नोरा तब इस जेल में नयी-नयी आयी थी. वह लगातार गुमसुम सी बनी हुई थी. बैरक के एक कोने में सिमटी बैठी रहती थी. उसकी आंखें आंसुओं से तर रहती थीं और भय उसके चेहरे से टपकता था. मृणालिनी अपने बिस्तर पर बैठी उसे घूरती रहती थी. कुसुम ने एकाध बार उससे बात करने की कोशिश की, मगर ज्यादा नहीं.
मृणालिनी ने पहले दिन जोर से आवाज देकर पूछा था, ‘ऐ छोकरी… किस जुर्म में आयी खाला के घर? के नाम है? अरे बोल न… चुप काहे को लगी है?’
नोरा ने तब बड़ी मुश्किल से मृणालिनी को अपना नाम बताया था. फिर काफी कुरेदने पर बताया था कि उसे ड्रग्स ले जाते पकड़ा गया है. लेकिन साथ ही उसने यह भी कहा कि उसने कुछ नहीं किया है. वह निर्दोष है.
मृणालिनी उसकी बात सुन कर जोर से हंसी. लेकिन वह लगातार यही कहती रही कि वह निर्दोष है. मृणालिनी ने उसको झटका, ‘चल हट, सारे यही कहते हैं कि हम निर्दोष हैं. थोड़े दिन में खुद ही अपने करनी सुनाने लगते हैं. बड़े-बड़े टेढ़े यहां सीधे हो जाते हैं. ये जेल है मैडम, आपकी अम्मा का घर नहीं… कि सब आपकी बात पर भरोसा कर लेंगे.’
उस दिन मृणालिनी बुरी तरह नोरा को लताड़ कर बैरक से बाहर चली गयी. नोरा उससे बहुत डर गयी थी. डर के मारे उसने न तो शाम को चाय पी और न ही रात का खाना खाया. कुसुम ने कई बार कहा कि जाकर खाने की थाली ले आ, मगर वह बैरक से बाहर ही नहीं निकली. दूसरे दिन भी वह डरी-सहमी अपने कोने में दुबकी रही. तब कुसुम ने उससे कुछ हमदर्दी जतायी और खाना लाकर खिलाया. धीरे-धीरे नोरा सहज होने लगी. थोड़े दिन बाद मृणालिनी भी उसकी दशा देखकर उस पर तरस खाने लगी. उसकी शक्ल देखकर मृणालिनी के विचार बदले और उसे भी लगने लगा कि वह बेगुनाह है. एक दिन उसने नोरा के पास बैठ कर उसकी पूरी कहानी सुनी.
उस रात जब मृणालिनी की आंख खुली तो नोरा बैरक के कोने में अपने बिस्तर पर बैठी सिसक रही थी. उसकी सिसकियों से ही मृणालिनी की नींद खुली थी. वह अपने बिस्तर से उठ कर उसके पास गयी. उसने धीरे से नोरा के सिर पर अपना हाथ रखा तो नोरा सिसकते हुए बोली – मैं निर्दोष हूं.
मृणालिनी उसके बिस्तर पर उसके पास बैठ गयी. बोली, ‘लगता मुझे कि तू निर्दोष…. पर सिद्ध कैसे करेगी….? कोई है तेरा इस जेल से बाहर जो मदद करे?
नोरा ने ‘न’ में सिर हिलाया.
मृणालिनी झुंझलायी, बोली, ‘न पैसा, न आदमी, न जानपहचान… कैसे सिद्ध करेगी? बैग भर के कोकीन निकला तेरे पास से… तू मानी कि बैग तेरा… तू ही लेकर जा रही थी… फिर कैसे खुद को निर्दोष साबित करेगी?’
नोरा उससे लिपट कर रोने लगी. बोली, ‘फ्रेडरिक का पता चल जाए तो…’ वह बिलखने लगी. मृणालिनी ने जैसे-तैसे उसे संभाला. दिलासा दिया. वह जानती थी नोरा की कोख में एक नन्हा जीव पल रहा है. ऐसी हालत में हर वक्त उसका उदास रहना ठीक नहीं था. उस दिन के बाद से मृणालिनी धीरे-धीरे उसका दर्द बांटने लगी. उसे दिलासा देने लगी कि वह कोई न कोई जुगाड़ लगा कर उसके पति फ्रेडरिक का पता लगवाएगी. नोरा को मृणालिनी की बातों पर भरोसा होने लगा था कि किसी न किसी तरह वह उसके फ्रेडरिक का पता लगवा लेगी, लेकिन धीरे-धीरे सात महीने बीत गये, नोरा का गर्भ अपनी पूर्णत: की ओर बढ़ रहा था और मृणालिनी को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था कि वह जेल की सख्त और ऊंची दीवारों के पार कैसे फ्रेडरिक का पता करवाए. नौ महीने पूरे होते ही एडबर्ड इस दुनिया में आ गया है. निर्दोष मां का निर्दोष बच्चा. यह सलाखें इन दोनों के लिए नहीं हैं. इन्हें यहां से बाहर निकालना ही होगा. मृणालिनी हर दिन खुद से यह वादा करती कि किसी न किसी तरह इन दोनों को यहां से निकालेगी.
नोरा ने मृणालिनी को बताया था कि वह हिन्दुस्तानी मां एलिना और अंग्रेज पिता आन्द्रे की इकलौती संतान है. वह अपने माता-पिता के साथ न्यूयॉर्क में रहती थी. नोरा सात साल की थी जब उसके माता-पिता का तलाक हो गया. नोरा की मां सात साल की नोरा को साथ लेकर भारत आ गयी और हैदराबाद में अपनी एक आंटी के साथ रहने लगी. नोरा ने हैदराबाद में रह कर अपनी पढ़ाई पूरी की. वह बचपन से ही दुबली-पतली और डरपोक लड़की थी. उसकी मां अपनी दुर्दशा के लिए हर वक्त उसे दोषी ठहराती थी. हर वक्त उसे डांटती-फटकारती रहती थी. कहती कि अगर वह उसके जीवन में न आती तो वह आन्द्रे को तलाक देने के बाद किसी और अमीर आदमी से शादी कर लेती और एक सुखी और खुशहाल जीवन बिताती, मगर नोरा की वजह से वह ऐसा नहीं कर पायी.
हैदराबाद आने के बाद एलिना अपने अकेलेपन और हताशा को शराब में डुबाने लगी थी और अपना सारा फ्रस्टेशन नोरा पर उतारने लगी थी. नोरा जैसे-जैसे बड़ी हो रही थी, उसकी मां बूढ़ी और बीमार होती जा रही थी. कभी-कभी उसे नोरा की चिन्ता भी होती थी कि उसके बाद नोरा का क्या होगा. कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद उसने नोरा की शादी अपनी आंटी की बहन के दूर के रिश्तेदार फ्रेडरिक से करवा दी.
शादी के बाद नोरा की जिन्दगी में थोड़ा परिवर्तन आया. फ्रेडरिक इंपोर्ट-एक्सपोर्ट का बिजनेस करता था. वह भले उससे उम्र में दस साल बड़ा था, लेकिन नोरा का काफी ख्याल रखता था. उसकी हर जरूरत पूरी करता था. वीक-एंड पर उसे लेकर घूमने भी जाता था. नोरा उसके साथ काफी खुश रहने लगी थी. फ्रेडरिक के घर आने के बाद नोरा को अपनी मां की डांट-फटकार, चीखने-चिल्लाने से निजात मिल गयी थी. यह उसकी नयी जिन्दगी थी. फ्रेडरिक का परिवार छोटा सा था. हैदराबाद में वह अपने छोटे भाई और पिता के साथ रहता था. चार लोगों का यह परिवार बहुत खुशहाल था. नोरा के दिन काफी अच्छे बीतने लगे. बीते जीवन की कड़ुवाहट अब खत्म होती जा रही थी.
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नोरा की शादी के कुछ साल बाद उसकी मां एलिना की डेथ हो गयी और इधर फ्रेडरिक का छोटा भाई उसके पिता को लेकर कनाडा चला गया. घर में सिर्फ नोरा और फ्रेडरिक ही बचे. नोरा प्रेग्नेंट हुई तो फ्रेडरिक की खुशी का ठिकाना न रहा. उसने बकायदा पार्टी करके इस खुशी को सेलिब्रेट किया. उसके कारोबार के साथियों ने उस शाम नोरा के घर काफी रौनक लगायी. खूब खाना-पीना, नाचना-गाना हुआ. उस दिन नोरा को महसूस हुआ कि औरत को सबसे बड़ी खुशी और सम्मान मां बनने पर ही मिलता है. फ्रेडरिक और नोरा ने अपने होने वाले बच्चे के लिए खरीदारियां शुरू कर दी थीं. फ्रेडरिक हर शाम जब घर आता तो उसके बैग में कोई न कोई खिलौना या बेबी सूट जरूर होता था.
उन दिनों नोरा भविष्य के सुनहरे सपनों में खोयी हुई थी जब अचानक फ्रेडरिक ने उससे कहा कि उसने मेरठ में एक बड़ा मकान देखा है और अब वह दोनों मेरठ जाकर रहेंगे. मेरठ का नाम नोरा ने पहली बार सुना था. नोरा को समझ में नहीं आया कि फ्रेडरिक ने अचानक किसी दूसरे राज्य में शिफ्ट होने का फैसला क्यों किया? फ्रेडरिक से पूछने पर उसने सिर्फ इतना ही कहा कि उसके कारोबार से जुड़े ज्यादातर फ्रेंड्स मेरठ में हैं. वहां उसको काम करने में आसानी होगी. एक दिन फे्रडरिक ने नोरा से कहा कि वह मेरठ जाकर वह मकान देख आये जिसे उसके फ्रेंड हेनरी ने उन दोनों के लिए देखा है. काम की व्यस्तता के कारण फ्रेडरिक मेरठ नहीं जा सकता था और मकान का मालिक चाहता था कि वह जल्दी से जल्दी मकान देखकर हां कर दें, ताकि पेशगी मिलने पर वह दूसरे कस्टमर्स को मना कर सके.
फ्रेडरिक के कहने पर नोरा को मकान देखने मेरठ जाना पड़ा. हैदराबाद से फ्रेडरिक ने खुद उसे ट्रेन में बिठाया था. मकान का पता और हेनरी का मोबाइल नम्बर भी दिया था. स्टेशन पर हेनरी नोरा को रिसीव करने वाला था. लेकिन मेरठ स्टेशन पर नोरा को पुलिस ने रिसीव किया. उसके सामान की तलाशी ली गयी. उसके सामान के साथ कोकीन का बैग मिला. करोड़ों रुपये मूल्य की कोकीन. पुलिस ने नोरा को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. उससे लम्बी पूछताछ हुई. जो बैग पुलिस को मिला था वह नोरा का ही था. उसने स्वीकार किया कि वह उसका बैग है, लेकिन उसमें जो चीज पुलिस को मिली थी, उसकी कोई जानकारी नोरा को नहीं थी. दूसरे सामान के साथ वह कब और कैसे इस बैग में आयी यह भी वह नहीं जानती थी. उसने अपने पति फ्रेडरिक को फोन मिलाया, मगर उसका फोन स्विच औफ था. उसने हेनरी का नम्बर मिलाया, वह भी स्विच औफ निकला.
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पुलिस ने नोरा को गिरफ्तार कर लिया. ड्रग तस्करी के आरोप में उसे अदालत के समक्ष पेश किया गया. पुलिस कस्टडी में उससे रात-दिन सवाल-जवाब किये गये. लेडी कौन्स्टेबल ने सच उगलवाने के लिए उसके गालों पर खूब थप्पड़ बरसाये. उसके जानने वालों के नाम-पते पूछे गये. नोरा ने सबकुछ बता दिया, जो वह जानती थी. फ्रेडरिक के बारे में, उसके परिवार के बारे में, अपने घर के बारे में, अपनी शादी और प्रेग्नेंसी के बारे में, अपने मेरठ के नये घर के बारे में उसने पुलिस से कुछ भी तो नहीं छिपाया. उसके डॉक्टरी परीक्षण में पता चला कि वह दो महीने की गर्भवती है. उसके पति को तलाशने की कोशिश की गयी, मगर फ्रेडरिक का कुछ पता नहीं चला. हैदराबाद के जिस घर में वह दोनों रह रहे थे, उसमें ताला पड़ा हुआ था. नोरा के पड़ोसियों को भी नहीं पता कि फ्रेडरिक अचानक कहां चला गया? उसे धरती निगल गयी कि आसमान खा गया? अदालत में नोरा रोती रही, बार-बार यही कहती रही कि वह बैग उसका है मगर जो चीज उसमें मिली है वह उसकी नहीं है, मगर अदालत ने कोई नरमी नहीं दिखायी. नोरा को पुलिस कस्टडी से जेल भेज दिया गया.
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नोरा तब इस जेल में नयी-नयी आयी थी. वह लगातार गुमसुम सी बनी हुई थी. बैरक के एक कोने में सिमटी बैठी रहती थी. उसकी आंखें आंसुओं से तर रहती थीं और भय उसके चेहरे से टपकता था. मृणालिनी अपने बिस्तर पर बैठी उसे घूरती रहती थी. कुसुम ने एकाध बार उससे बात करने की कोशिश की, मगर ज्यादा नहीं.
मृणालिनी ने पहले दिन जोर से आवाज देकर पूछा था, ‘ऐ छोकरी… किस जुर्म में आयी खाला के घर? के नाम है? अरे बोल न… चुप काहे को लगी है?’
नोरा ने तब बड़ी मुश्किल से मृणालिनी को अपना नाम बताया था. फिर काफी कुरेदने पर बताया था कि उसे ड्रग्स ले जाते पकड़ा गया है. लेकिन साथ ही उसने यह भी कहा कि उसने कुछ नहीं किया है. वह निर्दोष है.
मृणालिनी उसकी बात सुन कर जोर से हंसी. लेकिन वह लगातार यही कहती रही कि वह निर्दोष है. मृणालिनी ने उसको झटका, ‘चल हट, सारे यही कहते हैं कि हम निर्दोष हैं. थोड़े दिन में खुद ही अपने करनी सुनाने लगते हैं. बड़े-बड़े टेढ़े यहां सीधे हो जाते हैं. ये जेल है मैडम, आपकी अम्मा का घर नहीं… कि सब आपकी बात पर भरोसा कर लेंगे.’
उस दिन मृणालिनी बुरी तरह नोरा को लताड़ कर बैरक से बाहर चली गयी. नोरा उससे बहुत डर गयी थी. डर के मारे उसने न तो शाम को चाय पी और न ही रात का खाना खाया. कुसुम ने कई बार कहा कि जाकर खाने की थाली ले आ, मगर वह बैरक से बाहर ही नहीं निकली. दूसरे दिन भी वह डरी-सहमी अपने कोने में दुबकी रही. तब कुसुम ने उससे कुछ हमदर्दी जतायी और खाना लाकर खिलाया. धीरे-धीरे नोरा सहज होने लगी. थोड़े दिन बाद मृणालिनी भी उसकी दशा देखकर उस पर तरस खाने लगी. उसकी शक्ल देखकर मृणालिनी के विचार बदले और उसे भी लगने लगा कि वह बेगुनाह है. एक दिन उसने नोरा के पास बैठ कर उसकी पूरी कहानी सुनी.
उस रात जब मृणालिनी की आंख खुली तो नोरा बैरक के कोने में अपने बिस्तर पर बैठी सिसक रही थी. उसकी सिसकियों से ही मृणालिनी की नींद खुली थी. वह अपने बिस्तर से उठ कर उसके पास गयी. उसने धीरे से नोरा के सिर पर अपना हाथ रखा तो नोरा सिसकते हुए बोली – मैं निर्दोष हूं.
मृणालिनी उसके बिस्तर पर उसके पास बैठ गयी. बोली, ‘लगता मुझे कि तू निर्दोष…. पर सिद्ध कैसे करेगी….? कोई है तेरा इस जेल से बाहर जो मदद करे?
नोरा ने ‘न’ में सिर हिलाया.
मृणालिनी झुंझलायी, बोली, ‘न पैसा, न आदमी, न जानपहचान… कैसे सिद्ध करेगी? बैग भर के कोकीन निकला तेरे पास से… तू मानी कि बैग तेरा… तू ही लेकर जा रही थी… फिर कैसे खुद को निर्दोष साबित करेगी?’
नोरा उससे लिपट कर रोने लगी. बोली, ‘फ्रेडरिक का पता चल जाए तो…’ वह बिलखने लगी. मृणालिनी ने जैसे-तैसे उसे संभाला. दिलासा दिया. वह जानती थी नोरा की कोख में एक नन्हा जीव पल रहा है. ऐसी हालत में हर वक्त उसका उदास रहना ठीक नहीं था. उस दिन के बाद से मृणालिनी धीरे-धीरे उसका दर्द बांटने लगी. उसे दिलासा देने लगी कि वह कोई न कोई जुगाड़ लगा कर उसके पति फ्रेडरिक का पता लगवाएगी. नोरा को मृणालिनी की बातों पर भरोसा होने लगा था कि किसी न किसी तरह वह उसके फ्रेडरिक का पता लगवा लेगी, लेकिन धीरे-धीरे सात महीने बीत गये, नोरा का गर्भ अपनी पूर्णत: की ओर बढ़ रहा था और मृणालिनी को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था कि वह जेल की सख्त और ऊंची दीवारों के पार कैसे फ्रेडरिक का पता करवाए. नौ महीने पूरे होते ही एडबर्ड इस दुनिया में आ गया है. निर्दोष मां का निर्दोष बच्चा. यह सलाखें इन दोनों के लिए नहीं हैं. इन्हें यहां से बाहर निकालना ही होगा. मृणालिनी हर दिन खुद से यह वादा करती कि किसी न किसी तरह इन दोनों को यहां से निकालेगी.
नोरा ने मृणालिनी को बताया था कि वह हिन्दुस्तानी मां एलिना और अंग्रेज पिता आन्द्रे की इकलौती संतान है. वह अपने माता-पिता के साथ न्यूयॉर्क में रहती थी. नोरा सात साल की थी जब उसके माता-पिता का तलाक हो गया. नोरा की मां सात साल की नोरा को साथ लेकर भारत आ गयी और हैदराबाद में अपनी एक आंटी के साथ रहने लगी. नोरा ने हैदराबाद में रह कर अपनी पढ़ाई पूरी की. वह बचपन से ही दुबली-पतली और डरपोक लड़की थी. उसकी मां अपनी दुर्दशा के लिए हर वक्त उसे दोषी ठहराती थी. हर वक्त उसे डांटती-फटकारती रहती थी. कहती कि अगर वह उसके जीवन में न आती तो वह आन्द्रे को तलाक देने के बाद किसी और अमीर आदमी से शादी कर लेती और एक सुखी और खुशहाल जीवन बिताती, मगर नोरा की वजह से वह ऐसा नहीं कर पायी.
हैदराबाद आने के बाद एलिना अपने अकेलेपन और हताशा को शराब में डुबाने लगी थी और अपना सारा फ्रस्टेशन नोरा पर उतारने लगी थी. नोरा जैसे-जैसे बड़ी हो रही थी, उसकी मां बूढ़ी और बीमार होती जा रही थी. कभी-कभी उसे नोरा की चिन्ता भी होती थी कि उसके बाद नोरा का क्या होगा. कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद उसने नोरा की शादी अपनी आंटी की बहन के दूर के रिश्तेदार फ्रेडरिक से करवा दी.
शादी के बाद नोरा की जिन्दगी में थोड़ा परिवर्तन आया. फ्रेडरिक इंपोर्ट-एक्सपोर्ट का बिजनेस करता था. वह भले उससे उम्र में दस साल बड़ा था, लेकिन नोरा का काफी ख्याल रखता था. उसकी हर जरूरत पूरी करता था. वीक-एंड पर उसे लेकर घूमने भी जाता था. नोरा उसके साथ काफी खुश रहने लगी थी. फ्रेडरिक के घर आने के बाद नोरा को अपनी मां की डांट-फटकार, चीखने-चिल्लाने से निजात मिल गयी थी. यह उसकी नयी जिन्दगी थी. फ्रेडरिक का परिवार छोटा सा था. हैदराबाद में वह अपने छोटे भाई और पिता के साथ रहता था. चार लोगों का यह परिवार बहुत खुशहाल था. नोरा के दिन काफी अच्छे बीतने लगे. बीते जीवन की कड़ुवाहट अब खत्म होती जा रही थी.
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नोरा की शादी के कुछ साल बाद उसकी मां एलिना की डेथ हो गयी और इधर फ्रेडरिक का छोटा भाई उसके पिता को लेकर कनाडा चला गया. घर में सिर्फ नोरा और फ्रेडरिक ही बचे. नोरा प्रेग्नेंट हुई तो फ्रेडरिक की खुशी का ठिकाना न रहा. उसने बकायदा पार्टी करके इस खुशी को सेलिब्रेट किया. उसके कारोबार के साथियों ने उस शाम नोरा के घर काफी रौनक लगायी. खूब खाना-पीना, नाचना-गाना हुआ. उस दिन नोरा को महसूस हुआ कि औरत को सबसे बड़ी खुशी और सम्मान मां बनने पर ही मिलता है. फ्रेडरिक और नोरा ने अपने होने वाले बच्चे के लिए खरीदारियां शुरू कर दी थीं. फ्रेडरिक हर शाम जब घर आता तो उसके बैग में कोई न कोई खिलौना या बेबी सूट जरूर होता था.
उन दिनों नोरा भविष्य के सुनहरे सपनों में खोयी हुई थी जब अचानक फ्रेडरिक ने उससे कहा कि उसने मेरठ में एक बड़ा मकान देखा है और अब वह दोनों मेरठ जाकर रहेंगे. मेरठ का नाम नोरा ने पहली बार सुना था. नोरा को समझ में नहीं आया कि फ्रेडरिक ने अचानक किसी दूसरे राज्य में शिफ्ट होने का फैसला क्यों किया? फ्रेडरिक से पूछने पर उसने सिर्फ इतना ही कहा कि उसके कारोबार से जुड़े ज्यादातर फ्रेंड्स मेरठ में हैं. वहां उसको काम करने में आसानी होगी. एक दिन फे्रडरिक ने नोरा से कहा कि वह मेरठ जाकर वह मकान देख आये जिसे उसके फ्रेंड हेनरी ने उन दोनों के लिए देखा है. काम की व्यस्तता के कारण फ्रेडरिक मेरठ नहीं जा सकता था और मकान का मालिक चाहता था कि वह जल्दी से जल्दी मकान देखकर हां कर दें, ताकि पेशगी मिलने पर वह दूसरे कस्टमर्स को मना कर सके.
फ्रेडरिक के कहने पर नोरा को मकान देखने मेरठ जाना पड़ा. हैदराबाद से फ्रेडरिक ने खुद उसे ट्रेन में बिठाया था. मकान का पता और हेनरी का मोबाइल नम्बर भी दिया था. स्टेशन पर हेनरी नोरा को रिसीव करने वाला था. लेकिन मेरठ स्टेशन पर नोरा को पुलिस ने रिसीव किया. उसके सामान की तलाशी ली गयी. उसके सामान के साथ कोकीन का बैग मिला. करोड़ों रुपये मूल्य की कोकीन. पुलिस ने नोरा को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. उससे लम्बी पूछताछ हुई. जो बैग पुलिस को मिला था वह नोरा का ही था. उसने स्वीकार किया कि वह उसका बैग है, लेकिन उसमें जो चीज पुलिस को मिली थी, उसकी कोई जानकारी नोरा को नहीं थी. दूसरे सामान के साथ वह कब और कैसे इस बैग में आयी यह भी वह नहीं जानती थी. उसने अपने पति फ्रेडरिक को फोन मिलाया, मगर उसका फोन स्विच औफ था. उसने हेनरी का नम्बर मिलाया, वह भी स्विच औफ निकला.
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पुलिस ने नोरा को गिरफ्तार कर लिया. ड्रग तस्करी के आरोप में उसे अदालत के समक्ष पेश किया गया. पुलिस कस्टडी में उससे रात-दिन सवाल-जवाब किये गये. लेडी कौन्स्टेबल ने सच उगलवाने के लिए उसके गालों पर खूब थप्पड़ बरसाये. उसके जानने वालों के नाम-पते पूछे गये. नोरा ने सबकुछ बता दिया, जो वह जानती थी. फ्रेडरिक के बारे में, उसके परिवार के बारे में, अपने घर के बारे में, अपनी शादी और प्रेग्नेंसी के बारे में, अपने मेरठ के नये घर के बारे में उसने पुलिस से कुछ भी तो नहीं छिपाया. उसके डॉक्टरी परीक्षण में पता चला कि वह दो महीने की गर्भवती है. उसके पति को तलाशने की कोशिश की गयी, मगर फ्रेडरिक का कुछ पता नहीं चला. हैदराबाद के जिस घर में वह दोनों रह रहे थे, उसमें ताला पड़ा हुआ था. नोरा के पड़ोसियों को भी नहीं पता कि फ्रेडरिक अचानक कहां चला गया? उसे धरती निगल गयी कि आसमान खा गया? अदालत में नोरा रोती रही, बार-बार यही कहती रही कि वह बैग उसका है मगर जो चीज उसमें मिली है वह उसकी नहीं है, मगर अदालत ने कोई नरमी नहीं दिखायी. नोरा को पुलिस कस्टडी से जेल भेज दिया गया.
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December 25, 2019 at 10:11AM
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