Sunday 28 June 2020

नया ठिकाना-भाग 2: मेनका को प्रथम पुरस्कार किसने दिया

मेनका बोली, ‘‘आप लोगों का आशीर्वाद है.’’

जब मेनका चिप्स और चैकलेट का पैसा देने लगी, तो रवि बोला, ‘‘मेरी तरफ से गिफ्ट है. हम गरीब आदमी और दे ही क्या सकते हैं?’’

मेनका भी निःशब्द हो गई और चिप्स और चैकलेट इसलिए ले लिया कि रवि के दिल को ठेस न पहुंचे.

मेनका भी रवि के विचारों से प्रभावित हो गई. मेनका रवि से एक दिन मोबाइल नंबर मांगी. रवि तो इस का इंतजार ही कर रहा था, लेकिन खुद मोबाइल नंबर मांगने में संकोच कर रहा था.

आज रवि बेहद खुश था और फोन के आने का इंतजार कर रहा था. जब भी मोबाइल रिंग करता, तो दिल धड़कने लगता. देखता तो दूसरे का फोन. मन खीज उठता. जब रवि रात में खाना खा कर करवटें बदल रहा था. नींद नहीं आ रही थी. ठीक रात 11 बजे रिंग टोन बजा. जल्दी से बटन दबाया, तो उधर से सुरीली आवाज आई, ‘‘सो गए क्या?’’

रवि बोला, ‘‘तुम ने तो हमारी नींद ही गायब कर दी. जिस दिन से डांस का तुम्हारा प्रोग्राम देखा है, उस दिन से हमारे दिमाग में वही घूमता रहता है. रात में नींद ही नहीं आती.’’

मेनका मुसकराते हुए एक गाना गाने लगी, ‘‘मुझे नींद न आए, मुझे चैन न आए, कोई जाए जरा ढूंढ के लाए, न जाने कहां दिल खो गया…’’

‘‘अरे मेनका, तुम तो गजब का गाना गाती हो. हम तो समझे थे कि सिर्फ डांस ही करती हो. कोयल से भी सुरीली आवाज है तुम्हारी. इस तरह की सुरीली आवाज विरले लोगों को ही नसीब होती है.’’

फिर दोनों इधरउधर की बहुत सी बातें करते रहे. मेनका से यह भी जानकारी मिली कि उस के पिता सरकारी अस्पताल में कंपाउंडर हैं और मां सरकारी स्कूल में टीचर. बातें करते पता ही नहीं चला और सुबह के 4 बज गए.

मेनका बोली, ‘‘अब कल रात में बात करेंगे.’’

रवि सुबहसवेरे घूमने के लिए बाहर निकल पड़ा. नहाधो कर चायनाश्ता कर के समय पर वह अपनी गुमटी पर चला गया. उस के दिमाग से अब मेनका का चेहरा उतर ही नहीं रहा था.

एक बुजुर्ग 50 ग्राम खैनी मांगता है. उसे रवि 100 ग्राम देने लगता है, तो वे बोलते हैं, ‘‘तुम्हारा दिमाग कहां है. 50 ग्राम की जगह 100 ग्राम दे रहे हो.’’

‘‘अच्छा, मैं ठीक से सुन नहीं पाया. अभी 50 ग्राम दिए देता हूं.’’

सुबह 10 बजने से पहले ही रवि मेनका का बेसब्री से इंतजार करने लगा. ठीक 10 बजे मेनका आई. मुसकराते हुए उस ने चिप्स और चैकलेट ली. आंखों से इशारा की. पैसे दी और चलती बनी.

रवि पैसा नहीं लेना चाहता था, लेकिन वहां कई लोग खड़े थे, इसलिए वह पैसे लेने से इनकार नहीं कर सका. कई लोग गुमटी पर ही इस के डांस की चर्चा करने लगे. क्या गजब का डांस किया था. रवि भी तारीफ करने लगा.

यह सिलसिला लगातार जारी रहा. मेनका हर रोज रात में फोन करती. छुट्टी का दिन छोड ़कर जब भी वह स्कूल आती. आतेजाते समय गुमटी पर अवश्य आती. चिप्स और चैकलेट के बहाने रवि को नजर भर देखती और चलते बनती.

रवि की शादी के लिए अगुआ आए थे. रवि के पिताजी बोल रहे थे. मेरी तबियत ठीक नहीं रहती. तेरी मां भी काम करतेकरते परेशान हो जाती है. जीतेजी अगर पतोहू देख लेते, तो अहोभाग्य होता.

‘‘पिताजी, इस गुमटी से 3 आदमी का ही पेट पालना मुश्किल होता है. हर चीज खरीद कर ही खानी है. किसी तरह 1-2 कमरा और बन जाते, तब शादीविवाह करते.’’

‘‘अरे बेटा, हमारे जीवन का कोई ठिकाना नहीं है. लड़की वाले भी बढ़िया हैं. तुम्हारे मामा जब शादी के लिए लड़की वाले को ले कर आए हैं, तो उन की बात भी माननी चाहिए.

‘‘बता रहे थे कि लड़की भी सुंदर और सुशील है. उस के मातापिता भी बहुत अच्छे हैं. इस तरह का परिवार हमेशा नहीं मिलेगा. लड़की भी मैट्रिक पास है. शादीविवाह में खर्च भी देने के लिए तैयार हैं. और क्या चाहिए?’’

यह सुन कर रवि उदास हो गया. अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि पिताजी को क्या जवाब दे. वह असमंजस में पड़ गया. वह चुप रहा. आगे कुछ भी नहीं बोल पाया. रवि के सामने तो संकट का पहाड़ खड़ा हो गया.एक तरफ मातापिता और दूसरी तरफ दिलोजान से चाहने वाली मेनका.

वह रात का इंतजार करने लगा. सोचा कि मेनका ही कुछ उपाय निकाल सकती है.

रात 11 बजे मोबाइल की घंटी बजी. हैलोहाय होने के बाद मेनका ने पूछा, ‘‘आज गुमटी नहीं खोली.क्यों…?’’

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मेनका बोली, ‘‘आप लोगों का आशीर्वाद है.’’

जब मेनका चिप्स और चैकलेट का पैसा देने लगी, तो रवि बोला, ‘‘मेरी तरफ से गिफ्ट है. हम गरीब आदमी और दे ही क्या सकते हैं?’’

मेनका भी निःशब्द हो गई और चिप्स और चैकलेट इसलिए ले लिया कि रवि के दिल को ठेस न पहुंचे.

मेनका भी रवि के विचारों से प्रभावित हो गई. मेनका रवि से एक दिन मोबाइल नंबर मांगी. रवि तो इस का इंतजार ही कर रहा था, लेकिन खुद मोबाइल नंबर मांगने में संकोच कर रहा था.

आज रवि बेहद खुश था और फोन के आने का इंतजार कर रहा था. जब भी मोबाइल रिंग करता, तो दिल धड़कने लगता. देखता तो दूसरे का फोन. मन खीज उठता. जब रवि रात में खाना खा कर करवटें बदल रहा था. नींद नहीं आ रही थी. ठीक रात 11 बजे रिंग टोन बजा. जल्दी से बटन दबाया, तो उधर से सुरीली आवाज आई, ‘‘सो गए क्या?’’

रवि बोला, ‘‘तुम ने तो हमारी नींद ही गायब कर दी. जिस दिन से डांस का तुम्हारा प्रोग्राम देखा है, उस दिन से हमारे दिमाग में वही घूमता रहता है. रात में नींद ही नहीं आती.’’

मेनका मुसकराते हुए एक गाना गाने लगी, ‘‘मुझे नींद न आए, मुझे चैन न आए, कोई जाए जरा ढूंढ के लाए, न जाने कहां दिल खो गया…’’

‘‘अरे मेनका, तुम तो गजब का गाना गाती हो. हम तो समझे थे कि सिर्फ डांस ही करती हो. कोयल से भी सुरीली आवाज है तुम्हारी. इस तरह की सुरीली आवाज विरले लोगों को ही नसीब होती है.’’

फिर दोनों इधरउधर की बहुत सी बातें करते रहे. मेनका से यह भी जानकारी मिली कि उस के पिता सरकारी अस्पताल में कंपाउंडर हैं और मां सरकारी स्कूल में टीचर. बातें करते पता ही नहीं चला और सुबह के 4 बज गए.

मेनका बोली, ‘‘अब कल रात में बात करेंगे.’’

रवि सुबहसवेरे घूमने के लिए बाहर निकल पड़ा. नहाधो कर चायनाश्ता कर के समय पर वह अपनी गुमटी पर चला गया. उस के दिमाग से अब मेनका का चेहरा उतर ही नहीं रहा था.

एक बुजुर्ग 50 ग्राम खैनी मांगता है. उसे रवि 100 ग्राम देने लगता है, तो वे बोलते हैं, ‘‘तुम्हारा दिमाग कहां है. 50 ग्राम की जगह 100 ग्राम दे रहे हो.’’

‘‘अच्छा, मैं ठीक से सुन नहीं पाया. अभी 50 ग्राम दिए देता हूं.’’

सुबह 10 बजने से पहले ही रवि मेनका का बेसब्री से इंतजार करने लगा. ठीक 10 बजे मेनका आई. मुसकराते हुए उस ने चिप्स और चैकलेट ली. आंखों से इशारा की. पैसे दी और चलती बनी.

रवि पैसा नहीं लेना चाहता था, लेकिन वहां कई लोग खड़े थे, इसलिए वह पैसे लेने से इनकार नहीं कर सका. कई लोग गुमटी पर ही इस के डांस की चर्चा करने लगे. क्या गजब का डांस किया था. रवि भी तारीफ करने लगा.

यह सिलसिला लगातार जारी रहा. मेनका हर रोज रात में फोन करती. छुट्टी का दिन छोड ़कर जब भी वह स्कूल आती. आतेजाते समय गुमटी पर अवश्य आती. चिप्स और चैकलेट के बहाने रवि को नजर भर देखती और चलते बनती.

रवि की शादी के लिए अगुआ आए थे. रवि के पिताजी बोल रहे थे. मेरी तबियत ठीक नहीं रहती. तेरी मां भी काम करतेकरते परेशान हो जाती है. जीतेजी अगर पतोहू देख लेते, तो अहोभाग्य होता.

‘‘पिताजी, इस गुमटी से 3 आदमी का ही पेट पालना मुश्किल होता है. हर चीज खरीद कर ही खानी है. किसी तरह 1-2 कमरा और बन जाते, तब शादीविवाह करते.’’

‘‘अरे बेटा, हमारे जीवन का कोई ठिकाना नहीं है. लड़की वाले भी बढ़िया हैं. तुम्हारे मामा जब शादी के लिए लड़की वाले को ले कर आए हैं, तो उन की बात भी माननी चाहिए.

‘‘बता रहे थे कि लड़की भी सुंदर और सुशील है. उस के मातापिता भी बहुत अच्छे हैं. इस तरह का परिवार हमेशा नहीं मिलेगा. लड़की भी मैट्रिक पास है. शादीविवाह में खर्च भी देने के लिए तैयार हैं. और क्या चाहिए?’’

यह सुन कर रवि उदास हो गया. अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि पिताजी को क्या जवाब दे. वह असमंजस में पड़ गया. वह चुप रहा. आगे कुछ भी नहीं बोल पाया. रवि के सामने तो संकट का पहाड़ खड़ा हो गया.एक तरफ मातापिता और दूसरी तरफ दिलोजान से चाहने वाली मेनका.

वह रात का इंतजार करने लगा. सोचा कि मेनका ही कुछ उपाय निकाल सकती है.

रात 11 बजे मोबाइल की घंटी बजी. हैलोहाय होने के बाद मेनका ने पूछा, ‘‘आज गुमटी नहीं खोली.क्यों…?’’

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June 29, 2020 at 10:00AM

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