Wednesday 29 April 2020

अल्का

‘‘मम्मी, चयन समिति ने 5 नाम छांटे हैं. उन्होंने जिस की सिफारिश की है उस के पास योग्यता तो है परंतु अनुभव नहीं है.’’

‘‘कौन है?’

‘‘एक लड़की अल्का है.’’

‘‘बाकी?’’

‘‘बाकी के पास योग्यता के साथ अनुभव भी है परंतु चयन समिति का कहना है कि उन के पास क्रिएटिविटी का अभाव है. हम उसे कुछ दिन ट्रेनी के रूप में रख सकते हैं.’’

‘‘लेकिन हम ने कोई ट्रेनिंग सैंटर तो खोला नहीं है परंतु चयन समिति को जब काम सौंपा है तब उस पर विश्वास भी करना पड़ेगा. इस समिति की सलाह हमेशा सही ही साबित हुई है. फिर कोई भी हो, उस के साथ कुछ समय सिखाने में ही निकल जाता है.’’

यह बातचीत ‘अमित ग्रुप औफ इंडस्ट्रीज’ की चेयरपर्सन ममता और उन के बेटे अमित में हो रही थी. अमित बोला, ‘‘मम्मी, आप ने इस लड़की का बायोडाटा देखा?’

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‘‘क्यों?’’

‘‘उस की मम्मी का नाम अमिता है और उस के पापा का नाम भी वही है जो मेरे पापा का नाम है.’’

अमित की बात सुन कर ममता ने उस का बायोडाटा देखा और बोलीं, ‘‘यह संयोग भी हो सकता है, बेटा.’’

वैसे, बेटे की बात ने मां को भी सोचने को मजबूर कर दिया था. अमिता, जिस के नाम पर उन के पति ने अपनी कंपनी का नाम ‘अमिता ग्रुप औफ इंडस्ट्रीज’ रखा था, उन की प्रेमिका थी. उस के साथ उन की शादी नहीं हो पाई क्योंकि वे परिवार के दबावके आगे झुक गए थे. उन्होंने अपनी होने वाली पत्नी से अपने प्रेमप्रसंग का खुलासा कर दिया था और कहा था कि मुझ से शादी करने पर तुम मेरे शरीर को तो पा लोगी लेकिन मेरे दिल को नहीं पा सकोगी क्योंकि उन के दिल में तो अमिता ही रहेगी. उन की होने वाली पत्नी यानी ममता ने यह कह कर क्लीनबोल्ड कर दिया था, ‘मैं अपने प्यार से आप के दिल में भी स्थान बना लूंगी.’

शादी हुई दोनों हनीमून पर भी गए. लेकिन जब नई कंपनी बनाई तब उस का ‘अमिता’ नाम रखने के लिए वे अड़ गए थे. जहां घर वाले उस की याद पूरी तरह मिटाना चाहते थे वहीं वे इस बहाने उस की याद बनाए रखना चाहते थे. इस बार उन की बात मान ली गई क्योंकि उन्होंने धमकी दे दी थी, ‘उस से मेरी शादी तो आप सब ने नहीं होने दी पर अब यदि मेरी बात नहीं मानी तो मैं घर छोड़ कर चला जाऊंगा.’ उस दिन पहली बार स्वीकार किया कि उन्होंने उस से मंदिर में शादी कर ली थी हालांकि इस का पत्थर की मूर्ति के अलावा कोई गवाह नहीं था और मूर्ति बोलती नहीं. लेकिन शादी के बाद वे अपनी पत्नी के प्रति वफादार रहे. इसलिए जब अमिता उन के पास आई तब उसे बेइज्जत कर भगा दिया. उस के यह कहने पर कि वह उन के बच्चे की मां बनने वाली है, तब उन्होंने कह दिया कि क्या पता, किस का दोष है जो मेरे ऊपर मढ़ रही है. वही सबकुछ, जो एक पैसे वाला करता है, उस को जितना बेइज्जत कर सकते थे, किया.

उस के जाने के बाद कई दिन तक वे सामान्य नहीं हो पाए थे.

जब बेटे का जन्म हुआ तब उन्होंने उस का नाम ‘अमित’ रखा. समय के साथ सबकुछ ठीक हो गया था. परंतु अल्का के आने से एक बार फिर पुराने घाव हरे हो गए. हालांकि अब पति तो इस दुनिया में नहीं रहे. पिछले साल उन का देहांत हो गया था.

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‘‘मम्मी, क्या सोचा है?’’

ममता ने मन ही मन सोचा, ‘तो यह है उन के पति का अंश. उस के बायोडाटा से और चयन समिति की सिफारिश से ममता खुश थीं और अगर आज अमित के पापा जिंदा होते तो अल्का को देख कर बहुत खुश होते. वे बोलीं, ‘‘उसे रख लो. तुम्हारे पापा के अंश को इस प्रकार छोड़ भी तो नहीं सकते.’’

‘‘लेकिन मम्मी, अभी यह क्लीयर तो नहीं हुआ है कि वह पापा की ही बेटी है?’’

‘‘उसे रख लो. उस में योग्यता तो है ही. उस पर नजर रखो.’’

अल्का को रख लिया गया. दो जोड़ी आंखें अल्का पर लगी हुई थीं. उस ने धीरेधीरे कंपनी में अपना स्थान बनाना शुरू कर दिया. वह भूल गई कि वह मात्र एक ट्रेनी है. उस का व्यवहार ऐसा था जैसे वह इस कंपनी की मालकिन है. हर कर्मचारी को डांट देती, फिर फौरन माफी मांग लेती. यह नहीं देखती कि सामने वाला उस से पद में बड़ा है या छोटा. कोई उस की बात का बुरा नहीं मानता क्योंकि वह हर किसी की मदद को हमेशा तैयार रहती. सब यह कहने लगे कि ‘साहब वापस आ गए’ क्योंकि साहब भी यही करते थे. लेकिन उस की यह विशेषता अमित की नजरों में आ गई. वह अपनी मम्मी से बोला, ‘‘मम्मी, पापा भी तो ऐसा ही करते थे. पापा की इस आदत ने उन को कर्मचारियों में लोकप्रिय बनाया और इस की यह आदत भी इसे लोकप्रिय बना रही है.’’

ममता भी यह देख रही थीं. कभीकभी वह अमित को भी जवाब दे देती. वह इस का बुरा नहीं मानता. हंस कर रह जाता. हां, बाद में अपनी गलती का एहसास होने पर वह अमित से ‘सौरी सर’ कह कर माफी मांग लेती.

उस दिन ममता के पूछने पर बोली, ?‘‘मैडम, मेरा कोई भाई नहीं है. बौस में मुझे भाई की झलक दिखती है और मैं अपने भाई को गलती करते नहीं देख सकती. इसलिए भूल जाती हूं कि वे मेरे बौस हैं.’’

‘‘तुम जैसा आचारव्यवहार कर रही हो वैसे ही करती रहो. मुझे और अमित, किसी को भी तुम्हारा यह व्यवहार बुरा नहीं लगता. तुम्हारे पापा क्या करते हैं?’’

‘‘पापा नहीं हैं. बस, मैं हूं और मेरी मम्मी, 2 ही जने हैं. मम्मी और पापा ने अपनेअपने घर वालों से छिप कर मंदिर में शादी की थी पर पापा ने घर वालों के दबाव में परिवार द्वारा पसंद की लड़की से शादी कर ली. और जब मम्मी ने पापा से मुलाकात की तो उन को बेइज्जत कर बाहर निकाल दिया. वहां से निराश हो कर मम्मी ने आत्महत्या की कोशिश की पर बचा ली गईं. उन को दुख इस बात का नहीं था कि उन्होंने उस को ठुकरा दिया बल्कि दुख इस बात का था कि उन के चरित्र पर आक्षेप लगाया था.’’

ममता इस समय अल्का से यह कह नहीं पाईं कि उस के पापा भी कई दिन तक गुमसुम रहे क्योंकि उन को भी खुद पर क्रोध आया था कि उस की मम्मी के चरित्र पर शक किया था. ममता सुन रही थीं और उन का अनुमान सही साबित हो रहा था यानी अल्का उन के पति का ही अंश है. परंतु उन को लगा कि अभी उसे बताने का समय नहीं आया था. हां, उस के प्रति उन का व्यवहार अब एक अधिकारी और कर्मचारी भर का नहीं रह गया. कभी औफिस में देर हो जाने पर कंपनी की टैक्सी नहीं जाती बल्कि खुद अमित छोड़ने जाता और वहां पहुंच कर वह उस की मम्मी से जरूर मिलता.

कंपनी के मालिक अमित का जन्मदिन नजदीक आ रहा था. गहमागहमी बढ़ गई थी. इस बार का समारोह विशेष था. मांबेटा दोनों ही बातबात पर अल्का को ही पूछ रहे थे मानो वह ही सबकुछ है.

अल्का भी बिना किसी नानुकुर के अपना काम कर रही थी. एक बार उस ने कहा भी कि मैडम, मैं एक ट्रेनी ही हूं और अभी मेरा इस कंपनी में भविष्य निश्चित नहीं है, फिर भी आप मुझ पर इतना विश्वास कर रही हैं.

‘‘यह सोचने का काम हमारा है कि तुम क्या हो, तुम्हारा नहीं,’’

जवाब में ममता ने कह दिया. अल्का कुछ नहीं बोली. कल समारोह का दिन है, इसलिए आज काम ज्यादा था. काम खत्म होतेहोते रात के 8 बज गए थे. उसे आज घर जल्दी जाना था क्योंकि अगले दिन उस के पापा का भी जन्मदिन था. मां को बाजार जाना था परंतु यहां भी अगले दिन मनाए जाने वाले समारोह की तैयारी के कारण वह लेट हो गई. मां का फोन 2-3 बार आ गया. उस ने कह दिया कि वह आते हुए बाजार से मिठाई लेती आएगी. काम खत्म कर के वह घर जाने के लिए उठी ही थी कि ममता का फोन आ गया. उसे केबिन में बुलाया था. जब ममता ने कहा, ‘आज मैं भी तुम्हारे साथ तुम्हारे घर चलूंगी’ तब वह चौंक गई लेकिन ममता ने जब कहा कि वे उस की मम्मी से मिलना चाहेंगी तब वह चुप रही. ममता को मना भी कैसे करे वह. ममता और अमित दोनों ही साथ थे. उस ने रास्ते में मता को बताया था, उस के पापा का भी कल जन्मदिन है.

ममता ने पूछा, ‘‘जिस आदमी ने तुम्हारी मम्मी को छोड़ कर दूसरी महिला से शादी कर ली, फिर भी तुम्हारी मम्मी अब भी उन का जन्मदिन मनाती हैं?’’

‘‘मैडम, मम्मी कहती हैं कि वे जहां भी हों, खुश रहें. मेरे लिए अब भी वे ही सबकुछ हैं,’’ फिर उस ने ममता को बताया कि मम्मी ने पापा की पसंद की मिठाई लाने को कहा था. मैडम ने गाड़ी मिठाई वाले की दुकान पर रोक दी. उस ने पापा की पसंद की मिठाई ली. वहां से चल कर मैडम ने एक साड़ी के शोरूम पर गाड़ी रोक ली. वह चौंक गई. साड़ी के शोरूम में मैडम ने एक साड़ी को उसे दिखा कर पूछा, ‘‘तुम्हारी मम्मी के लिए कैसी रहेगी?’’

‘‘मैडम, यह पापा का पसंदीदा रंग है. आप को मेरे पापा की पसंद पता है, कैसे?’’

ममता हंस पड़ीं पर उन्होंने उस को कोई जवाब नहीं दिया. ममता ने साड़ी पसंद कर पैक करवा दी कि तुम्हारे पापा के जन्मदिन पर मेरी ओर से तुम्हारी मम्मी को उपहार है. फिर मुसकरा कर बोलीं, ‘‘तुम्हारे पापा को और क्याक्या पसंद है?’’

‘‘बाकी तो पता नहीं, हां, मम्मी पापा के जन्मदिन पर इसी रंग की साड़ी पहनती हैं और यही मिठाई मंगाती हैं.’’

रास्तेभर ममता उस के पापा के बारे में बातें करती रहीं. सब घर पहुंचे. उस की मम्मी को चिंता नहीं थी क्योंकि देर होने पर खुद उस के बौस छोड़ जाते हैं. लेकिन आज कुछ ज्यादा ही देर हो गई थी. वे इंतजार कर रही थीं.

आज अल्का के साथ आने वाली को देख कर चौंक गईं.

अल्का ने मां से उन का परिचय कराया, ‘‘मम्मी, ये हमारी कंपनी की चेयरपर्सन हैं.’’

‘‘आप हमारे घर!’’ उन्होंने उन के बैठने के लिए कुरसी खिसकाई तब ममता उस की मम्मी का हाथ पकड़ कर वहां बिछी चारपाई पर साथ ही बैठ गईं और बोलीं, ‘‘आज चाय ही नहीं, खाना भी यहीं खाएंगे.’’

‘‘आप?’’

‘‘तो क्या हुआ, आप हमारी सब से अच्छी एंपलौई की मां हैं.’’

अल्का की मां उठने लगीं तब ममता ने उन को रोक लिया और कहा, ‘‘खाना अल्का बनाएगी.’’ वह खाना बनाने के लिए चल दी. तब ममता ने अपने बेटे से कहा, ‘‘तू भी जा, रसोई में अपनी बड़ी बहन की मदद कर.’’

‘‘बड़ी बहन? वे तो उस के बौस हैं और रसोई में वे क्या मदद करेंगे?’’

मैडम बोलीं, ‘‘आप के पति ने परिवार के दबाव में जिस लड़की से शादी की वह मैं हूं.’’

अमिता कुछ बोल नहीं पाईं. रसोई की ओर जा रही अल्का भी रुक गई.

ममता ने अमिता से पूछा, ‘‘आप ने कभी यह नहीं सोचा कि आप की लड़की जिस कंपनी में काम कर रही है उस का नाम आप के नाम पर है और उस के मालिक का नाम आप के पति का नाम है?’’

‘‘इसलिए कि मुझे यह विश्वास नहीं था कि जिस व्यक्ति ने मुझे बुरी तरह बेइज्जत कर भगाया था वह ऐसा करेगा. फिर मैं ने इसे केवल संयोग माना.’’

‘‘आप गलत समझीं. उस समय उन का उद्देश्य तुम्हें बेइज्जत करने का नहीं था बल्कि तुम्हारे मन से अपनी याद मिटाने की कोशिश थी. परंतु न तो तुम्हारे मन से उन की याद मिटी और न ही वे तुम्हें भुला पाए. तुम्हारे नाम पर कंपनी का नाम रखा और बेटे का नाम भी अमित रखा जिस से इस बहाने वे आप को याद रख सकें.’’

अमिता कुछ नहीं बोल पा रही थीं ममता ही बोलीं, ‘‘पिछले साल उन की मौत हो गई परंतु अंतिम समय तक उन को यह मलाल रहा कि ‘अपनी उस के’ चरित्र पर आक्षेप किया. उन को यह भी मलाल रहा कि उस के गर्भवती होने का पहले पता होता तब वे मुझ से शादी नहीं करते.’’

‘‘आप को कब पता चला कि मैं उन की बेटी हूं?’’ अल्का बोली.

‘‘जब तुम्हारा बायोडाटा सामने आया था.’’

‘‘इस का मतलब है कि मुझे मेरी योग्यता के कारण जौब नहीं मिली बल्कि इस कंपनी के मालिक की बेटी होने के कारण मिली.’’

‘‘तुम्हें जौब तुम्हारी योग्यता के कारण ही मिली. चयन समिति ने जो पैनल दिया था उस में सब से ऊपर तुम्हारा नाम था. उस समय तक किसी को भी पता नहीं था कि तुम किस की बेटी हो. फिर तुम्हारे कार्यव्यवहार ने बता दिया कि तुम मेरे पति की बेटी हो. बेटा, तुम ने महसूस किया होगा कि तुम्हारे व्यवहार को देख कर सब क्या कहते हैं, ‘साहब वापस आ गए.’’’

‘‘हां, पर वे ऐसा क्यों कहते हैं?’’

‘‘तुम्हारे पापा के लिए कोई छोटा या बड़ा नहीं था और गलती होने पर किसी से भी माफी मांगने में उन को कोई गुरेज नहीं थी और तुम भी वही कर रही हो. वास्तव में तुम अपने पापा के सच्चे प्यार की निशानी हो. तुम में अपने पिता की सभी खूबियां हैं. तुम्हारा एक मालिक की तरह व्यवहार भी यही बता रहा था.’’

‘‘इसीलिए आप और बौस मेरे व्यवहार को नजरअंदाज कर रहे थे? परंतु मैडम…’’

उस की बात पूरी होने से पूर्व ही ममता ने उसे टोक दिया, ‘‘मुझे मम्मी नहीं कह सकतीं?’’

अल्का बोली, ‘‘सौरी मम्मी, मैं आप को ‘छोटी मम्मी’ कहूंगी और अपनी मम्मी को ‘बड़ी मम्मी’ कहूंगी.’’ इतना कह कर उस ने अपनी मम्मी की ओर देखा. उन्होंने अपनी स्वीकृति दे दी.

‘‘मैं भी ऐसा ही करूंगा,’’ अमित बोला.

ममता ने उसे गले से लगा लिया और कहा, ‘‘यह तेरा बौस नहीं, बल्कि तेरा छोटा भाई है. तुझे इस का खयाल रखना है क्योंकि यह बहुत भोला है.’’

‘‘मम्मी, मेरे छोटे भाई और अपने बेटे को अंडरएस्टीमेट मत करो. पापा की मौत के बाद यही तो कंपनी को चला रहा है.’’

यह सुन कर ममता हंस पड़ीं और अमिता से बोलीं, ‘‘अपने भाई को अंडरएस्टीमेट नहीं करना चाहती. वे भी तो यही करते थे, किसी के सम्मान को कम नहीं होने देते थे. अब मुझे चिंता नहीं, दोनों भाईबहन इस कंपनी को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे.’’

अगले दिन जन्मदिन समारोह बहुत धूमधाम से मनाया गया. अमिता को उस का सम्मान मिला. दोनों मम्मियों ने अपने बच्चों को ढेर सारा प्यार दिया.

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‘‘मम्मी, चयन समिति ने 5 नाम छांटे हैं. उन्होंने जिस की सिफारिश की है उस के पास योग्यता तो है परंतु अनुभव नहीं है.’’

‘‘कौन है?’

‘‘एक लड़की अल्का है.’’

‘‘बाकी?’’

‘‘बाकी के पास योग्यता के साथ अनुभव भी है परंतु चयन समिति का कहना है कि उन के पास क्रिएटिविटी का अभाव है. हम उसे कुछ दिन ट्रेनी के रूप में रख सकते हैं.’’

‘‘लेकिन हम ने कोई ट्रेनिंग सैंटर तो खोला नहीं है परंतु चयन समिति को जब काम सौंपा है तब उस पर विश्वास भी करना पड़ेगा. इस समिति की सलाह हमेशा सही ही साबित हुई है. फिर कोई भी हो, उस के साथ कुछ समय सिखाने में ही निकल जाता है.’’

यह बातचीत ‘अमित ग्रुप औफ इंडस्ट्रीज’ की चेयरपर्सन ममता और उन के बेटे अमित में हो रही थी. अमित बोला, ‘‘मम्मी, आप ने इस लड़की का बायोडाटा देखा?’

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‘‘क्यों?’’

‘‘उस की मम्मी का नाम अमिता है और उस के पापा का नाम भी वही है जो मेरे पापा का नाम है.’’

अमित की बात सुन कर ममता ने उस का बायोडाटा देखा और बोलीं, ‘‘यह संयोग भी हो सकता है, बेटा.’’

वैसे, बेटे की बात ने मां को भी सोचने को मजबूर कर दिया था. अमिता, जिस के नाम पर उन के पति ने अपनी कंपनी का नाम ‘अमिता ग्रुप औफ इंडस्ट्रीज’ रखा था, उन की प्रेमिका थी. उस के साथ उन की शादी नहीं हो पाई क्योंकि वे परिवार के दबावके आगे झुक गए थे. उन्होंने अपनी होने वाली पत्नी से अपने प्रेमप्रसंग का खुलासा कर दिया था और कहा था कि मुझ से शादी करने पर तुम मेरे शरीर को तो पा लोगी लेकिन मेरे दिल को नहीं पा सकोगी क्योंकि उन के दिल में तो अमिता ही रहेगी. उन की होने वाली पत्नी यानी ममता ने यह कह कर क्लीनबोल्ड कर दिया था, ‘मैं अपने प्यार से आप के दिल में भी स्थान बना लूंगी.’

शादी हुई दोनों हनीमून पर भी गए. लेकिन जब नई कंपनी बनाई तब उस का ‘अमिता’ नाम रखने के लिए वे अड़ गए थे. जहां घर वाले उस की याद पूरी तरह मिटाना चाहते थे वहीं वे इस बहाने उस की याद बनाए रखना चाहते थे. इस बार उन की बात मान ली गई क्योंकि उन्होंने धमकी दे दी थी, ‘उस से मेरी शादी तो आप सब ने नहीं होने दी पर अब यदि मेरी बात नहीं मानी तो मैं घर छोड़ कर चला जाऊंगा.’ उस दिन पहली बार स्वीकार किया कि उन्होंने उस से मंदिर में शादी कर ली थी हालांकि इस का पत्थर की मूर्ति के अलावा कोई गवाह नहीं था और मूर्ति बोलती नहीं. लेकिन शादी के बाद वे अपनी पत्नी के प्रति वफादार रहे. इसलिए जब अमिता उन के पास आई तब उसे बेइज्जत कर भगा दिया. उस के यह कहने पर कि वह उन के बच्चे की मां बनने वाली है, तब उन्होंने कह दिया कि क्या पता, किस का दोष है जो मेरे ऊपर मढ़ रही है. वही सबकुछ, जो एक पैसे वाला करता है, उस को जितना बेइज्जत कर सकते थे, किया.

उस के जाने के बाद कई दिन तक वे सामान्य नहीं हो पाए थे.

जब बेटे का जन्म हुआ तब उन्होंने उस का नाम ‘अमित’ रखा. समय के साथ सबकुछ ठीक हो गया था. परंतु अल्का के आने से एक बार फिर पुराने घाव हरे हो गए. हालांकि अब पति तो इस दुनिया में नहीं रहे. पिछले साल उन का देहांत हो गया था.

ये भी पढ़ें-दो राहें 

‘‘मम्मी, क्या सोचा है?’’

ममता ने मन ही मन सोचा, ‘तो यह है उन के पति का अंश. उस के बायोडाटा से और चयन समिति की सिफारिश से ममता खुश थीं और अगर आज अमित के पापा जिंदा होते तो अल्का को देख कर बहुत खुश होते. वे बोलीं, ‘‘उसे रख लो. तुम्हारे पापा के अंश को इस प्रकार छोड़ भी तो नहीं सकते.’’

‘‘लेकिन मम्मी, अभी यह क्लीयर तो नहीं हुआ है कि वह पापा की ही बेटी है?’’

‘‘उसे रख लो. उस में योग्यता तो है ही. उस पर नजर रखो.’’

अल्का को रख लिया गया. दो जोड़ी आंखें अल्का पर लगी हुई थीं. उस ने धीरेधीरे कंपनी में अपना स्थान बनाना शुरू कर दिया. वह भूल गई कि वह मात्र एक ट्रेनी है. उस का व्यवहार ऐसा था जैसे वह इस कंपनी की मालकिन है. हर कर्मचारी को डांट देती, फिर फौरन माफी मांग लेती. यह नहीं देखती कि सामने वाला उस से पद में बड़ा है या छोटा. कोई उस की बात का बुरा नहीं मानता क्योंकि वह हर किसी की मदद को हमेशा तैयार रहती. सब यह कहने लगे कि ‘साहब वापस आ गए’ क्योंकि साहब भी यही करते थे. लेकिन उस की यह विशेषता अमित की नजरों में आ गई. वह अपनी मम्मी से बोला, ‘‘मम्मी, पापा भी तो ऐसा ही करते थे. पापा की इस आदत ने उन को कर्मचारियों में लोकप्रिय बनाया और इस की यह आदत भी इसे लोकप्रिय बना रही है.’’

ममता भी यह देख रही थीं. कभीकभी वह अमित को भी जवाब दे देती. वह इस का बुरा नहीं मानता. हंस कर रह जाता. हां, बाद में अपनी गलती का एहसास होने पर वह अमित से ‘सौरी सर’ कह कर माफी मांग लेती.

उस दिन ममता के पूछने पर बोली, ?‘‘मैडम, मेरा कोई भाई नहीं है. बौस में मुझे भाई की झलक दिखती है और मैं अपने भाई को गलती करते नहीं देख सकती. इसलिए भूल जाती हूं कि वे मेरे बौस हैं.’’

‘‘तुम जैसा आचारव्यवहार कर रही हो वैसे ही करती रहो. मुझे और अमित, किसी को भी तुम्हारा यह व्यवहार बुरा नहीं लगता. तुम्हारे पापा क्या करते हैं?’’

‘‘पापा नहीं हैं. बस, मैं हूं और मेरी मम्मी, 2 ही जने हैं. मम्मी और पापा ने अपनेअपने घर वालों से छिप कर मंदिर में शादी की थी पर पापा ने घर वालों के दबाव में परिवार द्वारा पसंद की लड़की से शादी कर ली. और जब मम्मी ने पापा से मुलाकात की तो उन को बेइज्जत कर बाहर निकाल दिया. वहां से निराश हो कर मम्मी ने आत्महत्या की कोशिश की पर बचा ली गईं. उन को दुख इस बात का नहीं था कि उन्होंने उस को ठुकरा दिया बल्कि दुख इस बात का था कि उन के चरित्र पर आक्षेप लगाया था.’’

ममता इस समय अल्का से यह कह नहीं पाईं कि उस के पापा भी कई दिन तक गुमसुम रहे क्योंकि उन को भी खुद पर क्रोध आया था कि उस की मम्मी के चरित्र पर शक किया था. ममता सुन रही थीं और उन का अनुमान सही साबित हो रहा था यानी अल्का उन के पति का ही अंश है. परंतु उन को लगा कि अभी उसे बताने का समय नहीं आया था. हां, उस के प्रति उन का व्यवहार अब एक अधिकारी और कर्मचारी भर का नहीं रह गया. कभी औफिस में देर हो जाने पर कंपनी की टैक्सी नहीं जाती बल्कि खुद अमित छोड़ने जाता और वहां पहुंच कर वह उस की मम्मी से जरूर मिलता.

कंपनी के मालिक अमित का जन्मदिन नजदीक आ रहा था. गहमागहमी बढ़ गई थी. इस बार का समारोह विशेष था. मांबेटा दोनों ही बातबात पर अल्का को ही पूछ रहे थे मानो वह ही सबकुछ है.

अल्का भी बिना किसी नानुकुर के अपना काम कर रही थी. एक बार उस ने कहा भी कि मैडम, मैं एक ट्रेनी ही हूं और अभी मेरा इस कंपनी में भविष्य निश्चित नहीं है, फिर भी आप मुझ पर इतना विश्वास कर रही हैं.

‘‘यह सोचने का काम हमारा है कि तुम क्या हो, तुम्हारा नहीं,’’

जवाब में ममता ने कह दिया. अल्का कुछ नहीं बोली. कल समारोह का दिन है, इसलिए आज काम ज्यादा था. काम खत्म होतेहोते रात के 8 बज गए थे. उसे आज घर जल्दी जाना था क्योंकि अगले दिन उस के पापा का भी जन्मदिन था. मां को बाजार जाना था परंतु यहां भी अगले दिन मनाए जाने वाले समारोह की तैयारी के कारण वह लेट हो गई. मां का फोन 2-3 बार आ गया. उस ने कह दिया कि वह आते हुए बाजार से मिठाई लेती आएगी. काम खत्म कर के वह घर जाने के लिए उठी ही थी कि ममता का फोन आ गया. उसे केबिन में बुलाया था. जब ममता ने कहा, ‘आज मैं भी तुम्हारे साथ तुम्हारे घर चलूंगी’ तब वह चौंक गई लेकिन ममता ने जब कहा कि वे उस की मम्मी से मिलना चाहेंगी तब वह चुप रही. ममता को मना भी कैसे करे वह. ममता और अमित दोनों ही साथ थे. उस ने रास्ते में मता को बताया था, उस के पापा का भी कल जन्मदिन है.

ममता ने पूछा, ‘‘जिस आदमी ने तुम्हारी मम्मी को छोड़ कर दूसरी महिला से शादी कर ली, फिर भी तुम्हारी मम्मी अब भी उन का जन्मदिन मनाती हैं?’’

‘‘मैडम, मम्मी कहती हैं कि वे जहां भी हों, खुश रहें. मेरे लिए अब भी वे ही सबकुछ हैं,’’ फिर उस ने ममता को बताया कि मम्मी ने पापा की पसंद की मिठाई लाने को कहा था. मैडम ने गाड़ी मिठाई वाले की दुकान पर रोक दी. उस ने पापा की पसंद की मिठाई ली. वहां से चल कर मैडम ने एक साड़ी के शोरूम पर गाड़ी रोक ली. वह चौंक गई. साड़ी के शोरूम में मैडम ने एक साड़ी को उसे दिखा कर पूछा, ‘‘तुम्हारी मम्मी के लिए कैसी रहेगी?’’

‘‘मैडम, यह पापा का पसंदीदा रंग है. आप को मेरे पापा की पसंद पता है, कैसे?’’

ममता हंस पड़ीं पर उन्होंने उस को कोई जवाब नहीं दिया. ममता ने साड़ी पसंद कर पैक करवा दी कि तुम्हारे पापा के जन्मदिन पर मेरी ओर से तुम्हारी मम्मी को उपहार है. फिर मुसकरा कर बोलीं, ‘‘तुम्हारे पापा को और क्याक्या पसंद है?’’

‘‘बाकी तो पता नहीं, हां, मम्मी पापा के जन्मदिन पर इसी रंग की साड़ी पहनती हैं और यही मिठाई मंगाती हैं.’’

रास्तेभर ममता उस के पापा के बारे में बातें करती रहीं. सब घर पहुंचे. उस की मम्मी को चिंता नहीं थी क्योंकि देर होने पर खुद उस के बौस छोड़ जाते हैं. लेकिन आज कुछ ज्यादा ही देर हो गई थी. वे इंतजार कर रही थीं.

आज अल्का के साथ आने वाली को देख कर चौंक गईं.

अल्का ने मां से उन का परिचय कराया, ‘‘मम्मी, ये हमारी कंपनी की चेयरपर्सन हैं.’’

‘‘आप हमारे घर!’’ उन्होंने उन के बैठने के लिए कुरसी खिसकाई तब ममता उस की मम्मी का हाथ पकड़ कर वहां बिछी चारपाई पर साथ ही बैठ गईं और बोलीं, ‘‘आज चाय ही नहीं, खाना भी यहीं खाएंगे.’’

‘‘आप?’’

‘‘तो क्या हुआ, आप हमारी सब से अच्छी एंपलौई की मां हैं.’’

अल्का की मां उठने लगीं तब ममता ने उन को रोक लिया और कहा, ‘‘खाना अल्का बनाएगी.’’ वह खाना बनाने के लिए चल दी. तब ममता ने अपने बेटे से कहा, ‘‘तू भी जा, रसोई में अपनी बड़ी बहन की मदद कर.’’

‘‘बड़ी बहन? वे तो उस के बौस हैं और रसोई में वे क्या मदद करेंगे?’’

मैडम बोलीं, ‘‘आप के पति ने परिवार के दबाव में जिस लड़की से शादी की वह मैं हूं.’’

अमिता कुछ बोल नहीं पाईं. रसोई की ओर जा रही अल्का भी रुक गई.

ममता ने अमिता से पूछा, ‘‘आप ने कभी यह नहीं सोचा कि आप की लड़की जिस कंपनी में काम कर रही है उस का नाम आप के नाम पर है और उस के मालिक का नाम आप के पति का नाम है?’’

‘‘इसलिए कि मुझे यह विश्वास नहीं था कि जिस व्यक्ति ने मुझे बुरी तरह बेइज्जत कर भगाया था वह ऐसा करेगा. फिर मैं ने इसे केवल संयोग माना.’’

‘‘आप गलत समझीं. उस समय उन का उद्देश्य तुम्हें बेइज्जत करने का नहीं था बल्कि तुम्हारे मन से अपनी याद मिटाने की कोशिश थी. परंतु न तो तुम्हारे मन से उन की याद मिटी और न ही वे तुम्हें भुला पाए. तुम्हारे नाम पर कंपनी का नाम रखा और बेटे का नाम भी अमित रखा जिस से इस बहाने वे आप को याद रख सकें.’’

अमिता कुछ नहीं बोल पा रही थीं ममता ही बोलीं, ‘‘पिछले साल उन की मौत हो गई परंतु अंतिम समय तक उन को यह मलाल रहा कि ‘अपनी उस के’ चरित्र पर आक्षेप किया. उन को यह भी मलाल रहा कि उस के गर्भवती होने का पहले पता होता तब वे मुझ से शादी नहीं करते.’’

‘‘आप को कब पता चला कि मैं उन की बेटी हूं?’’ अल्का बोली.

‘‘जब तुम्हारा बायोडाटा सामने आया था.’’

‘‘इस का मतलब है कि मुझे मेरी योग्यता के कारण जौब नहीं मिली बल्कि इस कंपनी के मालिक की बेटी होने के कारण मिली.’’

‘‘तुम्हें जौब तुम्हारी योग्यता के कारण ही मिली. चयन समिति ने जो पैनल दिया था उस में सब से ऊपर तुम्हारा नाम था. उस समय तक किसी को भी पता नहीं था कि तुम किस की बेटी हो. फिर तुम्हारे कार्यव्यवहार ने बता दिया कि तुम मेरे पति की बेटी हो. बेटा, तुम ने महसूस किया होगा कि तुम्हारे व्यवहार को देख कर सब क्या कहते हैं, ‘साहब वापस आ गए.’’’

‘‘हां, पर वे ऐसा क्यों कहते हैं?’’

‘‘तुम्हारे पापा के लिए कोई छोटा या बड़ा नहीं था और गलती होने पर किसी से भी माफी मांगने में उन को कोई गुरेज नहीं थी और तुम भी वही कर रही हो. वास्तव में तुम अपने पापा के सच्चे प्यार की निशानी हो. तुम में अपने पिता की सभी खूबियां हैं. तुम्हारा एक मालिक की तरह व्यवहार भी यही बता रहा था.’’

‘‘इसीलिए आप और बौस मेरे व्यवहार को नजरअंदाज कर रहे थे? परंतु मैडम…’’

उस की बात पूरी होने से पूर्व ही ममता ने उसे टोक दिया, ‘‘मुझे मम्मी नहीं कह सकतीं?’’

अल्का बोली, ‘‘सौरी मम्मी, मैं आप को ‘छोटी मम्मी’ कहूंगी और अपनी मम्मी को ‘बड़ी मम्मी’ कहूंगी.’’ इतना कह कर उस ने अपनी मम्मी की ओर देखा. उन्होंने अपनी स्वीकृति दे दी.

‘‘मैं भी ऐसा ही करूंगा,’’ अमित बोला.

ममता ने उसे गले से लगा लिया और कहा, ‘‘यह तेरा बौस नहीं, बल्कि तेरा छोटा भाई है. तुझे इस का खयाल रखना है क्योंकि यह बहुत भोला है.’’

‘‘मम्मी, मेरे छोटे भाई और अपने बेटे को अंडरएस्टीमेट मत करो. पापा की मौत के बाद यही तो कंपनी को चला रहा है.’’

यह सुन कर ममता हंस पड़ीं और अमिता से बोलीं, ‘‘अपने भाई को अंडरएस्टीमेट नहीं करना चाहती. वे भी तो यही करते थे, किसी के सम्मान को कम नहीं होने देते थे. अब मुझे चिंता नहीं, दोनों भाईबहन इस कंपनी को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे.’’

अगले दिन जन्मदिन समारोह बहुत धूमधाम से मनाया गया. अमिता को उस का सम्मान मिला. दोनों मम्मियों ने अपने बच्चों को ढेर सारा प्यार दिया.

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April 30, 2020 at 10:00AM

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