Sunday 16 January 2022

शापित- भाग 1: रोहित के गंदे खेल का अंजाम क्या हुआ

Writer-आशीष दलाल

‘मैं तो अभी छोटा ही हूं न अंकल,’ कहते हुए नमन मुसकरा दिया.

‘और भी छोटा.’

‘वो कैसे?’ रोहित की बात सुन कर नमन उलझ गया.

‘वो मैं सिखा दूंगा, पर पहले प्रामिस करो कि इस खेल के बारे में किसी से कुछ भी नहीं कहोगे,’ रोहित ने खड़े होते हुए फिर से नमन को गोद में ले लिया.

‘ओके. प्रामिस सीक्रेट,’ नमन ने अपने दाएं हाथ की उंगली रोहित के बाएं हाथ की उंगली से जोड़ते हुए जवाब दिया.

‘और अगर भूल से भी किसी को बताया, तो भगवान नाराज हो कर तुम्हें श्राप दे देंगे और तुम्हारे यह अंकल मर जाएंगे. फिर उस का पाप तुम्हें ही लगेगा,’ रोहित ने पास ही बेड की तरफ नमन को ले जाते हुए कहा.

‘नहीं कहूंगा अंकल. गौड प्रामिस. चलो न खेलते हैं,’ नमन नए खेल के बारे में जानने को उत्सुक था.

‘तो ठीक है. एक बार छोटे बच्चे की एक्टिंग कर के बताओ. इस बिस्तर पर लेट कर बताओ कि वह कैसे सोता है,’ रोहित ने अपनी गोद से उतार कर नमन को बिस्तर पर बैठा दिया.

ये भी पढ़ें- Top 10 Family Story Of 2022: टॉप 10 फैमिली स्टोरी हिंदी में

‘ये तो बड़ा ही आसान है,’ नमन चहकते हुए बिस्तर पर लेट गया. रोहित भी उस की बगल में लेट गया.

‘गुड बौय. अब छोटा सा बच्चा चड्डी में पेशाब कर देता है तो अंकल उस की चड्डी चेंज करेंगे,’ सहसा रोहित के हाथ नमन की चड्डी तक पहुंच गए और एक झटके में कमर से उतर कर उस की चड्डी घुटनों के नीचे तक पहुंच गई.

‘नहीं अंकल. मम्मी कहती हैं कि अब मैं बड़ा हो गया हूं. तो मुझे सब के सामने चड्डी नहीं उतारनी चाहिए,’ नमन ने प्रतिकार किया.

‘इतनी जल्दी भूल गया? इस खेल में तू छोटा बच्चा बना है और छोटे बच्चे के शूशू करने पर चड्डी उतारनी ही पड़ती है,’ रोहित ने नमन को अपनी बातों में लपेटते हुए उस पर अपनी पकड़ बनाते हुए कहा.

‘पर अंकल, मैं तो शूशू की ही नहीं…’

‘झूठमूठ में की है. ठीक है,’ रोहित ने नमन को समझाते हुए कहा.

‘पर, मुझे शर्म आ रही है,’ नमन ने रोहित की पकड़ से छूटने की कोशिश कर अपनी चड्डी ऊपर चढ़ाने की कोशिश की.

‘ये बात है तो चल मैं भी अपनी पेंट उतार देता हूं,’ कहते हुए रोहित ने अपनी पेंट ढीला कर घुटने तक उतार दिया. रोहित को इस अवस्था में देख नमन आश्चर्य से उसे घूरने लगा.

‘इस खेल का नियम है यह. अच्छा, अब तू चुपचाप रहेगा तो ही खेल का मजा आएगा,’ कहते हुए रोहित के हाथ नमन के कमर के नीचे भाग को सहलाने लगे. गुदगुदी होने का एहसास पा कर नमन चुपचाप रोहित की हरकतों का हिस्सा बनने लगा.

‘नहीं… अंकल. दुख रहा है,’ कुछ देर बाद नमन के मुंह से एक चीख निकल पड़ी.

पूरे वाकिए को याद करते हुए अपने हाथ में थाम रखे कांच के गिलास पर नमन की पकड़ मजबूत हो गई. चंद ही पलों में हथेली पर उभर आई पसीनें की बूंदों की वजह से गिलास नमन के हाथ से फिसल कर दूर जा गिरा और सारा दूध फर्श पर फैल गया.

‘आज फिर से गिलास तोड़ दिया? आखिर हो क्या गया है तुझे?’ गिलास के टूटने की आवाज सुन कर सुनंदा रसोई से नमन के कमरे में दौड़ी चली आई.

ये भी पढ़ें- एक कमरे में बंद दो एटम बम: नीना और लीना की कहानी 

नमन ने जैसे सुनंदा की मौजूदगी महसूस ही न की. उस की आंखें अब खिड़की से बाहर दूर कुछ खोज रही थीं.

‘नमन बेटा, क्या हो गया है रे तुझे?’ सुनंदा पिछले एक हफ्ते से नमन के बदले हुए व्यवहार को महसूस कर रही थी. उस ने नमन के कंधे पर हाथ रखते हुए स्नेह जताते हुए पूछा.

सुनंदा की बात सुन कर नमन सहम सा गया. वह सुनंदा के पास आ कर उस से लिपट गया.

‘क्या हुआ बेटा? किसी से झगड़ा हुआ है क्या?’ सुनंदा नमन के अचानक से बदले हुए व्यवहार को समझ नहीं पा रही थी. वह उस के बालों को सहलाने लगी.

‘मम्मी… रोहित अंकल…’ कहते हुए नमन चुप हो गया.

‘इत्ती सी बात. तेरे रोहित अंकल पूना चले गए, इसलिए दुखी है. बेटा, उन की पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी लग गई है तो उन्हें जाना तो था ही न. वे जब छुट्टी मिलने पर घर वापस आएं तो तब तू फिर खूब खेलना उन के संग,’ सुनंदा ने नमन को समझाते हुए कहा, तो नमन सिर हिला कर रोते हुए कहने लगा, ‘मैं नहीं खेलूंगा अंकल के साथ. मुझे यहां बहुत दुखता है, जब वो मेरे साथ खेलते हैं तो…’

सुनंदा ने गौर किया, नमन रोते हुए बारबार अपनी कमर के नीचे पीछे जांंघ वाले भाग को बारबार सहला रहा था. उसे नमन की यह हरकत और उस का रोना कुछ आशंकित कर गई.

‘क्या हुआ नमन…? ठीक से बता कि कौन सा खेल खेलता था रोहित तेरे संग?’ सुनंदा अपने बेटे के संग कुछ गलत होने की आशंका से घबरा उठी.

‘नहीं, मम्मी. बता दिया तो अंकल मर जाएंगे तो मुझे पाप लगेगा और फिर सब मुझे डांटेंगे,’ सुनंदा ने महसूस किया कि नमन की आंखें में एक डर समाया हुआ था.

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Writer-आशीष दलाल

‘मैं तो अभी छोटा ही हूं न अंकल,’ कहते हुए नमन मुसकरा दिया.

‘और भी छोटा.’

‘वो कैसे?’ रोहित की बात सुन कर नमन उलझ गया.

‘वो मैं सिखा दूंगा, पर पहले प्रामिस करो कि इस खेल के बारे में किसी से कुछ भी नहीं कहोगे,’ रोहित ने खड़े होते हुए फिर से नमन को गोद में ले लिया.

‘ओके. प्रामिस सीक्रेट,’ नमन ने अपने दाएं हाथ की उंगली रोहित के बाएं हाथ की उंगली से जोड़ते हुए जवाब दिया.

‘और अगर भूल से भी किसी को बताया, तो भगवान नाराज हो कर तुम्हें श्राप दे देंगे और तुम्हारे यह अंकल मर जाएंगे. फिर उस का पाप तुम्हें ही लगेगा,’ रोहित ने पास ही बेड की तरफ नमन को ले जाते हुए कहा.

‘नहीं कहूंगा अंकल. गौड प्रामिस. चलो न खेलते हैं,’ नमन नए खेल के बारे में जानने को उत्सुक था.

‘तो ठीक है. एक बार छोटे बच्चे की एक्टिंग कर के बताओ. इस बिस्तर पर लेट कर बताओ कि वह कैसे सोता है,’ रोहित ने अपनी गोद से उतार कर नमन को बिस्तर पर बैठा दिया.

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‘ये तो बड़ा ही आसान है,’ नमन चहकते हुए बिस्तर पर लेट गया. रोहित भी उस की बगल में लेट गया.

‘गुड बौय. अब छोटा सा बच्चा चड्डी में पेशाब कर देता है तो अंकल उस की चड्डी चेंज करेंगे,’ सहसा रोहित के हाथ नमन की चड्डी तक पहुंच गए और एक झटके में कमर से उतर कर उस की चड्डी घुटनों के नीचे तक पहुंच गई.

‘नहीं अंकल. मम्मी कहती हैं कि अब मैं बड़ा हो गया हूं. तो मुझे सब के सामने चड्डी नहीं उतारनी चाहिए,’ नमन ने प्रतिकार किया.

‘इतनी जल्दी भूल गया? इस खेल में तू छोटा बच्चा बना है और छोटे बच्चे के शूशू करने पर चड्डी उतारनी ही पड़ती है,’ रोहित ने नमन को अपनी बातों में लपेटते हुए उस पर अपनी पकड़ बनाते हुए कहा.

‘पर अंकल, मैं तो शूशू की ही नहीं…’

‘झूठमूठ में की है. ठीक है,’ रोहित ने नमन को समझाते हुए कहा.

‘पर, मुझे शर्म आ रही है,’ नमन ने रोहित की पकड़ से छूटने की कोशिश कर अपनी चड्डी ऊपर चढ़ाने की कोशिश की.

‘ये बात है तो चल मैं भी अपनी पेंट उतार देता हूं,’ कहते हुए रोहित ने अपनी पेंट ढीला कर घुटने तक उतार दिया. रोहित को इस अवस्था में देख नमन आश्चर्य से उसे घूरने लगा.

‘इस खेल का नियम है यह. अच्छा, अब तू चुपचाप रहेगा तो ही खेल का मजा आएगा,’ कहते हुए रोहित के हाथ नमन के कमर के नीचे भाग को सहलाने लगे. गुदगुदी होने का एहसास पा कर नमन चुपचाप रोहित की हरकतों का हिस्सा बनने लगा.

‘नहीं… अंकल. दुख रहा है,’ कुछ देर बाद नमन के मुंह से एक चीख निकल पड़ी.

पूरे वाकिए को याद करते हुए अपने हाथ में थाम रखे कांच के गिलास पर नमन की पकड़ मजबूत हो गई. चंद ही पलों में हथेली पर उभर आई पसीनें की बूंदों की वजह से गिलास नमन के हाथ से फिसल कर दूर जा गिरा और सारा दूध फर्श पर फैल गया.

‘आज फिर से गिलास तोड़ दिया? आखिर हो क्या गया है तुझे?’ गिलास के टूटने की आवाज सुन कर सुनंदा रसोई से नमन के कमरे में दौड़ी चली आई.

ये भी पढ़ें- एक कमरे में बंद दो एटम बम: नीना और लीना की कहानी 

नमन ने जैसे सुनंदा की मौजूदगी महसूस ही न की. उस की आंखें अब खिड़की से बाहर दूर कुछ खोज रही थीं.

‘नमन बेटा, क्या हो गया है रे तुझे?’ सुनंदा पिछले एक हफ्ते से नमन के बदले हुए व्यवहार को महसूस कर रही थी. उस ने नमन के कंधे पर हाथ रखते हुए स्नेह जताते हुए पूछा.

सुनंदा की बात सुन कर नमन सहम सा गया. वह सुनंदा के पास आ कर उस से लिपट गया.

‘क्या हुआ बेटा? किसी से झगड़ा हुआ है क्या?’ सुनंदा नमन के अचानक से बदले हुए व्यवहार को समझ नहीं पा रही थी. वह उस के बालों को सहलाने लगी.

‘मम्मी… रोहित अंकल…’ कहते हुए नमन चुप हो गया.

‘इत्ती सी बात. तेरे रोहित अंकल पूना चले गए, इसलिए दुखी है. बेटा, उन की पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी लग गई है तो उन्हें जाना तो था ही न. वे जब छुट्टी मिलने पर घर वापस आएं तो तब तू फिर खूब खेलना उन के संग,’ सुनंदा ने नमन को समझाते हुए कहा, तो नमन सिर हिला कर रोते हुए कहने लगा, ‘मैं नहीं खेलूंगा अंकल के साथ. मुझे यहां बहुत दुखता है, जब वो मेरे साथ खेलते हैं तो…’

सुनंदा ने गौर किया, नमन रोते हुए बारबार अपनी कमर के नीचे पीछे जांंघ वाले भाग को बारबार सहला रहा था. उसे नमन की यह हरकत और उस का रोना कुछ आशंकित कर गई.

‘क्या हुआ नमन…? ठीक से बता कि कौन सा खेल खेलता था रोहित तेरे संग?’ सुनंदा अपने बेटे के संग कुछ गलत होने की आशंका से घबरा उठी.

‘नहीं, मम्मी. बता दिया तो अंकल मर जाएंगे तो मुझे पाप लगेगा और फिर सब मुझे डांटेंगे,’ सुनंदा ने महसूस किया कि नमन की आंखें में एक डर समाया हुआ था.

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January 17, 2022 at 09:00AM

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