Wednesday 12 January 2022

चरित्रहीन कौन- भाग 1: कामवाली के साथ क्या कर रहा था उमेश

पति उमेश की गंदी हरकतों से आयुषी तंग आ चुकी थी. आखिर कितनी मेड बदलेगी वह. उमेश की गंदी हरकतों से परेशान हो कर कितनी मेड काम छोड़ गईं तो कितनी को आयुषी ने खुद निकाल दिया.

आयुषी बैंक में नौकरी करती है और उमेश एलआईसी कार्यालय में है. उमेश तो घर से 10-11 बजे निकलता है, पर आयुषी को घर से जल्दी निकलना पड़ता है. उन के 2 बच्चे हैं- बेटी पावनी 11 साल की और बेटा सनी 7 साल का.

आयुषी दोनों बच्चों को स्कूल भेज उमेश का लंच पैक कर बाकी का काम बाई पर छोड़ तैयार हो कर बैंक निकल जाती. उसे हमेशा यही डर सताता है कि पता नहीं उस के पीछे उमेश और बाई कहीं कुछ…

कितनी बार आयुषी ने उमेश को अखबार की ओट से बाई को गंदी नजरों से घूरते देखा है. अब झाड़ूपोंछा लगाते वक्त किसी के भी कपड़े अस्तव्यस्त हो ही जाते हैं. इस का यह मतलब तो नहीं है कि कोई उसे गंदी नजरों से घूरे. ऐसे में कोई भी बाई असहज हो जाएगी. आयुषी ऐसे ही पति पर शक नहीं कर रही थी.

‘‘नंदा, मैं औफिस जा रही हूं. तुम काम खत्म कर के चली जाना… और हां फ्रिज में कुछ खाने का सामान रखा है उसे लेती जाना,’’ कह एक दिन आयुषी औफिस चली गई.

आयुषी थोड़ी दूर ही पहुंची थी कि उसे याद आया कि वह अपनी दराज की चाबी भूल आई. उस ने तुरंत स्कूटी घर की तरफ घुमाई. घर की दूसरी चाबी आयुषी के पास रहती थी. अत: वह दरवाजा खोल कर जैसे ही अंदर गई उस के पैर वहीं ठिठक गए. उमेश और नंदा दोनों आयुषी के बैड पर एकदूसरे से लिपटे थे.

आयुषी को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था. बाई तो भाग गई… उमेश हकलाते हुए कहने लगा, ‘‘आयुषी मैं नहीं वही जबरदस्ती करने…’’

आयुषी ने बिना उमेश की पूरी बात सुने एक जोरदार थप्पड़ उस के गाल पर दे मारा और फिर कहने लगी, ‘‘शर्म नहीं आती तुम्हें झूठ बोलते हुए… बिना तुम्हारी मरजी के वह और तुम… छि… छि:…,’’ कह आयुषी अपने आंसू पोंछते हुए आगे बोली, ‘‘उस दिन को कोसती हूं मैं, जिस दिन मेरी तुम से शादी हुई थी.’’

आयुषी औफिस तो चली गई, पर अपनी तबीयत खराब होने का बहाना कर तुरंत घर आ गई. पूरा दिन और रात वह सिसकती रही. किसी से कुछ नहीं कहा. न ही अपने बच्चों को इस बारे में कुछ पता लगने दिया. वह सोचने लगी कि कभी बच्चों को अपने पापा की इन गंदी हरकतों का पता चला, तो दोनों नफरत करेंगे उन से… उमेश की तो अब हिम्मत ही नहीं थी कि वह आयुषी के सामने जाए.

आयुषी बच्चों को सुबह स्कूल भेज कर घर का सारा काम खत्म कर औफिस चली जाती थी. कोई भी कामवाली सुबह आने को तैयार नहीं थी. सब यही कहतीं कि 9 बजे के बाद ही आ सकती हैं. आयुषी का मन तो करता कि नौकरी छोड़ दे, पर बच्चों के स्कूल और पढ़ाई पर जो मोटा पैसा खर्च होता है वह कहां से आएगा. आसमान छूती महंगाई के युग में एक की कमाई से घर चलाना संभव नहीं था.

एक बाई आई भी, पर कुछ दिन काम कर के छोड़ गई. वही बात सुबह 8 बजे नहीं आ सकती. आयुषी की तो कमर जवाब देने लगी थी. आखिर वह घरबाहर कितना करेगी.

आयुषी ने अपनी सहेली वैशाली से बाई के बारे में पूछने के लिए फोन किया, तो उस ने बताया, ‘‘हां एक बाई आती तो है मेरे घर काम करने, पर वह थोड़ी बूढ़ी है. अगर तुम कहो तो भेज देती हूं.’’

वैशाली की बात सुन कर आयुषी खुश हो गई, उसे यही तो चाहिए था. वह मन ही मन मुसकराई कि उमेश अब बूढ़ी औरत को क्या घूरेगा.

कांता बाई दूसरे दिन से ही काम पर आने लगी. अब आयुषी को कोई फिक्र नहीं थी. सब कुछ सुचारु रूप से चल रहा था.

कांता बाई 2-3 दिनों से नहीं आ रही थी, वैशाली से पता चला कि उस की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए कुछ दिनों बाद आएगी. सुन कर आयुषी के पसीने छूट गए.

कांता बाई एक रोज किसी और को ले कर आई और कहने लगी, ‘‘मैडमजी, यह मेरी बहू है रूपा. अब से यही आप के घर काम करेगी.’’

‘‘कांता बाई जब आप की तबीयत ठीक हो जाएगी तब तो आओगी न काम पर?’’ आयुषी ने पूछा.

‘‘मैडमजी अब मुझ से काम नहीं होता है… गठिया की शिकायत है मुझे. काम करती हूं तो दर्द और बढ़ जाता है. मगर आप चिंता न करो मेरी बहू मुझ से भी अच्छा काम करेगी,’’ कांता बाई ने कहा.

आयुषी ने हां तो कह दी पर फिर वही शर्त कि सुबह 8 बजे आना पड़ेगा. रूपा मान गई.

रूपा काम तो अच्छा करती थी, पर आयुषी को डर लगा रहता था कि उमेश की गंदी नजर कहीं रूपा पर भी न पड़ जाए. रूपा थी भी बहुत खूबसूरत और फिर उम्र भी ज्यादा नहीं थी. यही कोई 22-23 साल. आयुषी के सामने ही वह काम कर के चली जाती थी.

आयुषी रविवार के दिन रूपा से खाना बनाने में भी मदद ले लिया करती थी. रूपा का व्यवहार भी अच्छा था. आयुषी हमेशा उसे कुछ न कुछ दे देती थी. जैसे पुराने सलवारसूट, चूडि़यां, बिंदी, लिपस्टिक आदि. रूपा भी बहुत खुश रहती थी. आयुषी को वह अब मैडमजी नहीं, दीदी कह कर बुलाने लगी थी.

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पति उमेश की गंदी हरकतों से आयुषी तंग आ चुकी थी. आखिर कितनी मेड बदलेगी वह. उमेश की गंदी हरकतों से परेशान हो कर कितनी मेड काम छोड़ गईं तो कितनी को आयुषी ने खुद निकाल दिया.

आयुषी बैंक में नौकरी करती है और उमेश एलआईसी कार्यालय में है. उमेश तो घर से 10-11 बजे निकलता है, पर आयुषी को घर से जल्दी निकलना पड़ता है. उन के 2 बच्चे हैं- बेटी पावनी 11 साल की और बेटा सनी 7 साल का.

आयुषी दोनों बच्चों को स्कूल भेज उमेश का लंच पैक कर बाकी का काम बाई पर छोड़ तैयार हो कर बैंक निकल जाती. उसे हमेशा यही डर सताता है कि पता नहीं उस के पीछे उमेश और बाई कहीं कुछ…

कितनी बार आयुषी ने उमेश को अखबार की ओट से बाई को गंदी नजरों से घूरते देखा है. अब झाड़ूपोंछा लगाते वक्त किसी के भी कपड़े अस्तव्यस्त हो ही जाते हैं. इस का यह मतलब तो नहीं है कि कोई उसे गंदी नजरों से घूरे. ऐसे में कोई भी बाई असहज हो जाएगी. आयुषी ऐसे ही पति पर शक नहीं कर रही थी.

‘‘नंदा, मैं औफिस जा रही हूं. तुम काम खत्म कर के चली जाना… और हां फ्रिज में कुछ खाने का सामान रखा है उसे लेती जाना,’’ कह एक दिन आयुषी औफिस चली गई.

आयुषी थोड़ी दूर ही पहुंची थी कि उसे याद आया कि वह अपनी दराज की चाबी भूल आई. उस ने तुरंत स्कूटी घर की तरफ घुमाई. घर की दूसरी चाबी आयुषी के पास रहती थी. अत: वह दरवाजा खोल कर जैसे ही अंदर गई उस के पैर वहीं ठिठक गए. उमेश और नंदा दोनों आयुषी के बैड पर एकदूसरे से लिपटे थे.

आयुषी को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था. बाई तो भाग गई… उमेश हकलाते हुए कहने लगा, ‘‘आयुषी मैं नहीं वही जबरदस्ती करने…’’

आयुषी ने बिना उमेश की पूरी बात सुने एक जोरदार थप्पड़ उस के गाल पर दे मारा और फिर कहने लगी, ‘‘शर्म नहीं आती तुम्हें झूठ बोलते हुए… बिना तुम्हारी मरजी के वह और तुम… छि… छि:…,’’ कह आयुषी अपने आंसू पोंछते हुए आगे बोली, ‘‘उस दिन को कोसती हूं मैं, जिस दिन मेरी तुम से शादी हुई थी.’’

आयुषी औफिस तो चली गई, पर अपनी तबीयत खराब होने का बहाना कर तुरंत घर आ गई. पूरा दिन और रात वह सिसकती रही. किसी से कुछ नहीं कहा. न ही अपने बच्चों को इस बारे में कुछ पता लगने दिया. वह सोचने लगी कि कभी बच्चों को अपने पापा की इन गंदी हरकतों का पता चला, तो दोनों नफरत करेंगे उन से… उमेश की तो अब हिम्मत ही नहीं थी कि वह आयुषी के सामने जाए.

आयुषी बच्चों को सुबह स्कूल भेज कर घर का सारा काम खत्म कर औफिस चली जाती थी. कोई भी कामवाली सुबह आने को तैयार नहीं थी. सब यही कहतीं कि 9 बजे के बाद ही आ सकती हैं. आयुषी का मन तो करता कि नौकरी छोड़ दे, पर बच्चों के स्कूल और पढ़ाई पर जो मोटा पैसा खर्च होता है वह कहां से आएगा. आसमान छूती महंगाई के युग में एक की कमाई से घर चलाना संभव नहीं था.

एक बाई आई भी, पर कुछ दिन काम कर के छोड़ गई. वही बात सुबह 8 बजे नहीं आ सकती. आयुषी की तो कमर जवाब देने लगी थी. आखिर वह घरबाहर कितना करेगी.

आयुषी ने अपनी सहेली वैशाली से बाई के बारे में पूछने के लिए फोन किया, तो उस ने बताया, ‘‘हां एक बाई आती तो है मेरे घर काम करने, पर वह थोड़ी बूढ़ी है. अगर तुम कहो तो भेज देती हूं.’’

वैशाली की बात सुन कर आयुषी खुश हो गई, उसे यही तो चाहिए था. वह मन ही मन मुसकराई कि उमेश अब बूढ़ी औरत को क्या घूरेगा.

कांता बाई दूसरे दिन से ही काम पर आने लगी. अब आयुषी को कोई फिक्र नहीं थी. सब कुछ सुचारु रूप से चल रहा था.

कांता बाई 2-3 दिनों से नहीं आ रही थी, वैशाली से पता चला कि उस की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए कुछ दिनों बाद आएगी. सुन कर आयुषी के पसीने छूट गए.

कांता बाई एक रोज किसी और को ले कर आई और कहने लगी, ‘‘मैडमजी, यह मेरी बहू है रूपा. अब से यही आप के घर काम करेगी.’’

‘‘कांता बाई जब आप की तबीयत ठीक हो जाएगी तब तो आओगी न काम पर?’’ आयुषी ने पूछा.

‘‘मैडमजी अब मुझ से काम नहीं होता है… गठिया की शिकायत है मुझे. काम करती हूं तो दर्द और बढ़ जाता है. मगर आप चिंता न करो मेरी बहू मुझ से भी अच्छा काम करेगी,’’ कांता बाई ने कहा.

आयुषी ने हां तो कह दी पर फिर वही शर्त कि सुबह 8 बजे आना पड़ेगा. रूपा मान गई.

रूपा काम तो अच्छा करती थी, पर आयुषी को डर लगा रहता था कि उमेश की गंदी नजर कहीं रूपा पर भी न पड़ जाए. रूपा थी भी बहुत खूबसूरत और फिर उम्र भी ज्यादा नहीं थी. यही कोई 22-23 साल. आयुषी के सामने ही वह काम कर के चली जाती थी.

आयुषी रविवार के दिन रूपा से खाना बनाने में भी मदद ले लिया करती थी. रूपा का व्यवहार भी अच्छा था. आयुषी हमेशा उसे कुछ न कुछ दे देती थी. जैसे पुराने सलवारसूट, चूडि़यां, बिंदी, लिपस्टिक आदि. रूपा भी बहुत खुश रहती थी. आयुषी को वह अब मैडमजी नहीं, दीदी कह कर बुलाने लगी थी.

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January 12, 2022 at 11:21AM

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