Tuesday 22 February 2022

धूमावती- भाग 1: हेमा अपने पति को क्यों छोड़ना चाहती थी

मुंबई के एक बैंक के अपने केबिन के अटैच बाथरूम से निकलते हुए ब्रांच मैनेजर 45 साल के प्रभास ने अपने फुल स्लीव सी ग्रीन कलर के हलके चेक शर्ट और ब्लैक जींस को थोड़ा एडजस्ट किया, बाथरूम के आईने में घूम कर एक बार और अपने चेहरे का मुआयना किया और बालों को करीना करते हुए अपनी कुरसी पर आ कर बैठे और तुरंत ही टेबल पर रखी घंटी बजाई.

नियमानुसार दरवाजे से पियोन के झांकते ही प्रभास ने उस से कहा, “हेमाजी को बुलाओ.”अभी दोपहर के डेढ़ बजने में एक घंटा बाकी ही था, इस बीच 10 बजे से 3 बार हेमा प्रभास के कमरे में आ चुकी थी. ये चौथी बार, और फिर डेढ़ बजे लंच भी साथ ही होने वाला था.

कुछ महीनों से हेमा अपने लंच बौक्स में प्रभास की पसंद का खाना भी लाती है.प्रभास को अपनी मूंछों की याद आ जाती है, और अपने औफिस टेबल के ड्रायर से छोटा सा आईना निकाल कर मूंछों को देखता है, कुछ दिन पहले किए रंग ठीक है, वह आश्वस्त होता है.

दरवाजे की ओर देखते ही हेमा अंदर आती है. 5 फुट 5 इंच की हेमा गोरी और खूबसूरत है, फिगर तो 36 की उम्र में 25 का है ही, 2 बच्चों की मां भी वह कहीं से नहीं लगती. हो भी क्यों न… जिंदगी में आजादी है, सुकून है, पैसे की खनखन है, जो चाहा सब है उस के पास… और एक पति भी. घर और बाहर का काम संभालने, बच्चों को पालने, हुक्म बजाने, उस की डांटडपट खा कर भी उस की सारी जरूरतों को पूरी करने के लिए एक शांतमिजाज आम सा दिखने वाला खास पति. खास ही हुआ न ऐसा पति, जो भारतीय समाज में अजूबा ही है.

प्रभास की आंखों की चमक देखते ही बनती थी इस वक्त. हेमा ने भी प्रभास की आंखों में छिड़े सुरताल को महसूस किया और आसानी से प्रभास की ओर बढ़ आई. हेमा चतुर और बेहद स्वार्थी स्त्री है. वह प्रभास जैसे शातिर और मतलबी बौस का पूरा उपयोग करना जानती है. “सर, फाइल रेडी कर के ले आई हूं.”

“इधर बताओ. अरे, सिर्फ फाइल दे रही हो?” प्रभास ने द्विअर्थी मुसकान के साथ हेमा की आंखों में देखा. वह मुसकराते हुए आगे बढ़ी, तो बगल में रखी कुरसी के हैंडल में झालर वाली उस की क्रौप टौप अटक गई, और पहले से ही नाभी का दिखता हिस्सा अब और प्रभास की आंखों को तड़पा गया. नीचे के हिस्से में बटम टाइट कैप्री जींस कमाल किए हुए थी ही.

हेमा ने झेंपने का अभिनय किया. वह प्रभास के पास अब तक आ चुकी थी. प्रभास 6 महीने से जिस जुगत में लगा था, आज अचानक ही हिम्मत की बलिहारी से वह कर गुजरा .एक झटके से उस ने हेमा को अपने ऊपर खींच लिया.

हेमा के अंदर क्या था, वह हेमा ही जानती है. जो दुनिया में सब से ज्यादा खुशी चाहता हो, सब से बढ़िया पाना चाहता हो, जो दूसरों के पाने का खुद के पाने से हर वक्त तुलना करता हो, वही जानता है. तरुण जैसा पति पा कर भी वह कितनी प्यासी है. प्रभास ने उठ कर दरवाजा लगा दिया. और वे दुनियादारी से विमुख हो कर खुद को दुनिया का सब से छला हुआ इनसान मान कर खुद की सुखतृप्ति में बेसुध हो गए.

बाहर की दुनिया अपने हिसाब से आगे बढ़ती है, और कई मामलों में लोग अपनी आंखें बंद कर लेते हैं, तो दुनिया को और तेजी से आगे बढ़ने में सुविधा होती है. लिहाजा, तेजतर्रार हेमा और शातिर दिमाग बैंक मैनेजर प्रभास की जाति जिंदगी में ताकाझांकी से स्टाफ दूर ही रहते थे, यद्यपि हेमा के पति तरुण को यहां के काफी स्टाफ पहचानते थे, लेकिन सब को अपने हिस्से का सुकून प्यारा है.

शाम को तरुण अपनी एक्टिवा में हेमा को लेने आ गया था. हेमा को टू व्हीलर चलाना आता था, लेकिन यह काम उसे लगता था कि वह क्यों करे, जब तरुण है. तरुण का बैंक हेमा की बैंक के पास की दूसरी गली में ही था. यह एक तरह से कौमर्स एंड बिजनेस इलाका ही था. दोनों की एक समय की छुट्टी थी, तो तरुण ही आ जाता था, और जिस दिन तरुण किसी काम से रुकता था, उसे एक्टिवा और चाबी पहुंचा कर फिर से औफिस चला जाता था, बाद में वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट से घर आ जाता था.

दुबलापतला मुश्किल से 5′-7” की हाइट का सामान्य सा दिखता तरुण हेमा से एक साल छोटा 35 साल का था. तरुण स्कूल का पढ़ाकू बालक लगता है. बहुत सीधा, सच्चा, विनम्र और वचन का पक्का. इसी वचन की जिम्मेदारी ने ही तो तरुण को हेमा के साथ बांधा और बांध रखा है. कालेज के वे स्नातक के दिन थे दोनों के. हेमा और तरुण दोनों के ही कौमर्स विषय थे.

यद्यपि दोनों के कालेज अलग थे, लेकिन उन में दिनोंदिन पहचान बढ़ रही थी. दरअसल, इस के पीछे वह कोचिंग सेंटर था, जहां तरुण पढ़ने आया करता.

निचली मंजिल पर कोचिंग सेंटर के हेड सर का घर था, जहां उन की 2 बेटी हेमा, रीमा और एक बेटे के साथ उन का परिवार रहता था. बाजू की सीढ़ी होते हुए ऊपर 2 और 3 मंजिलें पर मैथ, बायो और कौमर्स के कोचिंग सेंटर थे.

हेमा और तरुण दूसरी मंजिल पर आसपास के क्लास में होते थे, लेकिन वह यहां के हेड सर की बेटी होने और क्लास में एक साल सीनियर होने के कारण अकसर वैसे क्लास संभाल दिया करती, जहां कौमर्स का कोई फैकल्टी क्लास में उस दिन अनुपस्थित हो.

हेमा खूबसूरत तो थी ही, बोनस में लटकेझटके के साथ खिलखिलाती भी थी. कच्चा दिमाग तरुण यह नहीं समझ पाता कि हेमा जैसी चालाक लड़कियां दूसरों को अपनी ओर आकर्षित कर उन पर अपनी सुप्रीमेसी साबित करने के लिए अकसर ऐसे लटकेझटके लगाती हैं.

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मुंबई के एक बैंक के अपने केबिन के अटैच बाथरूम से निकलते हुए ब्रांच मैनेजर 45 साल के प्रभास ने अपने फुल स्लीव सी ग्रीन कलर के हलके चेक शर्ट और ब्लैक जींस को थोड़ा एडजस्ट किया, बाथरूम के आईने में घूम कर एक बार और अपने चेहरे का मुआयना किया और बालों को करीना करते हुए अपनी कुरसी पर आ कर बैठे और तुरंत ही टेबल पर रखी घंटी बजाई.

नियमानुसार दरवाजे से पियोन के झांकते ही प्रभास ने उस से कहा, “हेमाजी को बुलाओ.”अभी दोपहर के डेढ़ बजने में एक घंटा बाकी ही था, इस बीच 10 बजे से 3 बार हेमा प्रभास के कमरे में आ चुकी थी. ये चौथी बार, और फिर डेढ़ बजे लंच भी साथ ही होने वाला था.

कुछ महीनों से हेमा अपने लंच बौक्स में प्रभास की पसंद का खाना भी लाती है.प्रभास को अपनी मूंछों की याद आ जाती है, और अपने औफिस टेबल के ड्रायर से छोटा सा आईना निकाल कर मूंछों को देखता है, कुछ दिन पहले किए रंग ठीक है, वह आश्वस्त होता है.

दरवाजे की ओर देखते ही हेमा अंदर आती है. 5 फुट 5 इंच की हेमा गोरी और खूबसूरत है, फिगर तो 36 की उम्र में 25 का है ही, 2 बच्चों की मां भी वह कहीं से नहीं लगती. हो भी क्यों न… जिंदगी में आजादी है, सुकून है, पैसे की खनखन है, जो चाहा सब है उस के पास… और एक पति भी. घर और बाहर का काम संभालने, बच्चों को पालने, हुक्म बजाने, उस की डांटडपट खा कर भी उस की सारी जरूरतों को पूरी करने के लिए एक शांतमिजाज आम सा दिखने वाला खास पति. खास ही हुआ न ऐसा पति, जो भारतीय समाज में अजूबा ही है.

प्रभास की आंखों की चमक देखते ही बनती थी इस वक्त. हेमा ने भी प्रभास की आंखों में छिड़े सुरताल को महसूस किया और आसानी से प्रभास की ओर बढ़ आई. हेमा चतुर और बेहद स्वार्थी स्त्री है. वह प्रभास जैसे शातिर और मतलबी बौस का पूरा उपयोग करना जानती है. “सर, फाइल रेडी कर के ले आई हूं.”

“इधर बताओ. अरे, सिर्फ फाइल दे रही हो?” प्रभास ने द्विअर्थी मुसकान के साथ हेमा की आंखों में देखा. वह मुसकराते हुए आगे बढ़ी, तो बगल में रखी कुरसी के हैंडल में झालर वाली उस की क्रौप टौप अटक गई, और पहले से ही नाभी का दिखता हिस्सा अब और प्रभास की आंखों को तड़पा गया. नीचे के हिस्से में बटम टाइट कैप्री जींस कमाल किए हुए थी ही.

हेमा ने झेंपने का अभिनय किया. वह प्रभास के पास अब तक आ चुकी थी. प्रभास 6 महीने से जिस जुगत में लगा था, आज अचानक ही हिम्मत की बलिहारी से वह कर गुजरा .एक झटके से उस ने हेमा को अपने ऊपर खींच लिया.

हेमा के अंदर क्या था, वह हेमा ही जानती है. जो दुनिया में सब से ज्यादा खुशी चाहता हो, सब से बढ़िया पाना चाहता हो, जो दूसरों के पाने का खुद के पाने से हर वक्त तुलना करता हो, वही जानता है. तरुण जैसा पति पा कर भी वह कितनी प्यासी है. प्रभास ने उठ कर दरवाजा लगा दिया. और वे दुनियादारी से विमुख हो कर खुद को दुनिया का सब से छला हुआ इनसान मान कर खुद की सुखतृप्ति में बेसुध हो गए.

बाहर की दुनिया अपने हिसाब से आगे बढ़ती है, और कई मामलों में लोग अपनी आंखें बंद कर लेते हैं, तो दुनिया को और तेजी से आगे बढ़ने में सुविधा होती है. लिहाजा, तेजतर्रार हेमा और शातिर दिमाग बैंक मैनेजर प्रभास की जाति जिंदगी में ताकाझांकी से स्टाफ दूर ही रहते थे, यद्यपि हेमा के पति तरुण को यहां के काफी स्टाफ पहचानते थे, लेकिन सब को अपने हिस्से का सुकून प्यारा है.

शाम को तरुण अपनी एक्टिवा में हेमा को लेने आ गया था. हेमा को टू व्हीलर चलाना आता था, लेकिन यह काम उसे लगता था कि वह क्यों करे, जब तरुण है. तरुण का बैंक हेमा की बैंक के पास की दूसरी गली में ही था. यह एक तरह से कौमर्स एंड बिजनेस इलाका ही था. दोनों की एक समय की छुट्टी थी, तो तरुण ही आ जाता था, और जिस दिन तरुण किसी काम से रुकता था, उसे एक्टिवा और चाबी पहुंचा कर फिर से औफिस चला जाता था, बाद में वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट से घर आ जाता था.

दुबलापतला मुश्किल से 5′-7” की हाइट का सामान्य सा दिखता तरुण हेमा से एक साल छोटा 35 साल का था. तरुण स्कूल का पढ़ाकू बालक लगता है. बहुत सीधा, सच्चा, विनम्र और वचन का पक्का. इसी वचन की जिम्मेदारी ने ही तो तरुण को हेमा के साथ बांधा और बांध रखा है. कालेज के वे स्नातक के दिन थे दोनों के. हेमा और तरुण दोनों के ही कौमर्स विषय थे.

यद्यपि दोनों के कालेज अलग थे, लेकिन उन में दिनोंदिन पहचान बढ़ रही थी. दरअसल, इस के पीछे वह कोचिंग सेंटर था, जहां तरुण पढ़ने आया करता.

निचली मंजिल पर कोचिंग सेंटर के हेड सर का घर था, जहां उन की 2 बेटी हेमा, रीमा और एक बेटे के साथ उन का परिवार रहता था. बाजू की सीढ़ी होते हुए ऊपर 2 और 3 मंजिलें पर मैथ, बायो और कौमर्स के कोचिंग सेंटर थे.

हेमा और तरुण दूसरी मंजिल पर आसपास के क्लास में होते थे, लेकिन वह यहां के हेड सर की बेटी होने और क्लास में एक साल सीनियर होने के कारण अकसर वैसे क्लास संभाल दिया करती, जहां कौमर्स का कोई फैकल्टी क्लास में उस दिन अनुपस्थित हो.

हेमा खूबसूरत तो थी ही, बोनस में लटकेझटके के साथ खिलखिलाती भी थी. कच्चा दिमाग तरुण यह नहीं समझ पाता कि हेमा जैसी चालाक लड़कियां दूसरों को अपनी ओर आकर्षित कर उन पर अपनी सुप्रीमेसी साबित करने के लिए अकसर ऐसे लटकेझटके लगाती हैं.

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February 23, 2022 at 06:00AM

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