Wednesday 25 May 2022

डिंपल: आखिर क्यों डिंपल बदलने लगी?

Writer- मनोज शर्मा

जैसे शरद पूर्णिमा की ठंडी रात में आसमान सितारों से भरा रहता और हर सितारा मानों चांद के इर्दगिर्द रहता है, उसी तरह सारी क्लास में भी ऐसा लगता था जैसे सब डिंपल की ओर ही आकृष्ट रहते हैं. यों चांद का तसव्वुर कौन नहीं चाहता… उस की उजली चांदनी में सब के चेहरे उजले और आनंद से लबरेज दिखाई देते हैं. हर सितारा चांद के करीब रहना चाहता है क्योंकि चांद होता ही प्यारा है।

डिंपल का नाम ही डिंपल नहीं बल्कि उस के कपोलों पर भी जब भी वह चहकती है नर्म डिंपल वहां उभर आते हैं. उस के बालों में बंधा वह सुर्ख रिबन दूर तक चमकता है जैसे कोई भंवरा किसी महकते फूल पर मधु के लिए उमड़ा हुआ हो. तारीफ सुनना किसे नहीं भाता और फिर जब भी कोई प्रेमवश डिंपल के लिए कोई 2 शब्द कह दे तो फिर तो डिंपल की सुंदरत में चार चांद लग जाते हैं. यह उम्र का तकाजा है या कुछ और पर कुछ भी हो इस का भी अपना ही नशा है बिलकुल अलग बिलकुल जुदा.

सुबह की नर्म धूप जैसे ही डिंपल के चेहरे पर गिरी वह पलंग पर उठ कर बैठ गई. आज इतवार है यानी कि आज की छुट्टी किताबों से और कक्षाओं से. वह तकिए पर उलटा लेट कर अपनी टांगों को बारीबारी से हिलाने लगी. कल रात का सपना अभी भी उस के जेहन में तैर रहा है कि वह रोहन के साथ सब से अलग स्कूल पिकनिक पर है. कितनी खुश है वह इस नई जिंदगी से, जहां वह है और केवल रोहन है. रोहन उस के नर्म हाथों को थामे हुए है. पिंक ड्रैस में वह बहुत खूबसूरत दिखाई दे रही है. वह एक चबूतरे पर बैठी है और रोहन ने मुसकराते हुए एक लाल गुलाब उसे औफर किया है। वह प्यार से उस गुलाब को ले लेती है और उस फूल को अपनी जुल्फों में लगाने के लिए कहती है. वे दोनों एकदूसरे का हाथ थामे लालपीले फूलों से खिले बगीचे में दूर कहीं चलते जा रहे हैं, ऐसी नई जगह जहां वे आज पहली ही बार आए हैं.

रोहन उस की क्लास का सब से सुंदर और बिंदास लडका है. उंचालंबा कद, चेहरे पर हलकी मूंछें और दिलकश आंखें सहज ही डिंपल को अपनी तरफ खींच लेती हैं. आज डिंपल इतनी खुश है जैसे उस ने जिंदगी की सारी खुशियां पा ली हो. कल तक डिंपल में बचपना था, मम्मीपापा के साए में वह जी रही थी पर आज जैसे वह किसी फिल्म की हीरोइन की भांति जलपरी सी चहक रही थी.

वह मानसिक और शारीरिक रूप से पहले से कहीं परिपक्व हो चुकी है और तभी शायद आज उसे यह नई जिंदगी ज्यादा अच्छी दिखाई दे रही है. उस ने उलटे लेटेलेटे पैरों में पैर उलझा कर खिड़की से बाहर देखा. आज की सुबह उसे बहुत खूबसूरत दिखाई दे रही है. उस ने रातभर रोहन को अपने करीब देखा था. क्लास में कितने ही तो लड़के हैं जो उस पर मरते हैं पर किसी में भी रोहन जैसी बात नहीं. रोहन जैसे ही स्कूल में प्रवेश करता है जाने क्यों उस की नजरें उस के चेहरे पर अटक जाती हैं. रोहन से डिंपल ने हालांकि आज तक सामान्य रूप से ही बात की है पर जाने क्यों दिल उसी को एक नजर भर देखने के लिए दौड़ता है.

‘रोहन अभी 17 का है और मैं 16 की. ओह यस… आई एम स्वीट सिक्सटीन…’ उस वक्त उस की आंखों में खास किस्म की चमक थी. डिंपल ने माथे पर से गिरी जुल्फों को समेटते हुए पीछे पलट कर देखा. सामने मम्मी खड़ी थीं. वह डिंपल को आश्चर्य से देख रही थीं. उस के कांपते होंठ वहीं सिमट गए, “क्या हुआ मम्मा, ऐसे घूर कर क्या देख रही हो?” उस ने मम्मी की और गंभीरता से देखते हुए पूछा.

“कुछ नहीं बेटे, अभी कल तक तुम कितनी छोटी और भोली थी,” मम्मी ने दार्शनिक भाव से कहा.

“हां तो…” डिंपल ने बीच में ही टोकते हुए पूछा.

“कुछ नहीं…” मम्मी ने बात टालते हुए कहा.

“नहींनहीं… मां, कहो भी अब. कुछ कहना चाहती हो?” डिंपल सकपकाते हुए बोली.

“नहींनहीं…बेटा, चलो उठ कर नहाधो लो. आज तेरे पापा के औफिस से किसी को आना है। चल, सफाई भी तो करनी है.”

“क्या मां आज भी… आज तो संडे है न। एक ही दिन तो रैस्ट के लिए मिलता है पर आज भी…” डिंपल ने मुंह बिचकाते हुए उत्तर दिया.

“डिंपल बेटा, जिंदगी में हर काम जरूरी है और फिर जब हम लोगों से मिलेंगे तभी तो हम दुनिया को और दुनिया हमें जान सकेगी,” मम्मी डिंपल को देखते हुए बोलती रहीं.

कमरे में कुछ आहट हुई जैसे कोई फोन वाईब्रैट हो रहा हो. डिंपल ने अपना फोन उठाया,”हैलो, आ रही हो न मेरी जान? फोन में शैली की आवाज सुनाई दी. नहीं यार, मेरा कोई कन्फर्म नहीं,” डिंपल ने मम्मा की ओर देखते हुए जवाब दिया.

“क्यों, कल तुम तो मेरे यहां आने के लिए बहुत उछल रही थीं, फिर नहीं क्यों?”

डिंपल अनमने ढंग से जवाब देती रही,” पता नहीं यार, अब फोन रखो. अभी मम्मी हैं,” डिंपल मम्मी को देखते हुए बोली.

“जानती हो, रोहन भी आ रहा है,” दूसरी ओर से आवाज आई.

“सच…रियली…” डिंपल का मुसकराता हुआ चेहरा सुर्ख हो गया,”चलो, कोशिश करती हूं,” और उस ने फोन रख दिया.

“किस का फोन था?” मम्मी ने खिड़की के दरवाजे को रगड़ते हुए पूछा.

“वो…वो… शैली का?”  उस ने कुछ झिझकते हुए जवाब दिया.

“कब जाना है?” मम्मी ने पूछा.

“आज ही दोपहर,” डिंपल फोन में कुछ देखते हुए बोली,”उस का जन्मदिन है न मम्मी. अब मैं क्या कर सकती हूं और बाकी सभी दोस्त भी तो आ रहे हैं फिर मैं कैसे उसे टाल सकती हूं.”

“बेटे, देखो, अब तुम बड़ी हो गई हो. तुम्हारी भी कोई जिम्मेदारी है. यह नहीं कि केवल अपने में जीना होता है. मैं कुछ दिनों से देख रही हूं कि तुम बहुत बदल गई हो. जाने क्यों लगता है कि तुम अब झूठ भी बोलने लगी हो,” डिंपल जैसे अब सपने से जाग गई,”अरे नहीं मम्मा, ऐसा कुछ नहीं. वह स्टडी है न बस कोर्स कंपलीट हो जाए उस में ही उलझी हूं.”

“चलो देख लेना… कह देती हूं. बस, अपना खयाल रखना फिर तुम्हारी उम्र भी उस नाजुक दौर से गुजर रही है कि कोई भी तुम्हें बेबकूफ बना कर तुम से फायदा उठा सकता है. समझ रही हो न कि मैं क्या कह रही हूं,” डिंपल अब पलंग से उठ कर मम्मी के सामने आ कर खड़ी हो गई,”आप साफसाफ कहो जो भी कहना चाहती हो,” डिंपल ने उत्तेजित हो कर कहा.

“बस बेटे, तुम अब समझदार हो जाओ. किसी गलत रास्ते पर न चलना. कल रात भी तुम्हें देर रात तक फोन पर बात करते देखा था. तुम्हारे पापा को और मुझे भी बहुत अजीब सा महसूस होता है.”

“ओ मम्मा… कमऔन. ऐसा कुछ नहीं है,” वह शायद पहले शैली के घर न जाती पर जैसे ही उस ने रोहन का नाम सुना उस के मन में सैकड़ों तरंगे दौड़ने लगीं. वह एक पल खामोश रही फिर मम्मी के करीब जा कर गाल पर प्यार से किस करती हुई बोली,”बस, 2 घंटों में आ जाउंगी. पापा के औफिस के अंकल कितने बजे आएंगे? डिंपल ने गुमसुम मम्मी के चेहरे को देखते हुए पूछा?

“वह 5 बजे आ रहे हैं,” मम्मी ने आंख बंद कर के तेज सांस खींचते हुए जवाब दिया,”अब पापा को क्या जवाब दोगी? घर में कोई आने वाला है पर यह राजदुलारी कहीं बाहर जा रही हैं. चली जाना पर 2 एक घंटे में वापस आ जाना,” मम्मी ने डिंपल को समझाते हुए कहा.

मम्मी को भी लगा कि इस तरह किसी दोस्त के जन्मदिन पर जाने से मना करना कहां की समझदारी है. फिर लड़की अब बङी हो चुकी है। इस तरह घर में कैद करना क्या अच्छी बात है।

“कोई नहीं, आई विल बी हियर टिल 4,” डिंपल ने मम्मी के कानों के करीब आ कर कहा. मम्मी ने हां में गरदन को हिला दिया. डिंपल के चेहरे पर वही पुरानी सी रौनक लौट आई. वह जल्दी से अपने कमरे में गई. कमरे में रखी अलमारी को खोल कर सामने टंगी गोल्डन गाउन को देखने लगी. उस ने हैंगर से निकाल कर उस गाउन को बैड पर लटका दिया. पीली रौशनी में वह खूब दमक रहा था. ‘रोहन भी वहां होगा. वाऊ…’ वह मन ही मन चहक गई.

उस वक्त उस के शरीर का 1-1 रोया रोमांच से पुलकित हो रहा था मानों रोहन उस के सामने हो, उस के पतली मुलायम कलाई को थाम कर प्यार से मुसकरा रहा हो. उस ने गाउन को उम्मीद भरी नजरों से देख कर निर्णय किया कि हो न हो आज वह अपने दिल का हाल उसे कह ही देगी. उसे पूरा यकीन है कि यदि रोहन के दिल में भी ऐसी ही कोई बात होगी तो आज इस मौके पर वह जरूर कहेगा,’जाने क्यों लगता है कि वह भी मुझ से कुछ कहना चाहता है पर शायद सब के सामने अपने प्रेम का इजहार नहीं कर पाता है. अब मेरी जिंदगी है मैं इतनी छोटी भी तो नहीं कि किसी के दिल की बात न जान सकूं. रोहन है ही इतना अच्छा कि कोई भी लड़की हो एक ही बार में उस की हो जाए. काश, आज का सपना सच हो जाए…’

डिंपल को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. उसे तो बस हर पल रोहन और रोहन का खयाल दिखाई दे रहा था,’मम्मीपापा, भाईबहन सब अपनी जगह हैं। उन का प्यारदुलार अपनी जगह है पर रोहन अपनी जगह है. मुझे क्यों लगता है कि रोहन के बिना अब नहीं जी सकती? रोहन में अजीब सा आकर्षण है, शायद तभी मैं खुदबखुद उस की तरफ खिंची चली जाती हूं.

‘काश, मैं बालिग होती फिर जैसेतैसे अपनी चाहत को अपना बना लेती, चाहे प्यार से या भाग कर. फिर अब लगने लगा है कि मेरी भी तो कुछ जरूरते हैं जिन्हें मैं जैसे चाहूं पूरी कर सकूं. मम्मी भी न… अब तो हर वक्त किसी साए की भांति मेरे पीछे पड़ी रहती हैं. काश, आज रोहन मेरे दिल का हाल जान ले.

‘रोहन, एक बार मेरा हाथ थामो तो, देखो मैं खुद तुम्हारे पीछेपीछे न चली आऊं तो कहना,’ उस ने फोन गैलरी खोली और रोहन का फोटो देखने लगी. उस का मुसकराता चेहरा और सिर पर बालों का वह पफ जो हमेशा उसे और भी अधिक सुंदर बनता है, वह पलभर उस के होंठों को देखती रही फिर फोटो को करीब ला कर अपने लरजते होंठों से छू दिया. वह आंखे मूंदे खड़ी रही मानों दोनों एक हो गए हों.

“ओह रोहन, आई लव यू,” वह फोटो को करीब ला कर बारबार चूमती रही. उस की सांसें इस वक्त किसी मशीन की भांति कंपित हो रही थीं. कमरे की खिड़की से ठंडी शीतल हवा का झोंका अंदर आया, तो वह स्वयं में चहक गई,’ओह रोहन, कितना सुखद एहसास है. अब तक तुम्हें ख्वाबों में देखती हूं पर अब यही तमन्ना है कि यह ख्वाब अब सच हो जाए,’ वह बारबार बैड पर लटके गाउन को उठा कर अपने सीने से लगा कर देखती है मानों हर बार उस के शरीर में कोई नई सिहरन उठती हो. वह शैली को फोन लगाती है,”हैलो… शैली, यार, एक बात बता, पक्का रोहन आ रहा है न…” और वह हंस पड़ी. जैसे ही वह हंसी उस के गालों पर उस के नाम के अनुरूप डिंपल पङने लगे।

“हां बाबा हां…” शैली ने दूसरी ओर से हामी भरी,”जानती हो, पहले वह भी नहीं आ रहा था. पर उसे जैसे ही उसे पता चला कि तुम भी आ रही हो तो वह पलभर में तैयार हो गया. अब तो खुश हो मेरी जान,” और शैली भी तेजतेज हंसने लगी.

“ओए जान, तो मैं केवल उसी की हूं,” डिंपल ने तनिक लजाते हुए जवाब दिया और खुशी की एक लहर उस के शरीर में दौड़ गई,”यार, यह उम्र ही इतनी कातिल है कि जो मन को भा जाए बस उसी का हो जाने का दिल करता है. और बताओ, तुम्हारे वाले साहब यानी दीपक भी आ रहा है न?”

“हां मेरी जान, वह नहीं आया तो केक भी नहीं काटूंगी. जानती हो वह कुछ सरप्राइज देने वाला है,” शैली ने उत्सुकतावश कुछ बताना चाहा.

“अच्छा क्या?” कुछ देर सन्नाटा… “क्या, बोल न…” डिंपल ने उत्तर की आशा में फिर दोहराया. जब आओगी तभी बताउंगी. अच्छा, टाइम से आ जाना.”

“यार, मेरे पापा के औफिस से कोई मेहमान आ रहे हैं. मैं केवल 2 घंटे के लिए ही आ पाउंगी.”

डिंपल आईने के सामने आ कर खुद को तरहतरह से निहारती रही मानों उसे किसी खास के लिए ही वहां जाना हो. उस ने अपने नर्म मुलायम गालों पर उंगलियां फिराईं, उभरे हुए नाजुक डिंपल को कपोलों पर देखते ही उस का चेहरा खिल गया था.

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Writer- मनोज शर्मा

जैसे शरद पूर्णिमा की ठंडी रात में आसमान सितारों से भरा रहता और हर सितारा मानों चांद के इर्दगिर्द रहता है, उसी तरह सारी क्लास में भी ऐसा लगता था जैसे सब डिंपल की ओर ही आकृष्ट रहते हैं. यों चांद का तसव्वुर कौन नहीं चाहता… उस की उजली चांदनी में सब के चेहरे उजले और आनंद से लबरेज दिखाई देते हैं. हर सितारा चांद के करीब रहना चाहता है क्योंकि चांद होता ही प्यारा है।

डिंपल का नाम ही डिंपल नहीं बल्कि उस के कपोलों पर भी जब भी वह चहकती है नर्म डिंपल वहां उभर आते हैं. उस के बालों में बंधा वह सुर्ख रिबन दूर तक चमकता है जैसे कोई भंवरा किसी महकते फूल पर मधु के लिए उमड़ा हुआ हो. तारीफ सुनना किसे नहीं भाता और फिर जब भी कोई प्रेमवश डिंपल के लिए कोई 2 शब्द कह दे तो फिर तो डिंपल की सुंदरत में चार चांद लग जाते हैं. यह उम्र का तकाजा है या कुछ और पर कुछ भी हो इस का भी अपना ही नशा है बिलकुल अलग बिलकुल जुदा.

सुबह की नर्म धूप जैसे ही डिंपल के चेहरे पर गिरी वह पलंग पर उठ कर बैठ गई. आज इतवार है यानी कि आज की छुट्टी किताबों से और कक्षाओं से. वह तकिए पर उलटा लेट कर अपनी टांगों को बारीबारी से हिलाने लगी. कल रात का सपना अभी भी उस के जेहन में तैर रहा है कि वह रोहन के साथ सब से अलग स्कूल पिकनिक पर है. कितनी खुश है वह इस नई जिंदगी से, जहां वह है और केवल रोहन है. रोहन उस के नर्म हाथों को थामे हुए है. पिंक ड्रैस में वह बहुत खूबसूरत दिखाई दे रही है. वह एक चबूतरे पर बैठी है और रोहन ने मुसकराते हुए एक लाल गुलाब उसे औफर किया है। वह प्यार से उस गुलाब को ले लेती है और उस फूल को अपनी जुल्फों में लगाने के लिए कहती है. वे दोनों एकदूसरे का हाथ थामे लालपीले फूलों से खिले बगीचे में दूर कहीं चलते जा रहे हैं, ऐसी नई जगह जहां वे आज पहली ही बार आए हैं.

रोहन उस की क्लास का सब से सुंदर और बिंदास लडका है. उंचालंबा कद, चेहरे पर हलकी मूंछें और दिलकश आंखें सहज ही डिंपल को अपनी तरफ खींच लेती हैं. आज डिंपल इतनी खुश है जैसे उस ने जिंदगी की सारी खुशियां पा ली हो. कल तक डिंपल में बचपना था, मम्मीपापा के साए में वह जी रही थी पर आज जैसे वह किसी फिल्म की हीरोइन की भांति जलपरी सी चहक रही थी.

वह मानसिक और शारीरिक रूप से पहले से कहीं परिपक्व हो चुकी है और तभी शायद आज उसे यह नई जिंदगी ज्यादा अच्छी दिखाई दे रही है. उस ने उलटे लेटेलेटे पैरों में पैर उलझा कर खिड़की से बाहर देखा. आज की सुबह उसे बहुत खूबसूरत दिखाई दे रही है. उस ने रातभर रोहन को अपने करीब देखा था. क्लास में कितने ही तो लड़के हैं जो उस पर मरते हैं पर किसी में भी रोहन जैसी बात नहीं. रोहन जैसे ही स्कूल में प्रवेश करता है जाने क्यों उस की नजरें उस के चेहरे पर अटक जाती हैं. रोहन से डिंपल ने हालांकि आज तक सामान्य रूप से ही बात की है पर जाने क्यों दिल उसी को एक नजर भर देखने के लिए दौड़ता है.

‘रोहन अभी 17 का है और मैं 16 की. ओह यस… आई एम स्वीट सिक्सटीन…’ उस वक्त उस की आंखों में खास किस्म की चमक थी. डिंपल ने माथे पर से गिरी जुल्फों को समेटते हुए पीछे पलट कर देखा. सामने मम्मी खड़ी थीं. वह डिंपल को आश्चर्य से देख रही थीं. उस के कांपते होंठ वहीं सिमट गए, “क्या हुआ मम्मा, ऐसे घूर कर क्या देख रही हो?” उस ने मम्मी की और गंभीरता से देखते हुए पूछा.

“कुछ नहीं बेटे, अभी कल तक तुम कितनी छोटी और भोली थी,” मम्मी ने दार्शनिक भाव से कहा.

“हां तो…” डिंपल ने बीच में ही टोकते हुए पूछा.

“कुछ नहीं…” मम्मी ने बात टालते हुए कहा.

“नहींनहीं… मां, कहो भी अब. कुछ कहना चाहती हो?” डिंपल सकपकाते हुए बोली.

“नहींनहीं…बेटा, चलो उठ कर नहाधो लो. आज तेरे पापा के औफिस से किसी को आना है। चल, सफाई भी तो करनी है.”

“क्या मां आज भी… आज तो संडे है न। एक ही दिन तो रैस्ट के लिए मिलता है पर आज भी…” डिंपल ने मुंह बिचकाते हुए उत्तर दिया.

“डिंपल बेटा, जिंदगी में हर काम जरूरी है और फिर जब हम लोगों से मिलेंगे तभी तो हम दुनिया को और दुनिया हमें जान सकेगी,” मम्मी डिंपल को देखते हुए बोलती रहीं.

कमरे में कुछ आहट हुई जैसे कोई फोन वाईब्रैट हो रहा हो. डिंपल ने अपना फोन उठाया,”हैलो, आ रही हो न मेरी जान? फोन में शैली की आवाज सुनाई दी. नहीं यार, मेरा कोई कन्फर्म नहीं,” डिंपल ने मम्मा की ओर देखते हुए जवाब दिया.

“क्यों, कल तुम तो मेरे यहां आने के लिए बहुत उछल रही थीं, फिर नहीं क्यों?”

डिंपल अनमने ढंग से जवाब देती रही,” पता नहीं यार, अब फोन रखो. अभी मम्मी हैं,” डिंपल मम्मी को देखते हुए बोली.

“जानती हो, रोहन भी आ रहा है,” दूसरी ओर से आवाज आई.

“सच…रियली…” डिंपल का मुसकराता हुआ चेहरा सुर्ख हो गया,”चलो, कोशिश करती हूं,” और उस ने फोन रख दिया.

“किस का फोन था?” मम्मी ने खिड़की के दरवाजे को रगड़ते हुए पूछा.

“वो…वो… शैली का?”  उस ने कुछ झिझकते हुए जवाब दिया.

“कब जाना है?” मम्मी ने पूछा.

“आज ही दोपहर,” डिंपल फोन में कुछ देखते हुए बोली,”उस का जन्मदिन है न मम्मी. अब मैं क्या कर सकती हूं और बाकी सभी दोस्त भी तो आ रहे हैं फिर मैं कैसे उसे टाल सकती हूं.”

“बेटे, देखो, अब तुम बड़ी हो गई हो. तुम्हारी भी कोई जिम्मेदारी है. यह नहीं कि केवल अपने में जीना होता है. मैं कुछ दिनों से देख रही हूं कि तुम बहुत बदल गई हो. जाने क्यों लगता है कि तुम अब झूठ भी बोलने लगी हो,” डिंपल जैसे अब सपने से जाग गई,”अरे नहीं मम्मा, ऐसा कुछ नहीं. वह स्टडी है न बस कोर्स कंपलीट हो जाए उस में ही उलझी हूं.”

“चलो देख लेना… कह देती हूं. बस, अपना खयाल रखना फिर तुम्हारी उम्र भी उस नाजुक दौर से गुजर रही है कि कोई भी तुम्हें बेबकूफ बना कर तुम से फायदा उठा सकता है. समझ रही हो न कि मैं क्या कह रही हूं,” डिंपल अब पलंग से उठ कर मम्मी के सामने आ कर खड़ी हो गई,”आप साफसाफ कहो जो भी कहना चाहती हो,” डिंपल ने उत्तेजित हो कर कहा.

“बस बेटे, तुम अब समझदार हो जाओ. किसी गलत रास्ते पर न चलना. कल रात भी तुम्हें देर रात तक फोन पर बात करते देखा था. तुम्हारे पापा को और मुझे भी बहुत अजीब सा महसूस होता है.”

“ओ मम्मा… कमऔन. ऐसा कुछ नहीं है,” वह शायद पहले शैली के घर न जाती पर जैसे ही उस ने रोहन का नाम सुना उस के मन में सैकड़ों तरंगे दौड़ने लगीं. वह एक पल खामोश रही फिर मम्मी के करीब जा कर गाल पर प्यार से किस करती हुई बोली,”बस, 2 घंटों में आ जाउंगी. पापा के औफिस के अंकल कितने बजे आएंगे? डिंपल ने गुमसुम मम्मी के चेहरे को देखते हुए पूछा?

“वह 5 बजे आ रहे हैं,” मम्मी ने आंख बंद कर के तेज सांस खींचते हुए जवाब दिया,”अब पापा को क्या जवाब दोगी? घर में कोई आने वाला है पर यह राजदुलारी कहीं बाहर जा रही हैं. चली जाना पर 2 एक घंटे में वापस आ जाना,” मम्मी ने डिंपल को समझाते हुए कहा.

मम्मी को भी लगा कि इस तरह किसी दोस्त के जन्मदिन पर जाने से मना करना कहां की समझदारी है. फिर लड़की अब बङी हो चुकी है। इस तरह घर में कैद करना क्या अच्छी बात है।

“कोई नहीं, आई विल बी हियर टिल 4,” डिंपल ने मम्मी के कानों के करीब आ कर कहा. मम्मी ने हां में गरदन को हिला दिया. डिंपल के चेहरे पर वही पुरानी सी रौनक लौट आई. वह जल्दी से अपने कमरे में गई. कमरे में रखी अलमारी को खोल कर सामने टंगी गोल्डन गाउन को देखने लगी. उस ने हैंगर से निकाल कर उस गाउन को बैड पर लटका दिया. पीली रौशनी में वह खूब दमक रहा था. ‘रोहन भी वहां होगा. वाऊ…’ वह मन ही मन चहक गई.

उस वक्त उस के शरीर का 1-1 रोया रोमांच से पुलकित हो रहा था मानों रोहन उस के सामने हो, उस के पतली मुलायम कलाई को थाम कर प्यार से मुसकरा रहा हो. उस ने गाउन को उम्मीद भरी नजरों से देख कर निर्णय किया कि हो न हो आज वह अपने दिल का हाल उसे कह ही देगी. उसे पूरा यकीन है कि यदि रोहन के दिल में भी ऐसी ही कोई बात होगी तो आज इस मौके पर वह जरूर कहेगा,’जाने क्यों लगता है कि वह भी मुझ से कुछ कहना चाहता है पर शायद सब के सामने अपने प्रेम का इजहार नहीं कर पाता है. अब मेरी जिंदगी है मैं इतनी छोटी भी तो नहीं कि किसी के दिल की बात न जान सकूं. रोहन है ही इतना अच्छा कि कोई भी लड़की हो एक ही बार में उस की हो जाए. काश, आज का सपना सच हो जाए…’

डिंपल को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. उसे तो बस हर पल रोहन और रोहन का खयाल दिखाई दे रहा था,’मम्मीपापा, भाईबहन सब अपनी जगह हैं। उन का प्यारदुलार अपनी जगह है पर रोहन अपनी जगह है. मुझे क्यों लगता है कि रोहन के बिना अब नहीं जी सकती? रोहन में अजीब सा आकर्षण है, शायद तभी मैं खुदबखुद उस की तरफ खिंची चली जाती हूं.

‘काश, मैं बालिग होती फिर जैसेतैसे अपनी चाहत को अपना बना लेती, चाहे प्यार से या भाग कर. फिर अब लगने लगा है कि मेरी भी तो कुछ जरूरते हैं जिन्हें मैं जैसे चाहूं पूरी कर सकूं. मम्मी भी न… अब तो हर वक्त किसी साए की भांति मेरे पीछे पड़ी रहती हैं. काश, आज रोहन मेरे दिल का हाल जान ले.

‘रोहन, एक बार मेरा हाथ थामो तो, देखो मैं खुद तुम्हारे पीछेपीछे न चली आऊं तो कहना,’ उस ने फोन गैलरी खोली और रोहन का फोटो देखने लगी. उस का मुसकराता चेहरा और सिर पर बालों का वह पफ जो हमेशा उसे और भी अधिक सुंदर बनता है, वह पलभर उस के होंठों को देखती रही फिर फोटो को करीब ला कर अपने लरजते होंठों से छू दिया. वह आंखे मूंदे खड़ी रही मानों दोनों एक हो गए हों.

“ओह रोहन, आई लव यू,” वह फोटो को करीब ला कर बारबार चूमती रही. उस की सांसें इस वक्त किसी मशीन की भांति कंपित हो रही थीं. कमरे की खिड़की से ठंडी शीतल हवा का झोंका अंदर आया, तो वह स्वयं में चहक गई,’ओह रोहन, कितना सुखद एहसास है. अब तक तुम्हें ख्वाबों में देखती हूं पर अब यही तमन्ना है कि यह ख्वाब अब सच हो जाए,’ वह बारबार बैड पर लटके गाउन को उठा कर अपने सीने से लगा कर देखती है मानों हर बार उस के शरीर में कोई नई सिहरन उठती हो. वह शैली को फोन लगाती है,”हैलो… शैली, यार, एक बात बता, पक्का रोहन आ रहा है न…” और वह हंस पड़ी. जैसे ही वह हंसी उस के गालों पर उस के नाम के अनुरूप डिंपल पङने लगे।

“हां बाबा हां…” शैली ने दूसरी ओर से हामी भरी,”जानती हो, पहले वह भी नहीं आ रहा था. पर उसे जैसे ही उसे पता चला कि तुम भी आ रही हो तो वह पलभर में तैयार हो गया. अब तो खुश हो मेरी जान,” और शैली भी तेजतेज हंसने लगी.

“ओए जान, तो मैं केवल उसी की हूं,” डिंपल ने तनिक लजाते हुए जवाब दिया और खुशी की एक लहर उस के शरीर में दौड़ गई,”यार, यह उम्र ही इतनी कातिल है कि जो मन को भा जाए बस उसी का हो जाने का दिल करता है. और बताओ, तुम्हारे वाले साहब यानी दीपक भी आ रहा है न?”

“हां मेरी जान, वह नहीं आया तो केक भी नहीं काटूंगी. जानती हो वह कुछ सरप्राइज देने वाला है,” शैली ने उत्सुकतावश कुछ बताना चाहा.

“अच्छा क्या?” कुछ देर सन्नाटा… “क्या, बोल न…” डिंपल ने उत्तर की आशा में फिर दोहराया. जब आओगी तभी बताउंगी. अच्छा, टाइम से आ जाना.”

“यार, मेरे पापा के औफिस से कोई मेहमान आ रहे हैं. मैं केवल 2 घंटे के लिए ही आ पाउंगी.”

डिंपल आईने के सामने आ कर खुद को तरहतरह से निहारती रही मानों उसे किसी खास के लिए ही वहां जाना हो. उस ने अपने नर्म मुलायम गालों पर उंगलियां फिराईं, उभरे हुए नाजुक डिंपल को कपोलों पर देखते ही उस का चेहरा खिल गया था.

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May 26, 2022 at 09:36AM

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