Sunday 23 January 2022

आफत: सासू मां के आने से क्यों दुखी हो गई रितु?

Writer- Neha Chachra

औफिस से घर पहुंचते ही मैं ने छेड़ने वाले अंदाज में रितु से कहा, ‘‘हम 2 से 3 होने जा रहे हैं, मैडम.’’

रितु फौरन मेरे गले में बांहों का हार डाल कर बोली, ‘‘ओह, सुमित, मेरी खुशियों को ध्यान में रखते हुए आखिरकार तुम ने उचित फैसला कर ही लिया न. मैं अभी सारी गर्भनिरोधक गोलियां कूड़े की टोकरी के हवाले करती हूं.’’

‘‘इतनी जल्दी भी न करो, स्वीटहार्ट,’’

मैं ने उस का हाथ पकड़ कर उसे शयनकक्ष में जाने से रोका, ‘‘हम 2 से 3 होने जा रहे हैं, क्योंकि तुम्हारी मम्मी कुछ दिनों के लिए हमारे पास रहने…’’

‘‘ओह नो…’’ रितु ने जोर से अपने माथे पर हाथ मारा.

‘‘अरे, वे तुम्हारी सगी मम्मी हैं, कोई सौतेली मां नहीं… उन के आने की खबर सुन कर जरा मुसकराओ, यार,’’ मैं ने उसे छेड़ना चालू रखा.

मुझे तो उन के आने की खबर ने खुश कर दिया है, यार

‘‘मेरी सगी मां किसी सौतेली मां से ज्यादा बड़ी आफत लगती हैं मुझे, यह तुम अच्छी तरह जानते हो न. उन का आना टालने के लिए कोई बहाना बना देते तो क्या बिगड़ जाता तुम्हारा?’’ यों शिकायत करते हुए वह मुझ से झगड़ने को तैयार हो गई.

‘‘अरे, मैं क्यों कोई झूठा बहाना बनाता? मुझे तो उन के आने की खबर ने खुश कर दिया है, यार.’’

‘‘मुझे पता है कि जब वे मेरी खटिया खड़ी करेंगी तो तुम्हें खुशी ही होगी. मेरी तबीयत वैसे ही ढीली चल रही है और अब ऊपर से नगर निगम की चेयरमैन मेरे घर में पधार रही हैं,’’ वह सिर पकड़ कर सोफे पर बैठ गई.

‘‘अब ज्यादा नाटक मत करो और एक कप गरमगरम चाय पिला दो.’’

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मैं ने हंसते हुए उसे बाजू से पकड़ कर उठाना चाहा तो उस ने मेरा हाथ जोर से झटका और तुनक कर बोली, ‘‘अब अपनी लाड़ली सासूमां के हाथ की बनी चाय ही पीना.’’

‘‘तुम गुस्से में बहुत प्यारी लगती हो,’’ मैं ने आंखें मटकाते हुए उस की तारीफ की तो वह मुंह बनाती हुई रसोई में मेरे लिए चाय बनाने चली गई.

मेरी सासूमां स्कूल टीचर हैं. पिछली गरमियों की छुट्टियों में वे हमारे पास 2 सप्ताह रह कर गई थीं. अब दशहरे की छुट्टियों में उन्होंने फिर से आने का कार्यक्रम बनाया है. मेरे मातापिता नहीं रहे हैं, इसलिए मुझे उन का आना अच्छा लगता है, लेकिन रितु की हालत पतली हो रही है.

‘‘मैं शादीशुदा हूं, पराए घर आ गई हूं पर अभी भी मम्मी के सामने पड़ते ही मन अजीब सा डर व घबराहट का शिकार हो जाता है. कोई गलती नहीं की है, लेकिन ऐसा लगता है कि किसी गलत काम को करने के बाद प्रिंसिपल के सामने पेशी हो रही है. मेरी इस दशा का फायदा उठा कर ही वे मुझ पर हिटलरी अंदाज में हुक्म चला लेती हैं,’’ रितु ने पिछली बार अपनी मम्मी के आने के अपने मनोभावों से मुझे  अवगत कराया.

मेरी सासूमां अनोखे व्यक्तित्व की मालकिन हैं. घर में अधिकतर जीन्स व टौप पहनती  हैं. नियम से ऐरोबिक्स करने की शौकीन हैं और पार्क में कभी भी घूमने जाने के लिए तैयार रहती हैं. उन्हें घर में गंदगी बिलकुल बरदाश्त नहीं. आलसी व लापरवाह इंसान उन्हें दुश्मन नजर आते हैं.

पिछली बार सासूमां आई थीं तो रितु को खूब खींच कर गई थीं. रितु आरामपसंद इंसान है पर अपनी मां के सामने डट कर काम करने को बेचारी मजबूर हो गई थी. उसे मेरी सासूमां ने शनिवारइतवार की छुट्टियों में 1 मिनट भी आराम नहीं करने दिया था.

वे सारे घर का कायापलट करा गई थीं. परदे, सोफे के कवर, चादरें, पंखे, खिड़कियां आदि सब की साफसफाई हुई थी. घर का फर्श सारे समय जगमगाता रहा था. रसोई में हर चीज अपनी जगह पर मिलने लगी थी. धूलमिट्टी ढूंढ़ने पर भी घर में कहीं नजर नहीं आती थी.

यह तो रही घर में आए बदलाव की बात, इस के अलावा उन्होंने आते ही अपनी बेटी को तंदुरुस्त करने की भी मुहिम छेड़ दी थी.

‘‘शादी के बाद अगर तेरा वजन इसी स्पीड से बढ़ता रहा तो तू एकदम बेडौल हो जाएगी, रितु. फिर अगर अमित ने नई गर्लफ्रैंड बना ली तो क्या करेगी? नो, नो, ऐसी लापरवाही बिलकुल नहीं चलेगी. आज से ही अपनी फिटनैस ठीक करने को कमर कस ले,’’ सासूमां की आंखों में सख्ती के ऐसे भाव मौजूद थे कि रितु चूं भी नहीं कर पाई थी.

घर के सफाई अभियान के साथसाथ रितु की सेहत सुधारने का बीड़ा भी सासूमां ने उठा लिया था. रातदिन बेचारी का पसीना बहता रहता था. ऊपर से खाने में से सारी तलीभुनी चीजें भी गायब हो गई थीं. सासूमां खड़ी हो कर अपनी बेटी से सिंपल व पौष्टिक खाना बनवाती थीं.

मैं बहुत खुश था, अपने घर व रितु में आए परिवर्तन को देख कर. सासूमां की प्रशंसा करते हुए मेरी जबान नहीं थकती थी. ऐसे मौकों पर अपनी मां की नजरें बचा कर रितु मुझे यों घूरती थी मानो कच्चा चबा जाएगी, पर अपनी मां के सामने उस बेचारी की मुझ से लड़ने की हिम्मत नहीं होती थी.

अगले दिन रविवार की सुबह सासूमां 9 बजे के करीब हमारे घर आ पहुंचीं. मैं प्रसन्न था जबकि रितु कुछ बुझीबुझी सी नजर आ रही थी.

‘‘तेरी शक्ल पर क्यों 12 बज रहे हैं, गुडि़या?’’ मुझे ढेर सारे आशीर्वाद देने के बाद उन्होंने पहले अपनी बेटी का ऊपर से नीचे तक मुआयना किया और फिर माथे पर बल डाल कर यह सवाल पूछा.

‘‘आप के सुपरविजन में अब इसे जो ढेर सारे घर के काम करने पड़ेंगे, उन के बारे में सोचसोच कर ही इस बेचारी की जान निकल रही है, मम्मी,’’ मैं मजा लेते हुए बोला.

‘‘नहीं, दामादजी, इस बार तो यह मुझे बहुत कमजोर और उदास लग रही है. क्या तुम मेरी बेटी का ठीक से खयाल नहीं रख रहे हो?’’ वे अचानक मुझ से नाखुश नजर आने लगीं तो मैं हड़बड़ा गया.

‘‘ऐसी बात नहीं है, मम्मी. इस की तलाभुना खाने की आदत इसे स्वस्थ नहीं रहने…’’ मुझे आधी बात बोल कर चुप होना पड़ा, क्योंकि उन्होंने मुझ पर से ध्यान हटा लिया था.

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सासूमां ने अपनी बेटी का हाथ पकड़ा और कोमल स्वर में बोलीं, ‘‘अपने मन की हर चिंता को तू मुझे खुल कर बताना, गुडि़या. इन 10 दिन में मैं तेरे चेहरे पर भरपूर रौनक देखना चाहती हूं.’’

‘‘जब ये परदे, सोफे के कवर वगैरह धुल जाएंगे और…’’

‘‘लगता है कि इस बार मुझे घर के बजाय तेरे व्यक्तित्व को निखारने पर ध्यान देना पड़ेगा.’’

‘‘और व्यक्तित्व निखारने के लिए सुबहशाम घूमने जाने से बढि़या तरीका और क्या हो सकता है, मम्मी?’’

‘‘तू थकीथकी सी लग रही है, बेटी. मैं जब तक यहां हूं, तू खूब आराम कर. कुछ दिनों की छुट्टी जरूर ले लेना. हमें अपने मनोरंजन के पक्ष को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.’’

‘‘इंसान जितना ज्यादा प्रकृति के साथ रहेगा, उतना ज्यादा स्वस्थ…’’

‘‘जब 2-4 फिल्में देखेंगे, खूब घूमेंगेफिरेंगे, कुछ मनपसंद शौपिंग करेंगे तो देखना, तेरे मन की सारी उदासी छूमंतर हो जाएगी, मेरी गुडि़या.’’

मेरे जोश के गुब्बारे की हवा सासूमां की बातें सुन कर निकलती चली गई तो मैं ने अपना राग अलापना बंद कर दिया. मेरी समझ में बिलकुल नहीं आ रहा था कि वे इस बार ऐसी अजीबोगरीब बातें रितु से क्यों कर रही हैं.

‘‘ओह, मम्मी, यू आर गे्रट,’’ रितु उछल कर अपनी मां के गले लग गई और साथ ही मुझे जीभ चिढ़ाना भी नहीं भूली.

मैं कुछ बुझाबुझा सा हो गया तो सासूमां ने हंस कर कहा, ‘‘दामादजी, चिंता मत करो. हमारे साथ मौजमस्ती करने तुम भी साथ चलोगे. मैं तुम्हें अपनी बेटी से ज्यादा पसंद करती हूं, कम नहीं. लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है जैसे इस बार तुम्हारे घर में मेरा मन नहीं लगेगा.’’

‘‘ऐसा क्यों कह रही हैं आप?’’ मैं ने औपचारिकतावश पूछा.

‘‘अब बिना नाती या नातिन के घर सूना सा लगता है.’’

‘‘मम्मी, अभी तो हमारी शादी को साल भर ही हुआ है. जब 3 साल बीत जाएंगे, तब आप की यह इच्छा भी पूरी हो जाएगी.’’

‘‘हां, मुझे मालूम है कि आजकल की पीढ़ी पहले खूब धन जोड़ना चाहती है, जी भर कर मौजमस्ती करना चाहती है. उन की प्राथमिकताओं की सूची में बड़ा मकान, महंगी कार और तगड़े बैंक बैलैंस के बाद बच्चे पैदा करने का नंबर आता है.’’

‘‘यू आर राइट, मम्मी. जिस बात को आप इतनी आसानी से समझ गईं, उसे मैं रितु को आज तक नहीं समझा पाया हूं.’’

‘‘मम्मी, मैं ने 28 साल की उम्र में शादी की है, 22-23 की उम्र में नहीं. मेरा कहना है कि अगर मैं जितनी ज्यादा बड़ी उम्र में मां बनूंगी, बच्चा स्वस्थ न पैदा होने की संभावना उतनी ज्यादा बढ़ जाएगी. शादी के 3 साल बाद बच्चा पैदा करना चाहिए, ऐसा कोई नियम थोड़े ही है. इंसान के अंदर समझदारी नाम की भी तो कोई चीज होती है,’’ मौका मिलते ही रितु भड़की और मेरे साथ बहस शुरू करने के मूड में आ गई.

‘‘मम्मी, इस मामले में आप इस की तरफदारी मत करना, प्लीज,’’ मैं ने नाराजगी भरे अंदाज में एक बार रितु को घूरा और फिर ड्राइंगरूम से उठ कर अपने कमरे में चला आया.

मैं घर में मुंह फुला कर घूम रहा हूं, इस बात की मांबेटी को कोई चिंता ही नहीं हुई. दोनों नाश्ता करने के बाद तैयार हुईं और घूमने निकल गईं. मुझ से 2-3 बार साथ चलने को कहा मगर मैं ने नाराजगी भरे अंदाज में इनकार किया तो दोनों ने खास जोर नहीं डाला था.

लंच के नाम पर मेरे लिए रितु ने आलू के परांठे बना दिए. वे दोनों 12 बजे के करीब घूमने निकलीं और रात को 8 बजे लौटी थीं. इन 8 घंटों में मेरा कितना खून फुंका होगा, इस का अंदाजा लगाना कठिन नहीं है.

उन के घर में घुसते ही मैं ने 2 बातें नोट की थीं. पहली तो यह कि वे दोनों 7-8 लिफाफे पकड़े घर लौटी थीं और दूसरी यह कि दोनों के चेहरे जरूरत से ज्यादा दमक रहे थे.

कुछ ही देर में मुझे पता लग गया कि उन दोनों ने 8 हजार की खरीदारी एक दिन में कर ही डाली. रही बात चेहरों पर नजर आते नूर की तो खरीदारी करने से पहले दोनों ब्यूटीपार्लर गई थीं. कुल मिला कर 10 हजार का खर्चा मांबेटी ने 1 दिन में ही कर डाला था.

‘‘देखा, दामादजी, इस वक्त रितु कितनी खुश और स्वस्थ दिख रही है. 10 दिन में तो देखना, यह फिल्मी हीरोइनों को मात करने लगेगी,’’ सासूमां अपनी बेटी को प्रशंसा भरी नजरों से निहार रही थीं.

‘‘मम्मी, 10 दिन में 10 हजार रोज के हिसाब से 1 लाख खर्च कर के अगर इस ने फिल्मी हीरोइनों को मात कर भी दिया तो मैं इस की तारीफ करने के लिए जिंदा कहां रहूंगा? सदमे से मेरी जीवनलीला समाप्त हो चुकी होगी न,’’ मैं दुखी अंदाज में मुसकराया तो सासूमां ठहाका मार कर हंस पड़ीं.

‘‘कभीकभी बड़ा अच्छा मजाक करते हो, दामादजी. अच्छा, तुम दोनों बैठ कर गपशप करो. मैं बढि़या सा पुलाव बनाने रसोई में जाती हूं,’’ सासूमां रसोई में चली गईं.

मेरे कुछ कहने से पहले ही रितु ने तीखे लहजे में सफाई देनी शुरू कर दी, ‘‘मैं ने तो मम्मी को बहुत मना किया, पर वे तो कुछ भी सुनने का तैयार नहीं थीं. कह रही थीं कि खरीदारी करने के कारण वे आप को नाराज नहीं होने देंगी. अब आप को जो भी कहना हो, उन्हीं से कहना. मैं तो पहले ही कह रही थी कि इन के यहां आने के कार्यक्रम को कोई बहाना बना कर टाल दो. आप ही अपनी लाड़ली सासूमां को बुलाने का भूत सवार था, अब भुगतो.’’

आगे की बहस से बचने के लिए उठ कर वह शयनकक्ष की तरफ चल दी. मैं ने नाराज स्वर में उसे हिदायत दी, ‘‘अब आगे से एक पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है.’’

‘‘मम्मी तो कह रही हैं कि मैं उन के साथ घूमनेफिरने के लिए औफिस से हफ्ते भर की छुट्टियां ले लूं. अब इस बाबत जो कहना हो, आप उन से कहो. आप को पता तो है कि उन के सामने मुंह खोलने की मेरी हिम्मत नहीं होती है,’’ अपनेआप को साफ बचाती हुई रितु मेरी आंखों से ओझल हो गई.

मैं रितु को औफिस से छुट्टियां लेने से नहीं रोक सका. वे दोनों अगले दिन भी शौपिंग करने गईं और इस बार सासूमां ने रितु को 40 हजार की सोने की चेन खरीदवा दी.

‘‘मम्मी, आप क्या इस बार मुझे कंगाल करने का कार्यक्रम बना कर यहां आई हैं?’’ मैं ने दोनों हाथों से सिर थाम कर उन से यह सवाल पूछा तो वे उदास सी हंसी हंस पड़ीं.

‘‘दामादजी, आज सोने की चेन तो सचमुच मैं ने जबरदस्ती रितु को खरीदवाई है. मन सुबह से बड़ा उचाट था. रात को नींद भी अच्छी नहीं आई थी. सच बात तो यह है कि मन की उदासी दूर करने के चक्कर में ही मैं ने 40 हजार खर्च किए हैं. मन लग ही नहीं रहा है इस बार तुम्हारे यहां. अगर खेलने के लिए कोई नातीनातिन होती…’’

‘‘मम्मी, आप फालतू के खर्च को बंद कर मुझे कंगाल होने से बचाइए और मैं आप से वादा करता हूं कि बहुत जल्द ही आप का कोई नातीनातिन घर में नजर आएगा.’’

मेरे मुंह से इन शब्दों का निकलना था कि मांबेटी दोनों ने पहले खुशी से उछलते हुए तालियां बजानी शुरू कर दीं, फिर सासूमां ने उठ कर मुझे छाती से लगा लिया और रितु मेरा हाथ उठा कर उसे बारबार चूमे जा रही थी.

‘‘थैंक यू, दामादजी,’’ खुशी के मारे सासूमां का गला भर आया, ‘‘मुझे तुम ने इतना खुश कर दिया है कि कल और आज का सारा खर्चा मेरे खाते में गया.’’

‘‘सच?’’ मेरे मन की सारी चिंता पल भर में खत्म हो गई.

‘‘तुम ने जो मुझे नानी बनाने का वादा किया है, वह सच है न?’’

‘‘हां.’’

‘‘तो मैं भी सच बोल रही हूं, दामादजी. अब लगे हाथ जल्दी पापा बनने की पेशगी मुबारकबाद भी कबूल कर लो.’’

‘‘क्या मतलब?’’ सासूमां को रहस्यमय अंदाज में मुसकराते देख मैं चौंक पड़ा.

‘‘जल्द ही इस घर में नन्हेमुन्हे किलकारियां जो गूंजने वाली हैं.’’

‘‘क्या मम्मी सच कह रही हैं?’’ मैं ने रितु से पूछा.

उस ने गरदन ऊपरनीचे हिला कर ‘हां’ कहा  और टैंशन भरी नजरों से मेरे चेहरे के भावों को पढ़ने की कोशिश करने लगी.

‘‘रितु तुम्हें यह खुशखबरी सुनाने से डर रही थी, दामादजी. यह बेवकूफ सोचती थी कि तुम 3 साल बाद बच्चा पैदा करने वाली अपनी जिद पर अड़ कर इस के ऊपर गर्भपात कराने के लिए दबाव डालोगे. तब इस की तसल्ली के लिए मुझे 50 हजार खर्च कर तुम्हारे मुंह से यह कहलवाना पड़ा कि तुम पापा बनने को तैयार हो. मेरे लिए तो यह बड़ा फायदेमंद सौदा रहा है. मैं बहुत खुश हूं, दामादजी,’’ सासूमां ने हम दोनों को इस बार एकसाथ गले लगा लिया.

मैं ने रितु की आंखों में प्यार से झांकते हुए भावुक लहजे में कहा, ‘‘रितु, मैं कंजूस

हूं. पैसे जोड़ने के लिए बहुत झिकझिक करता हूं, क्योंकि मातापिता के न रहने से

मेरा बचपन बहुत अभावों और दुखों से भरा हुआ था. असुरक्षा का एहसास मेरे मन में बहुत गहरे बैठा हुआ है और उसी के चलते मैं पहले अपनी आर्थिक जड़ें मजबूत कर लेना चाहता था. लेकिन मैं ऐसा पत्थरदिल इंसान नहीं हूं कि आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए तुम्हारी कोख में पल रहे अपने बच्चे को मारने का फैसला…’’

‘‘मैं ने आप को समझने में भारी भूल की है. मुझे माफ कर दीजिए, प्लीज,’’ मेरी आंखों में भर आए आंसुओं को देख रितु फफकफफक कर रोने लगी.

मेरे कुछ बोलने से पहले ही सासूमां शुरू हो गईं, ‘‘रितु, कल से घर की सफाई का काम शुरू हो जाएगा. सुमित, तुम परदे उतरवाने में मेरी हैल्प करना. कल से ही पार्क घूमने भी चला करेंगे हम सब. सेहत को ठीक रखना अब तो और ज्यादा जरूरी हो गया है तुम्हारे लिए, रितु. सिर्फ सप्ताह भर ही है मेरे पास और कितने सारे काम…’’

सासूमां अपनी पुरानी फौर्म में लौट आई हैं, यह देख कर रितु ने ऐसा मुंह बनाया मानो कोई बहुत कड़वी चीज मुंह में आ गई हो और फिर हम तीनों एकसाथ ठहाका मार कर हंसने लगे.

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Writer- Neha Chachra

औफिस से घर पहुंचते ही मैं ने छेड़ने वाले अंदाज में रितु से कहा, ‘‘हम 2 से 3 होने जा रहे हैं, मैडम.’’

रितु फौरन मेरे गले में बांहों का हार डाल कर बोली, ‘‘ओह, सुमित, मेरी खुशियों को ध्यान में रखते हुए आखिरकार तुम ने उचित फैसला कर ही लिया न. मैं अभी सारी गर्भनिरोधक गोलियां कूड़े की टोकरी के हवाले करती हूं.’’

‘‘इतनी जल्दी भी न करो, स्वीटहार्ट,’’

मैं ने उस का हाथ पकड़ कर उसे शयनकक्ष में जाने से रोका, ‘‘हम 2 से 3 होने जा रहे हैं, क्योंकि तुम्हारी मम्मी कुछ दिनों के लिए हमारे पास रहने…’’

‘‘ओह नो…’’ रितु ने जोर से अपने माथे पर हाथ मारा.

‘‘अरे, वे तुम्हारी सगी मम्मी हैं, कोई सौतेली मां नहीं… उन के आने की खबर सुन कर जरा मुसकराओ, यार,’’ मैं ने उसे छेड़ना चालू रखा.

मुझे तो उन के आने की खबर ने खुश कर दिया है, यार

‘‘मेरी सगी मां किसी सौतेली मां से ज्यादा बड़ी आफत लगती हैं मुझे, यह तुम अच्छी तरह जानते हो न. उन का आना टालने के लिए कोई बहाना बना देते तो क्या बिगड़ जाता तुम्हारा?’’ यों शिकायत करते हुए वह मुझ से झगड़ने को तैयार हो गई.

‘‘अरे, मैं क्यों कोई झूठा बहाना बनाता? मुझे तो उन के आने की खबर ने खुश कर दिया है, यार.’’

‘‘मुझे पता है कि जब वे मेरी खटिया खड़ी करेंगी तो तुम्हें खुशी ही होगी. मेरी तबीयत वैसे ही ढीली चल रही है और अब ऊपर से नगर निगम की चेयरमैन मेरे घर में पधार रही हैं,’’ वह सिर पकड़ कर सोफे पर बैठ गई.

‘‘अब ज्यादा नाटक मत करो और एक कप गरमगरम चाय पिला दो.’’

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मैं ने हंसते हुए उसे बाजू से पकड़ कर उठाना चाहा तो उस ने मेरा हाथ जोर से झटका और तुनक कर बोली, ‘‘अब अपनी लाड़ली सासूमां के हाथ की बनी चाय ही पीना.’’

‘‘तुम गुस्से में बहुत प्यारी लगती हो,’’ मैं ने आंखें मटकाते हुए उस की तारीफ की तो वह मुंह बनाती हुई रसोई में मेरे लिए चाय बनाने चली गई.

मेरी सासूमां स्कूल टीचर हैं. पिछली गरमियों की छुट्टियों में वे हमारे पास 2 सप्ताह रह कर गई थीं. अब दशहरे की छुट्टियों में उन्होंने फिर से आने का कार्यक्रम बनाया है. मेरे मातापिता नहीं रहे हैं, इसलिए मुझे उन का आना अच्छा लगता है, लेकिन रितु की हालत पतली हो रही है.

‘‘मैं शादीशुदा हूं, पराए घर आ गई हूं पर अभी भी मम्मी के सामने पड़ते ही मन अजीब सा डर व घबराहट का शिकार हो जाता है. कोई गलती नहीं की है, लेकिन ऐसा लगता है कि किसी गलत काम को करने के बाद प्रिंसिपल के सामने पेशी हो रही है. मेरी इस दशा का फायदा उठा कर ही वे मुझ पर हिटलरी अंदाज में हुक्म चला लेती हैं,’’ रितु ने पिछली बार अपनी मम्मी के आने के अपने मनोभावों से मुझे  अवगत कराया.

मेरी सासूमां अनोखे व्यक्तित्व की मालकिन हैं. घर में अधिकतर जीन्स व टौप पहनती  हैं. नियम से ऐरोबिक्स करने की शौकीन हैं और पार्क में कभी भी घूमने जाने के लिए तैयार रहती हैं. उन्हें घर में गंदगी बिलकुल बरदाश्त नहीं. आलसी व लापरवाह इंसान उन्हें दुश्मन नजर आते हैं.

पिछली बार सासूमां आई थीं तो रितु को खूब खींच कर गई थीं. रितु आरामपसंद इंसान है पर अपनी मां के सामने डट कर काम करने को बेचारी मजबूर हो गई थी. उसे मेरी सासूमां ने शनिवारइतवार की छुट्टियों में 1 मिनट भी आराम नहीं करने दिया था.

वे सारे घर का कायापलट करा गई थीं. परदे, सोफे के कवर, चादरें, पंखे, खिड़कियां आदि सब की साफसफाई हुई थी. घर का फर्श सारे समय जगमगाता रहा था. रसोई में हर चीज अपनी जगह पर मिलने लगी थी. धूलमिट्टी ढूंढ़ने पर भी घर में कहीं नजर नहीं आती थी.

यह तो रही घर में आए बदलाव की बात, इस के अलावा उन्होंने आते ही अपनी बेटी को तंदुरुस्त करने की भी मुहिम छेड़ दी थी.

‘‘शादी के बाद अगर तेरा वजन इसी स्पीड से बढ़ता रहा तो तू एकदम बेडौल हो जाएगी, रितु. फिर अगर अमित ने नई गर्लफ्रैंड बना ली तो क्या करेगी? नो, नो, ऐसी लापरवाही बिलकुल नहीं चलेगी. आज से ही अपनी फिटनैस ठीक करने को कमर कस ले,’’ सासूमां की आंखों में सख्ती के ऐसे भाव मौजूद थे कि रितु चूं भी नहीं कर पाई थी.

घर के सफाई अभियान के साथसाथ रितु की सेहत सुधारने का बीड़ा भी सासूमां ने उठा लिया था. रातदिन बेचारी का पसीना बहता रहता था. ऊपर से खाने में से सारी तलीभुनी चीजें भी गायब हो गई थीं. सासूमां खड़ी हो कर अपनी बेटी से सिंपल व पौष्टिक खाना बनवाती थीं.

मैं बहुत खुश था, अपने घर व रितु में आए परिवर्तन को देख कर. सासूमां की प्रशंसा करते हुए मेरी जबान नहीं थकती थी. ऐसे मौकों पर अपनी मां की नजरें बचा कर रितु मुझे यों घूरती थी मानो कच्चा चबा जाएगी, पर अपनी मां के सामने उस बेचारी की मुझ से लड़ने की हिम्मत नहीं होती थी.

अगले दिन रविवार की सुबह सासूमां 9 बजे के करीब हमारे घर आ पहुंचीं. मैं प्रसन्न था जबकि रितु कुछ बुझीबुझी सी नजर आ रही थी.

‘‘तेरी शक्ल पर क्यों 12 बज रहे हैं, गुडि़या?’’ मुझे ढेर सारे आशीर्वाद देने के बाद उन्होंने पहले अपनी बेटी का ऊपर से नीचे तक मुआयना किया और फिर माथे पर बल डाल कर यह सवाल पूछा.

‘‘आप के सुपरविजन में अब इसे जो ढेर सारे घर के काम करने पड़ेंगे, उन के बारे में सोचसोच कर ही इस बेचारी की जान निकल रही है, मम्मी,’’ मैं मजा लेते हुए बोला.

‘‘नहीं, दामादजी, इस बार तो यह मुझे बहुत कमजोर और उदास लग रही है. क्या तुम मेरी बेटी का ठीक से खयाल नहीं रख रहे हो?’’ वे अचानक मुझ से नाखुश नजर आने लगीं तो मैं हड़बड़ा गया.

‘‘ऐसी बात नहीं है, मम्मी. इस की तलाभुना खाने की आदत इसे स्वस्थ नहीं रहने…’’ मुझे आधी बात बोल कर चुप होना पड़ा, क्योंकि उन्होंने मुझ पर से ध्यान हटा लिया था.

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सासूमां ने अपनी बेटी का हाथ पकड़ा और कोमल स्वर में बोलीं, ‘‘अपने मन की हर चिंता को तू मुझे खुल कर बताना, गुडि़या. इन 10 दिन में मैं तेरे चेहरे पर भरपूर रौनक देखना चाहती हूं.’’

‘‘जब ये परदे, सोफे के कवर वगैरह धुल जाएंगे और…’’

‘‘लगता है कि इस बार मुझे घर के बजाय तेरे व्यक्तित्व को निखारने पर ध्यान देना पड़ेगा.’’

‘‘और व्यक्तित्व निखारने के लिए सुबहशाम घूमने जाने से बढि़या तरीका और क्या हो सकता है, मम्मी?’’

‘‘तू थकीथकी सी लग रही है, बेटी. मैं जब तक यहां हूं, तू खूब आराम कर. कुछ दिनों की छुट्टी जरूर ले लेना. हमें अपने मनोरंजन के पक्ष को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.’’

‘‘इंसान जितना ज्यादा प्रकृति के साथ रहेगा, उतना ज्यादा स्वस्थ…’’

‘‘जब 2-4 फिल्में देखेंगे, खूब घूमेंगेफिरेंगे, कुछ मनपसंद शौपिंग करेंगे तो देखना, तेरे मन की सारी उदासी छूमंतर हो जाएगी, मेरी गुडि़या.’’

मेरे जोश के गुब्बारे की हवा सासूमां की बातें सुन कर निकलती चली गई तो मैं ने अपना राग अलापना बंद कर दिया. मेरी समझ में बिलकुल नहीं आ रहा था कि वे इस बार ऐसी अजीबोगरीब बातें रितु से क्यों कर रही हैं.

‘‘ओह, मम्मी, यू आर गे्रट,’’ रितु उछल कर अपनी मां के गले लग गई और साथ ही मुझे जीभ चिढ़ाना भी नहीं भूली.

मैं कुछ बुझाबुझा सा हो गया तो सासूमां ने हंस कर कहा, ‘‘दामादजी, चिंता मत करो. हमारे साथ मौजमस्ती करने तुम भी साथ चलोगे. मैं तुम्हें अपनी बेटी से ज्यादा पसंद करती हूं, कम नहीं. लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है जैसे इस बार तुम्हारे घर में मेरा मन नहीं लगेगा.’’

‘‘ऐसा क्यों कह रही हैं आप?’’ मैं ने औपचारिकतावश पूछा.

‘‘अब बिना नाती या नातिन के घर सूना सा लगता है.’’

‘‘मम्मी, अभी तो हमारी शादी को साल भर ही हुआ है. जब 3 साल बीत जाएंगे, तब आप की यह इच्छा भी पूरी हो जाएगी.’’

‘‘हां, मुझे मालूम है कि आजकल की पीढ़ी पहले खूब धन जोड़ना चाहती है, जी भर कर मौजमस्ती करना चाहती है. उन की प्राथमिकताओं की सूची में बड़ा मकान, महंगी कार और तगड़े बैंक बैलैंस के बाद बच्चे पैदा करने का नंबर आता है.’’

‘‘यू आर राइट, मम्मी. जिस बात को आप इतनी आसानी से समझ गईं, उसे मैं रितु को आज तक नहीं समझा पाया हूं.’’

‘‘मम्मी, मैं ने 28 साल की उम्र में शादी की है, 22-23 की उम्र में नहीं. मेरा कहना है कि अगर मैं जितनी ज्यादा बड़ी उम्र में मां बनूंगी, बच्चा स्वस्थ न पैदा होने की संभावना उतनी ज्यादा बढ़ जाएगी. शादी के 3 साल बाद बच्चा पैदा करना चाहिए, ऐसा कोई नियम थोड़े ही है. इंसान के अंदर समझदारी नाम की भी तो कोई चीज होती है,’’ मौका मिलते ही रितु भड़की और मेरे साथ बहस शुरू करने के मूड में आ गई.

‘‘मम्मी, इस मामले में आप इस की तरफदारी मत करना, प्लीज,’’ मैं ने नाराजगी भरे अंदाज में एक बार रितु को घूरा और फिर ड्राइंगरूम से उठ कर अपने कमरे में चला आया.

मैं घर में मुंह फुला कर घूम रहा हूं, इस बात की मांबेटी को कोई चिंता ही नहीं हुई. दोनों नाश्ता करने के बाद तैयार हुईं और घूमने निकल गईं. मुझ से 2-3 बार साथ चलने को कहा मगर मैं ने नाराजगी भरे अंदाज में इनकार किया तो दोनों ने खास जोर नहीं डाला था.

लंच के नाम पर मेरे लिए रितु ने आलू के परांठे बना दिए. वे दोनों 12 बजे के करीब घूमने निकलीं और रात को 8 बजे लौटी थीं. इन 8 घंटों में मेरा कितना खून फुंका होगा, इस का अंदाजा लगाना कठिन नहीं है.

उन के घर में घुसते ही मैं ने 2 बातें नोट की थीं. पहली तो यह कि वे दोनों 7-8 लिफाफे पकड़े घर लौटी थीं और दूसरी यह कि दोनों के चेहरे जरूरत से ज्यादा दमक रहे थे.

कुछ ही देर में मुझे पता लग गया कि उन दोनों ने 8 हजार की खरीदारी एक दिन में कर ही डाली. रही बात चेहरों पर नजर आते नूर की तो खरीदारी करने से पहले दोनों ब्यूटीपार्लर गई थीं. कुल मिला कर 10 हजार का खर्चा मांबेटी ने 1 दिन में ही कर डाला था.

‘‘देखा, दामादजी, इस वक्त रितु कितनी खुश और स्वस्थ दिख रही है. 10 दिन में तो देखना, यह फिल्मी हीरोइनों को मात करने लगेगी,’’ सासूमां अपनी बेटी को प्रशंसा भरी नजरों से निहार रही थीं.

‘‘मम्मी, 10 दिन में 10 हजार रोज के हिसाब से 1 लाख खर्च कर के अगर इस ने फिल्मी हीरोइनों को मात कर भी दिया तो मैं इस की तारीफ करने के लिए जिंदा कहां रहूंगा? सदमे से मेरी जीवनलीला समाप्त हो चुकी होगी न,’’ मैं दुखी अंदाज में मुसकराया तो सासूमां ठहाका मार कर हंस पड़ीं.

‘‘कभीकभी बड़ा अच्छा मजाक करते हो, दामादजी. अच्छा, तुम दोनों बैठ कर गपशप करो. मैं बढि़या सा पुलाव बनाने रसोई में जाती हूं,’’ सासूमां रसोई में चली गईं.

मेरे कुछ कहने से पहले ही रितु ने तीखे लहजे में सफाई देनी शुरू कर दी, ‘‘मैं ने तो मम्मी को बहुत मना किया, पर वे तो कुछ भी सुनने का तैयार नहीं थीं. कह रही थीं कि खरीदारी करने के कारण वे आप को नाराज नहीं होने देंगी. अब आप को जो भी कहना हो, उन्हीं से कहना. मैं तो पहले ही कह रही थी कि इन के यहां आने के कार्यक्रम को कोई बहाना बना कर टाल दो. आप ही अपनी लाड़ली सासूमां को बुलाने का भूत सवार था, अब भुगतो.’’

आगे की बहस से बचने के लिए उठ कर वह शयनकक्ष की तरफ चल दी. मैं ने नाराज स्वर में उसे हिदायत दी, ‘‘अब आगे से एक पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है.’’

‘‘मम्मी तो कह रही हैं कि मैं उन के साथ घूमनेफिरने के लिए औफिस से हफ्ते भर की छुट्टियां ले लूं. अब इस बाबत जो कहना हो, आप उन से कहो. आप को पता तो है कि उन के सामने मुंह खोलने की मेरी हिम्मत नहीं होती है,’’ अपनेआप को साफ बचाती हुई रितु मेरी आंखों से ओझल हो गई.

मैं रितु को औफिस से छुट्टियां लेने से नहीं रोक सका. वे दोनों अगले दिन भी शौपिंग करने गईं और इस बार सासूमां ने रितु को 40 हजार की सोने की चेन खरीदवा दी.

‘‘मम्मी, आप क्या इस बार मुझे कंगाल करने का कार्यक्रम बना कर यहां आई हैं?’’ मैं ने दोनों हाथों से सिर थाम कर उन से यह सवाल पूछा तो वे उदास सी हंसी हंस पड़ीं.

‘‘दामादजी, आज सोने की चेन तो सचमुच मैं ने जबरदस्ती रितु को खरीदवाई है. मन सुबह से बड़ा उचाट था. रात को नींद भी अच्छी नहीं आई थी. सच बात तो यह है कि मन की उदासी दूर करने के चक्कर में ही मैं ने 40 हजार खर्च किए हैं. मन लग ही नहीं रहा है इस बार तुम्हारे यहां. अगर खेलने के लिए कोई नातीनातिन होती…’’

‘‘मम्मी, आप फालतू के खर्च को बंद कर मुझे कंगाल होने से बचाइए और मैं आप से वादा करता हूं कि बहुत जल्द ही आप का कोई नातीनातिन घर में नजर आएगा.’’

मेरे मुंह से इन शब्दों का निकलना था कि मांबेटी दोनों ने पहले खुशी से उछलते हुए तालियां बजानी शुरू कर दीं, फिर सासूमां ने उठ कर मुझे छाती से लगा लिया और रितु मेरा हाथ उठा कर उसे बारबार चूमे जा रही थी.

‘‘थैंक यू, दामादजी,’’ खुशी के मारे सासूमां का गला भर आया, ‘‘मुझे तुम ने इतना खुश कर दिया है कि कल और आज का सारा खर्चा मेरे खाते में गया.’’

‘‘सच?’’ मेरे मन की सारी चिंता पल भर में खत्म हो गई.

‘‘तुम ने जो मुझे नानी बनाने का वादा किया है, वह सच है न?’’

‘‘हां.’’

‘‘तो मैं भी सच बोल रही हूं, दामादजी. अब लगे हाथ जल्दी पापा बनने की पेशगी मुबारकबाद भी कबूल कर लो.’’

‘‘क्या मतलब?’’ सासूमां को रहस्यमय अंदाज में मुसकराते देख मैं चौंक पड़ा.

‘‘जल्द ही इस घर में नन्हेमुन्हे किलकारियां जो गूंजने वाली हैं.’’

‘‘क्या मम्मी सच कह रही हैं?’’ मैं ने रितु से पूछा.

उस ने गरदन ऊपरनीचे हिला कर ‘हां’ कहा  और टैंशन भरी नजरों से मेरे चेहरे के भावों को पढ़ने की कोशिश करने लगी.

‘‘रितु तुम्हें यह खुशखबरी सुनाने से डर रही थी, दामादजी. यह बेवकूफ सोचती थी कि तुम 3 साल बाद बच्चा पैदा करने वाली अपनी जिद पर अड़ कर इस के ऊपर गर्भपात कराने के लिए दबाव डालोगे. तब इस की तसल्ली के लिए मुझे 50 हजार खर्च कर तुम्हारे मुंह से यह कहलवाना पड़ा कि तुम पापा बनने को तैयार हो. मेरे लिए तो यह बड़ा फायदेमंद सौदा रहा है. मैं बहुत खुश हूं, दामादजी,’’ सासूमां ने हम दोनों को इस बार एकसाथ गले लगा लिया.

मैं ने रितु की आंखों में प्यार से झांकते हुए भावुक लहजे में कहा, ‘‘रितु, मैं कंजूस

हूं. पैसे जोड़ने के लिए बहुत झिकझिक करता हूं, क्योंकि मातापिता के न रहने से

मेरा बचपन बहुत अभावों और दुखों से भरा हुआ था. असुरक्षा का एहसास मेरे मन में बहुत गहरे बैठा हुआ है और उसी के चलते मैं पहले अपनी आर्थिक जड़ें मजबूत कर लेना चाहता था. लेकिन मैं ऐसा पत्थरदिल इंसान नहीं हूं कि आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए तुम्हारी कोख में पल रहे अपने बच्चे को मारने का फैसला…’’

‘‘मैं ने आप को समझने में भारी भूल की है. मुझे माफ कर दीजिए, प्लीज,’’ मेरी आंखों में भर आए आंसुओं को देख रितु फफकफफक कर रोने लगी.

मेरे कुछ बोलने से पहले ही सासूमां शुरू हो गईं, ‘‘रितु, कल से घर की सफाई का काम शुरू हो जाएगा. सुमित, तुम परदे उतरवाने में मेरी हैल्प करना. कल से ही पार्क घूमने भी चला करेंगे हम सब. सेहत को ठीक रखना अब तो और ज्यादा जरूरी हो गया है तुम्हारे लिए, रितु. सिर्फ सप्ताह भर ही है मेरे पास और कितने सारे काम…’’

सासूमां अपनी पुरानी फौर्म में लौट आई हैं, यह देख कर रितु ने ऐसा मुंह बनाया मानो कोई बहुत कड़वी चीज मुंह में आ गई हो और फिर हम तीनों एकसाथ ठहाका मार कर हंसने लगे.

The post आफत: सासू मां के आने से क्यों दुखी हो गई रितु? appeared first on Sarita Magazine.

January 24, 2022 at 09:48AM

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