Monday, 24 February 2020

दुर्घटना पर्यटन: भाग-4

कन्हैयालाल से उस ने शानदार अमेरिकन ऐक्सैंट वाली अंगरेजी में पूछा कि क्या कार के मालिक आप ही हैं. हिंदी समाचार चैनल वाला ऐसी अंगरेजी क्यों झाड़ रहा था, यह कुतूहल मन में दबाए हुए कन्हैयालाल ने हामी भरी तो उस ने उन को समझाया कि चैनल की जो मशहूर ऐंकर उन का इंटरव्यू लेगी उस से बात करते हुए चैनल पर दिखाए जाने के लिए बड़ीबड़ी राजनीतिक पार्टियों के नेता दसियों हजार रुपए खर्चने को तैयार रहते हैं.

कन्हैयालाल कच्ची गोलियां नहीं खेले थे. उन्होंने वापस उसे समझाया कि राजनीतिक नेताओं के लिए तो यह सब रोज का खेल है पर उन के जीवन में तो ऐसा मौका एक ही बार आया था जिसे वे मुफ्त में नहीं गंवाएंगे. नीली जींस वाले ने तंग आ कर हथियार डाल दिए और कन्हैयालाल से कहा कि वे कैमरे के सामने आने के लिए अपने मुख पर मेकअप वाले से थोड़ा टचअप करवा लें कि तभी कन्हैयालाल के मन में आया कि टीवी चैनल पर इंटरव्यू देने से पहले अपने वकील पड़ोसी से बात कर लें तो अच्छा रहेगा. पर जब उन्होेंने मोबाइल पर नंबर लगा कर सलाह मांगी तो वकील साहब ने बहुत कड़क आवाज में उन को ऐसा करने से सख्त मना किया.

वकील साहब ने उन्हें बताया कि जिस इंटरव्यू को देने के लिए और कार को टीवी स्क्रीन पर दिखाने का वे कुल 10 और 10 अर्थात 20 हजार मांग रहे थे उसी इंटरव्यू को न देने के लिए, अगर दे दिया हो तो प्रसारित होने से रोकने के लिए, कार बनाने वाली कंपनी शायद कई लाख रुपए देने के लिए तैयार हो जाए. कन्हैयालाल ने कहा कि वे टीवी वालों से सौदा तय कर चुके हैं, बात से मुकरना कैसे संभव होगा तो वकील साहब ने सुझाया कि अभी तक उन्होंने केवल कार की दशा कैमरे में कैद करने और उन का इंटरव्यू करने का मोल मांगा था, इस का यह अर्थ नहीं था कि वे उसे प्रसारित भी कर सकते हैं. उस का प्रसारण करने के लिए वे 5 लाख और मांगें.

इस बीच, वकील साहब कार बनाने वालों से संपर्क साधेंगे और उन से इस इंटरव्यू आदि के प्रसारण को रोकने के लिए 10 लाख और मांगेंगे. यदि वे मान गए तो कन्हैयालाल चैनल वालों के साथ हुए सौदे से मुकर जाएं, आखिर लिखापढ़ी तो अभी कुछ हुई नहीं थी.

कन्हैयालाल ने जब अपनी मांगें टीवी वालों के सामने रखीं तो उन के भी छक्के छूट गए. जींस वाला घबरा कर बोला कि उसे अपने बौस से बात कर के अपू्रवल लेना पड़ेगा और इस के लिए कन्हैयालाल से उस ने थोड़ी देर रुकने और तब तक किसी और चैनल से बात न करने की प्रार्थना की. कन्हैयालाल भी यही चाहते थे. थोड़ा नखरा दिखा कर मान गए. उधर, वकील साहब ने बताया कि कार निर्माता कंपनी दिल्ली में अपने स्थायी प्रतिनिधि को 2 घंटे के अंदर बातचीत अर्थात मोलभाव के लिए भेज रही है और प्रार्थना कर रही है कि तब तक न्यूज चैनल वाले मामले में कोई जल्दबाजी न की जाए.

कन्हैया को सपने में भी ऐसे धन बरसाऊ विचार नहीं आए थे. उन्हें लगातार डर बना रहा कि वकील साहब की बातें हवाई किला न साबित हों. यह भी लगा कि कार के निर्माता यदि वकील साहब के झांसे में न आए तो कहीं टीवी चैनल से मिलती हुई रकम भी हाथ से न निकल जाए. पर वकील साहब ने कन्हैयालाल को आखिरकार राजी कर ही लिया कि वे जल्दबाजी से काम न लें.

वकील साहब से बात हुए अभी 2 घंटे भी नहीं बीते थे कि पार्किंग में एक काले रंग की मर्सिडीज कार आ कर रुकी और उस से उतर कर काला बिजनैस सूट पहने एक व्यक्ति ने कन्हैयालाल की जली हुई कार की ओर रुख किया. कन्हैयालाल को भांपने में देर न लगी कि वह कार निर्माता कंपनी से आया था, बल्कि उन्हें यह देख कर हंसी भी आई कि वह अपनी कंपनी की बनाई कार में नहीं आया था. क्या कन्हैयालाल की कार में लगी आग से वह स्वयं इतना डर गया था कि अपनी कंपनी की कार में आने की हिम्मत नहीं कर पाया? चलो, अच्छा हुआ, अब यह भी समझ गया होगा कि दूसरे लोगों को जब उन की कार के अग्निकांड के विषय में पता चलेगा तो वे इस मौडल की कार से कितना डरेंगे.

कार कंपनी का नुकसान लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में आएगा, इतना तो तय था.कन्हैयालाल सोचसोच कर खुश होते रहे जैसे कार नहीं जली हो, लौटरी लग गई हो. कन्हैयालाल उस मर्सिडीज की तरफ बढ़ने ही वाले थे पर वकील साहब ने फुसफुसा कर कहा कि ऐसा कर के वे अपनी कमजोरी न दिखाएं, काला बिजनैस सूट स्वयं उन तक आएगा.

यही हुआ. वह आया. अकेले ही आया. और आने के बाद चौकन्ने हो कर चारों तरफ देख कर उस ने पहले अपना परिचय दिया. हालांकि इस की जरूरत नहीं थी. कन्हैयालाल ने पहले ही सही भांप लिया था. फिर एकदम कन्हैयालाल के कान के पास अपना मुंह ला कर धीरे से उस ने पूछा कि अभी तक उन्होंने कोई इंटरव्यू तो नहीं दिया और कार की फोटो तो नहीं खींचने दी.

वकील साहब ने कन्हैयालाल को इस के बाद बात करने का कोई मौका ही नहीं दिया. पहले तो उन्होंने दुर्घटना से कन्हैयाजी की पत्नी के कमजोर दिल पर होने वाले आघात का ऐसा हृदयविदारक वर्णन किया कि स्वयं कन्हैयालाल की आंखों में आंसू आने को हो गए, फिर उन्होंने ‘परसों तक’ चैनल से प्राप्त होने वाले लाखों का जिक्र किया और आखिर में उन्होंने बताया कि कन्हैयालाल अपनी जली हुई कार को स्थायी रूप से उस पार्किंग में छोड़ने का निश्चय कर चुके थे ताकि इस मेक और मौडल की कार खरीदने का इरादा रखने वालों को सावधान किया जा सके और यह सब वे केवल समाजसेवा की भावना से करना चाहते थे.

उस के बाद क्या हुआ, बजाय वह सब बताने के, इतना ही बताना काफी है कि कन्हैयालाल आजकल एक बिलकुल नई कार में चलते दिखते हैं. अपनी छोटी दुकान उन्होंने बंद कर दी है और वकील रामलाल व मौल की पार्किंग के ठेकेदार साहब की पार्टनरशिप में उन्होंने एक नई कंपनी बना ली है.

यह कंपनी देशविदेश से आने वाले पर्यटकों को उन स्थलों पर ले जाती है जहां कोई बहुत भयंकर दुर्घटना घटी हो. रेत, प्लास्टर औफ पेरिस, लकड़ी आदि से बने हुए लाइफसाइज मौडलों की सहायता से वे भूकंप, बाढ़, सूनामी आदि के हैरतअंगेज दृश्य बना कर दिखाते हैं. पर्यटकों से पीडि़त लोगों से बातचीत आदि कराते हैं और जहां तक संभव हो चीत्कार, रोने आदि की आवाजों व मूवी कैमरे में कैद दुर्घटनास्थल पर मची तबाही के ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम विदेशी सैलानियों के सामने प्रस्तुत कर के देश के लिए काफी  विदेशी मुद्रा भी अर्जित करते हैं.

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कन्हैयालाल से उस ने शानदार अमेरिकन ऐक्सैंट वाली अंगरेजी में पूछा कि क्या कार के मालिक आप ही हैं. हिंदी समाचार चैनल वाला ऐसी अंगरेजी क्यों झाड़ रहा था, यह कुतूहल मन में दबाए हुए कन्हैयालाल ने हामी भरी तो उस ने उन को समझाया कि चैनल की जो मशहूर ऐंकर उन का इंटरव्यू लेगी उस से बात करते हुए चैनल पर दिखाए जाने के लिए बड़ीबड़ी राजनीतिक पार्टियों के नेता दसियों हजार रुपए खर्चने को तैयार रहते हैं.

कन्हैयालाल कच्ची गोलियां नहीं खेले थे. उन्होंने वापस उसे समझाया कि राजनीतिक नेताओं के लिए तो यह सब रोज का खेल है पर उन के जीवन में तो ऐसा मौका एक ही बार आया था जिसे वे मुफ्त में नहीं गंवाएंगे. नीली जींस वाले ने तंग आ कर हथियार डाल दिए और कन्हैयालाल से कहा कि वे कैमरे के सामने आने के लिए अपने मुख पर मेकअप वाले से थोड़ा टचअप करवा लें कि तभी कन्हैयालाल के मन में आया कि टीवी चैनल पर इंटरव्यू देने से पहले अपने वकील पड़ोसी से बात कर लें तो अच्छा रहेगा. पर जब उन्होेंने मोबाइल पर नंबर लगा कर सलाह मांगी तो वकील साहब ने बहुत कड़क आवाज में उन को ऐसा करने से सख्त मना किया.

वकील साहब ने उन्हें बताया कि जिस इंटरव्यू को देने के लिए और कार को टीवी स्क्रीन पर दिखाने का वे कुल 10 और 10 अर्थात 20 हजार मांग रहे थे उसी इंटरव्यू को न देने के लिए, अगर दे दिया हो तो प्रसारित होने से रोकने के लिए, कार बनाने वाली कंपनी शायद कई लाख रुपए देने के लिए तैयार हो जाए. कन्हैयालाल ने कहा कि वे टीवी वालों से सौदा तय कर चुके हैं, बात से मुकरना कैसे संभव होगा तो वकील साहब ने सुझाया कि अभी तक उन्होंने केवल कार की दशा कैमरे में कैद करने और उन का इंटरव्यू करने का मोल मांगा था, इस का यह अर्थ नहीं था कि वे उसे प्रसारित भी कर सकते हैं. उस का प्रसारण करने के लिए वे 5 लाख और मांगें.

इस बीच, वकील साहब कार बनाने वालों से संपर्क साधेंगे और उन से इस इंटरव्यू आदि के प्रसारण को रोकने के लिए 10 लाख और मांगेंगे. यदि वे मान गए तो कन्हैयालाल चैनल वालों के साथ हुए सौदे से मुकर जाएं, आखिर लिखापढ़ी तो अभी कुछ हुई नहीं थी.

कन्हैयालाल ने जब अपनी मांगें टीवी वालों के सामने रखीं तो उन के भी छक्के छूट गए. जींस वाला घबरा कर बोला कि उसे अपने बौस से बात कर के अपू्रवल लेना पड़ेगा और इस के लिए कन्हैयालाल से उस ने थोड़ी देर रुकने और तब तक किसी और चैनल से बात न करने की प्रार्थना की. कन्हैयालाल भी यही चाहते थे. थोड़ा नखरा दिखा कर मान गए. उधर, वकील साहब ने बताया कि कार निर्माता कंपनी दिल्ली में अपने स्थायी प्रतिनिधि को 2 घंटे के अंदर बातचीत अर्थात मोलभाव के लिए भेज रही है और प्रार्थना कर रही है कि तब तक न्यूज चैनल वाले मामले में कोई जल्दबाजी न की जाए.

कन्हैया को सपने में भी ऐसे धन बरसाऊ विचार नहीं आए थे. उन्हें लगातार डर बना रहा कि वकील साहब की बातें हवाई किला न साबित हों. यह भी लगा कि कार के निर्माता यदि वकील साहब के झांसे में न आए तो कहीं टीवी चैनल से मिलती हुई रकम भी हाथ से न निकल जाए. पर वकील साहब ने कन्हैयालाल को आखिरकार राजी कर ही लिया कि वे जल्दबाजी से काम न लें.

वकील साहब से बात हुए अभी 2 घंटे भी नहीं बीते थे कि पार्किंग में एक काले रंग की मर्सिडीज कार आ कर रुकी और उस से उतर कर काला बिजनैस सूट पहने एक व्यक्ति ने कन्हैयालाल की जली हुई कार की ओर रुख किया. कन्हैयालाल को भांपने में देर न लगी कि वह कार निर्माता कंपनी से आया था, बल्कि उन्हें यह देख कर हंसी भी आई कि वह अपनी कंपनी की बनाई कार में नहीं आया था. क्या कन्हैयालाल की कार में लगी आग से वह स्वयं इतना डर गया था कि अपनी कंपनी की कार में आने की हिम्मत नहीं कर पाया? चलो, अच्छा हुआ, अब यह भी समझ गया होगा कि दूसरे लोगों को जब उन की कार के अग्निकांड के विषय में पता चलेगा तो वे इस मौडल की कार से कितना डरेंगे.

कार कंपनी का नुकसान लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में आएगा, इतना तो तय था.कन्हैयालाल सोचसोच कर खुश होते रहे जैसे कार नहीं जली हो, लौटरी लग गई हो. कन्हैयालाल उस मर्सिडीज की तरफ बढ़ने ही वाले थे पर वकील साहब ने फुसफुसा कर कहा कि ऐसा कर के वे अपनी कमजोरी न दिखाएं, काला बिजनैस सूट स्वयं उन तक आएगा.

यही हुआ. वह आया. अकेले ही आया. और आने के बाद चौकन्ने हो कर चारों तरफ देख कर उस ने पहले अपना परिचय दिया. हालांकि इस की जरूरत नहीं थी. कन्हैयालाल ने पहले ही सही भांप लिया था. फिर एकदम कन्हैयालाल के कान के पास अपना मुंह ला कर धीरे से उस ने पूछा कि अभी तक उन्होंने कोई इंटरव्यू तो नहीं दिया और कार की फोटो तो नहीं खींचने दी.

वकील साहब ने कन्हैयालाल को इस के बाद बात करने का कोई मौका ही नहीं दिया. पहले तो उन्होंने दुर्घटना से कन्हैयाजी की पत्नी के कमजोर दिल पर होने वाले आघात का ऐसा हृदयविदारक वर्णन किया कि स्वयं कन्हैयालाल की आंखों में आंसू आने को हो गए, फिर उन्होंने ‘परसों तक’ चैनल से प्राप्त होने वाले लाखों का जिक्र किया और आखिर में उन्होंने बताया कि कन्हैयालाल अपनी जली हुई कार को स्थायी रूप से उस पार्किंग में छोड़ने का निश्चय कर चुके थे ताकि इस मेक और मौडल की कार खरीदने का इरादा रखने वालों को सावधान किया जा सके और यह सब वे केवल समाजसेवा की भावना से करना चाहते थे.

उस के बाद क्या हुआ, बजाय वह सब बताने के, इतना ही बताना काफी है कि कन्हैयालाल आजकल एक बिलकुल नई कार में चलते दिखते हैं. अपनी छोटी दुकान उन्होंने बंद कर दी है और वकील रामलाल व मौल की पार्किंग के ठेकेदार साहब की पार्टनरशिप में उन्होंने एक नई कंपनी बना ली है.

यह कंपनी देशविदेश से आने वाले पर्यटकों को उन स्थलों पर ले जाती है जहां कोई बहुत भयंकर दुर्घटना घटी हो. रेत, प्लास्टर औफ पेरिस, लकड़ी आदि से बने हुए लाइफसाइज मौडलों की सहायता से वे भूकंप, बाढ़, सूनामी आदि के हैरतअंगेज दृश्य बना कर दिखाते हैं. पर्यटकों से पीडि़त लोगों से बातचीत आदि कराते हैं और जहां तक संभव हो चीत्कार, रोने आदि की आवाजों व मूवी कैमरे में कैद दुर्घटनास्थल पर मची तबाही के ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम विदेशी सैलानियों के सामने प्रस्तुत कर के देश के लिए काफी  विदेशी मुद्रा भी अर्जित करते हैं.

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February 25, 2020 at 09:50AM

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