Monday 28 February 2022

व्यंग्य: सांभर वड़ा की यू-ट्यूब विधि

‘अच्छे दिन’ तो बस एक मुहावरा ही है, जो सुनने में तो अच्छा लगता पर अच्छे दिन कभी आते नहीं. श्रीमतीजी का सांभरवड़ा बना कर खिलाने का अच्छे दिन का वादा प्रधानमंत्री के जैसा ही रहा.

मिस्टर पति ने उस दिन जब अपनी श्रीमती फलानीजी को यूट्यूब में सांभरवड़ा बनाने की विधि को गंभीरता के साथ देखते हुए पाया तो गदगद हो गए. सोचने लगे, आज शाम को दक्षिण भारत का यह स्वादिष्ठ व्यंजन खाने को मिलेगा. लेकिन शाम हुई और फिर रात भी गहरा गई, सांभरवड़ा का पता न चला तो पति महोदय ने पूछ लिया, ‘‘क्यों भागवान, तुम सुबह सांभरवड़ा बनाने की विधि देख रही थीं न, उस का क्या हुआ?’’

पत्नीजी ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘एकदो बार और देख लूं, उस के बाद जरूर बनाऊंगी, आप की कसम.’’

पति महोदय, मजबूरी में ही सही, परम संतोषी किस्म के जीव थे. पहले भी पत्नी उन से अलगअलग पकवानों के बारे में यही कहती रहीं कि बनाने की विधि अच्छे से सम?ा लूं, फिर जल्द बना कर खिलाऊंगी. लेकिन कभी कुछ खिलाया नहीं, सिवा चावल, दाल और सब्जी के.

बहुत दिनों बाद पत्नी को एक बार फिर सांभरवड़ा बनाने की विधि देखते हुए उन्हें बड़ा अच्छा लगा. उन्हें इस बार पूरा विश्वास था कि अब पकवान खाने के मामले में अच्छे दिन आ ही जाएंगे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि अच्छे दिन, बस एक मुहावरा बन कर रह गया है. यह सुनने में अच्छा लगता है मगर अच्छे दिन आते नहीं. सो, उन की पत्नी भी सांभरवड़ा बनाने की विधि देख तो रही थीं, पर उसे बनाने का मुहूर्त अभी नहीं आया था. खैर, कभी न कभी तो जरूर बनाएगी. आखिर, पहलवान रामभरोसे की बीवी है, हिम्मत न हारेगी.

दोचार दिन बीते ही थे कि एक दिन मिस्टर पति ने देखा, पत्नीजी इस बार फिर बड़े ध्यान से यूट्यूब में उत्तपम बनाने की विधि देख रही हैं. वे गदगद हो गए कि आज शाम को या फिर एकदो दिन बाद उत्तपम का आनंद मिलेगा. लेकिन कुछ दिन ऐसे ही निकल गए, उत्तपम नहीं बनाया तो उन्होंने पत्नीजी से पूछ लिया, ‘‘क्यों डियर उस दिन तो तुम उत्तपम बनाने की विधि सीख रही थीं, अब बनाओगी कब?’’

पत्नीजी मुसकराते हुए बोलीं, ‘‘बना दूंगी, जल्दी क्या है. एकदो बार और देखना पड़ेगा. दिमाग में उसे बिठाना पड़ेगा, तब तो बना पाऊंगी. वरना वैसा ही होगा, जैसा एक बार हुआ था. गुलाबजामुन बनाने बैठी थी लेकिन वह तो कुछ का कुछ बन गया था.’’

पति महोदय को याद आया, ‘‘हां, तुम ने मु?ो जबरन खिलाया था और पहली बार हुआ था कि गुलाबजामुन को खाने के बजाय पीना पड़ा था.’’

पति की बात सुन कर पत्नीजी मुसकराईं, फिर बोलीं, ‘‘तुम ने वह गीत सुना है न, होंगे कामयाब एक दिन… तो हम भी यूट्यूब के सहारे व्यंजन बनाने की विधियां देखते रहते हैं और सोचते हैं कभी न कभी हम कोई न कोई पकवान ठीकठाक बनाने में सफल हो ही जाएंगे. लेकिन पता नहीं क्यों, मैं सफल नहीं हो पाती.’’

ये भी पढ़ें- लौट आओ अपने वतन: विदेशी चकाचौंध में फंसी उर्वशी

पति ने हिम्मत बंधाते हुए कहा, ‘‘हिम्मते जनाना, मदद ए खुदा.’’

पति सम?ादार था. उस ने कहावत में हिम्मत ए मर्दां की जगह हिम्मत ए जनाना कर दिया. कुछ दिन बीते ही थे कि एक दिन पत्नी ने ऐलान किया, ‘आज शाम जब आप घर लौटोगे तो मैं आप को पेड़े खिलाऊंगी. यह वादा रहा.’

पति को अच्छा लगा. खोये के पेड़े खाने को मिलेंगे. वे अतिउत्साह के साथ शाम को घर पहुंचे तो देखा, पत्नीजी किचन में बड़े मनोयोग के साथ कुछ बना रही हैं. वे सम?ा गए कि पेड़ा ही बन रहा होगा. कुछ देर बाद पत्नी एक थाल में सजा कर कुछ पेड़े ले आईं

और कहा, ‘लो, मेरे हाथ का बना

पेड़ा खाओ.’

फलानेजी खुश हो गए. उन्होंने एक पेड़ा उठाया. वह कुछकुछ गीला था. उन्होंने उसे मुंह में डाला और कुछ अजीब सा मुंह बनाते हुए बोले, ‘‘यह तो पेड़ा नहीं, केवल खोया है. पेड़ा कहां है?’’

पत्नीजी बोली, ‘‘अरे, यह पेड़ा ही तो है. खोये में शक्कर मिला कर ही तो पेड़ा बनता है.’’

पति ने सिर पीटते हुए कहा, ‘‘अरी भागवान, पेड़ा बनाने की पूरी एक प्रक्रिया है. तुम ने यूट्यूब में ठीक से देखा नहीं, शायद.’’

पत्नी मुसकराते हुए बोलीं, ‘‘देखा तो था लेकिन समय कम था, इसलिए शुरू का ही एक किलो खोया लाई, उस में उसी अनुपात में डट कर शक्कर मिलाई. तब तक सहेली आ गई, उस के साथ गप मारने लगी. मु?ो लगा कि खोए में शक्कर मिला कर गोलगोल बनाने से पेड़ा बन जाता है.’’

पति महोदय मन ही मन भुनभुना रहे थे लेकिन किसी भी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहते थे, इसलिए उन्होंने मुसकराते हुए कहा, ‘धन्य हो तुम. पहली बार ऐसा अद्भुत पेड़ा खाया है.’’

पत्नीजी ?ाठ की चाशनी में सजी अपनी तारीफ सुन कर गदगद हो रही थी. उस ने भी पेड़ा खाया तो उस ने महसूस किया, यह तो पेड़े की तरह बिल्कुल ही नहीं लग रहा है. लेकिन वह मौन रही. मन ही मन सोचने लगी, अच्छा हुआ, इन को कुछ पता ही नहीं चला. मेरी मेहनत बरबाद नहीं हुई.

उधर पति महोदय सोच रहे थे कि भविष्य में अब इस महान कलाकार से किसी भी तरीके का पकवान बनाने का आग्रह बिलकुल नहीं करूंगा. लेकिन सब दिन होत न एक समान. कुछ दिनों के बाद पति महोदय ने फिर देखा कि पत्नी यूट्यूब में भुजिया सेव बनाने की विधि देख रही है. लेकिन इस बार वे किसी भी उम्मीद में बिलकुल नहीं रहे. उलटे, वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जैसे मनोरंजन के लिए हम लोग यूट्यूब में गाने, फिल्म, प्रवचन या कुछ और चीजें देख लेते हैं, उसी तरह कुछ महिलाएं भी अपना मन बहलाने के लिए तरहतरह के व्यंजन बनाने की विधियां देखती रहती हैं. बनाएं चाहे न बनाएं, लेकिन किसी भी चीज का ज्ञान अर्जित करने में कौनो बुराई नहीं है, बंधु.

लेकिन उस दिन तो चमत्कार हो गया. पत्नी ने सुबहसुबह फरमाया, ‘‘आज शाम को मैं आप को सांभरवड़ा खिलाऊंगी.’’

पति ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘जोक मत करो. जानू.’’

पत्नी बोली, ‘‘तुम्हारी कसम, आज मैं तुम्हें सांभरवड़ा जरूर खिलाऊंगी.’’

ये भी पढ़ें- मोक्ष: हरीरी और केशव के प्यार का क्या अंजाम हुआ

पति घबराया, पत्नी मेरी कसम खा रही है, लेकिन उसे यकीन था कि जब कसम खा रही है तो जरूर खिलाएगी. शाम को पति महोदय जल्दी घर आ गए. थोड़ी देर बाद पत्नी ने प्लेट में सजा कर सांभरवड़ा परोस दिया. पति महोदय तो गदगद, बोल पड़े, ‘‘आखिर, तुम्हारी यूट्यूब पर व्यंजन बनाने की विधि देखने वाली मेहनत सफल हो ही गई, बधाई.’’

पत्नी बोली, ‘‘जो वादा किया था, उसे निभाया. मैं ने कहा था न, शाम को सांभरवड़ा खिलाऊंगी तो खिला रही हूं. कौफीहाउस वाले को फोन किया था, वह अभी थोड़ी देर पहले ही पहुंचा कर गया है.’’ पति महोदय की शक्ल देखने लायक थी…

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‘अच्छे दिन’ तो बस एक मुहावरा ही है, जो सुनने में तो अच्छा लगता पर अच्छे दिन कभी आते नहीं. श्रीमतीजी का सांभरवड़ा बना कर खिलाने का अच्छे दिन का वादा प्रधानमंत्री के जैसा ही रहा.

मिस्टर पति ने उस दिन जब अपनी श्रीमती फलानीजी को यूट्यूब में सांभरवड़ा बनाने की विधि को गंभीरता के साथ देखते हुए पाया तो गदगद हो गए. सोचने लगे, आज शाम को दक्षिण भारत का यह स्वादिष्ठ व्यंजन खाने को मिलेगा. लेकिन शाम हुई और फिर रात भी गहरा गई, सांभरवड़ा का पता न चला तो पति महोदय ने पूछ लिया, ‘‘क्यों भागवान, तुम सुबह सांभरवड़ा बनाने की विधि देख रही थीं न, उस का क्या हुआ?’’

पत्नीजी ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘एकदो बार और देख लूं, उस के बाद जरूर बनाऊंगी, आप की कसम.’’

पति महोदय, मजबूरी में ही सही, परम संतोषी किस्म के जीव थे. पहले भी पत्नी उन से अलगअलग पकवानों के बारे में यही कहती रहीं कि बनाने की विधि अच्छे से सम?ा लूं, फिर जल्द बना कर खिलाऊंगी. लेकिन कभी कुछ खिलाया नहीं, सिवा चावल, दाल और सब्जी के.

बहुत दिनों बाद पत्नी को एक बार फिर सांभरवड़ा बनाने की विधि देखते हुए उन्हें बड़ा अच्छा लगा. उन्हें इस बार पूरा विश्वास था कि अब पकवान खाने के मामले में अच्छे दिन आ ही जाएंगे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि अच्छे दिन, बस एक मुहावरा बन कर रह गया है. यह सुनने में अच्छा लगता है मगर अच्छे दिन आते नहीं. सो, उन की पत्नी भी सांभरवड़ा बनाने की विधि देख तो रही थीं, पर उसे बनाने का मुहूर्त अभी नहीं आया था. खैर, कभी न कभी तो जरूर बनाएगी. आखिर, पहलवान रामभरोसे की बीवी है, हिम्मत न हारेगी.

दोचार दिन बीते ही थे कि एक दिन मिस्टर पति ने देखा, पत्नीजी इस बार फिर बड़े ध्यान से यूट्यूब में उत्तपम बनाने की विधि देख रही हैं. वे गदगद हो गए कि आज शाम को या फिर एकदो दिन बाद उत्तपम का आनंद मिलेगा. लेकिन कुछ दिन ऐसे ही निकल गए, उत्तपम नहीं बनाया तो उन्होंने पत्नीजी से पूछ लिया, ‘‘क्यों डियर उस दिन तो तुम उत्तपम बनाने की विधि सीख रही थीं, अब बनाओगी कब?’’

पत्नीजी मुसकराते हुए बोलीं, ‘‘बना दूंगी, जल्दी क्या है. एकदो बार और देखना पड़ेगा. दिमाग में उसे बिठाना पड़ेगा, तब तो बना पाऊंगी. वरना वैसा ही होगा, जैसा एक बार हुआ था. गुलाबजामुन बनाने बैठी थी लेकिन वह तो कुछ का कुछ बन गया था.’’

पति महोदय को याद आया, ‘‘हां, तुम ने मु?ो जबरन खिलाया था और पहली बार हुआ था कि गुलाबजामुन को खाने के बजाय पीना पड़ा था.’’

पति की बात सुन कर पत्नीजी मुसकराईं, फिर बोलीं, ‘‘तुम ने वह गीत सुना है न, होंगे कामयाब एक दिन… तो हम भी यूट्यूब के सहारे व्यंजन बनाने की विधियां देखते रहते हैं और सोचते हैं कभी न कभी हम कोई न कोई पकवान ठीकठाक बनाने में सफल हो ही जाएंगे. लेकिन पता नहीं क्यों, मैं सफल नहीं हो पाती.’’

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पति ने हिम्मत बंधाते हुए कहा, ‘‘हिम्मते जनाना, मदद ए खुदा.’’

पति सम?ादार था. उस ने कहावत में हिम्मत ए मर्दां की जगह हिम्मत ए जनाना कर दिया. कुछ दिन बीते ही थे कि एक दिन पत्नी ने ऐलान किया, ‘आज शाम जब आप घर लौटोगे तो मैं आप को पेड़े खिलाऊंगी. यह वादा रहा.’

पति को अच्छा लगा. खोये के पेड़े खाने को मिलेंगे. वे अतिउत्साह के साथ शाम को घर पहुंचे तो देखा, पत्नीजी किचन में बड़े मनोयोग के साथ कुछ बना रही हैं. वे सम?ा गए कि पेड़ा ही बन रहा होगा. कुछ देर बाद पत्नी एक थाल में सजा कर कुछ पेड़े ले आईं

और कहा, ‘लो, मेरे हाथ का बना

पेड़ा खाओ.’

फलानेजी खुश हो गए. उन्होंने एक पेड़ा उठाया. वह कुछकुछ गीला था. उन्होंने उसे मुंह में डाला और कुछ अजीब सा मुंह बनाते हुए बोले, ‘‘यह तो पेड़ा नहीं, केवल खोया है. पेड़ा कहां है?’’

पत्नीजी बोली, ‘‘अरे, यह पेड़ा ही तो है. खोये में शक्कर मिला कर ही तो पेड़ा बनता है.’’

पति ने सिर पीटते हुए कहा, ‘‘अरी भागवान, पेड़ा बनाने की पूरी एक प्रक्रिया है. तुम ने यूट्यूब में ठीक से देखा नहीं, शायद.’’

पत्नी मुसकराते हुए बोलीं, ‘‘देखा तो था लेकिन समय कम था, इसलिए शुरू का ही एक किलो खोया लाई, उस में उसी अनुपात में डट कर शक्कर मिलाई. तब तक सहेली आ गई, उस के साथ गप मारने लगी. मु?ो लगा कि खोए में शक्कर मिला कर गोलगोल बनाने से पेड़ा बन जाता है.’’

पति महोदय मन ही मन भुनभुना रहे थे लेकिन किसी भी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहते थे, इसलिए उन्होंने मुसकराते हुए कहा, ‘धन्य हो तुम. पहली बार ऐसा अद्भुत पेड़ा खाया है.’’

पत्नीजी ?ाठ की चाशनी में सजी अपनी तारीफ सुन कर गदगद हो रही थी. उस ने भी पेड़ा खाया तो उस ने महसूस किया, यह तो पेड़े की तरह बिल्कुल ही नहीं लग रहा है. लेकिन वह मौन रही. मन ही मन सोचने लगी, अच्छा हुआ, इन को कुछ पता ही नहीं चला. मेरी मेहनत बरबाद नहीं हुई.

उधर पति महोदय सोच रहे थे कि भविष्य में अब इस महान कलाकार से किसी भी तरीके का पकवान बनाने का आग्रह बिलकुल नहीं करूंगा. लेकिन सब दिन होत न एक समान. कुछ दिनों के बाद पति महोदय ने फिर देखा कि पत्नी यूट्यूब में भुजिया सेव बनाने की विधि देख रही है. लेकिन इस बार वे किसी भी उम्मीद में बिलकुल नहीं रहे. उलटे, वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जैसे मनोरंजन के लिए हम लोग यूट्यूब में गाने, फिल्म, प्रवचन या कुछ और चीजें देख लेते हैं, उसी तरह कुछ महिलाएं भी अपना मन बहलाने के लिए तरहतरह के व्यंजन बनाने की विधियां देखती रहती हैं. बनाएं चाहे न बनाएं, लेकिन किसी भी चीज का ज्ञान अर्जित करने में कौनो बुराई नहीं है, बंधु.

लेकिन उस दिन तो चमत्कार हो गया. पत्नी ने सुबहसुबह फरमाया, ‘‘आज शाम को मैं आप को सांभरवड़ा खिलाऊंगी.’’

पति ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘जोक मत करो. जानू.’’

पत्नी बोली, ‘‘तुम्हारी कसम, आज मैं तुम्हें सांभरवड़ा जरूर खिलाऊंगी.’’

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पति घबराया, पत्नी मेरी कसम खा रही है, लेकिन उसे यकीन था कि जब कसम खा रही है तो जरूर खिलाएगी. शाम को पति महोदय जल्दी घर आ गए. थोड़ी देर बाद पत्नी ने प्लेट में सजा कर सांभरवड़ा परोस दिया. पति महोदय तो गदगद, बोल पड़े, ‘‘आखिर, तुम्हारी यूट्यूब पर व्यंजन बनाने की विधि देखने वाली मेहनत सफल हो ही गई, बधाई.’’

पत्नी बोली, ‘‘जो वादा किया था, उसे निभाया. मैं ने कहा था न, शाम को सांभरवड़ा खिलाऊंगी तो खिला रही हूं. कौफीहाउस वाले को फोन किया था, वह अभी थोड़ी देर पहले ही पहुंचा कर गया है.’’ पति महोदय की शक्ल देखने लायक थी…

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March 01, 2022 at 09:00AM

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