Sunday 9 January 2022

पीटीएम: क्या दंगों के बीच बेटी तक पहुंच पाया वो पुलिसवाला

राइटर- चिरंजीव सिन्हा

“पापा, आप को याद है न. कल इस सेशन की लास्ट पीटीएम है. मैम, फाइनल ऐग्जाम के लिए बहुत सारी बातें बतानी वाली हैं. आप को और मम्मी को समय से आना है,” 4वीं में  पढ़ने वाली लहर पापा से लाड़ से बोली.

“हां, बेटा, जरूर. अपनी लविंग डौल की बात भला मैं कैसे भूल सकता हूं?” उस के बालों को प्यार से सहलाते हुए विभव ने जब उसे प्रौमिस किया तो नन्ही लहर की खुशी का ठिकाना न रहा.

”पक्का वाला प्रौमिस न. पिछली बार की तरह भूल तो नहीं जाओगे?” उस के मन में पिछले पीटीएम में विभव के न आने से एक हलकी सी शंका अभी तैर रही थी.

”अरे, पक्का. इस बार कोई मिस्टेक नहीं होगी,” यह लहर के पापा ऐडिशनल डीसीपी विभव मल्होत्रा का अपनी बिटिया से कमिटमैंट है,” विभव ने ऐङियां बजाते हुए लहर को सैल्यूट ठोंका.

”यह हुई न बात,”  हाईफाई के लिए उठे लहर के नन्हे हाथों को पापा के हाथों का साथ मिल गया.

”अरे, बेटा 1 मिनट. मम्मा को तो तुम ने याद दिला दिया है न?”

”हां,  मैं उन्हें आप से पहले ही बता चुकी हूं और उन से पक्का वाला प्रौमिस भी ले चुकी हूं,” अपने होंठों को गोल करते हुए उस ने विभव को शरारत में चिढ़ाया.

पापबिटिया की अभी बातचीत चल ही रही थी कि दरवाजे पर स्कूल वैन की हौर्न सुनाई पड़ी.

”अरे, चलोचलो, स्कूल का टाइम हो गया है,” नव्या किचन से टिफिन बौक्स ले कर निकलती हुई लहर के बैकपैक में रखते हुए बोली, “बाकी बातें घर आ कर कर लेना.”

“ठीक है, ठीक है, लेकिन कल के पीटीएम का टाइम आप दोनों याद रखिएगा. मम्मीपापा को फ्लाइंग किस देते हुए लहर वैन में बैठ कर स्कूल चली गई.

”अरे, आप अभी गेट पर ही खड़े हैं. आप की लाडो तो कब की स्कूल जा चुकी है और हां, आप की चाय भी आप का इंतजार कर रही है,” लहर की भोलीमनुहारी बातों में डूबा विभव होम मिनिस्टर की काल सुन कर वर्तमान में वापस लौट आया,” अरे हां, अभी आया.”

”नव्या, इस बार लहर का पीटीएम किसी भी कीमत पर मिस नहीं करना है.”

”तो इस में परेशान होने की क्या बात है? कमिश्नर साहब को बता कर 1-2 घंटे की परमिशन पहले से ही ले लीजिए.”

”तुम ठीक कह रही हो, सर से रिक्वैस्ट कर लेता हूं.”

”तो यह लीजिये अपना फोन. नेक काम में देरी ठीक नहीं होती,” नव्या ने हंसते हुए विभव को उस का मोबाइल जैसे ही थमाया, उस ने फौरन बौस को व्हाट्सऐप पर रिक्वैस्ट भेज दिया. अभी चाय खत्म भी नहीं हो  पाई थी कि मोबाइल पर उन का रिप्लाई भी फ्लैश हो गया.

”नव्या, देखोदेखो  कमिश्नर साहब ने क्या लिखा है?” बिटिया के इस छोटे और भोले आग्रह को पूरा करने के लिए विभव के साथसाथ नव्या भी बहुत उत्सुक थी.

पुलिस की नौकरी में आएदिन के बवाल को देखते हुए छुट्टी हमेशा एक आकाश कुसुम चीज बनी रहती है.आशंका के इस भंवर के बीच विभव ने मैसेज को पूरा पढ़ने के लिए क्लिक किया, ”श्योर, यू आर परमिटेड ऐंड आल्सो गिव माई ब्लैसिंग्स टू आवर एंजेल,” बौस का मैसेज पढ़ कर विभव की आंखें खुशी से नम हो आईं.

दोपहर लगभग 1 बजे औफिस में विभव जरूरी फाइल निबटा रहा था, तभी मोबाईल पर नव्या के काल की रिंगटोन बजी,”नव्या, क्या बात है?”

उधर से नव्या की घबराई हुई आवाज आई,”पापा का फोन आया था कि मम्मी की तबियत अचानक से बिगड़ गई है. मुझे इलाहाबाद जाना होगा, पर समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करूं? कल लहर का पीटीएम है और मैं ने आज तक कभी उसशका पीटीएम मिस नहीं किया है,” बोलतेबोलते उस का गला भर आया.

“ओह, बट डोंट वरी, तुम्हारा वहां जाना ज्यादा जरूरी है. मैं तुम्हारे लिए गाड़ी की व्यवस्था करता हूं. तुम तैयारी करो और हां, मेड को बता दो कि लहर स्कूल से आए तो वह उस का ध्यान रखेंगी. मैं भी आज औफिस से थोड़ा पहले घर आ जाऊंगा.”

”ठीक है, पर प्लीज जरूर याद रखिएगा कि कल उस का पीटीएम है.”

“हां, श्योर. तुम चिंता मत करो. मैं सब संभाल लूंगा.”

शाम को विभव जैसे ही घर आया लहर उस से चिपक गई, “पापा, मम्मी के बिना घर कितना बुरा सा लग रहा है. लेकिन कोई बात नहीं, नानीजी की देखभाल भी तो जरूरी काम है न,” लहर को बड़ोंबड़ों जैसी बातें करते हुए सुन कर विभव सोचने लगा कि बेटियां कम उम्र में ही घर के प्रति कितनी जिम्मेदार हो जाती हैं.

पापा को सोच में डूबा हुआ देख लहर थोड़ी देर खामोश रही, फिर धीरे से बोली,” पापा, कल मेरी पीटीएम है. आप को याद है न.”

प्यार से उस की नाक हिलाते हुए विभव ने उसे आश्वस्त किया,”अरे, यह भी भला कोई भूलने वाली बात है.” चलो, थोड़ी देर कार्टून देखते हैं.”

“वाह, यह हुई न बात,” लहर ने झट से टीवी औन कर दिया.

अभी पितापुत्री कार्टून देखते हुए मस्ती कर रहे थे कि विभव के मोबाइल फोन पर पुलिस कंट्रोलरूम की काल आई. मोबाइल पर काल रिसीव करतेकरते विभव की मुखमुद्रा गंभीर होती चली गई,” ओके, रैड अलर्ट कराइए. मैं पहुंच रहा हूं,” फोन कटते ही उस ने ड्राइवर को गाड़ी लगाने का और्डर दिया और फिर लहर से बोला, ”बेटा, शहर में कुछ जगह पर दंगा हो गया है. मुझे तुरंत जाना होगा. आया आंटी घर में तुम्हारे साथ रहेंगी.”

2 मिनट में तैयार हो कर जब विभव ड्यूटी के लिए निकलने लगा तो एक जोड़ी नन्ही उदास आंखें सोफे पर से उसे जाते हुए देख रही थीं.

”डोंट वरी बेटा, औल विल बी ओके. वेरी सून बीफोर योअर पीटीएम.”

”जी, पापा. आप निश्चिंत हो कर जाइए. आल द बैस्ट. मैं आप का इंतजार करूंगी.”

गाड़ी स्टार्ट होते ही विभव जब तक नव्या को फोन लगाता तब तक उस का फोन खुद आ गया, ”टीवी पर बहुत डरावनी न्यूज आ रही है. यह सब अचानक कैसे? तुम कहां हो?”

”मैं घटनास्थल के लिए रवाना हूं.”

”और लहर?”

”वह घर पर है, आया के साथ. मैं तुम्हें बाद में काल करता हूं.”

शहर में चारों ओर हाहाकार मचा था. ऐडिशनल डीसीपी होने के कारण अपने एरिया की नाकेबंदी करना, सर्च औपरेशन चला कर फोर्स को मोबिलाइज करना, सीनियर्स को अपडेट करना, आदि हजारों काम एकसाथ आन पड़े. एक हाथ में वायरलेस का माउथपीस और दूसरे में मोबाइल, आदेशनिर्देश का सिलसिला खत्म ही नहीं हो रहा था और इधर घायलों को अस्पताल पहुंचाने और पब्लिक को सुरक्षित रखने में रात कब सुबह में तब्दील हो गई, पता ही नहीं चला.

इधर पापा की राह तकती लहर पता नहीं कब सोफे पर ही सो गई. आया ने उसे उठा कर बैडरूम में लिटा दिया. सुबह आंखें खोलते ही उस ने आया आंटी से पूछा, ”पापा कहां हैं?”

आया के सिर हिला कर न कहते ही उस की आंखो में जाग रही आशा की किरण सहसा बुझ गई. थोड़ी देर तक वह बिस्तर पर यों ही गुमसुम बैठी रही फिर, उस ने विभव को काल लगाया,”पापा, आप कैसे हो? आप कल बिना खाना खाए चले गए थे? आप भूखे होंगे न?”

”बेटा, मैं बिलकुल ठीक हूं. सिचुएशन भी पहले से अच्छी है. तुम समय से पीटीएम के लिए तैयार हो जाना. मैं आने की कोशिश कर रहा हूं. फिर साथ चलेंगे.”

चूंकि उस समय तक दंगे की आंच कुछ धीमी हो गई थी, इसलिए उसे लगा कि वह थोड़ी देर के लिए समय निकाल कर पीटीएम में जरूर शामिल हो जाएगा. मगर थोड़ी देर बाद ही कमिश्नर साहब का मैसेज आया,”विपक्षी पार्टियों के नेताओं का 9 बजे दंगाग्रस्त क्षेत्र का दौरा करने की सूचना प्राप्त हुई है. लेकिन उन के आने से कानूनव्यवस्था बिगड़ सकती है अतः उन्हें बौर्डर पर रोकने का निर्देश है. तुम तुरंत बौर्डर पर पहुंच कर उन्हें रोको,” पीटीएम में जाने की अभीअभी खिली आशा की कोंपले इस मैसेज के आते ही पलभर में मुरझा गई.

आज पहली बार ड्यूटी के आगे पिता का कर्तव्य पूरा न कर पाने का दुख उस पर भारी लग रहा था. यदि नव्या यहां होती तो वह इतना हैल्पलेस महसूस न करता. लेकिन अगले ही क्षण मन को मजबूत कर वह अगली ड्यूटी के लिए तैयार हो गया.

घड़ी में देखा तो 8 बज रहे थे, ‘ओह, लहर की वैन आती ही होगी. अब लहर के साथ स्कूल जाना तो संभव नहीं है. उसे दुख तो जरूर होगा लेकिन उसे बता देना भी आवश्यक है,’ यह सोच कर उस ने दिल को कड़ा कर लहर को फोन लगाया, ”बेटा, कुछ जरूरी काम आ गया है. तुम तैयार हो कर वैन से स्कूल पहुंचो, मैं सीधे वहीं आने की कोशिश करता हूं.”

”कोशिश? सब ठीक है, न पापा ?” आशा और हताशा दोनों उस की आवाज में डूबउतरा रहे थे.

”सब ठीक है, बेटा. कुछ जरूरी काम है. तुम स्कूल पहुंचो, मैं सीधे वहीं आता हूं और हां यदि मेरे पहुंचने तक तुम्हारा नंबर आ जाए तो क्लासटीचर नीना मैम से बोल देना कि पापा थोड़ी देर में आ रहे हैं, मेरा टर्न बाद में ले लीजिए.”

”ओके पापा, बाय. मैं आप का इंतजार करूंगी,” उस के पास इस समय कहने के लिए कोई और शब्द नहीं बचा था.

बौर्डर पर पहुंचने के ठीक पहले कमिश्नर साहब की काल फिर से आई, ”विभव, तुम से अच्छा सौफ्ट ऐंड निगोशिएशन स्किल किसी अन्य औफिसर में नहीं है. इसलिए तुम्हें भेजा है. जो कर सकते हो, करो. बौर्डर पर सिंचाई विभाग का डाक बंगला है, उन्हें किसी तरह वहां ले जाओ और वहीं इंगेज रखो.”

”जी सर, श्योर,” अभी बात समाप्त होती कि कमिश्नर साहब की आवाज फिर से गूंजी,”विभव, आई एम सौरी, तुम्हें आज बिटिया के पीटीएम में जाना था, मगर सब गड़बड़ हो गया न. आई एम रियली सौरी,” उन की आवाज में भी दुख साफसाफ झलक रहा था.

”कोई बात नहीं, सर. पुलिस की जौब इसलिए तो एक मिशन कही जाती है. आप को यह बात याद रही, यही मेरे लिए बहुत है.”

”ओके थैंक्स ऐंड बैस्ट औफ लक.”

नेता विपक्ष के आने के पहले बौर्डर की नाकेबंदी कर वह उन का इंतजार करने लगा. पर इस समय उसे रहरह कर लहर की बहुत याद आ रही थी. कभी वैन में अकेले बैठी लहर का उदास चेहरा तो कभी दूसरे बच्चों के मम्मीपापा की भीड़ में अपने पापा को ढूंढ़ती उस की मासूम निगाहें,

कल्पना में उभर रहे ये चित्र दृढ़ पुलिस अफसर के अंदर पिता के मुलायम दिल को रहरह कर विचलित कर रहे थे.

लगभग आधे घंटे विलंब से विपक्षी दलों के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल एस कुमार के नेतृत्व में वहां आ पहुंचा. शुरुआत में तो उन्होंने खूब तेवर दिखाए. विभव भी कभी नरम तो कभी सख्त रूख अपनाते हुए दंगाग्रस्त क्षेत्र में न जाने के तर्क दे कर उन्हें समझाने की कोशिश कर रहा था कि तभी उस के फोन पर लहर की नीना मैम की काल आई,”सर, आप आ रहे हैं न पीटीएम में?” अभी वह कुछ बोलता कि वह फिर से बोलीं, ” लीजिए, लहर बात करेगी.”

विपक्ष में होने के कारण यों तो विपक्ष का एस कुमार काफी आक्रमक थे, पर इंसान के तौर पर वे काफी मैच्योर एवं सुलझे हुए थे. विभव जब लहर को फोन पर यह समझा रहा था कि  वह एक बहुत महत्त्वपूर्ण ला ऐंड और्डर ड्यूटी में व्यस्त है तो वे उस की बात बहुत ध्यान से सुन रहे थे. बात समाप्त हो जाने पर उन्होंने विभव से पूछा, ”क्या बात है औफिसर, कोई परेशानी?”

”नहीं सर, वह बिटिया का स्कूल से फोन था.”

“अरे भाई, हम भी फैमिली वाले हैं. बताओ क्या परेशानी है? राजनीति से अलग हट कर पूछ रहा हूं.”

”सर, आज उस का पीटीएम है और उस की नानी की तबियत अचानक खराब हो जाने के कारण उस की मां इलाहाबाद चली गई है इसलिए वह पीटीएम में मेरा इंतजार कर रही है.”

एस कुमारजी ने कुछ देर सोचा फिर भीड़ से थोड़ा अलग अकेले में ले जा कर वे विभव के कान में धीमे से बोले, ”मुझे डिटेन करने के लिए कोई जगह तो जरूर चुनी होगी आप लोगों ने?”

”जी सर, पास में ही सिंचाई विभाग का डाकबंगला है.”

“तो मुझे और मेरे समर्थकों को तुरंत वहां ले चलो,” उन की आंखें कुछ इशारा कर रही थीं. विभव को एक बारगी विश्वास ही नहीं हुआ.

तब एस कुमार ने कहा, ”देर मत करो, पार्टी वालों का कोई ठिकाना नहीं है कि कब मामला बिगड़ जाए.”

विभव उन्हें और उन के समर्थकों को योजनानुसार डाकबंगले में ले आया.

वहां पहुंचते ही वै बोले, ”अब आप निश्चिंत हो कर पीटीएम में जा सकते हो, अब हम कहीं नहीं जा रहे. हम यहीं पर विरोध कर लेंगे.”

”मगर सर…”

”अच्छा 1 मिनट. शायद तुम्हारे सीनियर्स को इतनी सरलता से समस्या सुलझ जाने पर विश्वास न हो. रुको, मैं तुम्हारे कमिश्नर साहब को खुद फोन कर आश्वस्त कर देता हूं,” कमिश्नर साहब के लाइन पर आते ही वे बोले,” कमिश्नर साहब, मैं आप का औफर स्वीकार कर गेस्ट हाउस में आ गया हूं. अब मेरा आगे का कोई प्रोग्राम नहीं है. अब कृपा कर इन्हें बिटिया के पीटीएम में जाने की अनुमति दे दीजिए.”

कमिश्नर साहब, ”व्हाई नौट, सर. विभव को बता दीजिए कि वह पीटीएम में निश्चिंत हो कर जा सकता है.”

एस कुमारजी विभव से बोले, “अब आप तुरंत स्कूल पहुंचो, बिटिया आप का इंतजार कर रही होगी.”

“थैंक्यू सर. मेरे पास आप को शुक्रिया अदा करने के लिए कोई शब्द नहीं हैं.”

“थैंक्यू… लेकिन अभी अपना समय बरबाद मत करो. तुरंत स्कूल पहुंचो.”

पीटीएम समाप्त होने में अब मात्र आधा घंटा ही बचा था और इस जगह से लहर का स्कूल करीब 10 किमी दूर था. विभव ड्राइवर से बोला,” जगदीश, चलो बिटिया के पास जाना है उस के स्कूल. पीटीएम खत्म होने में मात्र आधा घंटा बचा है.”

“जी सर, मुझे भी बिटिया की याद आ रही है.”

पीटीएम खत्म होने के ठीक 5-7 मिनट पहले जब विभव ने लहर के क्लासरूम में प्रवेश किया तो क्लासरूम में वह अकेली स्टूडैंट बची थी. पापा को देखते ही उस की खुशी का ठिकाना न रहा, “मैम, देखिए, मेरे पापा भी आ गए,” उस की आवाज की खनक से पूरा क्लासरूम झूम उठा.

नीना मैम बोली, “अरे आइए, सर. हमलोग आप का ही इंतजार कर रहे थे और लहर की निगाहें तो लगातार घड़ी और दरवाजे पर ही टिकी थीं.”

“मैम, पुलिस जौब में कुछ चीजें इतनी अचानक और महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं कि बाकी सबकुछ पीछे रह जाता है.”

नीना मैम बोली,” यू आर राइट सर. जीवन में कुछ क्षण ऐसे होते हैं जहां हमारी सब से ज्यादा जरूरत होती है, पर हम वहां नहीं रह पाते और मुझे पता है कि आप की जौब में तो ऐसे पल अकसर आते रहते हैं.”

“धन्यवाद मैम, और यदि आप की इजाजत हो तो इस की मम्मी से आप की वीडियो काल पर बात करा दूं? वह भी पीटीएम में आने के लिए बहुत उत्सुक थी लेकिन अचानक…”

नीना मैम बोली,” औफकोर्स, प्लीज…”

वीडियो कालिंग के जरीए लहर की पीटीएम में शामिल हो कर नव्या को भी बहुत अच्छा लगा.

पीटीएम से निकलने के बाद लहर विभव के गले में हाथ डाल कर झूला झूलती हुई बोली, “पापा, एक बात बताऊं, जब सब के पेरैंट्स 1-1 कर आजा रहे थे और अंत में जब मैं क्लास में अकेली रह गई तो मुझे अंदर से बहुत रूलाई आ रही थी. लेकिन मुझे लग रहा था कि आप जरूर यहां आएंगे, थैंक्यू पापा.”

“लव यू बेटा…”

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राइटर- चिरंजीव सिन्हा

“पापा, आप को याद है न. कल इस सेशन की लास्ट पीटीएम है. मैम, फाइनल ऐग्जाम के लिए बहुत सारी बातें बतानी वाली हैं. आप को और मम्मी को समय से आना है,” 4वीं में  पढ़ने वाली लहर पापा से लाड़ से बोली.

“हां, बेटा, जरूर. अपनी लविंग डौल की बात भला मैं कैसे भूल सकता हूं?” उस के बालों को प्यार से सहलाते हुए विभव ने जब उसे प्रौमिस किया तो नन्ही लहर की खुशी का ठिकाना न रहा.

”पक्का वाला प्रौमिस न. पिछली बार की तरह भूल तो नहीं जाओगे?” उस के मन में पिछले पीटीएम में विभव के न आने से एक हलकी सी शंका अभी तैर रही थी.

”अरे, पक्का. इस बार कोई मिस्टेक नहीं होगी,” यह लहर के पापा ऐडिशनल डीसीपी विभव मल्होत्रा का अपनी बिटिया से कमिटमैंट है,” विभव ने ऐङियां बजाते हुए लहर को सैल्यूट ठोंका.

”यह हुई न बात,”  हाईफाई के लिए उठे लहर के नन्हे हाथों को पापा के हाथों का साथ मिल गया.

”अरे, बेटा 1 मिनट. मम्मा को तो तुम ने याद दिला दिया है न?”

”हां,  मैं उन्हें आप से पहले ही बता चुकी हूं और उन से पक्का वाला प्रौमिस भी ले चुकी हूं,” अपने होंठों को गोल करते हुए उस ने विभव को शरारत में चिढ़ाया.

पापबिटिया की अभी बातचीत चल ही रही थी कि दरवाजे पर स्कूल वैन की हौर्न सुनाई पड़ी.

”अरे, चलोचलो, स्कूल का टाइम हो गया है,” नव्या किचन से टिफिन बौक्स ले कर निकलती हुई लहर के बैकपैक में रखते हुए बोली, “बाकी बातें घर आ कर कर लेना.”

“ठीक है, ठीक है, लेकिन कल के पीटीएम का टाइम आप दोनों याद रखिएगा. मम्मीपापा को फ्लाइंग किस देते हुए लहर वैन में बैठ कर स्कूल चली गई.

”अरे, आप अभी गेट पर ही खड़े हैं. आप की लाडो तो कब की स्कूल जा चुकी है और हां, आप की चाय भी आप का इंतजार कर रही है,” लहर की भोलीमनुहारी बातों में डूबा विभव होम मिनिस्टर की काल सुन कर वर्तमान में वापस लौट आया,” अरे हां, अभी आया.”

”नव्या, इस बार लहर का पीटीएम किसी भी कीमत पर मिस नहीं करना है.”

”तो इस में परेशान होने की क्या बात है? कमिश्नर साहब को बता कर 1-2 घंटे की परमिशन पहले से ही ले लीजिए.”

”तुम ठीक कह रही हो, सर से रिक्वैस्ट कर लेता हूं.”

”तो यह लीजिये अपना फोन. नेक काम में देरी ठीक नहीं होती,” नव्या ने हंसते हुए विभव को उस का मोबाइल जैसे ही थमाया, उस ने फौरन बौस को व्हाट्सऐप पर रिक्वैस्ट भेज दिया. अभी चाय खत्म भी नहीं हो  पाई थी कि मोबाइल पर उन का रिप्लाई भी फ्लैश हो गया.

”नव्या, देखोदेखो  कमिश्नर साहब ने क्या लिखा है?” बिटिया के इस छोटे और भोले आग्रह को पूरा करने के लिए विभव के साथसाथ नव्या भी बहुत उत्सुक थी.

पुलिस की नौकरी में आएदिन के बवाल को देखते हुए छुट्टी हमेशा एक आकाश कुसुम चीज बनी रहती है.आशंका के इस भंवर के बीच विभव ने मैसेज को पूरा पढ़ने के लिए क्लिक किया, ”श्योर, यू आर परमिटेड ऐंड आल्सो गिव माई ब्लैसिंग्स टू आवर एंजेल,” बौस का मैसेज पढ़ कर विभव की आंखें खुशी से नम हो आईं.

दोपहर लगभग 1 बजे औफिस में विभव जरूरी फाइल निबटा रहा था, तभी मोबाईल पर नव्या के काल की रिंगटोन बजी,”नव्या, क्या बात है?”

उधर से नव्या की घबराई हुई आवाज आई,”पापा का फोन आया था कि मम्मी की तबियत अचानक से बिगड़ गई है. मुझे इलाहाबाद जाना होगा, पर समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करूं? कल लहर का पीटीएम है और मैं ने आज तक कभी उसशका पीटीएम मिस नहीं किया है,” बोलतेबोलते उस का गला भर आया.

“ओह, बट डोंट वरी, तुम्हारा वहां जाना ज्यादा जरूरी है. मैं तुम्हारे लिए गाड़ी की व्यवस्था करता हूं. तुम तैयारी करो और हां, मेड को बता दो कि लहर स्कूल से आए तो वह उस का ध्यान रखेंगी. मैं भी आज औफिस से थोड़ा पहले घर आ जाऊंगा.”

”ठीक है, पर प्लीज जरूर याद रखिएगा कि कल उस का पीटीएम है.”

“हां, श्योर. तुम चिंता मत करो. मैं सब संभाल लूंगा.”

शाम को विभव जैसे ही घर आया लहर उस से चिपक गई, “पापा, मम्मी के बिना घर कितना बुरा सा लग रहा है. लेकिन कोई बात नहीं, नानीजी की देखभाल भी तो जरूरी काम है न,” लहर को बड़ोंबड़ों जैसी बातें करते हुए सुन कर विभव सोचने लगा कि बेटियां कम उम्र में ही घर के प्रति कितनी जिम्मेदार हो जाती हैं.

पापा को सोच में डूबा हुआ देख लहर थोड़ी देर खामोश रही, फिर धीरे से बोली,” पापा, कल मेरी पीटीएम है. आप को याद है न.”

प्यार से उस की नाक हिलाते हुए विभव ने उसे आश्वस्त किया,”अरे, यह भी भला कोई भूलने वाली बात है.” चलो, थोड़ी देर कार्टून देखते हैं.”

“वाह, यह हुई न बात,” लहर ने झट से टीवी औन कर दिया.

अभी पितापुत्री कार्टून देखते हुए मस्ती कर रहे थे कि विभव के मोबाइल फोन पर पुलिस कंट्रोलरूम की काल आई. मोबाइल पर काल रिसीव करतेकरते विभव की मुखमुद्रा गंभीर होती चली गई,” ओके, रैड अलर्ट कराइए. मैं पहुंच रहा हूं,” फोन कटते ही उस ने ड्राइवर को गाड़ी लगाने का और्डर दिया और फिर लहर से बोला, ”बेटा, शहर में कुछ जगह पर दंगा हो गया है. मुझे तुरंत जाना होगा. आया आंटी घर में तुम्हारे साथ रहेंगी.”

2 मिनट में तैयार हो कर जब विभव ड्यूटी के लिए निकलने लगा तो एक जोड़ी नन्ही उदास आंखें सोफे पर से उसे जाते हुए देख रही थीं.

”डोंट वरी बेटा, औल विल बी ओके. वेरी सून बीफोर योअर पीटीएम.”

”जी, पापा. आप निश्चिंत हो कर जाइए. आल द बैस्ट. मैं आप का इंतजार करूंगी.”

गाड़ी स्टार्ट होते ही विभव जब तक नव्या को फोन लगाता तब तक उस का फोन खुद आ गया, ”टीवी पर बहुत डरावनी न्यूज आ रही है. यह सब अचानक कैसे? तुम कहां हो?”

”मैं घटनास्थल के लिए रवाना हूं.”

”और लहर?”

”वह घर पर है, आया के साथ. मैं तुम्हें बाद में काल करता हूं.”

शहर में चारों ओर हाहाकार मचा था. ऐडिशनल डीसीपी होने के कारण अपने एरिया की नाकेबंदी करना, सर्च औपरेशन चला कर फोर्स को मोबिलाइज करना, सीनियर्स को अपडेट करना, आदि हजारों काम एकसाथ आन पड़े. एक हाथ में वायरलेस का माउथपीस और दूसरे में मोबाइल, आदेशनिर्देश का सिलसिला खत्म ही नहीं हो रहा था और इधर घायलों को अस्पताल पहुंचाने और पब्लिक को सुरक्षित रखने में रात कब सुबह में तब्दील हो गई, पता ही नहीं चला.

इधर पापा की राह तकती लहर पता नहीं कब सोफे पर ही सो गई. आया ने उसे उठा कर बैडरूम में लिटा दिया. सुबह आंखें खोलते ही उस ने आया आंटी से पूछा, ”पापा कहां हैं?”

आया के सिर हिला कर न कहते ही उस की आंखो में जाग रही आशा की किरण सहसा बुझ गई. थोड़ी देर तक वह बिस्तर पर यों ही गुमसुम बैठी रही फिर, उस ने विभव को काल लगाया,”पापा, आप कैसे हो? आप कल बिना खाना खाए चले गए थे? आप भूखे होंगे न?”

”बेटा, मैं बिलकुल ठीक हूं. सिचुएशन भी पहले से अच्छी है. तुम समय से पीटीएम के लिए तैयार हो जाना. मैं आने की कोशिश कर रहा हूं. फिर साथ चलेंगे.”

चूंकि उस समय तक दंगे की आंच कुछ धीमी हो गई थी, इसलिए उसे लगा कि वह थोड़ी देर के लिए समय निकाल कर पीटीएम में जरूर शामिल हो जाएगा. मगर थोड़ी देर बाद ही कमिश्नर साहब का मैसेज आया,”विपक्षी पार्टियों के नेताओं का 9 बजे दंगाग्रस्त क्षेत्र का दौरा करने की सूचना प्राप्त हुई है. लेकिन उन के आने से कानूनव्यवस्था बिगड़ सकती है अतः उन्हें बौर्डर पर रोकने का निर्देश है. तुम तुरंत बौर्डर पर पहुंच कर उन्हें रोको,” पीटीएम में जाने की अभीअभी खिली आशा की कोंपले इस मैसेज के आते ही पलभर में मुरझा गई.

आज पहली बार ड्यूटी के आगे पिता का कर्तव्य पूरा न कर पाने का दुख उस पर भारी लग रहा था. यदि नव्या यहां होती तो वह इतना हैल्पलेस महसूस न करता. लेकिन अगले ही क्षण मन को मजबूत कर वह अगली ड्यूटी के लिए तैयार हो गया.

घड़ी में देखा तो 8 बज रहे थे, ‘ओह, लहर की वैन आती ही होगी. अब लहर के साथ स्कूल जाना तो संभव नहीं है. उसे दुख तो जरूर होगा लेकिन उसे बता देना भी आवश्यक है,’ यह सोच कर उस ने दिल को कड़ा कर लहर को फोन लगाया, ”बेटा, कुछ जरूरी काम आ गया है. तुम तैयार हो कर वैन से स्कूल पहुंचो, मैं सीधे वहीं आने की कोशिश करता हूं.”

”कोशिश? सब ठीक है, न पापा ?” आशा और हताशा दोनों उस की आवाज में डूबउतरा रहे थे.

”सब ठीक है, बेटा. कुछ जरूरी काम है. तुम स्कूल पहुंचो, मैं सीधे वहीं आता हूं और हां यदि मेरे पहुंचने तक तुम्हारा नंबर आ जाए तो क्लासटीचर नीना मैम से बोल देना कि पापा थोड़ी देर में आ रहे हैं, मेरा टर्न बाद में ले लीजिए.”

”ओके पापा, बाय. मैं आप का इंतजार करूंगी,” उस के पास इस समय कहने के लिए कोई और शब्द नहीं बचा था.

बौर्डर पर पहुंचने के ठीक पहले कमिश्नर साहब की काल फिर से आई, ”विभव, तुम से अच्छा सौफ्ट ऐंड निगोशिएशन स्किल किसी अन्य औफिसर में नहीं है. इसलिए तुम्हें भेजा है. जो कर सकते हो, करो. बौर्डर पर सिंचाई विभाग का डाक बंगला है, उन्हें किसी तरह वहां ले जाओ और वहीं इंगेज रखो.”

”जी सर, श्योर,” अभी बात समाप्त होती कि कमिश्नर साहब की आवाज फिर से गूंजी,”विभव, आई एम सौरी, तुम्हें आज बिटिया के पीटीएम में जाना था, मगर सब गड़बड़ हो गया न. आई एम रियली सौरी,” उन की आवाज में भी दुख साफसाफ झलक रहा था.

”कोई बात नहीं, सर. पुलिस की जौब इसलिए तो एक मिशन कही जाती है. आप को यह बात याद रही, यही मेरे लिए बहुत है.”

”ओके थैंक्स ऐंड बैस्ट औफ लक.”

नेता विपक्ष के आने के पहले बौर्डर की नाकेबंदी कर वह उन का इंतजार करने लगा. पर इस समय उसे रहरह कर लहर की बहुत याद आ रही थी. कभी वैन में अकेले बैठी लहर का उदास चेहरा तो कभी दूसरे बच्चों के मम्मीपापा की भीड़ में अपने पापा को ढूंढ़ती उस की मासूम निगाहें,

कल्पना में उभर रहे ये चित्र दृढ़ पुलिस अफसर के अंदर पिता के मुलायम दिल को रहरह कर विचलित कर रहे थे.

लगभग आधे घंटे विलंब से विपक्षी दलों के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल एस कुमार के नेतृत्व में वहां आ पहुंचा. शुरुआत में तो उन्होंने खूब तेवर दिखाए. विभव भी कभी नरम तो कभी सख्त रूख अपनाते हुए दंगाग्रस्त क्षेत्र में न जाने के तर्क दे कर उन्हें समझाने की कोशिश कर रहा था कि तभी उस के फोन पर लहर की नीना मैम की काल आई,”सर, आप आ रहे हैं न पीटीएम में?” अभी वह कुछ बोलता कि वह फिर से बोलीं, ” लीजिए, लहर बात करेगी.”

विपक्ष में होने के कारण यों तो विपक्ष का एस कुमार काफी आक्रमक थे, पर इंसान के तौर पर वे काफी मैच्योर एवं सुलझे हुए थे. विभव जब लहर को फोन पर यह समझा रहा था कि  वह एक बहुत महत्त्वपूर्ण ला ऐंड और्डर ड्यूटी में व्यस्त है तो वे उस की बात बहुत ध्यान से सुन रहे थे. बात समाप्त हो जाने पर उन्होंने विभव से पूछा, ”क्या बात है औफिसर, कोई परेशानी?”

”नहीं सर, वह बिटिया का स्कूल से फोन था.”

“अरे भाई, हम भी फैमिली वाले हैं. बताओ क्या परेशानी है? राजनीति से अलग हट कर पूछ रहा हूं.”

”सर, आज उस का पीटीएम है और उस की नानी की तबियत अचानक खराब हो जाने के कारण उस की मां इलाहाबाद चली गई है इसलिए वह पीटीएम में मेरा इंतजार कर रही है.”

एस कुमारजी ने कुछ देर सोचा फिर भीड़ से थोड़ा अलग अकेले में ले जा कर वे विभव के कान में धीमे से बोले, ”मुझे डिटेन करने के लिए कोई जगह तो जरूर चुनी होगी आप लोगों ने?”

”जी सर, पास में ही सिंचाई विभाग का डाकबंगला है.”

“तो मुझे और मेरे समर्थकों को तुरंत वहां ले चलो,” उन की आंखें कुछ इशारा कर रही थीं. विभव को एक बारगी विश्वास ही नहीं हुआ.

तब एस कुमार ने कहा, ”देर मत करो, पार्टी वालों का कोई ठिकाना नहीं है कि कब मामला बिगड़ जाए.”

विभव उन्हें और उन के समर्थकों को योजनानुसार डाकबंगले में ले आया.

वहां पहुंचते ही वै बोले, ”अब आप निश्चिंत हो कर पीटीएम में जा सकते हो, अब हम कहीं नहीं जा रहे. हम यहीं पर विरोध कर लेंगे.”

”मगर सर…”

”अच्छा 1 मिनट. शायद तुम्हारे सीनियर्स को इतनी सरलता से समस्या सुलझ जाने पर विश्वास न हो. रुको, मैं तुम्हारे कमिश्नर साहब को खुद फोन कर आश्वस्त कर देता हूं,” कमिश्नर साहब के लाइन पर आते ही वे बोले,” कमिश्नर साहब, मैं आप का औफर स्वीकार कर गेस्ट हाउस में आ गया हूं. अब मेरा आगे का कोई प्रोग्राम नहीं है. अब कृपा कर इन्हें बिटिया के पीटीएम में जाने की अनुमति दे दीजिए.”

कमिश्नर साहब, ”व्हाई नौट, सर. विभव को बता दीजिए कि वह पीटीएम में निश्चिंत हो कर जा सकता है.”

एस कुमारजी विभव से बोले, “अब आप तुरंत स्कूल पहुंचो, बिटिया आप का इंतजार कर रही होगी.”

“थैंक्यू सर. मेरे पास आप को शुक्रिया अदा करने के लिए कोई शब्द नहीं हैं.”

“थैंक्यू… लेकिन अभी अपना समय बरबाद मत करो. तुरंत स्कूल पहुंचो.”

पीटीएम समाप्त होने में अब मात्र आधा घंटा ही बचा था और इस जगह से लहर का स्कूल करीब 10 किमी दूर था. विभव ड्राइवर से बोला,” जगदीश, चलो बिटिया के पास जाना है उस के स्कूल. पीटीएम खत्म होने में मात्र आधा घंटा बचा है.”

“जी सर, मुझे भी बिटिया की याद आ रही है.”

पीटीएम खत्म होने के ठीक 5-7 मिनट पहले जब विभव ने लहर के क्लासरूम में प्रवेश किया तो क्लासरूम में वह अकेली स्टूडैंट बची थी. पापा को देखते ही उस की खुशी का ठिकाना न रहा, “मैम, देखिए, मेरे पापा भी आ गए,” उस की आवाज की खनक से पूरा क्लासरूम झूम उठा.

नीना मैम बोली, “अरे आइए, सर. हमलोग आप का ही इंतजार कर रहे थे और लहर की निगाहें तो लगातार घड़ी और दरवाजे पर ही टिकी थीं.”

“मैम, पुलिस जौब में कुछ चीजें इतनी अचानक और महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं कि बाकी सबकुछ पीछे रह जाता है.”

नीना मैम बोली,” यू आर राइट सर. जीवन में कुछ क्षण ऐसे होते हैं जहां हमारी सब से ज्यादा जरूरत होती है, पर हम वहां नहीं रह पाते और मुझे पता है कि आप की जौब में तो ऐसे पल अकसर आते रहते हैं.”

“धन्यवाद मैम, और यदि आप की इजाजत हो तो इस की मम्मी से आप की वीडियो काल पर बात करा दूं? वह भी पीटीएम में आने के लिए बहुत उत्सुक थी लेकिन अचानक…”

नीना मैम बोली,” औफकोर्स, प्लीज…”

वीडियो कालिंग के जरीए लहर की पीटीएम में शामिल हो कर नव्या को भी बहुत अच्छा लगा.

पीटीएम से निकलने के बाद लहर विभव के गले में हाथ डाल कर झूला झूलती हुई बोली, “पापा, एक बात बताऊं, जब सब के पेरैंट्स 1-1 कर आजा रहे थे और अंत में जब मैं क्लास में अकेली रह गई तो मुझे अंदर से बहुत रूलाई आ रही थी. लेकिन मुझे लग रहा था कि आप जरूर यहां आएंगे, थैंक्यू पापा.”

“लव यू बेटा…”

The post पीटीएम: क्या दंगों के बीच बेटी तक पहुंच पाया वो पुलिसवाला appeared first on Sarita Magazine.

January 10, 2022 at 10:00AM

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