Friday 26 February 2021

बर्फ का तूफान-भाग 2 : फ्लाइट में बैठे सभी यात्री अचानक क्यों डर गए

इस पर नई एअरहोस्टेस सकपका कर सब को देखने लगी, ‘‘इस में हंसने की क्या बात थी.’’

‘‘एअर रूट और समुद्र का रूट कभी जानापहचाना नहीं हो पाता. जरा विचार करो,’’ कैप्टन अक्षय चौहान ने कहा.

नई एअरहोस्टेस अनामिका इस पर सोचने लगी. सड़क मार्ग तो जानापहचाना हो सकता था मगर क्या हवाई मार्ग कभी जानापहचाना हो सकता था? उस ने सामने लगे बड़ेबड़े शीशों से बाहर देखा.

ऊपर काला आसमान था, नीचे चमकता समुद्र या बर्फ से ढकी ऊंचीनीची पहाडि़यां. इस तरह का समुद्री मार्ग भी कभी जानापहचाना हो सकता है?

फिर वह अपने भोलेपन पर हंस पड़ी. सभी फिर हंस पड़े. क्रू की नई साथी सब को पसंद आई.

‘‘लो, अब ऊंचाऊंचा आल्प्स पर्वत हमारे नीचे आ रहा है,’’ कैप्टन ने इशारा करते हुए कहा.

सब ने बाहर देखा. दूध जैसी बर्फ से ढका पर्वत समूह उन के नीचे से गुजर रहा था.

तभी एक घरघराहट की आवाज हुई. कैप्टन ने चौंक कर डैश बोर्ड पर देखा. दोहरे इंजन पर आधारित हवाई जहाज का एक इंजन किसी तकनीकी खराबी से बंद हो गया था. दूसरा इंजन समवेत चालू हो चुका था.

तभी हलकेहलके हिचकोले ले हवाई जहाज डोलने लगा.

‘‘लगता है दूसरा इंजन भी खराब हो रहा है,’’ कैप्टन ने चिंतातुर स्वर में कहा.

सब के चेहरे पर भय छा गया. अब क्या होगा? क्या प्लेन क्रैश हो जाएगा? और सब…

अभी सभी हंसतेहंसते बातें कर रहे थे. और अब सब के मस्तिष्क पर मौत का भय छा गया था.

कैप्टन डैश बोर्ड पर झुका, कभी यह स्विच, कभी दूसरा बटन दबा रहा था. हवाई जहाज का कंट्रोल पैनल कंप्यूटर औपरेटेड था, एक तरह से स्वचालित था.

खतरे में आते ही कंप्यूटर ने नजदीकी हवाई अड्डे के कंट्रोल टावर को आपात संदेश भेज दिया. चंद क्षणों बाद कैप्टन के कानों में लगे इयर प्लग में कंट्रोल टावर के आपात स्थिति नियामक की आवाज गूंजी :

‘‘हैलो, आप इस समय फ्रांस के ऊपर हैं. क्या इमरजैंसी है?’’

‘‘एक इंजन फेल हो गया है, दूसरा भी खराब होता दिख रहा है.’’

‘‘इमरजैंसी लैंडिंग की कोशिश करें.’’

तभी हवाई जहाज हिचकोले खाने लगा. उस की ऊंचाई घटने लगी. सब के चेहरे पर भय छा गया.

‘‘पैराशूट बांध कर कूद जाएं,’’ पायलट रंजन मेहरा ने कहा.

इस से आगे अभी कोई कुछ बोलता, हवाई जहाज एकदम नीचे को झुका और फिर एक जोरदार धमाका हुआ.

कैप्टन अक्षय चौहान की आंखें खुलीं. उस ने आंखें मिचमिचा कर देखा. उस का सारा शरीर बर्फ से ढका था. हाथपैर बर्फ में दबे थे.

चमकते सूरज की तीखी किरणें उस की आंखों को चुभ रही थीं. उस ने हाथपैर हिलाने की कोशिश की. हलकीहलकी हलचल हुई. कई टन बर्फ मानो उस के ऊपर थी. धीरेधीरे उस की एक बांह थोड़ी सरकी, फिर दूसरी.

थोड़ी कोशिश से उस की एक बांह बर्फ के शिकंजे से आजाद हुई, फिर दूसरी. फिर उस ने धीरेधीरे बर्फ हटाते हुए सारा शरीर मुक्त कर लिया. मगर उठ कर बैठने की ताकत कहां थी?

रूई के नर्म फाहों के समान हलकीहलकी बर्फबारी लगातार हो रही थी. अगर वह उठ कर खड़ा नहीं हुआ तो दोबारा उस का शरीर बर्फ में दब जाएगा और उस की जिंदा समाधि बन जाएगी.

मौत के सामने आने की कल्पना ने उस को उत्तेजित कर दिया. उस ने पहले दोनों बांहें झटकीं, फिर टांगें और उचक कर बैठ गया.

तीखी धूप में बर्फ शीशे के समान चमक रही थी. उस ने सामने देखा, फिर इधरउधर नजर फिराई. हर तरफ बर्फ की चादर सी बिछी थी.

उस ने उठ कर खड़ा होना चाहा. दर्द से उस की चीख निकल गई. उस के पैर एकदम सुन्न थे. पता नहीं कितने अरसे से बर्फ में दबा रहा था. उस ने टांगें सीधी कर फैला दीं और पहले एक टांग पर अपनी दोनों हथेलियां रगड़नी शुरू कीं, फिर दूसरी टांग भी रगड़ी.

रक्त संचार होते दर्द दूर होने लगा. वह उठ खड़ा हुआ. पहले लड़खड़ा रहा था, फिर संभला, फिर चलने लगा. उस के पांव बर्फ में धंसते गए. एक पैर को उठा कर आगे रखना ऐसा था मानो रूई के बड़ेबड़े ढेर से गुजरना. कहींकहीं बर्फ काफी सख्त थी. बर्फ पर पड़ती सूर्य की किरणें परावर्तित हो कर उस की आंखों से टकरातीं.

उस की आंखें चुंधियाईं. उस ने अपनी जेब टटोली. मोबाइल फोन हाथ से टकराया. सुन्न पड़ी हाथ की उंगलियों ने किसी तरह फोन को पकड़ा. फोन निकाला तो डैड था. बर्फ में घंटों दबा होने से जाम हो गया था.

वह आगे चला. एक तरफ एक हाथ की उंगलियां बर्फ में दबी थीं. उस ने बढ़ कर उस पर से बर्फ हटाई. पूरी बांह बाहर आई, फिर पूरा शरीर.

चेहरा बर्फ से दबा था. बर्फ हटाते ही एअरहोस्टेस रीना का चेहरा सामने आया. उस की नाक के समीप अपना चेहरा ले गया. हलकीहलकी सांसें उस के चेहरे से टकराईं. वह जिंदा थी. उत्साह से भर उठा. दोनों हथेलियों से उस का चेहरा, गला, माथा सब रगड़ने लगा, फिर उस की बगलों में हाथ डाल कर उस की पीठ, वक्षस्थल, टांगें, बांहें सब रगड़ीं.

शरीर में रक्त प्रवाह तेज होते ही सांस भी जोर से चलने लगी. अभी भी वह आधी बेहोशी में थी. धीरेधीरे सांस की गति तेज होने लगी. कैप्टन ने उस के कानों से होंठ सटा धीमे से पुकारा, ‘‘रीना, रीना.’’

उस की पलकें फड़फड़ाईं. आंखें धीरे से खुलीं, फिर बंद हो गईं, फिर खुलीं. कैप्टन को देखते ही उस के होंठ थरथराए. बांहों के घेरे में ले कैप्टन ने उस को उठा कर बिठा दिया.

हलके हाथों से उस का शरीर मसलने लगा. रक्त प्रवाह सामान्य होते ही उस के चेहरे पर जान लौटने लगी.

‘‘हम कहां हैं?’’ क्षीण स्वर में उस ने पूछा.

 

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‘‘एअर रूट और समुद्र का रूट कभी जानापहचाना नहीं हो पाता. जरा विचार करो,’’ कैप्टन अक्षय चौहान ने कहा.

नई एअरहोस्टेस अनामिका इस पर सोचने लगी. सड़क मार्ग तो जानापहचाना हो सकता था मगर क्या हवाई मार्ग कभी जानापहचाना हो सकता था? उस ने सामने लगे बड़ेबड़े शीशों से बाहर देखा.

ऊपर काला आसमान था, नीचे चमकता समुद्र या बर्फ से ढकी ऊंचीनीची पहाडि़यां. इस तरह का समुद्री मार्ग भी कभी जानापहचाना हो सकता है?

फिर वह अपने भोलेपन पर हंस पड़ी. सभी फिर हंस पड़े. क्रू की नई साथी सब को पसंद आई.

‘‘लो, अब ऊंचाऊंचा आल्प्स पर्वत हमारे नीचे आ रहा है,’’ कैप्टन ने इशारा करते हुए कहा.

सब ने बाहर देखा. दूध जैसी बर्फ से ढका पर्वत समूह उन के नीचे से गुजर रहा था.

तभी एक घरघराहट की आवाज हुई. कैप्टन ने चौंक कर डैश बोर्ड पर देखा. दोहरे इंजन पर आधारित हवाई जहाज का एक इंजन किसी तकनीकी खराबी से बंद हो गया था. दूसरा इंजन समवेत चालू हो चुका था.

तभी हलकेहलके हिचकोले ले हवाई जहाज डोलने लगा.

‘‘लगता है दूसरा इंजन भी खराब हो रहा है,’’ कैप्टन ने चिंतातुर स्वर में कहा.

सब के चेहरे पर भय छा गया. अब क्या होगा? क्या प्लेन क्रैश हो जाएगा? और सब…

अभी सभी हंसतेहंसते बातें कर रहे थे. और अब सब के मस्तिष्क पर मौत का भय छा गया था.

कैप्टन डैश बोर्ड पर झुका, कभी यह स्विच, कभी दूसरा बटन दबा रहा था. हवाई जहाज का कंट्रोल पैनल कंप्यूटर औपरेटेड था, एक तरह से स्वचालित था.

खतरे में आते ही कंप्यूटर ने नजदीकी हवाई अड्डे के कंट्रोल टावर को आपात संदेश भेज दिया. चंद क्षणों बाद कैप्टन के कानों में लगे इयर प्लग में कंट्रोल टावर के आपात स्थिति नियामक की आवाज गूंजी :

‘‘हैलो, आप इस समय फ्रांस के ऊपर हैं. क्या इमरजैंसी है?’’

‘‘एक इंजन फेल हो गया है, दूसरा भी खराब होता दिख रहा है.’’

‘‘इमरजैंसी लैंडिंग की कोशिश करें.’’

तभी हवाई जहाज हिचकोले खाने लगा. उस की ऊंचाई घटने लगी. सब के चेहरे पर भय छा गया.

‘‘पैराशूट बांध कर कूद जाएं,’’ पायलट रंजन मेहरा ने कहा.

इस से आगे अभी कोई कुछ बोलता, हवाई जहाज एकदम नीचे को झुका और फिर एक जोरदार धमाका हुआ.

कैप्टन अक्षय चौहान की आंखें खुलीं. उस ने आंखें मिचमिचा कर देखा. उस का सारा शरीर बर्फ से ढका था. हाथपैर बर्फ में दबे थे.

चमकते सूरज की तीखी किरणें उस की आंखों को चुभ रही थीं. उस ने हाथपैर हिलाने की कोशिश की. हलकीहलकी हलचल हुई. कई टन बर्फ मानो उस के ऊपर थी. धीरेधीरे उस की एक बांह थोड़ी सरकी, फिर दूसरी.

थोड़ी कोशिश से उस की एक बांह बर्फ के शिकंजे से आजाद हुई, फिर दूसरी. फिर उस ने धीरेधीरे बर्फ हटाते हुए सारा शरीर मुक्त कर लिया. मगर उठ कर बैठने की ताकत कहां थी?

रूई के नर्म फाहों के समान हलकीहलकी बर्फबारी लगातार हो रही थी. अगर वह उठ कर खड़ा नहीं हुआ तो दोबारा उस का शरीर बर्फ में दब जाएगा और उस की जिंदा समाधि बन जाएगी.

मौत के सामने आने की कल्पना ने उस को उत्तेजित कर दिया. उस ने पहले दोनों बांहें झटकीं, फिर टांगें और उचक कर बैठ गया.

तीखी धूप में बर्फ शीशे के समान चमक रही थी. उस ने सामने देखा, फिर इधरउधर नजर फिराई. हर तरफ बर्फ की चादर सी बिछी थी.

उस ने उठ कर खड़ा होना चाहा. दर्द से उस की चीख निकल गई. उस के पैर एकदम सुन्न थे. पता नहीं कितने अरसे से बर्फ में दबा रहा था. उस ने टांगें सीधी कर फैला दीं और पहले एक टांग पर अपनी दोनों हथेलियां रगड़नी शुरू कीं, फिर दूसरी टांग भी रगड़ी.

रक्त संचार होते दर्द दूर होने लगा. वह उठ खड़ा हुआ. पहले लड़खड़ा रहा था, फिर संभला, फिर चलने लगा. उस के पांव बर्फ में धंसते गए. एक पैर को उठा कर आगे रखना ऐसा था मानो रूई के बड़ेबड़े ढेर से गुजरना. कहींकहीं बर्फ काफी सख्त थी. बर्फ पर पड़ती सूर्य की किरणें परावर्तित हो कर उस की आंखों से टकरातीं.

उस की आंखें चुंधियाईं. उस ने अपनी जेब टटोली. मोबाइल फोन हाथ से टकराया. सुन्न पड़ी हाथ की उंगलियों ने किसी तरह फोन को पकड़ा. फोन निकाला तो डैड था. बर्फ में घंटों दबा होने से जाम हो गया था.

वह आगे चला. एक तरफ एक हाथ की उंगलियां बर्फ में दबी थीं. उस ने बढ़ कर उस पर से बर्फ हटाई. पूरी बांह बाहर आई, फिर पूरा शरीर.

चेहरा बर्फ से दबा था. बर्फ हटाते ही एअरहोस्टेस रीना का चेहरा सामने आया. उस की नाक के समीप अपना चेहरा ले गया. हलकीहलकी सांसें उस के चेहरे से टकराईं. वह जिंदा थी. उत्साह से भर उठा. दोनों हथेलियों से उस का चेहरा, गला, माथा सब रगड़ने लगा, फिर उस की बगलों में हाथ डाल कर उस की पीठ, वक्षस्थल, टांगें, बांहें सब रगड़ीं.

शरीर में रक्त प्रवाह तेज होते ही सांस भी जोर से चलने लगी. अभी भी वह आधी बेहोशी में थी. धीरेधीरे सांस की गति तेज होने लगी. कैप्टन ने उस के कानों से होंठ सटा धीमे से पुकारा, ‘‘रीना, रीना.’’

उस की पलकें फड़फड़ाईं. आंखें धीरे से खुलीं, फिर बंद हो गईं, फिर खुलीं. कैप्टन को देखते ही उस के होंठ थरथराए. बांहों के घेरे में ले कैप्टन ने उस को उठा कर बिठा दिया.

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February 27, 2021 at 10:00AM

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