Monday 21 February 2022

चक्कर हारमोंस का- भाग 1: मंजु के पति का सीमा के साथ चालू था रोमांस

कालेज की सहेली अनिता से करीब 8 साल बाद अचानक बाजार में मुलाकात हुई तो हम दोनों ही एकदूसरे को देख कर चौंकीं.

‘‘अंजु, तू कितनी मोटी हो गई है,’’ अनिता ने मेरे मोटे पेट में उंगली घुसा कर मुझे छेड़ा.

‘‘और तुम क्या मौडलिंग करती हो? बड़ी शानदार फिगर मैंटेन कर रखी है तुम ने, यार?’’ मैं ने दिल से उस के आकर्षक व्यक्तित्व की प्रशंसा की.

‘‘थैंक्यू, पर तुम ने अपना वजन इतना ज्यादा…’’

‘‘अरे, अब 2 बच्चों की मां बन चुकी हूं मोटापा तो बढ़ेगा ही. अच्छा, यह बता कि तुम दिल्ली में क्या कर रही हो?’’ मैं ने विषय बदला.

‘‘मैं ने कुछ हफ्ते पहले ही नई कंपनी में नौकरी शुरू की है. मेरे पति का यहां ट्रांसफर हो जाने के कारण मुझे भी अपनी अच्छीखासी नौकरी छोड़ कर मुंबई से दिल्ली आना पड़ा. अभी तक यहां बड़ा अकेलापन महसूस हो रहा था पर अब तुम मिल गई हो तो मन लग जाएगा.’’

‘‘मेरा घर पास ही है. चल, वहीं बैठ कर गपशप करती हैं.’’

‘‘आज एक जरूरी काम है, पर बहुत जल्दी तुम्हारे घर पति व बेटे के साथ आऊंगी. मेरा कार्ड रख लो और तुम्हारा फोन नंबर मैं सेव कर लेती हूं,’’ और फिर उस ने अपने पर्स से कार्ड निकाल कर मुझे पकड़ा दिया. मैं ने सरसरी निगाह कार्ड पर डाली तो उस की कंपनी का नाम पढ़ कर चौंक उठी, ‘‘अरे, तुम तो उसी कंपनी में काम करती हो जिस में मेरे पति आलोक करते हैं.’’

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‘‘कहीं वे आलोक तो तेरे पति नहीं जो सीनियर सेल्स मैनेजर हैं?’’

‘‘वही मेरे पति हैं…क्या तुम उन से परिचित हो?’’

‘‘बहुत अच्छी तरह से…मैं उन्हें शायद जरूरत से कुछ ज्यादा ही अच्छी तरह से जानती हूं.’’ ‘‘इस आखिरी वाक्य को बोलते हुए तुम ने अजीब सा मुंह क्यों बनाया अनिता?’’ मैं ने माथे में बल डाल कर पूछा तो वह कुछ परेशान सी नजर आने लगी. कुछ पलों के सोचविचार के बाद अनिता ने गहरी सांस छोड़ी और फिर कहा, ‘‘चल, तेरे घर में बैठ कर बातें करते हैं. अपना जरूरी काम फिर कभी कर लूंगी.’’

‘‘हांहां, चल, यह तो बता कि अचानक इतनी परेशान क्यों हो उठी?’’

‘‘अंजु, कालेज में तुम्हारी और मेरी बहुत अच्छी दोस्ती थी न?’’

‘‘हां, यह तो बिलकुल सही बात है.’’

‘‘उसी दोस्ती को ध्यान में रखते हुए मैं तुम्हें तुम्हारे पति आलोक के बारे में एक बात बताना अपना फर्ज समझती हूं…तुम सीमा से परिचित हो?’’

‘‘नहीं, कौन है वह?’’

‘‘तुम्हारे पति की ताजाताजा बनी प्रेमिका माई डियर फ्रैंड. इस बात को सारा औफिस जानता है…तुम क्यों नहीं जानती हो, अंजु?’’

‘‘तुम्हें जरूर कोई गलतफहमी हो रही है, अनिता. वे मुझे और अपनी दोनों बेटियों से बहुत प्यार करते हैं. बहुत अच्छे पति और पिता हैं वे…उन का किसी औरत से गलत संबंध कभी हो ही नहीं सकता,’’ मैं ने रोंआसी सी हो कर कुछ गलत नहीं कहा था, क्योंकि सचमुच मुझे अपने पति की वफादारी पर पूरा विश्वास था.

ये भी पढ़ेें- आत्मसाथी: क्या रघुबीर और राधा को आश्रम में सहारा मिला?

‘‘मैडम, यह सीमा कोई औरत नहीं, बल्कि 25-26 साल की बेहद सुंदर व बहुत ही महत्त्वाकांक्षी लड़की है और मैं जो बता रही हूं वह बिलकुल सच है. अब आंसू बहा कर यहां तमाशा मत बनना, अंजु. हर समस्या को समझदारी से हल किया जा सकता है. चल,’’ कह वह मेरा हाथ मजबूती से पकड़ कर मुझे अपनी कार की तरफ ले चली. उस शाम जब आलोक औफिस से घर लौटे तो मेरी दोनों बेटियां टीवी देखना छोड़ कर उन से लिपट गईं. करीब 10 मिनट तक वे दोनों से हंसहंस कर बातें करते रहे. मैं ने उन्हें पानी का गिलास पकड़ाया तो मुसकरा कर मुझे आंखों से धन्यवाद कहा. फिर कपड़े बदल कर अखबार पढ़ने बैठ गए. मैं कनखियों से उन्हें बड़े ध्यान से देखने लगी. उन का व्यक्तित्व बढ़ती उम्र के साथ ज्यादा आकर्षक हो गया था. नियमित व्यायाम, अच्छा पद और मोटा बैंक बैलेंस पुरुषों की उम्र को कम दिखा सकते हैं. उन का व्यवहार रोज के जैसा ही था पर उस दिन मुझे उन के बारे में अनिता से जो नई  जानकारी मिली थी, उस की रोशनी में वे मुझे अजनबी से दिख रहे थे.

‘‘मैं भी कितनी बेवकूफ हूं जो पहचान नहीं सकी कि इन की जिंदगी में कोई दूसरी औरत आ गई है. अब कहां ये मुझे प्यार से देखते और छेड़ते हैं? एक जमाना बीत गया है मुझे इन के मुंह से अपनी तारीफ सुने हुए. मैं बच्चों को संभालने में लगी रही और ये पिछले 2 महीनों से इस सीमा के साथ फिल्में देख रहे हैं, उसे लंचडिनर करा रहे हैं. क्या और सब कुछ भी चल रहा है इन के बीच?’’ इस तरह की बातें सोचते हुए मैं जबरदस्त टैंशन का शिकार बनती जा रही थी. अनिता ने मुझे इन के सामने रोने या झगड़ा करने से मना किया था. उस का कहना था कि मैं ने अगर ये 2 काम किए तो आलोक मुझ से खफा हो कर सीमा के और ज्यादा नजदीक चले जाएंगे. रात को उन की बगल में लेट कर मैं ने उन्हें एक मनघड़ंत सपना संजीदा हो कर सुनाया, ‘‘आज दोपहर को मेरी कुछ देर के लिए आंख लगी तो मैं ने जो सपना देखा उस में मैं मर गई थी और बहुत भीड़ मेरी अर्थी केपीछे चल रही थी,’’ पूरी कोशिश कर के मैं ने अपनी आंखों में चिंता के भाव पैदा कर लिए थे.

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कालेज की सहेली अनिता से करीब 8 साल बाद अचानक बाजार में मुलाकात हुई तो हम दोनों ही एकदूसरे को देख कर चौंकीं.

‘‘अंजु, तू कितनी मोटी हो गई है,’’ अनिता ने मेरे मोटे पेट में उंगली घुसा कर मुझे छेड़ा.

‘‘और तुम क्या मौडलिंग करती हो? बड़ी शानदार फिगर मैंटेन कर रखी है तुम ने, यार?’’ मैं ने दिल से उस के आकर्षक व्यक्तित्व की प्रशंसा की.

‘‘थैंक्यू, पर तुम ने अपना वजन इतना ज्यादा…’’

‘‘अरे, अब 2 बच्चों की मां बन चुकी हूं मोटापा तो बढ़ेगा ही. अच्छा, यह बता कि तुम दिल्ली में क्या कर रही हो?’’ मैं ने विषय बदला.

‘‘मैं ने कुछ हफ्ते पहले ही नई कंपनी में नौकरी शुरू की है. मेरे पति का यहां ट्रांसफर हो जाने के कारण मुझे भी अपनी अच्छीखासी नौकरी छोड़ कर मुंबई से दिल्ली आना पड़ा. अभी तक यहां बड़ा अकेलापन महसूस हो रहा था पर अब तुम मिल गई हो तो मन लग जाएगा.’’

‘‘मेरा घर पास ही है. चल, वहीं बैठ कर गपशप करती हैं.’’

‘‘आज एक जरूरी काम है, पर बहुत जल्दी तुम्हारे घर पति व बेटे के साथ आऊंगी. मेरा कार्ड रख लो और तुम्हारा फोन नंबर मैं सेव कर लेती हूं,’’ और फिर उस ने अपने पर्स से कार्ड निकाल कर मुझे पकड़ा दिया. मैं ने सरसरी निगाह कार्ड पर डाली तो उस की कंपनी का नाम पढ़ कर चौंक उठी, ‘‘अरे, तुम तो उसी कंपनी में काम करती हो जिस में मेरे पति आलोक करते हैं.’’

ये भी पढ़ें- कर्तव्य: मीनाक्षी का दिल किस पर आ गया था

‘‘कहीं वे आलोक तो तेरे पति नहीं जो सीनियर सेल्स मैनेजर हैं?’’

‘‘वही मेरे पति हैं…क्या तुम उन से परिचित हो?’’

‘‘बहुत अच्छी तरह से…मैं उन्हें शायद जरूरत से कुछ ज्यादा ही अच्छी तरह से जानती हूं.’’ ‘‘इस आखिरी वाक्य को बोलते हुए तुम ने अजीब सा मुंह क्यों बनाया अनिता?’’ मैं ने माथे में बल डाल कर पूछा तो वह कुछ परेशान सी नजर आने लगी. कुछ पलों के सोचविचार के बाद अनिता ने गहरी सांस छोड़ी और फिर कहा, ‘‘चल, तेरे घर में बैठ कर बातें करते हैं. अपना जरूरी काम फिर कभी कर लूंगी.’’

‘‘हांहां, चल, यह तो बता कि अचानक इतनी परेशान क्यों हो उठी?’’

‘‘अंजु, कालेज में तुम्हारी और मेरी बहुत अच्छी दोस्ती थी न?’’

‘‘हां, यह तो बिलकुल सही बात है.’’

‘‘उसी दोस्ती को ध्यान में रखते हुए मैं तुम्हें तुम्हारे पति आलोक के बारे में एक बात बताना अपना फर्ज समझती हूं…तुम सीमा से परिचित हो?’’

‘‘नहीं, कौन है वह?’’

‘‘तुम्हारे पति की ताजाताजा बनी प्रेमिका माई डियर फ्रैंड. इस बात को सारा औफिस जानता है…तुम क्यों नहीं जानती हो, अंजु?’’

‘‘तुम्हें जरूर कोई गलतफहमी हो रही है, अनिता. वे मुझे और अपनी दोनों बेटियों से बहुत प्यार करते हैं. बहुत अच्छे पति और पिता हैं वे…उन का किसी औरत से गलत संबंध कभी हो ही नहीं सकता,’’ मैं ने रोंआसी सी हो कर कुछ गलत नहीं कहा था, क्योंकि सचमुच मुझे अपने पति की वफादारी पर पूरा विश्वास था.

ये भी पढ़ेें- आत्मसाथी: क्या रघुबीर और राधा को आश्रम में सहारा मिला?

‘‘मैडम, यह सीमा कोई औरत नहीं, बल्कि 25-26 साल की बेहद सुंदर व बहुत ही महत्त्वाकांक्षी लड़की है और मैं जो बता रही हूं वह बिलकुल सच है. अब आंसू बहा कर यहां तमाशा मत बनना, अंजु. हर समस्या को समझदारी से हल किया जा सकता है. चल,’’ कह वह मेरा हाथ मजबूती से पकड़ कर मुझे अपनी कार की तरफ ले चली. उस शाम जब आलोक औफिस से घर लौटे तो मेरी दोनों बेटियां टीवी देखना छोड़ कर उन से लिपट गईं. करीब 10 मिनट तक वे दोनों से हंसहंस कर बातें करते रहे. मैं ने उन्हें पानी का गिलास पकड़ाया तो मुसकरा कर मुझे आंखों से धन्यवाद कहा. फिर कपड़े बदल कर अखबार पढ़ने बैठ गए. मैं कनखियों से उन्हें बड़े ध्यान से देखने लगी. उन का व्यक्तित्व बढ़ती उम्र के साथ ज्यादा आकर्षक हो गया था. नियमित व्यायाम, अच्छा पद और मोटा बैंक बैलेंस पुरुषों की उम्र को कम दिखा सकते हैं. उन का व्यवहार रोज के जैसा ही था पर उस दिन मुझे उन के बारे में अनिता से जो नई  जानकारी मिली थी, उस की रोशनी में वे मुझे अजनबी से दिख रहे थे.

‘‘मैं भी कितनी बेवकूफ हूं जो पहचान नहीं सकी कि इन की जिंदगी में कोई दूसरी औरत आ गई है. अब कहां ये मुझे प्यार से देखते और छेड़ते हैं? एक जमाना बीत गया है मुझे इन के मुंह से अपनी तारीफ सुने हुए. मैं बच्चों को संभालने में लगी रही और ये पिछले 2 महीनों से इस सीमा के साथ फिल्में देख रहे हैं, उसे लंचडिनर करा रहे हैं. क्या और सब कुछ भी चल रहा है इन के बीच?’’ इस तरह की बातें सोचते हुए मैं जबरदस्त टैंशन का शिकार बनती जा रही थी. अनिता ने मुझे इन के सामने रोने या झगड़ा करने से मना किया था. उस का कहना था कि मैं ने अगर ये 2 काम किए तो आलोक मुझ से खफा हो कर सीमा के और ज्यादा नजदीक चले जाएंगे. रात को उन की बगल में लेट कर मैं ने उन्हें एक मनघड़ंत सपना संजीदा हो कर सुनाया, ‘‘आज दोपहर को मेरी कुछ देर के लिए आंख लगी तो मैं ने जो सपना देखा उस में मैं मर गई थी और बहुत भीड़ मेरी अर्थी केपीछे चल रही थी,’’ पूरी कोशिश कर के मैं ने अपनी आंखों में चिंता के भाव पैदा कर लिए थे.

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February 22, 2022 at 09:00AM

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