Tuesday 23 November 2021

अच्छे लोग : भाग 5

प्रेम विवाह में जीवन की कठिनाइयां बाद में दिखाई देती हैं. मातापिता की सहमति से तय वैवाहिक संबंधों में कठिनाइयों को दूर करने के रास्ते तलाशे जा सकते हैं, लेकिन प्रेम विवाह में पतिपत्नी ही इन्हें दूर कर सकते हैं. कोई और रिश्तेदार उन के बीच में नहीं आता. अब तुम सोचो, तुम्हें क्या करना है?’’

अखिला मानसिक रूप से परेशान थी. वह समझती थी कि लड़ाईझगड़े से मामले सुलझ जाते हैं और पुलिस में रिपोर्ट लिखाने से तलाक मिल जाता है. यहां तो मामला ही उलटा पड़ गया था. उस की सारी गोटियां उलटी पड़ गई थीं. कुछ भी आसान नहीं लग रहा था. कोर्ट में मामला पता नहीं कितने दिन तक  चलेगा? तब तक वह बूढ़ी नहीं हो जाएगी? उस का प्रेमी कब तक उस का इंतजार करेगा? वह समझती थी, ढकाछिपा रहेगा और घरेलू हिंसा की आड़ में उसे तलाक मिल जाएगा. परंतु उस की सारी पोल खुल गई थी.

अब अगर वह अपने मामले को वापस ले लेती है, तब भी प्रियांशु से तलाश लेने का उस के पास कोई आधार नहीं बनता? उस का मामला झूठ साबित हो गया था. मांगने से क्या प्रियांशु उसे तलाक देगा? उसे और उस के मातापिता को जेल भिजवा कर उस ने अच्छा तो नहीं किया था, परंतु यही बात उस के पक्ष में जाती थी. उस के कर्म का देखते हुए शायद वह उसे तलाक दे दे. प्रियांशु उस के साथ बाकी जीवन क्यों व्यतीत करेगा? क्या उसे माफ कर देगा? फिर भी, उसे अभी भी आशा की किरण नजर आ रही थी.

उस की मानसिक स्थिति कुछ ऐसी थी कि वह सही निर्णय नहीं ले पा रही थी. उस ने पापा से कहा, ‘‘इतना सब होने के बाद क्या मैं प्रियांशु के साथ सामान्य जीवन व्यतीत कर पाऊंगी.’’‘‘लगता तो नहीं है, परंतु अगर तुम स्वयं को सुधार सकती हो, तो मैं समझता हूं कि रमाकांतजी का परिवार तुम्हें माफ  कर देगा. वे बहुत अच्छे लोग हैं.’’

वह सोच में पड़ गई, फिर बोली, ‘‘अगर वे मुझे तलाक दे दें?’’अवनीश ने आंखें चौड़ी कर उसे देखा, ‘‘प्रेम का भूत अभी तक तुम्हारे सिर से नहीं उतरा.’’‘‘पापा, आप ने शादी के पहले मेरी कोई बात नहीं सुनी, इसीलिए मुझे इतना प्रपंच करना पड़ा. अब मेरी सुन लीजिए, शायद बात बन जाए. मुझे नहीं लगता कि मैं प्रियांशु के साथ खुश रहूंगी. मैं ने उसे इतना कष्ट दिया है, उस के मांबाप को जेल भिजवाया है. ऊपर से भले कुछ न कहें, परंतु अंदर से कभी माफ नहीं करेंगे.’’

‘‘तुम नहीं सुधरोगी,’’ अवनीश गुस्से से उठ कर अपने कमरे में चले गए. अखिला की मम्मी की समझ में नहीं आ रहा था, कैसी बेटी उन्होंने जनी थी. वह अंदर ही अंदर गुस्से से उफन रही थी, परंतु कुछ करने की स्थिति में नहीं थी. बेटी उसे अपनी सब से बड़ी दुश्मन लग रही थी.घर का माहौल बहुत विषैला हो गया था.

अवनीश अपनी बेटी के कृत्य से बहुत दुखी थे. वे अकेले ही रमाकांत के घर गए. सब के सामने उन्होंने हताश स्वर में कहा, ‘‘रमाकांत भाई, बुजुर्ग सही कह गए हैं, आदमी अपनी औलाद से हार जाता है. मैं हार गया, अखिला को समझाना कुदरत के भी वश में नहीं है.’’‘‘क्या चाहती है वह?’’ रमाकांत ने स्पष्ट रूप से पूछा.

‘‘किसी भी तरह प्रियांशु से तलाक चाहती है.’’कुछ पल के लिए सब के बीच डरावना सन्नाटा पसरा रहा. इस सन्नाटे के बीच, बस, सब के दिल धडक़ रहे थे और सांसों की सरसराहट इस बात का यकीन दिला रही थी कि सभी जिंदा थे.

रमाकांत का दिल पहले से ही चकनाचूर था. अखिला के अंतिम निर्णय से पारिवारिक जीवन के सुखचैन की अंतिम किरण भी बुझ गई थी. मरे से स्वर में उन्होंने कहा, ‘‘अब भी अगर वह नहीं सुधरना चाहती तो कोई कुछ नहीं कर सकता. उसे आग से खेलने का शौक है, तो अंगारे खाती रहे. बस, हमें छुटकारा दे दे. हमारी तरफ से कोई अड़चन नहीं है. हम संबंधविच्छेद कर लेंगे.’’‘‘नहीं पापा,’’ अचानक प्रियांशु की गंभीर आवाज गूंजी.‘‘क्यों?’’ रमाकांत के मुंह से निकला.

‘‘क्योंकि ऐसी झूठी और फरेबी लड़कियों को सबक सिखाना बहुत आवश्यक है. विवाह एक सोचासमझा बंधन माना जाता है. सुखी दांपत्य जीवन एक अच्छे परिवार व समाज की सुदृढ़ नींव बनता है. हम अखिला जैसी लड़कियों के ओछे व्यवहार से विवाह जैसी संस्था को नष्ट नहीं कर सकते. उसे यह बताना जरूरी है कि वैवाहिक संबंधों को बिना कारण तोडऩा इतना आसान नहीं है कि वह आजाद हो कर अपने प्रेमी से शादी कर ले. मैं ऐसा नहीं होने दूंगा.’’

‘‘बेटा, यह क्या कह रहे हो तुम?’’ अखिला हमारे साथ नहीं रहना चाहती है, तो हम क्यों उस की राह का रोड़ा बनें? इस से हमें भी परेशानी होगी.’’‘‘परेशानी तो होगी, परंतु उस की राह का रोड़ा बने बिना उसे सुधारा भी नहीं जा सकता. वह बेवकूफ है. उस ने मेरे साथ ब्याह किया है. फिर भी दांपत्य जीवन में आग लगा कर वह प्रेमी के साथ घर बसाने के सपने देख रही है. सो, उसे समझना होगा, यह इतना आसान नहीं है. तलाक मिलने तक वह बूढ़ी हो जाएगी. हमारी न्यायिक प्रक्रिया बहुत जटिल है. तलाक लेने की प्रक्रिया तो और भी अधिक जटिल है. हमारा कानून विवाह को महत्त्व होता है, तलाक को नहीं,’’ प्रियांशु ने कहा.

‘‘इस से तो हम भी सालोंसाल कानूनी पचड़े में फंसे रहेंगे. हमारा पारिवारिक जीवन कष्टप्रद हो जाएगा,’’ रमाकांत ने कुछ सोचते हुए कहा.‘‘परंतु हम गलत परंपरा को बढ़ावा भी नहीं दे सकते. अखिला शादी के पहले कुछ भी कर लेती, परंतु एक बार वैवाहिक बंधन में बंधने के बाद उस की गलत हरकतों को हम मान्यता नहीं दे सकते. हमारे परिवार से उसे कोई तकलीफ नहीं थी, फिर भी उस ने हमें मुसीबत के जाल में फंसा दिया. इस की सजा तो उसे मिलनी ही चाहिए.

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प्रेम विवाह में जीवन की कठिनाइयां बाद में दिखाई देती हैं. मातापिता की सहमति से तय वैवाहिक संबंधों में कठिनाइयों को दूर करने के रास्ते तलाशे जा सकते हैं, लेकिन प्रेम विवाह में पतिपत्नी ही इन्हें दूर कर सकते हैं. कोई और रिश्तेदार उन के बीच में नहीं आता. अब तुम सोचो, तुम्हें क्या करना है?’’

अखिला मानसिक रूप से परेशान थी. वह समझती थी कि लड़ाईझगड़े से मामले सुलझ जाते हैं और पुलिस में रिपोर्ट लिखाने से तलाक मिल जाता है. यहां तो मामला ही उलटा पड़ गया था. उस की सारी गोटियां उलटी पड़ गई थीं. कुछ भी आसान नहीं लग रहा था. कोर्ट में मामला पता नहीं कितने दिन तक  चलेगा? तब तक वह बूढ़ी नहीं हो जाएगी? उस का प्रेमी कब तक उस का इंतजार करेगा? वह समझती थी, ढकाछिपा रहेगा और घरेलू हिंसा की आड़ में उसे तलाक मिल जाएगा. परंतु उस की सारी पोल खुल गई थी.

अब अगर वह अपने मामले को वापस ले लेती है, तब भी प्रियांशु से तलाश लेने का उस के पास कोई आधार नहीं बनता? उस का मामला झूठ साबित हो गया था. मांगने से क्या प्रियांशु उसे तलाक देगा? उसे और उस के मातापिता को जेल भिजवा कर उस ने अच्छा तो नहीं किया था, परंतु यही बात उस के पक्ष में जाती थी. उस के कर्म का देखते हुए शायद वह उसे तलाक दे दे. प्रियांशु उस के साथ बाकी जीवन क्यों व्यतीत करेगा? क्या उसे माफ कर देगा? फिर भी, उसे अभी भी आशा की किरण नजर आ रही थी.

उस की मानसिक स्थिति कुछ ऐसी थी कि वह सही निर्णय नहीं ले पा रही थी. उस ने पापा से कहा, ‘‘इतना सब होने के बाद क्या मैं प्रियांशु के साथ सामान्य जीवन व्यतीत कर पाऊंगी.’’‘‘लगता तो नहीं है, परंतु अगर तुम स्वयं को सुधार सकती हो, तो मैं समझता हूं कि रमाकांतजी का परिवार तुम्हें माफ  कर देगा. वे बहुत अच्छे लोग हैं.’’

वह सोच में पड़ गई, फिर बोली, ‘‘अगर वे मुझे तलाक दे दें?’’अवनीश ने आंखें चौड़ी कर उसे देखा, ‘‘प्रेम का भूत अभी तक तुम्हारे सिर से नहीं उतरा.’’‘‘पापा, आप ने शादी के पहले मेरी कोई बात नहीं सुनी, इसीलिए मुझे इतना प्रपंच करना पड़ा. अब मेरी सुन लीजिए, शायद बात बन जाए. मुझे नहीं लगता कि मैं प्रियांशु के साथ खुश रहूंगी. मैं ने उसे इतना कष्ट दिया है, उस के मांबाप को जेल भिजवाया है. ऊपर से भले कुछ न कहें, परंतु अंदर से कभी माफ नहीं करेंगे.’’

‘‘तुम नहीं सुधरोगी,’’ अवनीश गुस्से से उठ कर अपने कमरे में चले गए. अखिला की मम्मी की समझ में नहीं आ रहा था, कैसी बेटी उन्होंने जनी थी. वह अंदर ही अंदर गुस्से से उफन रही थी, परंतु कुछ करने की स्थिति में नहीं थी. बेटी उसे अपनी सब से बड़ी दुश्मन लग रही थी.घर का माहौल बहुत विषैला हो गया था.

अवनीश अपनी बेटी के कृत्य से बहुत दुखी थे. वे अकेले ही रमाकांत के घर गए. सब के सामने उन्होंने हताश स्वर में कहा, ‘‘रमाकांत भाई, बुजुर्ग सही कह गए हैं, आदमी अपनी औलाद से हार जाता है. मैं हार गया, अखिला को समझाना कुदरत के भी वश में नहीं है.’’‘‘क्या चाहती है वह?’’ रमाकांत ने स्पष्ट रूप से पूछा.

‘‘किसी भी तरह प्रियांशु से तलाक चाहती है.’’कुछ पल के लिए सब के बीच डरावना सन्नाटा पसरा रहा. इस सन्नाटे के बीच, बस, सब के दिल धडक़ रहे थे और सांसों की सरसराहट इस बात का यकीन दिला रही थी कि सभी जिंदा थे.

रमाकांत का दिल पहले से ही चकनाचूर था. अखिला के अंतिम निर्णय से पारिवारिक जीवन के सुखचैन की अंतिम किरण भी बुझ गई थी. मरे से स्वर में उन्होंने कहा, ‘‘अब भी अगर वह नहीं सुधरना चाहती तो कोई कुछ नहीं कर सकता. उसे आग से खेलने का शौक है, तो अंगारे खाती रहे. बस, हमें छुटकारा दे दे. हमारी तरफ से कोई अड़चन नहीं है. हम संबंधविच्छेद कर लेंगे.’’‘‘नहीं पापा,’’ अचानक प्रियांशु की गंभीर आवाज गूंजी.‘‘क्यों?’’ रमाकांत के मुंह से निकला.

‘‘क्योंकि ऐसी झूठी और फरेबी लड़कियों को सबक सिखाना बहुत आवश्यक है. विवाह एक सोचासमझा बंधन माना जाता है. सुखी दांपत्य जीवन एक अच्छे परिवार व समाज की सुदृढ़ नींव बनता है. हम अखिला जैसी लड़कियों के ओछे व्यवहार से विवाह जैसी संस्था को नष्ट नहीं कर सकते. उसे यह बताना जरूरी है कि वैवाहिक संबंधों को बिना कारण तोडऩा इतना आसान नहीं है कि वह आजाद हो कर अपने प्रेमी से शादी कर ले. मैं ऐसा नहीं होने दूंगा.’’

‘‘बेटा, यह क्या कह रहे हो तुम?’’ अखिला हमारे साथ नहीं रहना चाहती है, तो हम क्यों उस की राह का रोड़ा बनें? इस से हमें भी परेशानी होगी.’’‘‘परेशानी तो होगी, परंतु उस की राह का रोड़ा बने बिना उसे सुधारा भी नहीं जा सकता. वह बेवकूफ है. उस ने मेरे साथ ब्याह किया है. फिर भी दांपत्य जीवन में आग लगा कर वह प्रेमी के साथ घर बसाने के सपने देख रही है. सो, उसे समझना होगा, यह इतना आसान नहीं है. तलाक मिलने तक वह बूढ़ी हो जाएगी. हमारी न्यायिक प्रक्रिया बहुत जटिल है. तलाक लेने की प्रक्रिया तो और भी अधिक जटिल है. हमारा कानून विवाह को महत्त्व होता है, तलाक को नहीं,’’ प्रियांशु ने कहा.

‘‘इस से तो हम भी सालोंसाल कानूनी पचड़े में फंसे रहेंगे. हमारा पारिवारिक जीवन कष्टप्रद हो जाएगा,’’ रमाकांत ने कुछ सोचते हुए कहा.‘‘परंतु हम गलत परंपरा को बढ़ावा भी नहीं दे सकते. अखिला शादी के पहले कुछ भी कर लेती, परंतु एक बार वैवाहिक बंधन में बंधने के बाद उस की गलत हरकतों को हम मान्यता नहीं दे सकते. हमारे परिवार से उसे कोई तकलीफ नहीं थी, फिर भी उस ने हमें मुसीबत के जाल में फंसा दिया. इस की सजा तो उसे मिलनी ही चाहिए.

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November 20, 2021 at 10:00AM

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