Friday 29 January 2021

मजबूरियां -भाग 3 : ज्योति और प्रकाश के रिश्ते से निशा को क्या दिक्कत थी

निशा ने नफरतभरे स्वर में कहा, ‘‘तुम्हारे सिर से उस कलमुंही के प्यार का भूत उतारने के मेरे पास और भी तरीके हैं. कभी यह उम्मीद न करना कि मैं तुम्हें तलाक दे कर तुम्हें आजाद कर दूंगी. अपनी रखैल की मांग में सिंदूर भरने की खुशी तुम्हें कभी नसीब नहीं होगी.’’

‘‘अपनी इस मजबूरी को मैं सम झता हूं और इसी कारण खून के आंसू रोता हूं. ज्योति को मांग का सिंदूर नहीं, बल्कि मेरा प्रेम चाहिए. तुम न उसे कभी सम झ सकोगी, न कभी उस की बराबरी कर पाओगी.’’

इस वार्त्तालाप के बाद उन दोनों के बीच बड़ी बो िझल खामोशी छा गई थी. प्रकाश उठ कर ज्योति के पास चल दिया.

ज्योति चाय का कप प्रकाश के हाथ में पकड़ाते हुए भावुक लहजे में बोली, ‘‘जब से आए हैं,  तब से खोएखोए नजर आ रहे हैं आप? मु झे बताइए, कौन सी उल झन आप के मन को परेशान कर रही है?’’

कुछ पलों की खामोशी के बाद प्रकाश ने संजीदा लहजे में जवाब दिया, ‘‘परसों मेरे बेटे का जन्मदिन है. निशा ने मु झ से कोई सलाह किए बिना उस दिन अपने और मेरे मातापिता व भाईबहनों को पार्टी देने का फैसला किया है.’’

‘‘इस में इतना चिंतित और परेशान होने वाली क्या बात है?’’ ज्योति बोली. ‘‘पिछले कुछ दिनों से निशा का मूड बड़ा अजीब सा हो रहा है.’’ ‘‘अजीब सा? इस का क्या मतलब हुआ?’’

‘‘मन ही मन मु झ से बेहद नाराज होते हुए भी वह बड़ी खामोश रहने लगी है. मु झे साफ एहसास हो रहा है कि मु झे तंग करने के लिए उस का दिमाग किसी योजना को जन्म दे चुका है. जन्मदिन वाली पार्टी में वह जरूर कुछ गुल खिलाने जा रही है,’’ प्रकाश बोला.

‘‘कोई गुल नहीं खिलेगा. आप बेकार की बातें सोच कर खुद को परेशान कर रहे हैं,’’  ज्योति की मुसकराहट, प्रकाश की आंखों में छाई हुई चिंता के भावों को कुछ ही कम कर पाई.

‘‘तुम दोनों में कैसा जमीनआसमान का अंतर है, ज्योति. निशा की शिकायतें कभी खत्म नहीं होतीं. मेरे लिए उस के दिल में न प्यार है न सम्मान. वह मेरा जरूर कुछ अहित करेगी, यह विश्वास दिनोंदिन मेरे दिल में मजबूत होता जाता है,’’ प्रकाश बोला.

‘‘इस शक को आप अपने दिल से निकाल फेंकिए. आप दोनों की चाहे कितनी ही न बनती हो, पर वे आप का बुरा नहीं सोच सकतीं. अगर हालत इतने बिगड़े होते तो वे आप के साथ रहना मंजूर न कर के आप को तलाक दे देतीं,’’  ज्योति ने प्रकाश को कोमल स्वर में सम झाया.

‘‘वह मु झे तलाक नहीं देती, क्योंकि उस से मेरी तलाक देने से पैदा होने वाली खुशी नहीं देखी जाएगी. तलाक उस की हार का सुबूत होगा और उस जैसी घमंडी औरत के लिए ‘हार’ शब्द मौत से बदतर माने रखता है. तुम जैसी सीधीसच्ची स्त्री निशा जैसी स्त्री के उल झे मन को कभी नहीं सम झ सकती,’’ प्रकाश के स्वर में अपनी पत्नी के लिए बड़ी नफरत भरी थी.

‘‘अब आप उलटीसीधी बातें बोलना और सोचना बंद कर अपना मूड सही कर लीजिए,’’  कहते हुए ज्योति की आंखों में एकाएक आंसू छलक आए.

‘‘तुम से मेरा दुख, मेरी चिंता, मेरा परेशान होना बरदाश्त नहीं होता?’’

‘‘नहीं, आप को खुश और सुखी देखने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं. आप के होंठों की हंसी मेरी नजरों में मेरी जान से ज्यादा कीमती है, जनाब,’’ भावविभोर हो कर ज्योति ने प्रकाश की आंखों को चूम लिया.

‘‘और तुम मेरी जान हो, ज्योति,’’ कहते हुए प्रकाश ने ज्योति को सीने से लगा लिया. जैसी प्रकाश को आशंका थी, पार्टी में हंगामा हो गया.

‘‘निशा, आज तुम मेरी नजरों में पूरी तरह से गिर गई हो. जो तुम ने आज जन्मदिन की पार्टी में कहा और किया है उस के लिए मैं तुम्हें जिंदगीभर माफ नहीं करूंगा,’’ पार्टी के बाद प्रकाश की आवाज में बहुत दर्द समाया हुआ था.

‘‘मैं ने क्या कोई बात  झूठ कही आज?’’ निशा ने  झगड़ालू स्वर में जवाब दिया, ‘‘मेरे और तुम्हारे घर के लोग अब तक तुम्हें नेकदिल और चरित्रवान इंसान सम झते थे. आज मैं ने सब के सामने तुम्हारे नाजायज प्रेमसंबंध का भंडाफोड़ कर के तुम्हारी उस छवि को नष्ट कर दिया. इसी बात से पीड़ा हो रही है न तुम्हें?’’

‘‘मेरे लिए तुम ने जो जहर आज सब के सामने उगला है वह मेरे लिए अप्रत्याशित नहीं था. ज्योति के लिए तुम ने जिस गंदी भाषा और अपशब्दों का इस्तेमाल किया वह सर्वथा गलत और अनुचित था,’’ प्रकाश बोला.‘‘तुम बिलकुल गलत कह रहे हो. उस कलमुंही औरत के लिए मैं ने जो कहा, वह सब सच है और उस के लिए तुम से माफी मांगने का भविष्य में कभी सवाल ही नहीं उठेगा,’’ निशा ने मजबूती से कहा.

‘‘आज जितनी नफरत मैं ने तुम से कभी नहीं की,’’ प्रकाश ने कहा.‘‘और आज मेरे दिल को बहुत शांति महसूस हो रही है. अब मैं देखती हूं कि कैसे उस रखैल के घर की दहलीज लांघते हो.’’‘‘कौन रोकेगा मु झे ज्योति के पास जाने से?’’ प्रकाश ने माथे पर बल डाल कर पूछा.

‘‘मेरे और तुम्हारे घर वालों का दबाव तुम्हारे पैरों में बेडि़यां पहनाएगा. मेरी तो तुम ने कभी सुनी नहीं, पर अब दोनों तरफ के बड़ों का कहा अनसुना नहीं कर पाओगे,’’ कहते हुए निशा के होंठों पर कुटिल मुसकान उभरी.‘‘एक बात की चेतावनी तुम मेरी तरफ से सब को दे देना,’’ प्रकाश का स्वर एकाएक चट्टान सा कठोर हो गया, ‘‘अगर ज्योति से किसी ने कुछ कहा या उस के नाखून तक को किसी ने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो मु झ से बुरा कोई न होगा.’’

 

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निशा ने नफरतभरे स्वर में कहा, ‘‘तुम्हारे सिर से उस कलमुंही के प्यार का भूत उतारने के मेरे पास और भी तरीके हैं. कभी यह उम्मीद न करना कि मैं तुम्हें तलाक दे कर तुम्हें आजाद कर दूंगी. अपनी रखैल की मांग में सिंदूर भरने की खुशी तुम्हें कभी नसीब नहीं होगी.’’

‘‘अपनी इस मजबूरी को मैं सम झता हूं और इसी कारण खून के आंसू रोता हूं. ज्योति को मांग का सिंदूर नहीं, बल्कि मेरा प्रेम चाहिए. तुम न उसे कभी सम झ सकोगी, न कभी उस की बराबरी कर पाओगी.’’

इस वार्त्तालाप के बाद उन दोनों के बीच बड़ी बो िझल खामोशी छा गई थी. प्रकाश उठ कर ज्योति के पास चल दिया.

ज्योति चाय का कप प्रकाश के हाथ में पकड़ाते हुए भावुक लहजे में बोली, ‘‘जब से आए हैं,  तब से खोएखोए नजर आ रहे हैं आप? मु झे बताइए, कौन सी उल झन आप के मन को परेशान कर रही है?’’

कुछ पलों की खामोशी के बाद प्रकाश ने संजीदा लहजे में जवाब दिया, ‘‘परसों मेरे बेटे का जन्मदिन है. निशा ने मु झ से कोई सलाह किए बिना उस दिन अपने और मेरे मातापिता व भाईबहनों को पार्टी देने का फैसला किया है.’’

‘‘इस में इतना चिंतित और परेशान होने वाली क्या बात है?’’ ज्योति बोली. ‘‘पिछले कुछ दिनों से निशा का मूड बड़ा अजीब सा हो रहा है.’’ ‘‘अजीब सा? इस का क्या मतलब हुआ?’’

‘‘मन ही मन मु झ से बेहद नाराज होते हुए भी वह बड़ी खामोश रहने लगी है. मु झे साफ एहसास हो रहा है कि मु झे तंग करने के लिए उस का दिमाग किसी योजना को जन्म दे चुका है. जन्मदिन वाली पार्टी में वह जरूर कुछ गुल खिलाने जा रही है,’’ प्रकाश बोला.

‘‘कोई गुल नहीं खिलेगा. आप बेकार की बातें सोच कर खुद को परेशान कर रहे हैं,’’  ज्योति की मुसकराहट, प्रकाश की आंखों में छाई हुई चिंता के भावों को कुछ ही कम कर पाई.

‘‘तुम दोनों में कैसा जमीनआसमान का अंतर है, ज्योति. निशा की शिकायतें कभी खत्म नहीं होतीं. मेरे लिए उस के दिल में न प्यार है न सम्मान. वह मेरा जरूर कुछ अहित करेगी, यह विश्वास दिनोंदिन मेरे दिल में मजबूत होता जाता है,’’ प्रकाश बोला.

‘‘इस शक को आप अपने दिल से निकाल फेंकिए. आप दोनों की चाहे कितनी ही न बनती हो, पर वे आप का बुरा नहीं सोच सकतीं. अगर हालत इतने बिगड़े होते तो वे आप के साथ रहना मंजूर न कर के आप को तलाक दे देतीं,’’  ज्योति ने प्रकाश को कोमल स्वर में सम झाया.

‘‘वह मु झे तलाक नहीं देती, क्योंकि उस से मेरी तलाक देने से पैदा होने वाली खुशी नहीं देखी जाएगी. तलाक उस की हार का सुबूत होगा और उस जैसी घमंडी औरत के लिए ‘हार’ शब्द मौत से बदतर माने रखता है. तुम जैसी सीधीसच्ची स्त्री निशा जैसी स्त्री के उल झे मन को कभी नहीं सम झ सकती,’’ प्रकाश के स्वर में अपनी पत्नी के लिए बड़ी नफरत भरी थी.

‘‘अब आप उलटीसीधी बातें बोलना और सोचना बंद कर अपना मूड सही कर लीजिए,’’  कहते हुए ज्योति की आंखों में एकाएक आंसू छलक आए.

‘‘तुम से मेरा दुख, मेरी चिंता, मेरा परेशान होना बरदाश्त नहीं होता?’’

‘‘नहीं, आप को खुश और सुखी देखने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं. आप के होंठों की हंसी मेरी नजरों में मेरी जान से ज्यादा कीमती है, जनाब,’’ भावविभोर हो कर ज्योति ने प्रकाश की आंखों को चूम लिया.

‘‘और तुम मेरी जान हो, ज्योति,’’ कहते हुए प्रकाश ने ज्योति को सीने से लगा लिया. जैसी प्रकाश को आशंका थी, पार्टी में हंगामा हो गया.

‘‘निशा, आज तुम मेरी नजरों में पूरी तरह से गिर गई हो. जो तुम ने आज जन्मदिन की पार्टी में कहा और किया है उस के लिए मैं तुम्हें जिंदगीभर माफ नहीं करूंगा,’’ पार्टी के बाद प्रकाश की आवाज में बहुत दर्द समाया हुआ था.

‘‘मैं ने क्या कोई बात  झूठ कही आज?’’ निशा ने  झगड़ालू स्वर में जवाब दिया, ‘‘मेरे और तुम्हारे घर के लोग अब तक तुम्हें नेकदिल और चरित्रवान इंसान सम झते थे. आज मैं ने सब के सामने तुम्हारे नाजायज प्रेमसंबंध का भंडाफोड़ कर के तुम्हारी उस छवि को नष्ट कर दिया. इसी बात से पीड़ा हो रही है न तुम्हें?’’

‘‘मेरे लिए तुम ने जो जहर आज सब के सामने उगला है वह मेरे लिए अप्रत्याशित नहीं था. ज्योति के लिए तुम ने जिस गंदी भाषा और अपशब्दों का इस्तेमाल किया वह सर्वथा गलत और अनुचित था,’’ प्रकाश बोला.‘‘तुम बिलकुल गलत कह रहे हो. उस कलमुंही औरत के लिए मैं ने जो कहा, वह सब सच है और उस के लिए तुम से माफी मांगने का भविष्य में कभी सवाल ही नहीं उठेगा,’’ निशा ने मजबूती से कहा.

‘‘आज जितनी नफरत मैं ने तुम से कभी नहीं की,’’ प्रकाश ने कहा.‘‘और आज मेरे दिल को बहुत शांति महसूस हो रही है. अब मैं देखती हूं कि कैसे उस रखैल के घर की दहलीज लांघते हो.’’‘‘कौन रोकेगा मु झे ज्योति के पास जाने से?’’ प्रकाश ने माथे पर बल डाल कर पूछा.

‘‘मेरे और तुम्हारे घर वालों का दबाव तुम्हारे पैरों में बेडि़यां पहनाएगा. मेरी तो तुम ने कभी सुनी नहीं, पर अब दोनों तरफ के बड़ों का कहा अनसुना नहीं कर पाओगे,’’ कहते हुए निशा के होंठों पर कुटिल मुसकान उभरी.‘‘एक बात की चेतावनी तुम मेरी तरफ से सब को दे देना,’’ प्रकाश का स्वर एकाएक चट्टान सा कठोर हो गया, ‘‘अगर ज्योति से किसी ने कुछ कहा या उस के नाखून तक को किसी ने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो मु झ से बुरा कोई न होगा.’’

 

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January 30, 2021 at 10:00AM

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