Monday 28 June 2021

सबक-भाग 4 : भावेश की मां अपनी बहू को हमेशा सताती रहती थी

जैसेजैसे समय बीतता जा रहा था, झूठ बोलने के बावजूद अंजना सब समझ गई थी… नरेश और उस के अन्य मित्र भी भावेश के बारे में कुछ नहीं बता पा रहे थे. अंजना पर इस बात का ऐसा असर हुआ कि उस ने खानापीना छोड़ दिया. यहां तक कि दवा खाने से भी उस ने मना कर दिया. उस की ऐसी हालत देख कर एक दिन सास पुष्पा उस से बोलीं, ‘बेटी, मैं तेरी दोषी हूं, मुझ से गलती हुई है, इस का प्रतिकार भी मुझे ही करना होगा. मुझे पूरा विश्वास है, भावेश एक दिन अवश्य आएगा. वह तुझ से बहुत प्यार करता है. आखिर कब तक वह तुझ से दूर रह पाएगा, पर बेटा उस के लिए तुझे जीना होगा. यों खानापीना छोड़ने से तो किसी समस्या का हल नहीं निकलेगा. कुछ दिन और देख लेते हैं, वरना फिर पुलिस में कमप्लेंट करवाने के साथ पेपर में भी इश्तिहार देंगे…’

सासू मां की बात मान कर अंजना ने थोड़ा खाने की कोशिश की, पर उसे उलटी हो गई. ऐसा एक बार नहीं, बल्कि कई बार होने पर पुष्पा ने उसे डाक्टर को दिखाने का निर्णय लिया और वे अंजना को ले कर डाक्टर को दिखाने उन के नर्सिंगहोम गईं…

‘डाक्टर साहब, मेरी बहू ठीक तो है…’ पुष्पा ने डाक्टर के चैक करने के बाद पूछा. ‘हां, हां, बिलकुल ठीक है… मिठाई खिलाइए… आप दादी बनने वाली हैं…’ ‘क्या…?’

‘बिलकुल सच अम्मां… आप दादी बनने वाली हैं.’ डाक्टर को दिखा कर सासबहू दोनों कमरे से निकली ही थीं कि एक नर्स दौड़ती हुई आई और बगल के केबिन में घुसते हुए बोली, ‘डाक्टर साहब, उस पेशेंट को होश आ गया है…’

‘सच, तुम चलो, मैं आता हूं.’‘क्या हुआ डाक्टर उस पेशेंट को…?’ नर्स की बात सुन कर अंजना से रहा नहीं गया. उस ने डाक्टर के केबिन में घुसते हुए पूछा.‘आप लोग कौन हैं और बिना इजाजत लिए मेरे केबिन में कैसे घुस आए…?’ डाक्टर ने उसे ऊपर से नीचे तक निहारते हुए रूखे स्वर में कहा.

‘डाक्टर साहब, मेरे पति लगभग 15 दिन से लापता हैं, इसलिए मैं इस पेशेंट के बारे में जानना चाहती हूं,’ अंजना ने डाक्टर की डांट की परवाह किए बिना कहा.

’15 दिन से लापता… लगभग इतने दिन पूर्व ही इस व्यक्ति को बुरी तरह से जख्मी हालत में यहां लाया गया था. कोई पहचान का जरीया न होने पर हम उन के घर वालों को खबर नहीं कर पाए हैं. वह तो उस सज्जन की सज्जनता कहिए, जो इसे इतनी जख्मी हालत में उठा कर लाए. वही इस के इलाज का खर्च भी उठा रहे हैं…’ अचानक डाक्टर के स्वर में नरमी आ गई.

‘क्या हम उस से मिल सकते है…?’ पुष्पा और अंजना ने एकसाथ कहा.         ‘हां… हां, क्यों नहीं…’वे दोनों डाक्टर के पीछेपीछे गए. भावेश को पा कर उन दोनों की खुशी का ठिकाना न रहा, पर भावेश ने उन्हें देख कर मुंह फेर लिया.

‘क्या आप इन्हें जानती हैं?’‘जी, यह मेरा बेटा भावेश है… हम पिछले 15 दिनों  से तलाश रहे हैं…’ मांजी ने खुशीखुशी डाक्टर से कहा.‘चलो अच्छा हुआ, वरना हम इन की आइडेंटिटी को ले कर परेशान हो रहे थे,’ डाक्टर ने कहा और समीप ही खड़ी सिस्टर को कुछ निर्देश दे कर चला गया.

‘आज 2-2 खुशियां आप के दामन में समाई हैं मांजी… जम कर पार्टी दीजिए. और हां, मुझे बुलाना मत भूलिएगा…’ पीछे से आवाज आई.पुष्पा ने पीछे मुड़ कर देखा तो वही नर्स खड़ी थी, जिस ने पेशेंट के होश में आने की सूचना दी थी…

‘आप दवा का परचा वहीं भूल आई थीं. डाक्टर ने आवाज लगाई, पर आप ने सुना नहीं… लीजिए दवा का परचा… और हां, पार्टी में बुलाने से नहीं भूलिएगा,’ नर्स ने दवा का पुरजा उसे पकड़ाते हुए पुनः कहा.’तुम्हें कैसे भूलूंगी… तुम ने तो आज मुझे वह खुशी लौटाई है, जो मुझ से मेरी गलती के कारण दूर हो गई थी,’ मां पुष्पा मन ही मन बुदबुदाई.

‘मुझे माफ कर दे बेटा…’ मांजी ने भावेश के बिस्तर पर बैठ कर उस का चेहरा अपनी ओर करते हुए कहा.’दूसरी खुशी कौन सी है, नहीं पूछेगा…’बेटे की आंखों में प्रश्न देख कर मां फिर बोली, ‘तू पापा बनने वाला है और मैं दादी. यह खुशी मुझे मेरी बहू अंजना ने दी है,’ कहते हुए पुष्पा ने अंजना की तरफ देखा और उस से कहा, ‘दूर क्यों खड़ी है, यहां आ न, तेरा भावेश तेरा इंतजार कर रहा है.’

पुष्पा अंजना को भावेश के पास बैठा कर बाहर चली गई और दीप्ति को फोन मिलाने लगी. दीप्ति भी परेशान थी. बहुत दिनों के बाद खुशियों ने उन के द्वार पर दस्तक दी है. वह अपनी जिंदगी जी चुकी, बच्चों की जिंदगी में बेवजह दखल दे कर अब ऐसा कोई काम नहीं करेगी, जिस से उन में फिर से दरार आए. सच ही उन्हें आज जिंदगी से एक सबक मिला है. दीप्ति ठीक ही कहती है कि प्यार दे कर ही प्यार पाया जा सकता है.

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जैसेजैसे समय बीतता जा रहा था, झूठ बोलने के बावजूद अंजना सब समझ गई थी… नरेश और उस के अन्य मित्र भी भावेश के बारे में कुछ नहीं बता पा रहे थे. अंजना पर इस बात का ऐसा असर हुआ कि उस ने खानापीना छोड़ दिया. यहां तक कि दवा खाने से भी उस ने मना कर दिया. उस की ऐसी हालत देख कर एक दिन सास पुष्पा उस से बोलीं, ‘बेटी, मैं तेरी दोषी हूं, मुझ से गलती हुई है, इस का प्रतिकार भी मुझे ही करना होगा. मुझे पूरा विश्वास है, भावेश एक दिन अवश्य आएगा. वह तुझ से बहुत प्यार करता है. आखिर कब तक वह तुझ से दूर रह पाएगा, पर बेटा उस के लिए तुझे जीना होगा. यों खानापीना छोड़ने से तो किसी समस्या का हल नहीं निकलेगा. कुछ दिन और देख लेते हैं, वरना फिर पुलिस में कमप्लेंट करवाने के साथ पेपर में भी इश्तिहार देंगे…’

सासू मां की बात मान कर अंजना ने थोड़ा खाने की कोशिश की, पर उसे उलटी हो गई. ऐसा एक बार नहीं, बल्कि कई बार होने पर पुष्पा ने उसे डाक्टर को दिखाने का निर्णय लिया और वे अंजना को ले कर डाक्टर को दिखाने उन के नर्सिंगहोम गईं…

‘डाक्टर साहब, मेरी बहू ठीक तो है…’ पुष्पा ने डाक्टर के चैक करने के बाद पूछा. ‘हां, हां, बिलकुल ठीक है… मिठाई खिलाइए… आप दादी बनने वाली हैं…’ ‘क्या…?’

‘बिलकुल सच अम्मां… आप दादी बनने वाली हैं.’ डाक्टर को दिखा कर सासबहू दोनों कमरे से निकली ही थीं कि एक नर्स दौड़ती हुई आई और बगल के केबिन में घुसते हुए बोली, ‘डाक्टर साहब, उस पेशेंट को होश आ गया है…’

‘सच, तुम चलो, मैं आता हूं.’‘क्या हुआ डाक्टर उस पेशेंट को…?’ नर्स की बात सुन कर अंजना से रहा नहीं गया. उस ने डाक्टर के केबिन में घुसते हुए पूछा.‘आप लोग कौन हैं और बिना इजाजत लिए मेरे केबिन में कैसे घुस आए…?’ डाक्टर ने उसे ऊपर से नीचे तक निहारते हुए रूखे स्वर में कहा.

‘डाक्टर साहब, मेरे पति लगभग 15 दिन से लापता हैं, इसलिए मैं इस पेशेंट के बारे में जानना चाहती हूं,’ अंजना ने डाक्टर की डांट की परवाह किए बिना कहा.

’15 दिन से लापता… लगभग इतने दिन पूर्व ही इस व्यक्ति को बुरी तरह से जख्मी हालत में यहां लाया गया था. कोई पहचान का जरीया न होने पर हम उन के घर वालों को खबर नहीं कर पाए हैं. वह तो उस सज्जन की सज्जनता कहिए, जो इसे इतनी जख्मी हालत में उठा कर लाए. वही इस के इलाज का खर्च भी उठा रहे हैं…’ अचानक डाक्टर के स्वर में नरमी आ गई.

‘क्या हम उस से मिल सकते है…?’ पुष्पा और अंजना ने एकसाथ कहा.         ‘हां… हां, क्यों नहीं…’वे दोनों डाक्टर के पीछेपीछे गए. भावेश को पा कर उन दोनों की खुशी का ठिकाना न रहा, पर भावेश ने उन्हें देख कर मुंह फेर लिया.

‘क्या आप इन्हें जानती हैं?’‘जी, यह मेरा बेटा भावेश है… हम पिछले 15 दिनों  से तलाश रहे हैं…’ मांजी ने खुशीखुशी डाक्टर से कहा.‘चलो अच्छा हुआ, वरना हम इन की आइडेंटिटी को ले कर परेशान हो रहे थे,’ डाक्टर ने कहा और समीप ही खड़ी सिस्टर को कुछ निर्देश दे कर चला गया.

‘आज 2-2 खुशियां आप के दामन में समाई हैं मांजी… जम कर पार्टी दीजिए. और हां, मुझे बुलाना मत भूलिएगा…’ पीछे से आवाज आई.पुष्पा ने पीछे मुड़ कर देखा तो वही नर्स खड़ी थी, जिस ने पेशेंट के होश में आने की सूचना दी थी…

‘आप दवा का परचा वहीं भूल आई थीं. डाक्टर ने आवाज लगाई, पर आप ने सुना नहीं… लीजिए दवा का परचा… और हां, पार्टी में बुलाने से नहीं भूलिएगा,’ नर्स ने दवा का पुरजा उसे पकड़ाते हुए पुनः कहा.’तुम्हें कैसे भूलूंगी… तुम ने तो आज मुझे वह खुशी लौटाई है, जो मुझ से मेरी गलती के कारण दूर हो गई थी,’ मां पुष्पा मन ही मन बुदबुदाई.

‘मुझे माफ कर दे बेटा…’ मांजी ने भावेश के बिस्तर पर बैठ कर उस का चेहरा अपनी ओर करते हुए कहा.’दूसरी खुशी कौन सी है, नहीं पूछेगा…’बेटे की आंखों में प्रश्न देख कर मां फिर बोली, ‘तू पापा बनने वाला है और मैं दादी. यह खुशी मुझे मेरी बहू अंजना ने दी है,’ कहते हुए पुष्पा ने अंजना की तरफ देखा और उस से कहा, ‘दूर क्यों खड़ी है, यहां आ न, तेरा भावेश तेरा इंतजार कर रहा है.’

पुष्पा अंजना को भावेश के पास बैठा कर बाहर चली गई और दीप्ति को फोन मिलाने लगी. दीप्ति भी परेशान थी. बहुत दिनों के बाद खुशियों ने उन के द्वार पर दस्तक दी है. वह अपनी जिंदगी जी चुकी, बच्चों की जिंदगी में बेवजह दखल दे कर अब ऐसा कोई काम नहीं करेगी, जिस से उन में फिर से दरार आए. सच ही उन्हें आज जिंदगी से एक सबक मिला है. दीप्ति ठीक ही कहती है कि प्यार दे कर ही प्यार पाया जा सकता है.

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June 25, 2021 at 10:00AM

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