Thursday 28 October 2021

खौफ- भाग 3 : हिना की मां के मन में किस बात का डर था

लेखिका- डा. के रानी 

‘‘तु?ो क्या हो गया है हिना? कैसी बातें कर रही है. शेखर सुनेगा तो क्या सोचेगा?’’‘‘सोचता है तो सोचने दो. मु?ो किसी की परवा नहीं है,’’ इतना कह कर उस ने बीच के दरवाजे पर कुंडी चढ़ा दी. हिना को आश्चर्य हो रहा था कि इतना कुछ कहने पर भी मम्मी आंखें मूंदें थीं और उस के इशारे नहीं सम?ा रही थीं. हिना सबकुछ जानते हुए भी चुप थी, इसीलिए उस की हिम्मत ज्यादा बढ़ गई.

बीच का दरवाजा बंद हो जाने से शेखर की उम्मीदों पर पानी फिर गया. एक बच्चे का पिता होने के बावजूद उस की गंदी नजर अपनी बूआ की बेटी हिना पर पता नहीं कब से लगी थी. अकसर वह उस के लिए गिफ्ट ले आता और उस के साथ खुल कर बातें करता. उसे याद आ रहा था कि वे उसे अजीब तरीके से छूते.

‘‘अगर वह उन के बहकावे में आ जाती तो…’’ यह सोच कर वह सिहर गई. लोकलाज के कारण उसे पता नहीं क्या कुछ ?ोलना पड़ता. मम्मी अपने भतीजे पर कभी शक तक नहीं कर सकीं. अब शेखर को खुद वहां रहना अखरने लगा था. हिना की निगाहों में उठने वाली नफरत को ?ोलने में वह समर्थ नहीं था. उस ने इस बीच कई बार उस से बात करने की कोशिश की. उस के पास आते ही वह चुपचाप वहां से उठ कर चली जाती.

हफ्तेभर बाद शेखर अपने पापा के घर चला गया था. इस घटना से हिना ने महसूस किया कि बाहर वालों से ज्यादा अपने लोग खतरनाक होते हैं. रिश्तों की आड़ में क्या कुछ कर गुजरते हैं, इस का किसी को एहसास तक नहीं होता. वे जानते हैं कि अपनों को बदनामी से बचाने व ?ाठी शान के लिए इस समाज में औरत की आवाज हर हाल में दबा दी जाएगी.

हिना की शादी के 2 साल बाद अनन्या पैदा हुई. उस ने सोच लिया था कि वह अपनी बेटी को दुश्मनों से बचा कर रखेगी. वह बचपन से उसे एक रात के लिए भी किसी रिश्तेदार के घर अकेला न छोड़ती. कई बार बड़े भैया ने कहा भी, लेकिन हिना कोई न कोई बहाना बना कर टाल जाती. अनन्या को यह बात सम?ा आने लगी थी. वह कई मौकों पर मम्मी का विरोध भी करती. घर पर अकसर मेहमान आते. हिना उन का पूरा खयाल रखती, लेकिन बेटी की सुरक्षा के लिए कोई रिस्क न उठाती.

उस ने गैस्टरूम घर की छत पर अलग से बना रखा था, जिस से उन का वक्तबेवक्त उस के परिवार से कोई संपर्क न रहे. खानापीना खिला कर वह मेहमानों को गैस्टरूम में टिका देती. पता नहीं, उस की अंदर की दहशत ने उसे कितना हिला कर रख दिया था. नजदीकी रिश्तों के प्रति उस की आस्था ही खत्म हो गई थी. उसे लगता, रिश्ते की आड़ में छिपे हुए भेडि़ए कभी भी अपने ऊपर की रिश्ते की चादर सरका कर अपने असल रूप में आ उस की बेटी पर हमला कर सकते हैं.

बहुत देर तक उसे अतीत में तैरते हुए नींद नहीं आ रही थी. अगली सुबह वह समय से उठ गई, लेकिन अनन्या देर तक सोती रही. उस ने उसे उठाना उचित न सम?ा. शादी की रात भी हिना की नजरें शादी की रस्मों के बीच उस पर ही लगी रहीं. रात के 3 बजे फेरे खत्म हो गए और उस के बाद वह अनन्या के साथ कमरे में आ गई.

विदाई के समय सभी भावुक हो गए थे. 8 बजे ईशा की विदाई हो गई. घर सूना हो गया था. दोपहर तक अधिकांश मेहमान जाने लगे थे. सिद्धार्थ उस से और दी से मिलने आया, ‘‘अच्छा बूआ, चलता हूं.’’  ‘‘इतनी जल्दी क्या है? 1-2 दिन और रुक जाते,’’ राशि बोली. ‘‘जिस काम के लिए आए थे, वह पूरा हो गया. घर जा कर पढ़ाई भी करनी है.’’

अनन्या अभी 1-2 दिन और मौसी के पास रुकना चाहती थी, लेकिन मम्मी की वजह से कहने में हिचक रही थी. राशि दी खुद ही बोली, ‘‘ईशा के जाने के बाद घर खाली हो गया है. हिना, अनन्या को कुछ दिन यहां छोड़ दे.’’  ‘‘नहीं दी, इस के पापा नाराज होंगे. हम फिर आ जाएंगे. यहां से अलीगढ़ है ही कितना दूर. जब तुम कहोगी तभी ईशा और दामादजी से मिलने चले आएंगे.’’अगले दिन वह बेटी के साथ घर वापस जा रही थी. अनन्या के मन में कई सवाल थे, लेकिन वह मम्मी से कुछ पूछने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी.

हिना जानती थी कि अनन्या मम्मी के व्यवहार से नाखुश है, लेकिन वह मजबूर थी. वह अपनी मम्मी की तरह रिश्तों की छांव में आंख मूंद कर निश्ंिचत हो कर नहीं रह सकती थी. शुक्र था, जवानी में खुद सचेत रहने के कारण वह अपने को बचा पाई थी, नहीं तो उस के साथ कुछ भी बुरा घट सकता था. वह अपनी बेटी को ऐसी परिस्थितियों से दूर रखना चाहती थी.

बाहर वाला कुछ गलत कर बैठे तो उस के विरुद्ध शोर मचाना आसान होता है, लेकिन अपनों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए कितना हौसला चाहिए, इस की अनन्या कल्पना भी नहीं कर सकती. बेटी चाहे लाख नाराज होती रहे, उसे इस की परवा नहीं. उसे तो केवल भेडि़ए को रोकने की परवा है. अपनेपन की आड़ में वे सबकुछ लूट कर ले जाते हैं और लुटने वाला उन के खिलाफ आवाज तक नहीं उठा पाता. खुद घर वाले उस की आवाज को दबा देते हैं.

‘‘अभी उसे कुछ सम?ाना बेकार है. धीरेधीरे अपने अनुभव से उसे बहुतकुछ पता चल जाएगा. तब उसे अपनी मम्मी की यह बात अच्छे से सम?ा आ जाएगी,’’ यह सोच कर वह थोड़ी आश्वस्त हो गई और अनन्या की नाराजगी को नजरअंदाज कर उस से सहज हो कर बातें करने लगी.

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लेखिका- डा. के रानी 

‘‘तु?ो क्या हो गया है हिना? कैसी बातें कर रही है. शेखर सुनेगा तो क्या सोचेगा?’’‘‘सोचता है तो सोचने दो. मु?ो किसी की परवा नहीं है,’’ इतना कह कर उस ने बीच के दरवाजे पर कुंडी चढ़ा दी. हिना को आश्चर्य हो रहा था कि इतना कुछ कहने पर भी मम्मी आंखें मूंदें थीं और उस के इशारे नहीं सम?ा रही थीं. हिना सबकुछ जानते हुए भी चुप थी, इसीलिए उस की हिम्मत ज्यादा बढ़ गई.

बीच का दरवाजा बंद हो जाने से शेखर की उम्मीदों पर पानी फिर गया. एक बच्चे का पिता होने के बावजूद उस की गंदी नजर अपनी बूआ की बेटी हिना पर पता नहीं कब से लगी थी. अकसर वह उस के लिए गिफ्ट ले आता और उस के साथ खुल कर बातें करता. उसे याद आ रहा था कि वे उसे अजीब तरीके से छूते.

‘‘अगर वह उन के बहकावे में आ जाती तो…’’ यह सोच कर वह सिहर गई. लोकलाज के कारण उसे पता नहीं क्या कुछ ?ोलना पड़ता. मम्मी अपने भतीजे पर कभी शक तक नहीं कर सकीं. अब शेखर को खुद वहां रहना अखरने लगा था. हिना की निगाहों में उठने वाली नफरत को ?ोलने में वह समर्थ नहीं था. उस ने इस बीच कई बार उस से बात करने की कोशिश की. उस के पास आते ही वह चुपचाप वहां से उठ कर चली जाती.

हफ्तेभर बाद शेखर अपने पापा के घर चला गया था. इस घटना से हिना ने महसूस किया कि बाहर वालों से ज्यादा अपने लोग खतरनाक होते हैं. रिश्तों की आड़ में क्या कुछ कर गुजरते हैं, इस का किसी को एहसास तक नहीं होता. वे जानते हैं कि अपनों को बदनामी से बचाने व ?ाठी शान के लिए इस समाज में औरत की आवाज हर हाल में दबा दी जाएगी.

हिना की शादी के 2 साल बाद अनन्या पैदा हुई. उस ने सोच लिया था कि वह अपनी बेटी को दुश्मनों से बचा कर रखेगी. वह बचपन से उसे एक रात के लिए भी किसी रिश्तेदार के घर अकेला न छोड़ती. कई बार बड़े भैया ने कहा भी, लेकिन हिना कोई न कोई बहाना बना कर टाल जाती. अनन्या को यह बात सम?ा आने लगी थी. वह कई मौकों पर मम्मी का विरोध भी करती. घर पर अकसर मेहमान आते. हिना उन का पूरा खयाल रखती, लेकिन बेटी की सुरक्षा के लिए कोई रिस्क न उठाती.

उस ने गैस्टरूम घर की छत पर अलग से बना रखा था, जिस से उन का वक्तबेवक्त उस के परिवार से कोई संपर्क न रहे. खानापीना खिला कर वह मेहमानों को गैस्टरूम में टिका देती. पता नहीं, उस की अंदर की दहशत ने उसे कितना हिला कर रख दिया था. नजदीकी रिश्तों के प्रति उस की आस्था ही खत्म हो गई थी. उसे लगता, रिश्ते की आड़ में छिपे हुए भेडि़ए कभी भी अपने ऊपर की रिश्ते की चादर सरका कर अपने असल रूप में आ उस की बेटी पर हमला कर सकते हैं.

बहुत देर तक उसे अतीत में तैरते हुए नींद नहीं आ रही थी. अगली सुबह वह समय से उठ गई, लेकिन अनन्या देर तक सोती रही. उस ने उसे उठाना उचित न सम?ा. शादी की रात भी हिना की नजरें शादी की रस्मों के बीच उस पर ही लगी रहीं. रात के 3 बजे फेरे खत्म हो गए और उस के बाद वह अनन्या के साथ कमरे में आ गई.

विदाई के समय सभी भावुक हो गए थे. 8 बजे ईशा की विदाई हो गई. घर सूना हो गया था. दोपहर तक अधिकांश मेहमान जाने लगे थे. सिद्धार्थ उस से और दी से मिलने आया, ‘‘अच्छा बूआ, चलता हूं.’’  ‘‘इतनी जल्दी क्या है? 1-2 दिन और रुक जाते,’’ राशि बोली. ‘‘जिस काम के लिए आए थे, वह पूरा हो गया. घर जा कर पढ़ाई भी करनी है.’’

अनन्या अभी 1-2 दिन और मौसी के पास रुकना चाहती थी, लेकिन मम्मी की वजह से कहने में हिचक रही थी. राशि दी खुद ही बोली, ‘‘ईशा के जाने के बाद घर खाली हो गया है. हिना, अनन्या को कुछ दिन यहां छोड़ दे.’’  ‘‘नहीं दी, इस के पापा नाराज होंगे. हम फिर आ जाएंगे. यहां से अलीगढ़ है ही कितना दूर. जब तुम कहोगी तभी ईशा और दामादजी से मिलने चले आएंगे.’’अगले दिन वह बेटी के साथ घर वापस जा रही थी. अनन्या के मन में कई सवाल थे, लेकिन वह मम्मी से कुछ पूछने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी.

हिना जानती थी कि अनन्या मम्मी के व्यवहार से नाखुश है, लेकिन वह मजबूर थी. वह अपनी मम्मी की तरह रिश्तों की छांव में आंख मूंद कर निश्ंिचत हो कर नहीं रह सकती थी. शुक्र था, जवानी में खुद सचेत रहने के कारण वह अपने को बचा पाई थी, नहीं तो उस के साथ कुछ भी बुरा घट सकता था. वह अपनी बेटी को ऐसी परिस्थितियों से दूर रखना चाहती थी.

बाहर वाला कुछ गलत कर बैठे तो उस के विरुद्ध शोर मचाना आसान होता है, लेकिन अपनों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए कितना हौसला चाहिए, इस की अनन्या कल्पना भी नहीं कर सकती. बेटी चाहे लाख नाराज होती रहे, उसे इस की परवा नहीं. उसे तो केवल भेडि़ए को रोकने की परवा है. अपनेपन की आड़ में वे सबकुछ लूट कर ले जाते हैं और लुटने वाला उन के खिलाफ आवाज तक नहीं उठा पाता. खुद घर वाले उस की आवाज को दबा देते हैं.

‘‘अभी उसे कुछ सम?ाना बेकार है. धीरेधीरे अपने अनुभव से उसे बहुतकुछ पता चल जाएगा. तब उसे अपनी मम्मी की यह बात अच्छे से सम?ा आ जाएगी,’’ यह सोच कर वह थोड़ी आश्वस्त हो गई और अनन्या की नाराजगी को नजरअंदाज कर उस से सहज हो कर बातें करने लगी.

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October 29, 2021 at 10:00AM

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