Tuesday 31 March 2020

आंखों में इंद्रधनुष:भाग2

‘‘वे रंग कहां मिलेंगे?’’ गुलाबी रंग वाली लड़की ने उत्साह से उस के हाथ को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर से दबा दिया, ‘‘चलो, मुझे वहां ले चलो. मैं उन रंगों को भी अपने तनमन में बसा लेना चाहती हूं.’’ लड़की सचमुच बहुत भोली थी और काले रंग की चाल को नहीं समझ पा रही थी. लड़कियां जब अपनी आंखों में इंद्रधनुष बसा लेती हैं तो उन की आंखों में जीवन के वास्तविक रंग खो जाते हैं और वे ऐसे काल्पनिक रंगों की विविधता में खो जाती हैं कि उन को पाने के चक्कर में अपना बहुतकुछ गंवा देती हैं.

काले रंग ने उसे अपने रंग में रंगते हुए कहा, ‘‘इन रंगों को पाने के लिए हमें एकांत की अंधेरी गलियों में जाना होगा. वहां हमें कुछ दिखाई नहीं देगा, परंतु हम अपने हाथों से उन रंगों को प्राप्त कर सकते हैं. अगर तुम सहमत हो तो हम चलें और उन रंगों को खोज कर अपने हाथों से अपने तनबदन में भर लें. देखना, बहुत अच्छे लगेंगे तुम को वे रंग, जब वे तुम्हारी पकड़ में आ जाएंगे.’’ गुलाबी रंग वाली लड़की को काले रंग की मंशा का अंदाजा नहीं था. वह बस जीवन को सुख प्रदान करने वाले कुछ और रंगों को अपने तनबदन में समेट लेना चाहती थी. इंद्रधनुष के रंग उस की आंखों में कम पड़ने लगे थे. अब उसे उन रंगों की तलाश थी जो उस के तनबदन से लिपट कर उसे जीवन के अभी तक अपरिचित सुख से सराबोर कर दें. वह भोली थी, परंतु उत्सुक थी. और जहां ये दोनों चीजें हों वहां बुद्धिमत्ता नहीं हो सकती, सतर्कता नाम की किसी चीज से इन का कोई वास्ता नहीं होता.

और फिर अपनी आंखों में इंद्रधनुष लिए वह यहांवहां भटकती रही. जंगल के वीरान सन्नाटे में, होटल के बदबूदार नीमअंधेरे कमरे में, बगीचों के पौधों के पीछे की नरम मिट्टी पर उगी गुदगुदी घास पर और न जाने कहांकहां. उसे जीवन के सुखद रंगों की तलाश थी और इस तलाश में वह बहुतकुछ भूल गई थी, अपने घरपरिवार को, नातेरिश्तेदारों को, सगेसंबंधियों को और कालेज के दोस्तों को… उसे कुछ रंग पाने थे. वे रंग जिन को उस ने जीवन में पहले कभी नहीं देखा था. वह उस काले रंग के माध्यम से उन रंगों को खोजने निकली थी, परंतु वह स्वयं भटक गई थी, ऐसी अंधेरी गलियों में जहां काले रंग ने अपने खुरदरे हाथों से उस के बदन में कुछ ऐसे बीज बो दिए थे, जो धीरेधीरे उग रहे थे और उस के बदन में कुछ ऐसी मिठास भर रहे थे कि वह दिनोदिन मदहोश होती जा रही थी.

उस के होशहवास गुम थे और उसे पता नहीं था कि वह किस दुनिया में विचरण कर रही थी. परंतु जो भी हो रहा था, उसे अच्छा लग रहा था. फिर एक दिन काले रंग ने उस के बदन के सारे रंग चुरा लिए और उस के अंदर एक काला रंग भर दिया. गुलाबी रंग को पता नहीं चला कि उसे सुख प्रदान करने वाले कौन से रंग प्राप्त हुए थे, परंतु ये जो भी रंग थे, उसे सुखद ही लग रहे थे. उन रंगों को वह पहचान नहीं पा रही थी और शायद जीवन के अंत तक न पहचान पाए, परंतु इन बदरंग रंगों में खोने का उसे कोई अफसोस नहीं था. उस की आंखों के इंद्रधनुष में काला रंग पूरी तरह से घटाओं की तरह छा गया और वह भी उन घटाओं की फुहारों में भीग कर प्रफुल्लित अनुभव कर रही थी.

एक दिन गुलाबी रंग के अंदर एक दूसरा काला रंग उभरने लगा. वह चिंतित हुई और उस ने काले रंग को इस संबंध में बताया कि वह अपने अंदर कुछ परिवर्तन अनुभव कर रही थी और उसे लग रहा था कि उस के अंदर एक काला रंग धीरेधीरे कागज पर फैली स्याही की तरह फैलने लगा था. काला रंग थोड़ी देर के लिए सन्न सा रह गया. उस ने अविश्वसनीय भाव से गुलाबी रंग को देखा, उस की आंखों में इंद्रधनुष ढूंढ़ने का प्रयास किया, परंतु उस की आंखों का इंद्रधनुष फीका सा लगा. वह भयभीत हो गया, परंतु चतुराई से उस ने अपने चेहरे के भावों को गुलाबी रंग वाली लड़की से छिपा लिया. फिर धीरे से जमीन की तरफ देखता हुआ बोला, ‘‘नहीं, कुछ नहीं हुआ. तुम ठीक हो.’’

‘‘नहीं, कुछ तो हुआ है. मेरे मन में एक अजीब सी बेचैनी घर कर गई है. मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता. मेरे शरीर में कुछ परिवर्तन हो रहा है, जिसे मैं ठीक से समझ नहीं पा रही हूं.’’

‘‘यह तुम्हारा भ्रम है. तुम ने ढेर सारे रंग एकसाथ अपने हाथों से समेट कर अपने बदन में भर लिए हैं, इसीलिए तुम्हें ऐसा लग रहा है. धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा.’’ ‘‘काश, सबकुछ ठीक हो जाए, परंतु मैं अपने मन को कैसे समझाऊं? मेरे घर वाले भी अब तो और ज्यादा सतर्क व चौकन्ने हो कर मेरी हरकतों पर नजर रख रहे हैं. उन की आंखों में ऐसे रंग उभर आते हैं कि कभीकभी मैं डर जाती हूं,’’ उस ने काले रंग को जोर से पकड़ते हुए कहा. काला रंग यह बात सुन कर और अधिक भयभीत हो गया. अगर गुलाबी रंग के घर वालों को सबकुछ पता चल गया तो उस का क्या होगा? वह तो बेमौत मारा जाएगा. वे लोग पता नहीं क्या करेंगे उस के साथ? कहीं यह मासूम लड़की घर वालों के दबाव में आ कर सबकुछ बता न दे. उस ने लड़की की पकड़ से धीरे से अपने को छुड़ाया और चौकन्नी निगाहों से चारों तरफ इस तरह देखने लगा जैसे उसी वक्त वहां से भाग जाना चाहता हो.

उस दिन लड़की को ढेर सारी सांत्वना और झूठे आश्वासन दे कर उस ने अपने को उस के चंगुल से छुड़ाया और फिर वह काला रंग पता नहीं कहां गुम हो गया. प्रत्यक्ष रूप से तो वह अवश्य लुप्त हो गया था परंतु पूरी तरह से कैसे गुम हो सकता था? उस का प्रतिरूप लड़की के अंदर धीमी गति से अपने पैर पसारने लगा था और गुलाबी रंग वाली लड़की यह बात अच्छी तरह समझ गई थी कि उस के जीवन में अब कुछ ठीक नहीं होने वाला था. अपनी निगाहों और हाथों से सुख प्रदान करने वाले जितने रंग उस ने पकड़ कर अपने बदन में भरे थे, वे सारे पिघल कर बह गए थे और अब केवल एक ही रंग बचा था, जो उस के अंदर धीरेधीरे गाढ़ा होता जा रहा था, वह था काला रंग.

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‘‘वे रंग कहां मिलेंगे?’’ गुलाबी रंग वाली लड़की ने उत्साह से उस के हाथ को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर से दबा दिया, ‘‘चलो, मुझे वहां ले चलो. मैं उन रंगों को भी अपने तनमन में बसा लेना चाहती हूं.’’ लड़की सचमुच बहुत भोली थी और काले रंग की चाल को नहीं समझ पा रही थी. लड़कियां जब अपनी आंखों में इंद्रधनुष बसा लेती हैं तो उन की आंखों में जीवन के वास्तविक रंग खो जाते हैं और वे ऐसे काल्पनिक रंगों की विविधता में खो जाती हैं कि उन को पाने के चक्कर में अपना बहुतकुछ गंवा देती हैं.

काले रंग ने उसे अपने रंग में रंगते हुए कहा, ‘‘इन रंगों को पाने के लिए हमें एकांत की अंधेरी गलियों में जाना होगा. वहां हमें कुछ दिखाई नहीं देगा, परंतु हम अपने हाथों से उन रंगों को प्राप्त कर सकते हैं. अगर तुम सहमत हो तो हम चलें और उन रंगों को खोज कर अपने हाथों से अपने तनबदन में भर लें. देखना, बहुत अच्छे लगेंगे तुम को वे रंग, जब वे तुम्हारी पकड़ में आ जाएंगे.’’ गुलाबी रंग वाली लड़की को काले रंग की मंशा का अंदाजा नहीं था. वह बस जीवन को सुख प्रदान करने वाले कुछ और रंगों को अपने तनबदन में समेट लेना चाहती थी. इंद्रधनुष के रंग उस की आंखों में कम पड़ने लगे थे. अब उसे उन रंगों की तलाश थी जो उस के तनबदन से लिपट कर उसे जीवन के अभी तक अपरिचित सुख से सराबोर कर दें. वह भोली थी, परंतु उत्सुक थी. और जहां ये दोनों चीजें हों वहां बुद्धिमत्ता नहीं हो सकती, सतर्कता नाम की किसी चीज से इन का कोई वास्ता नहीं होता.

और फिर अपनी आंखों में इंद्रधनुष लिए वह यहांवहां भटकती रही. जंगल के वीरान सन्नाटे में, होटल के बदबूदार नीमअंधेरे कमरे में, बगीचों के पौधों के पीछे की नरम मिट्टी पर उगी गुदगुदी घास पर और न जाने कहांकहां. उसे जीवन के सुखद रंगों की तलाश थी और इस तलाश में वह बहुतकुछ भूल गई थी, अपने घरपरिवार को, नातेरिश्तेदारों को, सगेसंबंधियों को और कालेज के दोस्तों को… उसे कुछ रंग पाने थे. वे रंग जिन को उस ने जीवन में पहले कभी नहीं देखा था. वह उस काले रंग के माध्यम से उन रंगों को खोजने निकली थी, परंतु वह स्वयं भटक गई थी, ऐसी अंधेरी गलियों में जहां काले रंग ने अपने खुरदरे हाथों से उस के बदन में कुछ ऐसे बीज बो दिए थे, जो धीरेधीरे उग रहे थे और उस के बदन में कुछ ऐसी मिठास भर रहे थे कि वह दिनोदिन मदहोश होती जा रही थी.

उस के होशहवास गुम थे और उसे पता नहीं था कि वह किस दुनिया में विचरण कर रही थी. परंतु जो भी हो रहा था, उसे अच्छा लग रहा था. फिर एक दिन काले रंग ने उस के बदन के सारे रंग चुरा लिए और उस के अंदर एक काला रंग भर दिया. गुलाबी रंग को पता नहीं चला कि उसे सुख प्रदान करने वाले कौन से रंग प्राप्त हुए थे, परंतु ये जो भी रंग थे, उसे सुखद ही लग रहे थे. उन रंगों को वह पहचान नहीं पा रही थी और शायद जीवन के अंत तक न पहचान पाए, परंतु इन बदरंग रंगों में खोने का उसे कोई अफसोस नहीं था. उस की आंखों के इंद्रधनुष में काला रंग पूरी तरह से घटाओं की तरह छा गया और वह भी उन घटाओं की फुहारों में भीग कर प्रफुल्लित अनुभव कर रही थी.

एक दिन गुलाबी रंग के अंदर एक दूसरा काला रंग उभरने लगा. वह चिंतित हुई और उस ने काले रंग को इस संबंध में बताया कि वह अपने अंदर कुछ परिवर्तन अनुभव कर रही थी और उसे लग रहा था कि उस के अंदर एक काला रंग धीरेधीरे कागज पर फैली स्याही की तरह फैलने लगा था. काला रंग थोड़ी देर के लिए सन्न सा रह गया. उस ने अविश्वसनीय भाव से गुलाबी रंग को देखा, उस की आंखों में इंद्रधनुष ढूंढ़ने का प्रयास किया, परंतु उस की आंखों का इंद्रधनुष फीका सा लगा. वह भयभीत हो गया, परंतु चतुराई से उस ने अपने चेहरे के भावों को गुलाबी रंग वाली लड़की से छिपा लिया. फिर धीरे से जमीन की तरफ देखता हुआ बोला, ‘‘नहीं, कुछ नहीं हुआ. तुम ठीक हो.’’

‘‘नहीं, कुछ तो हुआ है. मेरे मन में एक अजीब सी बेचैनी घर कर गई है. मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता. मेरे शरीर में कुछ परिवर्तन हो रहा है, जिसे मैं ठीक से समझ नहीं पा रही हूं.’’

‘‘यह तुम्हारा भ्रम है. तुम ने ढेर सारे रंग एकसाथ अपने हाथों से समेट कर अपने बदन में भर लिए हैं, इसीलिए तुम्हें ऐसा लग रहा है. धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा.’’ ‘‘काश, सबकुछ ठीक हो जाए, परंतु मैं अपने मन को कैसे समझाऊं? मेरे घर वाले भी अब तो और ज्यादा सतर्क व चौकन्ने हो कर मेरी हरकतों पर नजर रख रहे हैं. उन की आंखों में ऐसे रंग उभर आते हैं कि कभीकभी मैं डर जाती हूं,’’ उस ने काले रंग को जोर से पकड़ते हुए कहा. काला रंग यह बात सुन कर और अधिक भयभीत हो गया. अगर गुलाबी रंग के घर वालों को सबकुछ पता चल गया तो उस का क्या होगा? वह तो बेमौत मारा जाएगा. वे लोग पता नहीं क्या करेंगे उस के साथ? कहीं यह मासूम लड़की घर वालों के दबाव में आ कर सबकुछ बता न दे. उस ने लड़की की पकड़ से धीरे से अपने को छुड़ाया और चौकन्नी निगाहों से चारों तरफ इस तरह देखने लगा जैसे उसी वक्त वहां से भाग जाना चाहता हो.

उस दिन लड़की को ढेर सारी सांत्वना और झूठे आश्वासन दे कर उस ने अपने को उस के चंगुल से छुड़ाया और फिर वह काला रंग पता नहीं कहां गुम हो गया. प्रत्यक्ष रूप से तो वह अवश्य लुप्त हो गया था परंतु पूरी तरह से कैसे गुम हो सकता था? उस का प्रतिरूप लड़की के अंदर धीमी गति से अपने पैर पसारने लगा था और गुलाबी रंग वाली लड़की यह बात अच्छी तरह समझ गई थी कि उस के जीवन में अब कुछ ठीक नहीं होने वाला था. अपनी निगाहों और हाथों से सुख प्रदान करने वाले जितने रंग उस ने पकड़ कर अपने बदन में भरे थे, वे सारे पिघल कर बह गए थे और अब केवल एक ही रंग बचा था, जो उस के अंदर धीरेधीरे गाढ़ा होता जा रहा था, वह था काला रंग.

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April 01, 2020 at 10:00AM

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