Sunday 27 September 2020

डबल क्रौस-भाग 3 : एक ऐसी कहानी जो आपको हैरान कर देगी

सोमेन ने इंडिया लौट कर इंद्र को बताया कि पत्नी के लौटने में अभी देर है. उधर इंद्र की पत्नी ने कहा था कि मां के पास किसी न किसी का रहना जरूरी है. उस के भाई का लड़का 12वीं कक्षा में है. बोर्ड की परीक्षा के बाद ही उन की भाभी आ कर संभालेंगी. इंद्र भी कुछ दिनों के लिए अपनी सास से मिलने चला गया था.

दोनों दोस्तों की पत्नियां बारबार फोन कर के विमला को दोनों का खयाल रखने के लिए कहती रहती थीं. विमला को और क्या चाहिए था. उस की तो पांचों अंगुलियां घी में थीं. विमला ने दोनों की पत्नियों से कहा था, ‘‘आप को पता होना चाहिए कि मैं उम्मीद से हूं. डिलिवरी के समय कुछ दिनों तक मैं काम पर नहीं आ सकूंगी. तब कोशिश करूंगी कि कोई कामवाली आ कर काम कर जाए.’’

विमला इंद्र और सोमेन से कहती थी कि डाक्टर ने फल और टौनिक लेने के लिए कहा है, क्योंकि बच्चा काफी कमजोर है. आखिर यह उन का ही तो खून है. भले ही शंकर का कहलाए, लेकिन इसे बढि़या खानापीना मिलते रहना चाहिए. डाक्टर कहते हैं कि पेट चीर कर डिलिवरी होगी. काफी पैसा लगेगा उस में.

इंद्र और सोमेन यही समझ रहे थे कि विमला के पेट में उन्हीं का अंश पल रहा है, इसलिए चुपचाप विमला को बरदाश्त कर रहे थे. हमेशा ही मन में डर बना रहता था कि अगर विमला का मुंह खुल गया तो वे किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. उन्हें यह भी विश्वास था कि विमला को ज्यादा पैसों का लालच नहीं है, वरना वह चाहती तो और भी हथकंडे अपना कर ब्लैकमेल कर सकती थी.

एक दिन सोमेन ने कहा, ‘‘विमला, तेरे मर्द को भी तो बच्चे की चिंता होनी चाहिए न?’’

‘‘वह नशेड़ी कुछ नहीं करेगा. यह बच्चा आप ही का है, आप चाहें तो चल कर टेस्ट करा लें.’’

‘‘नहीं, टेस्ट की कोई जरूरत नहीं है.’’

विमला की डिलिवरी का समय नजदीक आ गया. उस ने इंद्र से कहा, ‘‘डाक्टर ने कहा है कि औपरेशन से बच्चा होगा. काफी खर्च आएगा साहब. हम कहां से इतना पैसा लाएंगे?’’

इसी बहाने विमला ने इंद्र और सोमेन से मोटी रकम वसूली. दोनों से 3 सप्ताह की छुट्टी मांगते हुए उस ने कहा कि वे कहें तो वह एक टेंपरेरी कामवाली का इंतजाम कर दे. रिश्ते में उस की चचिया सास लगती है, पर जरा बूढ़ी है. वह सफाई से भी नहीं रहती, लेकिन उन का काम चल जाएगा.

दोनों ने मना कर दिया कि किसी तरह वे काम चला लेंगे.

दोनों दोस्त अकसर देर तक साथ बैठ कर बातें करते और टोस्ट, खिचड़ी, पोहा आदि खा कर काम चलाते. कभीकभी होटल जा कर खा आते. इसी तरह 3 सप्ताह बीत गए. एक दिन विमला सोमेन के यहां आई. इंद्र भी वहीं बैठा था. उन्होंने कहा, ‘‘चलो भई, आज से अब विमला घर संभालेगी. हम लोग इतने दिनों में बिलकुल थक गए. अरे तेरा बच्चा कैसा है, बेटा हुआ या बेटी?’’

‘‘9 महीने पेट में पाला, मुआ बड़ा बेदर्द निकला. मरा हुआ पैदा हुआ. इतना बड़ा चीरा भी लगा पेट में.’’ विमला रोने का नाटक करते हुए साड़ी में हाथ लगा कर बोली, ‘‘दिखाऊं आप लोगों को?’’

‘‘नहीं…नहीं, ठीक है, औपरेशन हुआ है तो चीरा तो लगा ही होगा. कहां हुआ था औपरेशन?’’ सोमेन ने पूछा.

दोनों दोस्तों को यह जान कर शांति मिली कि बच्चा मरा पैदा हुआ. अगर जीवित होता तो पता नहीं आगे चल कर यह क्या गुल खिलाती. अचानक विमला के मुंह से बेमन से निकल गया, ‘‘सिटी हौस्पिटल में. औपरेशन में बहुत खून निकल गया. डाक्टर ने एकदो महीने खूब फलफूल, टौनिक खाने को बोला है. आप लोगों का मुंह देख कर मैं जल्दी चली आई, वरना कोई दूसरी औरत होती तो ऐसे में उठने का नाम न लेती.’’

सोमेन ने उसे हजार रुपए देते हुए कहा, ‘‘ठीक है, अपने खानेपीने का ध्यान रखना और अभी ज्यादा काम मत करना.’’

इंद्र ने भी उसे हजार रुपए दिए. विमला अब रोज काम पर आने लगी. पर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह उस से अपने शरीर की भूख मिटाने की बात करता. वे यही सोच रहे थे कि अभी यह अस्वस्थ है.

एक दिन विमला सोमेन के यहां कपड़े धो रही थी. उस की साड़ी ढीली हो कर नाभि से नीचे खिसक गई थी. सोमेन की नजर पड़ी तो उस ने विमला से पूछा, ‘‘तुम्हारे औपरेशन का दाग बड़ी जल्दी ठीक हो गया?’’

‘‘नहीं, अभी कहां ठीक हुआ है, चीरा तो और नीचे है. दिखाऊं खोल कर? पर डरती हूं कि कहीं देख कर आप को भूख लग गई तो?’’

‘‘नहीं…नहीं, देख कर क्या करूंगा. तुम अपना काम करो.’’ सोमेन ने कहा.

विमला को ले कर सोमेन के मन में शंका हुई. उस ने इंद्र को यह बात बताई. एक दिन घूमतेघामते दोनों दोस्त सिटी हौस्पिटल जा पहुंचे. वहां विमला की डिलिवरी के बारे में पूछा तो पता चला कि ऐसी कोई औरत वहां कभी नहीं आई थी.

दोनों को बहुत आश्चर्य हुआ. इस के अलावा विमला का पूजाघर की सफाई न करने से सोमेन को लगा कि उस समय जरूर उस का पीरियड चल रहा होगा. दोनों ने यह तो समझ लिया कि यह सब विमला का नाटक था, पर उन की मजबूरी थी कि वे कुछ कह नहीं सकते थे. उन्हें डर था कि कहीं विमला मुंह न खोल दे. कम से कम विमला के साथ उन के संबंध का राज तो छिपा रहेगा. उन्हें अब यह भी शक था कि इस नाटक में भोलाभाला दिखने वाला शंकर भी शामिल था.

कुछ दिनों बाद दोनों की पत्नियां आ गईं. सभी सोमेन के घर बैठे थे. विमला ने दोनों की पत्नियों से कहा, ‘‘अब आप संभालिए साहब लोगों को. मैं थक गई दोनों घरोें को संभालतेसंभालते.’’

सोमेन की पत्नी ने कहा, ‘‘हां विमला, तुम ने हम दोनों के घरों की अच्छी तरह देखभाल की है. मैं तुम्हारे लिए अमेरिका से गिफ्ट ले कर आई हूं. अभी तो बैग खोला नहीं है, कल याद कर के ले लेना.’’

इंद्र की पत्नी ने भी कहा, ‘‘हां, मैं भी अपने मायके से तुम्हारे लिए कुछ लाई हूं.’’

इंद्र और सोमेन भी वहीं बैठे थे. उन्होंने एकदूसरे को सवालिया नजरों से देखा. वे समझ रहे थे कि विमला ने क्या डबल क्रौस की चाल चली है.     ?

 

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सोमेन ने इंडिया लौट कर इंद्र को बताया कि पत्नी के लौटने में अभी देर है. उधर इंद्र की पत्नी ने कहा था कि मां के पास किसी न किसी का रहना जरूरी है. उस के भाई का लड़का 12वीं कक्षा में है. बोर्ड की परीक्षा के बाद ही उन की भाभी आ कर संभालेंगी. इंद्र भी कुछ दिनों के लिए अपनी सास से मिलने चला गया था.

दोनों दोस्तों की पत्नियां बारबार फोन कर के विमला को दोनों का खयाल रखने के लिए कहती रहती थीं. विमला को और क्या चाहिए था. उस की तो पांचों अंगुलियां घी में थीं. विमला ने दोनों की पत्नियों से कहा था, ‘‘आप को पता होना चाहिए कि मैं उम्मीद से हूं. डिलिवरी के समय कुछ दिनों तक मैं काम पर नहीं आ सकूंगी. तब कोशिश करूंगी कि कोई कामवाली आ कर काम कर जाए.’’

विमला इंद्र और सोमेन से कहती थी कि डाक्टर ने फल और टौनिक लेने के लिए कहा है, क्योंकि बच्चा काफी कमजोर है. आखिर यह उन का ही तो खून है. भले ही शंकर का कहलाए, लेकिन इसे बढि़या खानापीना मिलते रहना चाहिए. डाक्टर कहते हैं कि पेट चीर कर डिलिवरी होगी. काफी पैसा लगेगा उस में.

इंद्र और सोमेन यही समझ रहे थे कि विमला के पेट में उन्हीं का अंश पल रहा है, इसलिए चुपचाप विमला को बरदाश्त कर रहे थे. हमेशा ही मन में डर बना रहता था कि अगर विमला का मुंह खुल गया तो वे किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. उन्हें यह भी विश्वास था कि विमला को ज्यादा पैसों का लालच नहीं है, वरना वह चाहती तो और भी हथकंडे अपना कर ब्लैकमेल कर सकती थी.

एक दिन सोमेन ने कहा, ‘‘विमला, तेरे मर्द को भी तो बच्चे की चिंता होनी चाहिए न?’’

‘‘वह नशेड़ी कुछ नहीं करेगा. यह बच्चा आप ही का है, आप चाहें तो चल कर टेस्ट करा लें.’’

‘‘नहीं, टेस्ट की कोई जरूरत नहीं है.’’

विमला की डिलिवरी का समय नजदीक आ गया. उस ने इंद्र से कहा, ‘‘डाक्टर ने कहा है कि औपरेशन से बच्चा होगा. काफी खर्च आएगा साहब. हम कहां से इतना पैसा लाएंगे?’’

इसी बहाने विमला ने इंद्र और सोमेन से मोटी रकम वसूली. दोनों से 3 सप्ताह की छुट्टी मांगते हुए उस ने कहा कि वे कहें तो वह एक टेंपरेरी कामवाली का इंतजाम कर दे. रिश्ते में उस की चचिया सास लगती है, पर जरा बूढ़ी है. वह सफाई से भी नहीं रहती, लेकिन उन का काम चल जाएगा.

दोनों ने मना कर दिया कि किसी तरह वे काम चला लेंगे.

दोनों दोस्त अकसर देर तक साथ बैठ कर बातें करते और टोस्ट, खिचड़ी, पोहा आदि खा कर काम चलाते. कभीकभी होटल जा कर खा आते. इसी तरह 3 सप्ताह बीत गए. एक दिन विमला सोमेन के यहां आई. इंद्र भी वहीं बैठा था. उन्होंने कहा, ‘‘चलो भई, आज से अब विमला घर संभालेगी. हम लोग इतने दिनों में बिलकुल थक गए. अरे तेरा बच्चा कैसा है, बेटा हुआ या बेटी?’’

‘‘9 महीने पेट में पाला, मुआ बड़ा बेदर्द निकला. मरा हुआ पैदा हुआ. इतना बड़ा चीरा भी लगा पेट में.’’ विमला रोने का नाटक करते हुए साड़ी में हाथ लगा कर बोली, ‘‘दिखाऊं आप लोगों को?’’

‘‘नहीं…नहीं, ठीक है, औपरेशन हुआ है तो चीरा तो लगा ही होगा. कहां हुआ था औपरेशन?’’ सोमेन ने पूछा.

दोनों दोस्तों को यह जान कर शांति मिली कि बच्चा मरा पैदा हुआ. अगर जीवित होता तो पता नहीं आगे चल कर यह क्या गुल खिलाती. अचानक विमला के मुंह से बेमन से निकल गया, ‘‘सिटी हौस्पिटल में. औपरेशन में बहुत खून निकल गया. डाक्टर ने एकदो महीने खूब फलफूल, टौनिक खाने को बोला है. आप लोगों का मुंह देख कर मैं जल्दी चली आई, वरना कोई दूसरी औरत होती तो ऐसे में उठने का नाम न लेती.’’

सोमेन ने उसे हजार रुपए देते हुए कहा, ‘‘ठीक है, अपने खानेपीने का ध्यान रखना और अभी ज्यादा काम मत करना.’’

इंद्र ने भी उसे हजार रुपए दिए. विमला अब रोज काम पर आने लगी. पर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह उस से अपने शरीर की भूख मिटाने की बात करता. वे यही सोच रहे थे कि अभी यह अस्वस्थ है.

एक दिन विमला सोमेन के यहां कपड़े धो रही थी. उस की साड़ी ढीली हो कर नाभि से नीचे खिसक गई थी. सोमेन की नजर पड़ी तो उस ने विमला से पूछा, ‘‘तुम्हारे औपरेशन का दाग बड़ी जल्दी ठीक हो गया?’’

‘‘नहीं, अभी कहां ठीक हुआ है, चीरा तो और नीचे है. दिखाऊं खोल कर? पर डरती हूं कि कहीं देख कर आप को भूख लग गई तो?’’

‘‘नहीं…नहीं, देख कर क्या करूंगा. तुम अपना काम करो.’’ सोमेन ने कहा.

विमला को ले कर सोमेन के मन में शंका हुई. उस ने इंद्र को यह बात बताई. एक दिन घूमतेघामते दोनों दोस्त सिटी हौस्पिटल जा पहुंचे. वहां विमला की डिलिवरी के बारे में पूछा तो पता चला कि ऐसी कोई औरत वहां कभी नहीं आई थी.

दोनों को बहुत आश्चर्य हुआ. इस के अलावा विमला का पूजाघर की सफाई न करने से सोमेन को लगा कि उस समय जरूर उस का पीरियड चल रहा होगा. दोनों ने यह तो समझ लिया कि यह सब विमला का नाटक था, पर उन की मजबूरी थी कि वे कुछ कह नहीं सकते थे. उन्हें डर था कि कहीं विमला मुंह न खोल दे. कम से कम विमला के साथ उन के संबंध का राज तो छिपा रहेगा. उन्हें अब यह भी शक था कि इस नाटक में भोलाभाला दिखने वाला शंकर भी शामिल था.

कुछ दिनों बाद दोनों की पत्नियां आ गईं. सभी सोमेन के घर बैठे थे. विमला ने दोनों की पत्नियों से कहा, ‘‘अब आप संभालिए साहब लोगों को. मैं थक गई दोनों घरोें को संभालतेसंभालते.’’

सोमेन की पत्नी ने कहा, ‘‘हां विमला, तुम ने हम दोनों के घरों की अच्छी तरह देखभाल की है. मैं तुम्हारे लिए अमेरिका से गिफ्ट ले कर आई हूं. अभी तो बैग खोला नहीं है, कल याद कर के ले लेना.’’

इंद्र की पत्नी ने भी कहा, ‘‘हां, मैं भी अपने मायके से तुम्हारे लिए कुछ लाई हूं.’’

इंद्र और सोमेन भी वहीं बैठे थे. उन्होंने एकदूसरे को सवालिया नजरों से देखा. वे समझ रहे थे कि विमला ने क्या डबल क्रौस की चाल चली है.     ?

 

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September 28, 2020 at 10:00AM

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