कमजोर नस : भाग 1 – वंदना को अपने पति पर क्यों शक था ?
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आखिरी भाग
राजीव तो चाय बनाने को फौरन तैयार हो गए थे. वे तीनों उन के साथ रसोई में चली आई. वहां उन्होंने मुझे कोई काम नहीं करने दिया.
कुछ देर बाद ही रसोई में बहुत शोर मचने लगा.
‘‘अरे, इतनी ज्यादा चाय की पत्ती मत डालो.’’
‘‘अरे, अभी से चीनी क्यों डाल रहे हो?’’
‘‘कैसे भोंदू हो गए हो जो ढंग की चाय बनाना भी भूल गए हो. लगता है वंदना कोई काम तुम से नहीं कराती है.’’
‘‘आज पकौड़े बना कर नहीं खिलाओगे?’’
‘‘पकौड़ों को रहने दें… हमें पेट खराब नहीं करना है.’’
वे तीनों राजीव का खूब मजाक उड़ा रही थीं. लेकिन उन का व्यवहार बहुत दोस्ताना था. कभीकभी मुझे भी अपनी हंसी रोकना मुश्किल हो जाता था.
कुछ देर बाद हम सब ड्राइंगरूम में बैठ कर राजीव द्वारा बनाई गई चाय का आनंद ले रहे थे. चाय अच्छी बनी थी और सब के मुंह से अपने काम की प्रशंसा सुन वे फूले नहीं समा रहे थे.
‘‘राज, आज एक बढि़या सा गाना भी हो जाए,’’ किरण के मुंह से निकला तो बाकी दोनों भी गाना सुनाने के लिए उन के पीछे पड़ गई.
‘‘अब प्रैक्टिस नहीं रही है. मैं नहीं गा पाऊंगा,’’ राजीव ने गाने से बचने की कोशिश करी.
‘‘मेरी खातिर गाओ न,’’ किरण ने बड़ी अदा से जोर डाला तो ये गाना गाने को सचमुच तैयार हो गए और कमरे में एकदम से वे तीनों हल्ला मचाने लगीं.
‘‘कौन सा गाना सुनाओगे?’’
‘‘जब मुझ से इश्क लड़ा रहे थे तब ‘चौहदवीं का चांद हो…’ सुनाया था. आज वही सुना दो.’’
‘‘नहीं, पार्क में मेरे साथ घूमते हुए मेरी तारीफ में जो ‘तेरे हुस्न की क्या तारीफ करूं…’ गीत गुनगुनाते थे वही सुना दो.’’
ये भी पढ़ें- मैं राजनीतिक दल हूं!
‘‘नहीं, वह मेरी पसंद का गाना सुनाइगा.’’
कुछ देर बाद जब राजीव ने किरण की पसंद का गाना गाया तो हम सब की हंसतेहंसते हालत खराब हो गई. उन से न सुर सध रहा था, न ताल. आवाज कहीं की कहीं जा रही थी.
वे बारबार रुक जाते थे पर उन तीनों ने पीछे पड़ कर गाना पूरा करवा ही लिया. गाना खत्म कर के इन्होंने मुझे सफाई सी दी, ‘‘मैं कालेज के दिनों में अच्छा सिंगर होता था. कुछ दिन रियाज करने के बाद देखना मैं कितना बढि़या गाने लगूंगा.’’
‘‘यह राजीव लड़कियों में भी सब से पौपुलर युवक होता था हमारे कालेज का, वंदना.’’
‘‘जब यह लड़कियों पर अनापशनाप खर्चा करने को हमेशा तैयार रहता था तो पौपुलर कैसे न होता?’’
‘‘मुझे इस ने कम से कम 20 फिल्में तो दिखाई ही होंगी.’’
‘‘मैं ने 50 देखी होंगी.’’
‘‘मैं ने 100 से ऊपर.’’
‘‘तू तो खास सहेली थी न इस की.’’
वे राजीव की पुरानी बातें याद कर खूब देर तक हंसती रहीं और फिर अचानक किरण ने कहा, ‘‘अब चलो भी. देर हो रही है. मेरा बेटा और पति लंच करने को तैयार बैठे होंगे.’’
‘‘ऐसे कैसे जाओगी? अभी तो तुम लोगों ने मनपसंद मिठाई भी नहीं खाई है,’’ राजीव बाजार जाने को फौरन उठ खड़े हुए.
‘‘मिठाई फिर कभी खा लेंगे. अभी तो तुम बस कोल्ड ड्रिंक ही पिला दो अपने हाथों से ला कर,’’ किरण ने राजीव को रसोई की तरफ जबरदस्ती धकेल दिया.
वे चले गए तो किरण ने संजीदा हो कर मुझ से कहा, ‘‘मैं ने राजीव से शादी क्यों नहीं करी, अब जल्दी से अपने सवाल का जवाब सुनो, वंदना. हमारे आज के व्यवहार से तुम्हें अंदाजा हो गया होगा कि राजीव को हम ने मनोरंजन के माध्यम से ज्यादा कभी कुछ नहीं समझा था. उस जैसे सीधेसादे लड़केलड़कियों के अच्छे दोस्त बन ही जाते हैं पर उस से शादी करने का विचार कभी हम में से किसी के दिल में आया ही नहीं था.
‘‘मैं इस के साथ बस फ्लर्ट करती थी पर जब यह सीरियस हो गया तो मुझे मजबूरन अपनी मम्मी को बीच में लाना पड़ा था. वे विजातीय लड़के से मेरी शादी करने को बिलकुल तैयार नहीं हैं, यह कह कर मैं ने अपनी जान छुड़ाई थी.
‘‘अब मेरी एक बात ध्यान से सुनो. अगर तुम हमारी तरह इसे अपनी उंगलियों पर नचाना चाहती हो तो इस की एक कमजोर नस मैं तुम्हें बताती हूं. यह दूसरों की नजरों में खास बने रहने को कुछ भी करेगा और कहेगा. इस के डींग मारने वाले व्यवहार से नाराज व दुखी रहने के बजाय तुम इस की झूठीसच्ची तारीफ कर के इस से कुछ भी करा सकती हो.’’
राजीव के लौट आने के कारण वह आगे और कुछ नहीं कह पाई थी. कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद उन तीनों ने बारीबारी से मेरा माथा चूमा और खूब होहल्ला मचाते हुए अपनेअपने घर चली गईं.
उन के जाते ही राजीव ने मुझ से छाती चौड़ी करते हुए पूछा, ‘‘तुम्हें बुरा तो नहीं लग रहा है न?’’
‘‘किस बात का?’’ मैं ने उन की आंखों में प्यार से झांक कर पूछा.
‘‘यही कि मेरी चाहने वालियों की आज भी कोई कमी नहीं है.’’
‘‘बिलकुल भी नहीं. आप हो ही इतने स्मार्ट,’’ पहले वाले अंदाज में नाराज हो कर मुंह फुलाने के बजाय मैं ने इन के गले में प्यार से बांहें डाल कर यह जवाब दिया तो इन का चेहरा खिल उठा.
‘‘वैसे आज की तारीख में ये सब तुम्हारे सामने कुछ भी नहीं हैं,’’ इन के मुंह से यों उलटी गंगा बहती देख मैं मन ही मन खुशी से झूम उठी और मन ही मन किरण को धन्यवाद दिया जिस ने मुझे इन की कमजोर नस पकड़वा दी थी.
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कमजोर नस : भाग 1 – वंदना को अपने पति पर क्यों शक था ?
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राजीव तो चाय बनाने को फौरन तैयार हो गए थे. वे तीनों उन के साथ रसोई में चली आई. वहां उन्होंने मुझे कोई काम नहीं करने दिया.
कुछ देर बाद ही रसोई में बहुत शोर मचने लगा.
‘‘अरे, इतनी ज्यादा चाय की पत्ती मत डालो.’’
‘‘अरे, अभी से चीनी क्यों डाल रहे हो?’’
‘‘कैसे भोंदू हो गए हो जो ढंग की चाय बनाना भी भूल गए हो. लगता है वंदना कोई काम तुम से नहीं कराती है.’’
‘‘आज पकौड़े बना कर नहीं खिलाओगे?’’
‘‘पकौड़ों को रहने दें… हमें पेट खराब नहीं करना है.’’
वे तीनों राजीव का खूब मजाक उड़ा रही थीं. लेकिन उन का व्यवहार बहुत दोस्ताना था. कभीकभी मुझे भी अपनी हंसी रोकना मुश्किल हो जाता था.
कुछ देर बाद हम सब ड्राइंगरूम में बैठ कर राजीव द्वारा बनाई गई चाय का आनंद ले रहे थे. चाय अच्छी बनी थी और सब के मुंह से अपने काम की प्रशंसा सुन वे फूले नहीं समा रहे थे.
‘‘राज, आज एक बढि़या सा गाना भी हो जाए,’’ किरण के मुंह से निकला तो बाकी दोनों भी गाना सुनाने के लिए उन के पीछे पड़ गई.
‘‘अब प्रैक्टिस नहीं रही है. मैं नहीं गा पाऊंगा,’’ राजीव ने गाने से बचने की कोशिश करी.
‘‘मेरी खातिर गाओ न,’’ किरण ने बड़ी अदा से जोर डाला तो ये गाना गाने को सचमुच तैयार हो गए और कमरे में एकदम से वे तीनों हल्ला मचाने लगीं.
‘‘कौन सा गाना सुनाओगे?’’
‘‘जब मुझ से इश्क लड़ा रहे थे तब ‘चौहदवीं का चांद हो…’ सुनाया था. आज वही सुना दो.’’
‘‘नहीं, पार्क में मेरे साथ घूमते हुए मेरी तारीफ में जो ‘तेरे हुस्न की क्या तारीफ करूं…’ गीत गुनगुनाते थे वही सुना दो.’’
ये भी पढ़ें- मैं राजनीतिक दल हूं!
‘‘नहीं, वह मेरी पसंद का गाना सुनाइगा.’’
कुछ देर बाद जब राजीव ने किरण की पसंद का गाना गाया तो हम सब की हंसतेहंसते हालत खराब हो गई. उन से न सुर सध रहा था, न ताल. आवाज कहीं की कहीं जा रही थी.
वे बारबार रुक जाते थे पर उन तीनों ने पीछे पड़ कर गाना पूरा करवा ही लिया. गाना खत्म कर के इन्होंने मुझे सफाई सी दी, ‘‘मैं कालेज के दिनों में अच्छा सिंगर होता था. कुछ दिन रियाज करने के बाद देखना मैं कितना बढि़या गाने लगूंगा.’’
‘‘यह राजीव लड़कियों में भी सब से पौपुलर युवक होता था हमारे कालेज का, वंदना.’’
‘‘जब यह लड़कियों पर अनापशनाप खर्चा करने को हमेशा तैयार रहता था तो पौपुलर कैसे न होता?’’
‘‘मुझे इस ने कम से कम 20 फिल्में तो दिखाई ही होंगी.’’
‘‘मैं ने 50 देखी होंगी.’’
‘‘मैं ने 100 से ऊपर.’’
‘‘तू तो खास सहेली थी न इस की.’’
वे राजीव की पुरानी बातें याद कर खूब देर तक हंसती रहीं और फिर अचानक किरण ने कहा, ‘‘अब चलो भी. देर हो रही है. मेरा बेटा और पति लंच करने को तैयार बैठे होंगे.’’
‘‘ऐसे कैसे जाओगी? अभी तो तुम लोगों ने मनपसंद मिठाई भी नहीं खाई है,’’ राजीव बाजार जाने को फौरन उठ खड़े हुए.
‘‘मिठाई फिर कभी खा लेंगे. अभी तो तुम बस कोल्ड ड्रिंक ही पिला दो अपने हाथों से ला कर,’’ किरण ने राजीव को रसोई की तरफ जबरदस्ती धकेल दिया.
वे चले गए तो किरण ने संजीदा हो कर मुझ से कहा, ‘‘मैं ने राजीव से शादी क्यों नहीं करी, अब जल्दी से अपने सवाल का जवाब सुनो, वंदना. हमारे आज के व्यवहार से तुम्हें अंदाजा हो गया होगा कि राजीव को हम ने मनोरंजन के माध्यम से ज्यादा कभी कुछ नहीं समझा था. उस जैसे सीधेसादे लड़केलड़कियों के अच्छे दोस्त बन ही जाते हैं पर उस से शादी करने का विचार कभी हम में से किसी के दिल में आया ही नहीं था.
‘‘मैं इस के साथ बस फ्लर्ट करती थी पर जब यह सीरियस हो गया तो मुझे मजबूरन अपनी मम्मी को बीच में लाना पड़ा था. वे विजातीय लड़के से मेरी शादी करने को बिलकुल तैयार नहीं हैं, यह कह कर मैं ने अपनी जान छुड़ाई थी.
‘‘अब मेरी एक बात ध्यान से सुनो. अगर तुम हमारी तरह इसे अपनी उंगलियों पर नचाना चाहती हो तो इस की एक कमजोर नस मैं तुम्हें बताती हूं. यह दूसरों की नजरों में खास बने रहने को कुछ भी करेगा और कहेगा. इस के डींग मारने वाले व्यवहार से नाराज व दुखी रहने के बजाय तुम इस की झूठीसच्ची तारीफ कर के इस से कुछ भी करा सकती हो.’’
राजीव के लौट आने के कारण वह आगे और कुछ नहीं कह पाई थी. कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद उन तीनों ने बारीबारी से मेरा माथा चूमा और खूब होहल्ला मचाते हुए अपनेअपने घर चली गईं.
उन के जाते ही राजीव ने मुझ से छाती चौड़ी करते हुए पूछा, ‘‘तुम्हें बुरा तो नहीं लग रहा है न?’’
‘‘किस बात का?’’ मैं ने उन की आंखों में प्यार से झांक कर पूछा.
‘‘यही कि मेरी चाहने वालियों की आज भी कोई कमी नहीं है.’’
‘‘बिलकुल भी नहीं. आप हो ही इतने स्मार्ट,’’ पहले वाले अंदाज में नाराज हो कर मुंह फुलाने के बजाय मैं ने इन के गले में प्यार से बांहें डाल कर यह जवाब दिया तो इन का चेहरा खिल उठा.
‘‘वैसे आज की तारीख में ये सब तुम्हारे सामने कुछ भी नहीं हैं,’’ इन के मुंह से यों उलटी गंगा बहती देख मैं मन ही मन खुशी से झूम उठी और मन ही मन किरण को धन्यवाद दिया जिस ने मुझे इन की कमजोर नस पकड़वा दी थी.
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November 27, 2019 at 10:11AM
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