Sunday 30 May 2021

विश्वास का मोल :आशीष को अपने पैदा होने पर क्यों पछतावा हो रहा था – भाग 3

लेखिका-रेणु दीप

एक दिन मैं दीदी के साथ सो रही थी कि आधी रात को अचानक वे उठ कर बैठ गईं. उन्होंने मु झे  झक झोर कर जगाया और अपना सीना बेचैनी से मलते हुए कहने लगीं, ‘‘लल्ली… लल्ली, मेरे दिल पर बहुत बड़े पाप का बो झ है जिस के चलते मैं कलपकलप कर दिन बिता रही हूं. मेरे दिल का चैन छिन गया है. तेरी दिल्ली वाली वह नहीं जो बाहर से दिखती है. वह गिरी हुई एक औरत है. मैं ने एक गैरमर्द के साथ संबंध बनाए हैं. तेरे जीजाजी नामर्द हैं, सो, मैं बद्रीबाबा की मर्दानगी पर री झ गई थी. जिंदगी में पहली बार मैं किसी पूरे मर्द के संपर्क में आई थी और न जाने क्या हुआ, मैं उस पर अपना सबकुछ लुटा बैठी.

‘‘तेरे जीजाजी की नामर्दी के चलते मैं ने बहुत दिन अपनी देह की आंच में सुलग कर बिताए हैं. बद्रीबाबा की मर्दानगी पर मैं अपना तनमन, सबकुछ लुटा बैठी थी.  झरना और आशीष उसी बद्रीबाबा की संतानें हैं. मैं ने इतने बुरे कर्म किए हैं जिन की सजा विधाता ने मेरे आशीष को मु झ से छीन कर दी है. सच लल्ली, तेरे जीजाजी तो महान पुरुष हैं, सबकुछ जानसम झ कर भी उन्होंने कभी मु झ से एक शब्द तक नहीं कहा. उन्होंने आशीष और  झरना को सगे बाप सा प्यार दिया.

‘‘उसी बद्रीबाबा ने ही चिन्मयानंद की घुसपैठ मेरे घर में कराई और उस ने तेरे जीजाजी को नशे की लत लगा दी है जिस में डूब कर वे व्यापार से अपना ध्यान हटा बैठे हैं. तेरे जीजाजी का सारा व्यापार चिन्मयानंद ने अपने कब्जे में कर लिया था और मैं चिन्मयानंद को अपना मानती रही. उफ, यह मैं ने अपने ही घर में कैसी बरबादी कर डाली,’’ कह कर दीदी फूटफूट कर रो पड़ी थीं.

‘‘दिल्ली वाली, जो होना था सो तो हो चुका. तुम्हारे परिवार वाले तुम्हारे साथ हैं. चिंता मत करो. अब बद्रीबाबा और चिन्मयानंद का खेल खत्म हो चुका. वे अब तुम्हारा और अनिष्ट नहीं कर पाएंगे,’’ मैं ने दीदी को सांत्वना दे कर नींद की 2 गोलियां दी थीं जिस से वे नींद की आगोश में समा गई थीं.

इधर, पुलिस ने बद्रीबाबा के ठिकाने पर छापा मारा था जहां से उस ने नशीले पदार्थों का अपार भंडार जब्त किया था. बद्रीबाबा नशीले पदार्थों का व्यापार करता था. उस के ठिकाने पर करीब 25 साधुओं का गिरोह था. सारे साधु भ्रष्ट थे और उन्हें नशीले पदार्थों की लत थी. निसंतान और अन्य समस्याओं से जकड़ी औरतों व उन के परिवारजनों को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों से अपने चंगुल में फंसाना उन का पेशा था. वे अकसर बेऔलाद औरतों को अपनी वासना का शिकार बनाते थे. पुलिस ने बद्रीबाबा समेत सभी 25 साधुओं को गिरफ्तार कर लिया था.

आशीष के क्रियाकर्म के बाद एक दिन  झरना ने मु झे से कहा था, ‘मौसी, मु झे अपने अस्तित्व से घृणा हो गई है. अभी थोड़े दिनों पहले जब से मां ने मु झे बताया था कि मैं ब्रदीबाबा की संतान हूं, मैं इन साधुओं के प्रति अजीब सा अपनापन महसूस करने लगी थी.

‘‘मैं खुद को उन में से एक मानने लगी थी और जब चिन्मयानंद मेरे संपर्क में आया तो मैं उस की ओर बुरी तरह आकर्षित हो गई थी. लेकिन अब मेरा भ्रमजाल पूरी तरह टूट चुका है. ये साधुसंत निरे अपराधी होते हैं. अब तो मु झे मम्मीपापा को संभालना है. पापा को ठीक करना है. उन की नशे की लत छुड़ानी है जिस से वे एक बार फिर से सामान्य, खुशहाल जिंदगी जी सकें.’’

दीदी के घर पर सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी लगवा कर और उन्हें भलीभांति यह सम झा कर कि वे दोबारा बद्रीबाबा या चिन्मयानंद के किसी चेले या संगीसाथी से बात तक न करें, हम वापस लौट आए थे. लौटते वक्त बस एक ही विचार मन में बारबार आ रहा था कि धर्मभीरुता और सरल स्वभाव का कितना बड़ा खमियाजा चुकाना पड़ा था दिल्ली वाली को.

 

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लेखिका-रेणु दीप

एक दिन मैं दीदी के साथ सो रही थी कि आधी रात को अचानक वे उठ कर बैठ गईं. उन्होंने मु झे  झक झोर कर जगाया और अपना सीना बेचैनी से मलते हुए कहने लगीं, ‘‘लल्ली… लल्ली, मेरे दिल पर बहुत बड़े पाप का बो झ है जिस के चलते मैं कलपकलप कर दिन बिता रही हूं. मेरे दिल का चैन छिन गया है. तेरी दिल्ली वाली वह नहीं जो बाहर से दिखती है. वह गिरी हुई एक औरत है. मैं ने एक गैरमर्द के साथ संबंध बनाए हैं. तेरे जीजाजी नामर्द हैं, सो, मैं बद्रीबाबा की मर्दानगी पर री झ गई थी. जिंदगी में पहली बार मैं किसी पूरे मर्द के संपर्क में आई थी और न जाने क्या हुआ, मैं उस पर अपना सबकुछ लुटा बैठी.

‘‘तेरे जीजाजी की नामर्दी के चलते मैं ने बहुत दिन अपनी देह की आंच में सुलग कर बिताए हैं. बद्रीबाबा की मर्दानगी पर मैं अपना तनमन, सबकुछ लुटा बैठी थी.  झरना और आशीष उसी बद्रीबाबा की संतानें हैं. मैं ने इतने बुरे कर्म किए हैं जिन की सजा विधाता ने मेरे आशीष को मु झ से छीन कर दी है. सच लल्ली, तेरे जीजाजी तो महान पुरुष हैं, सबकुछ जानसम झ कर भी उन्होंने कभी मु झ से एक शब्द तक नहीं कहा. उन्होंने आशीष और  झरना को सगे बाप सा प्यार दिया.

‘‘उसी बद्रीबाबा ने ही चिन्मयानंद की घुसपैठ मेरे घर में कराई और उस ने तेरे जीजाजी को नशे की लत लगा दी है जिस में डूब कर वे व्यापार से अपना ध्यान हटा बैठे हैं. तेरे जीजाजी का सारा व्यापार चिन्मयानंद ने अपने कब्जे में कर लिया था और मैं चिन्मयानंद को अपना मानती रही. उफ, यह मैं ने अपने ही घर में कैसी बरबादी कर डाली,’’ कह कर दीदी फूटफूट कर रो पड़ी थीं.

‘‘दिल्ली वाली, जो होना था सो तो हो चुका. तुम्हारे परिवार वाले तुम्हारे साथ हैं. चिंता मत करो. अब बद्रीबाबा और चिन्मयानंद का खेल खत्म हो चुका. वे अब तुम्हारा और अनिष्ट नहीं कर पाएंगे,’’ मैं ने दीदी को सांत्वना दे कर नींद की 2 गोलियां दी थीं जिस से वे नींद की आगोश में समा गई थीं.

इधर, पुलिस ने बद्रीबाबा के ठिकाने पर छापा मारा था जहां से उस ने नशीले पदार्थों का अपार भंडार जब्त किया था. बद्रीबाबा नशीले पदार्थों का व्यापार करता था. उस के ठिकाने पर करीब 25 साधुओं का गिरोह था. सारे साधु भ्रष्ट थे और उन्हें नशीले पदार्थों की लत थी. निसंतान और अन्य समस्याओं से जकड़ी औरतों व उन के परिवारजनों को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों से अपने चंगुल में फंसाना उन का पेशा था. वे अकसर बेऔलाद औरतों को अपनी वासना का शिकार बनाते थे. पुलिस ने बद्रीबाबा समेत सभी 25 साधुओं को गिरफ्तार कर लिया था.

आशीष के क्रियाकर्म के बाद एक दिन  झरना ने मु झे से कहा था, ‘मौसी, मु झे अपने अस्तित्व से घृणा हो गई है. अभी थोड़े दिनों पहले जब से मां ने मु झे बताया था कि मैं ब्रदीबाबा की संतान हूं, मैं इन साधुओं के प्रति अजीब सा अपनापन महसूस करने लगी थी.

‘‘मैं खुद को उन में से एक मानने लगी थी और जब चिन्मयानंद मेरे संपर्क में आया तो मैं उस की ओर बुरी तरह आकर्षित हो गई थी. लेकिन अब मेरा भ्रमजाल पूरी तरह टूट चुका है. ये साधुसंत निरे अपराधी होते हैं. अब तो मु झे मम्मीपापा को संभालना है. पापा को ठीक करना है. उन की नशे की लत छुड़ानी है जिस से वे एक बार फिर से सामान्य, खुशहाल जिंदगी जी सकें.’’

दीदी के घर पर सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी लगवा कर और उन्हें भलीभांति यह सम झा कर कि वे दोबारा बद्रीबाबा या चिन्मयानंद के किसी चेले या संगीसाथी से बात तक न करें, हम वापस लौट आए थे. लौटते वक्त बस एक ही विचार मन में बारबार आ रहा था कि धर्मभीरुता और सरल स्वभाव का कितना बड़ा खमियाजा चुकाना पड़ा था दिल्ली वाली को.

 

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May 29, 2021 at 10:00AM

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