Thursday 28 October 2021

खौफ- भाग 2 : हिना की मां के मन में किस बात का डर था

लेखिका- डा. के रानी 

‘‘मम्मी प्लीज, मैं कोई बच्ची नहीं हूं. 16 साल की हो गई हूं. मु?ो भी अपने भलेबुरे की पहचान है.’’ ‘‘जानती हूं, फिर भी मैं कुछ मामलों में बिलकुल रिस्क नहीं उठा सकती.’ ‘‘इस में रिस्क की क्या बात है? हम सब आपस में रिश्तेदार हैं.’’

‘‘तुम नहीं सम?ाती अनन्या. बस, मेरी बात मान लो. मैं जानती हूं कि तुम्हें यह सब देखसुन कर बुरा लगता है, फिर भी इस से आगे कुछ मत कहो और इस टौपिक को यहीं खत्म कर दो.’’

अपना सामान व्यवस्थित कर के वह राशि दी के पास चली गई. राशि दी एकएक कर के उसे शादी का सामान दिखा रही थीं और अनन्या उस पर अपनी टिप्पणियां दे रही थी. उस के बाद वह ईशा के साथ आ गई.

खाना खाने के बहुत देर बाद अनन्या मम्मी के पास आई. हिना उस समय राशि के साथ बातें कर रही थी. बातें तो एक बहाना था. दरअसल, वह उसी के आने का इंतजार कर रही थी. दोनों कमरे में आ कर कुछ देर बातें करती रहीं और फिर आराम से सो गईं.

अगले दिन सुबह से ही मेहमानों का आनाजाना शुरू हो गया था. राशि दी के परिवार में यह पहली शादी थी. सारे रिश्तेदार शादी में शामिल होने सपरिवार आए थे. बूआ, मौसी, चाचा, ताऊ और छोटे दादाजी सब अपने परिवार के साथ पहुंच गए थे. घर पर रिश्तेदारों का मेला लग गया था. सभी के बच्चे जवान थे. कुछ की शादी हो चुकी थी और उन के साथ छोटे बच्चे भी आए हुए थे. यह सब देख कर राशि दी बहुत खुश थीं. वे खुद भी बहुत व्यवहारकुशल थीं. हरेक के सुखदुख में शामिल होने वे सब से पहले पहुंच जातीं. इसी वजह से सभी लोग ईशा की शादी में एक दिन पहले ही पहुंच गए थे.

सुबह से ही घर में शादी की रस्में चल रही थीं. हिना राशि दी के साथ हर काम में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही थी. अनन्या कजिन के साथ बातों में व्यस्त थी. सब अपने कामों में लगे थे. जवान लड़कियों को सजनेसंवरने और शाम को होने वाले महिला संगीत में विशेष रुचि थी. उन्होंने पहले से ही प्रोग्राम बना लिया था कि सब मिल कर खूब धमाल मचाएंगे. इस के लिए वे दिनभर तैयारी करते रहे थे.

शाम हुई. अच्छेखासे जलपान के बाद अधिकांश अपने घर चले गए. अब युवाओं की महफिल सजने लगी थी. डैक पर नए गाने बज रहे थे और उस की धुन पर सभी युवा थिरक रहे थे. उस में पासपड़ोस के युवा भी शामिल थे. आए हुए युवा मेहमानों के कुछ दोस्त भी शादी में शिरकत कर रहे थे. अनन्या गुलाबी लहंगे में बहुत खूबसूरत लग रही थी. उस की दीपक मामा के बेटे सिद्धार्थ से बहुत अच्छी पटती थी. वे दोनों साथ मिल कर दिनभर से प्रैक्टिस कर रहे थे. शाम को उन का प्रदर्शन सब से अच्छा था. सब उन्हें बधाई दे रहे थे.

हिना को यह कार्यक्रम बहुत अच्छा लगा. रात को खाना खाने के बाद उन्होंने और भी प्रोग्राम बना लिए थे.रात के 12 बज चुके थे. सब लोग सोने की तैयारी करने लगे. कल के जश्न के लिए सभी को रात देर तक उठे रहना था. हिना अभी तक युवाओं के साथ बैठी हुई थी. सिद्धार्थ बोला, ‘‘बूआ, तुम भी सो जाओ. थोड़ी देर और मस्ती कर के हम सब भी सोने चले जाएंगे.’’‘‘मु?ो नींद नहीं आ रही है. तुम लोगों के कार्यक्रम बहुत अच्छे लग रहे हैं. ऐसा मौका बारबार कहां मिलता है?’’

‘‘जैसी आप की इच्छा. मु?ो लगा, शायद आप जबरदस्ती यहां बैठी हैं.’’उस की बात सुन कर अनन्या ने एक नजर मम्मी पर डाली, लेकिन बोली कुछ नहीं. वह अच्छे से जानती थी कि मम्मी उसी की वजह से इतनी रात तक जागी हुई हैं, अन्यथा वे रोज 10 बजे ही सोने चली जाती हैं. हिना के साथ के सभी लोग सोने जा चुके थे. एकमात्र वही थीं जो उन युवाओं के बीच बैठ कर उन के कार्यक्रमों का मजा ले रही थीं.

रात के एक बजे कार्यक्रम खत्म हुए और सब अपनेअपने कमरों में सोने चले गए. अनन्या भी मम्मी के साथ कमरे में आ गई. हिना को लग रहा था, आज उस के कारण शायद वह आहत हुई है. हिना बोली, ‘‘सो जा बेटा. कल भी तुम्हें सारी रात जागना है.’’‘‘नींद की जरूरत मु?ा से ज्यादा आप को है मम्मी. आप की नींद पूरी न हो तो आप सुबह बड़ी चिड़चिड़ी सी हो जाती हैं. क्या जरूरत थी इतनी देर तक वहां बैठे रहने की?’’

‘‘मु?ो तुम्हारा डांस बहुत अच्छा लग रहा था.’’‘‘ज्यादा बहाने बनाने की जरूरत नहीं है मम्मी. मु?ो सब पता है कि आप मेरी चौकीदारी के लिए वहां बैठी थीं.’’‘‘ऐसा क्यों सोचती है तू? मु?ो तेरी चिंता रहती है, बस.’’‘‘ऐसी चिंता किस काम की, जिस पर मम्मीपापा चौकीदार नजर आने लगें.’’

अनन्या की बात पर हिना कुछ नहीं बोली और चुपचाप बिस्तर पर लेट गई. उसे सम?ा नहीं आ रहा था कि वे अनन्या को किस तरह सम?ाएं. आज के जमाने में युवा लड़कियों को जितना खतरा बाहर से है, उस से अधिक खतरा अपने लोगों से है. बाहर वालों के खिलाफ तो खुल कर आवाज उठाई जा सकती है, लेकिन घर वालों के खिलाफ मुंह खोलने के लिए बहुत अधिक साहस चाहिए.

यह सोच कर वे अतीत में गोते लगाने लगीं. वह बचपन से मम्मीपापा के साथ कानपुर में रहती थी. शहर के नजदीक होने की वजह से उन के घर मेहमानों का आनाजाना लगा रहता. ताऊजी, चाचाजी, बूआजी, मामाजी व अन्य दूर के सभी रिश्तेदार अकसर मम्मीपापा से मिलने आ जाते. कभी कोई बीमार पड़ता तो वह उन्हीं के घर पर महीनों तक डेरा डाल लेता.

मम्मी के बड़े भाई गणेश मामा के 2 जवान बेटे थे. उन में से बड़े बेटे शेखर की कम उम्र में ही शादी हो गई थी और वे एक कंपनी में नौकरी करते थे. जबकि छोटा बेटा अभी पढ़ाई कर रहा था. वह हिना के बड़े भाई रमेश का हमउम्र था. बचपन से हिना उन के साथ घुलीमिली थी. अकसर वे उन के घर आतेजाते रहते. गणेश मामा कानपुर में ही रहते थे. मम्मी अपने भतीजों का बहुत ध्यान रखती.

एक बार शेखर की तबीयत खराब हो गई. उन के फेफड़ों में पानी भर गया था.मामा को शेखर की देखभाल करने में परेशानी हो रही थी. यह देख कर मम्मी ने उन्हें अपने घर पर बुला लिया, जिस से उन की ठीक से देखभाल हो सके.

शेखर की उम्र तकरीबन 26 साल की थी और वे एक बच्चे के पिता भी बन चुके थे. उन की पत्नी रूपा मामी गांव में थी. मम्मी ने बड़े भैया का कमरा उन्हें दे दिया. वह दिनरात उन की खिदमत में लगी रहती ताकि वे जल्दी ठीक हो कर नौकरी पर चले जाएं.

हिना और उस का छोटा भाई अरुण एक ही कमरे में अलग बिस्तर पर सोते. मम्मीपापा का अलग कमरा था. हिना के कमरे से लगा हुआ बड़े भैया का कमरा था. गरमी में मच्छरों के आतंक से बचने के लिए सभी के बिस्तर पर मच्छरदानी लगी रहती.

एक दिन उस ने महसूस किया कि रात में कोई उस की मच्छरदानी खींच रहा है.  कुछ देर बाद एक हाथ मच्छरदानी के अंदर उस के पैरों तक पहुंच गया. हिना ने पूरा जोर लगा कर उसे ?ाटक दिया. कुछ देर बाद उसे वही हाथ अपने शरीर पर रेंगता हुआ महसूस हुआ. उस ने उस पर दांत गड़ा दिए तो हाथ तेजी से मच्छरदानी से बाहर निकल गया.

इस घटना के बाद वह सुकून से सो न सकी. उसे महसूस हो गया कि यह किस का हाथ था, लेकिन वह कुछ कह न पाई.सुबह उठ कर उस ने मम्मी से इस का जिक्र नहीं किया. छोटा भाई निश्ंिचत हो कर बगल की चारपाई पर सोया था. उसे इस का इल्म तक न था. दूसरे दिन उस ने मम्मी से पूछा, ‘‘शेखर भैया कब तक यहां रहेंगे?’’‘‘अभी उन की तबीयत ठीक नहीं है. हो सकता है कि कुछ हफ्ते और लग जाएं.’’

‘‘मम्मी, आप उन्हें उन के घर भेज दो.’’‘‘तु?ो क्या परेशानी है उन से? बेचारा एक कमरे में पड़ा रहता है. उस की तबीयत सुधर जाएगी, तो मैं खुद ही उसे जाने के लिए कह दूंगी. तू जानती है कि तेरी मामी यहां नहीं रहती. घर में उस की देखभाल करने वाला कोई नहीं है,’’ मम्मी बोली.

‘‘अब उन की तबीयत काफी सुधर गई है. वे चाहें तो मामी को गांव से बुला सकते हैं.’’ ‘‘बहकीबहकी बातें कर रही है तू? वह मेरा भतीजा और तेरा भाई है. रमेश और उस में क्या फर्क है? तु?ो भी उस का खयाल रखना चाहिए.’’ उन का तर्क सुन कर वह चुप हो गई.

अगले दिन रात को फिर वही घटना घटी. इस बार सुरक्षा के तौर पर हिना ने मच्छरदानी बहुत अच्छी तरह से गद्दे के नीचे दबा दी और अपने साथ बिस्तर पर टौर्च रख ली. मच्छरदानी खिंचने के साथ हाथ महसूस करते ही वह ?ाट से उठ कर बैठ गई और जोर से बोली, ‘‘कौन है?’’उस की आवाज और टौर्च की रोशनी से मम्मी उठ गईं. वे तुरंत उस के पास पहुंच कर बोलीं, ‘‘क्या हुआ हिना?’’

‘‘मम्मी, मु?ो लगा जैसे कोई मेरी मच्छरदानी खींच रहा है. खतरा महसूस होते ही मैं ने टौर्च जला दी. सामने शेखर भैया खड़े थे.’’उसे देख कर मम्मी को कोई आश्चर्य नहीं हुआ. उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हुआ शेखर? तुम यहां कैसे चले आए?’’ ‘‘बूआजी, बहुत जोर की प्यास लगी थी. पानी खत्म हो गया. वही लेने जा रहा था. शायद दरवाजा खुलने की आवाज से हिना डर कर उठ गई.’’

‘‘कोई बात नहीं बेटा. तू आराम कर. मैं पानी ला कर रख देती हूं,’’ कह कर उस ने जग भर पानी उन के कमरे में रख दिया.आज रात इतना कुछ अपनी आंखों से देख कर भी मम्मी को कुछ सम?ा नहीं आया था. हिना परेशान थी कि यह बात उन्हें कैसे सम?ाए? सीधे इलजाम लगाने पर बात बहुत बढ़ सकती थी और अंत में उसे ही चुप करा दिया जाता. लिहाजा, वह चुप ही रही.

अगली रात सोने से पहले उस ने मम्मी को हिदायत दे दी, ‘‘मम्मी, शेखर भैया के कमरे में हर चीज पहले से ही रख दिया करो. जरा सी खटपट होने पर मेरी नींद खुल जाती है. मु?ो रात में किसी का कमरे में आना अच्छा नहीं लगता.’’

 

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‘‘मम्मी प्लीज, मैं कोई बच्ची नहीं हूं. 16 साल की हो गई हूं. मु?ो भी अपने भलेबुरे की पहचान है.’’ ‘‘जानती हूं, फिर भी मैं कुछ मामलों में बिलकुल रिस्क नहीं उठा सकती.’ ‘‘इस में रिस्क की क्या बात है? हम सब आपस में रिश्तेदार हैं.’’

‘‘तुम नहीं सम?ाती अनन्या. बस, मेरी बात मान लो. मैं जानती हूं कि तुम्हें यह सब देखसुन कर बुरा लगता है, फिर भी इस से आगे कुछ मत कहो और इस टौपिक को यहीं खत्म कर दो.’’

अपना सामान व्यवस्थित कर के वह राशि दी के पास चली गई. राशि दी एकएक कर के उसे शादी का सामान दिखा रही थीं और अनन्या उस पर अपनी टिप्पणियां दे रही थी. उस के बाद वह ईशा के साथ आ गई.

खाना खाने के बहुत देर बाद अनन्या मम्मी के पास आई. हिना उस समय राशि के साथ बातें कर रही थी. बातें तो एक बहाना था. दरअसल, वह उसी के आने का इंतजार कर रही थी. दोनों कमरे में आ कर कुछ देर बातें करती रहीं और फिर आराम से सो गईं.

अगले दिन सुबह से ही मेहमानों का आनाजाना शुरू हो गया था. राशि दी के परिवार में यह पहली शादी थी. सारे रिश्तेदार शादी में शामिल होने सपरिवार आए थे. बूआ, मौसी, चाचा, ताऊ और छोटे दादाजी सब अपने परिवार के साथ पहुंच गए थे. घर पर रिश्तेदारों का मेला लग गया था. सभी के बच्चे जवान थे. कुछ की शादी हो चुकी थी और उन के साथ छोटे बच्चे भी आए हुए थे. यह सब देख कर राशि दी बहुत खुश थीं. वे खुद भी बहुत व्यवहारकुशल थीं. हरेक के सुखदुख में शामिल होने वे सब से पहले पहुंच जातीं. इसी वजह से सभी लोग ईशा की शादी में एक दिन पहले ही पहुंच गए थे.

सुबह से ही घर में शादी की रस्में चल रही थीं. हिना राशि दी के साथ हर काम में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही थी. अनन्या कजिन के साथ बातों में व्यस्त थी. सब अपने कामों में लगे थे. जवान लड़कियों को सजनेसंवरने और शाम को होने वाले महिला संगीत में विशेष रुचि थी. उन्होंने पहले से ही प्रोग्राम बना लिया था कि सब मिल कर खूब धमाल मचाएंगे. इस के लिए वे दिनभर तैयारी करते रहे थे.

शाम हुई. अच्छेखासे जलपान के बाद अधिकांश अपने घर चले गए. अब युवाओं की महफिल सजने लगी थी. डैक पर नए गाने बज रहे थे और उस की धुन पर सभी युवा थिरक रहे थे. उस में पासपड़ोस के युवा भी शामिल थे. आए हुए युवा मेहमानों के कुछ दोस्त भी शादी में शिरकत कर रहे थे. अनन्या गुलाबी लहंगे में बहुत खूबसूरत लग रही थी. उस की दीपक मामा के बेटे सिद्धार्थ से बहुत अच्छी पटती थी. वे दोनों साथ मिल कर दिनभर से प्रैक्टिस कर रहे थे. शाम को उन का प्रदर्शन सब से अच्छा था. सब उन्हें बधाई दे रहे थे.

हिना को यह कार्यक्रम बहुत अच्छा लगा. रात को खाना खाने के बाद उन्होंने और भी प्रोग्राम बना लिए थे.रात के 12 बज चुके थे. सब लोग सोने की तैयारी करने लगे. कल के जश्न के लिए सभी को रात देर तक उठे रहना था. हिना अभी तक युवाओं के साथ बैठी हुई थी. सिद्धार्थ बोला, ‘‘बूआ, तुम भी सो जाओ. थोड़ी देर और मस्ती कर के हम सब भी सोने चले जाएंगे.’’‘‘मु?ो नींद नहीं आ रही है. तुम लोगों के कार्यक्रम बहुत अच्छे लग रहे हैं. ऐसा मौका बारबार कहां मिलता है?’’

‘‘जैसी आप की इच्छा. मु?ो लगा, शायद आप जबरदस्ती यहां बैठी हैं.’’उस की बात सुन कर अनन्या ने एक नजर मम्मी पर डाली, लेकिन बोली कुछ नहीं. वह अच्छे से जानती थी कि मम्मी उसी की वजह से इतनी रात तक जागी हुई हैं, अन्यथा वे रोज 10 बजे ही सोने चली जाती हैं. हिना के साथ के सभी लोग सोने जा चुके थे. एकमात्र वही थीं जो उन युवाओं के बीच बैठ कर उन के कार्यक्रमों का मजा ले रही थीं.

रात के एक बजे कार्यक्रम खत्म हुए और सब अपनेअपने कमरों में सोने चले गए. अनन्या भी मम्मी के साथ कमरे में आ गई. हिना को लग रहा था, आज उस के कारण शायद वह आहत हुई है. हिना बोली, ‘‘सो जा बेटा. कल भी तुम्हें सारी रात जागना है.’’‘‘नींद की जरूरत मु?ा से ज्यादा आप को है मम्मी. आप की नींद पूरी न हो तो आप सुबह बड़ी चिड़चिड़ी सी हो जाती हैं. क्या जरूरत थी इतनी देर तक वहां बैठे रहने की?’’

‘‘मु?ो तुम्हारा डांस बहुत अच्छा लग रहा था.’’‘‘ज्यादा बहाने बनाने की जरूरत नहीं है मम्मी. मु?ो सब पता है कि आप मेरी चौकीदारी के लिए वहां बैठी थीं.’’‘‘ऐसा क्यों सोचती है तू? मु?ो तेरी चिंता रहती है, बस.’’‘‘ऐसी चिंता किस काम की, जिस पर मम्मीपापा चौकीदार नजर आने लगें.’’

अनन्या की बात पर हिना कुछ नहीं बोली और चुपचाप बिस्तर पर लेट गई. उसे सम?ा नहीं आ रहा था कि वे अनन्या को किस तरह सम?ाएं. आज के जमाने में युवा लड़कियों को जितना खतरा बाहर से है, उस से अधिक खतरा अपने लोगों से है. बाहर वालों के खिलाफ तो खुल कर आवाज उठाई जा सकती है, लेकिन घर वालों के खिलाफ मुंह खोलने के लिए बहुत अधिक साहस चाहिए.

यह सोच कर वे अतीत में गोते लगाने लगीं. वह बचपन से मम्मीपापा के साथ कानपुर में रहती थी. शहर के नजदीक होने की वजह से उन के घर मेहमानों का आनाजाना लगा रहता. ताऊजी, चाचाजी, बूआजी, मामाजी व अन्य दूर के सभी रिश्तेदार अकसर मम्मीपापा से मिलने आ जाते. कभी कोई बीमार पड़ता तो वह उन्हीं के घर पर महीनों तक डेरा डाल लेता.

मम्मी के बड़े भाई गणेश मामा के 2 जवान बेटे थे. उन में से बड़े बेटे शेखर की कम उम्र में ही शादी हो गई थी और वे एक कंपनी में नौकरी करते थे. जबकि छोटा बेटा अभी पढ़ाई कर रहा था. वह हिना के बड़े भाई रमेश का हमउम्र था. बचपन से हिना उन के साथ घुलीमिली थी. अकसर वे उन के घर आतेजाते रहते. गणेश मामा कानपुर में ही रहते थे. मम्मी अपने भतीजों का बहुत ध्यान रखती.

एक बार शेखर की तबीयत खराब हो गई. उन के फेफड़ों में पानी भर गया था.मामा को शेखर की देखभाल करने में परेशानी हो रही थी. यह देख कर मम्मी ने उन्हें अपने घर पर बुला लिया, जिस से उन की ठीक से देखभाल हो सके.

शेखर की उम्र तकरीबन 26 साल की थी और वे एक बच्चे के पिता भी बन चुके थे. उन की पत्नी रूपा मामी गांव में थी. मम्मी ने बड़े भैया का कमरा उन्हें दे दिया. वह दिनरात उन की खिदमत में लगी रहती ताकि वे जल्दी ठीक हो कर नौकरी पर चले जाएं.

हिना और उस का छोटा भाई अरुण एक ही कमरे में अलग बिस्तर पर सोते. मम्मीपापा का अलग कमरा था. हिना के कमरे से लगा हुआ बड़े भैया का कमरा था. गरमी में मच्छरों के आतंक से बचने के लिए सभी के बिस्तर पर मच्छरदानी लगी रहती.

एक दिन उस ने महसूस किया कि रात में कोई उस की मच्छरदानी खींच रहा है.  कुछ देर बाद एक हाथ मच्छरदानी के अंदर उस के पैरों तक पहुंच गया. हिना ने पूरा जोर लगा कर उसे ?ाटक दिया. कुछ देर बाद उसे वही हाथ अपने शरीर पर रेंगता हुआ महसूस हुआ. उस ने उस पर दांत गड़ा दिए तो हाथ तेजी से मच्छरदानी से बाहर निकल गया.

इस घटना के बाद वह सुकून से सो न सकी. उसे महसूस हो गया कि यह किस का हाथ था, लेकिन वह कुछ कह न पाई.सुबह उठ कर उस ने मम्मी से इस का जिक्र नहीं किया. छोटा भाई निश्ंिचत हो कर बगल की चारपाई पर सोया था. उसे इस का इल्म तक न था. दूसरे दिन उस ने मम्मी से पूछा, ‘‘शेखर भैया कब तक यहां रहेंगे?’’‘‘अभी उन की तबीयत ठीक नहीं है. हो सकता है कि कुछ हफ्ते और लग जाएं.’’

‘‘मम्मी, आप उन्हें उन के घर भेज दो.’’‘‘तु?ो क्या परेशानी है उन से? बेचारा एक कमरे में पड़ा रहता है. उस की तबीयत सुधर जाएगी, तो मैं खुद ही उसे जाने के लिए कह दूंगी. तू जानती है कि तेरी मामी यहां नहीं रहती. घर में उस की देखभाल करने वाला कोई नहीं है,’’ मम्मी बोली.

‘‘अब उन की तबीयत काफी सुधर गई है. वे चाहें तो मामी को गांव से बुला सकते हैं.’’ ‘‘बहकीबहकी बातें कर रही है तू? वह मेरा भतीजा और तेरा भाई है. रमेश और उस में क्या फर्क है? तु?ो भी उस का खयाल रखना चाहिए.’’ उन का तर्क सुन कर वह चुप हो गई.

अगले दिन रात को फिर वही घटना घटी. इस बार सुरक्षा के तौर पर हिना ने मच्छरदानी बहुत अच्छी तरह से गद्दे के नीचे दबा दी और अपने साथ बिस्तर पर टौर्च रख ली. मच्छरदानी खिंचने के साथ हाथ महसूस करते ही वह ?ाट से उठ कर बैठ गई और जोर से बोली, ‘‘कौन है?’’उस की आवाज और टौर्च की रोशनी से मम्मी उठ गईं. वे तुरंत उस के पास पहुंच कर बोलीं, ‘‘क्या हुआ हिना?’’

‘‘मम्मी, मु?ो लगा जैसे कोई मेरी मच्छरदानी खींच रहा है. खतरा महसूस होते ही मैं ने टौर्च जला दी. सामने शेखर भैया खड़े थे.’’उसे देख कर मम्मी को कोई आश्चर्य नहीं हुआ. उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हुआ शेखर? तुम यहां कैसे चले आए?’’ ‘‘बूआजी, बहुत जोर की प्यास लगी थी. पानी खत्म हो गया. वही लेने जा रहा था. शायद दरवाजा खुलने की आवाज से हिना डर कर उठ गई.’’

‘‘कोई बात नहीं बेटा. तू आराम कर. मैं पानी ला कर रख देती हूं,’’ कह कर उस ने जग भर पानी उन के कमरे में रख दिया.आज रात इतना कुछ अपनी आंखों से देख कर भी मम्मी को कुछ सम?ा नहीं आया था. हिना परेशान थी कि यह बात उन्हें कैसे सम?ाए? सीधे इलजाम लगाने पर बात बहुत बढ़ सकती थी और अंत में उसे ही चुप करा दिया जाता. लिहाजा, वह चुप ही रही.

अगली रात सोने से पहले उस ने मम्मी को हिदायत दे दी, ‘‘मम्मी, शेखर भैया के कमरे में हर चीज पहले से ही रख दिया करो. जरा सी खटपट होने पर मेरी नींद खुल जाती है. मु?ो रात में किसी का कमरे में आना अच्छा नहीं लगता.’’

 

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October 29, 2021 at 10:00AM

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