Tuesday 17 May 2022

सौंदर्य बोध- भाग 2 : सुजाता को आखिर कैसे हुआ सौंदर्य बोध

‘क्या कह रही हो तुम, मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा,‘ सुजाता बोली. ‘हमारे साथ रहेगी तो धीरेधीरे सब समझ जाएगी,‘ आभा सयानों की तरह बोली और वहां उपस्थित सभी छात्राओं ने ऐसा ठहाका लगाया जैसे आभा ने कोई चुटकुला सुना दिया हो. सुजाता रोमा के बुलाने पर पहली बार इस समूह में शामिल हुई थी. अत: उस ने चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी.

सुजाता और रोमा एकसाथ ही सत्या के घर से निकली थीं. ‘तूने तो कहा था कि आंटी ने अनुमति दे दी है,‘ बाहर निकलते ही रोमा ने प्रश्न किया. ‘वह तो मैं उन सब को टालने के लिए कह रही थी. सच तो यह है कि मैं स्वयं ही सोच रही थी कि पिकनिक पर जाऊं या नहीं.‘ कहीं मुझ जैसी साधारण रंगरूप वाली लड़की के साथ जाने से अत्याधुनिक सुंदरियों की नाक ही न कट जाए,‘ सुजाता मुसकराई.

‘समझी, तो तूने छिप कर सब सुन लिया.‘ ‘मैं न तो छिप कर सुनने में विश्वास करती हूं न ही छिप कर कुछ कहने में, पर क्या करूं, मैं वहां पहुंची तो वहां मेरी ही प्रशंसा के पुल बांधे जा रहे थे. अत: मैं वह वार्त्तालाप सुनने का लोभ संवरण नहीं कर पाई. तू जिस तरह मेरा बचाव कर रही थी, वह भी सुना.‘

‘बहुत बुरा लगा होगा न.‘ रोमा ने सुजाता का हाथ थामते हुए भीगे स्वर में कहा. ‘उतना बुरा भी नहीं लगा. बहुत साधारण रूपरंग है मेरा, यह तो मैं बचपन से जानती हूं. पर जिस ढंग से पीठ पीछे ये बातें कही जा रही थीं, वह थोड़ा अखर गया. पर हर घने, काले बादल के पीछे चमकीली श्वेत किरण भी छिपी होती है, यह भी आज पता चल गया.‘

‘कौन सी श्वेत किरण दिख गई तुझे.‘ ‘है एक रोमा नाम की मेरी प्यारी सी दोस्त, जो अकेली ही मेरी वकालत कर रही थी. तेरे जैसी एक दोस्त ही काफी है.‘

‘तो तू आ रही है न. रोमा घूमफिर कर वहीं आ गई. कम से कम मेरे लिए.‘ ‘मम्मी के सवालों की बौछारों का सामना तो कर लूं फिर तुझे फोन करूंगी,‘ सुजाता ने चतुराई से बात टाल दी थी.

‘कहां गई थी सुजी, इतनी देर हो गई,‘ घर पहुंचते ही उस की मम्मी मीना ने उस की खबर ली. ‘आप को बता कर तो गई थी,‘ सुजाता हंसी थी. ‘कल रोमा और उस के दोस्त पिकनिक पर जा रहे हैं. रोमा चाहती है कि मैं भी उन के साथ जाऊं.‘ ‘दोस्त या सहेलियां?‘

‘सब लड़कियां हैं मां. लड़के जा भी रहे हों, तो क्या फर्क पड़ता है.‘ ‘फर्क पड़ता है. जब तक तू घर से बाहर रहती है, मन घबराता रहता है. जमाना बहुत खराब आ गया है.‘

‘मम्मी, आप की बेटी कराटे में ब्लैक बैल्ट है, इसलिए डरना छोड़ दो. फिर आप ही तो कहती हैं कि व्यक्तित्व को सजानेसंवारने के लिए घर से बाहर निकलना और नए दोस्त बनाना बहुत आवश्यक है.‘ ‘क्या सचमुच वह इतनी बदसूरत है,‘ वह देर तक सोचती रही. ‘कौन कहता है वह तो स्वयं को संसार की सब से सुंदर लड़की समझती है‘, सोचते हुए वह उदासी में भी मुसकरा दी.

‘ठीक है सुजाता, बहस में तो मैं तुम से कभी जीत ही नहीं सकती. मैं सारी तैयारी कर दूंगी. चली जाओ पिकनिक पर, पर सावधान रहना,‘ मीना ने हथियार डाल दिए. पर सुजाता देर तक स्वयं को दर्पण में निहारती रही. पिकनिक में सुजाता का व्यवहार देख कर सब से अधिक आश्चर्य रोमा को ही हुआ. सब कुछ जानते हुए भी वह सब से सामान्य व्यवहार कैसे कर पा रही थी.

एक लोकप्रिय गीत की धुन पर सुजाता को थिरकते देख कर तो सभी हैरान रह गए. उस का रंगरूप देख कर तो वे सोच भी नहीं सकते थे कि सुजाता इतना अच्छा नृत्य करती है, लगता था मानो वह हवा की लहरों पर तैर रही हो. सुजाता के प्रति अन्य छात्राओं का व्यवहार धीरेधीरे बदलने लगा. कुछ छात्राएं तो जैसे उस की दीवानी हो गई थीं. अन्य सभी का ध्यान भी अब रूपरंग से अधिक सुजाता के गुणों पर था. पर सुजाता के पीठपीछे उस की आलोचना अब भी चल रही थी. ‘क्या नाचती है, तुम्हारी सहेली?‘ आभा रोमा से बोली.

‘मेरी ही क्यों, तुम्हारी भी तो सहेली है वह,‘ रोमा हंसते हुई बोली.

‘नो, थैंक्स. पिकनिक के लिए साथ आने से कोईर् किसी का दोस्त नहीं हो जाता. मैं अपने दोस्त और सहेलियां बहुत ध्यान से चुनती हूं और मेरे दोस्त देखनेसुनने में अच्छे हों यह बेहद जरूरी है. तुम्हें एक राज की बात बताऊं, मुझे बदसूरती बिलकुल पसंद नहीं है. मैं तो अपने आसपास केवल वृक्ष, फूल और सौंदर्य देखना चहती हूं,‘ आभा अपने मन की बात बताते हुए नृत्य की मुद्रा में लहराने लगी और रोमा मुसकरा कर रह गई. पिकनिक तो समाप्त हो गई पर सुजाता की त्रासदी चलती रही. पहले तो सुजाता ने सोचा कि रैगिंग की इस प्रक्रिया से हर छात्र या छात्रा को गुजरना पड़ता है पर शीघ्र ही वह समझ गई कि सारा उलाहना केवल उस के लिए ही था. बाहर से वह दिखाने का प्रयत्न करती, मानो इन सब बातों का उस पर कोई असर नहीं पड़ता पर एक दिन जब स्वयं को रोक नहीं पाई, तो रोमा के कंधे पर सिर रख कर सिसकने लगी थी.

‘बहुत हो गया, अब मैं तुझे और नहीं सहने दूंगी. हम दोनों कल ही प्राचार्या के पास चलेंगे. इन लोगों की अक्ल तभी ठिकाने आएगी, जब हमारी शिकायत पर इन के विरुद्ध कार्यवाही होगी,‘ रोमा क्रोधित स्वर में बोली. ‘रहने दे रोमा. उन्हें सजा मिल भी गई तो क्या फर्क पड़ जाएगा, उन की नजर में तो मैं वही कुरूप, भद्दी सी लड़की रहूंगी न, जिस का केवल मजाक बनाया जा सकता है,‘ सुजाता सिसकियों के बीच बोली.

‘क्या हो गया है तुझे?‘ कैसे तेरे मुंह से ऐसी बातें निकल सकती हैं. उन्होंने कह दिया कि तू बदसूरत है और तू ने मान लिया. इस से अधिक विडंबना और क्या होगी. क्या हो गया है, तेरे आत्मविश्वास को? हम में से किसी को ऐसे सिरफिरे लोगों से प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है. इन के अहंकार की तो कोई सीमा ही नहीं है. पर तुम उन की बातों से इस तरह आहत हो जाओगी तो कैसे चलेगा.

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‘क्या कह रही हो तुम, मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा,‘ सुजाता बोली. ‘हमारे साथ रहेगी तो धीरेधीरे सब समझ जाएगी,‘ आभा सयानों की तरह बोली और वहां उपस्थित सभी छात्राओं ने ऐसा ठहाका लगाया जैसे आभा ने कोई चुटकुला सुना दिया हो. सुजाता रोमा के बुलाने पर पहली बार इस समूह में शामिल हुई थी. अत: उस ने चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी.

सुजाता और रोमा एकसाथ ही सत्या के घर से निकली थीं. ‘तूने तो कहा था कि आंटी ने अनुमति दे दी है,‘ बाहर निकलते ही रोमा ने प्रश्न किया. ‘वह तो मैं उन सब को टालने के लिए कह रही थी. सच तो यह है कि मैं स्वयं ही सोच रही थी कि पिकनिक पर जाऊं या नहीं.‘ कहीं मुझ जैसी साधारण रंगरूप वाली लड़की के साथ जाने से अत्याधुनिक सुंदरियों की नाक ही न कट जाए,‘ सुजाता मुसकराई.

‘समझी, तो तूने छिप कर सब सुन लिया.‘ ‘मैं न तो छिप कर सुनने में विश्वास करती हूं न ही छिप कर कुछ कहने में, पर क्या करूं, मैं वहां पहुंची तो वहां मेरी ही प्रशंसा के पुल बांधे जा रहे थे. अत: मैं वह वार्त्तालाप सुनने का लोभ संवरण नहीं कर पाई. तू जिस तरह मेरा बचाव कर रही थी, वह भी सुना.‘

‘बहुत बुरा लगा होगा न.‘ रोमा ने सुजाता का हाथ थामते हुए भीगे स्वर में कहा. ‘उतना बुरा भी नहीं लगा. बहुत साधारण रूपरंग है मेरा, यह तो मैं बचपन से जानती हूं. पर जिस ढंग से पीठ पीछे ये बातें कही जा रही थीं, वह थोड़ा अखर गया. पर हर घने, काले बादल के पीछे चमकीली श्वेत किरण भी छिपी होती है, यह भी आज पता चल गया.‘

‘कौन सी श्वेत किरण दिख गई तुझे.‘ ‘है एक रोमा नाम की मेरी प्यारी सी दोस्त, जो अकेली ही मेरी वकालत कर रही थी. तेरे जैसी एक दोस्त ही काफी है.‘

‘तो तू आ रही है न. रोमा घूमफिर कर वहीं आ गई. कम से कम मेरे लिए.‘ ‘मम्मी के सवालों की बौछारों का सामना तो कर लूं फिर तुझे फोन करूंगी,‘ सुजाता ने चतुराई से बात टाल दी थी.

‘कहां गई थी सुजी, इतनी देर हो गई,‘ घर पहुंचते ही उस की मम्मी मीना ने उस की खबर ली. ‘आप को बता कर तो गई थी,‘ सुजाता हंसी थी. ‘कल रोमा और उस के दोस्त पिकनिक पर जा रहे हैं. रोमा चाहती है कि मैं भी उन के साथ जाऊं.‘ ‘दोस्त या सहेलियां?‘

‘सब लड़कियां हैं मां. लड़के जा भी रहे हों, तो क्या फर्क पड़ता है.‘ ‘फर्क पड़ता है. जब तक तू घर से बाहर रहती है, मन घबराता रहता है. जमाना बहुत खराब आ गया है.‘

‘मम्मी, आप की बेटी कराटे में ब्लैक बैल्ट है, इसलिए डरना छोड़ दो. फिर आप ही तो कहती हैं कि व्यक्तित्व को सजानेसंवारने के लिए घर से बाहर निकलना और नए दोस्त बनाना बहुत आवश्यक है.‘ ‘क्या सचमुच वह इतनी बदसूरत है,‘ वह देर तक सोचती रही. ‘कौन कहता है वह तो स्वयं को संसार की सब से सुंदर लड़की समझती है‘, सोचते हुए वह उदासी में भी मुसकरा दी.

‘ठीक है सुजाता, बहस में तो मैं तुम से कभी जीत ही नहीं सकती. मैं सारी तैयारी कर दूंगी. चली जाओ पिकनिक पर, पर सावधान रहना,‘ मीना ने हथियार डाल दिए. पर सुजाता देर तक स्वयं को दर्पण में निहारती रही. पिकनिक में सुजाता का व्यवहार देख कर सब से अधिक आश्चर्य रोमा को ही हुआ. सब कुछ जानते हुए भी वह सब से सामान्य व्यवहार कैसे कर पा रही थी.

एक लोकप्रिय गीत की धुन पर सुजाता को थिरकते देख कर तो सभी हैरान रह गए. उस का रंगरूप देख कर तो वे सोच भी नहीं सकते थे कि सुजाता इतना अच्छा नृत्य करती है, लगता था मानो वह हवा की लहरों पर तैर रही हो. सुजाता के प्रति अन्य छात्राओं का व्यवहार धीरेधीरे बदलने लगा. कुछ छात्राएं तो जैसे उस की दीवानी हो गई थीं. अन्य सभी का ध्यान भी अब रूपरंग से अधिक सुजाता के गुणों पर था. पर सुजाता के पीठपीछे उस की आलोचना अब भी चल रही थी. ‘क्या नाचती है, तुम्हारी सहेली?‘ आभा रोमा से बोली.

‘मेरी ही क्यों, तुम्हारी भी तो सहेली है वह,‘ रोमा हंसते हुई बोली.

‘नो, थैंक्स. पिकनिक के लिए साथ आने से कोईर् किसी का दोस्त नहीं हो जाता. मैं अपने दोस्त और सहेलियां बहुत ध्यान से चुनती हूं और मेरे दोस्त देखनेसुनने में अच्छे हों यह बेहद जरूरी है. तुम्हें एक राज की बात बताऊं, मुझे बदसूरती बिलकुल पसंद नहीं है. मैं तो अपने आसपास केवल वृक्ष, फूल और सौंदर्य देखना चहती हूं,‘ आभा अपने मन की बात बताते हुए नृत्य की मुद्रा में लहराने लगी और रोमा मुसकरा कर रह गई. पिकनिक तो समाप्त हो गई पर सुजाता की त्रासदी चलती रही. पहले तो सुजाता ने सोचा कि रैगिंग की इस प्रक्रिया से हर छात्र या छात्रा को गुजरना पड़ता है पर शीघ्र ही वह समझ गई कि सारा उलाहना केवल उस के लिए ही था. बाहर से वह दिखाने का प्रयत्न करती, मानो इन सब बातों का उस पर कोई असर नहीं पड़ता पर एक दिन जब स्वयं को रोक नहीं पाई, तो रोमा के कंधे पर सिर रख कर सिसकने लगी थी.

‘बहुत हो गया, अब मैं तुझे और नहीं सहने दूंगी. हम दोनों कल ही प्राचार्या के पास चलेंगे. इन लोगों की अक्ल तभी ठिकाने आएगी, जब हमारी शिकायत पर इन के विरुद्ध कार्यवाही होगी,‘ रोमा क्रोधित स्वर में बोली. ‘रहने दे रोमा. उन्हें सजा मिल भी गई तो क्या फर्क पड़ जाएगा, उन की नजर में तो मैं वही कुरूप, भद्दी सी लड़की रहूंगी न, जिस का केवल मजाक बनाया जा सकता है,‘ सुजाता सिसकियों के बीच बोली.

‘क्या हो गया है तुझे?‘ कैसे तेरे मुंह से ऐसी बातें निकल सकती हैं. उन्होंने कह दिया कि तू बदसूरत है और तू ने मान लिया. इस से अधिक विडंबना और क्या होगी. क्या हो गया है, तेरे आत्मविश्वास को? हम में से किसी को ऐसे सिरफिरे लोगों से प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है. इन के अहंकार की तो कोई सीमा ही नहीं है. पर तुम उन की बातों से इस तरह आहत हो जाओगी तो कैसे चलेगा.

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May 14, 2022 at 10:20PM

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