Friday 29 May 2020

थोड़े से दूर, नॉट ब्रेकअप- भाग 1: वैदेही से क्यों दूर जाना चाह रहा था अर्जुन?   

लेखकडॉ॰ स्वतन्त्र रिछारिया

अर्जुन कुछ और कहता उसके बीच में ही वैदेही कहती है तो तुम्हारा मतलब है हमारे बीच अब अहसास नहीं बचा या प्यार नहीं है.

अर्जुन – नहीं नहीं मैंने ऐसा कब कहा कि हमारे बीच प्यार नहीं. बल्कि मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि जो हमारे बीच अहसास है, प्यार है वह बरकरार रहे. वैदेही अभी बहुत कुछ है हमारे बीच जो हमें एक दूसरे की ओर आकर्षित और रोमांचित करता है. मैं यही चाहता हूँ कि यही अहसास बने रहें.

वैदेही – तो अब तुम्ही बताओ कि हमें क्या करना चाहिए?

अर्जुन – हमें कुछ दिनों या महीनों के लिए दूर हो जाना चाहिए ताकि फिर से हम एक दूसरे से कुछ अजनबी हो सके, कुछ दिनों कि दूरी फिर से वह आकर्षण या कशिश पैदा करेगी, जहां शब्दों की फिर कम ही जरूरत होगी. और जितनी बात हम दोनों के फिर से मिलने पर होगी वह मेरी और तुम्हारी ही होगी, क्योंकि कुछ दिनों का अजनबीपन से बहुत कुछ हम दोनों के पास होगा जो हम एक-दूसरे से सुनना और बताना चाहेंगे.

वैदेही – ठीक है मान लिया तुम चाहते हो कि हँसते-हँसते कुछ समय के लिए हम दूर हो जाए, एक अच्छे रिलेशन को और मजबूर करने के लिए, पर ये होगा कैसे?

अर्जुन – अरे यार तुम आर्किटेक्ट में डिप्लोमा करने के लिए जो मूड बना रही हो, उसे अहमदाबाद में जॉइन करो, और हो जाओ अजनबी. और फिर मिलते हैं कुछ नए-नए से होकर, विथ न्यू एक्साइटमेंट के साथ.

वैदेही – थोड़े-थोड़े अजनबी बनने के चक्कर में कहीं इतनी दूर नहीं हो जाए कि फिर कभी मिल ही ना सकें.

अर्जुन – अगर कुछ दिनों कि दूरी हमें अलग कर देती है तो फिर तो हम दोनों को ही मान लेना होगा की हमारा रिश्ता उतना मजबूत था ही नहीं, और ये दूरी तोड़ने या दूर जाने के लिए नहीं बल्कि और नजदीक आने के लिए है.

वैदेही अर्जुन के इस प्रपोज़ल को दिल से स्वीकार कर पायी थी या नहीं, पर अर्जुन के इस दिमागी फितूर को मानते हुए अहमदाबाद में उसने अपना कोर्स जॉइन कर लिया. वैदेही नयी जगह, नए दोस्तों और पढ़ाई में कुछ व्यस्त से हो गयी थी, पर रात में अर्जुन की यादें हमेशा उसके साथ रहती थी.

अर्जुन और वैदेही को दूर हुए अभी दो महीने ही तो हुये थे पर अर्जुन का 6 महीने बाद मिलने का वादा जबाब देने लगा. छः महीने के पहले न फोन करने और न ही मिलने वाली अपनी ही बात को ना मानते हुए, अर्जुन ने आज वैदेही को मोबाइल पर मेसेज भेजा.

कुछ घंटे के इंतजार के बाद उसने फिर मेसेज भेजा, पर पहले मेसेज की तरह ही दूसरा मेसेज न तो रिसीव हुआ और न ही कोई जबाब आया.

मेसेज का जबाब न आने पर अर्जुन की बैचेनी बढ़ने लगी थी, बढ़ती बैचेनी ने अर्जुन के मेसेज की संख्या और लंबाई को भी बड़ा दिया. और अब मेसेज क्या वैदेही ने तो कॉल भी रिसीव नहीं किया था.

अब अर्जुन के मन में सौ सवाल उठ रहे थे, क्या वैदेही गुस्सा हो गयी? कहीं वैदेही को कुछ हो तो नहीं गया? या कहीं कोई और बात तो नहीं? अर्जुन के मेसेज और कॉल करने और वैदेही के जबाब न देने का सिलसिला लगभग 15-20 दिन चला. अंततः अर्जुन ने ठान लिया की वह अब खुद ही अहमदाबाद जाएगा.

माना जाता है कि स्त्री के व्यक्तिव की यह खूबी और पुरुष के व्यक्तिव की यह कमी होती है, जिसके कारण पुरुष अपनी ही सोची बात, विचार या निर्णय पर अक्सर कायम नहीं रह पाता, जबकि एक स्त्री किसी दूसरे की बात, विचार या निर्णय को उतनी ही सिद्दत से निभाने का सामर्थ्य रखती है, जैसे वह विचार या निर्णय उसने ही लिया हो.

जिस दिन अर्जुन को अहमदाबाद जाना था उसके एक दिन पहले अचानक रात में अर्जुन के मोबाइल पर वैदेही के आने वाले मेसेज की खास रिंगटोन बजती है, इतने लंबे इंतजार के बाद वैदेही के मेसेज आने से मोबाइल की स्क्रीन के साथ अर्जुन की आंखे भी चमक रही थी.

पर मेसेज में न जाने ऐसा क्या लिखा हुआ था, जैसे-जैसे अर्जुन मेसेज की लाइने पढ़ रहा था, पढ़ने के साथ उसके चेहरे की रंगत भी उड़ती जा रही थी.

मेसेज पढ़ने के बाद अर्जुन वैदेही से पहली बार मिलने से लेकर उस अंतिम मुलाक़ात को याद कर रहा था, बेड पर लेटकर एकटक ऊपर की ओर देखते हुये अर्जुन की आँखों से नमी झलकने लगी थी. कहा जाता है जब दर्द गहरा होता है तो आँसू बिना रोये, बिना आबाज के ही बहने लगते हैं. कुछ पल पहले जिस मेसेज के आने से अर्जुन की आंखे खुशी से चमकी थी, वही आंखे मेसेज पड़ने के बाद नम थी. वैदेही के मेसेज को कई बार पढ़ने के बाद भी अर्जुन को यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब सही है…

…..डियर अर्जुन इतने दिनों से तुम मेसेज और कॉल कर रहे हो पर मैंने कोई जबाब नहीं दिया उसके लिए सॉरी… मैं तुमसे बिल्कुल भी गुस्सा नहीं हूँ, पर क्या करूँ तुमने जो कहा था  मैं वही तो कर रही हूँ. और तुम जानते हो तुम्हारी हर खवाहिस को मैं दिल से पूरा करने की कोशिश करती हूँ. सच अर्जुन अभी भी मुझे पता नहीं कि दूर होने के लिए तुमने यह मजाक में कहा था, या फिर किसी और वजह से, हो सकता है मेरे कैरियर बनाने के लिए तुमने ऐसा किया हो, पर अर्जुन यह सच है कि मैं तुमसे दूर होने की सोच भी नहीं सकती थी. अर्जुन पिछले दिनों एक बात मेरे मन में रोज ही आती है, अभी तो हम सिर्फ प्यार में थे और शादी जैसा कोई बंधन भी नहीं था, पर तुम्हारे रूटीन लाइफ से बोर हो जाने के कारण हम कुछ दिनों के लिए दूर हो गए. पर अर्जुन यदि शादी के बाद भी तुम रूटीन लाइफ से बोर होने लगे तब क्या होगा. अर्जुन हम जैसी लड़कियों का गुण कहें या मजबूरी हम तो दिल से जिस कन्धें और हाथ को एक बार थाम लेते हैं, उसे ही ज़िंदगी भर के लिए अपना साहिल समझ लेते हैं, लड़कियों की ज़िंदगी में खासकर इंडिया में रूटीन लाइफ से बोर होने का आपसन नहीं होता है.  इसलिए मेरे और तुम्हारे बीच की इस कुछ दिनों की दूरी को फिलहाल अपना ब्रेक-अप ही समझ रही हूँ. हाँ ज़िंदगी बहुत लंबी है इसलिए आगे का मुझे भी कुछ पता नहीं क्या होगा? दुआ करती हूँ हम दोनों की ज़िंदगी में अच्छा ही हो. अब मेसेज और कॉल नहीं करना क्योंकि तुम्हारे सवालों और बातों का मेरे पास इस मेसेज के अलावा कोई और जबाब नहीं है, लव यू…तुम्हारी वैदेही.

The post थोड़े से दूर, नॉट ब्रेकअप- भाग 1: वैदेही से क्यों दूर जाना चाह रहा था अर्जुन?    appeared first on Sarita Magazine.



from कहानी – Sarita Magazine https://ift.tt/2MdtYiM

लेखकडॉ॰ स्वतन्त्र रिछारिया

अर्जुन कुछ और कहता उसके बीच में ही वैदेही कहती है तो तुम्हारा मतलब है हमारे बीच अब अहसास नहीं बचा या प्यार नहीं है.

अर्जुन – नहीं नहीं मैंने ऐसा कब कहा कि हमारे बीच प्यार नहीं. बल्कि मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि जो हमारे बीच अहसास है, प्यार है वह बरकरार रहे. वैदेही अभी बहुत कुछ है हमारे बीच जो हमें एक दूसरे की ओर आकर्षित और रोमांचित करता है. मैं यही चाहता हूँ कि यही अहसास बने रहें.

वैदेही – तो अब तुम्ही बताओ कि हमें क्या करना चाहिए?

अर्जुन – हमें कुछ दिनों या महीनों के लिए दूर हो जाना चाहिए ताकि फिर से हम एक दूसरे से कुछ अजनबी हो सके, कुछ दिनों कि दूरी फिर से वह आकर्षण या कशिश पैदा करेगी, जहां शब्दों की फिर कम ही जरूरत होगी. और जितनी बात हम दोनों के फिर से मिलने पर होगी वह मेरी और तुम्हारी ही होगी, क्योंकि कुछ दिनों का अजनबीपन से बहुत कुछ हम दोनों के पास होगा जो हम एक-दूसरे से सुनना और बताना चाहेंगे.

वैदेही – ठीक है मान लिया तुम चाहते हो कि हँसते-हँसते कुछ समय के लिए हम दूर हो जाए, एक अच्छे रिलेशन को और मजबूर करने के लिए, पर ये होगा कैसे?

अर्जुन – अरे यार तुम आर्किटेक्ट में डिप्लोमा करने के लिए जो मूड बना रही हो, उसे अहमदाबाद में जॉइन करो, और हो जाओ अजनबी. और फिर मिलते हैं कुछ नए-नए से होकर, विथ न्यू एक्साइटमेंट के साथ.

वैदेही – थोड़े-थोड़े अजनबी बनने के चक्कर में कहीं इतनी दूर नहीं हो जाए कि फिर कभी मिल ही ना सकें.

अर्जुन – अगर कुछ दिनों कि दूरी हमें अलग कर देती है तो फिर तो हम दोनों को ही मान लेना होगा की हमारा रिश्ता उतना मजबूत था ही नहीं, और ये दूरी तोड़ने या दूर जाने के लिए नहीं बल्कि और नजदीक आने के लिए है.

वैदेही अर्जुन के इस प्रपोज़ल को दिल से स्वीकार कर पायी थी या नहीं, पर अर्जुन के इस दिमागी फितूर को मानते हुए अहमदाबाद में उसने अपना कोर्स जॉइन कर लिया. वैदेही नयी जगह, नए दोस्तों और पढ़ाई में कुछ व्यस्त से हो गयी थी, पर रात में अर्जुन की यादें हमेशा उसके साथ रहती थी.

अर्जुन और वैदेही को दूर हुए अभी दो महीने ही तो हुये थे पर अर्जुन का 6 महीने बाद मिलने का वादा जबाब देने लगा. छः महीने के पहले न फोन करने और न ही मिलने वाली अपनी ही बात को ना मानते हुए, अर्जुन ने आज वैदेही को मोबाइल पर मेसेज भेजा.

कुछ घंटे के इंतजार के बाद उसने फिर मेसेज भेजा, पर पहले मेसेज की तरह ही दूसरा मेसेज न तो रिसीव हुआ और न ही कोई जबाब आया.

मेसेज का जबाब न आने पर अर्जुन की बैचेनी बढ़ने लगी थी, बढ़ती बैचेनी ने अर्जुन के मेसेज की संख्या और लंबाई को भी बड़ा दिया. और अब मेसेज क्या वैदेही ने तो कॉल भी रिसीव नहीं किया था.

अब अर्जुन के मन में सौ सवाल उठ रहे थे, क्या वैदेही गुस्सा हो गयी? कहीं वैदेही को कुछ हो तो नहीं गया? या कहीं कोई और बात तो नहीं? अर्जुन के मेसेज और कॉल करने और वैदेही के जबाब न देने का सिलसिला लगभग 15-20 दिन चला. अंततः अर्जुन ने ठान लिया की वह अब खुद ही अहमदाबाद जाएगा.

माना जाता है कि स्त्री के व्यक्तिव की यह खूबी और पुरुष के व्यक्तिव की यह कमी होती है, जिसके कारण पुरुष अपनी ही सोची बात, विचार या निर्णय पर अक्सर कायम नहीं रह पाता, जबकि एक स्त्री किसी दूसरे की बात, विचार या निर्णय को उतनी ही सिद्दत से निभाने का सामर्थ्य रखती है, जैसे वह विचार या निर्णय उसने ही लिया हो.

जिस दिन अर्जुन को अहमदाबाद जाना था उसके एक दिन पहले अचानक रात में अर्जुन के मोबाइल पर वैदेही के आने वाले मेसेज की खास रिंगटोन बजती है, इतने लंबे इंतजार के बाद वैदेही के मेसेज आने से मोबाइल की स्क्रीन के साथ अर्जुन की आंखे भी चमक रही थी.

पर मेसेज में न जाने ऐसा क्या लिखा हुआ था, जैसे-जैसे अर्जुन मेसेज की लाइने पढ़ रहा था, पढ़ने के साथ उसके चेहरे की रंगत भी उड़ती जा रही थी.

मेसेज पढ़ने के बाद अर्जुन वैदेही से पहली बार मिलने से लेकर उस अंतिम मुलाक़ात को याद कर रहा था, बेड पर लेटकर एकटक ऊपर की ओर देखते हुये अर्जुन की आँखों से नमी झलकने लगी थी. कहा जाता है जब दर्द गहरा होता है तो आँसू बिना रोये, बिना आबाज के ही बहने लगते हैं. कुछ पल पहले जिस मेसेज के आने से अर्जुन की आंखे खुशी से चमकी थी, वही आंखे मेसेज पड़ने के बाद नम थी. वैदेही के मेसेज को कई बार पढ़ने के बाद भी अर्जुन को यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब सही है…

…..डियर अर्जुन इतने दिनों से तुम मेसेज और कॉल कर रहे हो पर मैंने कोई जबाब नहीं दिया उसके लिए सॉरी… मैं तुमसे बिल्कुल भी गुस्सा नहीं हूँ, पर क्या करूँ तुमने जो कहा था  मैं वही तो कर रही हूँ. और तुम जानते हो तुम्हारी हर खवाहिस को मैं दिल से पूरा करने की कोशिश करती हूँ. सच अर्जुन अभी भी मुझे पता नहीं कि दूर होने के लिए तुमने यह मजाक में कहा था, या फिर किसी और वजह से, हो सकता है मेरे कैरियर बनाने के लिए तुमने ऐसा किया हो, पर अर्जुन यह सच है कि मैं तुमसे दूर होने की सोच भी नहीं सकती थी. अर्जुन पिछले दिनों एक बात मेरे मन में रोज ही आती है, अभी तो हम सिर्फ प्यार में थे और शादी जैसा कोई बंधन भी नहीं था, पर तुम्हारे रूटीन लाइफ से बोर हो जाने के कारण हम कुछ दिनों के लिए दूर हो गए. पर अर्जुन यदि शादी के बाद भी तुम रूटीन लाइफ से बोर होने लगे तब क्या होगा. अर्जुन हम जैसी लड़कियों का गुण कहें या मजबूरी हम तो दिल से जिस कन्धें और हाथ को एक बार थाम लेते हैं, उसे ही ज़िंदगी भर के लिए अपना साहिल समझ लेते हैं, लड़कियों की ज़िंदगी में खासकर इंडिया में रूटीन लाइफ से बोर होने का आपसन नहीं होता है.  इसलिए मेरे और तुम्हारे बीच की इस कुछ दिनों की दूरी को फिलहाल अपना ब्रेक-अप ही समझ रही हूँ. हाँ ज़िंदगी बहुत लंबी है इसलिए आगे का मुझे भी कुछ पता नहीं क्या होगा? दुआ करती हूँ हम दोनों की ज़िंदगी में अच्छा ही हो. अब मेसेज और कॉल नहीं करना क्योंकि तुम्हारे सवालों और बातों का मेरे पास इस मेसेज के अलावा कोई और जबाब नहीं है, लव यू…तुम्हारी वैदेही.

The post थोड़े से दूर, नॉट ब्रेकअप- भाग 1: वैदेही से क्यों दूर जाना चाह रहा था अर्जुन?    appeared first on Sarita Magazine.

May 30, 2020 at 10:00AM

No comments:

Post a Comment