Tuesday 15 February 2022

उस की डायरी- भाग 1: आखिर नेत्रा की पर्सनल डायरी में क्या लिखा था

न जाने कितनी देर से शिशिर अपने घर के बाहर सीढि़यों पर बैठा अपने हाथ में पकड़ी हुई नेत्रा की डायरी को एकटक देखे जा रहा था. आज सुबह ही तो उस के नौकर को स्टोररूम की सफाई करते समय नेत्रा की डायरी मिली थी और उस ने उसे ला कर शिशिर के हाथ में थमा दिया था. वह तो उस डायरी को देख कर चौंक गया था क्योंकि उसे नेत्रा के साथ चली मात्र 3 वर्ष की अपनी शादी में कभी यह पता ही नहीं था कि वह डायरी भी लिखती थी. नेत्रा के बारे में सोच कर उस के चेहरे पर कड़वा सा नापसंदगी का भाव आ गया.

मुंबई की एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी नौकरी लगने के बाद शिशिर के मातापिता ने उस की शादी अपनी पसंद से छोटे शहर की साधारण सी नेत्रा से करवा दी थी.

आधुनिक व स्मार्ट शिशिर के आगे सीधीसादी नेत्रा का व्यक्तित्व दब सा जाता था. शुरुआत में वह नेत्रा को अपने साथ मुंबई नहीं ले जाना चाहता था, परंतु अपने मातापिता व ससुराल वालों के दबाव के चलते उसे पत्नी को अपने साथ ले जाना पड़ा. कुछ समय साथ बिताने के बाद उन की गृहस्थी की गाड़ी ठीक ही चलने लगी थी. नेत्रा उस का बहुत खयाल रखती थी और धीरेधीरे उसे भी नेत्रा अच्छी लगने लगी थी. सुंदर तो वह थी ही और अब शहर के स्वच्छंद वातावरण में उस का संकोची स्वभाव भी कुछ खुलने लगा था. वह अधिक बात नहीं करती थी. बस, शिशिर की बातें सुन कर मुसकरा देती थी.

शुरूशुरू में शिशिर को यह सब बहुत अच्छा लगता था, मगर शांत पानी जैसे स्वभाव वाली नेत्रा का साथ भला चंचल भंवरे जैसे स्वभाव वाले शिशिर को कब तक भाता. शादी के एक वर्ष बाद ही शिशिर को नेत्रा के साथ घुटन महसूस होने लगी थी.

ऐसा नहीं था कि शिशिर को वह बिलकुल पसंद नहीं थी, पर जब वह अपने औफिस की आधुनिक लड़कियों को देखता था तो मन ही मन खीझ उठता था. वह चाहता था कि उस की पत्नी भी आधुनिक पोशाकें पहने, फर्राटेदार इंग्लिश बोले व सब से उन्मुक्त हो कर बातें किया करे. मगर सीधीसादी नेत्रा के लिए यह सब करना असंभव सा था. वह शिशिर के कहने पर साडि़यां छोड़ कर सलवारसूट पहनने लगी थी. लंबी चोटी को भी काटछांट कर बालों को कंधे तक ले आई थी. लेकिन शिशिर को हमेशा यही अखरता रहा कि इस से अधिक प्रयास या तो नेत्रा से हो नहीं सकता या फिर वह करना ही नहीं चाहती थी. धीरेधीरे उस के मन का गुबार उस की जबान पर भी आने लगा. वह अकसर छोटीछोटी बातों को ले कर नेत्रा पर झल्ला उठता था, पर नेत्रा हमेशा खामोशी से सिर झुकाए सब सुन लेती थी. शायद इसीलिए शिशिर को हार कर चुप होना पड़ता था.

ये भी पढ़ें- विधवा रहूंगी पर दूसरी औरत नहीं बनूंगी

शिशिर के दोस्त जब भी घर आते थे, नेत्रा बहुत अच्छी तरह उन का स्वागत करती थी. वह उन के लिए तरहतरह के पकवान बनाती थी और इस के बाद कई दिनों तक औफिस में उसे नेत्रा की तारीफें सुनने को मिलती थीं. फिर जब वह घर वापस आता तो नेत्रा को बड़े गौर से देखता और सोचता कि आखिर इस में ऐसा क्या है कि कोई इस की तारीफ करे. साधारण सी ही तो है.

जिंदगी कट रही थी. वह घर पर कम और औफिस व दोस्तों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करता था.

शिशिर के दोस्त उस पर शादी की दूसरी वर्षगांठ मनाने के लिए दबाव डालने लगे. उस ने नेत्रा के सामने यह बात कही तो उस ने सहर्ष स्वीकृति दे दी.

शिशिर ने पार्टी में सभी दोस्तों व परिचितों को बुलाया था. वर्षगांठ वाले दिन वह सुबह से ही सारे इंतजाम देखने में लगा था. उस ने नेत्रा को पार्टी में तैयार होने से ले कर उसे मेहमानों के सामने क्या बोलना है और क्या नहीं जैसे अनेक निर्देश दे डाले थे, पर जब नेत्रा तैयार हो कर पार्टी में पहुंची तो उस ने अपना सिर पीट लिया.

पार्टी की सभी महिलाएं एक से एक आधुनिक परिधान पहन कर आई थीं. एक अकेली नेत्रा साड़ी पहन कर आई थी. उस ने मेकअप भी हलका ही किया था.

यह देख शिशिर अपना आपा खो बैठा. वह नेत्रा की बांह पकड़ कर खींचते हुए उसे मेहमानों से दूर ले गया और उसे खूब खरीखोटी सुना दी.

नेत्रा ने आंखों में आंसू लिए उस से सौरी कहा, तब भी उस का गुस्सा शांत नहीं हुआ. बेमन से केक काट कर उस ने अचानक तबीयत खराब होने का बहाना बना कर मेहमानों को जल्दी ही वापस भेज दिया.

उस दिन के बाद से एक दिन भी ऐसा नहीं बीता, जब घर में कलह न हुई हो. रहीसही कसर तब पूरी हो गई जब उस ने एक दिन नेत्रा को जींसटौप पहने एक रैस्तरां में बैठे देखा. वह एक व्यक्ति के साथ कौफी पीते हुए हंसहंस कर बातें कर रही थी.

शिशिर ने आव देखा न ताव उन की टेबल पर जा कर नेत्रा को एक जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया और उस की बात सुने बिना वह दनदनाता हुआ वहां से चला आया.

उस ने एक पल की भी देर किए बिना वकील से संपर्क कर के तलाक के कागज तैयार करवा लिए. तलाक की वजह नेत्रा का चरित्रहीन होना बताया.

परिवार ने खूब हायतौबा की, रोनाधोना किया. यहां तक कि उस के अपने दोस्तों ने भी उस के इस फैसले को गलत बताया, पर वह अपने फैसले से टस से मस नहीं हुआ.

नेत्रा ने कई बार शिशिर से बात कर के सफाई देने की कोशिश की, मगर जब शिशिर अपने फैसले पर अडिग रहा तो उस ने किसी भी इलजाम का विरोध किए बिना चुपचाप तलाक के कागजों पर हस्ताक्षर कर दिए.

पहले तो शिशिर को इस बात पर हैरानी हुई, मगर फिर यह सोच कर तसल्ली हो गई कि नेत्रा खुद भी उसे तलाक दे कर अपने प्रेमी से विवाह करना चाहती होगी.

ये भी पढ़ें- तुम सावित्री हो: क्या पत्नी को धोखा देकर खुश रह पाया विकास?

नेत्रा को तलाक देने के कुछ महीनों बाद उस ने अपनी सहकर्मी मुग्धा से विवाह कर लिया और विदेश चला गया.

मातापिता व परिवार ने उस से उसी समय सारे नाते तोड़ लिए थे जब उस ने नेत्रा को तलाक दिया था. सालों तक वह विदेश में रहा. पूरे 12 वर्षों बाद वह वापस लौट कर आया था. वापस आए हुए एक हफ्ता ही हुआ था. मुग्धा एयरपोर्ट से ही बेटी मृणाल के साथ कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली गई थी और वह सालों से बंद पड़े अपने घर को फिर से अपने परिवार के रहने लायक बनाने के लिए यहां आ गया था. यहां आते ही नेत्रा की डायरी ने उस के शांत जीवन में अचानक विस्फोट कर दिया था.

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न जाने कितनी देर से शिशिर अपने घर के बाहर सीढि़यों पर बैठा अपने हाथ में पकड़ी हुई नेत्रा की डायरी को एकटक देखे जा रहा था. आज सुबह ही तो उस के नौकर को स्टोररूम की सफाई करते समय नेत्रा की डायरी मिली थी और उस ने उसे ला कर शिशिर के हाथ में थमा दिया था. वह तो उस डायरी को देख कर चौंक गया था क्योंकि उसे नेत्रा के साथ चली मात्र 3 वर्ष की अपनी शादी में कभी यह पता ही नहीं था कि वह डायरी भी लिखती थी. नेत्रा के बारे में सोच कर उस के चेहरे पर कड़वा सा नापसंदगी का भाव आ गया.

मुंबई की एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी नौकरी लगने के बाद शिशिर के मातापिता ने उस की शादी अपनी पसंद से छोटे शहर की साधारण सी नेत्रा से करवा दी थी.

आधुनिक व स्मार्ट शिशिर के आगे सीधीसादी नेत्रा का व्यक्तित्व दब सा जाता था. शुरुआत में वह नेत्रा को अपने साथ मुंबई नहीं ले जाना चाहता था, परंतु अपने मातापिता व ससुराल वालों के दबाव के चलते उसे पत्नी को अपने साथ ले जाना पड़ा. कुछ समय साथ बिताने के बाद उन की गृहस्थी की गाड़ी ठीक ही चलने लगी थी. नेत्रा उस का बहुत खयाल रखती थी और धीरेधीरे उसे भी नेत्रा अच्छी लगने लगी थी. सुंदर तो वह थी ही और अब शहर के स्वच्छंद वातावरण में उस का संकोची स्वभाव भी कुछ खुलने लगा था. वह अधिक बात नहीं करती थी. बस, शिशिर की बातें सुन कर मुसकरा देती थी.

शुरूशुरू में शिशिर को यह सब बहुत अच्छा लगता था, मगर शांत पानी जैसे स्वभाव वाली नेत्रा का साथ भला चंचल भंवरे जैसे स्वभाव वाले शिशिर को कब तक भाता. शादी के एक वर्ष बाद ही शिशिर को नेत्रा के साथ घुटन महसूस होने लगी थी.

ऐसा नहीं था कि शिशिर को वह बिलकुल पसंद नहीं थी, पर जब वह अपने औफिस की आधुनिक लड़कियों को देखता था तो मन ही मन खीझ उठता था. वह चाहता था कि उस की पत्नी भी आधुनिक पोशाकें पहने, फर्राटेदार इंग्लिश बोले व सब से उन्मुक्त हो कर बातें किया करे. मगर सीधीसादी नेत्रा के लिए यह सब करना असंभव सा था. वह शिशिर के कहने पर साडि़यां छोड़ कर सलवारसूट पहनने लगी थी. लंबी चोटी को भी काटछांट कर बालों को कंधे तक ले आई थी. लेकिन शिशिर को हमेशा यही अखरता रहा कि इस से अधिक प्रयास या तो नेत्रा से हो नहीं सकता या फिर वह करना ही नहीं चाहती थी. धीरेधीरे उस के मन का गुबार उस की जबान पर भी आने लगा. वह अकसर छोटीछोटी बातों को ले कर नेत्रा पर झल्ला उठता था, पर नेत्रा हमेशा खामोशी से सिर झुकाए सब सुन लेती थी. शायद इसीलिए शिशिर को हार कर चुप होना पड़ता था.

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शिशिर के दोस्त जब भी घर आते थे, नेत्रा बहुत अच्छी तरह उन का स्वागत करती थी. वह उन के लिए तरहतरह के पकवान बनाती थी और इस के बाद कई दिनों तक औफिस में उसे नेत्रा की तारीफें सुनने को मिलती थीं. फिर जब वह घर वापस आता तो नेत्रा को बड़े गौर से देखता और सोचता कि आखिर इस में ऐसा क्या है कि कोई इस की तारीफ करे. साधारण सी ही तो है.

जिंदगी कट रही थी. वह घर पर कम और औफिस व दोस्तों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करता था.

शिशिर के दोस्त उस पर शादी की दूसरी वर्षगांठ मनाने के लिए दबाव डालने लगे. उस ने नेत्रा के सामने यह बात कही तो उस ने सहर्ष स्वीकृति दे दी.

शिशिर ने पार्टी में सभी दोस्तों व परिचितों को बुलाया था. वर्षगांठ वाले दिन वह सुबह से ही सारे इंतजाम देखने में लगा था. उस ने नेत्रा को पार्टी में तैयार होने से ले कर उसे मेहमानों के सामने क्या बोलना है और क्या नहीं जैसे अनेक निर्देश दे डाले थे, पर जब नेत्रा तैयार हो कर पार्टी में पहुंची तो उस ने अपना सिर पीट लिया.

पार्टी की सभी महिलाएं एक से एक आधुनिक परिधान पहन कर आई थीं. एक अकेली नेत्रा साड़ी पहन कर आई थी. उस ने मेकअप भी हलका ही किया था.

यह देख शिशिर अपना आपा खो बैठा. वह नेत्रा की बांह पकड़ कर खींचते हुए उसे मेहमानों से दूर ले गया और उसे खूब खरीखोटी सुना दी.

नेत्रा ने आंखों में आंसू लिए उस से सौरी कहा, तब भी उस का गुस्सा शांत नहीं हुआ. बेमन से केक काट कर उस ने अचानक तबीयत खराब होने का बहाना बना कर मेहमानों को जल्दी ही वापस भेज दिया.

उस दिन के बाद से एक दिन भी ऐसा नहीं बीता, जब घर में कलह न हुई हो. रहीसही कसर तब पूरी हो गई जब उस ने एक दिन नेत्रा को जींसटौप पहने एक रैस्तरां में बैठे देखा. वह एक व्यक्ति के साथ कौफी पीते हुए हंसहंस कर बातें कर रही थी.

शिशिर ने आव देखा न ताव उन की टेबल पर जा कर नेत्रा को एक जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया और उस की बात सुने बिना वह दनदनाता हुआ वहां से चला आया.

उस ने एक पल की भी देर किए बिना वकील से संपर्क कर के तलाक के कागज तैयार करवा लिए. तलाक की वजह नेत्रा का चरित्रहीन होना बताया.

परिवार ने खूब हायतौबा की, रोनाधोना किया. यहां तक कि उस के अपने दोस्तों ने भी उस के इस फैसले को गलत बताया, पर वह अपने फैसले से टस से मस नहीं हुआ.

नेत्रा ने कई बार शिशिर से बात कर के सफाई देने की कोशिश की, मगर जब शिशिर अपने फैसले पर अडिग रहा तो उस ने किसी भी इलजाम का विरोध किए बिना चुपचाप तलाक के कागजों पर हस्ताक्षर कर दिए.

पहले तो शिशिर को इस बात पर हैरानी हुई, मगर फिर यह सोच कर तसल्ली हो गई कि नेत्रा खुद भी उसे तलाक दे कर अपने प्रेमी से विवाह करना चाहती होगी.

ये भी पढ़ें- तुम सावित्री हो: क्या पत्नी को धोखा देकर खुश रह पाया विकास?

नेत्रा को तलाक देने के कुछ महीनों बाद उस ने अपनी सहकर्मी मुग्धा से विवाह कर लिया और विदेश चला गया.

मातापिता व परिवार ने उस से उसी समय सारे नाते तोड़ लिए थे जब उस ने नेत्रा को तलाक दिया था. सालों तक वह विदेश में रहा. पूरे 12 वर्षों बाद वह वापस लौट कर आया था. वापस आए हुए एक हफ्ता ही हुआ था. मुग्धा एयरपोर्ट से ही बेटी मृणाल के साथ कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली गई थी और वह सालों से बंद पड़े अपने घर को फिर से अपने परिवार के रहने लायक बनाने के लिए यहां आ गया था. यहां आते ही नेत्रा की डायरी ने उस के शांत जीवन में अचानक विस्फोट कर दिया था.

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February 16, 2022 at 09:23AM

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