Sunday 30 January 2022

उम्र भर का रिश्ता- भाग 1: रिसॉर्ट में क्या हुआ उसके साथ?

शहर की भीड़भाड़ से दूर कुछ दिन तन्हा प्रकृति के बीच बिताने के ख्याल से मैं हर साल करीब 15 -20 दिनों के लिए मनाली, नैनीताल जैसे किसी हिल स्टेशन पर जाकर ठहरता हूं. मैं पापा के साथ फैमिली बिजनेस संभालता हूं इसलिए कुछ दिन बिजनेस उन के ऊपर छोड़ कर आसानी से निकल पाता हूं.

इस साल भी मार्च महीने की शुरुआत में ही मैं ने मनाली का रुख किया था  मैं यहां जिस रिसॉर्ट में ठहरा हुआ था उस में 40- 50 से ज्यादा कमरे हैं. मगर केवल 4-5 कमरे ही बुक थे. दरअसल ऑफ सीजन होने की वजह से भीड़ ज्यादा नहीं थी. वैसे भी कोरोना फैलने की वजह से लोग अपनेअपने शहरों की तरफ जाने लगे थे. मैं ने सोचा था कि 1 सप्ताह और ठहर कर निकल जाऊंगा मगर इसी दौरान अचानक लॉक डाउन हो गया. दोतीन फैमिली रात में ही निकल गए और यहां केवल में रह गया.

रिसॉर्ट के मालिक ने मुझे बुला कर कहा कि उसे रिसॉर्ट बंद करना पड़ेगा. पास के गांव से केवल एक लड़की आती रहेगी जो सफाई करने, पौधों को पानी देने, और फोन सुनने का काम करेगी. बाकी सब आप को खुद मैनेज करना होगा.

अब रिसॉर्ट में अकेला मैं ही था. हर तरफ सायं सायं करती आवाज मन को उद्वेलित कर रही थी. मैं बाहर लॉन में आ कर टहलने लगा. सामने एक लड़की दिखी जिस के हाथों में झाड़ू था. गोरा दमकता रंग, बंधे हुए लंबे सुनहरे से बाल, बड़ीबड़ी आंखें और होठों पर मुस्कान लिए वह लड़की लौन की सफाई कर रही थी. साथ ही एक मीठा सा पहाड़ी गीत भी गुनगुना रही थी. मैं उस के करीब पहुंचा. मुझे देखते ही वह ‘गुड मॉर्निंग सर’ कहती हुई सीधी खड़ी हो गई.

“तुम्हें इंग्लिश भी आती है ?”

“जी अधिक नहीं मगर जरूरत भर इंग्लिश आती है मुझे. मैं गेस्ट को वेलकम करने और उन की जरूरत की चीजें पहुंचाने का काम भी करती हूं.”

“क्या नाम है तुम्हारा?” मैं ने पूछा,”

“सपना. मेरा नाम सपना है सर .” उस ने खनकती हुई सी आवाज़ में जवाब दिया.

“नाम तो बहुत अच्छा है.”

“हां जी. मेरी मां ने रखा था.”

“अच्छा सपना का मतलब जानती हो?”

“हां जी. जानती क्यों नहीं?”

“तो बताओ क्या सपना देखती हो तुम? मुझे उस से बातें करना अच्छा लग रहा था.

उस ने आंखे नचाते हुए कहा,” मैं क्या सपना देखूंगी. बस यही देखती हूं कि मुझे एक अच्छा सा साथी मिल जाए.  मेरा ख्याल रखें और मुझ से बहुत प्यार करे. हमारा एक सुंदर सा संसार हो.” उस ने कहा.

ये भी पढ़ें- विरासत- भाग 1: क्या लिखा था उन खतों में और किस ने भेजे थे ये खत

“वाह सपना तो बहुत प्यारा देखा है तुम ने. पर यह बताओ कि अच्छा सा साथी से क्या मतलब है तुम्हारा?”

“अच्छा सा यानी जिसे कोई गलत आदत नहीं हो. जो शराब, तंबाकू या जुआ जैसी लतों से दूर रहे. जो दिल का सच्चा हो बस और क्या .” उस ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया.

फिर मेरी तरफ देखती हुई बोली,” वैसे मुझे लगता है आप को भी कोई बुरी लत नहीं.”

“ऐसा कैसे कह सकती हो?” मैं ने उस से पूछा.

“बस आप को देख कर समझ आ गया. भले लोगों के चेहरे पर लिखा होता है.”

“अच्छा तो चेहरा देख कर समझ जाती हो कि आदमी कैसा है.”

“जी मैं झूठ नहीं बोलूंगी. औरतें आदमियों की आंखें पढ़ कर समझ जाती हैं कि वह क्या सोच रहा है. अच्छा सर आप की बीवी तो बहुत खुश रहती होगी न.”

“बीवी …नहीं तो. शादी कहां हुई मेरी?”

“अच्छा आप की शादी नहीं हुई अब तक. तो आप कैसी लड़की ढूंढ ढूंढते हैं?”

उस ने उत्सुकता से पूछा.

“बस एक खूबसूरत लड़की जो दिल से भी सुंदर हो चेहरे से भी. जो मुझे समझ सके.”

“जरूर मिलेगी सर. चलिए अब मैं आप का कमरा भी साफ कर दूं.” वह मेरे कमरे की तरफ़ बढ़ गई.

सपना मेरे आगेआगे चल रही थी. उस की चाल में खुद पर भरोसा और अल्हड़ पन छलक रहा था.

ये भी पढ़ें- 2 हिस्से: जब खुशहाल शादी पहुंची तलाक तक

मैं ने ताला खोल दिया और दूर खड़ा हो गया. वह सफाई करती हुई बोली,” मुझे पता है. आप बड़े लोग हो और हम छोटी जाति के. फिर भी आप ने मेरे से इतने अच्छे से बातें कीं. वैसे आप यहां के नहीं हो न. आप का गांव कहां है ?”

“मैं दिल्ली में रहता हूं. वैसे हूं बिहार का ब्राम्हण .”

“अच्छा जी, आप नहा लो. मैं जाती हूं. कोई भी काम हो तो मुझे बता देना. मैं पूरे दिन इधर ही रहूंगी.”

“ठीक है. जरा यह बताओ कि आसपास कुछ खाने को मिलेगा?”

“ज्यादा कुछ तो नहीं सर. थोड़ी दूरी पर एक किराने की दुकान है. वहां कुछ मिल सकता है. ब्रेड, अंडा तो मिल ही जाएगा. मैगी भी होगी और वैसे समोसे भी रखता है. देखिए शायद समोसे भी मिल जाएं.”

“ओके थैंक्स.”

मैं नहाधो कर बाहर निकला. समोसे, ब्रेड अंडे और मैगी के कुछ पैकेटस ले कर आ गया. दूध भी मिल गया था. दोपहर तक का काम चल गया मगर अब कुछ अच्छी चीज खाने का दिल कर रहा था. इस तरह ब्रेड, दूध, अंडा खा कर पूरा दिन बिताना कठिन था.

मैं ने सपना को बुलाया,” सुनो तुम्हें कुछ बनाना आता है?”

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शहर की भीड़भाड़ से दूर कुछ दिन तन्हा प्रकृति के बीच बिताने के ख्याल से मैं हर साल करीब 15 -20 दिनों के लिए मनाली, नैनीताल जैसे किसी हिल स्टेशन पर जाकर ठहरता हूं. मैं पापा के साथ फैमिली बिजनेस संभालता हूं इसलिए कुछ दिन बिजनेस उन के ऊपर छोड़ कर आसानी से निकल पाता हूं.

इस साल भी मार्च महीने की शुरुआत में ही मैं ने मनाली का रुख किया था  मैं यहां जिस रिसॉर्ट में ठहरा हुआ था उस में 40- 50 से ज्यादा कमरे हैं. मगर केवल 4-5 कमरे ही बुक थे. दरअसल ऑफ सीजन होने की वजह से भीड़ ज्यादा नहीं थी. वैसे भी कोरोना फैलने की वजह से लोग अपनेअपने शहरों की तरफ जाने लगे थे. मैं ने सोचा था कि 1 सप्ताह और ठहर कर निकल जाऊंगा मगर इसी दौरान अचानक लॉक डाउन हो गया. दोतीन फैमिली रात में ही निकल गए और यहां केवल में रह गया.

रिसॉर्ट के मालिक ने मुझे बुला कर कहा कि उसे रिसॉर्ट बंद करना पड़ेगा. पास के गांव से केवल एक लड़की आती रहेगी जो सफाई करने, पौधों को पानी देने, और फोन सुनने का काम करेगी. बाकी सब आप को खुद मैनेज करना होगा.

अब रिसॉर्ट में अकेला मैं ही था. हर तरफ सायं सायं करती आवाज मन को उद्वेलित कर रही थी. मैं बाहर लॉन में आ कर टहलने लगा. सामने एक लड़की दिखी जिस के हाथों में झाड़ू था. गोरा दमकता रंग, बंधे हुए लंबे सुनहरे से बाल, बड़ीबड़ी आंखें और होठों पर मुस्कान लिए वह लड़की लौन की सफाई कर रही थी. साथ ही एक मीठा सा पहाड़ी गीत भी गुनगुना रही थी. मैं उस के करीब पहुंचा. मुझे देखते ही वह ‘गुड मॉर्निंग सर’ कहती हुई सीधी खड़ी हो गई.

“तुम्हें इंग्लिश भी आती है ?”

“जी अधिक नहीं मगर जरूरत भर इंग्लिश आती है मुझे. मैं गेस्ट को वेलकम करने और उन की जरूरत की चीजें पहुंचाने का काम भी करती हूं.”

“क्या नाम है तुम्हारा?” मैं ने पूछा,”

“सपना. मेरा नाम सपना है सर .” उस ने खनकती हुई सी आवाज़ में जवाब दिया.

“नाम तो बहुत अच्छा है.”

“हां जी. मेरी मां ने रखा था.”

“अच्छा सपना का मतलब जानती हो?”

“हां जी. जानती क्यों नहीं?”

“तो बताओ क्या सपना देखती हो तुम? मुझे उस से बातें करना अच्छा लग रहा था.

उस ने आंखे नचाते हुए कहा,” मैं क्या सपना देखूंगी. बस यही देखती हूं कि मुझे एक अच्छा सा साथी मिल जाए.  मेरा ख्याल रखें और मुझ से बहुत प्यार करे. हमारा एक सुंदर सा संसार हो.” उस ने कहा.

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“वाह सपना तो बहुत प्यारा देखा है तुम ने. पर यह बताओ कि अच्छा सा साथी से क्या मतलब है तुम्हारा?”

“अच्छा सा यानी जिसे कोई गलत आदत नहीं हो. जो शराब, तंबाकू या जुआ जैसी लतों से दूर रहे. जो दिल का सच्चा हो बस और क्या .” उस ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया.

फिर मेरी तरफ देखती हुई बोली,” वैसे मुझे लगता है आप को भी कोई बुरी लत नहीं.”

“ऐसा कैसे कह सकती हो?” मैं ने उस से पूछा.

“बस आप को देख कर समझ आ गया. भले लोगों के चेहरे पर लिखा होता है.”

“अच्छा तो चेहरा देख कर समझ जाती हो कि आदमी कैसा है.”

“जी मैं झूठ नहीं बोलूंगी. औरतें आदमियों की आंखें पढ़ कर समझ जाती हैं कि वह क्या सोच रहा है. अच्छा सर आप की बीवी तो बहुत खुश रहती होगी न.”

“बीवी …नहीं तो. शादी कहां हुई मेरी?”

“अच्छा आप की शादी नहीं हुई अब तक. तो आप कैसी लड़की ढूंढ ढूंढते हैं?”

उस ने उत्सुकता से पूछा.

“बस एक खूबसूरत लड़की जो दिल से भी सुंदर हो चेहरे से भी. जो मुझे समझ सके.”

“जरूर मिलेगी सर. चलिए अब मैं आप का कमरा भी साफ कर दूं.” वह मेरे कमरे की तरफ़ बढ़ गई.

सपना मेरे आगेआगे चल रही थी. उस की चाल में खुद पर भरोसा और अल्हड़ पन छलक रहा था.

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मैं ने ताला खोल दिया और दूर खड़ा हो गया. वह सफाई करती हुई बोली,” मुझे पता है. आप बड़े लोग हो और हम छोटी जाति के. फिर भी आप ने मेरे से इतने अच्छे से बातें कीं. वैसे आप यहां के नहीं हो न. आप का गांव कहां है ?”

“मैं दिल्ली में रहता हूं. वैसे हूं बिहार का ब्राम्हण .”

“अच्छा जी, आप नहा लो. मैं जाती हूं. कोई भी काम हो तो मुझे बता देना. मैं पूरे दिन इधर ही रहूंगी.”

“ठीक है. जरा यह बताओ कि आसपास कुछ खाने को मिलेगा?”

“ज्यादा कुछ तो नहीं सर. थोड़ी दूरी पर एक किराने की दुकान है. वहां कुछ मिल सकता है. ब्रेड, अंडा तो मिल ही जाएगा. मैगी भी होगी और वैसे समोसे भी रखता है. देखिए शायद समोसे भी मिल जाएं.”

“ओके थैंक्स.”

मैं नहाधो कर बाहर निकला. समोसे, ब्रेड अंडे और मैगी के कुछ पैकेटस ले कर आ गया. दूध भी मिल गया था. दोपहर तक का काम चल गया मगर अब कुछ अच्छी चीज खाने का दिल कर रहा था. इस तरह ब्रेड, दूध, अंडा खा कर पूरा दिन बिताना कठिन था.

मैं ने सपना को बुलाया,” सुनो तुम्हें कुछ बनाना आता है?”

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January 31, 2022 at 09:05AM

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