बोली, ‘‘आप के पास अपनी सवारी है?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘आइए, मैं आप को घर छोड़ दूं.’’

उतरते समय अमृता ने उन का नाम पूछा, ‘‘अरे इतनी बातें हो गईं, मैं ने न अपना नाम बताया, न आप से नाम पूछा. मेरा नाम अमृता है.’’

‘‘मैं राजेश, पर आप भी उतरिए एक कप चाय हो जाए.’’

‘‘फिर कभी, अभी मैं ने एक आदमी को बुलाया है.’’

अमृता घर पहुंची तो सीता को इंतजार करते पाया. ताला खोलने के बाद जो काम का सिलसिला शुरू हुआ वह बहुत देर तक चलता रहा और वह सुबह की सारी बातें भूल गई थी. पर शाम को चाय ले कर बैठी तो उसे सारी बातें याद आईं. उसे आश्चर्य हुआ कि 2 घंटे कितने आराम से बीत गए थे. समय काटना ही तो उस के जीवन की सब से बड़ी परेशानी थी और वह परेशानी इतनी आसानी से…?

धीरेधीरे उस की ओर राजेशजी की घनिष्ठता बढ़ती गई. अमृता ने महसूस किया कि उस की और राजेशजी की रुचियां मिलतीजुलती हैं. बगीचे का रखरखाव दोनों की रुचियों का मुख्य केंद्र था. आध्यात्म पर अकसर वे बहस किया करते थे. अमृता को धार्मिक औपचारिकताओं पर विश्वास नहीं के बराबर था. पंडित, मंत्र, उपवास आदि पर उस का विश्वास नहीं था. वहीं राजेश यह मानते थे कि ये सारी चीजें महत्त्वपूर्ण हैं, केवल उन को सम झाने और करने का ढंग गलत है. राजेशजी किताबें बहुत पढ़ते थे. इतिहास उन का प्रिय विषय था. चाहे भाषा का इतिहास हो, संस्कृति का या साहित्य का, वे पढ़ते ही रहते थे.

एक दिन शाम को चाय पीते हुए

राजेशजी बताने लगे, ‘‘जानती हैं अमृताजी, 7 बुद्ध हुए हैं और ये अंतिम बुद्ध, जिन्हें हम गौतम बुद्ध कहते हैं, ईसा से 500 वर्ष पूर्व हुए थे. अभी जो खुदाई हो रही है उस में 7 बुद्ध की मूर्तियों वाले स्तूप मिल रहे हैं…’’

अमृता मंत्रमुग्ध चुपचाप सुनती रही. उसे आश्चर्य हुआ कि वह खुद नहीं जानती थी कि ऐसे शुष्क विषय भी उसे इतना सम्मोहित कर सकते हैं. यह विषय का सम्मोहन था या राजेशजी के बोलने के ढंग का. वह थोड़ी उल झ सी गई. फिलहाल उस का रिश्ता इतना करीबी का जरूर हो गया था कि शाम की चाय वे एकदूसरे के यहां पिएं, एकदूसरे के बीमार पढ़ने पर पूरी ईमानदारी से तीमारदारी करें.

उन दोनों की करीबी पर समाज अब चौकन्ना हो चला था. समाज की प्रतिक्रियाएं हवा में उड़तेउड़ते उन तक पहुंचने लगी थीं. अपनी ही बिल्ंिडग के किसी समारोह में लोगों की आंखों में अमृता पढ़ चुकी थी कि समाज इस रिश्ते को किस तरह से लेता है. अमृता के दबंग व्यक्तित्व को देखते हुए अभी आंखों की भाषा जबान पर तो नहीं आ पाई थी पर कामवालियों के माध्यम से सुनसुन कर उस को इस की गंभीरता का एहसास तो हो ही गया था.

एक दिन शाम की चाय पीते राजेशजी कुछ ज्यादा ही चुप थे. जब उन की चुप्पी अखरी, तो अमृता ने पूछ ही लिया, ‘‘कुछ खास बात है क्या?’’

‘‘है भी और नहीं भी. वे सुभाषजी हैं न. कल एक पार्टी में मिले थे. वे एकांत में ले जा कर मु झ से पूछने लगे कि मैं आप से शादी क्यों नहीं कर लेता. अब आप ही बताइए इस बेहूदे प्रश्न का मैं क्या जवाब देता.’’

‘‘कह देते कि, बस, आप के आदेश का इंतजार था,’’ यह कह कर अमृता जोरों से हंस पड़ी. बात हंसी में उड़ गई. पर हफ्ता भी नहीं बीता था, अपनी ही बिल्ंिडग के गृहप्रवेश की एक पार्टी में चुलबुली फैशनपरस्त गरिमा ने उस से पूछ ही लिया था, ‘‘मैडम, सुना है आप शादी करने जा रही हैं, मेरी बधाई स्वीकार कीजिए.’’

‘‘मैं तो आज पहली बार सुन रही हूं.  इस पर कभी सोचा नहीं. पर कभी  अगर सोचा तो आप से बधाई लेना  नहीं भूलूंगी.’’

उचित जवाब दे देने के बाद भी अमृता अपनी खी झ से उबर नहीं पाई. आसपास खड़ी महिलाओं की आंखों में छिपी व्यंग्य की खुशी को नकारना जब उसे कठिन जान पड़ने लगा तो वह पेट की तकलीफ का बहाना बना मेजबान से छुट्टी मांग घर चली आई.

दूसरे दिन शाम की चाय पीते हुए राजेशजी बहुत खुश नजर आ रहे थे.  अमृता से नहीं रहा गया, तो वे पूछ ही बैठी, ‘‘आज आप बहुत खुश हैं राजेशजी?’’

‘‘हां, आज मैं बहुत खुश हूं. मु झे एक ऐसी किताब हाथ लगी है कि मु झे लगने लगा है कि अगर मैं चाहूं तो अपना भविष्य अपने अनुकूल बना सकता हूं.’’

‘‘यह तो बहुत अच्छी बात है पर कैसे?’’

‘‘केवल अपनी बात को अपने अचेतन मन तक पहुंचाना है और पहुंचाने के लिए उसे बारबार दोहराना है और खासकर सोने से पहले जब चेतन मन की पकड़ थोड़ी ढीली पड़ जाती है तब जरूर दोहराना है.’’

‘‘किताब का नाम?’’

‘‘पावर औफ अनकौनशियस माइंड.’’

उस की उस दिन की शाम उसी किताब के बारे में सुनते हुए बीती थी. राजेशजी बहुत अच्छे वक्ता थे. उन के बोलने की शैली कुछकुछ कथावाचक जैसी हुआ करती थी जो श्रोता को अपनी गिरफ्त में कैद कर लेती थी. उस दिन उन्होंने सम झाया कि अपने मन को समरस, स्वस्थ, शांत और प्रसन्न रखने की कोशिश कीजिए. आप कोशिश कर के अपने अंदर शांति, प्रसन्नता, अच्छाई और समृद्धि का संकल्परूपी बीज बोना शुरू कीजिए तब देखिए कि चमत्कार क्या होता है, कैसे असंभव संभव हो जाता है, मन की खेती कैसे लहलहा उठती है.’’

The post फ्रेम – भाग 2 : पति के मौत के बाद अमृता के जीवन में क्या बदलाव आया? appeared first on Sarita Magazine.

August 31, 2021 at 10:00AM

फ्रेम – भाग 1 : पति के मौत के बाद अमृता के जीवन में क्या बदलाव आया?

अमृताजी ने अपनी गाड़ी का दरवाजा खोला ही था कि सामने से सीता ने आवाज दी, ‘‘मेमसाहब, हम आ गए हैं.’’उसे थोड़ी उल झन हुई कि क्या करे क्या न करे, दरअसल, मैडिटेशन क्लास जाने का उस का पहला ही दिन था. पहले वह गुरुजी को घर ही बुला लिया करती थी, लेकिन सुषमा हफ्तों से उसे सम झा रही थी कि क्लास में जाने के क्याक्या फायदे हैं. उस के अनुसार, क्लास में सब लोगों की सोच एक ही तरह की रहती है तो बातें करना आसान हो जाता है. फिर आप को खुद अपनी गलती सुधारने का मौका भी मिल जाता है. एक हलकी प्रतिस्पर्धा रहने पर आप जल्दी सीखते हैं.

सुषमा की बातों में सचाई थी. घर में तो गुरुजी के आने पर ही तैयारी शुरू करती. कुछ समय तो उसी में निकल जाता, कभीकभी कुछ आलस में भी और सब से बड़ी बात यह थी कि घर में वह अपने प्रिंसिपलशिप का चोला उतार गुरुजी को सहजता से गुरु स्वीकार नहीं कर पाती थी. सारी बातें सोचतेसोचते उस ने फैसला किया था कि वह भी क्लास जौइन करेगी. गुरुजी से बात कर के सवेरे के समय में क्लास जाने की बात तय भी हो गई थी. पर वह सीता से कहना भूल गई थी, इसलिए आज जब वह जा रही थी तब, ‘‘ऐसा करो सीता, आज तुम 2 घंटे के बाद आ जाओ, फिर हम तय करेंगे कि कल से हम क्या करेंगे.’’

क्लास पहुंची तो उसे थोड़ी सी मानसिक समस्या हुई. 30-35 साल के अधिकतर लोगों के बीच उस का 65 साल का होना उसे कुछ भारी पड़ने लगा था और सब से भारी पड़ने लगा उस का अपना व्यवहार, उस का अपना आदेश देने वाला व्यक्तित्व. वह करीबन 10 साल एक स्कूल के प्रिंसिपल के पद पर रही और इन 10 सालों में आदेश देना उस के व्यक्तित्व का अंग बन चुका था. ऐसे में परिस्थितियों से सम झौता असंभव नहीं तो कठिन जरूर हो गया था.

ऐसा नहीं कि उस ने पहले काम नहीं किया था. वह शादी के पहले अपने मायके के शहर में स्कूल टीचर थी. उस के पिता ने शादी में यह शर्त भी रखी थी कि लड़की नौकरी करना चाहेगी तो आप उसे मना नहीं कीजिएगा. अमृता दबंग बाप की दबंग बेटी थी. उस का कभी पापा से टकराव भी होता था मां को ले कर. उस का भाई तो मां की तरह का सीधासाधा इंसान था. पर वह पापा द्वारा मां पर की हुई ज्यादतियों पर सीधे लड़ जाती थी. पापा कहा भी करते थे, ‘पता नहीं यह ससुराल में कैसे रहेगी.’

‘मां की तरह तो हरगिज नहीं पापा,’ वह फौरन जवाब देती. पापा भी हंस कर कहते, ‘तुम मेरी पत्नी को बहकाया मत करो,’ फिर बात हंसी में उड़ जाती.

ससुराल में केवल 2 ही व्यक्ति थे, एक पति और एक सास. दोनों ही बहुत सीधेसादे. उसे ससुराल के शहर के एक स्कूल में नौकरी मिल गई. पति केवल सीधेसादे ही नहीं, सहज और दिलचस्प इंसान भी थे. सकारात्मकता उन में कूटकूट कर भरी हुई थी. उन की पुशतैनी कपड़े की दुकान थी. पिताजी के गुजरने के बाद वे ही दुकान के सर्वेसर्वा थे, इसलिए वे सुबह के 9 बजे से रात के 9 बजे तक वहीं उल झे रहते थे. हां, इतवार जरूर खुशनुमा होता था दोनों छुट्टी पर जो रहते थे और उस दिन के खुशनुमा एहसास में हफ्ता अच्छी तरह बीत जाता था. शुरू के दिनों में अमृता को न घूम पाने की कसक जरूर रहती थी पर बाद में उस ने उस का रास्ता भी निकाल लिया था. कभी स्कूल के साथ ट्रिप पर कभी दोस्तों के साथ घूमफिर आती थी. अम्मा के कारण बच्चे भी उस के घूमने में बाधक नहीं बनते थे.

घर चलाना, बच्चे पालना उस का जिम्मा कभी नहीं रहा. ये सारे काम अम्मा ही करती थीं. वह कभीकभी सोचती जरूर थी कि वह अम्मा के उपकारों का बदला कैसे चुकाएगी. फिर यह कह कर खुद को तसल्ली दे लेती थी कि उन का बुढ़ापा आएगा तो वह जीभर सेवा कर देगी. पर उन्होंने इस का भी अवसर नहीं दिया, एक रात सोईं तो सोई रह गईं.

उस समय तक बच्चे बड़े हो चुके थे. उन का साथ अब केवल छुट्टियों में ही मिल पाता था और वह भी कुछ ही साल. उन की पढ़ाई खत्म हुई तो नौकरी और नौकरी को ले कर विदेश गए तो वहीं के हो कर रह गए. दोनों लड़कों ने वहीं शादी कर ली. एक ने तो कम से कम गुजराती चुना, दूसरे ने तो सीधे जरमन लड़की से शादी कर ली. इसलिए बहुओं से उस का रिश्ता पनपा ही नहीं. बस, रस्मीतौर पर फोन पर संपर्क करने के अलावा कोई रिश्ता नहीं था. चूंकि बहुओं से वह कोई रिश्ता नही पनपा पाई, इसलिए बेटों से भी रिश्ता सूखता गया.

इस बीच उस के जीवन में 2 बड़ी घटनाएं घटीं- पति की आकास्मिक मृत्यु और खुद का उसी स्कूल में प्रिंसिपल हो जाना.  बच्चे बाप के मरने पर आए, उस को साथ चलने के लिए कहने की औपचारिकता भी निभाई. उस ने भी रिटायरमैंट के बाद कह कर  औपचारिकता का जवाब औपचारिकता से दे दिया. बस, उस के बाद मिलने के सूखे वादे ही उस की ममता की  झोली में गिरते रहे. वह भी बिना किसी भावुकता के इस की आदी होती चली गई. यानी, उस की जिंदगी का निचोड़ यह था कि उसे कभी रिश्तों में सम झौता करने कि जरूरत ही नहीं पड़ी थी.

रिटायरमैंट के बाद सारा परिदृश्य ही बदल गया. पति के मरने के बाद अभी तक वह स्कूल के ही प्रिंसिपल क्वार्टर में रहती थी, इसलिए वहां से मिलने वाली सारी सुविधाओं की वह आदी हो गई थी. पर फिर से फ्लैट में आ कर रहना, वहां की परेशानियों से रूबरू होना उस को बहुत भारी पड़ने लगा था. क्वार्टर में किसी दाई या चपरासी की मजाल थी कि उस का कहा न सुने. पर यहां दाई, माली, धोबी, सब अपने मन की ही करते और उसे सम झौता करना ही पड़ता था. पर सब से अधिक जो उस पर भारी पड़ता था वह था उस का अपना अकेलापन. व्यस्त जिंदगी के बीच वह अपना कोई शौक पनपा नहीं पाई थी. पढ़ने की तो आदत थी पर उपन्यास या कहानी नहीं. काम की अधिकता या फिर कर्मठ व्यक्तित्व होने के कारण मोबाइल से समय काटने की आदत वह अपने अंदर पनपा ही नहीं पाई थी. परिचितों के दायरे को भी उस ने सीमित ही रखा था. बस, एक दोस्त के नाम पर सुषमा थी. वह शिक्षिका वाले दिनों की एकमात्र सहेली थी, जिस से वह निसंकोच हो कर अपनी समस्या बांटती थी. एक दिन अपने ही घर में कौफी पीतेपीते उस ने पूछा था, ‘सुषमा, आखिर वह समय कैसे काटे?’

‘किसी संस्था से जुड़ जाओ,’ सुषमा के यह कहने के पहले ही वह कई संस्थाओं का दरवाजा खटखटा चुकी थी. पर हर जगह उसे काम से ज्यादा दिखावा या फिर पैसे कि लूटखसोट ही देखने को मिली थी. जिंदगीभर ईमानदारी से काम करने वाली अमृता की ये बातें, गले से नीचे नहीं उतर पाई थीं. सुषमा से की इन्हीं बहसों के बीच मैडिटेशन सीखने का विचार आया था क्योंकि मन तो मन, अब कभीकभी शरीर भी विद्रोह करने लगा था. इसलिए सुषमा का दिया यह प्रस्ताव उसे पसंद आया था और थोड़ी मेहनत कर गुरु भी खोज लिया था पर बाद में क्लास जाना ही तय हुआ था.

इसलिए पहले दिन मैडिटेशन क्लास में उसे सबकुछ विचित्र सा लगा. थोड़ी ऊब, थोड़ी निराशा सी हुई. दूसरे दिन बड़ी अनिच्छा से उस का क्लास जाना हुआ था. लेकिन प्रैक्टिस करने के बाद फूलती सांस को सामान्य बनाने के लिए  जब वह कुरसी पर बैठी तो उस ने देखा कि उसी की उम्र का एक आदमी बगल वाली कुरसी पर बैठा उस से कुछ पूछ रहा है.

‘‘आप का पहला दिन है क्या?’’ ‘‘हां,’’ अपनी सांसों पर नियंत्रण रख कर मुश्किल से वह यह कह पाई. ‘‘मैं तो पिछले साल से आ रहा हूं. मैं सेना से रिटायर्ड हुआ हूं, इसलिए मैडिटेशन मेरे लिए शौक नहीं, जरूरत है.’’‘‘मैं रिटायर्ड प्रिंसिपल हूं. मु झे शरीर के लिए कम, मन के लिए मैडिटेशन की ज्यादा जरूरत है.’’

 

The post फ्रेम – भाग 1 : पति के मौत के बाद अमृता के जीवन में क्या बदलाव आया? appeared first on Sarita Magazine.



from कहानी – Sarita Magazine https://ift.tt/3BFwpSX

अमृताजी ने अपनी गाड़ी का दरवाजा खोला ही था कि सामने से सीता ने आवाज दी, ‘‘मेमसाहब, हम आ गए हैं.’’उसे थोड़ी उल झन हुई कि क्या करे क्या न करे, दरअसल, मैडिटेशन क्लास जाने का उस का पहला ही दिन था. पहले वह गुरुजी को घर ही बुला लिया करती थी, लेकिन सुषमा हफ्तों से उसे सम झा रही थी कि क्लास में जाने के क्याक्या फायदे हैं. उस के अनुसार, क्लास में सब लोगों की सोच एक ही तरह की रहती है तो बातें करना आसान हो जाता है. फिर आप को खुद अपनी गलती सुधारने का मौका भी मिल जाता है. एक हलकी प्रतिस्पर्धा रहने पर आप जल्दी सीखते हैं.

सुषमा की बातों में सचाई थी. घर में तो गुरुजी के आने पर ही तैयारी शुरू करती. कुछ समय तो उसी में निकल जाता, कभीकभी कुछ आलस में भी और सब से बड़ी बात यह थी कि घर में वह अपने प्रिंसिपलशिप का चोला उतार गुरुजी को सहजता से गुरु स्वीकार नहीं कर पाती थी. सारी बातें सोचतेसोचते उस ने फैसला किया था कि वह भी क्लास जौइन करेगी. गुरुजी से बात कर के सवेरे के समय में क्लास जाने की बात तय भी हो गई थी. पर वह सीता से कहना भूल गई थी, इसलिए आज जब वह जा रही थी तब, ‘‘ऐसा करो सीता, आज तुम 2 घंटे के बाद आ जाओ, फिर हम तय करेंगे कि कल से हम क्या करेंगे.’’

क्लास पहुंची तो उसे थोड़ी सी मानसिक समस्या हुई. 30-35 साल के अधिकतर लोगों के बीच उस का 65 साल का होना उसे कुछ भारी पड़ने लगा था और सब से भारी पड़ने लगा उस का अपना व्यवहार, उस का अपना आदेश देने वाला व्यक्तित्व. वह करीबन 10 साल एक स्कूल के प्रिंसिपल के पद पर रही और इन 10 सालों में आदेश देना उस के व्यक्तित्व का अंग बन चुका था. ऐसे में परिस्थितियों से सम झौता असंभव नहीं तो कठिन जरूर हो गया था.

ऐसा नहीं कि उस ने पहले काम नहीं किया था. वह शादी के पहले अपने मायके के शहर में स्कूल टीचर थी. उस के पिता ने शादी में यह शर्त भी रखी थी कि लड़की नौकरी करना चाहेगी तो आप उसे मना नहीं कीजिएगा. अमृता दबंग बाप की दबंग बेटी थी. उस का कभी पापा से टकराव भी होता था मां को ले कर. उस का भाई तो मां की तरह का सीधासाधा इंसान था. पर वह पापा द्वारा मां पर की हुई ज्यादतियों पर सीधे लड़ जाती थी. पापा कहा भी करते थे, ‘पता नहीं यह ससुराल में कैसे रहेगी.’

‘मां की तरह तो हरगिज नहीं पापा,’ वह फौरन जवाब देती. पापा भी हंस कर कहते, ‘तुम मेरी पत्नी को बहकाया मत करो,’ फिर बात हंसी में उड़ जाती.

ससुराल में केवल 2 ही व्यक्ति थे, एक पति और एक सास. दोनों ही बहुत सीधेसादे. उसे ससुराल के शहर के एक स्कूल में नौकरी मिल गई. पति केवल सीधेसादे ही नहीं, सहज और दिलचस्प इंसान भी थे. सकारात्मकता उन में कूटकूट कर भरी हुई थी. उन की पुशतैनी कपड़े की दुकान थी. पिताजी के गुजरने के बाद वे ही दुकान के सर्वेसर्वा थे, इसलिए वे सुबह के 9 बजे से रात के 9 बजे तक वहीं उल झे रहते थे. हां, इतवार जरूर खुशनुमा होता था दोनों छुट्टी पर जो रहते थे और उस दिन के खुशनुमा एहसास में हफ्ता अच्छी तरह बीत जाता था. शुरू के दिनों में अमृता को न घूम पाने की कसक जरूर रहती थी पर बाद में उस ने उस का रास्ता भी निकाल लिया था. कभी स्कूल के साथ ट्रिप पर कभी दोस्तों के साथ घूमफिर आती थी. अम्मा के कारण बच्चे भी उस के घूमने में बाधक नहीं बनते थे.

घर चलाना, बच्चे पालना उस का जिम्मा कभी नहीं रहा. ये सारे काम अम्मा ही करती थीं. वह कभीकभी सोचती जरूर थी कि वह अम्मा के उपकारों का बदला कैसे चुकाएगी. फिर यह कह कर खुद को तसल्ली दे लेती थी कि उन का बुढ़ापा आएगा तो वह जीभर सेवा कर देगी. पर उन्होंने इस का भी अवसर नहीं दिया, एक रात सोईं तो सोई रह गईं.

उस समय तक बच्चे बड़े हो चुके थे. उन का साथ अब केवल छुट्टियों में ही मिल पाता था और वह भी कुछ ही साल. उन की पढ़ाई खत्म हुई तो नौकरी और नौकरी को ले कर विदेश गए तो वहीं के हो कर रह गए. दोनों लड़कों ने वहीं शादी कर ली. एक ने तो कम से कम गुजराती चुना, दूसरे ने तो सीधे जरमन लड़की से शादी कर ली. इसलिए बहुओं से उस का रिश्ता पनपा ही नहीं. बस, रस्मीतौर पर फोन पर संपर्क करने के अलावा कोई रिश्ता नहीं था. चूंकि बहुओं से वह कोई रिश्ता नही पनपा पाई, इसलिए बेटों से भी रिश्ता सूखता गया.

इस बीच उस के जीवन में 2 बड़ी घटनाएं घटीं- पति की आकास्मिक मृत्यु और खुद का उसी स्कूल में प्रिंसिपल हो जाना.  बच्चे बाप के मरने पर आए, उस को साथ चलने के लिए कहने की औपचारिकता भी निभाई. उस ने भी रिटायरमैंट के बाद कह कर  औपचारिकता का जवाब औपचारिकता से दे दिया. बस, उस के बाद मिलने के सूखे वादे ही उस की ममता की  झोली में गिरते रहे. वह भी बिना किसी भावुकता के इस की आदी होती चली गई. यानी, उस की जिंदगी का निचोड़ यह था कि उसे कभी रिश्तों में सम झौता करने कि जरूरत ही नहीं पड़ी थी.

रिटायरमैंट के बाद सारा परिदृश्य ही बदल गया. पति के मरने के बाद अभी तक वह स्कूल के ही प्रिंसिपल क्वार्टर में रहती थी, इसलिए वहां से मिलने वाली सारी सुविधाओं की वह आदी हो गई थी. पर फिर से फ्लैट में आ कर रहना, वहां की परेशानियों से रूबरू होना उस को बहुत भारी पड़ने लगा था. क्वार्टर में किसी दाई या चपरासी की मजाल थी कि उस का कहा न सुने. पर यहां दाई, माली, धोबी, सब अपने मन की ही करते और उसे सम झौता करना ही पड़ता था. पर सब से अधिक जो उस पर भारी पड़ता था वह था उस का अपना अकेलापन. व्यस्त जिंदगी के बीच वह अपना कोई शौक पनपा नहीं पाई थी. पढ़ने की तो आदत थी पर उपन्यास या कहानी नहीं. काम की अधिकता या फिर कर्मठ व्यक्तित्व होने के कारण मोबाइल से समय काटने की आदत वह अपने अंदर पनपा ही नहीं पाई थी. परिचितों के दायरे को भी उस ने सीमित ही रखा था. बस, एक दोस्त के नाम पर सुषमा थी. वह शिक्षिका वाले दिनों की एकमात्र सहेली थी, जिस से वह निसंकोच हो कर अपनी समस्या बांटती थी. एक दिन अपने ही घर में कौफी पीतेपीते उस ने पूछा था, ‘सुषमा, आखिर वह समय कैसे काटे?’

‘किसी संस्था से जुड़ जाओ,’ सुषमा के यह कहने के पहले ही वह कई संस्थाओं का दरवाजा खटखटा चुकी थी. पर हर जगह उसे काम से ज्यादा दिखावा या फिर पैसे कि लूटखसोट ही देखने को मिली थी. जिंदगीभर ईमानदारी से काम करने वाली अमृता की ये बातें, गले से नीचे नहीं उतर पाई थीं. सुषमा से की इन्हीं बहसों के बीच मैडिटेशन सीखने का विचार आया था क्योंकि मन तो मन, अब कभीकभी शरीर भी विद्रोह करने लगा था. इसलिए सुषमा का दिया यह प्रस्ताव उसे पसंद आया था और थोड़ी मेहनत कर गुरु भी खोज लिया था पर बाद में क्लास जाना ही तय हुआ था.

इसलिए पहले दिन मैडिटेशन क्लास में उसे सबकुछ विचित्र सा लगा. थोड़ी ऊब, थोड़ी निराशा सी हुई. दूसरे दिन बड़ी अनिच्छा से उस का क्लास जाना हुआ था. लेकिन प्रैक्टिस करने के बाद फूलती सांस को सामान्य बनाने के लिए  जब वह कुरसी पर बैठी तो उस ने देखा कि उसी की उम्र का एक आदमी बगल वाली कुरसी पर बैठा उस से कुछ पूछ रहा है.

‘‘आप का पहला दिन है क्या?’’ ‘‘हां,’’ अपनी सांसों पर नियंत्रण रख कर मुश्किल से वह यह कह पाई. ‘‘मैं तो पिछले साल से आ रहा हूं. मैं सेना से रिटायर्ड हुआ हूं, इसलिए मैडिटेशन मेरे लिए शौक नहीं, जरूरत है.’’‘‘मैं रिटायर्ड प्रिंसिपल हूं. मु झे शरीर के लिए कम, मन के लिए मैडिटेशन की ज्यादा जरूरत है.’’

 

The post फ्रेम – भाग 1 : पति के मौत के बाद अमृता के जीवन में क्या बदलाव आया? appeared first on Sarita Magazine.

August 31, 2021 at 10:00AM

वर्जित फल : मालती क जिंदगी में राकेश के आने से क्या बदलाव आया

लेखक- गोपाल कृष्ण शर्मा

मालती ने जिस साल बीए का का इम्तिहान पास किया था, उसी साल से उस के बड़े भाई ने उस के लिए लड़का देखना शुरू कर दिया था. इस सिलसिले में राकेश का पता चला, जो इंटर कालेज, चंपतपुर में अंगरेजी पढ़ाता है. वे 2 भाई हैं. उन के पास 8 एकड़ जमीन है, जिस पर राकेश का बड़ा भाई खेती करता है. राकेश के घर वालों ने मालती को देखते ही शादी के लिए हां कह दी और शादी की तारीख तय करने के लिए कहा. उन की बात सुन कर मालती की मां ने कहा, ‘‘बहनजी, अभी लड़के ने तो लड़की देखी नहीं है. उन्हें भी लड़की दिखा दी जाए.

आखिर जिंदगी तो उन दोनों को ही एकसाथ गुजारनी है.’’ इस पर राकेश की मां ने जवाब दिया, ‘‘हमारा राकेश बहुत सीधा और संकोची स्वभाव का है. हम ने उस से लड़की देखने के लिए बारबार कहा, मगर उस ने हर बार यही कहा, ‘‘आप लोग पहले लड़की देख लीजिए. जो लड़की आप को पसंद होगी, वही मु?ो भी पसंद होगी.’’ उन की बात सुन कर सभी लोग राकेश की तारीफ करने लगे, केवल मालती ही मन मसोस कर रह गई. उसे इस बात पर गुस्सा आ रहा था कि क्या केवल लड़के को ही हक है कि वह अपना जीवनसाथी पसंद करे, लड़की को इस का हक नहीं है? उसे इतना भी हक नहीं है कि उसे जिस के साथ जिंदगी बितानी है, उसे शादी के पहले एक ?ालक देख ले.

ये भी पढ़ें- Short Story : सही राह

शादी की तारीख तय होने के साथ ही परिवार में त्योहार का सा माहौल बन गया और देखते ही देखते बरात मालती के दरवाजे पर आ गई. मालती की सखियां उसे सजा कर जयमाल के लिए सजाए गए मंच की ओर ले कर पहुंचीं. मालती हाथों में वरमाला लिए सखियों के साथ जब मंच पर पहुंची, तो वर पर नजर पड़ते ही वह सन्न रह गई. हड्डियों का ढांचा सिर पर मौर धरे उस के सामने खड़ा था. मालती का चेहरा अपने वर को देख कर उतर गया. उस की इच्छा हुई कि वह जयमाल को तोड़ कर फेंक दे और वहां से भाग जाए. कैसेकैसे सपने देखे थे उस ने अपने जीवनसाथी के बारे में और यह कैसा जोड़ मिला है. मालती यह सब सोच ही रही थी, तभी उस की बड़ी बहन ने उस का हाथ कस कर दबा दिया. उस की चेतना लौटी और उस ने बु?ो मन से राकेश के गले में जयमाल डाल दी. वर को देख कर हर कोई उस पर टिप्पणी कर रहा था. उन की बात सुन कर कुछ जिम्मेदार औरतों ने हालात संभालते हुए कहा, ‘कुछ लोगों की सेहत शादी के बाद सुधर जाती है. जब पत्नी के हाथ का भोजन करेगा, तो उस की सेहत सुधर जाएगी.

शादी के बाद मालती जब ससुराल पहुंची, तो घर की अच्छी हालत देख कर उसे कुछ तसल्ली हुई. ससुराल में उस के रूपरंग की खूब तारीफ हुई. उस की ननद और जेठानी ने उस की सुहागरात के लिए फूलों की सेज तैयार कराई और रात के साढ़े 9 बजे वे दोनों मालती के साथ हंसीमजाक करते हुए उस के कमरे में छोड़ आईं. रात 10 बजे राकेश ने कमरे में प्रवेश किया, तो उस का दिल तेजी से धड़कने लगा. राकेश ने उस का घूंघट उठाया, तो मालती का खूबसूरत चेहरा देख कर उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वह देर तक मालती का मुंह चूमता रहा और उस के शरीर को प्यार से सहलाता रहा. जब राकेश ने पहली बार संबंध बनाया, तो वह एक मिनट भी नहीं टिक सका. इस के बाद उस रात को उस ने 2 बार संबंध बनाया, पर दोनों बार वह एक मिनट से आधे मिनट के अंदर ही पस्त हो गया. मालती सारी रात प्यासी मछली की तरह छटपटाती रही. मालती 5 दिन तक ससुराल में रही और हर रात उसे ऐसे ही दुखदायी हालात से गुजरना पड़ा. मालती जब अपने मायके पहुंची, तो अपनी मां और भाभी के गले लग कर खूब रोई.

ये भी पढ़ें- Short Story: इश्क का भूत

उस की भाभी द्वारा रोने की वजह बारबार पूछे जाने पर उस ने सारी बात उन्हें बता दी. 2 महीने बाद राकेश बड़े भाई सुरेश के साथ ससुराल गया और मालती को विदा करा कर ले आया. घर में परदा प्रथा होने के चलते भयंकर गरमी में भी मालती को राकेश के साथ बंद कमरे में ही सोना पड़ता था. उस के कमरे के आगे बने बरामदे में उस के जेठजेठानी सोते थे और उस के सासससुर छत पर सोते थे. एक रात जब राकेश एक मिनट में अपनी मर्दानगी दिखा कर खर्राटे भर रहा था और मालती काम की आग में जलते हुए सोने की कोशिश कर रही थी, तभी बरामदे में चारपाई के चरमराने और औरत के सीत्कार की आवाज उसे सुनाई दी. यह आवाज तकरीबन 20 मिनट तक उस के कानों में गूंजती हुई उस की तड़प को बढ़ाती रही. अगले दिन फुरसत के पलों में मालती ने अपनी जेठानी को बातों ही बातों में आभास करा दिया कि कल रात जब वह जेठजी के साथ धमाचौकड़ी मचा रही थी, तो वह जाग रही थी.

मालती की जेठानी यह सुन कर शर्म से पानीपानी हो गई, फिर सफाई देते हुए बोली, ‘‘क्या करूं, रात में भोजन करने के बाद उन्हें होश ही नहीं रहता है. मेरे शरीर को तो वे रूई की तरह धुन कर रख देते हैं. उस समय इन के शरीर में बिजली जैसी फुरती और घोड़े जैसी ताकत आ जाती है. घंटों छोड़ते ही नहीं. मैं तो बेदम हो जाती हूं और अगले दिन घर का काम निबटाने में भी मुश्किल हो जाती है.’’ जेठानी की बात सुन कर मालती का मन हुआ कि वह अपनी छाती पीट ले, मगर उस ने हंस कर कहा, ‘‘तुम जेठजी को मनमानी करने दो, घर का काम मैं संभाल लूंगी.’’ इस चर्चा का नतीजा यह हुआ कि उस रात मालती की जेठानी बरामदे में न लेट कर अपने कमरे में जा कर लेट गई. रात में जब उस के जेठ ने अपनी पत्नी से कहा, ‘‘वहां क्यों गरमी में सड़ रही हो. यहां बाहर ठंडी हवा में क्यों नहीं लेटती?’’ ‘‘आज मैं कमरे में ही लेटूंगी. तुम्हें वहां लेटना हो तो लेटो,’’ जेठानी ने कमरे से ही जवाब दिया. मालती अपने कमरे में लेटी उन दोनों की बातचीत सुन रही थी. राकेश मालती को कुछ क्षणों में अपनी मर्दानगी दिखा कर हांफता हुआ एक तरफ को लुढ़क गया और जल्दी ही गहरी नींद में सो गया. मगर मालती को आधी रात तक नींद ही नहीं आई. इस बीच वह अपने कमरे से बाहर निकली. बरामदे में उस के जेठ खर्राटे भर रहे थे.

बाथरूम से जब वह वापस लौटी, तो जेठ की चारपाई के पास आ कर उस के पैर ठिठक गए. उस ने एक क्षण रुक कर पूरे घर का जायजा लिया. घोर सन्नाटा पसरा हुआ था. उसे इतमीनान हो गया कि सभी लोग गहरी नींद में सो रहे हैं. वह हिम्मत कर के सुरेश की चारपाई पर उस से चिपक कर लेट गई. नशे में चूर सुरेश की नींद जल्दी ही खुल गई और उस ने मालती को दबोच कर संबंध बनाना शुरू कर दिया. जल्दी ही मालती की ?ि?ाक दूर हो गई और वह भी सुरेश का साथ देने लगी. जब सुरेश की पकड़ धीमी पड़ी, तब तक मालती संतुष्ट हो चुकी थी. पसीने से लथपथ सुरेश ने जब उसे छोड़ा, तभी उस की नजर मालती के चेहरे पर पड़ी. उस ने चौंक कर कहा, ‘‘तुम…?’’ तभी मालती ने सुरेश के मुंह पर हाथ रख कर कहा, ‘‘आप ने एक प्यासी की आज प्यास बुझाई है. आप के भाई तो किसी लायक हैं नहीं, मजबूरन मु?ो अपनी प्यास बु?ाने के लिए आप के पास आना पड़ा.’’ मालती चुपचाप अपने कमरे में आ कर सो गई. इस के बाद से तो वह हर दूसरेतीसरे दिन रात को उठ कर सुरेश के पास जा कर अपनी प्यास बुझाने लगी.

ये भी पढ़ें- तिमोथी : क्या थी तिमोथी की कहानी

सुरेश ने 2-3 बार तो संकोच का अनुभव किया, मगर फिर वह भी हर रात को मालती का इंतजार करने लगा. उस की अपनी पत्नी तो बच्चे पालने में ही परेशान रहती थी, फिर उम्र के साथ ही उस का जोश भी कम होता जा रहा था. सर्दियों में मालती ने सुरेश से नींद की गोलियां मंगवा लीं और रोजाना खाने में नींद की गोलियां डाल कर राकेश और अपनी जेठानी को देने लगी. सुरेश अब दिनभर चौपाल में पड़ा सोता रहता और रात में राकेश के सोने के बाद उस के कमरे में घुस जाता और मालती के साथ मजे लेता.

मगर, एक रात सुरेश की मां जब आंगन में शौचालय जा रही थीं, तभी सुरेश को मालती के कमरे से निकल कर अपने कमरे में जाते हुए देख लिया. वे दबे पैर मालती के कमरे में गईं, राकेश खर्राटे भर रहा था. उन्होंने मालती को बाल पकड़ कर उठाया और बोलीं, ‘‘वर्जित फल खाते हुए शर्म नहीं आई तु?ो कुलच्छिनी?’’ मालती चोरी पकड़े जाने पर पहले तो सकपकाई, मगर फिर संभल कर बोली, ‘‘भूख पर एक सीमा तक ही काबू रखा जा सकता है अम्मां. वर्जित फल स्वाद के लिए नहीं, मजबूरी में खाती हूं. तुम्हारे बेटे को तो औरत की जरूरत ही नहीं है. मैं उन के सहारे नहीं रह सकूंगी अम्मां.’’ उन दोनों की बातचीत सुन कर राकेश भी जाग गया था. उसे अपनी कमजोरी का अहसास तो था ही, इसीलिए वह चुपचाप सिर ?ाका कर कमरे के बाहर निकल गया.

The post वर्जित फल : मालती क जिंदगी में राकेश के आने से क्या बदलाव आया appeared first on Sarita Magazine.



from कहानी – Sarita Magazine https://ift.tt/3kDl2DX

लेखक- गोपाल कृष्ण शर्मा

मालती ने जिस साल बीए का का इम्तिहान पास किया था, उसी साल से उस के बड़े भाई ने उस के लिए लड़का देखना शुरू कर दिया था. इस सिलसिले में राकेश का पता चला, जो इंटर कालेज, चंपतपुर में अंगरेजी पढ़ाता है. वे 2 भाई हैं. उन के पास 8 एकड़ जमीन है, जिस पर राकेश का बड़ा भाई खेती करता है. राकेश के घर वालों ने मालती को देखते ही शादी के लिए हां कह दी और शादी की तारीख तय करने के लिए कहा. उन की बात सुन कर मालती की मां ने कहा, ‘‘बहनजी, अभी लड़के ने तो लड़की देखी नहीं है. उन्हें भी लड़की दिखा दी जाए.

आखिर जिंदगी तो उन दोनों को ही एकसाथ गुजारनी है.’’ इस पर राकेश की मां ने जवाब दिया, ‘‘हमारा राकेश बहुत सीधा और संकोची स्वभाव का है. हम ने उस से लड़की देखने के लिए बारबार कहा, मगर उस ने हर बार यही कहा, ‘‘आप लोग पहले लड़की देख लीजिए. जो लड़की आप को पसंद होगी, वही मु?ो भी पसंद होगी.’’ उन की बात सुन कर सभी लोग राकेश की तारीफ करने लगे, केवल मालती ही मन मसोस कर रह गई. उसे इस बात पर गुस्सा आ रहा था कि क्या केवल लड़के को ही हक है कि वह अपना जीवनसाथी पसंद करे, लड़की को इस का हक नहीं है? उसे इतना भी हक नहीं है कि उसे जिस के साथ जिंदगी बितानी है, उसे शादी के पहले एक ?ालक देख ले.

ये भी पढ़ें- Short Story : सही राह

शादी की तारीख तय होने के साथ ही परिवार में त्योहार का सा माहौल बन गया और देखते ही देखते बरात मालती के दरवाजे पर आ गई. मालती की सखियां उसे सजा कर जयमाल के लिए सजाए गए मंच की ओर ले कर पहुंचीं. मालती हाथों में वरमाला लिए सखियों के साथ जब मंच पर पहुंची, तो वर पर नजर पड़ते ही वह सन्न रह गई. हड्डियों का ढांचा सिर पर मौर धरे उस के सामने खड़ा था. मालती का चेहरा अपने वर को देख कर उतर गया. उस की इच्छा हुई कि वह जयमाल को तोड़ कर फेंक दे और वहां से भाग जाए. कैसेकैसे सपने देखे थे उस ने अपने जीवनसाथी के बारे में और यह कैसा जोड़ मिला है. मालती यह सब सोच ही रही थी, तभी उस की बड़ी बहन ने उस का हाथ कस कर दबा दिया. उस की चेतना लौटी और उस ने बु?ो मन से राकेश के गले में जयमाल डाल दी. वर को देख कर हर कोई उस पर टिप्पणी कर रहा था. उन की बात सुन कर कुछ जिम्मेदार औरतों ने हालात संभालते हुए कहा, ‘कुछ लोगों की सेहत शादी के बाद सुधर जाती है. जब पत्नी के हाथ का भोजन करेगा, तो उस की सेहत सुधर जाएगी.

शादी के बाद मालती जब ससुराल पहुंची, तो घर की अच्छी हालत देख कर उसे कुछ तसल्ली हुई. ससुराल में उस के रूपरंग की खूब तारीफ हुई. उस की ननद और जेठानी ने उस की सुहागरात के लिए फूलों की सेज तैयार कराई और रात के साढ़े 9 बजे वे दोनों मालती के साथ हंसीमजाक करते हुए उस के कमरे में छोड़ आईं. रात 10 बजे राकेश ने कमरे में प्रवेश किया, तो उस का दिल तेजी से धड़कने लगा. राकेश ने उस का घूंघट उठाया, तो मालती का खूबसूरत चेहरा देख कर उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वह देर तक मालती का मुंह चूमता रहा और उस के शरीर को प्यार से सहलाता रहा. जब राकेश ने पहली बार संबंध बनाया, तो वह एक मिनट भी नहीं टिक सका. इस के बाद उस रात को उस ने 2 बार संबंध बनाया, पर दोनों बार वह एक मिनट से आधे मिनट के अंदर ही पस्त हो गया. मालती सारी रात प्यासी मछली की तरह छटपटाती रही. मालती 5 दिन तक ससुराल में रही और हर रात उसे ऐसे ही दुखदायी हालात से गुजरना पड़ा. मालती जब अपने मायके पहुंची, तो अपनी मां और भाभी के गले लग कर खूब रोई.

ये भी पढ़ें- Short Story: इश्क का भूत

उस की भाभी द्वारा रोने की वजह बारबार पूछे जाने पर उस ने सारी बात उन्हें बता दी. 2 महीने बाद राकेश बड़े भाई सुरेश के साथ ससुराल गया और मालती को विदा करा कर ले आया. घर में परदा प्रथा होने के चलते भयंकर गरमी में भी मालती को राकेश के साथ बंद कमरे में ही सोना पड़ता था. उस के कमरे के आगे बने बरामदे में उस के जेठजेठानी सोते थे और उस के सासससुर छत पर सोते थे. एक रात जब राकेश एक मिनट में अपनी मर्दानगी दिखा कर खर्राटे भर रहा था और मालती काम की आग में जलते हुए सोने की कोशिश कर रही थी, तभी बरामदे में चारपाई के चरमराने और औरत के सीत्कार की आवाज उसे सुनाई दी. यह आवाज तकरीबन 20 मिनट तक उस के कानों में गूंजती हुई उस की तड़प को बढ़ाती रही. अगले दिन फुरसत के पलों में मालती ने अपनी जेठानी को बातों ही बातों में आभास करा दिया कि कल रात जब वह जेठजी के साथ धमाचौकड़ी मचा रही थी, तो वह जाग रही थी.

मालती की जेठानी यह सुन कर शर्म से पानीपानी हो गई, फिर सफाई देते हुए बोली, ‘‘क्या करूं, रात में भोजन करने के बाद उन्हें होश ही नहीं रहता है. मेरे शरीर को तो वे रूई की तरह धुन कर रख देते हैं. उस समय इन के शरीर में बिजली जैसी फुरती और घोड़े जैसी ताकत आ जाती है. घंटों छोड़ते ही नहीं. मैं तो बेदम हो जाती हूं और अगले दिन घर का काम निबटाने में भी मुश्किल हो जाती है.’’ जेठानी की बात सुन कर मालती का मन हुआ कि वह अपनी छाती पीट ले, मगर उस ने हंस कर कहा, ‘‘तुम जेठजी को मनमानी करने दो, घर का काम मैं संभाल लूंगी.’’ इस चर्चा का नतीजा यह हुआ कि उस रात मालती की जेठानी बरामदे में न लेट कर अपने कमरे में जा कर लेट गई. रात में जब उस के जेठ ने अपनी पत्नी से कहा, ‘‘वहां क्यों गरमी में सड़ रही हो. यहां बाहर ठंडी हवा में क्यों नहीं लेटती?’’ ‘‘आज मैं कमरे में ही लेटूंगी. तुम्हें वहां लेटना हो तो लेटो,’’ जेठानी ने कमरे से ही जवाब दिया. मालती अपने कमरे में लेटी उन दोनों की बातचीत सुन रही थी. राकेश मालती को कुछ क्षणों में अपनी मर्दानगी दिखा कर हांफता हुआ एक तरफ को लुढ़क गया और जल्दी ही गहरी नींद में सो गया. मगर मालती को आधी रात तक नींद ही नहीं आई. इस बीच वह अपने कमरे से बाहर निकली. बरामदे में उस के जेठ खर्राटे भर रहे थे.

बाथरूम से जब वह वापस लौटी, तो जेठ की चारपाई के पास आ कर उस के पैर ठिठक गए. उस ने एक क्षण रुक कर पूरे घर का जायजा लिया. घोर सन्नाटा पसरा हुआ था. उसे इतमीनान हो गया कि सभी लोग गहरी नींद में सो रहे हैं. वह हिम्मत कर के सुरेश की चारपाई पर उस से चिपक कर लेट गई. नशे में चूर सुरेश की नींद जल्दी ही खुल गई और उस ने मालती को दबोच कर संबंध बनाना शुरू कर दिया. जल्दी ही मालती की ?ि?ाक दूर हो गई और वह भी सुरेश का साथ देने लगी. जब सुरेश की पकड़ धीमी पड़ी, तब तक मालती संतुष्ट हो चुकी थी. पसीने से लथपथ सुरेश ने जब उसे छोड़ा, तभी उस की नजर मालती के चेहरे पर पड़ी. उस ने चौंक कर कहा, ‘‘तुम…?’’ तभी मालती ने सुरेश के मुंह पर हाथ रख कर कहा, ‘‘आप ने एक प्यासी की आज प्यास बुझाई है. आप के भाई तो किसी लायक हैं नहीं, मजबूरन मु?ो अपनी प्यास बु?ाने के लिए आप के पास आना पड़ा.’’ मालती चुपचाप अपने कमरे में आ कर सो गई. इस के बाद से तो वह हर दूसरेतीसरे दिन रात को उठ कर सुरेश के पास जा कर अपनी प्यास बुझाने लगी.

ये भी पढ़ें- तिमोथी : क्या थी तिमोथी की कहानी

सुरेश ने 2-3 बार तो संकोच का अनुभव किया, मगर फिर वह भी हर रात को मालती का इंतजार करने लगा. उस की अपनी पत्नी तो बच्चे पालने में ही परेशान रहती थी, फिर उम्र के साथ ही उस का जोश भी कम होता जा रहा था. सर्दियों में मालती ने सुरेश से नींद की गोलियां मंगवा लीं और रोजाना खाने में नींद की गोलियां डाल कर राकेश और अपनी जेठानी को देने लगी. सुरेश अब दिनभर चौपाल में पड़ा सोता रहता और रात में राकेश के सोने के बाद उस के कमरे में घुस जाता और मालती के साथ मजे लेता.

मगर, एक रात सुरेश की मां जब आंगन में शौचालय जा रही थीं, तभी सुरेश को मालती के कमरे से निकल कर अपने कमरे में जाते हुए देख लिया. वे दबे पैर मालती के कमरे में गईं, राकेश खर्राटे भर रहा था. उन्होंने मालती को बाल पकड़ कर उठाया और बोलीं, ‘‘वर्जित फल खाते हुए शर्म नहीं आई तु?ो कुलच्छिनी?’’ मालती चोरी पकड़े जाने पर पहले तो सकपकाई, मगर फिर संभल कर बोली, ‘‘भूख पर एक सीमा तक ही काबू रखा जा सकता है अम्मां. वर्जित फल स्वाद के लिए नहीं, मजबूरी में खाती हूं. तुम्हारे बेटे को तो औरत की जरूरत ही नहीं है. मैं उन के सहारे नहीं रह सकूंगी अम्मां.’’ उन दोनों की बातचीत सुन कर राकेश भी जाग गया था. उसे अपनी कमजोरी का अहसास तो था ही, इसीलिए वह चुपचाप सिर ?ाका कर कमरे के बाहर निकल गया.

The post वर्जित फल : मालती क जिंदगी में राकेश के आने से क्या बदलाव आया appeared first on Sarita Magazine.

August 31, 2021 at 10:00AM

नौकरी में वृद्धि और नौकरी में वृद्धि के बीच अंतर (तालिका के साथ) - Ask Any Difference

जॉब इज़ाफ़ा एक जॉब डिज़ाइन तकनीक है। नौकरी संवर्धन एक प्रबंधन उपकरण है। उद्देश्य, नौकरी ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3mQiJA6
जॉब इज़ाफ़ा एक जॉब डिज़ाइन तकनीक है। नौकरी संवर्धन एक प्रबंधन उपकरण है। उद्देश्य, नौकरी ...

ओडिशा नौकरी 2021 | 3343+ नवीनतम सरकार लागू करें - Top Government Jobs

ओडिशा के लिए सरकारी नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं। राज्यवार और केंद्र सरकार ओडिशा नौकरियों ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3gLv8Si
ओडिशा के लिए सरकारी नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं। राज्यवार और केंद्र सरकार ओडिशा नौकरियों ...

आश्रितों ने जाम किया बागजाता माइंस गेट, छह घंटे तक अयस्क की ढुलाई बंद

नौकरी देने की मांग को लेकर पूर्व कर्मचारियों के आश्रितों ने शुक्रवार की सुबह सात बजे ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2V3jb2A
नौकरी देने की मांग को लेकर पूर्व कर्मचारियों के आश्रितों ने शुक्रवार की सुबह सात बजे ...

Latest Govt Job News - Ask to Apply

अपने लिए सरकारी नौकरी यहाँ से खोजें ... सरकारी नौकरी · स्वास्थ्य विभाग में सरकारी नौकरी ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3BuZHDF
अपने लिए सरकारी नौकरी यहाँ से खोजें ... सरकारी नौकरी · स्वास्थ्य विभाग में सरकारी नौकरी ...

राशिफल आर्काइव्ज - Khabarexpo

अगस्त 28, 2021 · 0; 72. आज का राशि फल 27 अगस्त 2021 शुक्रवार, आज क्या कहती है आपकी नौकरी व्यापार.

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3gMvLe1
अगस्त 28, 2021 · 0; 72. आज का राशि फल 27 अगस्त 2021 शुक्रवार, आज क्या कहती है आपकी नौकरी व्यापार.

परिवार के एक सदस्य को मिले सरकारी नौकरी - Tehri News - अमर उजाला

उन्होंने क्षेत्र पंचायत सदस्य रश्मि देवी, पवन कुमाईं, कैप्टन रतन सिंह भंडारी (सेनि), ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3DziwqT
उन्होंने क्षेत्र पंचायत सदस्य रश्मि देवी, पवन कुमाईं, कैप्टन रतन सिंह भंडारी (सेनि), ...

एएसआई पूर्ण सिंह व उसके बेटे सहित तीन पर लाखों की ठगी का केस दर्ज - अमर उजाला

आरोपी ने उसे बताया था कि वह अपने बेटे के साथ लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने का काम करता ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3jsXF0o
आरोपी ने उसे बताया था कि वह अपने बेटे के साथ लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने का काम करता ...

Sunday 29 August 2021

तमिलनाडु लोक सेवा आयोग ने इन पदों पर निकाली नौकरी, ऐसे करें आवेदन - Madhav Sandesh News

तमिलनाडु लोक सेवा आयोग ने इन पदों पर निकाली नौकरी, ऐसे करें आवेदन. Photo of News Group News GroupAugust 29, ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3zuFsFh
तमिलनाडु लोक सेवा आयोग ने इन पदों पर निकाली नौकरी, ऐसे करें आवेदन. Photo of News Group News GroupAugust 29, ...

कोरोना काल में मृत कार्मिकों के आश्रितों को नौकरी मिलने की उम्मीद

जागरण संवाददाता, औरैया: परिवहन निगम व इसके कर्मचारियों की समस्याओं पर उत्तर प्रदेश ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3BppWLs
जागरण संवाददाता, औरैया: परिवहन निगम व इसके कर्मचारियों की समस्याओं पर उत्तर प्रदेश ...

विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश, तीन गिरफ्तार - Uttarakhand Morning Post

गिरोह सिंगापुर की स्टैमफोर्ड कंपनी में नौकरी लगाने का झांसा देता था। आरोपितों से 36 ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3gEcHyL
गिरोह सिंगापुर की स्टैमफोर्ड कंपनी में नौकरी लगाने का झांसा देता था। आरोपितों से 36 ...

आठवीं पास सरकारी नौकरी 2021 (8th Pass Government Job 2021) के लिए करें अप्लाई

भारत रिजल्ट के टीम द्वारा नियमित रूप से देश भर में निकली नई नौकरी के अपडेट यहाँ ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2Y9dgdx
भारत रिजल्ट के टीम द्वारा नियमित रूप से देश भर में निकली नई नौकरी के अपडेट यहाँ ...

बच्चो कर लो तैयारी अब सरकारी नौकरी की बारी.. बेरोजगार युवाओं सरकार आनलाइन फ्री कोचिंग देगी

रोजगार कार्यालय में आने वाले 95 फीसद युवा यही सोचते हैं कि उनको केवल सरकारी नौकरी ही मिले ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2WDcYev
रोजगार कार्यालय में आने वाले 95 फीसद युवा यही सोचते हैं कि उनको केवल सरकारी नौकरी ही मिले ...

साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स में 43 लोगों को मिली नौकरी - Patrika

जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है उनको नौकरी देने के लिए कलेक्टर संजीव ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2Wzxmgx
जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है उनको नौकरी देने के लिए कलेक्टर संजीव ...

कंडक्टर भर्ती: फोरेंसिक में पांच अधिकारियों के हस्ताक्षर नमूनों का दस्तावेजों से हुआ मिलान - अमर उजाला

... मामले में 23 ऐसे अभ्यर्थियों को नौकरी दे दी गई थी, जो कि इंटरव्यू देने आए ही नहीं थे।

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2Y85lNz
... मामले में 23 ऐसे अभ्यर्थियों को नौकरी दे दी गई थी, जो कि इंटरव्यू देने आए ही नहीं थे।

बिना सर्विस रिवाल्वर के आठ माह से नौकरी कर रहे आबकारी निरीक्षक

महराजगंज: नौतनवा के आबकारी निरीक्षक संदीप नाथ त्रिपाठी की चोरी हुई सर्विस रिवाल्वर ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3kBD5KB
महराजगंज: नौतनवा के आबकारी निरीक्षक संदीप नाथ त्रिपाठी की चोरी हुई सर्विस रिवाल्वर ...

अलग-अलग स्थानों से दो बाइक उठा ले गए चोर - Jaunpur News - अमर उजाला

सदरगंज मोहल्ले में घनश्याम मोदनवाल की मिठाई की दुकान है। जहां देर शाम एक युवक नौकरी करने ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3sV8j3l
सदरगंज मोहल्ले में घनश्याम मोदनवाल की मिठाई की दुकान है। जहां देर शाम एक युवक नौकरी करने ...

10वीं युवाओं के लिए सरकारी नौकरी पाने का सुनहरा मौका, इस जिले में 79 पदों पर निकली भर्ती - Rgh News

RGHNEWS PRASHANT TIWARI छत्तीसगढ़ में 10वीं और 12वीं पास के लिए विभिन्न पदों के लिए नौकरियां निकली ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2Wswiex
RGHNEWS PRASHANT TIWARI छत्तीसगढ़ में 10वीं और 12वीं पास के लिए विभिन्न पदों के लिए नौकरियां निकली ...

अजमेर मैं नौकरियां की जानकारी - हिंदी रोजगार – सरकारी नौकरी

अजमेर सरकारी नौकरी अधिसूचना और रोजगार समाचार।अजमेर शहर मैं नौकरियां की पूरी जानकारी ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3kx8UV3
अजमेर सरकारी नौकरी अधिसूचना और रोजगार समाचार।अजमेर शहर मैं नौकरियां की पूरी जानकारी ...

Sarkari Naukri 2021: बिना परीक्षा पाएं BHEL में सरकारी नौकरी, इस पद पर मिलेगा 2 लाख रुपये वेतन

BHEL Recruitment 2021, Sarkari Naukri 2021: मेडिकल फील्ड में नौकरी (Medical Jobs) पाने का यहा अच्छा मौका है।

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3kCYAL4
BHEL Recruitment 2021, Sarkari Naukri 2021: मेडिकल फील्ड में नौकरी (Medical Jobs) पाने का यहा अच्छा मौका है।

10वीं युवाओं के लिए सरकारी नौकरी पाने का सुनहरा मौका, इस जिले में 79 पदों पर निकली भर्ती - Janta Se Rishta

छत्तीसगढ़ में 10वीं और 12वीं पास के लिए विभिन्न पदों के लिए नौकरियां निकली हैं इन पदों ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3joMTZd
छत्तीसगढ़ में 10वीं और 12वीं पास के लिए विभिन्न पदों के लिए नौकरियां निकली हैं इन पदों ...

नौकरी दिलाने का झांसा देकर ऑनलाइन 36 हजार की ठगी - Hindustan

नौकरी पाने के लिए एक फार्म भरकर 11 रुपये फीस जमा करनी होगी। पीड़ित के अनुसार उसने विश्वास ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3ztztAM
नौकरी पाने के लिए एक फार्म भरकर 11 रुपये फीस जमा करनी होगी। पीड़ित के अनुसार उसने विश्वास ...

Sarkari Naukri Railway In Hindi 2021 | सरकारी नौकरी रेलवे 2021

रेलवे सरकारी नौकरी फ्रेशर एवं अनुभवी उम्मीदवार जो आवेदन करने की इच्छुक हैं रेलवे सरकारी ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3DrVbaK
रेलवे सरकारी नौकरी फ्रेशर एवं अनुभवी उम्मीदवार जो आवेदन करने की इच्छुक हैं रेलवे सरकारी ...

पंचायत सहायक की नौकरी पाने को अभिलेखों में हेरफेर - Hindustan

दूसरे गांव के युवक ने लेखपाल से मिलकर बनवाए कागज. जमा कर दिया आवेदन, पीड़ित ने की मामले ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2WBoBCv
दूसरे गांव के युवक ने लेखपाल से मिलकर बनवाए कागज. जमा कर दिया आवेदन, पीड़ित ने की मामले ...

खुद को चीफ जस्टिस बता छेड़छाड़ के दोषी को नौकरी पर बहाल करने दिए आदेश, केस दर्ज - अमर उजाला

इस पर निगम ने उसे पद से बर्खास्त कर दिया था। बलवान ने नौकरी बहाली के लिए कोर्ट में याचिका ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3yrpOJE
इस पर निगम ने उसे पद से बर्खास्त कर दिया था। बलवान ने नौकरी बहाली के लिए कोर्ट में याचिका ...

नौकरी का झांसा देकर खाते से हजारों निकाले

एक युवक को अंजान नंबर से किसी युवती ने कॉल कर नौकरी दिलाने का झांसा दिया और एक फार्म भरकर ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3DCBHQX
एक युवक को अंजान नंबर से किसी युवती ने कॉल कर नौकरी दिलाने का झांसा दिया और एक फार्म भरकर ...

cheating in the name of job in railway - रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगी

रेलवे में नौकरी लगाने के नाम पर सवा तीन लाख रुपये ठगी के मामला में छौड़ादानो खैरवा के ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2WuHeIy
रेलवे में नौकरी लगाने के नाम पर सवा तीन लाख रुपये ठगी के मामला में छौड़ादानो खैरवा के ...

त्रिपुरा के अगरतला में जिन शिक्षकों की नौकरी खत्म कर दी गई है, उनका मंचीय प्रदर्शन - Hindi Able

10323 शिक्षकों की संयुक्त आंदोलन समिति के सदस्यों ने अपनी नौकरी वापस लेने की मांग को ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3ksYeGM
10323 शिक्षकों की संयुक्त आंदोलन समिति के सदस्यों ने अपनी नौकरी वापस लेने की मांग को ...

सरकारी नौकरी पाने के लिए बेच दी जमीन, 62 लाख ठगकर दो आरोपी फरार - गुरुग्राम न्यूज़

चपरासी के जरिए कथित से मिले थे पीडित, चार लोगों को FCI में नौकरी दिलाने के लिए बुलवाया था ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3yumAVL
चपरासी के जरिए कथित से मिले थे पीडित, चार लोगों को FCI में नौकरी दिलाने के लिए बुलवाया था ...

संकट से प्रेरित राष्ट्रपति पद 'अकेला नौकरी' में बिडेन - Zaroorat

संकट से प्रेरित राष्ट्रपति पद 'अकेला नौकरी' में बिडेन. Team Zaroorat August 28, 2021 1 min read.

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3mJzBs8
संकट से प्रेरित राष्ट्रपति पद 'अकेला नौकरी' में बिडेन. Team Zaroorat August 28, 2021 1 min read.

तथ्य को छिपाकर नौकरी हासिल करने वाले ग्राम पंचायत अधिकारी बर्खास्त

राहुल अपने पिता की मृत्यु के बाद आश्रित से नौकरी हासिल किया था। जिस पर उसे ग्राम ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2Y8Rx5t
राहुल अपने पिता की मृत्यु के बाद आश्रित से नौकरी हासिल किया था। जिस पर उसे ग्राम ...

24 लाख पद खाली , फिर भी नौकरी को तरस रहे बेरोजगार , देखें विभागवार आंकड़ा 24 Lakh Posts Vacant ...

देशभर में इस वक्त 24 लाख से भी सरकारी नौकरी के पद रिक्त है। देश भर में समय के साथ - साथ ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3Dv9cUS
देशभर में इस वक्त 24 लाख से भी सरकारी नौकरी के पद रिक्त है। देश भर में समय के साथ - साथ ...

रेलवे में बिना परीक्षा के नौकरी पाने का सुनहरा अवसर, वेतन 35 हजार तक, पढ़े पूरी रिपोर्ट - Himachal News

रेलवे में नौकरी की तलाश कर रहे उम्मीदवारों के लिए एक अच्छी खबर है। यदि आप भी ऐसे लोगों ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3sUhP6C
रेलवे में नौकरी की तलाश कर रहे उम्मीदवारों के लिए एक अच्छी खबर है। यदि आप भी ऐसे लोगों ...

आत्मनिर्भर एमपीः 2000 नए उद्योग शुरू होंगे, 50 हजार को मिलेगी नौकरी - Patrika

टीसीएस- इंफोसिस ने दी नौकरी ... ने सरकार की सख्ती के बाद 700 स्थानीय लोगों को नौकरी दी है।

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3DkCWUu
टीसीएस- इंफोसिस ने दी नौकरी ... ने सरकार की सख्ती के बाद 700 स्थानीय लोगों को नौकरी दी है।

Rewa News : रीवा में नौकरी दिलाने के नाम पर प्रॉपर्टी डीलर ने ऐंठे 42 लाख रुपये - Navbharat Times

एमपी के रीवा जिले (Rewa News Update) में एक प्रॉपर्टी डीलर (Property Dealer Murder Case Update) ने सरकारी नौकरी ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3zuk4jz
एमपी के रीवा जिले (Rewa News Update) में एक प्रॉपर्टी डीलर (Property Dealer Murder Case Update) ने सरकारी नौकरी ...

पंजाब: इंजीनियर ने नौकरी छोड़कर शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती, हो रही लाखों की कमाई - Dragon Fruit ... - AajTak

इंजीनियर ने नौकरी छोड़कर गेहूं, धान की खेती के चक्र से निकलकर ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) की ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3BmTXM1
इंजीनियर ने नौकरी छोड़कर गेहूं, धान की खेती के चक्र से निकलकर ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) की ...

यूपी होम गार्ड भर्ती 2021 - UPHG 30000 होमगार्ड वैकेंसी लेटेस्ट न्यूज़

नौकरी का प्रकार :- सरकारी जॉब. आवेदन का तरीका :- ऑनलाइन. ऑफिसियल वेबसाइट :- www.homeguard.up.gov.in ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2Wr4IOJ
नौकरी का प्रकार :- सरकारी जॉब. आवेदन का तरीका :- ऑनलाइन. ऑफिसियल वेबसाइट :- www.homeguard.up.gov.in ...

ज्योतिष के अनुसार ऐसे करें पता आपकी किस्मत में सरकारी नौकरी है या नहीं

जॉब सिक्‍यॉरिटी की वजह से आज ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं। जिनमें से.

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3gIhmjc
जॉब सिक्‍यॉरिटी की वजह से आज ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं। जिनमें से.

अगर आप भी नौकरी करते हैं तो ये फॉर्म भरना न भूलें, इनकम टैक्स के नोटिस से बच जाएंगे | Income ...

Income Tax Rules: अगर आप कहीं नौकरी करते हैं और आप चाहते हैं कि आपका टैक्स ना कटे तो आप समय पर ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/38m0eLp
Income Tax Rules: अगर आप कहीं नौकरी करते हैं और आप चाहते हैं कि आपका टैक्स ना कटे तो आप समय पर ...

वरिष्ठ नागरिकों के लिए नौकरी का सुनहरा मौका, अपनी सुविधानुसार कर सकते काम - News Nation

ऐसे वरिष्ठ नागरिक, जो अभी भी काम करने के लिए नौकरी की तलाश में हैं, उनके लिए एक सुनहरे ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2WyLcQg
ऐसे वरिष्ठ नागरिक, जो अभी भी काम करने के लिए नौकरी की तलाश में हैं, उनके लिए एक सुनहरे ...

सरकारी नौकरी: ग्रेजुएट के लिए नायाब तहसीलदार, डिप्टी जेलर समेत कई पदों पर भर्ती.... 190 वैकेंसी ...

सरकारी नौकरी: ग्रेजुएट के लिए नायाब तहसीलदार, डिप्टी जेलर समेत कई पदों पर भर्ती.

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3Br6iPr
सरकारी नौकरी: ग्रेजुएट के लिए नायाब तहसीलदार, डिप्टी जेलर समेत कई पदों पर भर्ती.

Mandla News: नौकरी का झांसा देकर छल करना प.डा महंगा तीन साल की हुई जेल - Naidunia

काफी दिनों तक नौकरी नहीं लगने पर तथा आरोपिता से पूछताछ करने पर टाल-मटोल कर बहाने बाजी किए ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/38lrOZh
काफी दिनों तक नौकरी नहीं लगने पर तथा आरोपिता से पूछताछ करने पर टाल-मटोल कर बहाने बाजी किए ...

सपा सरकार बनने पर ही नौकरी का सपना होगा पूरा

भाजपा सरकार में 70 लाख नौकरी देने का वादा किया था, जो सिर्फ एक छलावा साबित हुआ है।

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3gH0lG5
भाजपा सरकार में 70 लाख नौकरी देने का वादा किया था, जो सिर्फ एक छलावा साबित हुआ है।

इंडिगो एयरलाइंस में एयर होस्टेस की नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जी इंस्टाग्राम आईडी बनाकर - Facebook

इंडिगो एयरलाइंस में एयर होस्टेस की नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जी इंस्टाग्राम आईडी ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3sUBuU5
इंडिगो एयरलाइंस में एयर होस्टेस की नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जी इंस्टाग्राम आईडी ...

नौकरी और शिक्षा में सरकार दे सकती है 27% ओबीसी आरक्षण, सियासत गरम, कांग्रेस बोली भाजपा ...

जबलपुर 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण मामले पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में लम्बित 6 याचिकाओं के बीच ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2XVNgC7
जबलपुर 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण मामले पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में लम्बित 6 याचिकाओं के बीच ...

नौकरी पाने के लिए सेवा में मरने वाले महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारियों के परिजन - Udtikhabar

... को सेवा के दौरान उनकी मृत्यु के मामले में अनुकंपा आधार पर नौकरी प्रदान करने के.

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2UUhmoq
... को सेवा के दौरान उनकी मृत्यु के मामले में अनुकंपा आधार पर नौकरी प्रदान करने के.

एनटीपीसी में नौकरी का सुनहरा अवसर, इन पदों पर निकली भर्तियां - ZE NEWS

एनटीपीसी में नौकरी का सुनहरा अवसर, इन पदों पर निकली भर्तियां. Avatar. BySK CHANDRA.

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3zDIEyo
एनटीपीसी में नौकरी का सुनहरा अवसर, इन पदों पर निकली भर्तियां. Avatar. BySK CHANDRA.

चप्पल से की थी लिपिक की पिटाई, अब नौकरी से हाथ धो बैठी महिला सफाई कर्मचारी... - Ballia Ajkal

बलियाः बिल्थरारोड रोडवेज पर चप्पलकांड करने वाली आउटसोर्सिंग की प्राइवेट महिला सफाई ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3BmXcDm
बलियाः बिल्थरारोड रोडवेज पर चप्पलकांड करने वाली आउटसोर्सिंग की प्राइवेट महिला सफाई ...

पृष्ठ - ViewJobDetails - National Career Service

NCS अपने पोर्टल पर पंजीकरण, नौकरी आवेदन, साक्षात्कार प्रक्रिया और रोजगार से संबंधित ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3DtWeXN
NCS अपने पोर्टल पर पंजीकरण, नौकरी आवेदन, साक्षात्कार प्रक्रिया और रोजगार से संबंधित ...

महिला के लिए सरकारी नौकरी 2021 - Apsole

महिला के लिए सरकारी नौकरी 2021, अगर आप एक महिला है और आप सरकारी नौकरी ढूंढ रही है तो मै ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3DnOQ05
महिला के लिए सरकारी नौकरी 2021, अगर आप एक महिला है और आप सरकारी नौकरी ढूंढ रही है तो मै ...

एनटीपीसी में नौकरी का सुनहरा अवसर, इन पदों पर निकली भर्तियां | TIMES BREAK

एनटीपीसी में नौकरी का सुनहरा अवसर, इन पदों पर निकली भर्तियां. By. admin. -. August 27, 2021.

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3jpLLV5
एनटीपीसी में नौकरी का सुनहरा अवसर, इन पदों पर निकली भर्तियां. By. admin. -. August 27, 2021.

नौकरी पाने के लिए सेवा में मर रहे महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारियों के परिजन - Zaroorat

... को सेवा के दौरान उनकी मृत्यु की स्थिति में अनुकंपा के आधार पर नौकरी प्रदान करने के.

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3BiSIgQ
... को सेवा के दौरान उनकी मृत्यु की स्थिति में अनुकंपा के आधार पर नौकरी प्रदान करने के.

आज हो रहा है रोजगार मेले का आयोजन ,नौकरी के इच्छुक पहुंचे यहां - Punjab 365 News

जिसमें कई नामी कंपनियां युवाओं को नौकरी की पेशकश करेगी। इसके साथ ही बेरोजगार युवक व ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3sXAcYE
जिसमें कई नामी कंपनियां युवाओं को नौकरी की पेशकश करेगी। इसके साथ ही बेरोजगार युवक व ...

डेढ़ लाख की नौकरी छोड़ अपने छोटे खेत में शुरू किया ये बिजनेस, सालाना 32 लाख की कमाई - ETV Bharat

ये बात करनाल के किसान निर्मल सिंह (Farmer Nirmal Singh Karnal) पर सटीक बैठती है. निर्मल सिंह किसान ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3DlQ3F7
ये बात करनाल के किसान निर्मल सिंह (Farmer Nirmal Singh Karnal) पर सटीक बैठती है. निर्मल सिंह किसान ...

Saturday 28 August 2021

महिलाओं को काम पर वापस बुला रहा तालिबान, कहा- नौकरी से कोई ऐतराज नहीं - Navbharat Times

इस्लामिक शासन को उनके नौकरी करने से कोई ऐतराज नहीं है।' इससे पहले आईं रिपोर्ट्स में ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3jnwTXm
इस्लामिक शासन को उनके नौकरी करने से कोई ऐतराज नहीं है।' इससे पहले आईं रिपोर्ट्स में ...

Sarkari Naukri: बिजली विभाग में 300 से ज्‍यादा पदों पर सरकारी नौकरी का मौका, जानें कहां

GSECL Gujarat Electricity Board Recruitment: सरकारी नौकरी की चाहत रखने वाले युवाओं के लिए खुशखबरी है।

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3mFzLkz
GSECL Gujarat Electricity Board Recruitment: सरकारी नौकरी की चाहत रखने वाले युवाओं के लिए खुशखबरी है।

खूबसूरती के चलते नहीं मिल पा रही नौकरी, महिला का दावा- इंटरव्यू के दौरान मुझे घूरते रह जाते हैं लोग ...

32 साल की एमी कुप्स (Amy Kupps) का दावा है कि उन्हें नौकरी इसलिए नहीं मिलती, क्योंकि वो बेहद ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3mNljqq
32 साल की एमी कुप्स (Amy Kupps) का दावा है कि उन्हें नौकरी इसलिए नहीं मिलती, क्योंकि वो बेहद ...

BSF Constable Recruitment 2021: 10वीं पास के लिए BSF में नौकरी का सुनहरा मौका, जल्द करें ...

नई दिल्ली. BSF Constable Recruitment 2021: सीमा सुरक्षा बल (BSF) में नौकरी का सपना देखने वाले युवाओं के ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3jlpV54
नई दिल्ली. BSF Constable Recruitment 2021: सीमा सुरक्षा बल (BSF) में नौकरी का सपना देखने वाले युवाओं के ...

छत्तीसगढ़: रिटायर्ड फौजी गिरफ्तार, सरकारी नौकरी लगाने के नाम पर कर रहा था ठगी - Janta Se Rishta

आरोपी ने दो लड़कियों को रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 10 हजार रुपए लिए थे।

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2WxPhEj
आरोपी ने दो लड़कियों को रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 10 हजार रुपए लिए थे।

Oil India recruitment 2021: ऑयल इंडिया में 500 से अधिक पदों पर निकली वैकेंसी, यहा जानें नौकरी से ...

Oil India Limited Recruitment 2021: सरकारी विभागों में नौकरी (Goverment jobs) करने की इच्छा रखने वाले युवाओं ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3kw5FNJ
Oil India Limited Recruitment 2021: सरकारी विभागों में नौकरी (Goverment jobs) करने की इच्छा रखने वाले युवाओं ...

Oil India recruitment 2021: ऑयल इंडिया में 500 से अधिक पदों पर निकली वैकेंसी, यहा जानें - Zee Business

सरकारी नौकरी में सुरक्षा होती है नौकरी जाने का खतरा बहुत कम होता है. यही वजह है कि अधिकतर ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3mJXe3V
सरकारी नौकरी में सुरक्षा होती है नौकरी जाने का खतरा बहुत कम होता है. यही वजह है कि अधिकतर ...

राशिफल 28 अगस्त: तुला-वृश्चिक को नौकरी में लाभ, जानें किन राशियों के लिए शुभ आज का दिन - AajTak

तुला- नौकरी लगने के योग हैं, मान सम्मान की प्राप्ति होगी. वृश्चिक. 8/12.

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/2WplY73
तुला- नौकरी लगने के योग हैं, मान सम्मान की प्राप्ति होगी. वृश्चिक. 8/12.

Delhi Govt Jobs 2021 | दिल्ली में सरकारी नौकरी 27761 पदों पे भर्ती - - Sarkari Info

Delhi Govt Jobs Vacancy 2021: Here you will get Delhi State Government Job Recruitment Latest Notification on this page. All the top organizations in Delhi ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3mCdAf3
Delhi Govt Jobs Vacancy 2021: Here you will get Delhi State Government Job Recruitment Latest Notification on this page. All the top organizations in Delhi ...

चिंताजनक: कोरोना के कारण नौकरी गई, अर्थव्यवस्था से लेकर सामान्य जनजीवन तक हुआ बेपटरी - अमर उजाला

73 फीसदी का मानना है कि जिनके पास अच्छे संपर्क थे, वो इस दौर में भी नौकरी पा सके। मानसिक ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3gFl792
73 फीसदी का मानना है कि जिनके पास अच्छे संपर्क थे, वो इस दौर में भी नौकरी पा सके। मानसिक ...

परियोजना सहयोगी के पदों पर यहाँ निकली नौकरी, देखें आवेदन प्रक्रिया - Madhav Sandesh News

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद ने परियोजना सहयोगी के रिक्त पद पर अनुभवी ...

from Google Alert - नौकरी https://ift.tt/3BkKTY1
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद ने परियोजना सहयोगी के रिक्त पद पर अनुभवी ...

Friday 27 August 2021

दहक : रेहान तलाकशुदा से क्यों शादी करना चाहता था ?

रेहान को मैं क्या जवाब दूं? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. उस ने मुझे मुश्किल में डाल दिया है. मैं दूसरी शादी नहीं करना चाहती, पर वह है कि  मेरे पीछे ही पड़ गया है. मुझ से शादी करना चाहता है.

मैं दोबारा उन दर्दों को सहन नहीं करना चाहती, जो मैं पहले सहन कर चुकी हूं. अब सब ठीकठाक चल रहा है. मेरी जिंदगी सही दिशा में चल रही है. मैं खुश हूं और मेरी बेटी भी.

रेहान जानता है कि मैं तलाकशुदा हूं और मेरी एक बच्ची भी है, 5 साल की. फिर भी वह मुझ से शादी करना चाहता है और मेरी बेटी को भी अपनाना चाहता है. पर शादी कर के मैं दोबारा उस पीड़ा में नहीं पड़ना चाहती, जिस से मैं निकल कर आई हूं.

रेहान पूछता है कि आखिर बात क्या है? तुम शादी क्यों नहीं करना चाहती हो? वजह क्या है? मैं क्या बताऊं? मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है. वजह बताऊं भी या नहीं? बताऊं भी तो किस तरह? कहां से हिम्मत लाऊं?

ये भी पढ़़ें- वतन – वतन की मिट्टी से क्यों था इतना प्यार?

क्या इन दागों के बारे में उसे बता दूं? दाग… हां, ये दाग जो मिटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. अब तक ये दाग दहक रहे हैं यहां, मेरे सीने पर.

मैं पहली शादी भी नहीं करना चाहती थी इन्हीं दागों के चलते, पर मेरी अम्मी नहीं मानीं. मेरे पीछे ही पड़ गईं. वे समझातीं, ‘बेटी, शादी के बिना एक औरत अधूरी है. शादी के बगैर उस की जिंदगी जहन्नुम बन जाती है. तू शादी कर ले, तेरे दोनों भाइयों का क्या भरोसा, तुझे कब तक सहारा देंगे… अभी तेरी भाभियों का मिजाज बढि़या है, आगे चल कर वे भी तुझे बोझ समझने लगीं, तो…?’

‘पर, ये दाग…?’ मैं अम्मी का ध्यान दागों की ओर दिलाते हुए कहती, ‘अम्मी, इन दागों का क्या करूं मैं? ये तो मिटने का नाम ही नहीं लेते. ऊपर से दहकने लगते हैं समयसमय पर, फिर भी आप कहती हैं कि मैं शादी कर लूं… क्या ये दाग छिपे रहेंगे? क्या ये दाग मेरे शौहर को दिखाई नहीं पड़ेंगे?’

ये भी पढ़ें- अज्ञातवास – भाग 2 : अर्चना किसे कहानी सुनाना चाहती थी ?

अम्मी चुप्पी साध लेतीं, फिर रोने लगतीं, ‘बेटी, इन का जिक्र मत किया कर. ये दाग हैं तो तेरे सीने पर, मगर जलन मुझे भी देते हैं.’

‘तब आप ही बताइए कि इन के रहते मैं कैसे शादी कर लूं?’

‘नहीं बेटी, तू शादी जरूर कर… तुझे मेरी कसम… मेरी जिंदगी की यही तमन्ना है…’

आखिर मैं हार गई. मैं ने शादी के लिए हां कर दी. और मेरी शादी धूमधाम से हो गई, आरिफ के साथ.

पहली रात को मुझे देख कर आरिफ की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. आरिफ मुझ से कसमेवादे करने लगे. जहानभर की खुशियां ला कर मेरे कदमों में रख देने को बेताब हो उठे.

आरिफ को खुश देख कर मैं भी खुश हो गई, पर मेरी खुशी कुछ पलों की थी. शादी के दूसरे ही दिन जब मैं आरिफ की बांहों में थी और ये मुझे चांदतारों की सैर करा रहे थे… अचानक जमीन पर आ गिरे, धड़ाम से… और करवट बदल ली.

मुझे कसमसाहट हुई, ‘क्या बात हुई? क्यों हट गए?’

मैं ने आरिफ को अपनी बांहों में भरना चाहा, तो आरिफ ने झिड़क दिया और दूर जा बैठे.

‘क्या बात है? आप नाराज क्यों हो गए?’

‘ये दाग कैसे हैं?’

‘ओह…’ मुझे होश आया. मेरी नजर मेरे सीने पर गई. मैं दहल गई. मैं ने उसे दुपट्टे से ढक लिया.

‘कैसे हैं ये दाग? बहुत खराब लग रहे हैं. सारा मूड चौपट कर दिया. किस तरह के हैं ये दाग?’

मैं आरिफ को अपने आगोश में लेते हुए बोली, ‘ये दाग चाय के हैं.’

‘चाय के…’

‘जी, मैं जब छोटी थी. यही तकरीबन 5 साल की… मेरे सीने पर खौलती हुई चाय गिर गई थी. पूछो मत… मैं तड़प कर रह गई थी…’

‘इन का इलाज नहीं हुआ था?’

‘इलाज हुआ था और ये तकरीबन ठीक भी हो गए थे, पर…’

‘पर, क्या?’

‘एक दिन इन जख्मों पर मैं ने एक क्रीम लगा ली थी. तभी से ये दाग सफेदी में बदल गए. बहुत इलाज करवाया, मगर सफेदपन गया ही नहीं.’

‘कहीं, ये दाग वे दाग तो नहीं, जिस का ताल्लुक खून से होता है?’

‘न बाबा न… वे वाले दाग नहीं हैं, जो आप समझ रहे हैं. ये तो जले के निशान हैं…’

मैं आरिफ को अपने आगोश में भर कर चूमने लगी. आरिफ भी मुझे प्यार देने लगे. अभी कुछ देर ही हुई थी कि उन का हाथ मेरे सीने पर आ गया. देख कर उन का मूड फिर खराब हो गया. वे दूर हट गए. वे मुझ से दूर रहने लगे. मैं कोशिश करतेकरते हार गई. वे मेरे करीब नहीं आते. एक ही छत के नीचे हम दोनों अजनबियों की तरह रहने लगे. वे मुझ से नफरत तो नहीं करते थे, पर मुहब्बत भी नहीं. मुझे रुपएपैसे भी देते थे, पर प्यार नहीं. जब भी प्यार देने की कोशिश करती, दूर हट जाते. फिर सुबह मेरे हाथ से चाय भी नहीं लेते. चाय का नाम सुन कर उन्हें मेरे सीने के दाग याद आ जाते. मन उचाट हो जाता.

इसी बीच मुझे एहसास हुआ कि मेरे अंदर कोई नन्हा वजूद पनप रहा है. मुझे खुशी हुई, पर आरिफ को नहीं. उन्होंने एक फैसला ले लिया था, वह था मुझे तलाक देने का.

उन्होंने मेरी कोख में पनप रहे वजूद को तहसनहस करवाना चाहा. मुझे रजामंद करने में पूरी ताकत झोंक दी, पर मैं नहीं मानी और जीती रही उसी वजूद के सहारे. आखिरकार उस वजूद ने दुनिया में आंखें खोलीं. मेरा सूनापन कम हो गया. मैं उस वजूद से हंसनेबोलने लगी. अपने गम को भूलने की कोशिश करने लगी. धीरेधीरे मेरी बेटी मेरी सहेली बन गई.

अभी मेरी बेटी 2 साल की ही हुई थी कि यह हादसा हो गया. मैं अपने मायके में आई हुई थी. मेरे बड़े भाई के लड़के का अकीका यानी मुंडन था. आरिफ भी आए हुए थे. रात को खाना खाने के बाद आरिफ की आदत है पान खाने की. उस रात वे मेरे महल्ले की एक पान की दुकान पर पान खाने पहुंचे, तो मेरी जिंदगी में मानो कयामत सी आ गई.

वहीं पान की दुकान पर आरिफ ने मेरे बारे में सुना. सुना क्या, रंजिशन उन्हें सुनाया गया. मेरे बारे में बातें सुन कर वे चकरा गए.

गिरतेपड़ते वे घर वापस आए, तो मैं उन के चेहरे को देख कर भांप गई कि हो न हो, कोई अनहोनी हुई है. मैं उन के पास पहुंची. पूछने लगी कि क्या बात है? आरिफ कुछ नहीं बोले. मेरे घर चुपचाप ही रहे. गुमसुम.

पर दूसरे दिन घर आ कर कुहराम मचा दिया. ऐसा कुहराम कि पासपड़ोस के लोग इकट्ठा हो गए. मसजिदके पेशइमाम साहब, मदरसे के मौलाना और मुफ्ती जैसे बड़े लोग भी बुला लिए गए और मेरे घर से मेरे वालिद साहब व दोनों भाई भी.

बेचारी अम्मी भी रोतीपीटती हुई आईं. अम्मी को देखते ही मेरी आंखों से आंसू झरझर बहने लगे. अम्मी ने मुझे गले से लगा लिया. समझ गईं कि क्या हुआ होगा. बाहर घर के सामने चबूतरे पर पूरी पंचायत जमा थी. मौलाना साहब मेरे ससुर से बोले, ‘हाजी साहब, आप ने हम सब को क्यों याद किया? क्या बात है?’

मेरे ससुर ने अपना चेहरा झुका लिया. कुछ भी बोल नहीं पाए. मौलाना साहब ने दोबारा पूछा, ‘आखिर बात क्या है हाजी साहब?’

मेरे ससुर ने अपना चेहरा धीरे से ऊपर उठाया और आरिफ की ओर संकेत किया, ‘इस से पूछिए. पंचायत इस ने बुलाई है, मैं ने नहीं.’

अब मौलाना साहब ने आरिफ से पूछा, ‘आरिफ बेटा, बात क्या है? क्यों जहमत दी हम लोगों को?’

आरिफ बड़े अदब से खड़े हुए और बोले, ‘मौलाना साहब, मेरे साथ धोखा हुआ है. मुझ से झूठ बोला गया है.’ मसजिद के पेशइमाम साहब बोले, ‘बेटा, किस ने तुम्हें धोखा दिया है? किस ने तुम से झूठ बोला है?’

आरिफ तैश में बोले, ‘मेरी बीवी ने मुझ से झूठ बोला है और धोखा दिया है. मेरी ससुराल वालों ने भी…’

मुफ्ती साहब बोले, ‘आरिफ बेटा, तुम्हारी बीवी ने तुम से क्या झूठ बोला है? ससुराल वालों ने तुम्हें कैसे धोखा दिया है?’

‘हजरत, यह बात आप मुझ से नहीं, मेरी बीवी से पूछिए.’

पूरी महफिल में सन्नाटा पसर गया. मेरे अब्बूअम्मी और भाइयों के ही नहीं, मेरे ससुर का भी चेहरा शर्म से झुक गया. मेरी अम्मी तड़प उठीं. परदे के पीछे खड़ी मैं भी सिसक पड़ी.

मुफ्ती साहब बोले, ‘बताओ बेटी, क्या बात है?’

मैं जोरजोर से रोने लगी. मेरी आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. होंठ थरथराने लगे. जिस्म कांप उठा. मुझ से बोला नहीं गया. बोलती भी तो क्या?

आरिफ ही खड़े हुए और तैश में बोले, ‘हजरत, यह क्या बोलेगी… बोलने के लायक ही नहीं है यह… सिर्फ यही नहीं, इस के घर वाले भी…’

मेरी अम्मी का रोना और बढ़ गया. मेरे अब्बू भी फफक पड़े. भाइयों को गुस्सा आया. उन की मुट्ठियां भिंच गईं. पर अब्बू ने उन्हें चुप रहने का संकेत किया… और मैं? मैं सोच रही थी कि यह धरती फट जाए और मैं उस में समा जाऊं, पर ऐसा होना नामुमकिन था.

पेशइमाम साहब बोले, ‘बात क्या है?… मुझे बात भी तो पता चले.’ ‘मेरी बीवी के सीने पर दाग हैं. उजलेउजले… चरबी जैसी दिखाई पड़ती है. नजर पड़ते ही मुझे घिन आती है.’

पंचायत में दोबारा सन्नाटा छा गया. आरिफ बोलते रहे, ‘यह बात मुझ से छिपाई गई है… हम लोगों को नहीं बताई गई?’

इतना कह कर आरिफ थोड़ी देर शांत रहे, फिर बोले, ‘और, जब मुझे इस की जानकारी हुई, तो मुझे मेरी बीवी ने बताया कि ये दाग चाय के हैं, जबकि…’

‘जबकि, क्या…?’ एकसाथ कई मुंह खुले.

‘जबकि, ये दाग तेजाब के हैं.’

पंचायत में खलबली मच गई. आरिफ ने आगे बताया, ‘कल मैं खैराबाद अपनी ससुराल में था. वहीं एक पान की दुकान पर मैं ने 2 लड़कों को आपस में बातें करते सुना. मैं नहीं जानता कि वे लोग कौन थे?’

‘उन में से एक ने दूसरे से पूछा था कि यार, उस लड़की का क्या हुआ?

‘दूसरा बोला था कि कौन सी लड़की?

‘पहला लड़का बोला था कि वही हाजी अशरफ साहब की लड़की, जिस पर एसिड अटैक हुआ था.

‘दूसरा लड़का बोला था कि अरे, उस की तो शादी हो गई. दोढाई साल हो गए हैं. अच्छा शौहर पाया है उस ने.

‘इतना सुनना था कि मेरे होश उड़ गए. आगे उन लोगों ने क्या बातें कीं, मैं नहीं जानता, लेकिन हजरत, मैं यह जानता हूं कि मैं कहीं का नहीं रहा. पहले तो किसी तरह एकसाथ बसर हो रही थी, मगर अब हम साथ नहीं रह सकते. मुझे इस झूठी औरत से नजात दिलाइए…’

आरिफ अपनी बात पूरी कर के बैठ गए. पंचायत में कानाफूसी होने लगी. थोड़ी देर के बाद मुफ्ती साहब बोले, ‘हाजी साहब… आप कुछ बताएंगे… क्या मामला है? हमें कुछ समझ नहीं आया… एसिड अटैक… कब और क्यों…?’

मेरे अब्बू हिम्मत कर के खड़े तो हुए, पर थरथर कांपने लगे. उन से बोला नहीं गया. अम्मी ने भी बोलना चाहा. उन से भी नहीं बोला गया. बस खड़ीखड़ी रोती रहीं. आखिर में मैं खड़ी हुई.

‘मेरे घर वाले धोखेबाज हैं या नहीं, मैं नहीं कह सकती… हां, मैं यह जरूर कह सकती हूं कि मैं झूठी हूं… मैं ने झूठ बोला है… मुझे साफसाफ बता देना चाहिए था इन दागों के बारे में… मैं बताना चाहती भी थी, मगर मुझे कोई सूरत नजर नहीं आ रही थी…’

‘सुन रहे हैं आप…’ मैं बोली.

आरिफ ने खड़े हो कर बड़े गुस्से में कहा, ‘यह और इस के घर वाले इसी तरह लच्छेदार बातों में उलझा देते हैं… झूठ पर झूठ बोलते हैं… झूठे… धोखेबाज कहीं के…’

मुफ्ती साहब बोले, ‘आरिफ, खामोश रहिए. अदब से पेश आइए…’

आरिफ सटपटा कर बैठ गए. मुफ्ती साहब ने मुझ से पूछा, ‘बेटी, दाग का राज क्या है? बताएंगी आप…’ मैं फफक पड़ी. ऐसा लगा, जैसे दाग दहक उठे. जलन पूरे शरीर में दौड़ गई.

मैं बोली, ‘मैं उस वक्त 11वीं जमात में पढ़ती थी. एक हिसाब से दुनियाजहान से अनजान थी. मैं अबुल कलाम आजाद गर्ल्स इंटर कालेज में रोजाना अपनी चचेरी बहन के साथ पढ़ने जाया करती थी.

‘मेरी चचेरी बहन भी उसी स्कूल में पढ़ाया करती थीं…’ इतना कह कर मैं ने थोड़ी सी सांसें भरीं और दोबारा कहना शुरू किया, ‘मेरी चचेरी बहन की शादी जिस आदमी से हुई थी, वह ठीक नहीं था… जुआरी… शराबी था… उन को मारतापीटता भी था, इसलिए उन्होंने तलाक लेना चाहा था.

‘वह शख्स तलाक देने के लिए राजी नहीं हुआ. बहन बेचारी मायके में बैठी रहीं और कालेज में पढ़ाने लगीं.’ मैं ने फिर थोड़ा दम लिया और आगे बोली, ‘हर दिन की तरह उस दिन भी हम लोग खुशीखुशी कालेज जा रही थीं. हम लोग कालेज पहुंचने वाली ही थीं कि बहन ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा और चिल्लाते हुए बोलीं कि भागो… भागो…

‘मैं ने देखा सामने वही जालिम शख्स खड़ा था. वह पहले भी एकदो बार बहन के सामने आ चुका था. उन का रास्ता रोक चुका था. उन्हें जबरदस्ती अपने घर ले जाना चाहा था.

‘हम ने सोचा कि वह आज भी वही हरकत करेगा… सो, हम दौड़ पड़ीं. बहन आगेआगे दौड़ रही थीं और मैं उन के पीछेपीछे. ‘मुझे पीछे छोड़ता हुआ वह शख्स बहन के पास तक पहुंच गया. उस ने एक हाथ से बहन का नकाब खींच लिया. बहन को ठोकर लग गई. वे वहीं सड़क पर गिर पड़ीं.

‘उस जालिम ने झोले से तेजाब की बोतल निकाली और उस का ढक्कन खोल कर एक झटके से उन के चेहरे पर उड़ेल दी.

‘मैं भी तब तक उन के करीब पहुंच चुकी थी. तेजाब के छींटे मेरे चेहरे पर तो नहीं पड़े. हां, मेरे सीने पर जरूर आ पड़े. मेरा सीना झुलस उठा. मैं गश खा कर गिर पड़ी.

‘जब मुझे होश आया, तो मैं अस्पताल में थी. मैं ने बहन के बारे में पूछा, तो पता चला कि उन की मौत तो अस्पताल पहुंचते ही हो गई थी.’

मेरी दुखभरी कहानी सुन कर पूरी पंचायत में खामोशी छा गई. अजब तरह की खामोशी. 90 फीसदी लोगों की हमदर्दी मेरे साथ थी, पर फैसला मेरे हक में न रहा. फैसला रहा आरिफ के हक में. मेरे घर वालों के सचाई छिपाने और मेरे झूठ बोलने की वजह से मेरा तलाक हो गया.

मैं अपने घर वालों के साथ मायके चली आई. आरिफ ने बच्ची को लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. यह मेरे लिए अच्छी बात हुई. मैं अपनी बच्ची के बगैर एक पल जिंदा रह भी नहीं पाती.

मैं बीऐड तो पहले से ही थी और टीईटी भी. अभी जब एक साल पहले सहायक अध्यापकों की जगह निकली, तो मेरा उस में सलैक्शन हो गया. यहीं 10 किलोमीटर की दूरी पर मेरी एक प्राथमिक विद्यालय में पोस्टिंग भी हो गई. वहीं मेरी मुलाकात रेहान से हुई.

रेहान पास ही के एक माध्यमिक स्कूल में सहायक अध्यापक है. जब से मुझे देखा है, अपने अंदर मुहब्बत का जज्बा पाले बैठा है. मुझ से मुहब्बत का इजहार भी किया है और शादी करने की इच्छा भी जाहिर की है. मैं ने न तो उस के प्यार को स्वीकार किया है और न ही उस के शादी के प्रस्ताव को. मैं दोबारा उस दर्द को झेलना नहीं चाहती.

The post दहक : रेहान तलाकशुदा से क्यों शादी करना चाहता था ? appeared first on Sarita Magazine.



from कहानी – Sarita Magazine https://ift.tt/3mFlHaL

रेहान को मैं क्या जवाब दूं? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. उस ने मुझे मुश्किल में डाल दिया है. मैं दूसरी शादी नहीं करना चाहती, पर वह है कि  मेरे पीछे ही पड़ गया है. मुझ से शादी करना चाहता है.

मैं दोबारा उन दर्दों को सहन नहीं करना चाहती, जो मैं पहले सहन कर चुकी हूं. अब सब ठीकठाक चल रहा है. मेरी जिंदगी सही दिशा में चल रही है. मैं खुश हूं और मेरी बेटी भी.

रेहान जानता है कि मैं तलाकशुदा हूं और मेरी एक बच्ची भी है, 5 साल की. फिर भी वह मुझ से शादी करना चाहता है और मेरी बेटी को भी अपनाना चाहता है. पर शादी कर के मैं दोबारा उस पीड़ा में नहीं पड़ना चाहती, जिस से मैं निकल कर आई हूं.

रेहान पूछता है कि आखिर बात क्या है? तुम शादी क्यों नहीं करना चाहती हो? वजह क्या है? मैं क्या बताऊं? मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है. वजह बताऊं भी या नहीं? बताऊं भी तो किस तरह? कहां से हिम्मत लाऊं?

ये भी पढ़़ें- वतन – वतन की मिट्टी से क्यों था इतना प्यार?

क्या इन दागों के बारे में उसे बता दूं? दाग… हां, ये दाग जो मिटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. अब तक ये दाग दहक रहे हैं यहां, मेरे सीने पर.

मैं पहली शादी भी नहीं करना चाहती थी इन्हीं दागों के चलते, पर मेरी अम्मी नहीं मानीं. मेरे पीछे ही पड़ गईं. वे समझातीं, ‘बेटी, शादी के बिना एक औरत अधूरी है. शादी के बगैर उस की जिंदगी जहन्नुम बन जाती है. तू शादी कर ले, तेरे दोनों भाइयों का क्या भरोसा, तुझे कब तक सहारा देंगे… अभी तेरी भाभियों का मिजाज बढि़या है, आगे चल कर वे भी तुझे बोझ समझने लगीं, तो…?’

‘पर, ये दाग…?’ मैं अम्मी का ध्यान दागों की ओर दिलाते हुए कहती, ‘अम्मी, इन दागों का क्या करूं मैं? ये तो मिटने का नाम ही नहीं लेते. ऊपर से दहकने लगते हैं समयसमय पर, फिर भी आप कहती हैं कि मैं शादी कर लूं… क्या ये दाग छिपे रहेंगे? क्या ये दाग मेरे शौहर को दिखाई नहीं पड़ेंगे?’

ये भी पढ़ें- अज्ञातवास – भाग 2 : अर्चना किसे कहानी सुनाना चाहती थी ?

अम्मी चुप्पी साध लेतीं, फिर रोने लगतीं, ‘बेटी, इन का जिक्र मत किया कर. ये दाग हैं तो तेरे सीने पर, मगर जलन मुझे भी देते हैं.’

‘तब आप ही बताइए कि इन के रहते मैं कैसे शादी कर लूं?’

‘नहीं बेटी, तू शादी जरूर कर… तुझे मेरी कसम… मेरी जिंदगी की यही तमन्ना है…’

आखिर मैं हार गई. मैं ने शादी के लिए हां कर दी. और मेरी शादी धूमधाम से हो गई, आरिफ के साथ.

पहली रात को मुझे देख कर आरिफ की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. आरिफ मुझ से कसमेवादे करने लगे. जहानभर की खुशियां ला कर मेरे कदमों में रख देने को बेताब हो उठे.

आरिफ को खुश देख कर मैं भी खुश हो गई, पर मेरी खुशी कुछ पलों की थी. शादी के दूसरे ही दिन जब मैं आरिफ की बांहों में थी और ये मुझे चांदतारों की सैर करा रहे थे… अचानक जमीन पर आ गिरे, धड़ाम से… और करवट बदल ली.

मुझे कसमसाहट हुई, ‘क्या बात हुई? क्यों हट गए?’

मैं ने आरिफ को अपनी बांहों में भरना चाहा, तो आरिफ ने झिड़क दिया और दूर जा बैठे.

‘क्या बात है? आप नाराज क्यों हो गए?’

‘ये दाग कैसे हैं?’

‘ओह…’ मुझे होश आया. मेरी नजर मेरे सीने पर गई. मैं दहल गई. मैं ने उसे दुपट्टे से ढक लिया.

‘कैसे हैं ये दाग? बहुत खराब लग रहे हैं. सारा मूड चौपट कर दिया. किस तरह के हैं ये दाग?’

मैं आरिफ को अपने आगोश में लेते हुए बोली, ‘ये दाग चाय के हैं.’

‘चाय के…’

‘जी, मैं जब छोटी थी. यही तकरीबन 5 साल की… मेरे सीने पर खौलती हुई चाय गिर गई थी. पूछो मत… मैं तड़प कर रह गई थी…’

‘इन का इलाज नहीं हुआ था?’

‘इलाज हुआ था और ये तकरीबन ठीक भी हो गए थे, पर…’

‘पर, क्या?’

‘एक दिन इन जख्मों पर मैं ने एक क्रीम लगा ली थी. तभी से ये दाग सफेदी में बदल गए. बहुत इलाज करवाया, मगर सफेदपन गया ही नहीं.’

‘कहीं, ये दाग वे दाग तो नहीं, जिस का ताल्लुक खून से होता है?’

‘न बाबा न… वे वाले दाग नहीं हैं, जो आप समझ रहे हैं. ये तो जले के निशान हैं…’

मैं आरिफ को अपने आगोश में भर कर चूमने लगी. आरिफ भी मुझे प्यार देने लगे. अभी कुछ देर ही हुई थी कि उन का हाथ मेरे सीने पर आ गया. देख कर उन का मूड फिर खराब हो गया. वे दूर हट गए. वे मुझ से दूर रहने लगे. मैं कोशिश करतेकरते हार गई. वे मेरे करीब नहीं आते. एक ही छत के नीचे हम दोनों अजनबियों की तरह रहने लगे. वे मुझ से नफरत तो नहीं करते थे, पर मुहब्बत भी नहीं. मुझे रुपएपैसे भी देते थे, पर प्यार नहीं. जब भी प्यार देने की कोशिश करती, दूर हट जाते. फिर सुबह मेरे हाथ से चाय भी नहीं लेते. चाय का नाम सुन कर उन्हें मेरे सीने के दाग याद आ जाते. मन उचाट हो जाता.

इसी बीच मुझे एहसास हुआ कि मेरे अंदर कोई नन्हा वजूद पनप रहा है. मुझे खुशी हुई, पर आरिफ को नहीं. उन्होंने एक फैसला ले लिया था, वह था मुझे तलाक देने का.

उन्होंने मेरी कोख में पनप रहे वजूद को तहसनहस करवाना चाहा. मुझे रजामंद करने में पूरी ताकत झोंक दी, पर मैं नहीं मानी और जीती रही उसी वजूद के सहारे. आखिरकार उस वजूद ने दुनिया में आंखें खोलीं. मेरा सूनापन कम हो गया. मैं उस वजूद से हंसनेबोलने लगी. अपने गम को भूलने की कोशिश करने लगी. धीरेधीरे मेरी बेटी मेरी सहेली बन गई.

अभी मेरी बेटी 2 साल की ही हुई थी कि यह हादसा हो गया. मैं अपने मायके में आई हुई थी. मेरे बड़े भाई के लड़के का अकीका यानी मुंडन था. आरिफ भी आए हुए थे. रात को खाना खाने के बाद आरिफ की आदत है पान खाने की. उस रात वे मेरे महल्ले की एक पान की दुकान पर पान खाने पहुंचे, तो मेरी जिंदगी में मानो कयामत सी आ गई.

वहीं पान की दुकान पर आरिफ ने मेरे बारे में सुना. सुना क्या, रंजिशन उन्हें सुनाया गया. मेरे बारे में बातें सुन कर वे चकरा गए.

गिरतेपड़ते वे घर वापस आए, तो मैं उन के चेहरे को देख कर भांप गई कि हो न हो, कोई अनहोनी हुई है. मैं उन के पास पहुंची. पूछने लगी कि क्या बात है? आरिफ कुछ नहीं बोले. मेरे घर चुपचाप ही रहे. गुमसुम.

पर दूसरे दिन घर आ कर कुहराम मचा दिया. ऐसा कुहराम कि पासपड़ोस के लोग इकट्ठा हो गए. मसजिदके पेशइमाम साहब, मदरसे के मौलाना और मुफ्ती जैसे बड़े लोग भी बुला लिए गए और मेरे घर से मेरे वालिद साहब व दोनों भाई भी.

बेचारी अम्मी भी रोतीपीटती हुई आईं. अम्मी को देखते ही मेरी आंखों से आंसू झरझर बहने लगे. अम्मी ने मुझे गले से लगा लिया. समझ गईं कि क्या हुआ होगा. बाहर घर के सामने चबूतरे पर पूरी पंचायत जमा थी. मौलाना साहब मेरे ससुर से बोले, ‘हाजी साहब, आप ने हम सब को क्यों याद किया? क्या बात है?’

मेरे ससुर ने अपना चेहरा झुका लिया. कुछ भी बोल नहीं पाए. मौलाना साहब ने दोबारा पूछा, ‘आखिर बात क्या है हाजी साहब?’

मेरे ससुर ने अपना चेहरा धीरे से ऊपर उठाया और आरिफ की ओर संकेत किया, ‘इस से पूछिए. पंचायत इस ने बुलाई है, मैं ने नहीं.’

अब मौलाना साहब ने आरिफ से पूछा, ‘आरिफ बेटा, बात क्या है? क्यों जहमत दी हम लोगों को?’

आरिफ बड़े अदब से खड़े हुए और बोले, ‘मौलाना साहब, मेरे साथ धोखा हुआ है. मुझ से झूठ बोला गया है.’ मसजिद के पेशइमाम साहब बोले, ‘बेटा, किस ने तुम्हें धोखा दिया है? किस ने तुम से झूठ बोला है?’

आरिफ तैश में बोले, ‘मेरी बीवी ने मुझ से झूठ बोला है और धोखा दिया है. मेरी ससुराल वालों ने भी…’

मुफ्ती साहब बोले, ‘आरिफ बेटा, तुम्हारी बीवी ने तुम से क्या झूठ बोला है? ससुराल वालों ने तुम्हें कैसे धोखा दिया है?’

‘हजरत, यह बात आप मुझ से नहीं, मेरी बीवी से पूछिए.’

पूरी महफिल में सन्नाटा पसर गया. मेरे अब्बूअम्मी और भाइयों के ही नहीं, मेरे ससुर का भी चेहरा शर्म से झुक गया. मेरी अम्मी तड़प उठीं. परदे के पीछे खड़ी मैं भी सिसक पड़ी.

मुफ्ती साहब बोले, ‘बताओ बेटी, क्या बात है?’

मैं जोरजोर से रोने लगी. मेरी आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. होंठ थरथराने लगे. जिस्म कांप उठा. मुझ से बोला नहीं गया. बोलती भी तो क्या?

आरिफ ही खड़े हुए और तैश में बोले, ‘हजरत, यह क्या बोलेगी… बोलने के लायक ही नहीं है यह… सिर्फ यही नहीं, इस के घर वाले भी…’

मेरी अम्मी का रोना और बढ़ गया. मेरे अब्बू भी फफक पड़े. भाइयों को गुस्सा आया. उन की मुट्ठियां भिंच गईं. पर अब्बू ने उन्हें चुप रहने का संकेत किया… और मैं? मैं सोच रही थी कि यह धरती फट जाए और मैं उस में समा जाऊं, पर ऐसा होना नामुमकिन था.

पेशइमाम साहब बोले, ‘बात क्या है?… मुझे बात भी तो पता चले.’ ‘मेरी बीवी के सीने पर दाग हैं. उजलेउजले… चरबी जैसी दिखाई पड़ती है. नजर पड़ते ही मुझे घिन आती है.’

पंचायत में दोबारा सन्नाटा छा गया. आरिफ बोलते रहे, ‘यह बात मुझ से छिपाई गई है… हम लोगों को नहीं बताई गई?’

इतना कह कर आरिफ थोड़ी देर शांत रहे, फिर बोले, ‘और, जब मुझे इस की जानकारी हुई, तो मुझे मेरी बीवी ने बताया कि ये दाग चाय के हैं, जबकि…’

‘जबकि, क्या…?’ एकसाथ कई मुंह खुले.

‘जबकि, ये दाग तेजाब के हैं.’

पंचायत में खलबली मच गई. आरिफ ने आगे बताया, ‘कल मैं खैराबाद अपनी ससुराल में था. वहीं एक पान की दुकान पर मैं ने 2 लड़कों को आपस में बातें करते सुना. मैं नहीं जानता कि वे लोग कौन थे?’

‘उन में से एक ने दूसरे से पूछा था कि यार, उस लड़की का क्या हुआ?

‘दूसरा बोला था कि कौन सी लड़की?

‘पहला लड़का बोला था कि वही हाजी अशरफ साहब की लड़की, जिस पर एसिड अटैक हुआ था.

‘दूसरा लड़का बोला था कि अरे, उस की तो शादी हो गई. दोढाई साल हो गए हैं. अच्छा शौहर पाया है उस ने.

‘इतना सुनना था कि मेरे होश उड़ गए. आगे उन लोगों ने क्या बातें कीं, मैं नहीं जानता, लेकिन हजरत, मैं यह जानता हूं कि मैं कहीं का नहीं रहा. पहले तो किसी तरह एकसाथ बसर हो रही थी, मगर अब हम साथ नहीं रह सकते. मुझे इस झूठी औरत से नजात दिलाइए…’

आरिफ अपनी बात पूरी कर के बैठ गए. पंचायत में कानाफूसी होने लगी. थोड़ी देर के बाद मुफ्ती साहब बोले, ‘हाजी साहब… आप कुछ बताएंगे… क्या मामला है? हमें कुछ समझ नहीं आया… एसिड अटैक… कब और क्यों…?’

मेरे अब्बू हिम्मत कर के खड़े तो हुए, पर थरथर कांपने लगे. उन से बोला नहीं गया. अम्मी ने भी बोलना चाहा. उन से भी नहीं बोला गया. बस खड़ीखड़ी रोती रहीं. आखिर में मैं खड़ी हुई.

‘मेरे घर वाले धोखेबाज हैं या नहीं, मैं नहीं कह सकती… हां, मैं यह जरूर कह सकती हूं कि मैं झूठी हूं… मैं ने झूठ बोला है… मुझे साफसाफ बता देना चाहिए था इन दागों के बारे में… मैं बताना चाहती भी थी, मगर मुझे कोई सूरत नजर नहीं आ रही थी…’

‘सुन रहे हैं आप…’ मैं बोली.

आरिफ ने खड़े हो कर बड़े गुस्से में कहा, ‘यह और इस के घर वाले इसी तरह लच्छेदार बातों में उलझा देते हैं… झूठ पर झूठ बोलते हैं… झूठे… धोखेबाज कहीं के…’

मुफ्ती साहब बोले, ‘आरिफ, खामोश रहिए. अदब से पेश आइए…’

आरिफ सटपटा कर बैठ गए. मुफ्ती साहब ने मुझ से पूछा, ‘बेटी, दाग का राज क्या है? बताएंगी आप…’ मैं फफक पड़ी. ऐसा लगा, जैसे दाग दहक उठे. जलन पूरे शरीर में दौड़ गई.

मैं बोली, ‘मैं उस वक्त 11वीं जमात में पढ़ती थी. एक हिसाब से दुनियाजहान से अनजान थी. मैं अबुल कलाम आजाद गर्ल्स इंटर कालेज में रोजाना अपनी चचेरी बहन के साथ पढ़ने जाया करती थी.

‘मेरी चचेरी बहन भी उसी स्कूल में पढ़ाया करती थीं…’ इतना कह कर मैं ने थोड़ी सी सांसें भरीं और दोबारा कहना शुरू किया, ‘मेरी चचेरी बहन की शादी जिस आदमी से हुई थी, वह ठीक नहीं था… जुआरी… शराबी था… उन को मारतापीटता भी था, इसलिए उन्होंने तलाक लेना चाहा था.

‘वह शख्स तलाक देने के लिए राजी नहीं हुआ. बहन बेचारी मायके में बैठी रहीं और कालेज में पढ़ाने लगीं.’ मैं ने फिर थोड़ा दम लिया और आगे बोली, ‘हर दिन की तरह उस दिन भी हम लोग खुशीखुशी कालेज जा रही थीं. हम लोग कालेज पहुंचने वाली ही थीं कि बहन ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा और चिल्लाते हुए बोलीं कि भागो… भागो…

‘मैं ने देखा सामने वही जालिम शख्स खड़ा था. वह पहले भी एकदो बार बहन के सामने आ चुका था. उन का रास्ता रोक चुका था. उन्हें जबरदस्ती अपने घर ले जाना चाहा था.

‘हम ने सोचा कि वह आज भी वही हरकत करेगा… सो, हम दौड़ पड़ीं. बहन आगेआगे दौड़ रही थीं और मैं उन के पीछेपीछे. ‘मुझे पीछे छोड़ता हुआ वह शख्स बहन के पास तक पहुंच गया. उस ने एक हाथ से बहन का नकाब खींच लिया. बहन को ठोकर लग गई. वे वहीं सड़क पर गिर पड़ीं.

‘उस जालिम ने झोले से तेजाब की बोतल निकाली और उस का ढक्कन खोल कर एक झटके से उन के चेहरे पर उड़ेल दी.

‘मैं भी तब तक उन के करीब पहुंच चुकी थी. तेजाब के छींटे मेरे चेहरे पर तो नहीं पड़े. हां, मेरे सीने पर जरूर आ पड़े. मेरा सीना झुलस उठा. मैं गश खा कर गिर पड़ी.

‘जब मुझे होश आया, तो मैं अस्पताल में थी. मैं ने बहन के बारे में पूछा, तो पता चला कि उन की मौत तो अस्पताल पहुंचते ही हो गई थी.’

मेरी दुखभरी कहानी सुन कर पूरी पंचायत में खामोशी छा गई. अजब तरह की खामोशी. 90 फीसदी लोगों की हमदर्दी मेरे साथ थी, पर फैसला मेरे हक में न रहा. फैसला रहा आरिफ के हक में. मेरे घर वालों के सचाई छिपाने और मेरे झूठ बोलने की वजह से मेरा तलाक हो गया.

मैं अपने घर वालों के साथ मायके चली आई. आरिफ ने बच्ची को लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. यह मेरे लिए अच्छी बात हुई. मैं अपनी बच्ची के बगैर एक पल जिंदा रह भी नहीं पाती.

मैं बीऐड तो पहले से ही थी और टीईटी भी. अभी जब एक साल पहले सहायक अध्यापकों की जगह निकली, तो मेरा उस में सलैक्शन हो गया. यहीं 10 किलोमीटर की दूरी पर मेरी एक प्राथमिक विद्यालय में पोस्टिंग भी हो गई. वहीं मेरी मुलाकात रेहान से हुई.

रेहान पास ही के एक माध्यमिक स्कूल में सहायक अध्यापक है. जब से मुझे देखा है, अपने अंदर मुहब्बत का जज्बा पाले बैठा है. मुझ से मुहब्बत का इजहार भी किया है और शादी करने की इच्छा भी जाहिर की है. मैं ने न तो उस के प्यार को स्वीकार किया है और न ही उस के शादी के प्रस्ताव को. मैं दोबारा उस दर्द को झेलना नहीं चाहती.

The post दहक : रेहान तलाकशुदा से क्यों शादी करना चाहता था ? appeared first on Sarita Magazine.

August 28, 2021 at 10:00AM