Sunday 29 November 2020

ताऊजी डीजे लगवा दो : क्या बदली ताऊ की सोच

‘ताऊजी डीजे लगवा दो… ताऊ…’ के नारे लगाते हुए युवकों के शोर से ताऊजी की तंद्रा भंग हुई और वे उचक कर बाहर देखने लगे. बाहर का दृश्य अचंभित करने वाला था. ढोलक की ताल पर संग में हाथों में लट्ठ लिए गांव के कई युवक उन के दरवाजे पर खड़े नारे लगा रहे थे और अगुआई कर रहा था उन का अपना भतीजा कपिल, जो होने वाला दूल्हा था. हां भई, अगले महीने उस का विवाह जो था.

पंचों के पंचायती फरमानों ने युवाओं के हितों पर सदा से कुठाराघात किया है. आज समाज भले ही विकसित हो गया हो पर इन के तुगलकी फरमानों में बरसों पुरानी दकियानूसी सोच दिखती है. कभी युवतियों के कपड़ों पर आपत्ति जताएंगे तो कभी जातिधर्म के नाम पर प्रेम करने वालों को हमेशाहमेशा के लिए जुदा करते दिखेंगे.

युवाओं को कभी न भाने वाले इन के तुगलकी फरमानों की फेहरिस्त काफी लंबी है, लेकिन हाल में हरियाणा के 100 गांवों में डीजे पर लगाई गई पाबंदी युवाओं को नागवार गुजरी. इसी के विरोध में युवा नारे लगा रहे थे.

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आज शादीविवाह में डीजे का उतना ही महत्त्व है जितना बैंडबाजे, बरात का या फूलमालाओं से सजी नवविवाहित जोड़े की गाड़ी का, जयमाला या फिर लजीज खाने का, भले ही विवाह में खाने में सौ व्यंजन परोस दें, तरहतरह के स्नैक्स से ले कर चाइनीजमुगलई खाने और अंत में जातेजाते तरहतरह के हाजमिक पान का स्वाद चखने के बावजूद  युवकयुवतियों का विवाह का सारा मजा तब तक अधूरा रहता है जब तक कि उन्हें डीजे पर थिरकने का मौका न मिले.

किसी पार्टी, फंक्शन, बर्थडे, शादीविवाह की शान डीजे भले ही समारोह में एक कोने की शोभा बढ़ाता हो, लेकिन पार्टी में शिरकत करते युवकयुवतियों के लिए समारोह का मुख्य आकर्षण यही कोना रहता है. डीजे की आवाज जितनी अधिक कानफोड़ू होगी मस्ती उतनी ही अधिक होती है और उतने ही अधिक मदहोश हो कर युवकयुवतियां थिरकते हैं.

डीजे पर एक भी गाना पूरा नहीं बजाया जाता बल्कि रीमिक्स कर कई गानों की खासकर पहली लाइन ही बजाई जाती है, जिस से हर किसी का पसंदीदा गाना एकाध मिनट के अंतराल में बज ही उठता है जिस से मनोरंजन का मजा दोगुना हो जाता है. यह गाने अधिकतर लेटैस्ट और प्रचलित होते हैं.

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डीजे सिर्फ युवकयुवतियों को ही आनंदित नहीं करता बल्कि अधेड़ और बुजुर्गों में भी नया जोश भर देता है. इस की कानफोड़ू आवाज मदमस्त नाचते बूढ़ों में जवानी का संचार कर देती है वहीं जलतीबुझती लाइटों से डीजे पर थिरकने का मजा दोगुना हो जाता है और युवकयुवतियों संग उम्रदराज भी मदहोश हो कर अपने पसंदीदा गानों पर थिरक उठते हैं.

किसी यारदोस्त की शादी हो और नाचगाने का समां न बंधे, डीजे पर थिरकने को न मिले, तो मन में यही मलाल रहता है कि फलां की शादी में रूखासूखा भात खा कर आ गए. डीजे नहीं होने से न नाचगाना हुआ, न रौनक रही. दूसरी ओर डीजे पर थिरकते क्षणों की अपने कैमरे या मोबाइल द्वारा बनाई वीडियो क्लिपिंग्स सालोंसाल उस मस्ती को तरोताजा बनाए रखती हैं.

लेकिन हर पार्टीफंक्शन की शान बन चुके डीजे पर पाबंदी की बात बरदाश्त से बाहर थी. युवकयुवतियां सब बरदाश्त कर सकते हैं पर अपनी मौजमस्ती में खलल नहीं, सो वे ‘ताऊजी डीजे लगवा दो…‘ की नारेबाजी के साथ पंचों के फैसले के विरुद्ध खड़े थे.

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असमंजस में पड़े ताऊजी ने कारण पूछा तो पता चला कि वे जिस डीजे वाले को कपिल की शादी में डीजे बजाने को मना कर आए हैं वे उसी से खफा हैं.

ताऊजी ने अपनी असमर्थता जताई और बताया कि यह पाबंदी गांव के हित में है, लेकिन युवा नहीं माने. ‘अगर शादीविवाह में डीजे नहीं बजेगा तो क्या मातम पर बजेगा,’ युवाओं ने दलील दी और ‘ताऊजी डीजे…’ का पुरजोर नारा लगाया.

बात न बनती देख ताऊजी ने गांव के पंचों के पास चलने को कहा तो सभी नारे लगाते हुए सरपंच के पास जा धमके. ऐसा पहली बार हुआ था कि गांव के युवा अपने बुजुर्गों के सामने तन कर खड़े थे और डीजे पर पाबंदी हटवाने का हरसंभव प्रयत्न कर रहे थे.

सरपंच सभी को शांत करता हुआ बोला, ‘‘भई, इतने उग्र होने से अच्छा है अपनी बात बताओ?’’

बल्लू ने अपना पक्ष रखा, ‘‘सरपंचजी, अगले महीने कपिल की शादी है और हमें नाचनेगाने की भी आजादी नहीं. आप ही बताइए, शादी में डीजे न बजे और रौनक न हो तो क्या मजा आएगा भला.’’

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‘‘ओह, तो यह बात है, भाई, तुम लोग तो जानते ही हो कि हरियाणा के 100 गांवों में डीजे पर पाबंदी है, हम तुम्हें यह आजादी कैसे दे दें?’’ सरपंचजी बोले, तो उन की बात पुख्ता करते हुए एक पंच बोला, ‘‘डीजे बजने से बहुत नुकसान होता है. तुम जानते हो डीजे की कानफोड़ू आवाज से विचलित हो कर भैंसें दूध नहीं देतीं और डीजे की धमक से गर्भधारण किए भैंसों के गर्भ भी गिर रहे हैं.’’

अब झबरू ने युवाओं का पक्ष रखा, ‘‘सरपंचजी, सारा दूध हमारे ही गांव का तो नहीं पहुंचता देश में, अगर एकदिन भैंस दूध नहीं देगी तो कौन सी मुसीबत आ जाएगी. शादीब्याह तो जीवन में एक ही बार होता है वह भी इस पाबंदी के कारण दिल में मलाल रह जाए तो क्या फायदा, हमेशा यारदोस्त यही बात कहेंगे कि फलां की शादी में न डीजे बजा और न नाचगाना हुआ, बस, रूखासूखा भात खा आए. पेट तो घर में भी भरते हैं फिर शादी की पार्टी का क्या फायदा?’’

बल्लू ने साथ दिया, ‘‘और जो यह भैंसों के गर्भ गिरने की बात है यह बेकार की बात है. आज तक किसी औरत का इस से गर्भ गिरा क्या? वे भी तो डीजे पर नाचतीगाती हैं और फिर एकाध दिन गर्भधारण की भैंस को विवाह वाले घर से दूर भी तो रखा जा सकता है. हमारी खुशी पर पाबंदी क्यों?’’

अब तीसरा बोला, ‘‘भाई, बात इतनी ही नहीं है. इस से बड़ेबुजुर्गों के सिर में दर्द भी हो जाता है जिस से उन का शादी का सारा मजा किरकिरा हो जाता है. तुम लोग नाचतेगाते हो और वे खाट पर सिर बांध कर पड़े रहते हैं.’’

‘‘वाह, पंचों ने क्या नुक्ता निकाला है. भई, पहले भी तो शादियां होती थीं. महीना पहले से ही जश्न शुरू हो जाता था. आप को तब नहीं खयाल आया अपने बुजुर्गों का. हमारा समय आया तो सिरदर्द होने लगा,’’ बल्लू ने अपना पक्ष रखा.

ताऊजी बोले, ‘‘देख लो पंचो, इन्हें ऐसी बातें करते शर्म भी नहीं आती.’’

‘‘भई, ताऊजी की शर्म वाली बात से एक और बात याद आई. जब युवकयुवतियां डीजे पर नाचते हैं तो बेशर्म हो कर नाचते हैं, भौंड़ी और फूहड़ हरकतें करते हैं जो देखने में भी अच्छी नहीं लगती हैं.’’ चौथे पंच ने कहा, तो 5वां पंच उन की हां में हां मिलाता हुआ बोला, ‘‘हां भई, डीजे पर थिरकते तुम लोग सिर्फ फूहड़ हरकतें ही नहीं करते बल्कि युवतियों से छेड़छाड़ भी करते हो और अश्लील गाने चलवाते हो जो बिलकुल अच्छा नहीं लगता.’’

कपिल आक्रोश में बोला, ‘‘आप हमें नाचते देखते हो या युवतियों के कपड़े और उन के थिरकते अंगों को.’’

झबरू आगे आया और सब को शांत करता हुआ बोला, ‘‘अगर युवकयुवतियां इस उम्र में फैशनेबलकपड़े नहीं पहनेंगे तो क्या बुढ़ापे में पहनेंगे. रही बात अश्लील गानों की तो ताऊजी आप अपना समय याद करो जब आप ने मदनू काका की शादी में गाना चलवाया था, ‘चोली के पीछे क्या है… चुनरी के नीचे क्या है…’ क्या वह फूहड़ अश्लील गाना नहीं था और जो आप ने अपने साथ नाचती युवती के साथ गलत हरकत की थी, सब जानते हैं. वह अलग बात है कि आप की शादी बाद में उसी से हो गई.’’

अब सब पंचों का मुंह देखने वाला था तभी कपिल बोला, ‘‘आप सब जानते हैं कि शादी का माहौल खुशी का होता है ऐसे में युवतियां स्वयं सजधज कर डीजे की धुनों पर नाचती हैं. कोई युवक अगर उन से टकरा जाए या वह टशन मारता हुआ उन के साथ नाचने लगे तो वे आंखें तरेरती हैं. भला, आप ही बताइए युवकों का इस में क्या कुसूर है, वे तो अपने ही नशे में चूर होते हैं.’’

अब सभी पंचों के मुंह पर ताला लग गया था. थोड़ी देर वातावरण में सन्नाटा रहा. सभी पंच और बुजुर्ग आपस में विचारविमर्श करने लगे. उन के भी मन के किसी कोने में विवाह जैसे अवसर पर ठुमकने की चाह थी. फिर सन्नाटा तोड़ते हुए सरपंच बोले, ‘‘भई, हम ने आप की सब दलीलें सुन लीं. हमें आप लोगों से हमदर्दी है और हम भी चाहते हैं कि आप नाचोगाओ, जश्न मनाओ, इसलिए कुछ शर्तों पर यह पाबंदी हटाते हैं.

‘‘युवकों को ध्यान रखना होगा कि शादीविवाह वाले घर के आसपास के घरों से सहमति ले कर ही डीजे लगवाएं. देर रात तक डीजे न बजे और कोई फूहड़ता या छेड़छाड़ की घटना न हो.’’

सरपंच की बात खत्म भी नहीं हुई थी कि युवक एकसाथ बोल पड़े, ‘‘हुर्रे… हमें आप की शर्तें मंजूर हैं पर डीजे तो बजेगा ही…’’

‘‘चलो, ताऊजी अपने घर और जातेजाते डीजे वाले को भी और्डर दे दो डीजे लगाने का,’’ कपिल ने कहा तो सभी युवक ताऊजी को साथ ले वापस चल दिए. पार्श्व में उन की ‘‘हुर्रे… पार्टी यों ही चालेगी… डीजे यों ही बाजेगा…’’ की आवाजें गूंज रही थीं और पंच भी खुश थे कि उन्होंने बीच का रास्ता निकाल कर युवकों के साथसाथ अपने मनबहलाव का रास्ता भी खोज लिया था.

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‘ताऊजी डीजे लगवा दो… ताऊ…’ के नारे लगाते हुए युवकों के शोर से ताऊजी की तंद्रा भंग हुई और वे उचक कर बाहर देखने लगे. बाहर का दृश्य अचंभित करने वाला था. ढोलक की ताल पर संग में हाथों में लट्ठ लिए गांव के कई युवक उन के दरवाजे पर खड़े नारे लगा रहे थे और अगुआई कर रहा था उन का अपना भतीजा कपिल, जो होने वाला दूल्हा था. हां भई, अगले महीने उस का विवाह जो था.

पंचों के पंचायती फरमानों ने युवाओं के हितों पर सदा से कुठाराघात किया है. आज समाज भले ही विकसित हो गया हो पर इन के तुगलकी फरमानों में बरसों पुरानी दकियानूसी सोच दिखती है. कभी युवतियों के कपड़ों पर आपत्ति जताएंगे तो कभी जातिधर्म के नाम पर प्रेम करने वालों को हमेशाहमेशा के लिए जुदा करते दिखेंगे.

युवाओं को कभी न भाने वाले इन के तुगलकी फरमानों की फेहरिस्त काफी लंबी है, लेकिन हाल में हरियाणा के 100 गांवों में डीजे पर लगाई गई पाबंदी युवाओं को नागवार गुजरी. इसी के विरोध में युवा नारे लगा रहे थे.

ये भी पढ़ें- सुख का संसार-भाग 3 : शिल्पी ने कैसे पूरा किया अपना कर्तव्य

आज शादीविवाह में डीजे का उतना ही महत्त्व है जितना बैंडबाजे, बरात का या फूलमालाओं से सजी नवविवाहित जोड़े की गाड़ी का, जयमाला या फिर लजीज खाने का, भले ही विवाह में खाने में सौ व्यंजन परोस दें, तरहतरह के स्नैक्स से ले कर चाइनीजमुगलई खाने और अंत में जातेजाते तरहतरह के हाजमिक पान का स्वाद चखने के बावजूद  युवकयुवतियों का विवाह का सारा मजा तब तक अधूरा रहता है जब तक कि उन्हें डीजे पर थिरकने का मौका न मिले.

किसी पार्टी, फंक्शन, बर्थडे, शादीविवाह की शान डीजे भले ही समारोह में एक कोने की शोभा बढ़ाता हो, लेकिन पार्टी में शिरकत करते युवकयुवतियों के लिए समारोह का मुख्य आकर्षण यही कोना रहता है. डीजे की आवाज जितनी अधिक कानफोड़ू होगी मस्ती उतनी ही अधिक होती है और उतने ही अधिक मदहोश हो कर युवकयुवतियां थिरकते हैं.

डीजे पर एक भी गाना पूरा नहीं बजाया जाता बल्कि रीमिक्स कर कई गानों की खासकर पहली लाइन ही बजाई जाती है, जिस से हर किसी का पसंदीदा गाना एकाध मिनट के अंतराल में बज ही उठता है जिस से मनोरंजन का मजा दोगुना हो जाता है. यह गाने अधिकतर लेटैस्ट और प्रचलित होते हैं.

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डीजे सिर्फ युवकयुवतियों को ही आनंदित नहीं करता बल्कि अधेड़ और बुजुर्गों में भी नया जोश भर देता है. इस की कानफोड़ू आवाज मदमस्त नाचते बूढ़ों में जवानी का संचार कर देती है वहीं जलतीबुझती लाइटों से डीजे पर थिरकने का मजा दोगुना हो जाता है और युवकयुवतियों संग उम्रदराज भी मदहोश हो कर अपने पसंदीदा गानों पर थिरक उठते हैं.

किसी यारदोस्त की शादी हो और नाचगाने का समां न बंधे, डीजे पर थिरकने को न मिले, तो मन में यही मलाल रहता है कि फलां की शादी में रूखासूखा भात खा कर आ गए. डीजे नहीं होने से न नाचगाना हुआ, न रौनक रही. दूसरी ओर डीजे पर थिरकते क्षणों की अपने कैमरे या मोबाइल द्वारा बनाई वीडियो क्लिपिंग्स सालोंसाल उस मस्ती को तरोताजा बनाए रखती हैं.

लेकिन हर पार्टीफंक्शन की शान बन चुके डीजे पर पाबंदी की बात बरदाश्त से बाहर थी. युवकयुवतियां सब बरदाश्त कर सकते हैं पर अपनी मौजमस्ती में खलल नहीं, सो वे ‘ताऊजी डीजे लगवा दो…‘ की नारेबाजी के साथ पंचों के फैसले के विरुद्ध खड़े थे.

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असमंजस में पड़े ताऊजी ने कारण पूछा तो पता चला कि वे जिस डीजे वाले को कपिल की शादी में डीजे बजाने को मना कर आए हैं वे उसी से खफा हैं.

ताऊजी ने अपनी असमर्थता जताई और बताया कि यह पाबंदी गांव के हित में है, लेकिन युवा नहीं माने. ‘अगर शादीविवाह में डीजे नहीं बजेगा तो क्या मातम पर बजेगा,’ युवाओं ने दलील दी और ‘ताऊजी डीजे…’ का पुरजोर नारा लगाया.

बात न बनती देख ताऊजी ने गांव के पंचों के पास चलने को कहा तो सभी नारे लगाते हुए सरपंच के पास जा धमके. ऐसा पहली बार हुआ था कि गांव के युवा अपने बुजुर्गों के सामने तन कर खड़े थे और डीजे पर पाबंदी हटवाने का हरसंभव प्रयत्न कर रहे थे.

सरपंच सभी को शांत करता हुआ बोला, ‘‘भई, इतने उग्र होने से अच्छा है अपनी बात बताओ?’’

बल्लू ने अपना पक्ष रखा, ‘‘सरपंचजी, अगले महीने कपिल की शादी है और हमें नाचनेगाने की भी आजादी नहीं. आप ही बताइए, शादी में डीजे न बजे और रौनक न हो तो क्या मजा आएगा भला.’’

ये भी पढ़ें- सुख का संसार-भाग 1 : शिल्पी ने कैसे पूरा किया अपना कर्तव्य

‘‘ओह, तो यह बात है, भाई, तुम लोग तो जानते ही हो कि हरियाणा के 100 गांवों में डीजे पर पाबंदी है, हम तुम्हें यह आजादी कैसे दे दें?’’ सरपंचजी बोले, तो उन की बात पुख्ता करते हुए एक पंच बोला, ‘‘डीजे बजने से बहुत नुकसान होता है. तुम जानते हो डीजे की कानफोड़ू आवाज से विचलित हो कर भैंसें दूध नहीं देतीं और डीजे की धमक से गर्भधारण किए भैंसों के गर्भ भी गिर रहे हैं.’’

अब झबरू ने युवाओं का पक्ष रखा, ‘‘सरपंचजी, सारा दूध हमारे ही गांव का तो नहीं पहुंचता देश में, अगर एकदिन भैंस दूध नहीं देगी तो कौन सी मुसीबत आ जाएगी. शादीब्याह तो जीवन में एक ही बार होता है वह भी इस पाबंदी के कारण दिल में मलाल रह जाए तो क्या फायदा, हमेशा यारदोस्त यही बात कहेंगे कि फलां की शादी में न डीजे बजा और न नाचगाना हुआ, बस, रूखासूखा भात खा आए. पेट तो घर में भी भरते हैं फिर शादी की पार्टी का क्या फायदा?’’

बल्लू ने साथ दिया, ‘‘और जो यह भैंसों के गर्भ गिरने की बात है यह बेकार की बात है. आज तक किसी औरत का इस से गर्भ गिरा क्या? वे भी तो डीजे पर नाचतीगाती हैं और फिर एकाध दिन गर्भधारण की भैंस को विवाह वाले घर से दूर भी तो रखा जा सकता है. हमारी खुशी पर पाबंदी क्यों?’’

अब तीसरा बोला, ‘‘भाई, बात इतनी ही नहीं है. इस से बड़ेबुजुर्गों के सिर में दर्द भी हो जाता है जिस से उन का शादी का सारा मजा किरकिरा हो जाता है. तुम लोग नाचतेगाते हो और वे खाट पर सिर बांध कर पड़े रहते हैं.’’

‘‘वाह, पंचों ने क्या नुक्ता निकाला है. भई, पहले भी तो शादियां होती थीं. महीना पहले से ही जश्न शुरू हो जाता था. आप को तब नहीं खयाल आया अपने बुजुर्गों का. हमारा समय आया तो सिरदर्द होने लगा,’’ बल्लू ने अपना पक्ष रखा.

ताऊजी बोले, ‘‘देख लो पंचो, इन्हें ऐसी बातें करते शर्म भी नहीं आती.’’

‘‘भई, ताऊजी की शर्म वाली बात से एक और बात याद आई. जब युवकयुवतियां डीजे पर नाचते हैं तो बेशर्म हो कर नाचते हैं, भौंड़ी और फूहड़ हरकतें करते हैं जो देखने में भी अच्छी नहीं लगती हैं.’’ चौथे पंच ने कहा, तो 5वां पंच उन की हां में हां मिलाता हुआ बोला, ‘‘हां भई, डीजे पर थिरकते तुम लोग सिर्फ फूहड़ हरकतें ही नहीं करते बल्कि युवतियों से छेड़छाड़ भी करते हो और अश्लील गाने चलवाते हो जो बिलकुल अच्छा नहीं लगता.’’

कपिल आक्रोश में बोला, ‘‘आप हमें नाचते देखते हो या युवतियों के कपड़े और उन के थिरकते अंगों को.’’

झबरू आगे आया और सब को शांत करता हुआ बोला, ‘‘अगर युवकयुवतियां इस उम्र में फैशनेबलकपड़े नहीं पहनेंगे तो क्या बुढ़ापे में पहनेंगे. रही बात अश्लील गानों की तो ताऊजी आप अपना समय याद करो जब आप ने मदनू काका की शादी में गाना चलवाया था, ‘चोली के पीछे क्या है… चुनरी के नीचे क्या है…’ क्या वह फूहड़ अश्लील गाना नहीं था और जो आप ने अपने साथ नाचती युवती के साथ गलत हरकत की थी, सब जानते हैं. वह अलग बात है कि आप की शादी बाद में उसी से हो गई.’’

अब सब पंचों का मुंह देखने वाला था तभी कपिल बोला, ‘‘आप सब जानते हैं कि शादी का माहौल खुशी का होता है ऐसे में युवतियां स्वयं सजधज कर डीजे की धुनों पर नाचती हैं. कोई युवक अगर उन से टकरा जाए या वह टशन मारता हुआ उन के साथ नाचने लगे तो वे आंखें तरेरती हैं. भला, आप ही बताइए युवकों का इस में क्या कुसूर है, वे तो अपने ही नशे में चूर होते हैं.’’

अब सभी पंचों के मुंह पर ताला लग गया था. थोड़ी देर वातावरण में सन्नाटा रहा. सभी पंच और बुजुर्ग आपस में विचारविमर्श करने लगे. उन के भी मन के किसी कोने में विवाह जैसे अवसर पर ठुमकने की चाह थी. फिर सन्नाटा तोड़ते हुए सरपंच बोले, ‘‘भई, हम ने आप की सब दलीलें सुन लीं. हमें आप लोगों से हमदर्दी है और हम भी चाहते हैं कि आप नाचोगाओ, जश्न मनाओ, इसलिए कुछ शर्तों पर यह पाबंदी हटाते हैं.

‘‘युवकों को ध्यान रखना होगा कि शादीविवाह वाले घर के आसपास के घरों से सहमति ले कर ही डीजे लगवाएं. देर रात तक डीजे न बजे और कोई फूहड़ता या छेड़छाड़ की घटना न हो.’’

सरपंच की बात खत्म भी नहीं हुई थी कि युवक एकसाथ बोल पड़े, ‘‘हुर्रे… हमें आप की शर्तें मंजूर हैं पर डीजे तो बजेगा ही…’’

‘‘चलो, ताऊजी अपने घर और जातेजाते डीजे वाले को भी और्डर दे दो डीजे लगाने का,’’ कपिल ने कहा तो सभी युवक ताऊजी को साथ ले वापस चल दिए. पार्श्व में उन की ‘‘हुर्रे… पार्टी यों ही चालेगी… डीजे यों ही बाजेगा…’’ की आवाजें गूंज रही थीं और पंच भी खुश थे कि उन्होंने बीच का रास्ता निकाल कर युवकों के साथसाथ अपने मनबहलाव का रास्ता भी खोज लिया था.

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November 30, 2020 at 10:00AM

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