Thursday 29 April 2021

हमदर्दों से दूर -भाग 1 : अखिलेश सरला से क्यों मिलना चाहता था

“हैलो अखिलेशजी, आप फ्री हों तो आज शाम मिलें?” “जी जरूर, मैं तो खाली ही हूं. मगर कहां?” हड़बड़ाते हुए अखिलेश ने पूछा. “जी वही बंजारा रेस्तरां में ठीक 6 बजे मिलते हैं,” सरला ने जवाब दिया.

“ओके…” अखिलेश सरला से खुद मिलना चाहता था. वह खुश था कि सरला ने ही फोन कर के मिलने बुला लिया. दरअसल, जब से उस ने मैट्रिमोनियल साइट में अपनी प्रोफाइल बनाई थी सरला पहली महिला थी जो उसे एक ही नजर में ही पसंद आ गई थी.

समय 6 बजे का था मगर अखिलेश 2 घंटे पहले ही तैयार हो गया. आखिर सरला से जो मिलने जाना था. हलके ग्रे कलर की शर्ट और पैंट पहन कर वह आईने में ठीक से अपना मुआयना करने लगा. हर ऐंगल से खुद को जांचापरखा. कान के पास

किनारेकिनारे झांक रहे सफेद बालों को छिपाने की कोशिश की. 4 दिन पहले ही डाई लगाई थी मगर सफेदी फिर सामने आ गई थी. आंखों का चश्मा और माथे की सिलवटें वह चाह कर भी छिपा नहीं सकता था. खुद ही दिल को यह सोच कर दिलासा देने लगा कि 60 साल की उम्र में इतना फिट और आकर्षक भला कौन नजर आता है? जेब में पर्स और हाथ में मोबाइल ले कर वह चल दिया.

अखिलेश की पत्नी का करीब 10 साल पहले देहांत हो गया था. उस वक्त बच्चे साथ थे इसलिए ज्यादा पता नहीं चला. मगर धीरेधीरे बच्चों की शादी हो गई और वे अपनीअपनी दुनिया में मशगूल हो गए. बेटी ब्याह कर दूसरे शहर चली गई और

छोटे बेटे ने भी जौब के चक्कर में यह शहर छोड़ दिया. बड़ा बेटा पहले ही शादी के बाद मुंबई में बस चुका था. इस तरह मेरठ के घर में वह नितांत अकेला रह गया था.

अब पत्नी की याद ज्यादा ही आने लगी थी. नौकरानी घर संभाल जाती. नाश्ताखाना भी बना देती. मगर पत्नी वाली केयर कैसे कर सकती थी. यही वजह थी कि अखिलेश ने फिर से शादी करने का फैसला लिया ताकि अपनी बची जिंदगी इस तरह अकेलेपन और उदासी के साथ गुजारने के बजाय किसी विधवा से पुनर्विवाह कर के गुजार सके.

इस के लिए उस ने मैट्रिमोनियल साइट में अपनी प्रोफाइल बना डाली. 3-4 दिनों के अंदर ही बहुत सारी महिलाओं ने उन्हें इंटरैस्ट भेज दिया. इन सबों में सरला सब से ज्यादा पसंद आई थी. रेस्तरां की मेज पर सरला और अखिलेश आमनेसामने बैठे थे. सरला की उम्र करीब 50 साल थी. वह भी विधवा थी. एक बेटी थी जिस की शादी हो चुकी थी.

गोरा रंग, तीखे नैननक्श और चेहरे की चमक बता रही थी कि किसी जमाने में वह बला की खूबसूरत रही होगी. सरला ने साफ शब्दों में अपनी बात रखी,” करीब 5 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मेरे पति की मौत हो गई. आप को पता ही होगा कि पति के जाते ही औरत की

जिंदगी से सारी रौनक चली जाती है. मेरी बेटी भी मायके चली गई. अब बिलकुल दिल नहीं लगता है. बस इसी अकेलेपन की वजह से शादी का फैसला लिया है.”

“सरलाजी, मेरे साथ भी बिलकुल यही बात है. मेरा भी खयाल रखने के लिए कोई अपना मेरे पास नहीं. अकेलापन खाने को दौड़ता है. क्यों न हम एकदूसरे के साथी बन कर इस अकेलेपन को हमेशा के लिए दूर कर दें. मुझे आप की जैसी

समझदार और सरल महिला की ही जरूरत है.” सरला ने हौले से मुसकरा कर अपनी सहमति दे दी. दोनों 1-2 घंटे वहीं बैठे बातें करते रहे. अगले दिन फिर मिलने का वादा कर अपनेअपने घर लौट आए.

आते ही अखिलेश ने मैट्रिमोनियल साइट से अपनी प्रोफाइल हटा दी. उसे जिस की तलाश थी वह मिल चुकी थी. देर रात बेटे का फोन आया तो अखिलेश ने बेटे से अपनी खुशी शेयर की. सुन कर बेटा एकदम चुप हो गया.

कुछ देर बाद समझाते हुए बोला,”पापा, यह क्या करने जा रहे हो? क्या जरूरत है इस उम्र में शादी की? वह औरत पता नहीं कैसी हो? किस मकसद से शादी कर रही हो?”

“बेटा तमीज से बात कर, वह औरत तेरी होने वाली मां है. मैं जो यहां अकेलापन महसूस करता हूं उसे मिटाने के लिए शादी कर रहा हूं.” “यार पापा, अकेलापन मिटाने के सौ तरीके हैं. इस के लिए शादी कौन सा

रास्ता है?” झुंझलाए स्वर में बेटे ने कहा. “शादी ही सही रास्ता है बेटा. मुझे जो उचित लगा वही कर रहा हूं.तुम लोग तो मेरे साथ नहीं रहते न. फिर मेरी समस्या कैसे समझोगे?”

“पापा, इस बार मैं कोशिश करूंगा कि अपना ट्रांसफर दिल्ली करा लूं. फिर पास रहूंगा तो हर वीकेंड आ जाया करूंगा. डोंट वरी पापा.”

“देख 5 साल से तू यही कह रहा है बेटे. पर क्या हुआ? तू आया यहां? ” अखिलेश ने बेटे से सवाल किया. “पापा आप तो समझ ही नहीं रहे.” “तू भी नहीं समझ रहा है सुजय. ”

बेटे ने गुस्से में फोन काट दिया. अखिलेश थोड़ी देर उदास पड़ा रहा फिर सहसा ही उस की आंखों में चमक उभरी. मोबाइल उठा कर सरला का नंबर लगाने

लगा. फिर देर रात तक दोनों बातें करने में मशगूल रहे. कुछ दिनों तक दोनों के बीच इसी तरह बातों और मुलाकातों का दौर चलता रहा. इधर अखिलेश के बच्चे उसे शादी न करने की सलाह देते रहे मगर सही समय देख अखिलेश ने बहुत सादगी के साथ सरला को अपना जीवनसाथी बना लिया.

शादी के लिए अखिलेश ने बहुत सादा समारोह रखा था. अखिलेश का छोटा बेटा और सरला की बेटी और भाई विवाहस्थल पर मौजूद थे. अखिलेश की बेटी नहीं आ पाई थी. उसने वीडियो कौल के जरीए अपने पिता की शादी देखी. बड़ा बेटा औफिस के काम में फंसा होने का बहाना बना कर नहीं आया. अखिलेश के बच्चे अपने पिता की दूसरी शादी से बिलकुल भी खुश नहीं थे.

उस दिन अखिलेश बेटे से बात कर रहा था. सरला बाहर गई हुई थी. अचानक वह लौट आई पर अखिलेश को इस की खबर नहीं थी. अखिलेश फोन स्पीकर पर रख कर बातें करता था क्योंकि उसे कम सुनाई देता था. हमेशा की तरह बेटा सरला के खिलाफ जहर उगल रहा था. मगर अखिलेश लगातार उस की हर बात का प्रतिकार सही दलीलों के साथ पूरे विश्वास से करता रहा. अखिलेश का अपने प्रति यह विश्वास देख कर सरला को बहुत अच्छा लगा.

उम्र की परवाह किए बिना नए जीवन की शुरुआत दोनों ने शिमला की वादियों में जा कर किया. उन्होंने वहां साथ में बहुत खूबसूरत वक्त बिताया. दोनों काफी खुश थे.

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“हैलो अखिलेशजी, आप फ्री हों तो आज शाम मिलें?” “जी जरूर, मैं तो खाली ही हूं. मगर कहां?” हड़बड़ाते हुए अखिलेश ने पूछा. “जी वही बंजारा रेस्तरां में ठीक 6 बजे मिलते हैं,” सरला ने जवाब दिया.

“ओके…” अखिलेश सरला से खुद मिलना चाहता था. वह खुश था कि सरला ने ही फोन कर के मिलने बुला लिया. दरअसल, जब से उस ने मैट्रिमोनियल साइट में अपनी प्रोफाइल बनाई थी सरला पहली महिला थी जो उसे एक ही नजर में ही पसंद आ गई थी.

समय 6 बजे का था मगर अखिलेश 2 घंटे पहले ही तैयार हो गया. आखिर सरला से जो मिलने जाना था. हलके ग्रे कलर की शर्ट और पैंट पहन कर वह आईने में ठीक से अपना मुआयना करने लगा. हर ऐंगल से खुद को जांचापरखा. कान के पास

किनारेकिनारे झांक रहे सफेद बालों को छिपाने की कोशिश की. 4 दिन पहले ही डाई लगाई थी मगर सफेदी फिर सामने आ गई थी. आंखों का चश्मा और माथे की सिलवटें वह चाह कर भी छिपा नहीं सकता था. खुद ही दिल को यह सोच कर दिलासा देने लगा कि 60 साल की उम्र में इतना फिट और आकर्षक भला कौन नजर आता है? जेब में पर्स और हाथ में मोबाइल ले कर वह चल दिया.

अखिलेश की पत्नी का करीब 10 साल पहले देहांत हो गया था. उस वक्त बच्चे साथ थे इसलिए ज्यादा पता नहीं चला. मगर धीरेधीरे बच्चों की शादी हो गई और वे अपनीअपनी दुनिया में मशगूल हो गए. बेटी ब्याह कर दूसरे शहर चली गई और

छोटे बेटे ने भी जौब के चक्कर में यह शहर छोड़ दिया. बड़ा बेटा पहले ही शादी के बाद मुंबई में बस चुका था. इस तरह मेरठ के घर में वह नितांत अकेला रह गया था.

अब पत्नी की याद ज्यादा ही आने लगी थी. नौकरानी घर संभाल जाती. नाश्ताखाना भी बना देती. मगर पत्नी वाली केयर कैसे कर सकती थी. यही वजह थी कि अखिलेश ने फिर से शादी करने का फैसला लिया ताकि अपनी बची जिंदगी इस तरह अकेलेपन और उदासी के साथ गुजारने के बजाय किसी विधवा से पुनर्विवाह कर के गुजार सके.

इस के लिए उस ने मैट्रिमोनियल साइट में अपनी प्रोफाइल बना डाली. 3-4 दिनों के अंदर ही बहुत सारी महिलाओं ने उन्हें इंटरैस्ट भेज दिया. इन सबों में सरला सब से ज्यादा पसंद आई थी. रेस्तरां की मेज पर सरला और अखिलेश आमनेसामने बैठे थे. सरला की उम्र करीब 50 साल थी. वह भी विधवा थी. एक बेटी थी जिस की शादी हो चुकी थी.

गोरा रंग, तीखे नैननक्श और चेहरे की चमक बता रही थी कि किसी जमाने में वह बला की खूबसूरत रही होगी. सरला ने साफ शब्दों में अपनी बात रखी,” करीब 5 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मेरे पति की मौत हो गई. आप को पता ही होगा कि पति के जाते ही औरत की

जिंदगी से सारी रौनक चली जाती है. मेरी बेटी भी मायके चली गई. अब बिलकुल दिल नहीं लगता है. बस इसी अकेलेपन की वजह से शादी का फैसला लिया है.”

“सरलाजी, मेरे साथ भी बिलकुल यही बात है. मेरा भी खयाल रखने के लिए कोई अपना मेरे पास नहीं. अकेलापन खाने को दौड़ता है. क्यों न हम एकदूसरे के साथी बन कर इस अकेलेपन को हमेशा के लिए दूर कर दें. मुझे आप की जैसी

समझदार और सरल महिला की ही जरूरत है.” सरला ने हौले से मुसकरा कर अपनी सहमति दे दी. दोनों 1-2 घंटे वहीं बैठे बातें करते रहे. अगले दिन फिर मिलने का वादा कर अपनेअपने घर लौट आए.

आते ही अखिलेश ने मैट्रिमोनियल साइट से अपनी प्रोफाइल हटा दी. उसे जिस की तलाश थी वह मिल चुकी थी. देर रात बेटे का फोन आया तो अखिलेश ने बेटे से अपनी खुशी शेयर की. सुन कर बेटा एकदम चुप हो गया.

कुछ देर बाद समझाते हुए बोला,”पापा, यह क्या करने जा रहे हो? क्या जरूरत है इस उम्र में शादी की? वह औरत पता नहीं कैसी हो? किस मकसद से शादी कर रही हो?”

“बेटा तमीज से बात कर, वह औरत तेरी होने वाली मां है. मैं जो यहां अकेलापन महसूस करता हूं उसे मिटाने के लिए शादी कर रहा हूं.” “यार पापा, अकेलापन मिटाने के सौ तरीके हैं. इस के लिए शादी कौन सा

रास्ता है?” झुंझलाए स्वर में बेटे ने कहा. “शादी ही सही रास्ता है बेटा. मुझे जो उचित लगा वही कर रहा हूं.तुम लोग तो मेरे साथ नहीं रहते न. फिर मेरी समस्या कैसे समझोगे?”

“पापा, इस बार मैं कोशिश करूंगा कि अपना ट्रांसफर दिल्ली करा लूं. फिर पास रहूंगा तो हर वीकेंड आ जाया करूंगा. डोंट वरी पापा.”

“देख 5 साल से तू यही कह रहा है बेटे. पर क्या हुआ? तू आया यहां? ” अखिलेश ने बेटे से सवाल किया. “पापा आप तो समझ ही नहीं रहे.” “तू भी नहीं समझ रहा है सुजय. ”

बेटे ने गुस्से में फोन काट दिया. अखिलेश थोड़ी देर उदास पड़ा रहा फिर सहसा ही उस की आंखों में चमक उभरी. मोबाइल उठा कर सरला का नंबर लगाने

लगा. फिर देर रात तक दोनों बातें करने में मशगूल रहे. कुछ दिनों तक दोनों के बीच इसी तरह बातों और मुलाकातों का दौर चलता रहा. इधर अखिलेश के बच्चे उसे शादी न करने की सलाह देते रहे मगर सही समय देख अखिलेश ने बहुत सादगी के साथ सरला को अपना जीवनसाथी बना लिया.

शादी के लिए अखिलेश ने बहुत सादा समारोह रखा था. अखिलेश का छोटा बेटा और सरला की बेटी और भाई विवाहस्थल पर मौजूद थे. अखिलेश की बेटी नहीं आ पाई थी. उसने वीडियो कौल के जरीए अपने पिता की शादी देखी. बड़ा बेटा औफिस के काम में फंसा होने का बहाना बना कर नहीं आया. अखिलेश के बच्चे अपने पिता की दूसरी शादी से बिलकुल भी खुश नहीं थे.

उस दिन अखिलेश बेटे से बात कर रहा था. सरला बाहर गई हुई थी. अचानक वह लौट आई पर अखिलेश को इस की खबर नहीं थी. अखिलेश फोन स्पीकर पर रख कर बातें करता था क्योंकि उसे कम सुनाई देता था. हमेशा की तरह बेटा सरला के खिलाफ जहर उगल रहा था. मगर अखिलेश लगातार उस की हर बात का प्रतिकार सही दलीलों के साथ पूरे विश्वास से करता रहा. अखिलेश का अपने प्रति यह विश्वास देख कर सरला को बहुत अच्छा लगा.

उम्र की परवाह किए बिना नए जीवन की शुरुआत दोनों ने शिमला की वादियों में जा कर किया. उन्होंने वहां साथ में बहुत खूबसूरत वक्त बिताया. दोनों काफी खुश थे.

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April 30, 2021 at 10:00AM

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