Wednesday 20 April 2022

राजनीति का DNA: भाग 2- चालबाज रूपमती की कहानी

रूपमती ने वापस जाते समय मन ही मन कहा, ‘मैं क्यों चिंता करूं. तुम मरो या वह मरे, मुझे क्या?

‘लेकिन हां, अवध को अचानक नहीं आना चाहिए था. उस के आने से मेरी मुश्किलें बढ़ गईं. सबकुछ ठीकठाक चल रहा था. सूरजभान को भी ध्यान रखना चाहिए था. इतनी जल्दबाजी ठीक नही. अब भुगतें दोनों.

‘मुझे तो दोनों चाहिए थे. मिल भी रहे थे, पर अब दोनों का आमनासामना हो गया है, तो कितना भी समझाओ, मानेंगे थोड़े ही.’

घर आने पर रूपमती ने अवध से कहा, ‘‘सूरजभान का कहना है कि मैं फोटो तुम्हारे पति को माफी मांग कर दूंगा. शराब के नशे में मुझ से गलती हो गई. इज्जत लूटने की कोशिश में कामयाब तो हुआ नहीं, सो चाहे वे जीजा बन कर माफ कर दें. मैं राखी बंधवाने को तैयार हूं. चाहे अपना छोटा भाई समझ कर भाई की पहली गलती को यह सोच कर माफ कर दें कि देवरभाभी के बीच मजाक चल रहा था.’’

अवध चुप रहा, तो रूपमती ने फिर कहा ‘‘देखोजी, वह बड़ा आदमी है. तुम उसे कुछ कर दोगे, तो तुम्हें जेल हो जाएगी. फिर तो पूरा गांव मुझ अकेली के साथ न जाने क्याक्या करेगा. फिर तुम क्या करोगे? माफ करना सब से बड़ा धर्म है. तुम कल मेरे साथ चलना. वह फोटो भी देगा और माफी भी मांगेगा. खत्म करो बात.’’

अवध छोटा किसान था. उस में इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि वह गांव के सरपंच के बेटे का कुछ नुकसान भी कर सके. पुलिस और कोर्टकचहरी के नाम से उस की जान सूखती थी. उस ने कहा, ‘‘ठीक है. अगर फोओ फोटो वापस कर के माफी मांग लेता है, तो हम उसे माफ कर देंगे. और हम कर भी क्या सकते हैं?’’

रूपमती अवध की तरफ से निश्चिंत हो गई. उस ने सूरजभान को भी समझा दिया था कि शांति से मामला हल हो जाए, इसी में तीनों की भलाई है. माफी मांग कर फोटो वापस कर देना.

रूपमती पति और प्रेमी को आमनेसामने कर के देखना चाहती थी कि क्या नतीजा होता है, अगर वे दोनों अपनी मर्दानगी के घमंड में एकदूसरे पर हमला करते हैं, तो उस के हिसाब से वह अपनी कहानी आगे बढ़ाने के लिए तैयार रखेगी. पति मरता है, तो कहानी यह होगी कि सूरजभान ने उस की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की. पति ने विरोध किया, तो सूरजभान ने उस की हत्या कर दी. बाद में भले ही वह सूरजभान से बड़ी रकम ले कर कोर्ट में उस का बचाव कर दे.

अगर प्रेमी मरता है, तो सच है कि सूरजभान ने उस के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की. पति ने पत्नी की इज्जत बचाने के लिए बलात्कारी की हत्या कर दी. अपनी तरफ से रूपमती ने सब ठीकठाक करने की, कोशिश की बाकी किस के दिल में क्या छिपा है, वह तो समय ही बताएगा.

रूपमती, अवध और सूरजभान आमनेसामने थे. सूरजभान ने माफी मांगते हुए फोटो लौटाई और कहा, ‘‘भैया, धन्य भाग्य आप के, जो आप को ऐसी चरित्रवान और पतिव्रता पत्नी मिलीं.’’

अवध ने भी कह दिया, ‘‘गलती सब से हो जाती है. तुम ने गलती मान ली. हम ने माफ किया.’’

रूपमती फोटो ले कर वापस आ गई. बिगड़ी बात संभल गई. मामला खत्म. रूपमती खुश हो गई. अब वह बहुत सावधानी से सूरजभान से मिलती थी.

वासना का दलदल आदमी को जब तक पूरा धंसा कर उस की जिंदगी खत्म न कर दे, तब तक उस दलदल को वह जीत का मैदान समझ कर खेलता रहता है. किसी की शराफत को वह अपनी चालाकी मान कर खुश होता है. ऐसा ही रूपमती ने भी समझा.

रूपमती और अवध अकेले रहते थे. रूपमती की एक ननद थी, जिस की शादी काफी दूर शहर में हो चुकी थी. उस के सासससुर बहुत पहले ही नहीं रहे थे. शादी के 8 साल बाद भी उस के कोई औलाद नहीं हुई. अवध मातापिता द्वारा छोड़ी खेतीबारी देखता था. इसी से उस की गुजरबसर चलती थी.

औलाद न होने का दोष तो औरत पर ही लगता है. रूपमती अपना इलाज करवा चुकी थी. डॉक्टरों ने उस में कोई कमी नहीं बताई थी. जब डाक्टर ने कहा कि अपने पति का भी चैकअप कराओ, तो अवध की मर्दानगी को ठेस पहुंची. उस का कहना था कि बच्चा न होना औरतों की कमी है. आदमी तो बीज डालता है. बीज में भी कहीं दोष होता है. औरत जमीन है. हां, जमीन बंजर हो सकती है.

अवध शराबी था और नशे की कोई हद नहीं होती जो हद पार कर दे उसी का नाम नशा है. वह रूपमती को बहुत चाहता था, लेकिन कभीकभी शराब के नशे में वह उसे बांझ कह देता और वंश चलाने के लिए दूसरी शादी की बात भी कर देता था.

रूपमती को यह बात बहुत बुरी लगती थी कि जिस में उस का दोष नहीं है, उस की सजा उसे क्यों मिले? फिर देहात की देहाती औरतों की सोच भी वही. जब रूपमती उन के आगे अपना दुखड़ा रोती, तो एक दिन एक औरत ने कह दिया कि वंशहीन होने से अवध की शराब की लत बढ़ती जा रही है. इस से पहले कि वह नशा कर के सब खेतीबारी बेच दे, अच्छा है कि औलाद के लिए तुम कोई सहारा खोजो. इसी खोज में वह सूरजभान से जुड़ गई. सूरजभान ने संबंध तो बना लिए, पर यह कह कर डरा भी दिया कि अगर बच्चा हमारे ऊपर गया, तो पूरे गांव में यह बात छिपी नहीं रहेगी.

सूरजभान गांव के जमीदार का बेटा था. उस के मातापिता के पास बहुत सारे खेत थे. सूरजभान शादीशुदा था. उस की पत्नी अनुपमा खूबसूरत थी. एक बच्चा भी था. सासससुर ने अपनी बड़ी हवेली में एक हिस्सा बेटे और बहू को अलग से दे रखा था.

सूरजभान का बेटा गांव के ही स्कूल में चौथी क्लास में पड़ता था. सूरजभान का एक नौकर था दारा. वह नौकर के साथसाथ उस का खास आदमी भी था. वह अखाड़े में कुश्ती लड़ता था. 6 फुट का नौकर दारा खेतीकिसानी से ले कर घरेलू कामकाज सब देखता था. उस का पूरा खर्च सूरजभान और उस का परिवार उठाता था.

सूरजभान के पिता ने हवेली के सब से बाहर का एक कमरा उसे दे रखा था, ताकि जब चाहे जरूरत पर घर के काम के लिए बुलाया जा सके बाहर काम के लिए भेजा जा सके या सूरजभान गांव में कहीं भी आताजाता, तो दारा को अपने साथ सिक्योरिटी गार्ड की तरह ले जाता.

बड़े आदमी का बेटा होने के चलते सूरजभान में कुछ बुराइयां भी थीं. मसलन, वह जुआ खेलता था, शराब पीता था. भले ही गांव में पानी भरने के लिए कोस जाना पड़े, लेकिन शराब की दुकान नजदीक थी.

सूरजभान ने दारा को यह काम भी सौंपा था कि अवध जब बाहर जाए, तो वह उस का पीछा करे. अवध के लौटने से पहले की सूचना भी दे, ताकि अगर वह रूपमती के साथ हो, तो संभल जाए. इस तरह दारा को भी रूपमती और सूरजभान के संबंधों की खबर थी.

एक दिन सूरजभान ने रूपमती से पूछा, ‘‘तुम्हारे पति को काबू में करने का कोई तो हल होगा?’’

‘‘है क्यों नहीं.’’

‘‘तो बताओ?’’

‘‘शराब.’’

2 नशेबाज जिगरी दोस्त से भी बढ़ कर होते हैं और शराब की लत लगने पर शराबी कुछ भी कर सकता है.

‘‘मिल गया हल,’’ सूरजभान ने खुश होते हुए कहा.

‘‘लेकिन, वह तुम्हारे साथ क्यों शराब लेगा?’’ रूपमती ने पूछा.

‘‘शराब की लत ऐसी है कि वह सब भूल कर न केवल मेरे साथ पी लेना, बल्कि अपने घर भी ला कर पिलाएगा, खासकर जब मैं उसे पिलाऊंगा और पिलाता ही रहूंगा.’’

रूपमती को भला क्या एतराज हो सकता था. अगर ऐसा कोई रास्ता निकलता है, तो उसे मंजूर है, जिस में पति ही उस के प्रेमी को घर लाए.

शराब की जिस दुकान पर अवध जाता था, उसी पर सूरजभान ने भी जाना शुरू कर दिया. पहलेपहले तो अवध ने उसे घूर कर देखा, कोई बात नहीं की. सूरजभान के नमस्ते करने पर अवध ने बेरुखी दिखाई, लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि अवध के पास पैसे नहीं थे. शराब की लत के चलते वह शराब की दुकान पर पहुंच गया. शराब की बोतल लेने के बाद उस ने कहा, ‘‘हमेशा आता हूं, आज उधार दे दो.’’

शराब बेचने वाले ने कहा, ‘‘यह सरकारी दुकान है. यहां उधार नहीं मिल सकता.’’

इस बात पर अवध बिगड़ गया, तभी सूरजभान ने आ कर कहा, ‘‘भैया को शराब के लिए मना मत किया करो. पैसे मैं दिए देता हूं.’’

‘‘लेकिन, तुम पैसे क्यों दोगे?’’ अवध ने पूछा.

‘‘भाई माना है. एक गांव के जो हैं,’’ सूरजभान ने कहा.

सूरजभान की भलमनसाहत और शराब देख कर अवध खुश हो कर सब भूल गया. सूरजभान ने रूपमती की खातिर अपनी जेब खोल दी. अब दोनों में दोस्ती बढ़ गई. दोनों शराब की दुकान पर मिलते, जम कर पीते और इस पिलाने में पैसा ज्यादा सूरजभान का ही रहता.

शराब की तलब मिटाने के चलते अवध पिछला सब भूल कर सूरजभान को अपना सचमुच का भाई मानने लगा. जब शराब का नशा इतना हो जाता कि अवध से चलते नहीं बनता, तो सूरजभान उसे घर छोड़ने जाने लगा.

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रूपमती ने वापस जाते समय मन ही मन कहा, ‘मैं क्यों चिंता करूं. तुम मरो या वह मरे, मुझे क्या?

‘लेकिन हां, अवध को अचानक नहीं आना चाहिए था. उस के आने से मेरी मुश्किलें बढ़ गईं. सबकुछ ठीकठाक चल रहा था. सूरजभान को भी ध्यान रखना चाहिए था. इतनी जल्दबाजी ठीक नही. अब भुगतें दोनों.

‘मुझे तो दोनों चाहिए थे. मिल भी रहे थे, पर अब दोनों का आमनासामना हो गया है, तो कितना भी समझाओ, मानेंगे थोड़े ही.’

घर आने पर रूपमती ने अवध से कहा, ‘‘सूरजभान का कहना है कि मैं फोटो तुम्हारे पति को माफी मांग कर दूंगा. शराब के नशे में मुझ से गलती हो गई. इज्जत लूटने की कोशिश में कामयाब तो हुआ नहीं, सो चाहे वे जीजा बन कर माफ कर दें. मैं राखी बंधवाने को तैयार हूं. चाहे अपना छोटा भाई समझ कर भाई की पहली गलती को यह सोच कर माफ कर दें कि देवरभाभी के बीच मजाक चल रहा था.’’

अवध चुप रहा, तो रूपमती ने फिर कहा ‘‘देखोजी, वह बड़ा आदमी है. तुम उसे कुछ कर दोगे, तो तुम्हें जेल हो जाएगी. फिर तो पूरा गांव मुझ अकेली के साथ न जाने क्याक्या करेगा. फिर तुम क्या करोगे? माफ करना सब से बड़ा धर्म है. तुम कल मेरे साथ चलना. वह फोटो भी देगा और माफी भी मांगेगा. खत्म करो बात.’’

अवध छोटा किसान था. उस में इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि वह गांव के सरपंच के बेटे का कुछ नुकसान भी कर सके. पुलिस और कोर्टकचहरी के नाम से उस की जान सूखती थी. उस ने कहा, ‘‘ठीक है. अगर फोओ फोटो वापस कर के माफी मांग लेता है, तो हम उसे माफ कर देंगे. और हम कर भी क्या सकते हैं?’’

रूपमती अवध की तरफ से निश्चिंत हो गई. उस ने सूरजभान को भी समझा दिया था कि शांति से मामला हल हो जाए, इसी में तीनों की भलाई है. माफी मांग कर फोटो वापस कर देना.

रूपमती पति और प्रेमी को आमनेसामने कर के देखना चाहती थी कि क्या नतीजा होता है, अगर वे दोनों अपनी मर्दानगी के घमंड में एकदूसरे पर हमला करते हैं, तो उस के हिसाब से वह अपनी कहानी आगे बढ़ाने के लिए तैयार रखेगी. पति मरता है, तो कहानी यह होगी कि सूरजभान ने उस की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की. पति ने विरोध किया, तो सूरजभान ने उस की हत्या कर दी. बाद में भले ही वह सूरजभान से बड़ी रकम ले कर कोर्ट में उस का बचाव कर दे.

अगर प्रेमी मरता है, तो सच है कि सूरजभान ने उस के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की. पति ने पत्नी की इज्जत बचाने के लिए बलात्कारी की हत्या कर दी. अपनी तरफ से रूपमती ने सब ठीकठाक करने की, कोशिश की बाकी किस के दिल में क्या छिपा है, वह तो समय ही बताएगा.

रूपमती, अवध और सूरजभान आमनेसामने थे. सूरजभान ने माफी मांगते हुए फोटो लौटाई और कहा, ‘‘भैया, धन्य भाग्य आप के, जो आप को ऐसी चरित्रवान और पतिव्रता पत्नी मिलीं.’’

अवध ने भी कह दिया, ‘‘गलती सब से हो जाती है. तुम ने गलती मान ली. हम ने माफ किया.’’

रूपमती फोटो ले कर वापस आ गई. बिगड़ी बात संभल गई. मामला खत्म. रूपमती खुश हो गई. अब वह बहुत सावधानी से सूरजभान से मिलती थी.

वासना का दलदल आदमी को जब तक पूरा धंसा कर उस की जिंदगी खत्म न कर दे, तब तक उस दलदल को वह जीत का मैदान समझ कर खेलता रहता है. किसी की शराफत को वह अपनी चालाकी मान कर खुश होता है. ऐसा ही रूपमती ने भी समझा.

रूपमती और अवध अकेले रहते थे. रूपमती की एक ननद थी, जिस की शादी काफी दूर शहर में हो चुकी थी. उस के सासससुर बहुत पहले ही नहीं रहे थे. शादी के 8 साल बाद भी उस के कोई औलाद नहीं हुई. अवध मातापिता द्वारा छोड़ी खेतीबारी देखता था. इसी से उस की गुजरबसर चलती थी.

औलाद न होने का दोष तो औरत पर ही लगता है. रूपमती अपना इलाज करवा चुकी थी. डॉक्टरों ने उस में कोई कमी नहीं बताई थी. जब डाक्टर ने कहा कि अपने पति का भी चैकअप कराओ, तो अवध की मर्दानगी को ठेस पहुंची. उस का कहना था कि बच्चा न होना औरतों की कमी है. आदमी तो बीज डालता है. बीज में भी कहीं दोष होता है. औरत जमीन है. हां, जमीन बंजर हो सकती है.

अवध शराबी था और नशे की कोई हद नहीं होती जो हद पार कर दे उसी का नाम नशा है. वह रूपमती को बहुत चाहता था, लेकिन कभीकभी शराब के नशे में वह उसे बांझ कह देता और वंश चलाने के लिए दूसरी शादी की बात भी कर देता था.

रूपमती को यह बात बहुत बुरी लगती थी कि जिस में उस का दोष नहीं है, उस की सजा उसे क्यों मिले? फिर देहात की देहाती औरतों की सोच भी वही. जब रूपमती उन के आगे अपना दुखड़ा रोती, तो एक दिन एक औरत ने कह दिया कि वंशहीन होने से अवध की शराब की लत बढ़ती जा रही है. इस से पहले कि वह नशा कर के सब खेतीबारी बेच दे, अच्छा है कि औलाद के लिए तुम कोई सहारा खोजो. इसी खोज में वह सूरजभान से जुड़ गई. सूरजभान ने संबंध तो बना लिए, पर यह कह कर डरा भी दिया कि अगर बच्चा हमारे ऊपर गया, तो पूरे गांव में यह बात छिपी नहीं रहेगी.

सूरजभान गांव के जमीदार का बेटा था. उस के मातापिता के पास बहुत सारे खेत थे. सूरजभान शादीशुदा था. उस की पत्नी अनुपमा खूबसूरत थी. एक बच्चा भी था. सासससुर ने अपनी बड़ी हवेली में एक हिस्सा बेटे और बहू को अलग से दे रखा था.

सूरजभान का बेटा गांव के ही स्कूल में चौथी क्लास में पड़ता था. सूरजभान का एक नौकर था दारा. वह नौकर के साथसाथ उस का खास आदमी भी था. वह अखाड़े में कुश्ती लड़ता था. 6 फुट का नौकर दारा खेतीकिसानी से ले कर घरेलू कामकाज सब देखता था. उस का पूरा खर्च सूरजभान और उस का परिवार उठाता था.

सूरजभान के पिता ने हवेली के सब से बाहर का एक कमरा उसे दे रखा था, ताकि जब चाहे जरूरत पर घर के काम के लिए बुलाया जा सके बाहर काम के लिए भेजा जा सके या सूरजभान गांव में कहीं भी आताजाता, तो दारा को अपने साथ सिक्योरिटी गार्ड की तरह ले जाता.

बड़े आदमी का बेटा होने के चलते सूरजभान में कुछ बुराइयां भी थीं. मसलन, वह जुआ खेलता था, शराब पीता था. भले ही गांव में पानी भरने के लिए कोस जाना पड़े, लेकिन शराब की दुकान नजदीक थी.

सूरजभान ने दारा को यह काम भी सौंपा था कि अवध जब बाहर जाए, तो वह उस का पीछा करे. अवध के लौटने से पहले की सूचना भी दे, ताकि अगर वह रूपमती के साथ हो, तो संभल जाए. इस तरह दारा को भी रूपमती और सूरजभान के संबंधों की खबर थी.

एक दिन सूरजभान ने रूपमती से पूछा, ‘‘तुम्हारे पति को काबू में करने का कोई तो हल होगा?’’

‘‘है क्यों नहीं.’’

‘‘तो बताओ?’’

‘‘शराब.’’

2 नशेबाज जिगरी दोस्त से भी बढ़ कर होते हैं और शराब की लत लगने पर शराबी कुछ भी कर सकता है.

‘‘मिल गया हल,’’ सूरजभान ने खुश होते हुए कहा.

‘‘लेकिन, वह तुम्हारे साथ क्यों शराब लेगा?’’ रूपमती ने पूछा.

‘‘शराब की लत ऐसी है कि वह सब भूल कर न केवल मेरे साथ पी लेना, बल्कि अपने घर भी ला कर पिलाएगा, खासकर जब मैं उसे पिलाऊंगा और पिलाता ही रहूंगा.’’

रूपमती को भला क्या एतराज हो सकता था. अगर ऐसा कोई रास्ता निकलता है, तो उसे मंजूर है, जिस में पति ही उस के प्रेमी को घर लाए.

शराब की जिस दुकान पर अवध जाता था, उसी पर सूरजभान ने भी जाना शुरू कर दिया. पहलेपहले तो अवध ने उसे घूर कर देखा, कोई बात नहीं की. सूरजभान के नमस्ते करने पर अवध ने बेरुखी दिखाई, लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि अवध के पास पैसे नहीं थे. शराब की लत के चलते वह शराब की दुकान पर पहुंच गया. शराब की बोतल लेने के बाद उस ने कहा, ‘‘हमेशा आता हूं, आज उधार दे दो.’’

शराब बेचने वाले ने कहा, ‘‘यह सरकारी दुकान है. यहां उधार नहीं मिल सकता.’’

इस बात पर अवध बिगड़ गया, तभी सूरजभान ने आ कर कहा, ‘‘भैया को शराब के लिए मना मत किया करो. पैसे मैं दिए देता हूं.’’

‘‘लेकिन, तुम पैसे क्यों दोगे?’’ अवध ने पूछा.

‘‘भाई माना है. एक गांव के जो हैं,’’ सूरजभान ने कहा.

सूरजभान की भलमनसाहत और शराब देख कर अवध खुश हो कर सब भूल गया. सूरजभान ने रूपमती की खातिर अपनी जेब खोल दी. अब दोनों में दोस्ती बढ़ गई. दोनों शराब की दुकान पर मिलते, जम कर पीते और इस पिलाने में पैसा ज्यादा सूरजभान का ही रहता.

शराब की तलब मिटाने के चलते अवध पिछला सब भूल कर सूरजभान को अपना सचमुच का भाई मानने लगा. जब शराब का नशा इतना हो जाता कि अवध से चलते नहीं बनता, तो सूरजभान उसे घर छोड़ने जाने लगा.

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April 21, 2022 at 09:00AM

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