Wednesday 29 September 2021

लौकडाउन और अपराध : भाग 1

लेखक-नीरज कुमार मिश्रा

कोरोना माहमारी का असर जब कम हुआ तो जनजीवन फिर से सामान्य होने लगा, लोग औफिस जाने लगे, मार्केट पहले की तरह सजने लगी थी, और तो और अब प्रेमी भी एकदूसरे से बेरोकटोक मिलने लगे. कोरोना को रोकने के लिए किए गए लौकडाउन ने कोरोना की रोकथाम करने में कोई मदद की हो या न की हो, पर इस लौकडाउन के बाद बेरोजगारी को कितना बढ़ा दिया था, इस का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है.

पर हम सभी को इस पेट की आग बु झाने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ता है. लौकडाउन के समय हमारी कहानी के बेरोजगार नौजवानों ने अपना पेट भरने के लिए जो रास्ता चुना, वह उन की नजरों में भले सही हो, पर समाज की नजरों में गलत है. एक महल्ले में रहने वाले 4 लड़के जीत सिंह, रमेश, दिलावर और विवेक कुमार अलगअलग जगहों पर नौकरी करते थे और कोरोना संकट के समय इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था और अब ये इधरउधर भटक रहे थे. इन के लिए अपने छोटेमोटे खर्चे निकालना भी मुश्किल हो रहा था.

‘‘इस कोरोना को भी हमारी जिंदगी में ही आना था क्या…? अच्छीखासी जिंदगी कट रही थी… अब हम क्या करेंगे… नौकरियों की कमी हो गई है, अब हम अपना खर्चा कैसे चलाएं?’’ दिलावर ने अपना गुस्सा सड़क पर पड़े एक कैन पर लात मार कर निकाला. ‘‘ऐसे समय में मु झे तो नहीं लगता कि हालफिलहाल हमें कोई नौकरी देगा, इसलिए हमें कुछ सोचना पड़ेगा. और वैसे भी देखो भाई, पैसा ही पैसे को खींचता है ये कहावत है तो पुरानी, पर अब भी फिट बैठती है,’’ जीत सिंह ने कहा.

‘‘मतलब क्या है तेरा?’’ दिलावर बोला. ‘‘मतलब यह है दोस्त कि अगर हमें कुछ कमाना है तो पहले कुछ इंवैस्ट करना होगा, उस के बाद ही कमाई हो सकेगी.’’ ‘‘अरे यार… क्यों मजाक करते हो… इंवैस्ट करने के लिए पैसे होते तो हम भला कोई धंधा ही न कर लेते,’’ रमेश ने कहा.

‘‘अरे नहीं यारो, तुम लोग मत घबराओ. मैं कोई बहुत बड़ा इंवैस्ट करने की बात नहीं कर रहा हूं, बस तुम लोगों को बढि़या वाली एक पुलिस की वरदी बनवानी होगी… या फिर किराए पर लेनी होगी, फिर देखो कमाई कैसे होती है,’’ दिलावर ने अपने आंखें बड़ी करते हुए कहा.

‘‘चल हट… उस के बाद क्या हम सड़कों पर खड़े हो कर गाडि़यों का चालान काटेंगे?’’ जीत सिंह ने गुस्सा दिखाया. ‘‘अरे, तुम लोग हां तो करो, फिर मैं प्लान बताता हूं,’’ दिलावर अब अपनेआप को गैंग का मुखिया सम झने लगा था. जब बाकी दोस्तों ने अनमने मन से हां कर दी, तो दिलावर ने सब को अपना प्लान बताया.

दिलावर का प्लान सुन कर बाकी के लोग बहुत खुश तो नहीं हुए, पर शायद सभी उस प्लान पर अमल करने को तैयार तो हो ही गए थे. और वैसे भी अब उन के पास और कोई चारा भी तो नहीं था. हर एक शहर के बाहर कुछ ऐसे बागबगीचे, पुराने स्मारक या खाली पड़े हुए स्कूल की बिल्डिंग जरूर होती हैं, जहां प्रेमी जोड़े छिपछिप कर मिलते हैं, खातेपीते हैं और मन की बातें करते हैं, तो कुछ प्रेमी जोड़े ऐसी जगहों को अपनी काम वासना पूरी करने का साधन भी बना लेते हैं.

ऐसा ही एक प्रेमी जोड़ा इस खंडहर की ओर दुनिया की नजरों से अपनेआप को बचाए हुए आगे बढ़ रहा था. खंडहर में एक माकूल जगह देख कर वे एकदूसरे को किस करने लगे और थोड़ी ही देर में वे दोनों एकदूसरे के कपड़े उतार कर  जिस्मानी संबंध बनाने में मस्त होने लगे. वे इस बात से अनजान थे कि कई जोड़ी आंखें और एक कैमरा उन्हें लगातार देखे जा रहा है.

अभी उन प्रेमियों की काम यात्रा बीच में ही थी कि खंडहर की दीवार के पीछे से अचानक से दिलावर और उस के साथी निकल पड़े. वे चारों पुलिस की वरदी में थे और कोई भी उन्हें  देख कर यह साबित नहीं कर सकता था कि वे असली पुलिस वाले नहीं हैं.

दिलावर उन प्रेमियों पर अपनी वरदी का रोब दिखाते हुए बोला, ‘‘तुम दोनों जो कर रहे हो, वह बाद में निबटाते रहना… अभी जो हम लोग कह रहे हैं, उस को सुनो… इस कैमरे में तुम लोगों की सारी करतूतें कैद हो गई हैं. अगर हम लोग चाहें तो एक मिनट में यह वीडियो इंटरनैट पर वायरल हो जाएगा और तुम लोग किसी को भी मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे.’’

वह प्रेमी जोड़ा बिना कपड़ों में था और अपने सामने पुलिस देख कर इतना घबरा गया था कि असली पुलिस और नकली पुलिस के बारे में फर्क कर पाने की बात तो उन के दिमाग में दूरदूर तक नहीं आ रही थी. हालांकि, आम जनता को भी असली और नकली पुलिस या असली और नकली वरदी का भेद करना आना चाहिए, पर भला जब मन में ही चोर हो तो ऐसी बातें दिमाग में नहीं आतीं.

‘‘चलो… थाने ले कर चलो इन्हें… वहीं इन के मांबाप को बुलाएंगे और इन की करतूत बताएंगे. और यह वीडियो भी दिखाएंगे,’’ जीत सिंह बोला. ‘‘नहीं भैयाजी, ऐसा मत करना… नहीं तो हमारी बहुत बदनामी हो जाएगी,’’ लड़के ने कपड़े पहनते हुए कहा.

‘‘तो ठीक है… अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारे मांबाप तक यह बात न पहुंचे और यह वीडियो इंटरनैट पर लीक न हो, तो आज शाम तक 2 लाख रुपए हमें दे दो नहीं तो यह वीडियो वायरल तो होगा ही, साथ में इस लड़की के घर वालों को भी भेज दे देंगे.

‘‘ठीक है… भैयाजी… हमें जाने दो… हम शाम तक पैसे ले आ कर आप को दे देंगे,’’ प्रेमी हाथ जोड़ कर बोला. ‘‘ओह हो… लड़का तो बड़ा सयाना लग रहा है… तुम क्या हमें बेवकूफ सम झते हो. तुम दोनों में से यह लड़की जा कर पैसे का इंतजाम करेगी और तुम हमारे पास ही रुकना. अगर शाम को

6 बजे तक पैसा नहीं आया, तो इस लड़के की लाश मिलेगी तुम को… सम झ गई?’’ दिलावर बोला. यह कह कर उन लोगों ने लड़के को बांध दिया और लड़की को जाने दिया. ‘‘तुम्हें क्या लगता है दिलावर, क्या यह लड़की वापस आएगी?’’ रमेश ने शक जाहिर किया.

‘‘अबे भाई… आई तो ठीक है… नहीं आई… तो कोई और शिकार देखा जाएगा,’’ दिलावर ने अपनी आंखों को सिकोड़ते हुए कहा.

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लेखक-नीरज कुमार मिश्रा

कोरोना माहमारी का असर जब कम हुआ तो जनजीवन फिर से सामान्य होने लगा, लोग औफिस जाने लगे, मार्केट पहले की तरह सजने लगी थी, और तो और अब प्रेमी भी एकदूसरे से बेरोकटोक मिलने लगे. कोरोना को रोकने के लिए किए गए लौकडाउन ने कोरोना की रोकथाम करने में कोई मदद की हो या न की हो, पर इस लौकडाउन के बाद बेरोजगारी को कितना बढ़ा दिया था, इस का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है.

पर हम सभी को इस पेट की आग बु झाने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ता है. लौकडाउन के समय हमारी कहानी के बेरोजगार नौजवानों ने अपना पेट भरने के लिए जो रास्ता चुना, वह उन की नजरों में भले सही हो, पर समाज की नजरों में गलत है. एक महल्ले में रहने वाले 4 लड़के जीत सिंह, रमेश, दिलावर और विवेक कुमार अलगअलग जगहों पर नौकरी करते थे और कोरोना संकट के समय इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था और अब ये इधरउधर भटक रहे थे. इन के लिए अपने छोटेमोटे खर्चे निकालना भी मुश्किल हो रहा था.

‘‘इस कोरोना को भी हमारी जिंदगी में ही आना था क्या…? अच्छीखासी जिंदगी कट रही थी… अब हम क्या करेंगे… नौकरियों की कमी हो गई है, अब हम अपना खर्चा कैसे चलाएं?’’ दिलावर ने अपना गुस्सा सड़क पर पड़े एक कैन पर लात मार कर निकाला. ‘‘ऐसे समय में मु झे तो नहीं लगता कि हालफिलहाल हमें कोई नौकरी देगा, इसलिए हमें कुछ सोचना पड़ेगा. और वैसे भी देखो भाई, पैसा ही पैसे को खींचता है ये कहावत है तो पुरानी, पर अब भी फिट बैठती है,’’ जीत सिंह ने कहा.

‘‘मतलब क्या है तेरा?’’ दिलावर बोला. ‘‘मतलब यह है दोस्त कि अगर हमें कुछ कमाना है तो पहले कुछ इंवैस्ट करना होगा, उस के बाद ही कमाई हो सकेगी.’’ ‘‘अरे यार… क्यों मजाक करते हो… इंवैस्ट करने के लिए पैसे होते तो हम भला कोई धंधा ही न कर लेते,’’ रमेश ने कहा.

‘‘अरे नहीं यारो, तुम लोग मत घबराओ. मैं कोई बहुत बड़ा इंवैस्ट करने की बात नहीं कर रहा हूं, बस तुम लोगों को बढि़या वाली एक पुलिस की वरदी बनवानी होगी… या फिर किराए पर लेनी होगी, फिर देखो कमाई कैसे होती है,’’ दिलावर ने अपने आंखें बड़ी करते हुए कहा.

‘‘चल हट… उस के बाद क्या हम सड़कों पर खड़े हो कर गाडि़यों का चालान काटेंगे?’’ जीत सिंह ने गुस्सा दिखाया. ‘‘अरे, तुम लोग हां तो करो, फिर मैं प्लान बताता हूं,’’ दिलावर अब अपनेआप को गैंग का मुखिया सम झने लगा था. जब बाकी दोस्तों ने अनमने मन से हां कर दी, तो दिलावर ने सब को अपना प्लान बताया.

दिलावर का प्लान सुन कर बाकी के लोग बहुत खुश तो नहीं हुए, पर शायद सभी उस प्लान पर अमल करने को तैयार तो हो ही गए थे. और वैसे भी अब उन के पास और कोई चारा भी तो नहीं था. हर एक शहर के बाहर कुछ ऐसे बागबगीचे, पुराने स्मारक या खाली पड़े हुए स्कूल की बिल्डिंग जरूर होती हैं, जहां प्रेमी जोड़े छिपछिप कर मिलते हैं, खातेपीते हैं और मन की बातें करते हैं, तो कुछ प्रेमी जोड़े ऐसी जगहों को अपनी काम वासना पूरी करने का साधन भी बना लेते हैं.

ऐसा ही एक प्रेमी जोड़ा इस खंडहर की ओर दुनिया की नजरों से अपनेआप को बचाए हुए आगे बढ़ रहा था. खंडहर में एक माकूल जगह देख कर वे एकदूसरे को किस करने लगे और थोड़ी ही देर में वे दोनों एकदूसरे के कपड़े उतार कर  जिस्मानी संबंध बनाने में मस्त होने लगे. वे इस बात से अनजान थे कि कई जोड़ी आंखें और एक कैमरा उन्हें लगातार देखे जा रहा है.

अभी उन प्रेमियों की काम यात्रा बीच में ही थी कि खंडहर की दीवार के पीछे से अचानक से दिलावर और उस के साथी निकल पड़े. वे चारों पुलिस की वरदी में थे और कोई भी उन्हें  देख कर यह साबित नहीं कर सकता था कि वे असली पुलिस वाले नहीं हैं.

दिलावर उन प्रेमियों पर अपनी वरदी का रोब दिखाते हुए बोला, ‘‘तुम दोनों जो कर रहे हो, वह बाद में निबटाते रहना… अभी जो हम लोग कह रहे हैं, उस को सुनो… इस कैमरे में तुम लोगों की सारी करतूतें कैद हो गई हैं. अगर हम लोग चाहें तो एक मिनट में यह वीडियो इंटरनैट पर वायरल हो जाएगा और तुम लोग किसी को भी मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे.’’

वह प्रेमी जोड़ा बिना कपड़ों में था और अपने सामने पुलिस देख कर इतना घबरा गया था कि असली पुलिस और नकली पुलिस के बारे में फर्क कर पाने की बात तो उन के दिमाग में दूरदूर तक नहीं आ रही थी. हालांकि, आम जनता को भी असली और नकली पुलिस या असली और नकली वरदी का भेद करना आना चाहिए, पर भला जब मन में ही चोर हो तो ऐसी बातें दिमाग में नहीं आतीं.

‘‘चलो… थाने ले कर चलो इन्हें… वहीं इन के मांबाप को बुलाएंगे और इन की करतूत बताएंगे. और यह वीडियो भी दिखाएंगे,’’ जीत सिंह बोला. ‘‘नहीं भैयाजी, ऐसा मत करना… नहीं तो हमारी बहुत बदनामी हो जाएगी,’’ लड़के ने कपड़े पहनते हुए कहा.

‘‘तो ठीक है… अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारे मांबाप तक यह बात न पहुंचे और यह वीडियो इंटरनैट पर लीक न हो, तो आज शाम तक 2 लाख रुपए हमें दे दो नहीं तो यह वीडियो वायरल तो होगा ही, साथ में इस लड़की के घर वालों को भी भेज दे देंगे.

‘‘ठीक है… भैयाजी… हमें जाने दो… हम शाम तक पैसे ले आ कर आप को दे देंगे,’’ प्रेमी हाथ जोड़ कर बोला. ‘‘ओह हो… लड़का तो बड़ा सयाना लग रहा है… तुम क्या हमें बेवकूफ सम झते हो. तुम दोनों में से यह लड़की जा कर पैसे का इंतजाम करेगी और तुम हमारे पास ही रुकना. अगर शाम को

6 बजे तक पैसा नहीं आया, तो इस लड़के की लाश मिलेगी तुम को… सम झ गई?’’ दिलावर बोला. यह कह कर उन लोगों ने लड़के को बांध दिया और लड़की को जाने दिया. ‘‘तुम्हें क्या लगता है दिलावर, क्या यह लड़की वापस आएगी?’’ रमेश ने शक जाहिर किया.

‘‘अबे भाई… आई तो ठीक है… नहीं आई… तो कोई और शिकार देखा जाएगा,’’ दिलावर ने अपनी आंखों को सिकोड़ते हुए कहा.

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September 30, 2021 at 10:00AM

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