Friday 18 March 2022

उधार का रिश्ता: भाग 1

Writer- Raghavendra Saini

टैलीफोन की घंटी लगातार बजती जा रही थी. मैं ने उनीदी आंखों से घड़ी की ओर देखा. रात के 2 बजे थे. ‘इस समय कौन हो सकता है?’ मैं ने स्वयं से ही सवाल किया और जल्दी से टैलीफोन का रिसीवर उठाया, ‘‘मेजर रंजीत दिस साइड.’’

‘‘सर, कैप्टन सरिता ने आत्महत्या कर ली है’’ औफिसर्स मैस के हवलदार की आवाज थी. वह बहुत घबराया हुआ लग रहा था.

‘‘क्या?’’

‘‘सर, जल्दी आइए.’’

‘‘घबराओ मत, मैं तुरंत आ रहा हूं. किसी को भी मेरे आने तक किसी चीज को हाथ मत लगाने देना.’’

‘‘जी सर.’’

मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि कैप्टन सरिता ऐसा कर सकती है. वह एक होनहार अफसर थी. मैं नाइट सूट में था और उन्हीं कपड़ों में औफिसर्स मैस की ओर भागा. वहां पहुंचा तो कैप्टन नीरज और कैप्टन वर्मा पहले से मौजूद थे. कैप्टन नीरज ने सरिता के कमरे की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘सर, इस ओर.’’

‘‘ओके,’’ हम सब कैप्टन सरिता के कमरे की ओर बढ़े. नाइलौन की रस्सी का फंदा बना कर वह सीलिंग फैन से झूल गई थी.

‘‘सब से पहले कैप्टन सरिता को इस अवस्था में किस ने देखा?’’  मैस स्टाफ से मैं ने पूछा.

‘‘सर, 10 बजे मैम ने गरम दूध मंगवाया था. मैं दूध देने आया तो मैम लैपटौप पर काम कर रही थीं. मैं ने दूध का गिलास रख दिया. उन्होंने कहा, ‘आधे घंटे में गिलास ले जाना.’ मैं ‘जी’ कह कर लौट आया. आ कर कुरसी पर बैठा तो मेरी आंख लग गई. आंख खुली तो देखा कि मैम के कमरे की लाइट जल रही थी. सोचा, खाली गिलास उठा लाता हूं. मैम के कमरे में आया तो उन को पंखे से लटके देखा. मैं ने उन का चेहरा देख कर अनुमान लगाया था कि वे मर चुकी हैं. तुरंत आप को सूचित किया.’’

‘‘क्या तुम्हें इस बात का ध्यान नहीं रहा कि इतनी रात गए किसी महिला अफसर के कमरे में नहीं जाना चाहिए?’’ मैं ने मैस हवलदार को घूरते हुए कहा.

ये भी पढ़ें- Holi Special: कबाड़- क्या यादों को कभी भुलाया जा सकता है?

‘‘सर, मुझे समय का ध्यान नहीं रहा. मैं ने घड़ी की ओर देखा ही नहीं. मैं ने सोचा, मेरी आंख लगे अधिक देर नहीं हुई है. इसलिए चला गया, सर.’’

मैं ने देखा, मैस हवलदार एकदम डर गया है. शायद उसे लग रहा था कि इस छोटी सी गलती के लिए उसे ही न फंसा दिया जाए.

‘‘कैप्टन नीरज, देखो कोई सुसाइड नोट है या नहीं? तब तक मैं मिलिटरी पुलिस को इस की सूचना दे देता हूं,’’ यह कहते हुए मैं टैलीफोन की ओर बढ़ा. मैं ने नंबर डायल किया तो दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘सर, मैं डेस्क एनसीओ हवलदार राम सिंह बोल रहा हूं.’’

इधर से मैं ने कहा, ‘‘मैं ओएमपी से मेजर रंजीत सिंह बोल रहा हूं. मुझे आप के ड्यूटी अफसर से तुरंत बात करनी है.’’

‘‘सर, एक सेकंड होल्ड करें, मैं लाइन ट्रांसफर कर रहा हूं,’’ राम सिंह ने कहा.

कुछ समय बाद दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘ड्यूटी अफसर कैप्टन डोगरा स्पीकिंग, सर, इतनी रात गए कैसे याद किया?’’

‘‘एक बुरी खबर है कैप्टन डोगरा. कैप्टन सरिता कमीटैड सुसाइड,’’ मैं ने उसे बताया.

‘‘ओह, सर, यह तो बहुत बुरी खबर है. सर, किसी को बौडी से छेड़छाड़ न करने दें. मैं अभी टीम भेज रहा हूं. प्लीज मेजर साहब, डू इनफौर्म टू ब्रिगेड मेजर इन ब्रिगेड हैडक्वार्टर. आई विल आलसो इनफौर्म हिम.’’ यह कह कर कैप्टन डोगरा ने फोन काट दिया.

मैं ने तुरंत बीएम साहब को फोन लगाया. दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘यस, मेजर बतरा स्पीकिंग.’’

‘‘मेजर रंजीत दिस साइड,’’ मैं ने कहा.

‘‘इन औड औवर्स? इज देयर ऐनी इमरजैंसी, मेजर रंजीत?’’

‘‘यस, कैप्टन सरिता कमीटैड सुसाइड.’’

‘‘ओह, सैड न्यूज, मेजर. हैव यू इनफौर्म मिलिटरी पुलिस?’’

‘‘यस, मेजर.’’

‘‘ओके, प्लीज डू नीडफुल.’’

‘‘राइट, मेजर.’’

मैं अभी फोन कर के हटा ही था कि मिलिटरी पुलिस की टीम आ गई. उस टीम में 1 सूबेदार और 2 हवलदार थे. उन्होंने मुझे सैल्यूट किया और चुपचाप अपने काम में लग गए. इतने में कैप्टन नीरज मेरे पास आया और कहा, ‘‘सर, और कुछ तो मिला नहीं, लेकिन यह डायरी मिली है. मैं मिलिटरी पुलिस की टीम से बचा कर ले आया हूं. सोचा, टीम के देखने से पहले शायद आप देखना चाहें.’’

‘‘गुड जौब, कैप्टन नीरज.’’

‘‘थैंक्स, सर.’’

‘‘कैप्टन नीरज, हैडक्लर्क को मेरे पास भेजो.’’

‘‘राइट, सर.’’

थोड़ी देर बाद हैडक्लर्क साहब आए, सैल्यूट किया और चुपचाप आदेश के लिए खड़े हो गए. मैं ने उन्हें गहराई से देखा और कहा, ‘‘यू नो, व्हाट हैज हैपेंड?’’

‘‘यस सर.’’

‘‘गिव टैलीग्राम टू हर पेरैंट्स. जस्ट राइट डाउन, कैप्टन सरिता एक्सपायर्ड, गिव नियरैस्ट रेलवे स्टेशन ऐंड माई सैल नंबर. डोंट राइट वर्ड सुसाइड.’’

ये भी पढ़ें- Holi Special: हक ही नहीं कुछ फर्ज भी- भाग 1

‘‘राइट, सर.’’

‘‘मेक दिस टैलीग्राम मोस्ट अरजैंट.’’

‘‘सर, हम सैल से भी इनफौर्म कर सकते हैं.’’

‘‘कर सकते हैं, पर इस समय हम इस अवस्था में नहीं हैं कि उन से बात कर सकें. जस्ट डू इट, इट इज माई और्डर.’’

‘‘यस, सर,’’ हैडक्लर्क साहब ने सैल्यूट किया और चले गए.

हैडक्लर्क साहब गए तो मेरे सेवादार ने आ कर कहा, ‘‘सर, ब्रिगेड कमांडर साहब आप को याद कर रहे हैं. उन्होंने कहा है, जिस अवस्था में हों, आ जाएं.’’

‘‘उन के साथ और कोई भी है?’’

‘‘सर, बीएम साहब हैं.’’

‘‘ठीक है, तुम उन को औफिस में ले जा कर बैठाओ. उन्हें पानी वगैरह पिलाओ, तब तक मैं आता हूं.’’

‘‘जी, सर,’’ कह कर वह चला गया लेकिन मैं खुद पिछली यादों में खो गया.

अभी पिछले सप्ताह की ही तो बात है, ब्रिगेड औफिसर्स मैस की पार्टी में कैप्टन सरिता ब्रिगेडियर यानी ब्रिगेड कमांडर साहब से चिपक कर डांस कर रही थी. मुझे ही नहीं बल्कि पूरी यूनिट के सभी अफसरों को यह बुरा लगा था. मैं उस का कमांडिंग अफसर था. मेरा फर्ज था, मैं उसे समझाऊं. दूसरे रोज औफिस में बुला कर उसे समझाने की कोशिश भी की थी.

‘यह सब क्या था, कैप्टन सरिता?’

‘क्या था, सर?’ उलटे उस ने मुझ से सवाल किया था.

‘कल रात पार्टी में ब्रिगेडियर साहब के साथ इस तरह डांस करना क्या अच्छी बात थी?’ मैं ने उसे डांटते हुए कहा. कुछ समय के लिए वह झिझकी फिर बड़े साफ शब्दों में बोली, ‘सर, मैं उन के साथ रिलेशन में हूं.’

‘क्या बकवास है यह? जानती हो तुम क्या कह रही हो? तुम कैप्टन हो, वे ब्रिगेडियर हैं. तुम्हारे और उन के स्टेटस में जमीनआसमान का फर्क है. वे शादीशुदा हैं, 2 बच्चे और एक सुंदर बीवी है. तुम उन के साथ कैसे रिलेशन रख सकती हो? थोड़ा सा भी दिमाग है तो जरा सोचो.’

‘सर, उन्होंने कहा है, वे मेरे साथ लिव इन रिलेशन में रहेंगे. वे अपने बीवीबच्चों को भी खुश रखेंगे और मुझे भी.’

‘माइ फुट. वह तुम्हें यूज करेगा और छोड़ देगा. वह मर्द है, सरिता, मर्द. उस को कुछ फर्क नहीं पड़ता, वह चाहे 10 के साथ संबंध रखे. तुम लड़की हो, एक कुंआरी लड़की, तुम्हारा ब्राइट कैरियर है. जरा सोचो, लोग, तुम्हारे मांबाप, समाज, सब तुम्हें उस की रखैल कहेंगे और रखैल को समाज में अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता.’

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Writer- Raghavendra Saini

टैलीफोन की घंटी लगातार बजती जा रही थी. मैं ने उनीदी आंखों से घड़ी की ओर देखा. रात के 2 बजे थे. ‘इस समय कौन हो सकता है?’ मैं ने स्वयं से ही सवाल किया और जल्दी से टैलीफोन का रिसीवर उठाया, ‘‘मेजर रंजीत दिस साइड.’’

‘‘सर, कैप्टन सरिता ने आत्महत्या कर ली है’’ औफिसर्स मैस के हवलदार की आवाज थी. वह बहुत घबराया हुआ लग रहा था.

‘‘क्या?’’

‘‘सर, जल्दी आइए.’’

‘‘घबराओ मत, मैं तुरंत आ रहा हूं. किसी को भी मेरे आने तक किसी चीज को हाथ मत लगाने देना.’’

‘‘जी सर.’’

मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि कैप्टन सरिता ऐसा कर सकती है. वह एक होनहार अफसर थी. मैं नाइट सूट में था और उन्हीं कपड़ों में औफिसर्स मैस की ओर भागा. वहां पहुंचा तो कैप्टन नीरज और कैप्टन वर्मा पहले से मौजूद थे. कैप्टन नीरज ने सरिता के कमरे की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘सर, इस ओर.’’

‘‘ओके,’’ हम सब कैप्टन सरिता के कमरे की ओर बढ़े. नाइलौन की रस्सी का फंदा बना कर वह सीलिंग फैन से झूल गई थी.

‘‘सब से पहले कैप्टन सरिता को इस अवस्था में किस ने देखा?’’  मैस स्टाफ से मैं ने पूछा.

‘‘सर, 10 बजे मैम ने गरम दूध मंगवाया था. मैं दूध देने आया तो मैम लैपटौप पर काम कर रही थीं. मैं ने दूध का गिलास रख दिया. उन्होंने कहा, ‘आधे घंटे में गिलास ले जाना.’ मैं ‘जी’ कह कर लौट आया. आ कर कुरसी पर बैठा तो मेरी आंख लग गई. आंख खुली तो देखा कि मैम के कमरे की लाइट जल रही थी. सोचा, खाली गिलास उठा लाता हूं. मैम के कमरे में आया तो उन को पंखे से लटके देखा. मैं ने उन का चेहरा देख कर अनुमान लगाया था कि वे मर चुकी हैं. तुरंत आप को सूचित किया.’’

‘‘क्या तुम्हें इस बात का ध्यान नहीं रहा कि इतनी रात गए किसी महिला अफसर के कमरे में नहीं जाना चाहिए?’’ मैं ने मैस हवलदार को घूरते हुए कहा.

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‘‘सर, मुझे समय का ध्यान नहीं रहा. मैं ने घड़ी की ओर देखा ही नहीं. मैं ने सोचा, मेरी आंख लगे अधिक देर नहीं हुई है. इसलिए चला गया, सर.’’

मैं ने देखा, मैस हवलदार एकदम डर गया है. शायद उसे लग रहा था कि इस छोटी सी गलती के लिए उसे ही न फंसा दिया जाए.

‘‘कैप्टन नीरज, देखो कोई सुसाइड नोट है या नहीं? तब तक मैं मिलिटरी पुलिस को इस की सूचना दे देता हूं,’’ यह कहते हुए मैं टैलीफोन की ओर बढ़ा. मैं ने नंबर डायल किया तो दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘सर, मैं डेस्क एनसीओ हवलदार राम सिंह बोल रहा हूं.’’

इधर से मैं ने कहा, ‘‘मैं ओएमपी से मेजर रंजीत सिंह बोल रहा हूं. मुझे आप के ड्यूटी अफसर से तुरंत बात करनी है.’’

‘‘सर, एक सेकंड होल्ड करें, मैं लाइन ट्रांसफर कर रहा हूं,’’ राम सिंह ने कहा.

कुछ समय बाद दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘ड्यूटी अफसर कैप्टन डोगरा स्पीकिंग, सर, इतनी रात गए कैसे याद किया?’’

‘‘एक बुरी खबर है कैप्टन डोगरा. कैप्टन सरिता कमीटैड सुसाइड,’’ मैं ने उसे बताया.

‘‘ओह, सर, यह तो बहुत बुरी खबर है. सर, किसी को बौडी से छेड़छाड़ न करने दें. मैं अभी टीम भेज रहा हूं. प्लीज मेजर साहब, डू इनफौर्म टू ब्रिगेड मेजर इन ब्रिगेड हैडक्वार्टर. आई विल आलसो इनफौर्म हिम.’’ यह कह कर कैप्टन डोगरा ने फोन काट दिया.

मैं ने तुरंत बीएम साहब को फोन लगाया. दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘यस, मेजर बतरा स्पीकिंग.’’

‘‘मेजर रंजीत दिस साइड,’’ मैं ने कहा.

‘‘इन औड औवर्स? इज देयर ऐनी इमरजैंसी, मेजर रंजीत?’’

‘‘यस, कैप्टन सरिता कमीटैड सुसाइड.’’

‘‘ओह, सैड न्यूज, मेजर. हैव यू इनफौर्म मिलिटरी पुलिस?’’

‘‘यस, मेजर.’’

‘‘ओके, प्लीज डू नीडफुल.’’

‘‘राइट, मेजर.’’

मैं अभी फोन कर के हटा ही था कि मिलिटरी पुलिस की टीम आ गई. उस टीम में 1 सूबेदार और 2 हवलदार थे. उन्होंने मुझे सैल्यूट किया और चुपचाप अपने काम में लग गए. इतने में कैप्टन नीरज मेरे पास आया और कहा, ‘‘सर, और कुछ तो मिला नहीं, लेकिन यह डायरी मिली है. मैं मिलिटरी पुलिस की टीम से बचा कर ले आया हूं. सोचा, टीम के देखने से पहले शायद आप देखना चाहें.’’

‘‘गुड जौब, कैप्टन नीरज.’’

‘‘थैंक्स, सर.’’

‘‘कैप्टन नीरज, हैडक्लर्क को मेरे पास भेजो.’’

‘‘राइट, सर.’’

थोड़ी देर बाद हैडक्लर्क साहब आए, सैल्यूट किया और चुपचाप आदेश के लिए खड़े हो गए. मैं ने उन्हें गहराई से देखा और कहा, ‘‘यू नो, व्हाट हैज हैपेंड?’’

‘‘यस सर.’’

‘‘गिव टैलीग्राम टू हर पेरैंट्स. जस्ट राइट डाउन, कैप्टन सरिता एक्सपायर्ड, गिव नियरैस्ट रेलवे स्टेशन ऐंड माई सैल नंबर. डोंट राइट वर्ड सुसाइड.’’

ये भी पढ़ें- Holi Special: हक ही नहीं कुछ फर्ज भी- भाग 1

‘‘राइट, सर.’’

‘‘मेक दिस टैलीग्राम मोस्ट अरजैंट.’’

‘‘सर, हम सैल से भी इनफौर्म कर सकते हैं.’’

‘‘कर सकते हैं, पर इस समय हम इस अवस्था में नहीं हैं कि उन से बात कर सकें. जस्ट डू इट, इट इज माई और्डर.’’

‘‘यस, सर,’’ हैडक्लर्क साहब ने सैल्यूट किया और चले गए.

हैडक्लर्क साहब गए तो मेरे सेवादार ने आ कर कहा, ‘‘सर, ब्रिगेड कमांडर साहब आप को याद कर रहे हैं. उन्होंने कहा है, जिस अवस्था में हों, आ जाएं.’’

‘‘उन के साथ और कोई भी है?’’

‘‘सर, बीएम साहब हैं.’’

‘‘ठीक है, तुम उन को औफिस में ले जा कर बैठाओ. उन्हें पानी वगैरह पिलाओ, तब तक मैं आता हूं.’’

‘‘जी, सर,’’ कह कर वह चला गया लेकिन मैं खुद पिछली यादों में खो गया.

अभी पिछले सप्ताह की ही तो बात है, ब्रिगेड औफिसर्स मैस की पार्टी में कैप्टन सरिता ब्रिगेडियर यानी ब्रिगेड कमांडर साहब से चिपक कर डांस कर रही थी. मुझे ही नहीं बल्कि पूरी यूनिट के सभी अफसरों को यह बुरा लगा था. मैं उस का कमांडिंग अफसर था. मेरा फर्ज था, मैं उसे समझाऊं. दूसरे रोज औफिस में बुला कर उसे समझाने की कोशिश भी की थी.

‘यह सब क्या था, कैप्टन सरिता?’

‘क्या था, सर?’ उलटे उस ने मुझ से सवाल किया था.

‘कल रात पार्टी में ब्रिगेडियर साहब के साथ इस तरह डांस करना क्या अच्छी बात थी?’ मैं ने उसे डांटते हुए कहा. कुछ समय के लिए वह झिझकी फिर बड़े साफ शब्दों में बोली, ‘सर, मैं उन के साथ रिलेशन में हूं.’

‘क्या बकवास है यह? जानती हो तुम क्या कह रही हो? तुम कैप्टन हो, वे ब्रिगेडियर हैं. तुम्हारे और उन के स्टेटस में जमीनआसमान का फर्क है. वे शादीशुदा हैं, 2 बच्चे और एक सुंदर बीवी है. तुम उन के साथ कैसे रिलेशन रख सकती हो? थोड़ा सा भी दिमाग है तो जरा सोचो.’

‘सर, उन्होंने कहा है, वे मेरे साथ लिव इन रिलेशन में रहेंगे. वे अपने बीवीबच्चों को भी खुश रखेंगे और मुझे भी.’

‘माइ फुट. वह तुम्हें यूज करेगा और छोड़ देगा. वह मर्द है, सरिता, मर्द. उस को कुछ फर्क नहीं पड़ता, वह चाहे 10 के साथ संबंध रखे. तुम लड़की हो, एक कुंआरी लड़की, तुम्हारा ब्राइट कैरियर है. जरा सोचो, लोग, तुम्हारे मांबाप, समाज, सब तुम्हें उस की रखैल कहेंगे और रखैल को समाज में अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता.’

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March 19, 2022 at 09:00AM

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