Tuesday 27 April 2021

इतिहास चक्र – भाग 2 : कमल सूरजा से क्यों नफरत करता था

‘‘कमल मेरे बस में नहीं है दीदी,’’ चांदनी सिसक उठी.

‘‘देख चांदनी, तुझे अपने कमल को इस दलदल से खींच कर लाना होगा. मैं तेरा साथ दूंगी. अच्छा, सुन तुझे कुसुम की याद है न,’’ सूरजा बोली.

‘‘हां, सुना है. उस की भी शादी यहीं चौक में हुई है रमन के साथ. काफी बड़ा आदमी है.’’

‘‘सुन चांदनी, आज रात तुम दोनों को कुसुम के यहां आना है, समझीं और देख मैं जैसा कहूं वैसा ही करना,’’ इस के बाद देर तक सूरजा ने चांदनी को समझाया.

उस के जाने के बाद चांदनी ने एक लंबी सांस ली. आंखें आने वाली विजय के प्रति आश्वस्त हो चमक उठी थीं और वह कमल की प्रतीक्षा करने लगी.

शाम को 4 बजे जब कमल घर आया तो उस का चेहरा खिला हुआ था. आते ही उस ने चांदनी का चेहरा चूमा और बोला, ‘‘क्या बात है, मेरी चांदनी उदास क्यों है?’’

चांदनी कुछ बोल नहीं पाई. उस की आंखों से अश्रुधारा फूट पड़ी.

‘‘चांदनी, ओ चांदनी,’’ कमल ने उसे अपने बाहुपाश में जकड़ लिया था, ‘‘क्या बात है, बोलो न, वर्ष भर में तो यह त्योहार आता है और तू मुंह लटकाए बैठी है.’’

‘‘एक बात पूछूं, सचसच बताइएगा,’’ चांदनी ने अपने आंसू पोंछ कर कहा, ‘‘आज आप का दफ्तर बंद था न,’’ कमल का चेहरा मुरझा गया, ‘‘वह… चांदनी…’’

‘‘मैं जानती हूं, आज फिर दोस्तों के साथ बैठे थे न.’’

‘‘चांदनी, तुम तो जानती हो दीवाली के दिन हैं, ऐसे में दोस्त जब घसीट कर ले जाते हैं तो इनकार नहीं कर सकते,’’ कमल बोला.

‘‘जिंदगी इतनी कमजोर नहीं कमल, और दीवाली के दिन की खुशी जुआ ही नहीं है. सोचो कमल, साल में एक बार आने वाला यह त्योहार सब के लिए खुशियों के दीप जलाता है और तुम्हारी चांदनी दुख के गहरे काले अंधेरे में पड़ी सिसकती रहती है. तुम्हें उस पर जरा भी दया नहीं आती. बोलो, क्या अपनी चांदनी के लिए भी तुम यह जुएबाजी बंद नहीं कर सकते?’’

‘‘उफ, चांदनी. तुम समझती क्यों नहीं, मैं हमेशा तो खेलता नहीं हूं, साल में अगर एक दिन मनोरंजन कर भी लिया तो कौन सी आफत आ गई. मेरे औफिस के सारे दोस्त खेलते हैं, उन की बीवियां खेलती हैं. तुम्हें तो यह पसंद नहीं और यदि मैं पीछे

हट जाऊं तो अपने दोस्तों की नजरों में गिर जाऊंगा. नहीं चांदनी, मैं ऐसा नहीं कर सकता.’’

चांदनी कुछ जवाब न दे सकी. कुछ पल की चुप्पी के बाद उस ने कहा, ‘‘कमल, पतिपत्नी का रिश्ता न केवल तन को एक डोर से बांधने वाला होता है बल्कि इस में मन भी बंध जाता है. हम दोनों एकदूसरे के पूरक हैं… हैं न.’’

कमल कुछ पल उस का चेहरा देखता रहा, ‘‘यह भी कोई कहने वाली बात है.’’

चांदनी कुछ पल शून्य में घूरती रही, ‘‘सोचती हूं कमल, पतिपत्नी को एकदूसरे के सुखदुख का हिस्सेदार ही नहीं बल्कि एकदूसरे की आदत, बुराइयों और शौक का भी हिस्सेदार होना चाहिए. जिंदगी की गाड़ी लगातार चलती रहे, यह जरूरी है न.’’

‘‘तुम कहना क्या चाहती हो चांदनी?’’ कमल उस के चेहरे को ध्यान से पढ़ रहा था.

‘‘कमल, जुए से मुझे सख्त नफरत है, यह भी सच है कमल कि अच्छेखासे घरपरिवार जुए से बरबाद हो जाते हैं. फिर भी मैं तुम्हारी खुशी के लिए सबकुछ करूंगी. कमल मैं जुआ नहीं खेलती, इस के लिए तुम्हें दोस्तों के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है लेकिन आइंदा यह नहीं होगा. मुझ से वादा करो कमल, आज से तुम अकेले कहीं नहीं जाओगे. अगर डूबना है तो दोनों साथ डूबेंगे.’’

‘‘सच चांदनी,’’ कमल ने उसे बांहों में भर लिया, ‘‘ओह चांदनी, तुम नहीं जानतीं तुम ने मुझे क्या दे दिया है. तुम तो मेरी पार्टनर हो, तुम्हारे साथ रह कर तो हर बाजी की जीत पर सिर्फ मेरा नाम लिखा होगा. पक्का वादा है न,’’ कमल ने हाथ फैला दिए थे.

चांदनी ने उस के हाथ पर हाथ रख दिया था, ‘‘तुम नहीं जानते कमल, कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, तुम्हारी खुशी पाने के लिए यही सही.’’

‘‘सिर्फ इतना ही नहीं चांदनी सबकुछ ठीक रहा तो एक दिन हम दोनों करोड़पति होंगे. इतिहास गवाह है कि इसी जुए ने जाने कितनों को मालामाल कर दिया और अब हमारी बारी है,’’ कमल खुश होते हुए बोला.

‘‘एक बात कहूं कमल, मानोगे,’’ चांदनी ने प्यार से पूछा.

‘‘बोलो मेरे प्यार, एक नहीं सैकड़ों बातें मानूंगा, कह कर तो देखो, जान हाजिर है.’’

‘‘जानते हो, वह जो कुसुम है न… वही मिसेज रमन… मेरी सहेली, आज उन के घर दीवाली की पूर्व संध्या पर पार्टी है. कुसुम ने कई बार बुलाया लेकिन हम उन के घर कभी नहीं गए, उन के यहां गेम भी बड़े पैमाने पर होता है. मेरे साथ चलोगे वहां.’’

‘‘लेकिन… मेरे… दोस्त,’’ कमल बोला.

‘‘लेकिन नहीं कमल, क्या मेरी इतनी सी बात नहीं मानोगे. चलो न प्लीज,’’ चांदनी ने प्यार से उस का हाथ थाम कर कहा.

‘‘अच्छा, चलो आज दोस्तों की दावत कैंसिल. आज तो हम अपनी चांदनी की जीत की चांदनी में नहाएंगे. अच्छा तो फटाफट खाना बना लो ताकि चल सकें.’’

‘‘ओके…’’ चांदनी ने कहा और कमल के गाल पर एक प्यार भरा चुंबन जड़ते हुए किचन की तरफ बढ़ गई. कानों में तब भी कमल के शब्द गूंज रहे थे… इतिहास गवाह है… इतिहास गवाह है.

दोनों खाना खा कर कुसुम के घर पहुंचे.

‘‘अरे, चांदनी और कमल बाबू, कल दीवाली है यह तो मालूम है न. आइए, स्वागत है ईद के चांद का,’’ कुसुम ने चांदनी को सीने से लगा लिया, ‘‘आप तो यहां का रास्ता ही भूल गए कमल बाबू.’’

‘‘नहीं भाभी, काम में कुछ ऐसा व्यस्त रहा कि चाह कर भी वक्त नहीं निकाल पाया,’’ कमल बोला.

तभी मिस्टर रमन आ गए. वे वित्त मंत्रालय में जौइंट सैके्रटरी के पद पर कार्यरत थे. इन के काफी अच्छे ठाटबाट थे. औपचारिकता और बातचीत में काफी समय निकल गया. धीरेधीरे लोग आते जा रहे थे. करीब 11 बजे असली पार्टी शुरू हुई. बड़े हौल में 5 मेज लग गई थीं. लोग अपनेअपने ग्रुप में बैठ गए.

 

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‘‘कमल मेरे बस में नहीं है दीदी,’’ चांदनी सिसक उठी.

‘‘देख चांदनी, तुझे अपने कमल को इस दलदल से खींच कर लाना होगा. मैं तेरा साथ दूंगी. अच्छा, सुन तुझे कुसुम की याद है न,’’ सूरजा बोली.

‘‘हां, सुना है. उस की भी शादी यहीं चौक में हुई है रमन के साथ. काफी बड़ा आदमी है.’’

‘‘सुन चांदनी, आज रात तुम दोनों को कुसुम के यहां आना है, समझीं और देख मैं जैसा कहूं वैसा ही करना,’’ इस के बाद देर तक सूरजा ने चांदनी को समझाया.

उस के जाने के बाद चांदनी ने एक लंबी सांस ली. आंखें आने वाली विजय के प्रति आश्वस्त हो चमक उठी थीं और वह कमल की प्रतीक्षा करने लगी.

शाम को 4 बजे जब कमल घर आया तो उस का चेहरा खिला हुआ था. आते ही उस ने चांदनी का चेहरा चूमा और बोला, ‘‘क्या बात है, मेरी चांदनी उदास क्यों है?’’

चांदनी कुछ बोल नहीं पाई. उस की आंखों से अश्रुधारा फूट पड़ी.

‘‘चांदनी, ओ चांदनी,’’ कमल ने उसे अपने बाहुपाश में जकड़ लिया था, ‘‘क्या बात है, बोलो न, वर्ष भर में तो यह त्योहार आता है और तू मुंह लटकाए बैठी है.’’

‘‘एक बात पूछूं, सचसच बताइएगा,’’ चांदनी ने अपने आंसू पोंछ कर कहा, ‘‘आज आप का दफ्तर बंद था न,’’ कमल का चेहरा मुरझा गया, ‘‘वह… चांदनी…’’

‘‘मैं जानती हूं, आज फिर दोस्तों के साथ बैठे थे न.’’

‘‘चांदनी, तुम तो जानती हो दीवाली के दिन हैं, ऐसे में दोस्त जब घसीट कर ले जाते हैं तो इनकार नहीं कर सकते,’’ कमल बोला.

‘‘जिंदगी इतनी कमजोर नहीं कमल, और दीवाली के दिन की खुशी जुआ ही नहीं है. सोचो कमल, साल में एक बार आने वाला यह त्योहार सब के लिए खुशियों के दीप जलाता है और तुम्हारी चांदनी दुख के गहरे काले अंधेरे में पड़ी सिसकती रहती है. तुम्हें उस पर जरा भी दया नहीं आती. बोलो, क्या अपनी चांदनी के लिए भी तुम यह जुएबाजी बंद नहीं कर सकते?’’

‘‘उफ, चांदनी. तुम समझती क्यों नहीं, मैं हमेशा तो खेलता नहीं हूं, साल में अगर एक दिन मनोरंजन कर भी लिया तो कौन सी आफत आ गई. मेरे औफिस के सारे दोस्त खेलते हैं, उन की बीवियां खेलती हैं. तुम्हें तो यह पसंद नहीं और यदि मैं पीछे

हट जाऊं तो अपने दोस्तों की नजरों में गिर जाऊंगा. नहीं चांदनी, मैं ऐसा नहीं कर सकता.’’

चांदनी कुछ जवाब न दे सकी. कुछ पल की चुप्पी के बाद उस ने कहा, ‘‘कमल, पतिपत्नी का रिश्ता न केवल तन को एक डोर से बांधने वाला होता है बल्कि इस में मन भी बंध जाता है. हम दोनों एकदूसरे के पूरक हैं… हैं न.’’

कमल कुछ पल उस का चेहरा देखता रहा, ‘‘यह भी कोई कहने वाली बात है.’’

चांदनी कुछ पल शून्य में घूरती रही, ‘‘सोचती हूं कमल, पतिपत्नी को एकदूसरे के सुखदुख का हिस्सेदार ही नहीं बल्कि एकदूसरे की आदत, बुराइयों और शौक का भी हिस्सेदार होना चाहिए. जिंदगी की गाड़ी लगातार चलती रहे, यह जरूरी है न.’’

‘‘तुम कहना क्या चाहती हो चांदनी?’’ कमल उस के चेहरे को ध्यान से पढ़ रहा था.

‘‘कमल, जुए से मुझे सख्त नफरत है, यह भी सच है कमल कि अच्छेखासे घरपरिवार जुए से बरबाद हो जाते हैं. फिर भी मैं तुम्हारी खुशी के लिए सबकुछ करूंगी. कमल मैं जुआ नहीं खेलती, इस के लिए तुम्हें दोस्तों के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है लेकिन आइंदा यह नहीं होगा. मुझ से वादा करो कमल, आज से तुम अकेले कहीं नहीं जाओगे. अगर डूबना है तो दोनों साथ डूबेंगे.’’

‘‘सच चांदनी,’’ कमल ने उसे बांहों में भर लिया, ‘‘ओह चांदनी, तुम नहीं जानतीं तुम ने मुझे क्या दे दिया है. तुम तो मेरी पार्टनर हो, तुम्हारे साथ रह कर तो हर बाजी की जीत पर सिर्फ मेरा नाम लिखा होगा. पक्का वादा है न,’’ कमल ने हाथ फैला दिए थे.

चांदनी ने उस के हाथ पर हाथ रख दिया था, ‘‘तुम नहीं जानते कमल, कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, तुम्हारी खुशी पाने के लिए यही सही.’’

‘‘सिर्फ इतना ही नहीं चांदनी सबकुछ ठीक रहा तो एक दिन हम दोनों करोड़पति होंगे. इतिहास गवाह है कि इसी जुए ने जाने कितनों को मालामाल कर दिया और अब हमारी बारी है,’’ कमल खुश होते हुए बोला.

‘‘एक बात कहूं कमल, मानोगे,’’ चांदनी ने प्यार से पूछा.

‘‘बोलो मेरे प्यार, एक नहीं सैकड़ों बातें मानूंगा, कह कर तो देखो, जान हाजिर है.’’

‘‘जानते हो, वह जो कुसुम है न… वही मिसेज रमन… मेरी सहेली, आज उन के घर दीवाली की पूर्व संध्या पर पार्टी है. कुसुम ने कई बार बुलाया लेकिन हम उन के घर कभी नहीं गए, उन के यहां गेम भी बड़े पैमाने पर होता है. मेरे साथ चलोगे वहां.’’

‘‘लेकिन… मेरे… दोस्त,’’ कमल बोला.

‘‘लेकिन नहीं कमल, क्या मेरी इतनी सी बात नहीं मानोगे. चलो न प्लीज,’’ चांदनी ने प्यार से उस का हाथ थाम कर कहा.

‘‘अच्छा, चलो आज दोस्तों की दावत कैंसिल. आज तो हम अपनी चांदनी की जीत की चांदनी में नहाएंगे. अच्छा तो फटाफट खाना बना लो ताकि चल सकें.’’

‘‘ओके…’’ चांदनी ने कहा और कमल के गाल पर एक प्यार भरा चुंबन जड़ते हुए किचन की तरफ बढ़ गई. कानों में तब भी कमल के शब्द गूंज रहे थे… इतिहास गवाह है… इतिहास गवाह है.

दोनों खाना खा कर कुसुम के घर पहुंचे.

‘‘अरे, चांदनी और कमल बाबू, कल दीवाली है यह तो मालूम है न. आइए, स्वागत है ईद के चांद का,’’ कुसुम ने चांदनी को सीने से लगा लिया, ‘‘आप तो यहां का रास्ता ही भूल गए कमल बाबू.’’

‘‘नहीं भाभी, काम में कुछ ऐसा व्यस्त रहा कि चाह कर भी वक्त नहीं निकाल पाया,’’ कमल बोला.

तभी मिस्टर रमन आ गए. वे वित्त मंत्रालय में जौइंट सैके्रटरी के पद पर कार्यरत थे. इन के काफी अच्छे ठाटबाट थे. औपचारिकता और बातचीत में काफी समय निकल गया. धीरेधीरे लोग आते जा रहे थे. करीब 11 बजे असली पार्टी शुरू हुई. बड़े हौल में 5 मेज लग गई थीं. लोग अपनेअपने ग्रुप में बैठ गए.

 

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April 28, 2021 at 10:00AM

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