Wednesday 28 April 2021

प्यार का रंग : राशि के बौयफ्रैंड ने क्यों गिरगिट की तरह बदला रंग

जब राशि की आंखें खुलीं तो उस ने खुद को अस्पताल के बैड पर पाया. उसे शरीर में कमजोरी महसूस हो रही थी. इसलिए उस ने फिर आंखें मूंद लीं. जब उस ने अपने दिमाग पर जोर डाला तो उसे याद आया कि उस ने तो नींद की गोलियां खा कर अपनी जीवनलीला समाप्त करने की कोशिश की थी, लेकिन वह बच कैसे गई. तभी किसी की पदचाप से उस की तंद्रा भंग हुई. उस के सामने डाक्टर रंजना खड़ी थीं.

‘‘अब कैसी हो तुम?’’ वे उस का चैकअप करते हुए उस से पूछ बैठीं.

‘‘ठीक हूं डाक्टर,’’ वह धीमे स्वर में बोली.

फिर डाक्टर रंजना सामने खड़ी नर्स को कुछ हिदायतें दे कर चली गईं. लेकिन राशि न चाहते हुए भी अतीत के सागर में गोते खाने लगी और रोहन को याद कर के फूटफूट कर रो पड़ी. थोड़ी देर रो लेने के बाद उस का जी हलका हुआ और वह न चाहते हुए भी फिर से यादों के मकड़जाल में उलझ कर रह गई. फिर उसे अपने कालेज के मस्ती भरे दिन याद आने लगे जब वह और उस के 2 दोस्त रोहन और कपिल कालेज में मस्ती करते थे. रोहन मध्यवर्गीय परिवार का सुंदर नौजवान था और कपिल रईस परिवार का गोलमटोल युवक था. ‘मुझ से शादी करेगी तो मुनाफे में रहेगी,’ कपिल उसे अकसर छेड़ते हुए कहता, ‘मैं गोलू हूं तो क्या हुआ? पर देख लेना, जिस दिन तूने इस रिश्ते के लिए हामी भर दी, उस दिन से मेरी डाइटिंग चालू हो जाएगी.’

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‘यह मुंह और मसूर की दाल,’ राशि कपिल का मजाक उड़ाते हुए कहती, ‘मैं अर्धांगिनी बनूंगी तो सिर्फ रोहन की, क्योंकि मेरे मन में तो उसी की तसवीर बसी हुई है.’ फिर मजाकमजाक में सभी जोर से हंस देते. पर कालेज खत्म होने के बाद राशि और रोहन अपने रिश्ते को ले कर काफी संजीदा हो उठे थे. लेकिन शादी से पहले जरूरी था कि रोहन अपने पैरों पर खड़ा हो जाए ताकि वह राशि का हाथ मांग सके. वैसे रोहन आगे बढ़ने के लिए हाथपांव तो मार रहा था, पर उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी. सरकारी जौब पाने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना बहुत जरूरी था. अब 3 बहनों के इकलौते भाई के पास इतनी जमापूंजी तो थी नहीं कि वह प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अच्छी कोचिंग ले पाता. वैसे उस के पापा अपने स्तर पर उस की मदद को तो तत्पर रहते थे, पर बढ़ती महंगाई ने उन के हाथ बांध रखे थे.

तब ऐसे में राशि ने ही रोहन की मदद का बीड़ा उठा लिया था. वैसे तो राशि भी आगे पढ़ना चाहती थी और आगे बढ़ना चाहती थी पर रोहन की मदद के बाद इतना नहीं बच पाता था कि वह खुद भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सके. फिर उस ने खुद से समझौता कर लिया था और अपना कैरियर दांव पर लगाते हुए रोहन की सहायता करना उस ने अपना लक्ष्य बना लिया था. ‘तुम से यों हर वक्त पैसे लेना अखरता है मुझे, पर क्या करूं विवश हूं,’ रोहन अकसर उस से भरे मन से कहता. ‘तुम में और मुझ में कुछ फर्क है क्या?’ फिर वह उस की गले में बांह डालती हुई कहती, ‘जब अपना सारा जीवन ही तुम्हारे नाम कर दिया है तो अपने और पराए का फर्क बचा ही कहां है?’

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फिर धीरेधीरे समय का पहिया घूमा. इधर संघर्षरत रोहन को सफलता मिली तो उधर कपिल अपने पापा के बिजनैस में सैटल हो गया. जब रोहन को पुणे की एक जानीमानी कंपनी में जौब मिली, तब सब से ज्यादा खुश राशि ही थी, जिस ने इस दिन के लिए न जाने कितने पापड़ बेले थे. उस ने न सिर्फ आर्थिक रूप से बल्कि हर तरह से रोहन की मदद की थी. जब रोहन पढ़ता तो वह सारी रात जाग कर उस का हौसला बढ़ाती. वह हमेशा अपने रोहन की सफलता की कामना करती थी. इसीलिए उसे जैसे ही पता चला कि रोहन की जौब लग गई है, वह बहुत खुश हो गई. रोहन को सामने देख खुशी के अतिरेक में मानो उस के तो होंठ सिल ही गए थे और आंखों से निरंतर आंसू बह रहे थे.

‘पगली, अब तो तेरे खुश होने का समय है,’’ रोहन शरारती अंदाज में बोला तो राशि शर्म से पानीपानी हो गई. तब उस ने आत्मसमर्पण सा कर दिया था. उस ने अपना सिर उस के कंधे से टिका दिया था. जिस दिन रोहन पुणे के लिए गया, उस दिन भी कमोबेश उस की यही स्थिति थी. अपनी मम्मी से कह कर उस ने रोहन के लिए नमकीन, अचार, हलवा और न जाने क्याक्या पैक करवा डाला था. ‘अरी, कम से कम यह तो बता कि इतना सब किस के लिए पैक करवा रही है,’ उस की मां सामान पैक करते वक्त लगातार उस से पूछती रहीं, पर वह जवाब में मंदमंद मुसकराती रही. ‘रोहन, यह सब सिर्फ तुम्हारे लिए है. अगर दोस्तों में बांटा तो मुझ से बुरा कोई नही होगा,’ राशि खाने के सामान से भरा बैग उसे थमाते हुए बोली थी.

‘जानेमन, तुम फिक्र न करो. यह बंदा ही सिर्फ इस सामान को खाएगा,’ फिर रोहन ने वह बैग राशि से ले कर अपने सामान के साथ रख लिया था. ‘मम्मीपापा से मिलने कब आओगे,’ लाख चाहते हुए भी राशि अपनी अधीरता उस से छिपा नहीं पाई थी. ‘पगली, पहले वहां जा कर सैटल तो होने दे मुझे. बस, फिर तुरंत आ कर तुझे तेरे परिवार से मांग लूंगा,’ फिर उस ने आगे बढ़ कर उस का माथा चूमते हुए कहा था, ‘बस, यह समझ ले कि मेरा तन पुणे जा रहा है, मन तो तेरे पास ही है, उस की हिफाजत करना.’ फिर ट्रेन चली गई थी और रोहन भी. तब वह न जाने कितनी देर स्टेशन पर ही खड़ी रह गई थी. जब तक ट्रेन उस की आंखों से पूरी तरह ओझल नहीं हो गई थी.

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अब तो उस का किसी भी काम में मन नहीं लगता था. इधर वह रोहन की दुलहन का सपना अपनी आंखों में संजोए उस का बेसब्री से इंतजार कर रही थी तो उधर रोहन अब उस से कन्नी काटने लगा था. धीरेधीरे बढ़ रही उस की बेरुखी राशि को तोड़ने लगी थी. ऐसे में उस ने पुणे जा कर सारी बात जानने का मन बनाया. पर उस के जाने से पहले ही उसे माही मिल गई थी, जिस का चचेरा भाई संयोगवश रोहन की कंपनी में ही काम करता था. ‘अरे यार, तू जिस के साथ शादी कर सैटल होने का मन बना रही है, वह तो दगाबाज निकला. रोहन तो अब अपनी कंपनी के सीईओ की बेटी से इश्क फरमाने में लगा है. आखिर अपने परिवार की गरीबी दूर करने का इस से बढि़या विकल्प क्या होगा?’ फिर माही तो चली गई, लेकिन राशि… वह तो मानो दुख के सागर में डूबती चली गई. जिस पेड़ की शाखा के सहारे वह इस जिंदगी के सागर को पार लगाने की आस में थी, वह शाखा इतनी कच्ची निकलेगी, इस का उसे अंदाजा ही नहीं था.

वह क्या करे? इसी ऊहापोह में करीब एक महीना गुजर गया. इस बीच न तो उस ने रोहन से बात की और न ही रोहन का कोई फोन आया. तब फिर एक दिन जब वह अपने दिल से हार गई, तब उस ने ही उसे फोन लगाया.

‘हैलो, रोहन, कैसे हो?’

‘ठीक हूं.’

‘और तुम कैसी हो?’

‘मैं भी ठीक हूं.’

‘अच्छा रोहन, तुम दिल्ली कब आ रहे हो,’ राशि न चाहते हुए भी उस से पूछ बैठी. ‘‘अभी तो फिलहाल दिल्ली आने का कोई प्रोग्राम नहीं है, क्योंकि मैं तो अपना सारा परिवार यहां पुणे में शिफ्ट करने की सोच रहा हूं,’ इतना कह कर उस ने फोन काट दिया. रोहन ने तो उस से दोटूक बात कर के अपनी जिम्मेदारी से, अपने प्यार से मुंह मोड़ लिया, लेकिन खाली हाथ रह गई तो राशि. वह बहुत कोशिश करती थी, रोहन को भूलने की, पर उस का दिल हर समय उस की याद में ही धड़कता रहता था. सच, कितनी आसानी से रोहन ने उस से कह दिया कि वह अपना पूरा परिवार पुणे शिफ्ट करने की सोच रहा है, जबकि वह यह बात अच्छे से जानता है कि वह भी तो उस के परिवार का हिस्सा थी. रोहन के परिवार में शामिल होने के लिए ही तो उस ने इतने सारे यत्न किए थे. यहां तक कि अपना कैरियर भी दांव पर लगा दिया था, पर बदले में उसे क्या मिला?

वह फोन पर उस से यह सब कहना चाहती थी, पर चाह कर भी उसे फोन नहीं मिला पाई. रोहन जैसा मौकापरस्त इंसान अब उस की नफरत के काबिल भी नहीं था. रोहन की बेवफाई ने उसे भीतर तक तोड़ दिया था. तब उस ने खुद को आगे की पढ़ाई में झोंक दिया. हर समय हंसनेखिलखिलाने वाली राशि चुप्पी के खोल में सिमट कर रह गई थी. उस की यह खामोशी उस के मम्मीपापा के लिए भी कम दुखदाई नहीं थी, पर मौके की नजाकत को देखते हुए वे चुप ही रहते थे.

अपने दुख को दबाना जब राशि के लिए असहनीय हो गया, तब उस ने एक दिन नींद की ढेर सारी गोलियां खा कर अपना जीवन समाप्त करने की कोशिश की. लेकिन शायद अभी उसे और जीना था इसलिए बच गई. ‘‘बेटी, कैसी है तू अब?’’ मां की प्यार भरी आवाज सुन कर उस की तंद्रा भंग हो गई और वह अतीत से वर्तमान में लौट आई थी. जब मां का आत्मीयता भरा स्पर्श उसे अपने माथे पर महसूस हुआ तो वह सिसक पड़ी. ‘‘मेरी बेटी इतनी कमजोर निकलेगी, मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था,’’ मां के स्वर में तड़प का पुट था.

मां की यह बात उसे चुभ गई थी. अब उस ने रोतेरोते सारी बातें अपनी मां को बता दी थीं. सबकुछ जानने के बाद उस की मां का भी दिल भर आया था. फिर वे प्यार से उसे समझाते हुए बोलीं, ‘‘मैं मानती हूं कि जो कुछ भी तेरे साथ हुआ वह गलत था, पर बेटी, किसी मौकापरस्त इंसान के लिए अपना जीवन समाप्त करना भी तो समझदारी नहीं है. तुझे तो यह सोचना चाहिए कि तू ऐसे खुदगर्ज इंसान से बच गई जो सिर्फ अपने को ही महत्त्व देता है.’’ मां की प्यार भरी बातों ने उस के रिसते घाव पर मरहम का काम किया था. फिर वह हलके मन से सामने रखा सूप पीने लगी थी. तभी अचानक मां उस से बोलीं, ‘‘बेटा, एक बात कहूं?’’

‘‘हां, कहो न मां.’’

‘‘देख बेटी, पुरानी बातों को छोड़ कर आगे बढ़ने में ही समझदारी है. इस से पुरानी बातों का दंश कम हो जाता है.’’

‘‘वह तो ठीक है, पर…’’

‘‘अब परवर कुछ नहीं. बस, यह समझ ले कि एक बार तूने सूरत के आधार पर अपने जीवन का फैसला लिया था, अब तू सीरत को आधार बना कर आगे बढ़ जा.’’

‘‘लेकिन आप कहना क्या चाह रही हैं, मैं समझी नहीं,’’ राशि सूप का खाली कप अपनी मां को थमाते हुए बोली. ‘‘अरे, मैं तो उसी कपिल की बात कर रही हूं, जिसे तू गोलू कह कर छेड़ती थी,’’ मां फिर से संजीदा हो उठी थीं, ‘‘पता है, जब मैं ने तुझे बेहोश देखा, तब मैं समझ नहीं पाई थी कि क्या करूं? पहले तेरे पापा को फोन लगाया, लेकिन उन का फोन स्विच औफ जा रहा था. तब मैं ने परेशान हो कर तेरे एकदो दोस्तों को फोन लगाया. वे सभी पुलिस केस के डर से कन्नी काट गए. ‘‘फिर मैं ने गोलू को फोन लगाया. मेरे फोन करते ही वह तुरंत मेरे पास पहुंच गया. उस ने उस समय न सिर्फ तुझे संभाला बल्कि मुझे भी हिम्म्मत दी. अब बता, जो इंसान तेरी बेरुखी के बावजूद सिर्फ इंसानियत के नाते तेरी मदद को आगे आया, वह इंसान तारीफ के काबिल है या नहीं…’’

‘‘पर मां, अब तो शादी के नाम से ही नफरत हो गई है मुझे…’’ इतना कहतेकहते राशि फिर से रो पड़ी.

‘‘बेटा, धोखा रोहन ने दिया है तो उस की करनी की सजा तू क्यों भुगते? किसी और की गलती का पश्चात्ताप तू क्यों करे?’’ मां के स्वर में चिंता का पुट था. फिर न जाने उस के मन में अचानक क्या आया? उस ने तुरंत हां में सिर हिला दिया. उस की हां मिलते ही गोलू और उस की मां अस्पताल जा पहुंचे. ‘‘देख लेना बेटा, मैं दुनिया की हर खुशी दूंगी तुझे. बस, तू जल्दी से ठीक हो जा. तुझे ही अपने कमरे का सारा डैकोरेशन करना होगा,’’ गोलू की मां उस का माथा चूमते हुए बोलीं. फिर वह और उस की मां कमरे से बाहर चली गईं. उन के जाने के बाद कपिल राशि से मिलने आया.

‘‘मैं तो मरमिटा हूं तेरी हां पर. मैं ने तो पहली नजर में ही तुझे अपना दिल दे दिया था, लेकिन वहां तो… चल छोड़ उन बेकार की बातों को.

‘‘पर अब जब हम दोनों ने एक होने का फैसला कर लिया है, तो आज से तेरे सारे गम मेरे और मेरी सारी खुशियां तेरी,’’ मोटू राशि का हाथ थामते हुए बोला. गोलू की इस अदा पर राशि फिदा हो गई. अब उसे अपनी मां की कही बातों का अर्थ समझ में आने लगा था. सच, कितना फर्क है रोहन और कपिल की सोच में. एक वह निर्मोही रोहन है, जो अपनी मौकापरस्ती के कारण उसे लगभग भूल ही गया और दूसरी तरफ कपिल है, जो उस का झुकाव रोहन की तरफ होते हुए भी उसे अपना बनाने को तैयार है. सच में कपिल महान है जो इतना कुछ होने के बावजूद उस से सच्चा प्यार करता है. बस, कपिल की यही जिंदादिली भा गई थी उसे. उस का वर्तमान और भविष्य सुरक्षित रहेगा उस के साथ, इस की उम्मीद अब राशि के अंदर जाग चुकी थी. फिर अचानक ही कपिल उस से बोला, ‘‘थोड़े दिन बाद होली है. तुझे हमारे घर आना होगा, मेरे साथ होली खेलने,’’ कपिल उसे दोबारा बैड पर लिटाते हुए बोला.

‘‘हांहां, मैं जरूर आऊंगी,’’ राशि ने हां में अपना सिर हिला दिया.

‘‘यह हुई न बात, तो तू रंगेगी न, मेरे प्यार के रंग में?’’

‘‘हां, मेरे मोटू.’’ राशि के इतना कहते ही झट से मोटू ने एक प्यार भरा चुंबन उस के गाल पर अंकित किया और फिर शरमा कर बाहर निकल गया.

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जब राशि की आंखें खुलीं तो उस ने खुद को अस्पताल के बैड पर पाया. उसे शरीर में कमजोरी महसूस हो रही थी. इसलिए उस ने फिर आंखें मूंद लीं. जब उस ने अपने दिमाग पर जोर डाला तो उसे याद आया कि उस ने तो नींद की गोलियां खा कर अपनी जीवनलीला समाप्त करने की कोशिश की थी, लेकिन वह बच कैसे गई. तभी किसी की पदचाप से उस की तंद्रा भंग हुई. उस के सामने डाक्टर रंजना खड़ी थीं.

‘‘अब कैसी हो तुम?’’ वे उस का चैकअप करते हुए उस से पूछ बैठीं.

‘‘ठीक हूं डाक्टर,’’ वह धीमे स्वर में बोली.

फिर डाक्टर रंजना सामने खड़ी नर्स को कुछ हिदायतें दे कर चली गईं. लेकिन राशि न चाहते हुए भी अतीत के सागर में गोते खाने लगी और रोहन को याद कर के फूटफूट कर रो पड़ी. थोड़ी देर रो लेने के बाद उस का जी हलका हुआ और वह न चाहते हुए भी फिर से यादों के मकड़जाल में उलझ कर रह गई. फिर उसे अपने कालेज के मस्ती भरे दिन याद आने लगे जब वह और उस के 2 दोस्त रोहन और कपिल कालेज में मस्ती करते थे. रोहन मध्यवर्गीय परिवार का सुंदर नौजवान था और कपिल रईस परिवार का गोलमटोल युवक था. ‘मुझ से शादी करेगी तो मुनाफे में रहेगी,’ कपिल उसे अकसर छेड़ते हुए कहता, ‘मैं गोलू हूं तो क्या हुआ? पर देख लेना, जिस दिन तूने इस रिश्ते के लिए हामी भर दी, उस दिन से मेरी डाइटिंग चालू हो जाएगी.’

ये भी पढ़ें- एक प्याला चाय : किस बात को अन्याय मानती थी मनीषा?

‘यह मुंह और मसूर की दाल,’ राशि कपिल का मजाक उड़ाते हुए कहती, ‘मैं अर्धांगिनी बनूंगी तो सिर्फ रोहन की, क्योंकि मेरे मन में तो उसी की तसवीर बसी हुई है.’ फिर मजाकमजाक में सभी जोर से हंस देते. पर कालेज खत्म होने के बाद राशि और रोहन अपने रिश्ते को ले कर काफी संजीदा हो उठे थे. लेकिन शादी से पहले जरूरी था कि रोहन अपने पैरों पर खड़ा हो जाए ताकि वह राशि का हाथ मांग सके. वैसे रोहन आगे बढ़ने के लिए हाथपांव तो मार रहा था, पर उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी. सरकारी जौब पाने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना बहुत जरूरी था. अब 3 बहनों के इकलौते भाई के पास इतनी जमापूंजी तो थी नहीं कि वह प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अच्छी कोचिंग ले पाता. वैसे उस के पापा अपने स्तर पर उस की मदद को तो तत्पर रहते थे, पर बढ़ती महंगाई ने उन के हाथ बांध रखे थे.

तब ऐसे में राशि ने ही रोहन की मदद का बीड़ा उठा लिया था. वैसे तो राशि भी आगे पढ़ना चाहती थी और आगे बढ़ना चाहती थी पर रोहन की मदद के बाद इतना नहीं बच पाता था कि वह खुद भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सके. फिर उस ने खुद से समझौता कर लिया था और अपना कैरियर दांव पर लगाते हुए रोहन की सहायता करना उस ने अपना लक्ष्य बना लिया था. ‘तुम से यों हर वक्त पैसे लेना अखरता है मुझे, पर क्या करूं विवश हूं,’ रोहन अकसर उस से भरे मन से कहता. ‘तुम में और मुझ में कुछ फर्क है क्या?’ फिर वह उस की गले में बांह डालती हुई कहती, ‘जब अपना सारा जीवन ही तुम्हारे नाम कर दिया है तो अपने और पराए का फर्क बचा ही कहां है?’

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फिर धीरेधीरे समय का पहिया घूमा. इधर संघर्षरत रोहन को सफलता मिली तो उधर कपिल अपने पापा के बिजनैस में सैटल हो गया. जब रोहन को पुणे की एक जानीमानी कंपनी में जौब मिली, तब सब से ज्यादा खुश राशि ही थी, जिस ने इस दिन के लिए न जाने कितने पापड़ बेले थे. उस ने न सिर्फ आर्थिक रूप से बल्कि हर तरह से रोहन की मदद की थी. जब रोहन पढ़ता तो वह सारी रात जाग कर उस का हौसला बढ़ाती. वह हमेशा अपने रोहन की सफलता की कामना करती थी. इसीलिए उसे जैसे ही पता चला कि रोहन की जौब लग गई है, वह बहुत खुश हो गई. रोहन को सामने देख खुशी के अतिरेक में मानो उस के तो होंठ सिल ही गए थे और आंखों से निरंतर आंसू बह रहे थे.

‘पगली, अब तो तेरे खुश होने का समय है,’’ रोहन शरारती अंदाज में बोला तो राशि शर्म से पानीपानी हो गई. तब उस ने आत्मसमर्पण सा कर दिया था. उस ने अपना सिर उस के कंधे से टिका दिया था. जिस दिन रोहन पुणे के लिए गया, उस दिन भी कमोबेश उस की यही स्थिति थी. अपनी मम्मी से कह कर उस ने रोहन के लिए नमकीन, अचार, हलवा और न जाने क्याक्या पैक करवा डाला था. ‘अरी, कम से कम यह तो बता कि इतना सब किस के लिए पैक करवा रही है,’ उस की मां सामान पैक करते वक्त लगातार उस से पूछती रहीं, पर वह जवाब में मंदमंद मुसकराती रही. ‘रोहन, यह सब सिर्फ तुम्हारे लिए है. अगर दोस्तों में बांटा तो मुझ से बुरा कोई नही होगा,’ राशि खाने के सामान से भरा बैग उसे थमाते हुए बोली थी.

‘जानेमन, तुम फिक्र न करो. यह बंदा ही सिर्फ इस सामान को खाएगा,’ फिर रोहन ने वह बैग राशि से ले कर अपने सामान के साथ रख लिया था. ‘मम्मीपापा से मिलने कब आओगे,’ लाख चाहते हुए भी राशि अपनी अधीरता उस से छिपा नहीं पाई थी. ‘पगली, पहले वहां जा कर सैटल तो होने दे मुझे. बस, फिर तुरंत आ कर तुझे तेरे परिवार से मांग लूंगा,’ फिर उस ने आगे बढ़ कर उस का माथा चूमते हुए कहा था, ‘बस, यह समझ ले कि मेरा तन पुणे जा रहा है, मन तो तेरे पास ही है, उस की हिफाजत करना.’ फिर ट्रेन चली गई थी और रोहन भी. तब वह न जाने कितनी देर स्टेशन पर ही खड़ी रह गई थी. जब तक ट्रेन उस की आंखों से पूरी तरह ओझल नहीं हो गई थी.

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अब तो उस का किसी भी काम में मन नहीं लगता था. इधर वह रोहन की दुलहन का सपना अपनी आंखों में संजोए उस का बेसब्री से इंतजार कर रही थी तो उधर रोहन अब उस से कन्नी काटने लगा था. धीरेधीरे बढ़ रही उस की बेरुखी राशि को तोड़ने लगी थी. ऐसे में उस ने पुणे जा कर सारी बात जानने का मन बनाया. पर उस के जाने से पहले ही उसे माही मिल गई थी, जिस का चचेरा भाई संयोगवश रोहन की कंपनी में ही काम करता था. ‘अरे यार, तू जिस के साथ शादी कर सैटल होने का मन बना रही है, वह तो दगाबाज निकला. रोहन तो अब अपनी कंपनी के सीईओ की बेटी से इश्क फरमाने में लगा है. आखिर अपने परिवार की गरीबी दूर करने का इस से बढि़या विकल्प क्या होगा?’ फिर माही तो चली गई, लेकिन राशि… वह तो मानो दुख के सागर में डूबती चली गई. जिस पेड़ की शाखा के सहारे वह इस जिंदगी के सागर को पार लगाने की आस में थी, वह शाखा इतनी कच्ची निकलेगी, इस का उसे अंदाजा ही नहीं था.

वह क्या करे? इसी ऊहापोह में करीब एक महीना गुजर गया. इस बीच न तो उस ने रोहन से बात की और न ही रोहन का कोई फोन आया. तब फिर एक दिन जब वह अपने दिल से हार गई, तब उस ने ही उसे फोन लगाया.

‘हैलो, रोहन, कैसे हो?’

‘ठीक हूं.’

‘और तुम कैसी हो?’

‘मैं भी ठीक हूं.’

‘अच्छा रोहन, तुम दिल्ली कब आ रहे हो,’ राशि न चाहते हुए भी उस से पूछ बैठी. ‘‘अभी तो फिलहाल दिल्ली आने का कोई प्रोग्राम नहीं है, क्योंकि मैं तो अपना सारा परिवार यहां पुणे में शिफ्ट करने की सोच रहा हूं,’ इतना कह कर उस ने फोन काट दिया. रोहन ने तो उस से दोटूक बात कर के अपनी जिम्मेदारी से, अपने प्यार से मुंह मोड़ लिया, लेकिन खाली हाथ रह गई तो राशि. वह बहुत कोशिश करती थी, रोहन को भूलने की, पर उस का दिल हर समय उस की याद में ही धड़कता रहता था. सच, कितनी आसानी से रोहन ने उस से कह दिया कि वह अपना पूरा परिवार पुणे शिफ्ट करने की सोच रहा है, जबकि वह यह बात अच्छे से जानता है कि वह भी तो उस के परिवार का हिस्सा थी. रोहन के परिवार में शामिल होने के लिए ही तो उस ने इतने सारे यत्न किए थे. यहां तक कि अपना कैरियर भी दांव पर लगा दिया था, पर बदले में उसे क्या मिला?

वह फोन पर उस से यह सब कहना चाहती थी, पर चाह कर भी उसे फोन नहीं मिला पाई. रोहन जैसा मौकापरस्त इंसान अब उस की नफरत के काबिल भी नहीं था. रोहन की बेवफाई ने उसे भीतर तक तोड़ दिया था. तब उस ने खुद को आगे की पढ़ाई में झोंक दिया. हर समय हंसनेखिलखिलाने वाली राशि चुप्पी के खोल में सिमट कर रह गई थी. उस की यह खामोशी उस के मम्मीपापा के लिए भी कम दुखदाई नहीं थी, पर मौके की नजाकत को देखते हुए वे चुप ही रहते थे.

अपने दुख को दबाना जब राशि के लिए असहनीय हो गया, तब उस ने एक दिन नींद की ढेर सारी गोलियां खा कर अपना जीवन समाप्त करने की कोशिश की. लेकिन शायद अभी उसे और जीना था इसलिए बच गई. ‘‘बेटी, कैसी है तू अब?’’ मां की प्यार भरी आवाज सुन कर उस की तंद्रा भंग हो गई और वह अतीत से वर्तमान में लौट आई थी. जब मां का आत्मीयता भरा स्पर्श उसे अपने माथे पर महसूस हुआ तो वह सिसक पड़ी. ‘‘मेरी बेटी इतनी कमजोर निकलेगी, मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था,’’ मां के स्वर में तड़प का पुट था.

मां की यह बात उसे चुभ गई थी. अब उस ने रोतेरोते सारी बातें अपनी मां को बता दी थीं. सबकुछ जानने के बाद उस की मां का भी दिल भर आया था. फिर वे प्यार से उसे समझाते हुए बोलीं, ‘‘मैं मानती हूं कि जो कुछ भी तेरे साथ हुआ वह गलत था, पर बेटी, किसी मौकापरस्त इंसान के लिए अपना जीवन समाप्त करना भी तो समझदारी नहीं है. तुझे तो यह सोचना चाहिए कि तू ऐसे खुदगर्ज इंसान से बच गई जो सिर्फ अपने को ही महत्त्व देता है.’’ मां की प्यार भरी बातों ने उस के रिसते घाव पर मरहम का काम किया था. फिर वह हलके मन से सामने रखा सूप पीने लगी थी. तभी अचानक मां उस से बोलीं, ‘‘बेटा, एक बात कहूं?’’

‘‘हां, कहो न मां.’’

‘‘देख बेटी, पुरानी बातों को छोड़ कर आगे बढ़ने में ही समझदारी है. इस से पुरानी बातों का दंश कम हो जाता है.’’

‘‘वह तो ठीक है, पर…’’

‘‘अब परवर कुछ नहीं. बस, यह समझ ले कि एक बार तूने सूरत के आधार पर अपने जीवन का फैसला लिया था, अब तू सीरत को आधार बना कर आगे बढ़ जा.’’

‘‘लेकिन आप कहना क्या चाह रही हैं, मैं समझी नहीं,’’ राशि सूप का खाली कप अपनी मां को थमाते हुए बोली. ‘‘अरे, मैं तो उसी कपिल की बात कर रही हूं, जिसे तू गोलू कह कर छेड़ती थी,’’ मां फिर से संजीदा हो उठी थीं, ‘‘पता है, जब मैं ने तुझे बेहोश देखा, तब मैं समझ नहीं पाई थी कि क्या करूं? पहले तेरे पापा को फोन लगाया, लेकिन उन का फोन स्विच औफ जा रहा था. तब मैं ने परेशान हो कर तेरे एकदो दोस्तों को फोन लगाया. वे सभी पुलिस केस के डर से कन्नी काट गए. ‘‘फिर मैं ने गोलू को फोन लगाया. मेरे फोन करते ही वह तुरंत मेरे पास पहुंच गया. उस ने उस समय न सिर्फ तुझे संभाला बल्कि मुझे भी हिम्म्मत दी. अब बता, जो इंसान तेरी बेरुखी के बावजूद सिर्फ इंसानियत के नाते तेरी मदद को आगे आया, वह इंसान तारीफ के काबिल है या नहीं…’’

‘‘पर मां, अब तो शादी के नाम से ही नफरत हो गई है मुझे…’’ इतना कहतेकहते राशि फिर से रो पड़ी.

‘‘बेटा, धोखा रोहन ने दिया है तो उस की करनी की सजा तू क्यों भुगते? किसी और की गलती का पश्चात्ताप तू क्यों करे?’’ मां के स्वर में चिंता का पुट था. फिर न जाने उस के मन में अचानक क्या आया? उस ने तुरंत हां में सिर हिला दिया. उस की हां मिलते ही गोलू और उस की मां अस्पताल जा पहुंचे. ‘‘देख लेना बेटा, मैं दुनिया की हर खुशी दूंगी तुझे. बस, तू जल्दी से ठीक हो जा. तुझे ही अपने कमरे का सारा डैकोरेशन करना होगा,’’ गोलू की मां उस का माथा चूमते हुए बोलीं. फिर वह और उस की मां कमरे से बाहर चली गईं. उन के जाने के बाद कपिल राशि से मिलने आया.

‘‘मैं तो मरमिटा हूं तेरी हां पर. मैं ने तो पहली नजर में ही तुझे अपना दिल दे दिया था, लेकिन वहां तो… चल छोड़ उन बेकार की बातों को.

‘‘पर अब जब हम दोनों ने एक होने का फैसला कर लिया है, तो आज से तेरे सारे गम मेरे और मेरी सारी खुशियां तेरी,’’ मोटू राशि का हाथ थामते हुए बोला. गोलू की इस अदा पर राशि फिदा हो गई. अब उसे अपनी मां की कही बातों का अर्थ समझ में आने लगा था. सच, कितना फर्क है रोहन और कपिल की सोच में. एक वह निर्मोही रोहन है, जो अपनी मौकापरस्ती के कारण उसे लगभग भूल ही गया और दूसरी तरफ कपिल है, जो उस का झुकाव रोहन की तरफ होते हुए भी उसे अपना बनाने को तैयार है. सच में कपिल महान है जो इतना कुछ होने के बावजूद उस से सच्चा प्यार करता है. बस, कपिल की यही जिंदादिली भा गई थी उसे. उस का वर्तमान और भविष्य सुरक्षित रहेगा उस के साथ, इस की उम्मीद अब राशि के अंदर जाग चुकी थी. फिर अचानक ही कपिल उस से बोला, ‘‘थोड़े दिन बाद होली है. तुझे हमारे घर आना होगा, मेरे साथ होली खेलने,’’ कपिल उसे दोबारा बैड पर लिटाते हुए बोला.

‘‘हांहां, मैं जरूर आऊंगी,’’ राशि ने हां में अपना सिर हिला दिया.

‘‘यह हुई न बात, तो तू रंगेगी न, मेरे प्यार के रंग में?’’

‘‘हां, मेरे मोटू.’’ राशि के इतना कहते ही झट से मोटू ने एक प्यार भरा चुंबन उस के गाल पर अंकित किया और फिर शरमा कर बाहर निकल गया.

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April 29, 2021 at 10:00AM

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