Sunday 28 June 2020

नया ठिकाना-भाग 1: मेनका को प्रथम पुरस्कार किसने दिया

साइकिल से स्कूल आते और जाते समय हर रोज 16-17 साल की एक लड़की गुमटी पर आती. गेहुंआ रंग, दुबलीपतली, छरहरी बदन, कजरारी आंखें, चंचल स्वभाव. गुमटी पर जब भी वह आती, 2 ही चींजें खरीदती – लेज का चिप्स और चैकलेट.

गुमटी चलाने वाले दुकानदार रवि की उम्र भी लगभग 20 साल की होगी.वह भी गोरा, लंबा और सुंदर था. उस की सब से बड़ी खूबी थी कि हंसमुख मिजाज का लड़का था. किसी भी ग्राहक से वह मुसकराते हुए बातें करता. उस की दुकान अच्छी चलती. हर उम्र के लोग उस की गुमटी पर दिखते. बच्चे चैकलेट और कुरकुरे के लिए, बुजुर्ग खैनी व चूना के लिए, तो नौजवान पानगुटका के लिए. महिलाएं साबुन और शेंपू के लिए आते.

रवि की गुमटी एक बड़ी बस्ती में थी, जहां 10 गांव के लोग बाजार करने के लिए आते. इस बस्ती में एक उच्च विद्यालय था, जहां कई गांवों के लड़केलड़कियां पढ़ने के लिए आते. इस उच्च विद्यालय में इंटर क्लास तक की पढ़ाई होती. इस बस्ती में जरूरत की लगभग हर चीजें मिल जातीं.

रवि के पिता दमा की बीमारी से परेशान रहते. घर का सारा काम रवि की मां करती. रवि के परिवार का सहारा यही गुमटी था. सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक रवि इसी गुमटी में बैठ कर सामान बेचा करता. इसे खाने और नाश्ता करने तक की फुरसत नहीं मिलती.

रवि खुशमिजाज के साथ साथ दिलदार भी था. किसी के पास अगर पैसे नहीं हैं तो उसे उधार सामान दे दिया करता. 20,000 रुपए दिए गए उधार मिलने की संभावना नहीं के बराबर थी. फिर भी कोई उधार के लिए आता, तो उसे खाली हाथ नहीं जाने देता. वह ग्राहकों को चाचा, भैया, दीदी, चाची से ही संबोधित करता.

उच्च विद्यालय में वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा था. आज भी वह लड़की जींस और टौप पहने रवि की गुमटी पर चिप्स और चैकलेट के लिए आई थी. आज अन्य दिनों की अपेक्षा वह बला की खूबसूरत लग रही थी. रवि ने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’

लड़की ने हंसते हुए कहा, ‘‘नाम जान कर क्या करेंगे?’’

रवि ने कहा, ‘‘ऐसे ही पूछ दिया. माफ करना.’’

लड़की बोली, ‘‘इस में माफ करने की क्या बात है? मेरा नाम मेनका है.’’

‘‘अच्छा, तुम्हारा चेहरा भी मेनका गांधी से मिलताजुलता है. मांबाप कुछ देख कर ही तुम्हारा नाम मेनका गांधी रखे होंगे.’’

लड़की बोली, ‘‘मुझे मालूम नहीं. लेकिन मेरा नाम हमारे दादाजी ने मेनका रखा है. तुम्हारे दादा मेनका गांधी के बारे में अधिक जानते होंगे.’’

लड़की बात को पलटते हुए बोली, ‘‘आज हमारे स्कूल में वार्षिकोत्सव कार्यक्रम है. आप भी देखने आइएगा. तुम भी कुछ प्रोग्राम दोगी क्या?’’

लड़की बोली, ‘‘हां, मैं भी रेकौर्डिंग गीत पर डांस करूंगी.’’

रवि बोला, ‘‘कितने बजे से कार्यक्रम होगा?’’

‘‘यही लगभग 11 बजे से,’’ लड़की अनुमान से बोली.

रवि बोला, ‘‘कोशिश करूंगा.’’

लड़की मुसकराते हुए बोली, ‘‘कोशिश नहीं, जरूर आइएगा. नाटक, गीतसंगीत और डांस एक से एक बढ़ कर कार्यक्रम होगा. पहली बार इस तरह का बड़ा कार्यक्रम रखा गया है. उद्घाटन करने के लिए विधायकजी आने वाले हैं.’’

‘‘अच्छा ठीक है, जरूर आउंगा,’’ रवि बोला.

रवि स्कूल में 10 बजे ही पहुंच गया. मंच पर परदा लगाने और अन्य कामों में सहयोग करने लगा. रवि भी इसी स्कूल से मैट्रिक पास हुआ था. वह भी पढ़ने में मेधावी था. मजबूरी में वह पान की गुमटी खोल दिया था. इस विद्यालय के 2 शिक्षक नियमित रूप से रवि के पास ही पान खाते थे. रवि उन दोनों शिक्षकों से पढ़ा भी था. दोनों शिक्षकों का बहुत सम्मान और आदर करता था.

विधायकजी मंच पर आए. फूलमाला और बुके दे कर उन्हें सम्मानित किया गया. उन्होंने दीप प्रज्वलित कर मंच का उद्घाटन किया. अपने विधायक फंड से उन्होंने विद्यालय के चारों तरफ बाउंड्री कराने के लिए आश्वासन दिया. तालियों की गड़गड़ाहट से उपस्थित लोगों ने उन का स्वागत किया.

स्वागत गीत, नाटक, सामूहिक लोकगीत एक से एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. सब से अंत में रेकौर्डिंग गीत पर डांस की घोषणा हुई. लहंगाचुनरी पहने जब मेनका ‘‘मैं नाचूं आज छमछम…‘‘ गीत पर डांस करने लगी, तो उपस्थित लोग मंत्रमुग्ध हो गए.

रवि तो भावविभोर हो गया. मेनका को डांस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार विधायकजी द्वारा प्रदान किया गया. अन्य छात्रछात्राओं को भी पुरस्कार मिला.

रवि के मनमस्तिष्क पर मेनका का डांस घर बना लिया. आज रातभर उसे नींद नहीं आई. वही डांस दिमाग में घूमता रहा. दूसरे दिन 10 बजे मेनका फिर गुमटी पर चिप्स और चैकलेट लेने आई. रवि तो मन ही मन इंतजार कर रहा था.

मेनका को देखते ही वह बोलने लगा, ‘‘क्या गजब का तुम ने डांस किया. लोग तो तुम्हारी तारीफ करते थक नहीं रहे हैं. जिधर सुनो उधर तुम्हारी ही चर्चा.’’

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साइकिल से स्कूल आते और जाते समय हर रोज 16-17 साल की एक लड़की गुमटी पर आती. गेहुंआ रंग, दुबलीपतली, छरहरी बदन, कजरारी आंखें, चंचल स्वभाव. गुमटी पर जब भी वह आती, 2 ही चींजें खरीदती – लेज का चिप्स और चैकलेट.

गुमटी चलाने वाले दुकानदार रवि की उम्र भी लगभग 20 साल की होगी.वह भी गोरा, लंबा और सुंदर था. उस की सब से बड़ी खूबी थी कि हंसमुख मिजाज का लड़का था. किसी भी ग्राहक से वह मुसकराते हुए बातें करता. उस की दुकान अच्छी चलती. हर उम्र के लोग उस की गुमटी पर दिखते. बच्चे चैकलेट और कुरकुरे के लिए, बुजुर्ग खैनी व चूना के लिए, तो नौजवान पानगुटका के लिए. महिलाएं साबुन और शेंपू के लिए आते.

रवि की गुमटी एक बड़ी बस्ती में थी, जहां 10 गांव के लोग बाजार करने के लिए आते. इस बस्ती में एक उच्च विद्यालय था, जहां कई गांवों के लड़केलड़कियां पढ़ने के लिए आते. इस उच्च विद्यालय में इंटर क्लास तक की पढ़ाई होती. इस बस्ती में जरूरत की लगभग हर चीजें मिल जातीं.

रवि के पिता दमा की बीमारी से परेशान रहते. घर का सारा काम रवि की मां करती. रवि के परिवार का सहारा यही गुमटी था. सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक रवि इसी गुमटी में बैठ कर सामान बेचा करता. इसे खाने और नाश्ता करने तक की फुरसत नहीं मिलती.

रवि खुशमिजाज के साथ साथ दिलदार भी था. किसी के पास अगर पैसे नहीं हैं तो उसे उधार सामान दे दिया करता. 20,000 रुपए दिए गए उधार मिलने की संभावना नहीं के बराबर थी. फिर भी कोई उधार के लिए आता, तो उसे खाली हाथ नहीं जाने देता. वह ग्राहकों को चाचा, भैया, दीदी, चाची से ही संबोधित करता.

उच्च विद्यालय में वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा था. आज भी वह लड़की जींस और टौप पहने रवि की गुमटी पर चिप्स और चैकलेट के लिए आई थी. आज अन्य दिनों की अपेक्षा वह बला की खूबसूरत लग रही थी. रवि ने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’

लड़की ने हंसते हुए कहा, ‘‘नाम जान कर क्या करेंगे?’’

रवि ने कहा, ‘‘ऐसे ही पूछ दिया. माफ करना.’’

लड़की बोली, ‘‘इस में माफ करने की क्या बात है? मेरा नाम मेनका है.’’

‘‘अच्छा, तुम्हारा चेहरा भी मेनका गांधी से मिलताजुलता है. मांबाप कुछ देख कर ही तुम्हारा नाम मेनका गांधी रखे होंगे.’’

लड़की बोली, ‘‘मुझे मालूम नहीं. लेकिन मेरा नाम हमारे दादाजी ने मेनका रखा है. तुम्हारे दादा मेनका गांधी के बारे में अधिक जानते होंगे.’’

लड़की बात को पलटते हुए बोली, ‘‘आज हमारे स्कूल में वार्षिकोत्सव कार्यक्रम है. आप भी देखने आइएगा. तुम भी कुछ प्रोग्राम दोगी क्या?’’

लड़की बोली, ‘‘हां, मैं भी रेकौर्डिंग गीत पर डांस करूंगी.’’

रवि बोला, ‘‘कितने बजे से कार्यक्रम होगा?’’

‘‘यही लगभग 11 बजे से,’’ लड़की अनुमान से बोली.

रवि बोला, ‘‘कोशिश करूंगा.’’

लड़की मुसकराते हुए बोली, ‘‘कोशिश नहीं, जरूर आइएगा. नाटक, गीतसंगीत और डांस एक से एक बढ़ कर कार्यक्रम होगा. पहली बार इस तरह का बड़ा कार्यक्रम रखा गया है. उद्घाटन करने के लिए विधायकजी आने वाले हैं.’’

‘‘अच्छा ठीक है, जरूर आउंगा,’’ रवि बोला.

रवि स्कूल में 10 बजे ही पहुंच गया. मंच पर परदा लगाने और अन्य कामों में सहयोग करने लगा. रवि भी इसी स्कूल से मैट्रिक पास हुआ था. वह भी पढ़ने में मेधावी था. मजबूरी में वह पान की गुमटी खोल दिया था. इस विद्यालय के 2 शिक्षक नियमित रूप से रवि के पास ही पान खाते थे. रवि उन दोनों शिक्षकों से पढ़ा भी था. दोनों शिक्षकों का बहुत सम्मान और आदर करता था.

विधायकजी मंच पर आए. फूलमाला और बुके दे कर उन्हें सम्मानित किया गया. उन्होंने दीप प्रज्वलित कर मंच का उद्घाटन किया. अपने विधायक फंड से उन्होंने विद्यालय के चारों तरफ बाउंड्री कराने के लिए आश्वासन दिया. तालियों की गड़गड़ाहट से उपस्थित लोगों ने उन का स्वागत किया.

स्वागत गीत, नाटक, सामूहिक लोकगीत एक से एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. सब से अंत में रेकौर्डिंग गीत पर डांस की घोषणा हुई. लहंगाचुनरी पहने जब मेनका ‘‘मैं नाचूं आज छमछम…‘‘ गीत पर डांस करने लगी, तो उपस्थित लोग मंत्रमुग्ध हो गए.

रवि तो भावविभोर हो गया. मेनका को डांस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार विधायकजी द्वारा प्रदान किया गया. अन्य छात्रछात्राओं को भी पुरस्कार मिला.

रवि के मनमस्तिष्क पर मेनका का डांस घर बना लिया. आज रातभर उसे नींद नहीं आई. वही डांस दिमाग में घूमता रहा. दूसरे दिन 10 बजे मेनका फिर गुमटी पर चिप्स और चैकलेट लेने आई. रवि तो मन ही मन इंतजार कर रहा था.

मेनका को देखते ही वह बोलने लगा, ‘‘क्या गजब का तुम ने डांस किया. लोग तो तुम्हारी तारीफ करते थक नहीं रहे हैं. जिधर सुनो उधर तुम्हारी ही चर्चा.’’

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June 29, 2020 at 10:00AM

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