Wednesday 12 January 2022

शरणागत- भाग 1: डा. अमन की जिंदगी क्यों तबाह हो गई?

आईसीयू में लेटे अमन को जब होश आया तो उसे तेज दर्द का एहसास हुआ. कमजोरी की वजह से कांपती आवाज में बोला, ‘‘मैं कहां हूं?’’

पास खड़ी नर्स ने कहा, ‘‘डा. अमन, आप अस्पताल में हैं. अब आप ठीक हैं. आप का ऐक्सिडैंट हो गया था,’’ कह कर नर्स तुरंत सीनियर डाक्टर को बुलाने चली गई.

खबर पाते ही सीनियर डाक्टर आए और डा. अमन की जांच करने लगे. जांच के बाद बोले, ‘‘डा. अमन गनीमत है जो इतने बड़े ऐक्सिडैंट के बाद भी ठीक हैं. हां, एक टांग में फ्रैक्चर हो गया है. कुछ जख्म हैं. आप जल्दी ठीक हो जाएंगे. घबराने की कोई बात नहीं.’’

डाक्टर के चले जाने के बाद नर्स ने डा. अमन को बताया कि उन के परिवार वालों को सूचित कर दिया गया है. वे आते ही होंगे. फिर नर्स पास ही रखे स्टूल पर बैठ गई. अमन गहरी सोच में पड़ गया कि अपनी जान बच जाने की खुशी मनाए या अपने जीवन की बरबादी का शोक मनाए?

कमजोरी के कारण उस ने अपनी आंखें मूंद लीं. एक डाक्टर होने के नाते वह यह अच्छी तरह समझता था कि इस हालत में दिमाग और दिल के लिए कोई चिंता या सोच उस की सेहत पर गलत असर डाल सकती है पर वह क्या करे. वह भी तो एक इंसान है. उस के सीने में भी एक बेटे, एक भाई और पति का दिल धड़कता है. इन यादों और बातों से कहां और कैसे दूर जाए?

ये भी पढ़ें- प्यार एक एहसास

आज उसे मालूम चला कि एक डाक्टर हो कर मरीज को हिदायत देना कितना आसान होता है पर एक सामान्य मरीज बन कर उस का पालन करना कितना कठिन.

डा. अमन के दिलोदिमाग पर अतीत के बादल गरजने लगे…

डा. अमन को याद आया अपना वह पुराना जर्जर मकान जहां वह अपने मातापिता और 2 बहनों के साथ रहता था. उस के पिता सरकारी क्लर्क थे. वे रोज सवेरे 9 बजे अपनी पुरानी साइकिल पर दफ्तर जाते और शाम को 6 बजे थकेहारे लौटते.

उस की मां बहुत ही सीधीसादी महिला थीं. उस ने उन्हें हमेशा घर के कामों में ही व्यस्त देखा, कभी आराम नहीं करती थीं. वे तीनों भाईबहन पढ़नेलिखने में होशियार थे. जैसे ही बहनों की पढ़ाई खत्म हुई उन की शादी कर दी गई. पिताजी का आधे से ज्यादा फंड बहनों की शादी में खर्च हो गया. उस के पिता की इच्छा

थी कि वे अपने बेटे को डाक्टर बनाएं. इस इच्छा के कारण उन्होंने अपने सारे सुख और आराम त्याग दिए.

वे न तो जर्जर मकान को ही ठीक करवा पाए और न ही स्कूटर या कार ले पाए. बरसात में जब जगहजगह से छत से पानी टपकने लगता तो मां जगहजगह बरतन रखने लगतीं. ये सब देख कर उस का मन बहुत दुखता था. वह सोचता कि क्या करना ऐसी पढ़ाई को जो मांबाप का सुखचैन ही छीन ले पर जब वह डाक्टरी की पढ़ाई कर रहा था तब पिता के चेहरे पर एक अलग खुशी दिखाई देती. उसे देख उसे बड़ा दिलासा मिलता था.

तभी दरवाजा खुलने की आवाज उसे वर्तमान में लौटा लाई.

उस के मातापिता और बहनें आई थीं. पिता छड़ी टेकते हुए आ रहे थे. मां को बहनें पकड़े थीं. उस का मन घबराने लगा. सोचने लगा कि मैं कपूत उन के किसी काम न आया. मगर वे आज भी उस के बुरे समय में उस के साथ खड़े थे. जिसे सब से पहले यहां पहुंचना चाहिए था उस का कोसों दूर तक पता न था.

काश वह एक पक्षी होता, चुपके से उड़ जाता या कहीं छिप जाता. अपने मातापिता का सामना करने की उस की हिम्मत नहीं हो रही थी. उस ने आंखें बंद कर लीं. मां का रोना, बहनों का दिलासा देना, पिता का कुदरत से गुहार लगाना सब उस के कानों में पिघले सीसे की तरह पड़ रहा था.

तभी नर्स ने आ कर सब को मरीज की खराब हालत का हवाला देते हुए बाहर जाने को कहा. मातापिता ने अमन के सिर पर हाथ फेरा तो उसे ऐसे लगा मानो ठंडी वादियों की हवा उसे सहला रही हो. धीरेधीरे सब बाहर चले गए.

अमन फिर अतीत के टूटे तार जोड़ने लगा…

जैसे ही अमन को डाक्टर की डिग्री मिली घर में खुशी की लहर दौड़ गई. मातापिता खुशी से फूले नहीं समा रहे थे. बहनें भी खुशी से बावली हुई जा रही थीं. 2 दिन बाद ही इन खुशियों को दोगुना करते हुए एक और खबर मिली. शहर के नामी अस्पताल ने उसे इंटरव्यू के लिए बुलाया था. 2 सप्ताह बाद अमन की उस में नौकरी लग गई. उस के पिता की बहुत इच्छा थी

कि वह अपना क्लीनिक भी खोले. उस ने पिता की इच्छा पर अपनी हामी की मुहर लगा दी. वह अस्पताल में बड़े जोश से काम करने लगा.

ये भी पढ़ें- नेहा और साइबर कैफे

अभी अमन की नौकरी लगे 1 साल भी नहीं हुआ था कि अचानक उस की जिंदगी में एक ऐसा तूफान आया कि उस ने उस के जीवन की दिशा ही बदल दी.

दोपहर के लंच के बाद अमन डा. जावेद के साथ बातचीत कर रहा था. डा. जावेद सीनियर, अनुभवी और शालीन स्वभाव के थे. वे अमन की मेहनत और लगन से प्रभावित हो कर उसे छोटे भाई की तरह मानने लगे थे.डा. अमन को याद आया अपना वह पुराना जर्जर मकान जहां वह अपने मातापिता और 2 बहनों के साथ रहता था. उस के पिता सरकारी क्लर्क थे.

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आईसीयू में लेटे अमन को जब होश आया तो उसे तेज दर्द का एहसास हुआ. कमजोरी की वजह से कांपती आवाज में बोला, ‘‘मैं कहां हूं?’’

पास खड़ी नर्स ने कहा, ‘‘डा. अमन, आप अस्पताल में हैं. अब आप ठीक हैं. आप का ऐक्सिडैंट हो गया था,’’ कह कर नर्स तुरंत सीनियर डाक्टर को बुलाने चली गई.

खबर पाते ही सीनियर डाक्टर आए और डा. अमन की जांच करने लगे. जांच के बाद बोले, ‘‘डा. अमन गनीमत है जो इतने बड़े ऐक्सिडैंट के बाद भी ठीक हैं. हां, एक टांग में फ्रैक्चर हो गया है. कुछ जख्म हैं. आप जल्दी ठीक हो जाएंगे. घबराने की कोई बात नहीं.’’

डाक्टर के चले जाने के बाद नर्स ने डा. अमन को बताया कि उन के परिवार वालों को सूचित कर दिया गया है. वे आते ही होंगे. फिर नर्स पास ही रखे स्टूल पर बैठ गई. अमन गहरी सोच में पड़ गया कि अपनी जान बच जाने की खुशी मनाए या अपने जीवन की बरबादी का शोक मनाए?

कमजोरी के कारण उस ने अपनी आंखें मूंद लीं. एक डाक्टर होने के नाते वह यह अच्छी तरह समझता था कि इस हालत में दिमाग और दिल के लिए कोई चिंता या सोच उस की सेहत पर गलत असर डाल सकती है पर वह क्या करे. वह भी तो एक इंसान है. उस के सीने में भी एक बेटे, एक भाई और पति का दिल धड़कता है. इन यादों और बातों से कहां और कैसे दूर जाए?

ये भी पढ़ें- प्यार एक एहसास

आज उसे मालूम चला कि एक डाक्टर हो कर मरीज को हिदायत देना कितना आसान होता है पर एक सामान्य मरीज बन कर उस का पालन करना कितना कठिन.

डा. अमन के दिलोदिमाग पर अतीत के बादल गरजने लगे…

डा. अमन को याद आया अपना वह पुराना जर्जर मकान जहां वह अपने मातापिता और 2 बहनों के साथ रहता था. उस के पिता सरकारी क्लर्क थे. वे रोज सवेरे 9 बजे अपनी पुरानी साइकिल पर दफ्तर जाते और शाम को 6 बजे थकेहारे लौटते.

उस की मां बहुत ही सीधीसादी महिला थीं. उस ने उन्हें हमेशा घर के कामों में ही व्यस्त देखा, कभी आराम नहीं करती थीं. वे तीनों भाईबहन पढ़नेलिखने में होशियार थे. जैसे ही बहनों की पढ़ाई खत्म हुई उन की शादी कर दी गई. पिताजी का आधे से ज्यादा फंड बहनों की शादी में खर्च हो गया. उस के पिता की इच्छा

थी कि वे अपने बेटे को डाक्टर बनाएं. इस इच्छा के कारण उन्होंने अपने सारे सुख और आराम त्याग दिए.

वे न तो जर्जर मकान को ही ठीक करवा पाए और न ही स्कूटर या कार ले पाए. बरसात में जब जगहजगह से छत से पानी टपकने लगता तो मां जगहजगह बरतन रखने लगतीं. ये सब देख कर उस का मन बहुत दुखता था. वह सोचता कि क्या करना ऐसी पढ़ाई को जो मांबाप का सुखचैन ही छीन ले पर जब वह डाक्टरी की पढ़ाई कर रहा था तब पिता के चेहरे पर एक अलग खुशी दिखाई देती. उसे देख उसे बड़ा दिलासा मिलता था.

तभी दरवाजा खुलने की आवाज उसे वर्तमान में लौटा लाई.

उस के मातापिता और बहनें आई थीं. पिता छड़ी टेकते हुए आ रहे थे. मां को बहनें पकड़े थीं. उस का मन घबराने लगा. सोचने लगा कि मैं कपूत उन के किसी काम न आया. मगर वे आज भी उस के बुरे समय में उस के साथ खड़े थे. जिसे सब से पहले यहां पहुंचना चाहिए था उस का कोसों दूर तक पता न था.

काश वह एक पक्षी होता, चुपके से उड़ जाता या कहीं छिप जाता. अपने मातापिता का सामना करने की उस की हिम्मत नहीं हो रही थी. उस ने आंखें बंद कर लीं. मां का रोना, बहनों का दिलासा देना, पिता का कुदरत से गुहार लगाना सब उस के कानों में पिघले सीसे की तरह पड़ रहा था.

तभी नर्स ने आ कर सब को मरीज की खराब हालत का हवाला देते हुए बाहर जाने को कहा. मातापिता ने अमन के सिर पर हाथ फेरा तो उसे ऐसे लगा मानो ठंडी वादियों की हवा उसे सहला रही हो. धीरेधीरे सब बाहर चले गए.

अमन फिर अतीत के टूटे तार जोड़ने लगा…

जैसे ही अमन को डाक्टर की डिग्री मिली घर में खुशी की लहर दौड़ गई. मातापिता खुशी से फूले नहीं समा रहे थे. बहनें भी खुशी से बावली हुई जा रही थीं. 2 दिन बाद ही इन खुशियों को दोगुना करते हुए एक और खबर मिली. शहर के नामी अस्पताल ने उसे इंटरव्यू के लिए बुलाया था. 2 सप्ताह बाद अमन की उस में नौकरी लग गई. उस के पिता की बहुत इच्छा थी

कि वह अपना क्लीनिक भी खोले. उस ने पिता की इच्छा पर अपनी हामी की मुहर लगा दी. वह अस्पताल में बड़े जोश से काम करने लगा.

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अभी अमन की नौकरी लगे 1 साल भी नहीं हुआ था कि अचानक उस की जिंदगी में एक ऐसा तूफान आया कि उस ने उस के जीवन की दिशा ही बदल दी.

दोपहर के लंच के बाद अमन डा. जावेद के साथ बातचीत कर रहा था. डा. जावेद सीनियर, अनुभवी और शालीन स्वभाव के थे. वे अमन की मेहनत और लगन से प्रभावित हो कर उसे छोटे भाई की तरह मानने लगे थे.डा. अमन को याद आया अपना वह पुराना जर्जर मकान जहां वह अपने मातापिता और 2 बहनों के साथ रहता था. उस के पिता सरकारी क्लर्क थे.

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January 13, 2022 at 09:00AM

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