Sunday 27 December 2020

राज-भाग 3 : रचना और रेखा की दोस्ती से किसको परेशानी होने लगी थी

राधिका ने रचना को डपटा, ‘‘अनिल को क्यों ले गई थी?’’

‘‘मां, मानसी की बीमारी का पता लगाने के लिए भैया का डीएनए टैस्ट होना था,’’ कह कर रचना किचन में चली गई. रचना ने थोड़ी देर बाद देखा राधिका और सीता की आवाजें मानसी के कमरे से आ रही थीं. सीता जब भी आती थीं, मानसी के कमरे में ही सोती थीं. रचना दरवाजे तक जा कर रुक गई. सीता कह रही थीं, ‘‘अब पोल खुलने वाली है. रिपोर्ट में सच सामने आ जाएगा. बड़े आए हर समय भाभीभाभी की रट लगाने वाले, आंखें खुलेंगी अब, कब से सब कह रहे हैं पति को संभाल कर रखे. निखिल पिता की तरह ही तो डटा है अस्पताल में.’’ राधिका ने भी हां में हां मिलाई, ‘‘मुझे भी देखना है अब रेखा का क्या होगा. निखिल मेरी भी इतनी नहीं सुनता है जितनी रेखा की सुनता है. इसी बात पर गुस्सा आता रहता है मुझे तो. जब से रेखा आई है, निखिल ने मेरी सुनना ही बंद कर दिया है.’’ बाहर खड़ी रचना का खून खौल उठा. घर की बच्ची की तबीयत खराब है और ये दोनों इस समय भी इतनी घटिया बातें कर रही हैं. अगले दिन मानसी की सब रिपोर्ट्स आ गई थीं. सब सामान्य था. बस, उस का बीपी लो हो गया था.

डाक्टर ने मानसी की अस्वस्थता का कारण पढ़ाई का दबाव ही बताया था. शाम तक डिस्चार्ज होना था, निखिल और रेखा अस्पताल में ही रुके. रचना घर पहुंची तो सीता ने झूठी चिंता दिखाते हुए कहा, ‘‘सब ठीक है न? वह जो डीएनए टैस्ट होता है उस में क्या निकला?’’ यह पूछतेपूछते भी सीता की आंखों में मक्कारी दिखाई दे रही थी. रचना ने आसपास देखा. उमेश कुछ सामान लेने बाजार गए हुए थे. अनिल अपने रूम में थे. रचना ने बहुत ही गंभीर स्वर में बात शुरू की, ‘‘मां, मौसी, मैं थक गई हूं आप दोनों की झूठी बातों से, तानों से. मां, आप कैसे निखिल और भाभी के बारे में गलत बातें कर सकती हैं? आप दोनों हैरान होती हैं न कि मुझ पर आप की किसी बात का असर क्यों नहीं होता? वह इसलिए कि विवाह की पहली रात को ही निखिल ने मुझे बता दिया था कि वे हर हालत में भाभी और मानसी की देखभाल करते हैं और हमेशा करेंगे. उन्होंने मुझे सब बताया था कि आप ने जानबूझ कर अपने मानसिक रूप से अस्वस्थ बेटे का विवाह एक अनाथ, गरीब लड़की से करवाया जिस से वह आजीवन आप के रौब में दबी रहे. निखिल ने आप को किसी लड़की का जीवन बरबाद न करने की सलाह भी दी थी, पर आप तो पंडितों की सलाहों के चक्कर में पड़ी थीं कि यह ग्रहों का प्रकोप है जो विवाह बाद दूर हो जाएगा.

‘‘आप की इस हरकत पर निखिल हमेशा शर्मिंदा और दुखी रहे. भाभी का जीवन आप ने बरबाद किया है. निखिल अपनी देखरेख और स्नेह से आप की इस गलती की भरपाई ही करने की कोशिश  करते रहते हैं. वे ही नहीं, मैं भी भाभी की हर परेशानी में उन का साथ दूंगी और रिपोर्ट से पता चल गया है कि अनिल ही मानसी के पिता हैं. मौसी, आप की बस इसी रिपोर्ट में रुचि थी न? आगे से कभी आप मुझ से ऐसी बातें मत करना वरना मैं और निखिल भाभी को ले कर अलग हो जाएंगे. और इस अच्छेभले घर को तोड़ने की जिम्मेदार आप दोनों ही होगी. हमें शांति से स्नेह और सम्मान के साथ एकदूसरे के साथ रहने दें तो अच्छा रहेगा,’’ कह कर रचना अपने बैडरूम में चली गई. यश उस की गोद में ही सो चुका था. उसे बिस्तर पर लिटा कर वह खुद भी लेट गई. आज उसे राहत महसूस हो रही थी. उस ने अपने मन में ठान लिया था कि वह दोनों को सीधा कर के ही रहेगी. उन के रोजरोज के व्यंग्यों से वह थक गई थी और डीएनए टैस्ट तो हुआ भी नहीं था. उसे इन दोनों का मुंह बंद करना था, इसलिए वह अनिल को यों ही अस्पताल ले गई थी. उसे इस बात को हमेशा के लिए खत्म करना था. वह कान की कच्ची बन कर निखिल पर अविश्वास नहीं कर सकती थी. हर परिस्थिति में अपना धैर्य, संयम रख कर हर मुश्किल से निबटना आता था उसे. लेटेलेटे उसे राधिका की आवाज सुनाई दी, ‘‘अरे, तुम कहां चली, सीता?’’

‘‘कहीं नहीं, दीदी, जरा घर का एक चक्कर काट लूं. फिर आऊंगी और आज तो तुम्हारी बहू की निश्ंिचतता का राज भी पता चल गया. एक बेटा तुम्हारा बीमार है, दूसरा कुछ ज्यादा ही समझदार है, पहले दिन से ही सबकुछ बता रखा है बीवी को.’’ कहती हुई सीता के पैर पटकने की आवाज रचना को अपने कमरे में भी सुनाई दी तो उसे हंसी आ गई. पूरे प्रकरण की जानकारी देने के लिए उस ने मुसकराते हुए निखिल को फोन मिला दिया था.

 

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राधिका ने रचना को डपटा, ‘‘अनिल को क्यों ले गई थी?’’

‘‘मां, मानसी की बीमारी का पता लगाने के लिए भैया का डीएनए टैस्ट होना था,’’ कह कर रचना किचन में चली गई. रचना ने थोड़ी देर बाद देखा राधिका और सीता की आवाजें मानसी के कमरे से आ रही थीं. सीता जब भी आती थीं, मानसी के कमरे में ही सोती थीं. रचना दरवाजे तक जा कर रुक गई. सीता कह रही थीं, ‘‘अब पोल खुलने वाली है. रिपोर्ट में सच सामने आ जाएगा. बड़े आए हर समय भाभीभाभी की रट लगाने वाले, आंखें खुलेंगी अब, कब से सब कह रहे हैं पति को संभाल कर रखे. निखिल पिता की तरह ही तो डटा है अस्पताल में.’’ राधिका ने भी हां में हां मिलाई, ‘‘मुझे भी देखना है अब रेखा का क्या होगा. निखिल मेरी भी इतनी नहीं सुनता है जितनी रेखा की सुनता है. इसी बात पर गुस्सा आता रहता है मुझे तो. जब से रेखा आई है, निखिल ने मेरी सुनना ही बंद कर दिया है.’’ बाहर खड़ी रचना का खून खौल उठा. घर की बच्ची की तबीयत खराब है और ये दोनों इस समय भी इतनी घटिया बातें कर रही हैं. अगले दिन मानसी की सब रिपोर्ट्स आ गई थीं. सब सामान्य था. बस, उस का बीपी लो हो गया था.

डाक्टर ने मानसी की अस्वस्थता का कारण पढ़ाई का दबाव ही बताया था. शाम तक डिस्चार्ज होना था, निखिल और रेखा अस्पताल में ही रुके. रचना घर पहुंची तो सीता ने झूठी चिंता दिखाते हुए कहा, ‘‘सब ठीक है न? वह जो डीएनए टैस्ट होता है उस में क्या निकला?’’ यह पूछतेपूछते भी सीता की आंखों में मक्कारी दिखाई दे रही थी. रचना ने आसपास देखा. उमेश कुछ सामान लेने बाजार गए हुए थे. अनिल अपने रूम में थे. रचना ने बहुत ही गंभीर स्वर में बात शुरू की, ‘‘मां, मौसी, मैं थक गई हूं आप दोनों की झूठी बातों से, तानों से. मां, आप कैसे निखिल और भाभी के बारे में गलत बातें कर सकती हैं? आप दोनों हैरान होती हैं न कि मुझ पर आप की किसी बात का असर क्यों नहीं होता? वह इसलिए कि विवाह की पहली रात को ही निखिल ने मुझे बता दिया था कि वे हर हालत में भाभी और मानसी की देखभाल करते हैं और हमेशा करेंगे. उन्होंने मुझे सब बताया था कि आप ने जानबूझ कर अपने मानसिक रूप से अस्वस्थ बेटे का विवाह एक अनाथ, गरीब लड़की से करवाया जिस से वह आजीवन आप के रौब में दबी रहे. निखिल ने आप को किसी लड़की का जीवन बरबाद न करने की सलाह भी दी थी, पर आप तो पंडितों की सलाहों के चक्कर में पड़ी थीं कि यह ग्रहों का प्रकोप है जो विवाह बाद दूर हो जाएगा.

‘‘आप की इस हरकत पर निखिल हमेशा शर्मिंदा और दुखी रहे. भाभी का जीवन आप ने बरबाद किया है. निखिल अपनी देखरेख और स्नेह से आप की इस गलती की भरपाई ही करने की कोशिश  करते रहते हैं. वे ही नहीं, मैं भी भाभी की हर परेशानी में उन का साथ दूंगी और रिपोर्ट से पता चल गया है कि अनिल ही मानसी के पिता हैं. मौसी, आप की बस इसी रिपोर्ट में रुचि थी न? आगे से कभी आप मुझ से ऐसी बातें मत करना वरना मैं और निखिल भाभी को ले कर अलग हो जाएंगे. और इस अच्छेभले घर को तोड़ने की जिम्मेदार आप दोनों ही होगी. हमें शांति से स्नेह और सम्मान के साथ एकदूसरे के साथ रहने दें तो अच्छा रहेगा,’’ कह कर रचना अपने बैडरूम में चली गई. यश उस की गोद में ही सो चुका था. उसे बिस्तर पर लिटा कर वह खुद भी लेट गई. आज उसे राहत महसूस हो रही थी. उस ने अपने मन में ठान लिया था कि वह दोनों को सीधा कर के ही रहेगी. उन के रोजरोज के व्यंग्यों से वह थक गई थी और डीएनए टैस्ट तो हुआ भी नहीं था. उसे इन दोनों का मुंह बंद करना था, इसलिए वह अनिल को यों ही अस्पताल ले गई थी. उसे इस बात को हमेशा के लिए खत्म करना था. वह कान की कच्ची बन कर निखिल पर अविश्वास नहीं कर सकती थी. हर परिस्थिति में अपना धैर्य, संयम रख कर हर मुश्किल से निबटना आता था उसे. लेटेलेटे उसे राधिका की आवाज सुनाई दी, ‘‘अरे, तुम कहां चली, सीता?’’

‘‘कहीं नहीं, दीदी, जरा घर का एक चक्कर काट लूं. फिर आऊंगी और आज तो तुम्हारी बहू की निश्ंिचतता का राज भी पता चल गया. एक बेटा तुम्हारा बीमार है, दूसरा कुछ ज्यादा ही समझदार है, पहले दिन से ही सबकुछ बता रखा है बीवी को.’’ कहती हुई सीता के पैर पटकने की आवाज रचना को अपने कमरे में भी सुनाई दी तो उसे हंसी आ गई. पूरे प्रकरण की जानकारी देने के लिए उस ने मुसकराते हुए निखिल को फोन मिला दिया था.

 

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December 28, 2020 at 10:00AM

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