Monday 30 March 2020

अवैध संतान

मीरा कन्या महाविद्यालय के गेट से बाहर आते ही विमला मैडम ने अपनी चाल तेज कर दी. वे लगभग दौड़ रही थीं, इसलिए उन की बिटिया सीमा को भी दौड़ लगानी पड़ रही थी. विमला मैडम सीमा के उस सवाल से बचना चाहती थीं जो उस ने गेट से बाहर आते ही दाग दिया था, ‘‘मम्मी, मैं आप की और विमल सर की अवैध संतान हूं?’’

वे बिना कोई उत्तर दिए चली जा रही थीं. इसलिए जब उन के बगल से एक आटो गुजरा तो उसे रोक कर अपनी बेटी सीमा को लगभग खींचते हुए आटो में बैठ गईं. उन्हें पता था, उन की बेटी आटोचालक के सामने कुछ नहीं बोलेगी.

आज जो कुछ घटा उस की उम्मीद उन को सपने में भी नहीं थी. आज उन के स्कूल की छुट्टी जल्दी हो गई थी तब उन्होंने अपनी बेटी को भी छुट्टी दिला कर बाजार जाने की सोची थी. इसलिए, वे उस की बड़ी मैडम से अपनी बेटी की छुट्टी स्वीकृत करा कर, स्टाफरूम में बैठी थीं. तभी विमल सर स्टाफरूम में आए. विमला मैडम विमल सर से बात कर रही थीं. उसी समय सीमा स्टाफरूम में घुसी. उसे देख कर विमल सर बोले, ‘‘यह तुम्हारी बेटी है, तभी…’’ उन के बात आगे बढ़ाने से पूर्व ही विमला मैडम ने इशारे से उन्हें रोक दिया. परंतु सर के ये शब्द सीमा के कान में पड़ गए. उस समय तो सीमा कुछ नहीं बोली परंतु गेट से बाहर आते ही मम्मी से पूछे बिना नहीं रही.

आटो में चुप बैठी रही सीमा घर पहुंचते ही बोल पड़ी, ‘‘मम्मी, आप जवाब नहीं दे रही हो जबकि मेरी सहेलियां मुझे चिढ़ाती हैं. कहती हैं, ‘तू भी कानपुर की और सर भी कानपुर के, और तेरे में सर का अक्स दिखाई देता है. कहीं तेरी मम्मी और सर के बीच अफेयर तो नहीं था?’ और आज उन के शब्द ‘यह तुम्हारी बेटी है, तभी’. तब क्या, मैं आप की और सर की अवैध संतान हूं?’’

विमला उस की बात को टालते हुए बोलीं, ‘‘जब तू पेट में थी तब तेरे सर के परिवार का घर में बहुत आनाजाना था, इसीलिए.’’

‘‘मम्मी, आप ने मुझे बच्चा समझा है. मैं सर से ही पूछ लूंगी,’’ कह कर सीमा वहां से उठ गई.

विमला ने उसे रोका नहीं क्योंकि उन को पता था, वह जो सोच लेती है, करती है. सीमा चायनाश्ता कर अपने कमरे में आ कर लेट गई. टीवी चला लिया परंतु उस का प्रिय प्रोग्राम भी उस को शांति नहीं दे रहा था. ‘यह तुम्हारी बेटी है, तभी…’, ये ही शब्द उस के कानों में बारबार गूंज रहे थे. तभी फोन की घंटी बजी. उस ने फोन उठाया, उधर उस की सहेली मधु थी, ‘‘तू भी घर आ गई पागल, घड़ी देख, 4 से ज्यादा बज गए हैं.’’

इधरउधर की बातें करने के बजाय सीमा ने सीधे ही पूछ लिया, ‘‘तू विमल सर का घर जानती है?’’

‘‘क्यों? क्या तू भी सर से ट्यूशन पढ़ना चाहती है? हां, वह बहुत अच्छा पढ़ाते हैं. अरे हां, तेरा विषय तो सर पढ़ाते नहीं हैं. फिर तू…?’’

‘‘तुझ से जितना पूछा है उतना बता. मैं खुद चली जाऊंगी, तू केवल पता बता.’’

‘‘ऐसा कर, गांधी चौक की ओर से मेरे घर की ओर आएगी, तो पहले ही मोड़ पर अंतिम मकान है. उन के नाम की प्लेट लगी है.’’

उस ने फोन रख दिया और मम्मी से बोल दिया, ‘‘मैं मधु के घर जा रही हूं, जल्दी घर आ जाऊंगी.’’

कुछ ही देर में सीमा सर के घर पहुंच गई. वह पहले झिझकी, फिर घंटी बजा दी. दरवाजा सर ने ही खोला. एक पल को वह सर को देखती ही रही क्योंकि आज उसे सर दूसरे ही रूप में दिख रहे थे और फिर उसे अपना मकसद ध्यान आया और सर के कुछ बोलने से पहले ही वह बोल पड़ी, ‘‘सर, क्या मैं आप की और मम्मी की अवैध संतान हूं?’’

सर को शायद ऐसे प्रश्न की उम्मीद नहीं थी.

इसलिए सर ने कहा, ‘‘देखो बेटे, ऐसे प्रश्न दरवाजे पर नहीं किए जाते. अंदर आओ. मैं तुम्हारे हर प्रश्न का उत्तर दूंगा.’’

वह अंदर आ गई. अंदर सर ने अपनी मम्मी से उस का परिचय कराया, ‘‘मम्मी, यह विमला की बेटी है.’’

सर की मम्मी पुलकित हो उठीं, ‘‘मम्मी को भी ले आती.’’

उन के और कुछ बोलने से पूर्व ही सर ने मम्मी को कहा, ‘‘मम्मी, बाकी बातें बाद में हो जाएंगी. इसे चायनाश्ता कराओ. पहली बार घर आई है,’’ उन के चले जाने के बाद सर बोले, ‘‘हां, अब बोलो.’’

‘‘सर, मैं आप की और मम्मी की अवैध संतान हूं?’’

‘‘देखो बेटे, संतान अवैध नहीं होती, बल्कि संबंध अवैध होते हैं. और फिर मेरे और तुम्हारी मम्मी के संबंधों को तो तुम्हारे पापा की स्वीकृति थी.’’

यह सुनते ही सीमा का मुंह खुला का खुला रह गया. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कोई इतना नीचे भी गिर सकता है. उसे यह समझ नहीं आया कि पापा की क्या मजबूरी थी.

उस की परेशानी भांप कर सर बोले, ‘‘शांत हो कर बैठो, मैं सब बताता हूं. तुम्हारी मम्मी की शादी आम हिंदुस्तानी शादी थी. पहले 2 साल शादी की खुमारी में  निकल गए और फिर कानाफूसी शुरू हो गई कि घर में किलकारी क्यों नहीं गूंजी. पहले घर से और फिर आसपास. तुम्हारे पापा के दोस्त ताना मारने से नहीं चूकते. उधर, उन की मर्दानगी पर चुटकुले बनने लगे. साथ ही, डाक्टरी रिपोर्ट ने आग में घी का कार्य किया. कमी तुम्हारे पापा में मिली. ‘‘तुम्हारे पापा औफिस का गुस्सा घर में निकालने लगे. उन्हीं दिनों हमारा परिवार तुम्हारे पड़ोस में आ गया. तुम्हारी मम्मी हमारे घर आ जातीं. मैं तुम्हारी मम्मी के बाजार के काम कर देता. तुम्हारी मम्मी कोई बच्चा गोद लेने को कहतीं तो तुम्हारे पापा नाराज हो जाते. उन को अपनी मर्दानगी दिखानी थी. मेरे और तुम्हारी मम्मी के बीच निकटता बढ़ने लगी. तुम्हारे पापा ने हमारी निकटता को इग्नोर किया. फलस्वरूप, हमारी निकटता और बढ़ती गई और उस मुकाम तक पहुंच गई जिस के फलस्वरूप तुम अपनी मम्मी के पेट में आ गईं.

‘‘वह दिन मुझे आज भी याद है, मैं जब तुम्हारे घर पहुंचा तब तुम्हारी मम्मी के शब्द कान में पड़े, उन शब्दों को सुनते ही अंदर जा रहे मेरे कदम रुक गए. तुम्हारी मम्मी कह रही थीं, ‘लो, अब तुम भी मर्द बन गए. मैं गर्भवती हो गई. अब दोस्तों के सामने तुम्हारी गरदन नहीं झुकेगी.’ मुझे लगा कि मैं सिर्फ एक टूल था, जो तुम्हारे पापा को मर्द साबित करने के लिए इस्तेमाल किया गया था. मुझे तुम्हारी मम्मी पर गुस्सा आया. सोचा कि वहां जा कर अपनी नाराजगी जाहिर करूं लेकिन फिर मुझे तुम्हारी मम्मी पर तरस आ गया. मैं वापस घर आ गया. उस के बाद मैं कभी तुम्हारे घर नहीं गया.

‘‘उसी दौरान मेरे पापा का तबादला हो गया. जिस दिन हम जा रहे थे उस दिन तुम्हारी मम्मी हमें छोड़ने आई थीं. वे कुछ नहीं बोलीं लेकिन उन की चुप्पी भी बहुतकुछ कह गई. मैं ने उन को माफ कर दिया.’’

सर की मम्मी, जो वहां आ गई थीं, ने सब सुन लिया था, बोल पड़ीं, ‘‘बेटा, इस ने खुद को माफ नहीं किया और अब तक शादी नहीं की.’’

‘‘तुम्हारी मम्मी की खबरें शोभा आंटी से मिलती रहीं. तुम्हारा जन्म हुआ. तुम्हारे पिता ने पार्टी दी. लेकिन बताते हैं कि उन के चेहरे पर वह खुशी नहीं दिखाई दी जो एक बाप के चेहरे पर दिखाई देनी चाहिए थी. तुम्हारी मम्मी और पापा में झगड़ा और बढ़ गया. तुम्हारा चेहरा देख कर उन को पता नहीं क्या हो जाता, शायद उन को अपनी नामर्दी ध्यान आ जाती या वे हीनभावना से ग्रस्त हो गए थे. तुम्हारी ओर ध्यान नहीं देते. तुम्हारी मम्मी के लिए तुम सबकुछ थीं. शायद वे तुम्हारे कारण अपने को भूल जातीं.

‘‘एक दिन तुम्हारी मम्मी बाथरूम में नहा रही थीं. तुम जोरजोर से रो रही थीं. तुम्हारे पापा वहीं खड़े थे परंतु उन्होंने तुम्हें चुप नहीं कराया. उसी समय शोभा आंटी आ गईं. तुम्हें जोरजोर से रोते देख कर वे तुम्हारे पापा से बोलीं, ‘कैसा बाप है? लड़की रोए जा रही है और तू अपनी टाई बांधने में लगा है, जैसे यह तेरी बेटी नहीं है.’ आंटी के बोलते ही वे आगबबूला हो उठे. वे चीखे, ‘हांहां, यह मेरी बेटी नहीं है. मैं तो नपुंसक हूं.’

‘‘इतना कह कर वे घर से निकल गए और फिर केवल उन की मौत की सूचना आई कि उन्होंने रेलगाड़ी के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली थी. बस, एक ही बात उन्होंने अच्छी की, अपनी मौत के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया.

‘‘कुछ दिन के बाद तुम्हारे मामा, तुम्हारी मम्मी और तुम को ले कर चले गए.’’

बात गंभीर हो गई थी. एक तरह से वहां चुप्पी छा गई. चुप्पी सीमा ने ही तोड़ी, ‘‘सर, मेरी शादी के बाद मेरी मम्मी अकेली रह जाएंगी. आप भी कभी अकेले हो जाओगे. इसलिए आप और  मम्मी अपने उन अवैध संबंधों को वैध नहीं बना सकते?’’

‘‘पगली, अब हमारी शादी की उम्र थोड़े ही है, अब तो तेरी शादी करनी है.’’

‘‘लेकिन सर, आप से मिलने के बाद मैं ने मम्मी के चेहरे पर अलग चमक देखी थी. और अब जब आप ने घर के दरवाजे पर मुझे देखा तो आप के चेहरे पर भी वही चमक मैं ने महसूस की.’’

‘‘बहुत बड़ी हो गई है तू और लोगों को पढ़ना भी जानती है.’’

‘‘प्लीज, सर.’’

‘‘तू एक तरफ तो मुझे पापा बनाना चाहती है और दूसरी ओर सरसर भी करे जा रही है. पापा नहीं कह सकती.’’

‘‘सौरी, पापा,’’ कहती हुई वह सर से लिपट गई. दादी ने उस के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘चल बेटा, अपनी बहू के पास चलते हैं.’’

सीमा ने उन को रोक दिया, ‘‘पहले मैं मम्मी से बात कर लूं.’’

‘‘मैं तेरी मम्मी को जानती हूं. वह भी राजी हो ही जाएगी.’’

‘‘हां, दादी, मम्मी मेरी खुशी के लिए कुछ भी कर सकती हैं.’’

सीमा वापस घर जाने के लिए उठ खड़ी हुई तब विमल सर उसे छोड़ने आ गए. उधर, विमला सीमा के लिए चिंतित हो रही थीं. दरवाजे की घंटी बजी. दरवाजा खोलने पर सामने सीमा ही थी. विमला चीखीं, ‘‘कहां गई थी?’’

‘‘पापा के पास.’’

‘‘तेरे पापा तो मर चुके हैं.’’

‘‘वे मेरे पापा नहीं थे. वे आप के पति थे. और फिर वे तो पति कहलाने लायक भी नहीं क्योंकि वे तन से ही नहीं मन से भी नपुंसक थे, जो अपनी पत्नी को पराए मर्द के साथ सोने को प्रेरित करता है मात्र इसलिए कि दुनिया के सामने अपने को मर्द दिखा सके. अपने को मर्द दिखाने के लिए पत्नी द्वारा बच्चा गोद ले लेने के विचार को भी न सुने.’’

‘‘तो इतना जहर भर दिया उस ने. मुझे उस से यह उम्मीद नहीं थी. मैं इसीलिए चुप थी कि यह सुन कर तू मुझ से भी घृणा करने लगती.’’

‘‘मम्मी, मैं आप से घृणा करूंगी? आप ने जिस तरह मेरी परवरिश की है उस पर मुझे गर्व है कि तुम मेरी मां हो. पापा भी ऐसे नहीं हैं. दरवाजे पर मुझे देख कर उन की नजर इधरउधर घूम रही थी. वे शायद आप को खोज रहे थे.’’

फिर कुछ समय तक चुप्पी छाई रही. दोनों एकदूसरे को देखती रहीं. फिर सीमा ही बोली, ‘‘मम्मी, आप और सर अपने अवैध संबंधों को वैध नहीं बना सकते?’’

‘‘नहीं बेटा, अब मुझे तेरी शादी करनी है, अपनी नहीं.’’

‘‘मम्मी, पापा को पता है मैं उन की बेटी हूं परंतु मुझे बेटी नहीं कह सकते. मैं जानते हुए भी उन को पापा नहीं कह सकती. और आप मेरे सामने खोखली हंसी हंसोगी और अकेले में रोओगी.’’

‘‘लेकिन बेटा, लोग क्या कहेंगे?’’

‘‘उन की चिंता नहीं है. मुझे आप की चिंता है. मेरी शादी के बाद आप अकेली रह जाओगी और उधर, दादी कितने दिन की मेहमान हैं. बाद में पापा भी अकेले हो जाएंगे.’’

विमला विचारमग्न हो गईं. फिर अचानक बोल पड़ीं, ‘‘तू अकेली आई, कैसा पिता है? जवान लड़की को रात में अकेला भेज दिया.’’

‘‘नहीं, मम्मी, पापा आए थे.’’

‘‘फिर अंदर क्यों नहीं आए?’’

‘‘मम्मी, मैं ने मना कर दिया था. मैं चाहती थी कि पहले मैं आप से बात कर लूं.’’

‘‘ओह, क्या बात है. बड़ी समझदार हो गई है मेरी लाड़ली.’’

तभी फोन की घंटी बजी. सीमा ने फोन उठाया, उधर दादी थीं. उस ने फोन मम्मी को दे दिया. मम्मी बोलीं, ‘‘नमस्ते, आंटी.’’

‘‘अरे, मैं अब तेरी आंटी नहीं, बल्कि अब तेरी सास हूं.’’ इस के बाद की कहानी भी छोटी सी रह गई है. सीमा के मम्मीपापा के अवैध संबंध वैध बन गए. सब बहुत खुश थे. सब से ज्यादा कौन खुश था, बताने की जरूरत नहीं.

आज जब मैं यह कहानी लिख रहा हूं तब सीमा मेरे पास बैठी है, पूछ रही है, ‘पापा, मैं ने सही किया या गलत?’

अब आप लोग ही बताएं सीमा ने सही किया या गलत?

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मीरा कन्या महाविद्यालय के गेट से बाहर आते ही विमला मैडम ने अपनी चाल तेज कर दी. वे लगभग दौड़ रही थीं, इसलिए उन की बिटिया सीमा को भी दौड़ लगानी पड़ रही थी. विमला मैडम सीमा के उस सवाल से बचना चाहती थीं जो उस ने गेट से बाहर आते ही दाग दिया था, ‘‘मम्मी, मैं आप की और विमल सर की अवैध संतान हूं?’’

वे बिना कोई उत्तर दिए चली जा रही थीं. इसलिए जब उन के बगल से एक आटो गुजरा तो उसे रोक कर अपनी बेटी सीमा को लगभग खींचते हुए आटो में बैठ गईं. उन्हें पता था, उन की बेटी आटोचालक के सामने कुछ नहीं बोलेगी.

आज जो कुछ घटा उस की उम्मीद उन को सपने में भी नहीं थी. आज उन के स्कूल की छुट्टी जल्दी हो गई थी तब उन्होंने अपनी बेटी को भी छुट्टी दिला कर बाजार जाने की सोची थी. इसलिए, वे उस की बड़ी मैडम से अपनी बेटी की छुट्टी स्वीकृत करा कर, स्टाफरूम में बैठी थीं. तभी विमल सर स्टाफरूम में आए. विमला मैडम विमल सर से बात कर रही थीं. उसी समय सीमा स्टाफरूम में घुसी. उसे देख कर विमल सर बोले, ‘‘यह तुम्हारी बेटी है, तभी…’’ उन के बात आगे बढ़ाने से पूर्व ही विमला मैडम ने इशारे से उन्हें रोक दिया. परंतु सर के ये शब्द सीमा के कान में पड़ गए. उस समय तो सीमा कुछ नहीं बोली परंतु गेट से बाहर आते ही मम्मी से पूछे बिना नहीं रही.

आटो में चुप बैठी रही सीमा घर पहुंचते ही बोल पड़ी, ‘‘मम्मी, आप जवाब नहीं दे रही हो जबकि मेरी सहेलियां मुझे चिढ़ाती हैं. कहती हैं, ‘तू भी कानपुर की और सर भी कानपुर के, और तेरे में सर का अक्स दिखाई देता है. कहीं तेरी मम्मी और सर के बीच अफेयर तो नहीं था?’ और आज उन के शब्द ‘यह तुम्हारी बेटी है, तभी’. तब क्या, मैं आप की और सर की अवैध संतान हूं?’’

विमला उस की बात को टालते हुए बोलीं, ‘‘जब तू पेट में थी तब तेरे सर के परिवार का घर में बहुत आनाजाना था, इसीलिए.’’

‘‘मम्मी, आप ने मुझे बच्चा समझा है. मैं सर से ही पूछ लूंगी,’’ कह कर सीमा वहां से उठ गई.

विमला ने उसे रोका नहीं क्योंकि उन को पता था, वह जो सोच लेती है, करती है. सीमा चायनाश्ता कर अपने कमरे में आ कर लेट गई. टीवी चला लिया परंतु उस का प्रिय प्रोग्राम भी उस को शांति नहीं दे रहा था. ‘यह तुम्हारी बेटी है, तभी…’, ये ही शब्द उस के कानों में बारबार गूंज रहे थे. तभी फोन की घंटी बजी. उस ने फोन उठाया, उधर उस की सहेली मधु थी, ‘‘तू भी घर आ गई पागल, घड़ी देख, 4 से ज्यादा बज गए हैं.’’

इधरउधर की बातें करने के बजाय सीमा ने सीधे ही पूछ लिया, ‘‘तू विमल सर का घर जानती है?’’

‘‘क्यों? क्या तू भी सर से ट्यूशन पढ़ना चाहती है? हां, वह बहुत अच्छा पढ़ाते हैं. अरे हां, तेरा विषय तो सर पढ़ाते नहीं हैं. फिर तू…?’’

‘‘तुझ से जितना पूछा है उतना बता. मैं खुद चली जाऊंगी, तू केवल पता बता.’’

‘‘ऐसा कर, गांधी चौक की ओर से मेरे घर की ओर आएगी, तो पहले ही मोड़ पर अंतिम मकान है. उन के नाम की प्लेट लगी है.’’

उस ने फोन रख दिया और मम्मी से बोल दिया, ‘‘मैं मधु के घर जा रही हूं, जल्दी घर आ जाऊंगी.’’

कुछ ही देर में सीमा सर के घर पहुंच गई. वह पहले झिझकी, फिर घंटी बजा दी. दरवाजा सर ने ही खोला. एक पल को वह सर को देखती ही रही क्योंकि आज उसे सर दूसरे ही रूप में दिख रहे थे और फिर उसे अपना मकसद ध्यान आया और सर के कुछ बोलने से पहले ही वह बोल पड़ी, ‘‘सर, क्या मैं आप की और मम्मी की अवैध संतान हूं?’’

सर को शायद ऐसे प्रश्न की उम्मीद नहीं थी.

इसलिए सर ने कहा, ‘‘देखो बेटे, ऐसे प्रश्न दरवाजे पर नहीं किए जाते. अंदर आओ. मैं तुम्हारे हर प्रश्न का उत्तर दूंगा.’’

वह अंदर आ गई. अंदर सर ने अपनी मम्मी से उस का परिचय कराया, ‘‘मम्मी, यह विमला की बेटी है.’’

सर की मम्मी पुलकित हो उठीं, ‘‘मम्मी को भी ले आती.’’

उन के और कुछ बोलने से पूर्व ही सर ने मम्मी को कहा, ‘‘मम्मी, बाकी बातें बाद में हो जाएंगी. इसे चायनाश्ता कराओ. पहली बार घर आई है,’’ उन के चले जाने के बाद सर बोले, ‘‘हां, अब बोलो.’’

‘‘सर, मैं आप की और मम्मी की अवैध संतान हूं?’’

‘‘देखो बेटे, संतान अवैध नहीं होती, बल्कि संबंध अवैध होते हैं. और फिर मेरे और तुम्हारी मम्मी के संबंधों को तो तुम्हारे पापा की स्वीकृति थी.’’

यह सुनते ही सीमा का मुंह खुला का खुला रह गया. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कोई इतना नीचे भी गिर सकता है. उसे यह समझ नहीं आया कि पापा की क्या मजबूरी थी.

उस की परेशानी भांप कर सर बोले, ‘‘शांत हो कर बैठो, मैं सब बताता हूं. तुम्हारी मम्मी की शादी आम हिंदुस्तानी शादी थी. पहले 2 साल शादी की खुमारी में  निकल गए और फिर कानाफूसी शुरू हो गई कि घर में किलकारी क्यों नहीं गूंजी. पहले घर से और फिर आसपास. तुम्हारे पापा के दोस्त ताना मारने से नहीं चूकते. उधर, उन की मर्दानगी पर चुटकुले बनने लगे. साथ ही, डाक्टरी रिपोर्ट ने आग में घी का कार्य किया. कमी तुम्हारे पापा में मिली. ‘‘तुम्हारे पापा औफिस का गुस्सा घर में निकालने लगे. उन्हीं दिनों हमारा परिवार तुम्हारे पड़ोस में आ गया. तुम्हारी मम्मी हमारे घर आ जातीं. मैं तुम्हारी मम्मी के बाजार के काम कर देता. तुम्हारी मम्मी कोई बच्चा गोद लेने को कहतीं तो तुम्हारे पापा नाराज हो जाते. उन को अपनी मर्दानगी दिखानी थी. मेरे और तुम्हारी मम्मी के बीच निकटता बढ़ने लगी. तुम्हारे पापा ने हमारी निकटता को इग्नोर किया. फलस्वरूप, हमारी निकटता और बढ़ती गई और उस मुकाम तक पहुंच गई जिस के फलस्वरूप तुम अपनी मम्मी के पेट में आ गईं.

‘‘वह दिन मुझे आज भी याद है, मैं जब तुम्हारे घर पहुंचा तब तुम्हारी मम्मी के शब्द कान में पड़े, उन शब्दों को सुनते ही अंदर जा रहे मेरे कदम रुक गए. तुम्हारी मम्मी कह रही थीं, ‘लो, अब तुम भी मर्द बन गए. मैं गर्भवती हो गई. अब दोस्तों के सामने तुम्हारी गरदन नहीं झुकेगी.’ मुझे लगा कि मैं सिर्फ एक टूल था, जो तुम्हारे पापा को मर्द साबित करने के लिए इस्तेमाल किया गया था. मुझे तुम्हारी मम्मी पर गुस्सा आया. सोचा कि वहां जा कर अपनी नाराजगी जाहिर करूं लेकिन फिर मुझे तुम्हारी मम्मी पर तरस आ गया. मैं वापस घर आ गया. उस के बाद मैं कभी तुम्हारे घर नहीं गया.

‘‘उसी दौरान मेरे पापा का तबादला हो गया. जिस दिन हम जा रहे थे उस दिन तुम्हारी मम्मी हमें छोड़ने आई थीं. वे कुछ नहीं बोलीं लेकिन उन की चुप्पी भी बहुतकुछ कह गई. मैं ने उन को माफ कर दिया.’’

सर की मम्मी, जो वहां आ गई थीं, ने सब सुन लिया था, बोल पड़ीं, ‘‘बेटा, इस ने खुद को माफ नहीं किया और अब तक शादी नहीं की.’’

‘‘तुम्हारी मम्मी की खबरें शोभा आंटी से मिलती रहीं. तुम्हारा जन्म हुआ. तुम्हारे पिता ने पार्टी दी. लेकिन बताते हैं कि उन के चेहरे पर वह खुशी नहीं दिखाई दी जो एक बाप के चेहरे पर दिखाई देनी चाहिए थी. तुम्हारी मम्मी और पापा में झगड़ा और बढ़ गया. तुम्हारा चेहरा देख कर उन को पता नहीं क्या हो जाता, शायद उन को अपनी नामर्दी ध्यान आ जाती या वे हीनभावना से ग्रस्त हो गए थे. तुम्हारी ओर ध्यान नहीं देते. तुम्हारी मम्मी के लिए तुम सबकुछ थीं. शायद वे तुम्हारे कारण अपने को भूल जातीं.

‘‘एक दिन तुम्हारी मम्मी बाथरूम में नहा रही थीं. तुम जोरजोर से रो रही थीं. तुम्हारे पापा वहीं खड़े थे परंतु उन्होंने तुम्हें चुप नहीं कराया. उसी समय शोभा आंटी आ गईं. तुम्हें जोरजोर से रोते देख कर वे तुम्हारे पापा से बोलीं, ‘कैसा बाप है? लड़की रोए जा रही है और तू अपनी टाई बांधने में लगा है, जैसे यह तेरी बेटी नहीं है.’ आंटी के बोलते ही वे आगबबूला हो उठे. वे चीखे, ‘हांहां, यह मेरी बेटी नहीं है. मैं तो नपुंसक हूं.’

‘‘इतना कह कर वे घर से निकल गए और फिर केवल उन की मौत की सूचना आई कि उन्होंने रेलगाड़ी के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली थी. बस, एक ही बात उन्होंने अच्छी की, अपनी मौत के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया.

‘‘कुछ दिन के बाद तुम्हारे मामा, तुम्हारी मम्मी और तुम को ले कर चले गए.’’

बात गंभीर हो गई थी. एक तरह से वहां चुप्पी छा गई. चुप्पी सीमा ने ही तोड़ी, ‘‘सर, मेरी शादी के बाद मेरी मम्मी अकेली रह जाएंगी. आप भी कभी अकेले हो जाओगे. इसलिए आप और  मम्मी अपने उन अवैध संबंधों को वैध नहीं बना सकते?’’

‘‘पगली, अब हमारी शादी की उम्र थोड़े ही है, अब तो तेरी शादी करनी है.’’

‘‘लेकिन सर, आप से मिलने के बाद मैं ने मम्मी के चेहरे पर अलग चमक देखी थी. और अब जब आप ने घर के दरवाजे पर मुझे देखा तो आप के चेहरे पर भी वही चमक मैं ने महसूस की.’’

‘‘बहुत बड़ी हो गई है तू और लोगों को पढ़ना भी जानती है.’’

‘‘प्लीज, सर.’’

‘‘तू एक तरफ तो मुझे पापा बनाना चाहती है और दूसरी ओर सरसर भी करे जा रही है. पापा नहीं कह सकती.’’

‘‘सौरी, पापा,’’ कहती हुई वह सर से लिपट गई. दादी ने उस के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘चल बेटा, अपनी बहू के पास चलते हैं.’’

सीमा ने उन को रोक दिया, ‘‘पहले मैं मम्मी से बात कर लूं.’’

‘‘मैं तेरी मम्मी को जानती हूं. वह भी राजी हो ही जाएगी.’’

‘‘हां, दादी, मम्मी मेरी खुशी के लिए कुछ भी कर सकती हैं.’’

सीमा वापस घर जाने के लिए उठ खड़ी हुई तब विमल सर उसे छोड़ने आ गए. उधर, विमला सीमा के लिए चिंतित हो रही थीं. दरवाजे की घंटी बजी. दरवाजा खोलने पर सामने सीमा ही थी. विमला चीखीं, ‘‘कहां गई थी?’’

‘‘पापा के पास.’’

‘‘तेरे पापा तो मर चुके हैं.’’

‘‘वे मेरे पापा नहीं थे. वे आप के पति थे. और फिर वे तो पति कहलाने लायक भी नहीं क्योंकि वे तन से ही नहीं मन से भी नपुंसक थे, जो अपनी पत्नी को पराए मर्द के साथ सोने को प्रेरित करता है मात्र इसलिए कि दुनिया के सामने अपने को मर्द दिखा सके. अपने को मर्द दिखाने के लिए पत्नी द्वारा बच्चा गोद ले लेने के विचार को भी न सुने.’’

‘‘तो इतना जहर भर दिया उस ने. मुझे उस से यह उम्मीद नहीं थी. मैं इसीलिए चुप थी कि यह सुन कर तू मुझ से भी घृणा करने लगती.’’

‘‘मम्मी, मैं आप से घृणा करूंगी? आप ने जिस तरह मेरी परवरिश की है उस पर मुझे गर्व है कि तुम मेरी मां हो. पापा भी ऐसे नहीं हैं. दरवाजे पर मुझे देख कर उन की नजर इधरउधर घूम रही थी. वे शायद आप को खोज रहे थे.’’

फिर कुछ समय तक चुप्पी छाई रही. दोनों एकदूसरे को देखती रहीं. फिर सीमा ही बोली, ‘‘मम्मी, आप और सर अपने अवैध संबंधों को वैध नहीं बना सकते?’’

‘‘नहीं बेटा, अब मुझे तेरी शादी करनी है, अपनी नहीं.’’

‘‘मम्मी, पापा को पता है मैं उन की बेटी हूं परंतु मुझे बेटी नहीं कह सकते. मैं जानते हुए भी उन को पापा नहीं कह सकती. और आप मेरे सामने खोखली हंसी हंसोगी और अकेले में रोओगी.’’

‘‘लेकिन बेटा, लोग क्या कहेंगे?’’

‘‘उन की चिंता नहीं है. मुझे आप की चिंता है. मेरी शादी के बाद आप अकेली रह जाओगी और उधर, दादी कितने दिन की मेहमान हैं. बाद में पापा भी अकेले हो जाएंगे.’’

विमला विचारमग्न हो गईं. फिर अचानक बोल पड़ीं, ‘‘तू अकेली आई, कैसा पिता है? जवान लड़की को रात में अकेला भेज दिया.’’

‘‘नहीं, मम्मी, पापा आए थे.’’

‘‘फिर अंदर क्यों नहीं आए?’’

‘‘मम्मी, मैं ने मना कर दिया था. मैं चाहती थी कि पहले मैं आप से बात कर लूं.’’

‘‘ओह, क्या बात है. बड़ी समझदार हो गई है मेरी लाड़ली.’’

तभी फोन की घंटी बजी. सीमा ने फोन उठाया, उधर दादी थीं. उस ने फोन मम्मी को दे दिया. मम्मी बोलीं, ‘‘नमस्ते, आंटी.’’

‘‘अरे, मैं अब तेरी आंटी नहीं, बल्कि अब तेरी सास हूं.’’ इस के बाद की कहानी भी छोटी सी रह गई है. सीमा के मम्मीपापा के अवैध संबंध वैध बन गए. सब बहुत खुश थे. सब से ज्यादा कौन खुश था, बताने की जरूरत नहीं.

आज जब मैं यह कहानी लिख रहा हूं तब सीमा मेरे पास बैठी है, पूछ रही है, ‘पापा, मैं ने सही किया या गलत?’

अब आप लोग ही बताएं सीमा ने सही किया या गलत?

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March 31, 2020 at 10:00AM

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