Thursday 31 March 2022

साथी साथ निभाना: भाग 1

Writer- Richa Sharma

उस शाम नेहा की जेठानी सपना ने अपने पति राजीव के साथ जबरदस्त झगड़ा किया. उन के बीच गालीगलौज भी हुई.

‘‘तुम सविता के साथ अपने संबंध फौरन तोड़ लो, नहीं तो मैं अपनी जान दे दूंगी या तुम्हारा खून कर दूंगी,’’ सपना की इस धमकी को घर के सभी सदस्यों ने बारबार सुना.

नेहा को इस घर में दुलहन बन कर आए अभी 3 महीने ही हुए थे. ऐसे हंगामों से घबरा कर वह कांपने लगी.

उस के पति संजीव और सासससुर ने राजीव व सपना का झगड़ा खत्म कराने का बहुत प्रयास किया, पर वे असफल रहे.

‘‘मुझे इस गलत इंसान के साथ बांधने के तुम सभी दोषी हो,’’ सपना ने उन तीनों को भी झगड़े में लपेटा, ‘‘जब इन की जिंदगी में वह चुड़ैल मौजूद थी, तो मुझे ब्याह कर क्यों लाए? क्यों अंधेरे में रखा मुझे और मेरे घर वालों को? अपनी मौत के लिए मैं तुम सब को भी जिम्मेदार ठहराऊंगी, यह कान खोल कर सुन लो.’’

सपना के इस आखिरी वाक्य ने नेहा के पैरों तले जमीन खिसका दी. संजीव के कमरे में आते ही वह उस से लिपट कर रोने लगी और फिर बोली, ‘‘मुझे यहां बहुत डर लगने लगा है. प्लीज मुझे कुछ समय के लिए अपने मम्मीपापा के पास जाने दो.’’

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‘‘भाभी इस वक्त बहुत नाराज हैं. तुम चली जाओगी तो पूरे घर में अफरातफरी मच जाएगी. अभी तुम्हारा मायके जाना ठीक नहीं रहेगा,’’ संजीव ने उसे प्यार से समझाया.

‘‘मैं यहां रही, तो मेरी तबीयत बहुत बिगड़ जाएगी.’’

‘‘जब तुम से कोई कुछ कह नहीं रहा है, तो तुम क्यों डरती हो?’’ संजीव नाराज हो उठा.

नेहा कोई जवाब न दे कर फिर रोने लगी.

उस के रोतेबिलखते चेहरे को देख कर संजीव परेशान हो गया. हार कर वह कुछ दिनों के लिए नेहा को मायके छोड़ आने को राजी हो गया.

उसी रात सपना ने अपने ससुर की नींद की गोलियां खा कर आत्महत्या करने की कोशिश की.

उसे ऐसा करते राजीव ने देख लिया. उस ने फौरन नमकपानी का घोल पिला कर सपना को उलटियां कराईं. उस की जान का खतरा तो टल गया, पर घर के सभी सदस्यों के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगीं.

डरीसहमी नेहा ने तो संजीव के साथ मायके जाने का इंतजार भी नहीं किया. उस ने अपने पिता को फोन पर सारा मामला बताया, तो वे सुबहसुबह खुद ही उसे लेने आ पहुंचे.

नेहा के मायके जाने की बात के लिए अपने मातापिता से इजाजत लेना संजीव के लिए बड़ा मुश्किल काम साबित हुआ.

‘‘इस वक्त उस की जरूरत यहां है. तब तू उसे मायके क्यों भेज रहा है?’’ अपने पिता के इस सवाल का संजीव के पास कोई ठीक जवाब नहीं था.

‘‘मैं उसे 2-3 दिन में वापस ले आऊंगा. अभी उसे जाने दें,’’ संजीव की इस मांग को उस के मातापिता ने बड़ी मुश्किल से स्वीकार किया.

नेहा को विदा करते वक्त संजीव तनाव में था. लेकिन उस की भावनाओं की फिक्र न नेहा ने की, न ही उस के पिता ने. नेहा के पिता तो  गुस्से में थे. किसी से भी ठीक तरह से बोले बिना वे अपनी बेटी को ले कर चले गए.

उन के मनोभावों का पता संजीव को 3 दिन बाद चला जब वह नेहा को वापस  लाने के लिए अपनी ससुराल पहुंचा.

नेहा की मां नीरजा ने संजीव से कहा, ‘‘हम ने बहुत लाड़प्यार से पाला था अपनी नेहा को. इसलिए तुम्हारे घर के खराब माहौल ने उसे डरा दिया.’’

नेहा के पिता राजेंद्र तो एकदम गुस्से से फट पड़े, ‘‘अरे, मारपीट, गालीगलौज करना सभ्य आदमियों की निशानी नहीं. तुम्हारे घर में न आपसी प्रेम है, न इज्जत. मेरी गुडि़या तो डर के कारण मर जाएगी वहां.’’

‘‘पापा, नेहा को मेरे घर के सभी लोग बहुत प्यार करते हैं. उसे डरनेघबराने की कोई जरूरत नहीं है,’’ संजीव ने दबे स्वर में अपनी बात कही.

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‘‘यह कैसा प्यार है तुम्हारी भाभी का, जो कल को तुम्हारे व मेरी बेटी के हाथों में हथकडि़यां पहनवा देगा?’’

‘‘पापा, गुस्से में इंसान बहुत कुछ कह जाता है. सपना भाभी को भी नेहा बहुत पसंद है. वे इस का बुरा कभी नहीं चाहेंगी.’’

‘‘देखो संजीव, जो इंसान आत्महत्या करने की नासमझी कर सकता है, उस से संतुलित व्यवहार की हम कैसे उम्मीद करें?’’

‘‘पापा, हम सब मिल कर भैयाभाभी को प्यार से समझाएंगे. हमारे प्रयासों से समस्या जल्दी हल हो जाएगी.’’

‘‘मुझे ऐसा नहीं लगता. मैं नहीं चाहता कि मेरी बेटी की खुशियां तुम्हारे भैयाभाभी के कभी समझदार बनने की उम्मीद पर आश्रित रहें.’’

‘‘फिर आप ही बताएं कि आप सब क्या चाहते हैं?’’ संजीव ने पूछा.

‘‘इस समस्या का समाधान यही है कि तुम और नेहा अलग रहने लगो. भावी मुसीबतों से बचने का और कोई रास्ता नहीं है,’’ राजेंद्रजी ने गंभीर लहजे में अपनी राय दी.

‘‘मुझे पता था कि देरसवेर आप यह रास्ता मुझे जरूर सुझाएंगे. लेकिन मेरी एक बात आप सब ध्यान से सुन लें, मैं संयुक्त परिवार में रहना चाहता हूं और रहूंगा. नेहा को उसी घर में  लौटना होगा,’’ संजीव का चेहरा कठोर हो गया.

‘‘मुझे सचमुच वहां बहुत डर लगता है,’’ नेहा ने सहमे हुए अपने मन की बात कही, ‘‘न ठीक से नींद आती है, न कुछ खाया जाता है? मैं वहां लौटना नहीं चाहती हूं.’’

‘‘नेहा, तुम्हें जीवन भर मेरे साथ कदम से कदम मिला कर चलना चाहिए. अपने मातापिता की बातों में आने के बजाय मेरी इच्छाओं और भावनाओं को ध्यान में रख कर काम करो. मुझे ही नहीं, पूरे घर को तुम्हारी इस वक्त बहुत जरूरत है. प्लीज मेरे साथ चलो,’’ संजीव भावुक हो उठा.

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Writer- Richa Sharma

उस शाम नेहा की जेठानी सपना ने अपने पति राजीव के साथ जबरदस्त झगड़ा किया. उन के बीच गालीगलौज भी हुई.

‘‘तुम सविता के साथ अपने संबंध फौरन तोड़ लो, नहीं तो मैं अपनी जान दे दूंगी या तुम्हारा खून कर दूंगी,’’ सपना की इस धमकी को घर के सभी सदस्यों ने बारबार सुना.

नेहा को इस घर में दुलहन बन कर आए अभी 3 महीने ही हुए थे. ऐसे हंगामों से घबरा कर वह कांपने लगी.

उस के पति संजीव और सासससुर ने राजीव व सपना का झगड़ा खत्म कराने का बहुत प्रयास किया, पर वे असफल रहे.

‘‘मुझे इस गलत इंसान के साथ बांधने के तुम सभी दोषी हो,’’ सपना ने उन तीनों को भी झगड़े में लपेटा, ‘‘जब इन की जिंदगी में वह चुड़ैल मौजूद थी, तो मुझे ब्याह कर क्यों लाए? क्यों अंधेरे में रखा मुझे और मेरे घर वालों को? अपनी मौत के लिए मैं तुम सब को भी जिम्मेदार ठहराऊंगी, यह कान खोल कर सुन लो.’’

सपना के इस आखिरी वाक्य ने नेहा के पैरों तले जमीन खिसका दी. संजीव के कमरे में आते ही वह उस से लिपट कर रोने लगी और फिर बोली, ‘‘मुझे यहां बहुत डर लगने लगा है. प्लीज मुझे कुछ समय के लिए अपने मम्मीपापा के पास जाने दो.’’

ये भी पढ़ें0 स्पेनिश मौस: क्या गीता अपनी गृहस्थी बचा पाई?

‘‘भाभी इस वक्त बहुत नाराज हैं. तुम चली जाओगी तो पूरे घर में अफरातफरी मच जाएगी. अभी तुम्हारा मायके जाना ठीक नहीं रहेगा,’’ संजीव ने उसे प्यार से समझाया.

‘‘मैं यहां रही, तो मेरी तबीयत बहुत बिगड़ जाएगी.’’

‘‘जब तुम से कोई कुछ कह नहीं रहा है, तो तुम क्यों डरती हो?’’ संजीव नाराज हो उठा.

नेहा कोई जवाब न दे कर फिर रोने लगी.

उस के रोतेबिलखते चेहरे को देख कर संजीव परेशान हो गया. हार कर वह कुछ दिनों के लिए नेहा को मायके छोड़ आने को राजी हो गया.

उसी रात सपना ने अपने ससुर की नींद की गोलियां खा कर आत्महत्या करने की कोशिश की.

उसे ऐसा करते राजीव ने देख लिया. उस ने फौरन नमकपानी का घोल पिला कर सपना को उलटियां कराईं. उस की जान का खतरा तो टल गया, पर घर के सभी सदस्यों के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगीं.

डरीसहमी नेहा ने तो संजीव के साथ मायके जाने का इंतजार भी नहीं किया. उस ने अपने पिता को फोन पर सारा मामला बताया, तो वे सुबहसुबह खुद ही उसे लेने आ पहुंचे.

नेहा के मायके जाने की बात के लिए अपने मातापिता से इजाजत लेना संजीव के लिए बड़ा मुश्किल काम साबित हुआ.

‘‘इस वक्त उस की जरूरत यहां है. तब तू उसे मायके क्यों भेज रहा है?’’ अपने पिता के इस सवाल का संजीव के पास कोई ठीक जवाब नहीं था.

‘‘मैं उसे 2-3 दिन में वापस ले आऊंगा. अभी उसे जाने दें,’’ संजीव की इस मांग को उस के मातापिता ने बड़ी मुश्किल से स्वीकार किया.

नेहा को विदा करते वक्त संजीव तनाव में था. लेकिन उस की भावनाओं की फिक्र न नेहा ने की, न ही उस के पिता ने. नेहा के पिता तो  गुस्से में थे. किसी से भी ठीक तरह से बोले बिना वे अपनी बेटी को ले कर चले गए.

उन के मनोभावों का पता संजीव को 3 दिन बाद चला जब वह नेहा को वापस  लाने के लिए अपनी ससुराल पहुंचा.

नेहा की मां नीरजा ने संजीव से कहा, ‘‘हम ने बहुत लाड़प्यार से पाला था अपनी नेहा को. इसलिए तुम्हारे घर के खराब माहौल ने उसे डरा दिया.’’

नेहा के पिता राजेंद्र तो एकदम गुस्से से फट पड़े, ‘‘अरे, मारपीट, गालीगलौज करना सभ्य आदमियों की निशानी नहीं. तुम्हारे घर में न आपसी प्रेम है, न इज्जत. मेरी गुडि़या तो डर के कारण मर जाएगी वहां.’’

‘‘पापा, नेहा को मेरे घर के सभी लोग बहुत प्यार करते हैं. उसे डरनेघबराने की कोई जरूरत नहीं है,’’ संजीव ने दबे स्वर में अपनी बात कही.

ये भी पढ़ें- चमत्कार: मोहिनी की शादी में आखिर ऐसा क्या हुआ?

‘‘यह कैसा प्यार है तुम्हारी भाभी का, जो कल को तुम्हारे व मेरी बेटी के हाथों में हथकडि़यां पहनवा देगा?’’

‘‘पापा, गुस्से में इंसान बहुत कुछ कह जाता है. सपना भाभी को भी नेहा बहुत पसंद है. वे इस का बुरा कभी नहीं चाहेंगी.’’

‘‘देखो संजीव, जो इंसान आत्महत्या करने की नासमझी कर सकता है, उस से संतुलित व्यवहार की हम कैसे उम्मीद करें?’’

‘‘पापा, हम सब मिल कर भैयाभाभी को प्यार से समझाएंगे. हमारे प्रयासों से समस्या जल्दी हल हो जाएगी.’’

‘‘मुझे ऐसा नहीं लगता. मैं नहीं चाहता कि मेरी बेटी की खुशियां तुम्हारे भैयाभाभी के कभी समझदार बनने की उम्मीद पर आश्रित रहें.’’

‘‘फिर आप ही बताएं कि आप सब क्या चाहते हैं?’’ संजीव ने पूछा.

‘‘इस समस्या का समाधान यही है कि तुम और नेहा अलग रहने लगो. भावी मुसीबतों से बचने का और कोई रास्ता नहीं है,’’ राजेंद्रजी ने गंभीर लहजे में अपनी राय दी.

‘‘मुझे पता था कि देरसवेर आप यह रास्ता मुझे जरूर सुझाएंगे. लेकिन मेरी एक बात आप सब ध्यान से सुन लें, मैं संयुक्त परिवार में रहना चाहता हूं और रहूंगा. नेहा को उसी घर में  लौटना होगा,’’ संजीव का चेहरा कठोर हो गया.

‘‘मुझे सचमुच वहां बहुत डर लगता है,’’ नेहा ने सहमे हुए अपने मन की बात कही, ‘‘न ठीक से नींद आती है, न कुछ खाया जाता है? मैं वहां लौटना नहीं चाहती हूं.’’

‘‘नेहा, तुम्हें जीवन भर मेरे साथ कदम से कदम मिला कर चलना चाहिए. अपने मातापिता की बातों में आने के बजाय मेरी इच्छाओं और भावनाओं को ध्यान में रख कर काम करो. मुझे ही नहीं, पूरे घर को तुम्हारी इस वक्त बहुत जरूरत है. प्लीज मेरे साथ चलो,’’ संजीव भावुक हो उठा.

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April 01, 2022 at 09:31AM

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