Tuesday 18 January 2022

हीरो- भाग 1: आखिर आशी बुआ को क्यों नाटक करना पड़ा ?

Writer- रिचा चौधरी

आशी बुआ को कविता की समस्या समझने में सिर्फ 1 दिन लगा. सभी संबंधित व्यक्तियों से बात कर के उन्हें अच्छाखासा अंदाजा हो गया कि कविता क्यों नाराज हो कर पिछले डेढ़ महीने से ससुराल छोड़ मायके में रह रही थी. अपने भैयाभाभी की शादी की 30वीं सालगिरह पर बधाई देने आशाी अपने छोटे बेटे राहुल के साथ कानपुर से दिल्ली आई थी. इस गश्त में सभी करीबी और खास रिश्तेदार थे. उन्होंने इस मौके का फायदा उठाया और समस्या की जड़ खोज निकाली.

‘‘कविता घर से अलग रहना चाहती है, पर राजेश वैसा करने को तैयार नहीं. घर का 2 कमरे का अपना मकान होते हुए किराए में बेकार एक कमरे में ₹ 3-4 हजार फूंकने की क्या जरूरत है?’’ कविता के ससुर दीगरवालजी की नाराजगी को आशी ने साफ महसूस किया था.

‘‘मेरे सीधेसादे बेटे को बहुत ज्यादा तेज लङकी मिल गई, बहनजी,’’ कविता की सास उर्मिला ने दुखी स्वर में उन्हें बताया, “कविता को घूमनेफिरने, बाहर खाने, खरीदारी करने, फिल्म देखने में बहुत दिलचस्पी है. बस, घरगृहस्थी की जिम्मेवारियों का जिक्र करा नहीं कि उस का मुंह सूज जाता है. अब मायके में जम कर मेरे बेटे पर जबरदस्ती दबाव बना रही है. मेरी बात का बुरा मत मानना बहनजी, आप के भैयाभाभी ने अपनी छोटी बेटी में चमकदमक व नखरे तो खूब पैदा करवा दिए पर समझदारी ज्यादा नहीं दी.’’

‘‘जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा,’’ आशी चौधरी ने उन दोनों को ऐसी तसल्ली बारबार दी, पर उन की आंखों में बेटेबहू के अलगाव को ले कर संशय के भाव बने ही रहे. जब पैसे कम हों तो बचत की कीमत कविता समझ ही नहीं रही थी.

ये भी पढ़ें- क्षितिज ने पुकारा: क्या पति की जिद के आगे नंदिनी झुक गई

आशी बुआ ने अपने भाई आनंद से इस विषय में चर्चा छेड़ी, तो वे फौरन गुस्से से भङक उठे,”मेरी बेटी ससुराल में जा कर पिस रही है, बस. उस की दोनों ननदें काम में रत्तीभर हाथ नहीं बंटातीं. उस के सुखदुख की राजेश को ही फिक्र नहीं। मैं यह घर उस के नाम कर दूंगा, बहन. वह सारी सारी जिंदगी यहां रह लेगी, पर कायदेकानून और रीतरिवाज के नाम पर अत्याचार झेलने सुसराल जबरदस्ती नहीं भेजी जाएगी.’’

अपने भाई का गुस्से से लाल हो रहा चेहरा देख कर आशी बुआ ने उन्हें समझानेबुझाने की कोशिश नहीं की थी. अपनी भाभी कमलेश से अकेले में बातें करते हुए उन की आंखों में आंसू भर आए थे,”जीजी, अभी कविता की शादी को सालभर भी पूरा नहीं हुआ है और वह नाराज हो कर पति से दूर यहां रह रही है. दोनों में से कोई भी झुकने को समझदारी की बात सुनने को तैयार नहीं होता. अपने घर में उन का संबंध टूटने तक की बात सुनती हूं तो मन कांप उठता है. आप ही कोई रास्ता ढूंढ़ो जीजी, नहीं तो मेरी बेटी का घर अच्छी तरह बसने से पहले ही उजड़ जाएगा,’’ कमलेश का बिलख कर रोना आशी बुआ का मन बहुत भारी कर गया था.

कविता की बड़ी बहन सुनंदा ने चिढ़े से लहजे में आशी बुआ को अपनी राय बताई, ‘‘कविता और राजेश छोटे बच्चे नहीं हैं जो अपना भलाबुरा न पहचान सकें. जो इंसान किसी से हिरस कर के जिएगा, वह सदा दुखतकलीफ में रहेगा ही.’’

‘‘कौन किस से हिरस करता है?’’ बुआ ने यह सवाल कई तरह से पूछा, पर सुनंदा ने अपनी बात का और ज्यादा खुलासा नहीं किया. सुनंदा के पति मनोज से उन्हें एक महत्त्वपूर्ण सूत्र की जानकार मिली.

‘‘बुआजी, यह राजेश बस देखने में ही सीधा है,’’ मनोज ने कुछ कुरेदने पर गुस्से से कांपती आवाज में उन्हें बताया, ‘‘उस ने हमारी कविता के साथ मारपीट की. अरे, अगर आप के भाई को मैं यह बात बता दूं, तो वे अपने अत्याचारी दामाद को गोली ही मार देंगे. आप जानती हैं कि हमारे घरों में किस तरह बातबात में भालेफरसे चल जाते हैं.

‘‘बुआजी, आप तो जानती ही हैं कि कविता मुझ से कुछ नहीं छिपाती है. यह बात किसी और को क्यों नहीं मालूम है?’’

‘‘मैं ने ही कविता को मना कर रखा है.’’

‘‘और वह ससुराल कब लौटेगी?’’

‘‘तब तक नहीं जब तक राजेश उसे सही इज्जत और खुशियां देने को तैयार नहीं हो जाता. बुआजी, अगर इस इंसान की गलत हरकतों पर पहली बार के बाद ही अंकुश नहीं लगाया, तो हमारी कविता की उस घर में जिंदगी नर्क से बदतर हो जाएगी,’’ बाहर गली में लेजा कर आशी ने राजेश के दिल की बात पूरी गंभीरता से सुनी थी.

‘‘बुआजी, कविता की निगाहों में अपने जीजा के लिए जो एक सुपर हीरो की छवि है, वही हमारे बीच जबरदस्त मनमुटाव का कारण है,’’ अपने मन की बात कहते हुए राजेश गुस्से में नजर आने के साथसाथ बहुत परेशान भी दिख रहा था.

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‘‘मेरी समझ में तुम्हारी बात नहीं आई है,’’ आशी बुआ उलझन का शिकार बन गईं.

‘‘हमारी रोकना के दिन से ले कर आज तक मेरे कान पक गए हैं, कविता के मुंह से उस के जीजा का गुणगाण सुनते हुए. हर समय को मेरी तुलना अपने जीजा से कर के मेरा खून फूंकती रहती है.’’

‘‘बेटा, वह मनोज की इकलौती और लाडली साली है. क्या बातें चुभती हैं तुम्हें कविता की?’’

‘‘बुआजी, मैं मानता हूं कि मनोज भाईसाहब मुझ से ज्यादा कमाऊ और रौबीले इंसान हैं, पर मैं उन की कार्बन कौपी बन कर नहीं जीना चाहता हूं.’’

‘‘क्या कविता चाहती है कि तुम उन की कार्बन कौफी बनो?’’

‘‘बिलकुल. वह अपने मातापिता से अलग हुए हैं, तो मैं भी वैसा ही करूं….वह हर हफ्ते बाहर का खाना खाते हैं, तो हमें भी उसी तरह पैसे फूंकने चाहिए…मैं भी महंगे कपड़े पहनने लगूं… टूटीफूटी इंग्लिश बोला करूं….मैं बता नहीं सकता कि आप की भतीजी ने इस तरह की बातें कर के मेरी इज्जत को कितनी ठेस पहुंचाई है,’’ राजेश का दुख उस की आवाज में साफ झलका.

‘‘राजेश, उस की बातों में नासमझी की झलक है, पर तुम तो समझदार हो. तुम दोनों का अलगअलग रहना तो बिलकुल ठीक बात नहीं है. मैं ने उस से साफ कह दिया है कि जब उस के दिमाग से जीजा की बड़प्पन का नशा उतर जाए, तभी वह मेरे पास लौटने की बात सोचे. उसे समझाना या डांटडपट कर सीधे रास्ते पर रखना अब बस में नहीं रहा है, बुआ.’’

राजेश की नाराजगी देख कर आशी बुआ की आंखों में पश्चाताप के भाव और ज्यादा गहरे हो उठे थे. घर से निकल कर सङक पर बुआ ने आखिरी में कविता के मन का हाल जानने की कोशिश की।

“शादीशुदा जिंदगी की मौजमस्ती को ले कर मेरे सारे अरमान, सारी सोझ टूट कर बिखर चुकी है बुआ,’’ कविता ने उदास लहजे में कहा, ‘‘मेरी ससुराल का हर जना मेरी जिम्मेवारियों की…मेरे सुधरने और बदलने की बात करता है. किसी को मेरे सुखदुख या मेरी खुशियों की फिक्र नहीं है.’’

‘‘क्या राजेश तुम्हें प्यार नहीं करता है?’’

‘‘मुंह से हमेशा प्यार करने का भरोसा दिलाते हैं, पर मेरे मन की बात समझते नहीं.’’

‘‘क्या तुम्हारे मनोज जीजा को ले कर भी तुम दोनों के बीच में अनबन चलती है?’’

‘‘जीजाजी के नाम से ही उन्हें चिढ़ होती है, बुआ.’’

‘‘मेरे खयाल से राजेश मनोज से नहीं, बल्कि हर वक्त तुम्हारे मुंह से मनोज की वाहवाही सुन कर चिढ़ता है.’’

‘‘बुआ, जीजाजी मेरे सब से करीबी रिश्तेदार हैं. जब वे हैं ही बहुत अच्छे तो मैं उन की बात क्यों न करूं? जिस रिश्ते में कुछ भी गंदा और खराब नहीं है, उस पर राजेश शक करें, तो क्या यह मेरी गलती है?’’ गुस्से के कारण कविता की आवाज में कंपन होने लगी.

‘‘राजेश, तुम दोनों के रिश्ते पर शक करता है?’’ बुआ ठिठक कर रुक गईं. कविता ने कोई जवाब नहीं दिया, पर उस की आंखों से आंसू बह चले. अचानक बुआ को कुछ याद आया और उन्होंने झटके से अगला सवाल पूछ लिया, ‘‘क्या इसी शक के कारण राजेश ने तुम पर हाथ उठाना शुरू किया है?’’

‘‘क्या राजेश ने आप को सब बता दिया है?’’ कविता हैरानी से भर उठी.

“उस ने कुछ नहीं कहा है. यह तो मेरा अंदाजा है. क्या मेरा अंदाजा ठीक है, कविता?’’

‘‘बुआ, राजेश ने पहली और आखिरी बार मुझ पर हाथ उठा लिया, सो उठा लिया. मैं अगली सुबह ही मायके आ गई और तभी ससुराल लौटूंगी जब राजेश की अक्ल ठिकाने आ जाएगी,’’ पलभर में आंसुओं की जगह कविता की आंखों में गुस्से की लाली नजर आने लगी.

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‘‘बेटी, यों मर्द से अलग हो कर रहना अच्छा…’’

‘‘बुआ, मैं सब संभाल लूंगी,’’ कविता ने उन्हें हाथ हवा में उठा कर टोक दिया, ‘‘आप राजेश के द्वारा जीजाजी और मुझ पर शक करने की बात किसी से भी न करना प्लीज. मैं ने किसी को भी कुछ नहीं कहा है. यह बात आम हो गई तो मारे शर्म के मैं जमीन में गड़ जाऊंगी.’’

‘‘मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगी. चल अब अंदर चलें,’’ बुआ ने कविता को कुछ समझाने की कोशिश नहीं की, तो वह राहत के भाव आंखों में समेटे घर की तरफ मुंङ गई.

उस रात आशी बुआ देर रात तक सो नहीं पाईं. वे सिर्फ 4 दिनों के लिए भाई के घर आई थीं. वापस लौटने से पहले वे कविता की प्रौब्लम को जड़ से दूर करना चाहती थीं. इसलिए वे देर रात तक सोचविचार में डूबी रहीं.

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आशी बुआ को कविता की समस्या समझने में सिर्फ 1 दिन लगा. सभी संबंधित व्यक्तियों से बात कर के उन्हें अच्छाखासा अंदाजा हो गया कि कविता क्यों नाराज हो कर पिछले डेढ़ महीने से ससुराल छोड़ मायके में रह रही थी. अपने भैयाभाभी की शादी की 30वीं सालगिरह पर बधाई देने आशाी अपने छोटे बेटे राहुल के साथ कानपुर से दिल्ली आई थी. इस गश्त में सभी करीबी और खास रिश्तेदार थे. उन्होंने इस मौके का फायदा उठाया और समस्या की जड़ खोज निकाली.

‘‘कविता घर से अलग रहना चाहती है, पर राजेश वैसा करने को तैयार नहीं. घर का 2 कमरे का अपना मकान होते हुए किराए में बेकार एक कमरे में ₹ 3-4 हजार फूंकने की क्या जरूरत है?’’ कविता के ससुर दीगरवालजी की नाराजगी को आशी ने साफ महसूस किया था.

‘‘मेरे सीधेसादे बेटे को बहुत ज्यादा तेज लङकी मिल गई, बहनजी,’’ कविता की सास उर्मिला ने दुखी स्वर में उन्हें बताया, “कविता को घूमनेफिरने, बाहर खाने, खरीदारी करने, फिल्म देखने में बहुत दिलचस्पी है. बस, घरगृहस्थी की जिम्मेवारियों का जिक्र करा नहीं कि उस का मुंह सूज जाता है. अब मायके में जम कर मेरे बेटे पर जबरदस्ती दबाव बना रही है. मेरी बात का बुरा मत मानना बहनजी, आप के भैयाभाभी ने अपनी छोटी बेटी में चमकदमक व नखरे तो खूब पैदा करवा दिए पर समझदारी ज्यादा नहीं दी.’’

‘‘जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा,’’ आशी चौधरी ने उन दोनों को ऐसी तसल्ली बारबार दी, पर उन की आंखों में बेटेबहू के अलगाव को ले कर संशय के भाव बने ही रहे. जब पैसे कम हों तो बचत की कीमत कविता समझ ही नहीं रही थी.

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आशी बुआ ने अपने भाई आनंद से इस विषय में चर्चा छेड़ी, तो वे फौरन गुस्से से भङक उठे,”मेरी बेटी ससुराल में जा कर पिस रही है, बस. उस की दोनों ननदें काम में रत्तीभर हाथ नहीं बंटातीं. उस के सुखदुख की राजेश को ही फिक्र नहीं। मैं यह घर उस के नाम कर दूंगा, बहन. वह सारी सारी जिंदगी यहां रह लेगी, पर कायदेकानून और रीतरिवाज के नाम पर अत्याचार झेलने सुसराल जबरदस्ती नहीं भेजी जाएगी.’’

अपने भाई का गुस्से से लाल हो रहा चेहरा देख कर आशी बुआ ने उन्हें समझानेबुझाने की कोशिश नहीं की थी. अपनी भाभी कमलेश से अकेले में बातें करते हुए उन की आंखों में आंसू भर आए थे,”जीजी, अभी कविता की शादी को सालभर भी पूरा नहीं हुआ है और वह नाराज हो कर पति से दूर यहां रह रही है. दोनों में से कोई भी झुकने को समझदारी की बात सुनने को तैयार नहीं होता. अपने घर में उन का संबंध टूटने तक की बात सुनती हूं तो मन कांप उठता है. आप ही कोई रास्ता ढूंढ़ो जीजी, नहीं तो मेरी बेटी का घर अच्छी तरह बसने से पहले ही उजड़ जाएगा,’’ कमलेश का बिलख कर रोना आशी बुआ का मन बहुत भारी कर गया था.

कविता की बड़ी बहन सुनंदा ने चिढ़े से लहजे में आशी बुआ को अपनी राय बताई, ‘‘कविता और राजेश छोटे बच्चे नहीं हैं जो अपना भलाबुरा न पहचान सकें. जो इंसान किसी से हिरस कर के जिएगा, वह सदा दुखतकलीफ में रहेगा ही.’’

‘‘कौन किस से हिरस करता है?’’ बुआ ने यह सवाल कई तरह से पूछा, पर सुनंदा ने अपनी बात का और ज्यादा खुलासा नहीं किया. सुनंदा के पति मनोज से उन्हें एक महत्त्वपूर्ण सूत्र की जानकार मिली.

‘‘बुआजी, यह राजेश बस देखने में ही सीधा है,’’ मनोज ने कुछ कुरेदने पर गुस्से से कांपती आवाज में उन्हें बताया, ‘‘उस ने हमारी कविता के साथ मारपीट की. अरे, अगर आप के भाई को मैं यह बात बता दूं, तो वे अपने अत्याचारी दामाद को गोली ही मार देंगे. आप जानती हैं कि हमारे घरों में किस तरह बातबात में भालेफरसे चल जाते हैं.

‘‘बुआजी, आप तो जानती ही हैं कि कविता मुझ से कुछ नहीं छिपाती है. यह बात किसी और को क्यों नहीं मालूम है?’’

‘‘मैं ने ही कविता को मना कर रखा है.’’

‘‘और वह ससुराल कब लौटेगी?’’

‘‘तब तक नहीं जब तक राजेश उसे सही इज्जत और खुशियां देने को तैयार नहीं हो जाता. बुआजी, अगर इस इंसान की गलत हरकतों पर पहली बार के बाद ही अंकुश नहीं लगाया, तो हमारी कविता की उस घर में जिंदगी नर्क से बदतर हो जाएगी,’’ बाहर गली में लेजा कर आशी ने राजेश के दिल की बात पूरी गंभीरता से सुनी थी.

‘‘बुआजी, कविता की निगाहों में अपने जीजा के लिए जो एक सुपर हीरो की छवि है, वही हमारे बीच जबरदस्त मनमुटाव का कारण है,’’ अपने मन की बात कहते हुए राजेश गुस्से में नजर आने के साथसाथ बहुत परेशान भी दिख रहा था.

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‘‘मेरी समझ में तुम्हारी बात नहीं आई है,’’ आशी बुआ उलझन का शिकार बन गईं.

‘‘हमारी रोकना के दिन से ले कर आज तक मेरे कान पक गए हैं, कविता के मुंह से उस के जीजा का गुणगाण सुनते हुए. हर समय को मेरी तुलना अपने जीजा से कर के मेरा खून फूंकती रहती है.’’

‘‘बेटा, वह मनोज की इकलौती और लाडली साली है. क्या बातें चुभती हैं तुम्हें कविता की?’’

‘‘बुआजी, मैं मानता हूं कि मनोज भाईसाहब मुझ से ज्यादा कमाऊ और रौबीले इंसान हैं, पर मैं उन की कार्बन कौपी बन कर नहीं जीना चाहता हूं.’’

‘‘क्या कविता चाहती है कि तुम उन की कार्बन कौफी बनो?’’

‘‘बिलकुल. वह अपने मातापिता से अलग हुए हैं, तो मैं भी वैसा ही करूं….वह हर हफ्ते बाहर का खाना खाते हैं, तो हमें भी उसी तरह पैसे फूंकने चाहिए…मैं भी महंगे कपड़े पहनने लगूं… टूटीफूटी इंग्लिश बोला करूं….मैं बता नहीं सकता कि आप की भतीजी ने इस तरह की बातें कर के मेरी इज्जत को कितनी ठेस पहुंचाई है,’’ राजेश का दुख उस की आवाज में साफ झलका.

‘‘राजेश, उस की बातों में नासमझी की झलक है, पर तुम तो समझदार हो. तुम दोनों का अलगअलग रहना तो बिलकुल ठीक बात नहीं है. मैं ने उस से साफ कह दिया है कि जब उस के दिमाग से जीजा की बड़प्पन का नशा उतर जाए, तभी वह मेरे पास लौटने की बात सोचे. उसे समझाना या डांटडपट कर सीधे रास्ते पर रखना अब बस में नहीं रहा है, बुआ.’’

राजेश की नाराजगी देख कर आशी बुआ की आंखों में पश्चाताप के भाव और ज्यादा गहरे हो उठे थे. घर से निकल कर सङक पर बुआ ने आखिरी में कविता के मन का हाल जानने की कोशिश की।

“शादीशुदा जिंदगी की मौजमस्ती को ले कर मेरे सारे अरमान, सारी सोझ टूट कर बिखर चुकी है बुआ,’’ कविता ने उदास लहजे में कहा, ‘‘मेरी ससुराल का हर जना मेरी जिम्मेवारियों की…मेरे सुधरने और बदलने की बात करता है. किसी को मेरे सुखदुख या मेरी खुशियों की फिक्र नहीं है.’’

‘‘क्या राजेश तुम्हें प्यार नहीं करता है?’’

‘‘मुंह से हमेशा प्यार करने का भरोसा दिलाते हैं, पर मेरे मन की बात समझते नहीं.’’

‘‘क्या तुम्हारे मनोज जीजा को ले कर भी तुम दोनों के बीच में अनबन चलती है?’’

‘‘जीजाजी के नाम से ही उन्हें चिढ़ होती है, बुआ.’’

‘‘मेरे खयाल से राजेश मनोज से नहीं, बल्कि हर वक्त तुम्हारे मुंह से मनोज की वाहवाही सुन कर चिढ़ता है.’’

‘‘बुआ, जीजाजी मेरे सब से करीबी रिश्तेदार हैं. जब वे हैं ही बहुत अच्छे तो मैं उन की बात क्यों न करूं? जिस रिश्ते में कुछ भी गंदा और खराब नहीं है, उस पर राजेश शक करें, तो क्या यह मेरी गलती है?’’ गुस्से के कारण कविता की आवाज में कंपन होने लगी.

‘‘राजेश, तुम दोनों के रिश्ते पर शक करता है?’’ बुआ ठिठक कर रुक गईं. कविता ने कोई जवाब नहीं दिया, पर उस की आंखों से आंसू बह चले. अचानक बुआ को कुछ याद आया और उन्होंने झटके से अगला सवाल पूछ लिया, ‘‘क्या इसी शक के कारण राजेश ने तुम पर हाथ उठाना शुरू किया है?’’

‘‘क्या राजेश ने आप को सब बता दिया है?’’ कविता हैरानी से भर उठी.

“उस ने कुछ नहीं कहा है. यह तो मेरा अंदाजा है. क्या मेरा अंदाजा ठीक है, कविता?’’

‘‘बुआ, राजेश ने पहली और आखिरी बार मुझ पर हाथ उठा लिया, सो उठा लिया. मैं अगली सुबह ही मायके आ गई और तभी ससुराल लौटूंगी जब राजेश की अक्ल ठिकाने आ जाएगी,’’ पलभर में आंसुओं की जगह कविता की आंखों में गुस्से की लाली नजर आने लगी.

ये भी पढ़ें- नई चादर: कोयले को जब मिला कंचन

‘‘बेटी, यों मर्द से अलग हो कर रहना अच्छा…’’

‘‘बुआ, मैं सब संभाल लूंगी,’’ कविता ने उन्हें हाथ हवा में उठा कर टोक दिया, ‘‘आप राजेश के द्वारा जीजाजी और मुझ पर शक करने की बात किसी से भी न करना प्लीज. मैं ने किसी को भी कुछ नहीं कहा है. यह बात आम हो गई तो मारे शर्म के मैं जमीन में गड़ जाऊंगी.’’

‘‘मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगी. चल अब अंदर चलें,’’ बुआ ने कविता को कुछ समझाने की कोशिश नहीं की, तो वह राहत के भाव आंखों में समेटे घर की तरफ मुंङ गई.

उस रात आशी बुआ देर रात तक सो नहीं पाईं. वे सिर्फ 4 दिनों के लिए भाई के घर आई थीं. वापस लौटने से पहले वे कविता की प्रौब्लम को जड़ से दूर करना चाहती थीं. इसलिए वे देर रात तक सोचविचार में डूबी रहीं.

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January 19, 2022 at 09:55AM

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