Monday 23 May 2022

लॉन्ग डिस्टेंस रिश्ते: अभय को बेईमान मानने को रीवा क्यों तैयार न थी?

‘‘हैलो,कैसी हो? तबीयत तो ठीक रहती है न? किसी बात की टैंशन मत लेना. यहां सब ठीक है,’’ फोन पर अभय की आवाज सुनते ही रीवा का चेहरा खिल उठा. अगर सुबहशाम दोनों वक्त अभय का फोन न आए तो उसे बेचैनी होने लगती है.

‘‘मैं बिलकुल ठीक हूं, तुम कैसे हो? काम कैसा चल रहा है? सिंगापुर में तो इस समय दोपहर होगी. तुम ने लंच ले लिया? अच्छा इंडिया आने का कब प्लान है? करीब 10 महीने हो गए हैं तुम्हें यहां आए. देखो अब मुझे तुम्हारे बिना रहना अच्छा नहीं लगता है. मुझे यह लौंग डिस्टैंस मैरिज पसंद नहीं है,’’ एक ही सांस में रीवा सब कुछ कह गई.

बेशक उन दोनों की रोज बातें होती हैं, फिर भी रीवा के पास कहने को इतना कुछ होता है कि फोन आने के बाद वह जैसे चुप ही नहीं होना चाहती है. वह भी क्या करे, उन की शादी हुए अभी 2 साल ही तो हुए हैं और शादी के 2 महीने बाद ही सिंगापुर की एक कंपनी में अभय की नौकरी लग गई थी. वह पहले वहां सैटल हो कर ही रीवा को बुलाना चाहता था, पर अभी भी वह इतना सक्षम नहीं हुआ था कि अपना फ्लैट खरीद सके. ऊपर से वहां के लाइफस्टाइल को मैंटेन करना भी आसान नहीं था. कुछ पैसा उसे इंडिया भी भेजना पड़ता था, इसलिए वह न चाहते हुए भी रीवा से दूर रहने को मजबूर था.

‘‘बस कुछ दिन और सब्र कर लो, फिर यह दूरी नहीं सहनी पड़ेगी. जल्द ही सब ठीक हो जाएगा. मैं ने काफी तरक्की कर ली है और थोड़ाबहुत पैसा भी जमा कर लिया है. मैं बहुत जल्दी तुम्हें यहां बुला लूंगा.’’

अभय से फोन पर बात कर कुछ पल तो रीवा को तसल्ली हो जाती कि अब वह जल्दी अभय के साथ होगी. पर फिर मायूस हो जाती. इंतजार करतेकरते ही तो इतना समय बीत गया था. बस यही सोच कर खुश रहती कि चलो अभय उस से रोज फोन पर बात तो करता है. बातें भी बहुत लंबीलंबी होती थीं वरना एक अनजाना भय उसे घेरे रहता था कि कहीं वह वहां एक अलग गृहस्थी न बसा ले. इसीलिए वह उस के साथ रहने को बेचैन थी. वैसे भी जब लोग उस से पूछते कि अभय उसे साथ क्यों नहीं ले गया, तो वह उदास हो जाती. दूर रहने के लिए तो शादी नहीं की जाती. उस की फ्रैंड्स अकसर उसे लौंग डिस्टैंस कपल कह कर छेड़तीं तो उस की आंखें नम हो जातीं.

‘‘रीवा, तुम्हारे लिए खुशी की बात है. मेरे पास अब इतने पैसे हो गए हैं कि मैं तुम्हें यहां बुला सकूं. तुम आने की तैयारी करना शुरू कर दो. जल्द ही मैं औनलाइन टिकट बुक करा दूंगा. फिर हम घूमने चलेंगे. बोलो कहां जाना चाहती हो? मलयेशिया चलोगी?’’

यह सुनते ही रीवा रो पड़ी, ‘‘जहां तुम ले जाना चाहोगे, चल दूंगी. मुझे तो सिर्फ तुम्हारा साथ चाहिए.’’

‘‘तो फिर हम आस्ट्रेलिया चलेंगे, बहुत ही खूबसूरत देश है.’’

अभय से बात करने के बाद रीवा का मन कई सपने संजोने लगा. अब जा कर उस का सही मानों में वैवाहिक जीवन शुरू होगा. वह खरीदारी और पैकिंग करने में जुट गई. रात को भी अभय से बात हुई तो उस ने फिर बात दोहराई. अभय के फोन आने का एक निश्चित समय था, इसलिए रीवा फोन के पास आ कर बैठ जाती थी. लैंडलाइन पर ही वह फोन करता था.

उस दिन भी सुबह से रीवा अभय के फोन का इंतजार कर रही थी. लेकिन समय बीतता गया और फोन नहीं आया. ऐसा तो कभी नहीं हुआ था कि फोन न आए. सोचा कि बिजी होगा, शायद बाद में फोन करे. पर उस दिन क्या, उस के बाद तो 1 दिन बीता, 2 दिन बीते और धीरेधीरे

10 दिन बीत गए, पर अभय की न तो कोई खबर आई और न ही फोन. पहले तो उसे लगा कि शायद अभय का सरप्राइज देने का यह कोई तरीका हो, पर वक्त गुजरने के साथ उस के मन में बुरेबुरे खयाल आने लगे कि कहीं कोई दुर्घटना तो नहीं घट गई. उस के मोबाइल पर फोन किया तो स्विचऔफ मिला. कंपनी के नंबर पर किया तो किसी ने ठीक से जवाब नहीं दिया.

सिंगापुर में अभय एक फ्रौड के केस में फंस गया था. 10 दिनों से वह जेल में बंद था. उसे लगा कि अगर रीवा को यह बात पता चलेगी तो न जाने वह कैसे रिऐक्ट करे. कहीं वह उसे गलत न समझे और यह सच मान ले कि उस ने फ्रौड किया है. कंपनी ने भी उसे आश्वासन दिया था कि वह उसे जेल से बाहर निकाल कर केस क्लोज करा देगी. इसलिए अभय ने सोचा कि बेकार रीवा को क्यों बताए. जब केस क्लोज हो जाएगा तो वह इस बात को यहीं दफन कर देगा. इस से रीवा के मन में किसी तरह की शंका पैदा नहीं होगी कि उस का पति बेईमान है.

असल में अभय जिस कंपनी में फाइनैंशियल ऐडवाइजर था, उस के एक क्लाइंट ने उस पर 30 हजार डौलर की गड़बड़ी करने का आरोप लगाया था. क्लाइंट का कहना था कि उस ने सैंट्रल प्रौविडैंट फंड में अच्छा रिटर्न देने का लालच दे कर उस का विश्वास जीता और बाद में उस के अकाउंट में गड़बड़ी कर यह फ्रौड किया. असल में यह अकाउंट में हुई गलती थी. डेटा खो जाने यानी गलती से डिलीट हो जाने की वजह से यह सारी परेशानी खड़ी हुई थी. लेकिन पुलिस ने अभय को ही इस बात के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए फ्रौड करने के लिए कंपनी के हिसाबकिताब में गड़बड़ी और कंपनी के डौक्यूमैंट्स के साथ छेड़छाड़ करने के जुर्म में जेल में डाल दिया था और फाइन भी लगाया था. उसे अपनी बात कहने या प्रमाण पेश करने तक का अवसर नहीं दिया गया. वहां पर एक इंडियन पुलिस अफसर ही उस का केस हैंडल कर रहा था और वह इस बात से नाराज था कि भारतीय हर जगह बेईमानी करते हैं.

‘‘आप यकीन मानिए सर, मैं ने कोई अपराध नहीं किया है,’’ अभय की बात सुन पुलिस अफसर करण बोला, ‘‘यहां का कानून बहुत सख्त है, पकड़े गए हो तो अपने को बेगुनाह साबित करने में बरसों भी लग सकते हैं और यह भी हो सकता है कि 2-3 दिन में छूट जाओ.’’

‘‘करण साहब, अभय बेगुनाह हैं यह बात तो उन की कंपनी भी कह रही है. केवल क्लाइंट का आरोप है कि उन्होंने 30 हजार डौलर का फ्रौड किया है. कंपनी तो सारी डिटेल चैक कर क्लाइंट को एक निश्चित समय पर पैसा भी देने को तैयार है, हालांकि उस के लिए अभय को भी पैसे भरने पड़ेंगे. बस 1-2 दिन में मैं इन्हें यहां से निकाल लूंगा,’’ अभय के वकील ने कहा.

‘‘अगर ऐसा है तो अच्छा ही है. मैं भी चाहता हूं कि हमारे देशवासी बदनाम न हों.’’

‘‘लेकिन तुम्हारी वाइफ को हम क्या उत्तर दें? वह बारबार हमें फोन कर रही है. उस ने तो पुलिस को इन्फौर्म करने को भी कहा है,’’ अपनी टूटीफूटी हिंदी में कंपनी के मालिक जोन ने पूछा.

‘‘सर, आप प्लीज उसे कुछ न बताएं. मैं नहीं चाहता कि मेरी वाइफ मुझे बेईमान समझे. वह मुझे छोड़ कर चली जाएगी. हो सकता है वह मेरे जेल में होने की बात सुन डाइवोर्स ही ले ले. नो, नो, सर, डौंट टैल हर ऐनीथिंग ऐंड ट्राई टू अवौइड हर फोन काल्स. मैं उस की नजरों में गिरना नहीं चाहता हूं.’’

‘‘पर वह तो यहां आने की बात कर रही थी. हम उसे कैसे रोक सकते हैं?’’

जोन की बात सुन कर अभय के चेहरे पर पसीने की बूंदें झिलमिला उठीं. वह जानता था कि अपने को निर्दोष साबित करने के लिए पहले उसे डिलीट हुए डेटा को कैसे भी दोबारा जैनरेट करना होगा और वह करना इतना आसान नहीं था. 30 हजार डौलर उस के पास नहीं थे, जो वह चुका पाता. कंपनी भी इसी शर्त पर चुकाने वाली थी कि हर महीने उस की सैलरी से अमाउंट काटा जाएगा. वह जानता था कि वह इस समय चारों ओर से घिर चुका है. कंपनी वाले बेशक उस के साथ थे और वकील भी पूरी कोशिश कर रहा था, पर उसे रीवा की बहुत फिक्र हो रही थी. इतने दिनों से उस ने कोई फोन नहीं किया था, इसलिए वह तो अवश्य घबरा रही होगी. हालांकि अभय की कुलीग का कहना था कि उसे रीवा को सब कुछ बता देना चाहिए. इस से उसे कम से कम अभय के ठीकठाक होने की खबर तो मिल जाएगी. हो सकता है वही कोई रास्ता निकाल ले.

मगर अभय इसी बात को ले कर भयभीत था कि कहीं रीवा उसे गलत न समझ बैठे. जितना आदरसम्मान और प्यार वह उसे करती है, वह कहीं खत्म न हो जाए. वह भी रीवा से इतना प्यार करता है कि किसी भी हालत में उसे खोना नहीं चाहता. इंडिया में बैठी रीवा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. अभय की खोजखबर कैसे ले. इस बारे में उस ने अपने मौसा से बात की. वे आईएफएस में थे और इस समय अमेरिका में पोस्टेड थे. उन्होंने सलाह दी कि रीवा को सिंगापुर जाना चाहिए.

सिंगापुर पहुंच कर रीवा ने जब कंपनी में कौंटैक्ट किया तो सच का पता चला. बहुत बार चक्कर लगाने और जोन से मिलने पर ही वह इस सच को जान पाई. सचाई जानने के बाद उस के पांव तले की जैसे जमीन खिसक गई. अभय को बेईमान मानने को उस का दिल तैयार नहीं था, पर पल भर को तो उसे भी लगा कि जैसे अभय ने उसे धोखा दिया है. अपने मौसा को उस ने सारी जानकारी दी और कहा कि वही इंडियन हाई कमीशन को इस मामले में डाल कर अभय को छुड़वाएं.

रीवा को अपने सामने खड़ा देख अभय सकपका गया, ‘‘तुम यहां कैसे…? कब आईं… मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता था, इसलिए कुछ नहीं बताया… मेरा यकीन मानो रीवा मैं बेईमान नहीं हूं… तुम नहीं जानतीं कि मैं यहां कितना अकेला पड़ गया था…’’ घबराहट में अभय से ठीक से बोला तक नहीं जा रहा था.

‘‘मुझे तुम पर यकीन है अभय. चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा.’’

रीवा के मौसा के इन्फ्लुअंस और इंडियन हाई कमीशन के दखल से अगले 2 दिनों में अभय जेल से बाहर आ गया.

‘‘रीवा, आई ऐम रियली सौरी. पर मैं डर गया था कि कहीं तुम मुझे छोड़ कर न चली जाओ.’’

‘‘सब भूल जाओ अभय… मैं ने तुम्हारा हाथ छोड़ने के लिए नहीं थामा है. लेकिन अब तुम सिंगापुर में नहीं रहोगे. इंडिया चलो, वहीं कोई नौकरी ढूंढ़ लेना. हम कम में गुजारा कर लेंगे, पर रहेंगे साथ. कंपनी के पैसे कंपनी से हिसाब लेने पर चुका देंगे. कम पड़ेंगे तो कहीं और से प्रबंध कर लेंगे. लेकिन अब मैं तुम्हें यहां अकेले नहीं रहने दूंगी. दूसरे देश में पैसा कमाने से तो अच्छा है कि अपने देश में 2 सूखी रोटियां खा कर रहना. कम से कम वहां अपने तो होते हैं. इस पराए देश में तुम कितने अकेले पड़ गए थे. जितनी जल्दी हो यहां से चलने की तैयारी करो.’’

रीवा के हाथ को मजबूती से थामते हुए अभय ने जैसे अपनी सहमति दे दी. वह खुद भी इस लौंग डिस्टैंस रिश्ते से निकल रीवा के साथ रहना चाहता था.

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‘‘हैलो,कैसी हो? तबीयत तो ठीक रहती है न? किसी बात की टैंशन मत लेना. यहां सब ठीक है,’’ फोन पर अभय की आवाज सुनते ही रीवा का चेहरा खिल उठा. अगर सुबहशाम दोनों वक्त अभय का फोन न आए तो उसे बेचैनी होने लगती है.

‘‘मैं बिलकुल ठीक हूं, तुम कैसे हो? काम कैसा चल रहा है? सिंगापुर में तो इस समय दोपहर होगी. तुम ने लंच ले लिया? अच्छा इंडिया आने का कब प्लान है? करीब 10 महीने हो गए हैं तुम्हें यहां आए. देखो अब मुझे तुम्हारे बिना रहना अच्छा नहीं लगता है. मुझे यह लौंग डिस्टैंस मैरिज पसंद नहीं है,’’ एक ही सांस में रीवा सब कुछ कह गई.

बेशक उन दोनों की रोज बातें होती हैं, फिर भी रीवा के पास कहने को इतना कुछ होता है कि फोन आने के बाद वह जैसे चुप ही नहीं होना चाहती है. वह भी क्या करे, उन की शादी हुए अभी 2 साल ही तो हुए हैं और शादी के 2 महीने बाद ही सिंगापुर की एक कंपनी में अभय की नौकरी लग गई थी. वह पहले वहां सैटल हो कर ही रीवा को बुलाना चाहता था, पर अभी भी वह इतना सक्षम नहीं हुआ था कि अपना फ्लैट खरीद सके. ऊपर से वहां के लाइफस्टाइल को मैंटेन करना भी आसान नहीं था. कुछ पैसा उसे इंडिया भी भेजना पड़ता था, इसलिए वह न चाहते हुए भी रीवा से दूर रहने को मजबूर था.

‘‘बस कुछ दिन और सब्र कर लो, फिर यह दूरी नहीं सहनी पड़ेगी. जल्द ही सब ठीक हो जाएगा. मैं ने काफी तरक्की कर ली है और थोड़ाबहुत पैसा भी जमा कर लिया है. मैं बहुत जल्दी तुम्हें यहां बुला लूंगा.’’

अभय से फोन पर बात कर कुछ पल तो रीवा को तसल्ली हो जाती कि अब वह जल्दी अभय के साथ होगी. पर फिर मायूस हो जाती. इंतजार करतेकरते ही तो इतना समय बीत गया था. बस यही सोच कर खुश रहती कि चलो अभय उस से रोज फोन पर बात तो करता है. बातें भी बहुत लंबीलंबी होती थीं वरना एक अनजाना भय उसे घेरे रहता था कि कहीं वह वहां एक अलग गृहस्थी न बसा ले. इसीलिए वह उस के साथ रहने को बेचैन थी. वैसे भी जब लोग उस से पूछते कि अभय उसे साथ क्यों नहीं ले गया, तो वह उदास हो जाती. दूर रहने के लिए तो शादी नहीं की जाती. उस की फ्रैंड्स अकसर उसे लौंग डिस्टैंस कपल कह कर छेड़तीं तो उस की आंखें नम हो जातीं.

‘‘रीवा, तुम्हारे लिए खुशी की बात है. मेरे पास अब इतने पैसे हो गए हैं कि मैं तुम्हें यहां बुला सकूं. तुम आने की तैयारी करना शुरू कर दो. जल्द ही मैं औनलाइन टिकट बुक करा दूंगा. फिर हम घूमने चलेंगे. बोलो कहां जाना चाहती हो? मलयेशिया चलोगी?’’

यह सुनते ही रीवा रो पड़ी, ‘‘जहां तुम ले जाना चाहोगे, चल दूंगी. मुझे तो सिर्फ तुम्हारा साथ चाहिए.’’

‘‘तो फिर हम आस्ट्रेलिया चलेंगे, बहुत ही खूबसूरत देश है.’’

अभय से बात करने के बाद रीवा का मन कई सपने संजोने लगा. अब जा कर उस का सही मानों में वैवाहिक जीवन शुरू होगा. वह खरीदारी और पैकिंग करने में जुट गई. रात को भी अभय से बात हुई तो उस ने फिर बात दोहराई. अभय के फोन आने का एक निश्चित समय था, इसलिए रीवा फोन के पास आ कर बैठ जाती थी. लैंडलाइन पर ही वह फोन करता था.

उस दिन भी सुबह से रीवा अभय के फोन का इंतजार कर रही थी. लेकिन समय बीतता गया और फोन नहीं आया. ऐसा तो कभी नहीं हुआ था कि फोन न आए. सोचा कि बिजी होगा, शायद बाद में फोन करे. पर उस दिन क्या, उस के बाद तो 1 दिन बीता, 2 दिन बीते और धीरेधीरे

10 दिन बीत गए, पर अभय की न तो कोई खबर आई और न ही फोन. पहले तो उसे लगा कि शायद अभय का सरप्राइज देने का यह कोई तरीका हो, पर वक्त गुजरने के साथ उस के मन में बुरेबुरे खयाल आने लगे कि कहीं कोई दुर्घटना तो नहीं घट गई. उस के मोबाइल पर फोन किया तो स्विचऔफ मिला. कंपनी के नंबर पर किया तो किसी ने ठीक से जवाब नहीं दिया.

सिंगापुर में अभय एक फ्रौड के केस में फंस गया था. 10 दिनों से वह जेल में बंद था. उसे लगा कि अगर रीवा को यह बात पता चलेगी तो न जाने वह कैसे रिऐक्ट करे. कहीं वह उसे गलत न समझे और यह सच मान ले कि उस ने फ्रौड किया है. कंपनी ने भी उसे आश्वासन दिया था कि वह उसे जेल से बाहर निकाल कर केस क्लोज करा देगी. इसलिए अभय ने सोचा कि बेकार रीवा को क्यों बताए. जब केस क्लोज हो जाएगा तो वह इस बात को यहीं दफन कर देगा. इस से रीवा के मन में किसी तरह की शंका पैदा नहीं होगी कि उस का पति बेईमान है.

असल में अभय जिस कंपनी में फाइनैंशियल ऐडवाइजर था, उस के एक क्लाइंट ने उस पर 30 हजार डौलर की गड़बड़ी करने का आरोप लगाया था. क्लाइंट का कहना था कि उस ने सैंट्रल प्रौविडैंट फंड में अच्छा रिटर्न देने का लालच दे कर उस का विश्वास जीता और बाद में उस के अकाउंट में गड़बड़ी कर यह फ्रौड किया. असल में यह अकाउंट में हुई गलती थी. डेटा खो जाने यानी गलती से डिलीट हो जाने की वजह से यह सारी परेशानी खड़ी हुई थी. लेकिन पुलिस ने अभय को ही इस बात के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए फ्रौड करने के लिए कंपनी के हिसाबकिताब में गड़बड़ी और कंपनी के डौक्यूमैंट्स के साथ छेड़छाड़ करने के जुर्म में जेल में डाल दिया था और फाइन भी लगाया था. उसे अपनी बात कहने या प्रमाण पेश करने तक का अवसर नहीं दिया गया. वहां पर एक इंडियन पुलिस अफसर ही उस का केस हैंडल कर रहा था और वह इस बात से नाराज था कि भारतीय हर जगह बेईमानी करते हैं.

‘‘आप यकीन मानिए सर, मैं ने कोई अपराध नहीं किया है,’’ अभय की बात सुन पुलिस अफसर करण बोला, ‘‘यहां का कानून बहुत सख्त है, पकड़े गए हो तो अपने को बेगुनाह साबित करने में बरसों भी लग सकते हैं और यह भी हो सकता है कि 2-3 दिन में छूट जाओ.’’

‘‘करण साहब, अभय बेगुनाह हैं यह बात तो उन की कंपनी भी कह रही है. केवल क्लाइंट का आरोप है कि उन्होंने 30 हजार डौलर का फ्रौड किया है. कंपनी तो सारी डिटेल चैक कर क्लाइंट को एक निश्चित समय पर पैसा भी देने को तैयार है, हालांकि उस के लिए अभय को भी पैसे भरने पड़ेंगे. बस 1-2 दिन में मैं इन्हें यहां से निकाल लूंगा,’’ अभय के वकील ने कहा.

‘‘अगर ऐसा है तो अच्छा ही है. मैं भी चाहता हूं कि हमारे देशवासी बदनाम न हों.’’

‘‘लेकिन तुम्हारी वाइफ को हम क्या उत्तर दें? वह बारबार हमें फोन कर रही है. उस ने तो पुलिस को इन्फौर्म करने को भी कहा है,’’ अपनी टूटीफूटी हिंदी में कंपनी के मालिक जोन ने पूछा.

‘‘सर, आप प्लीज उसे कुछ न बताएं. मैं नहीं चाहता कि मेरी वाइफ मुझे बेईमान समझे. वह मुझे छोड़ कर चली जाएगी. हो सकता है वह मेरे जेल में होने की बात सुन डाइवोर्स ही ले ले. नो, नो, सर, डौंट टैल हर ऐनीथिंग ऐंड ट्राई टू अवौइड हर फोन काल्स. मैं उस की नजरों में गिरना नहीं चाहता हूं.’’

‘‘पर वह तो यहां आने की बात कर रही थी. हम उसे कैसे रोक सकते हैं?’’

जोन की बात सुन कर अभय के चेहरे पर पसीने की बूंदें झिलमिला उठीं. वह जानता था कि अपने को निर्दोष साबित करने के लिए पहले उसे डिलीट हुए डेटा को कैसे भी दोबारा जैनरेट करना होगा और वह करना इतना आसान नहीं था. 30 हजार डौलर उस के पास नहीं थे, जो वह चुका पाता. कंपनी भी इसी शर्त पर चुकाने वाली थी कि हर महीने उस की सैलरी से अमाउंट काटा जाएगा. वह जानता था कि वह इस समय चारों ओर से घिर चुका है. कंपनी वाले बेशक उस के साथ थे और वकील भी पूरी कोशिश कर रहा था, पर उसे रीवा की बहुत फिक्र हो रही थी. इतने दिनों से उस ने कोई फोन नहीं किया था, इसलिए वह तो अवश्य घबरा रही होगी. हालांकि अभय की कुलीग का कहना था कि उसे रीवा को सब कुछ बता देना चाहिए. इस से उसे कम से कम अभय के ठीकठाक होने की खबर तो मिल जाएगी. हो सकता है वही कोई रास्ता निकाल ले.

मगर अभय इसी बात को ले कर भयभीत था कि कहीं रीवा उसे गलत न समझ बैठे. जितना आदरसम्मान और प्यार वह उसे करती है, वह कहीं खत्म न हो जाए. वह भी रीवा से इतना प्यार करता है कि किसी भी हालत में उसे खोना नहीं चाहता. इंडिया में बैठी रीवा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. अभय की खोजखबर कैसे ले. इस बारे में उस ने अपने मौसा से बात की. वे आईएफएस में थे और इस समय अमेरिका में पोस्टेड थे. उन्होंने सलाह दी कि रीवा को सिंगापुर जाना चाहिए.

सिंगापुर पहुंच कर रीवा ने जब कंपनी में कौंटैक्ट किया तो सच का पता चला. बहुत बार चक्कर लगाने और जोन से मिलने पर ही वह इस सच को जान पाई. सचाई जानने के बाद उस के पांव तले की जैसे जमीन खिसक गई. अभय को बेईमान मानने को उस का दिल तैयार नहीं था, पर पल भर को तो उसे भी लगा कि जैसे अभय ने उसे धोखा दिया है. अपने मौसा को उस ने सारी जानकारी दी और कहा कि वही इंडियन हाई कमीशन को इस मामले में डाल कर अभय को छुड़वाएं.

रीवा को अपने सामने खड़ा देख अभय सकपका गया, ‘‘तुम यहां कैसे…? कब आईं… मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता था, इसलिए कुछ नहीं बताया… मेरा यकीन मानो रीवा मैं बेईमान नहीं हूं… तुम नहीं जानतीं कि मैं यहां कितना अकेला पड़ गया था…’’ घबराहट में अभय से ठीक से बोला तक नहीं जा रहा था.

‘‘मुझे तुम पर यकीन है अभय. चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा.’’

रीवा के मौसा के इन्फ्लुअंस और इंडियन हाई कमीशन के दखल से अगले 2 दिनों में अभय जेल से बाहर आ गया.

‘‘रीवा, आई ऐम रियली सौरी. पर मैं डर गया था कि कहीं तुम मुझे छोड़ कर न चली जाओ.’’

‘‘सब भूल जाओ अभय… मैं ने तुम्हारा हाथ छोड़ने के लिए नहीं थामा है. लेकिन अब तुम सिंगापुर में नहीं रहोगे. इंडिया चलो, वहीं कोई नौकरी ढूंढ़ लेना. हम कम में गुजारा कर लेंगे, पर रहेंगे साथ. कंपनी के पैसे कंपनी से हिसाब लेने पर चुका देंगे. कम पड़ेंगे तो कहीं और से प्रबंध कर लेंगे. लेकिन अब मैं तुम्हें यहां अकेले नहीं रहने दूंगी. दूसरे देश में पैसा कमाने से तो अच्छा है कि अपने देश में 2 सूखी रोटियां खा कर रहना. कम से कम वहां अपने तो होते हैं. इस पराए देश में तुम कितने अकेले पड़ गए थे. जितनी जल्दी हो यहां से चलने की तैयारी करो.’’

रीवा के हाथ को मजबूती से थामते हुए अभय ने जैसे अपनी सहमति दे दी. वह खुद भी इस लौंग डिस्टैंस रिश्ते से निकल रीवा के साथ रहना चाहता था.

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May 24, 2022 at 10:41AM

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