Thursday, 23 September 2021

प्यार और श्मशान : भाग 3

‘‘पर पिताजी… वे मेरी सब बातें जानते हुए भी मुझ से ब्याह रचाने को तैयार हैं,’’ मालती ने डरते हुए कहा.

‘‘क्या… सबकुछ जानता है…? क्या सबकुछ…? यही न कि तुम्हारे अंदर एक ठाकुर का खून दौड़ रहा है… और कुछ नहीं जानता वह…

‘‘मालती, तुम नहीं जानती कि ये निचली जाति के लड़के एक साजिश के तहत अच्छे घर की लड़कियों को फंसाते हैं और फिर उन के घरपरिवार पर

अपना दबदबा भी जमाते हैं,’’ मालती के पिता ने कहा.

‘‘और हां दीदी… अगर तुम से अकेले नहीं रहा जा रहा था, तो कोई और लड़का ढूंढ़ लिया होता, तुम्हें वही लाशें जलाने वाला डोम ही मिला,’’ अब तक चुप मालती के भाई ने कहा.

मालती को अपने छोटे भाई के मुंह से ऐसी बातें सुनने की उम्मीद नहीं थी. वह अब और सुन पाने की हालत में नहीं थी. वह वहां से अपने कमरे में भाग गई थी.

जब केशव ने अपने घर में मालती से ब्याह रचाने की बात कही, तो उस के घर में भी वही हुआ, जिस की उम्मीद कभी उस ने नहीं की थी.

‘‘क्या…? पूरी बिरादरी में तुम्हें कोई और लड़की नहीं मिली, जो उस लड़की से शादी करोगे तुम…

‘‘अरे, तुम्हें पता भी है कि इतने सालों तक उस की शादी क्यों नहीं हुई… क्योंकि वह नाजायज… उस का असली बाप कौन है, किसी को नहीं पता,’’ केशव के पिताजी चीख रहे थे.

‘‘पता है न तुम्हें कि उस की मां का कई लोगों ने मिल कर रेप किया था  और उसी के बाद इस लड़की का जन्म हुआ है…

‘‘भले ही वह तुम से जाति में ऊंची है, पर उस से क्या… है तो वे नाजायज ही न,’’ केशव के पिता की आवाज में उस के सभी घर वालों की भी आवाज शामिल लग रही थी, क्योंकि सभी लोग केशव को नफरत भरी नजरों से देख रहे थे.

अगले ही दिन इन दोनों की बातें ही लोगों की जुबान पर थीं और सब लोग इसे एक बेमेल जोड़ी और समाज को तोड़ने वाली कोशिश बता रहे थे.

आननफानन ही ब्राह्मण सभा बुलाई गई और यह फैसला लिया गया कि किसी दलित द्वारा एक अबला सवर्ण लड़की के शील को भंग कर के उस से ब्याह रचा कर सारी ब्राह्मण कौम को बदनाम करने की साजिश है यह… उसे सजा तो जरूर मिलनी चाहिए.’’

कसबे में मीडिया की चहलपहल अचानक से बढ़ गई थी और चुनावी बारिश वाले नेता भी मैदान में उतर आए थे.

कसबे में अचानक ही एक अजीब सा तनाव वाला माहौल बन गया था. अगले ही दिन भरी दोपहर में केशव की दुकान धूधू कर के जलती हुई देखी जा सकती थी.

उधर मालती के घर में भी आपसी रिश्तों में आग लगी हुई थी और पूरा महल्ला मालती और उस के परिवार की थूथू कर रहा था.

‘‘क्या… मेरी यह सजा है कि मेरी मां के साथ रेप हुआ है. अब तक मैं ने रेप का दंश झेला और बदनामी सही. अब उस के बाद यह दंश मुझे भी दुख देता रहेगा.

अगर किसी औरत के साथ रेप होना गलत है, तो सजा उसे नहीं, बल्कि बलात्कारियों को मिलनी चाहिए, जिन्होंने यह घिनौना अपराध किया है. मालती अपने घर में चीख रही थी.

तभी उस के घर के दरवाजे पर दस्तक हुई. मालती के पिता ने दरवाजा खोला, सामने मुंह पर कपड़ा बांधे दो लंबेचौड़े लोग खड़े थे, वे किस जाति के थे, ये कहना मुश्किल था कि किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, सिर्फ उन की आंखें ही देखी जा सकती थीं. वे आंखें मालती को ढूंढ़ रही थीं. मालती ने खतरा भांप लिया और पीछे के दरवाजे से भाग निकली. वे दोनों लठैत उस के पीछे दौड़ रहे थे.

मालती दौड़तेदौड़ते बुरी तरह थक गई थी, अचानक उस के पैर से एक पत्थर टकराया और वह गिर गई. उस के पेट के निचले हिस्से से खून की धार फूट पड़ी थी. इस से पहले कि वह कुछ समझ पाती, मालती के सिर पर लाठियां बरसने लगी थीं. उस की आंखें मुंद गई थीं. मालती की आंखें फिर कभी खुल नहीं सकीं.

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‘‘पर पिताजी… वे मेरी सब बातें जानते हुए भी मुझ से ब्याह रचाने को तैयार हैं,’’ मालती ने डरते हुए कहा.

‘‘क्या… सबकुछ जानता है…? क्या सबकुछ…? यही न कि तुम्हारे अंदर एक ठाकुर का खून दौड़ रहा है… और कुछ नहीं जानता वह…

‘‘मालती, तुम नहीं जानती कि ये निचली जाति के लड़के एक साजिश के तहत अच्छे घर की लड़कियों को फंसाते हैं और फिर उन के घरपरिवार पर

अपना दबदबा भी जमाते हैं,’’ मालती के पिता ने कहा.

‘‘और हां दीदी… अगर तुम से अकेले नहीं रहा जा रहा था, तो कोई और लड़का ढूंढ़ लिया होता, तुम्हें वही लाशें जलाने वाला डोम ही मिला,’’ अब तक चुप मालती के भाई ने कहा.

मालती को अपने छोटे भाई के मुंह से ऐसी बातें सुनने की उम्मीद नहीं थी. वह अब और सुन पाने की हालत में नहीं थी. वह वहां से अपने कमरे में भाग गई थी.

जब केशव ने अपने घर में मालती से ब्याह रचाने की बात कही, तो उस के घर में भी वही हुआ, जिस की उम्मीद कभी उस ने नहीं की थी.

‘‘क्या…? पूरी बिरादरी में तुम्हें कोई और लड़की नहीं मिली, जो उस लड़की से शादी करोगे तुम…

‘‘अरे, तुम्हें पता भी है कि इतने सालों तक उस की शादी क्यों नहीं हुई… क्योंकि वह नाजायज… उस का असली बाप कौन है, किसी को नहीं पता,’’ केशव के पिताजी चीख रहे थे.

‘‘पता है न तुम्हें कि उस की मां का कई लोगों ने मिल कर रेप किया था  और उसी के बाद इस लड़की का जन्म हुआ है…

‘‘भले ही वह तुम से जाति में ऊंची है, पर उस से क्या… है तो वे नाजायज ही न,’’ केशव के पिता की आवाज में उस के सभी घर वालों की भी आवाज शामिल लग रही थी, क्योंकि सभी लोग केशव को नफरत भरी नजरों से देख रहे थे.

अगले ही दिन इन दोनों की बातें ही लोगों की जुबान पर थीं और सब लोग इसे एक बेमेल जोड़ी और समाज को तोड़ने वाली कोशिश बता रहे थे.

आननफानन ही ब्राह्मण सभा बुलाई गई और यह फैसला लिया गया कि किसी दलित द्वारा एक अबला सवर्ण लड़की के शील को भंग कर के उस से ब्याह रचा कर सारी ब्राह्मण कौम को बदनाम करने की साजिश है यह… उसे सजा तो जरूर मिलनी चाहिए.’’

कसबे में मीडिया की चहलपहल अचानक से बढ़ गई थी और चुनावी बारिश वाले नेता भी मैदान में उतर आए थे.

कसबे में अचानक ही एक अजीब सा तनाव वाला माहौल बन गया था. अगले ही दिन भरी दोपहर में केशव की दुकान धूधू कर के जलती हुई देखी जा सकती थी.

उधर मालती के घर में भी आपसी रिश्तों में आग लगी हुई थी और पूरा महल्ला मालती और उस के परिवार की थूथू कर रहा था.

‘‘क्या… मेरी यह सजा है कि मेरी मां के साथ रेप हुआ है. अब तक मैं ने रेप का दंश झेला और बदनामी सही. अब उस के बाद यह दंश मुझे भी दुख देता रहेगा.

अगर किसी औरत के साथ रेप होना गलत है, तो सजा उसे नहीं, बल्कि बलात्कारियों को मिलनी चाहिए, जिन्होंने यह घिनौना अपराध किया है. मालती अपने घर में चीख रही थी.

तभी उस के घर के दरवाजे पर दस्तक हुई. मालती के पिता ने दरवाजा खोला, सामने मुंह पर कपड़ा बांधे दो लंबेचौड़े लोग खड़े थे, वे किस जाति के थे, ये कहना मुश्किल था कि किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, सिर्फ उन की आंखें ही देखी जा सकती थीं. वे आंखें मालती को ढूंढ़ रही थीं. मालती ने खतरा भांप लिया और पीछे के दरवाजे से भाग निकली. वे दोनों लठैत उस के पीछे दौड़ रहे थे.

मालती दौड़तेदौड़ते बुरी तरह थक गई थी, अचानक उस के पैर से एक पत्थर टकराया और वह गिर गई. उस के पेट के निचले हिस्से से खून की धार फूट पड़ी थी. इस से पहले कि वह कुछ समझ पाती, मालती के सिर पर लाठियां बरसने लगी थीं. उस की आंखें मुंद गई थीं. मालती की आंखें फिर कभी खुल नहीं सकीं.

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September 20, 2021 at 10:00AM

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